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दशहरा निबंध (Dussehra Essay in Hindi)

दशहरा

दशहरा (विजयादशमी या आयुध-पूजा) एक बहुत ही महत्वपूर्ण हिन्दू त्यौहार है जो पूरे भारत के लोगों के द्वारा हर साल बेहद हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। ये पर्व अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। ये एक धार्मिक और पारंपरिक उत्सव है जिसे हर बच्चों को जानना चाहिये। ऐतिहासिक मान्यताओं और प्रसिद्ध हिन्दू धर्मग्रंथ रामायण के अनुसार ऐसा उल्लिखित है कि भगवान राम ने रावण को मारने के लिये देवी चंडी की पूजा की थी। लंका के दस सिर वाले राक्षस राजा रावण ने अपनी बहन शूर्पणखा की बेइज्जती का बदला लेने के लिये राम की पत्नी माता सीता का हरण कर लिया था। तब से जिस दिन से भगवान राम ने रावण को मारा उसी दिन से दशहरा का उत्सव मनाया जा रहा है।

दशहरा पर 10 वाक्य

दशहरा पर छोटे तथा बड़े निबंध (Long and Short Dussehra Essay in Hindi, Dussehra par Nibandh Hindi mein)

निबंध 1 (300 शब्द).

दशहरा हिन्दुओं का बहुत महत्वपूर्ण और मायने रखने वाला त्यौहार है। इस पर्व का महत्व पारंपरिक और धार्मिक रुप से बहुत ज्यादा है। भारतीय लोग इसे बहुत उत्साह और भरोसे से मनाते है।

ये पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत को भी प्रदर्शित करता है अर्थात् पाप पर पुण्य की जीत। लोग इसे कई सारे रीति-रिवाज और पूजा-पाठ के द्वारा मनाते है। धार्मिक लोग और भक्तगढ़ पूरे दिन व्रत रखते है। कुछ लोग इसमें पहले और आखिरी दिन व्रत रखते है तो कुछ देवी दुर्गा का आशीर्वाद और शक्ति पाने के लिये इसमें पूरे नौ दिन तक व्रत रखते है। दसवें दिन लोग असुर राजा रावण पर राम की जीत के उपलक्ष्य में दशहरा मनाते है। दशहरा का पर्व हर साल सितंबर और अक्तूबर के अंत में दीवाली के दो सप्ताह पहले आता है।

रामलीला का आयोजन

देश के कई बरसों में दशहरा को मनाने का रीति-रिवाज और परंपरा अलग-अलग है। कई जगहों पर पूरा दस दिन के लिए मनाया जाता है, मंदिर के पुजारियों द्वारा मंत्र और रामायण की कहानियां भक्तों की बड़ी भीड़ के सामने सुनाई जाती है साथ ही कई जगहों पर रामलीला का आयोजन 7 दिन या मौसम तक किया जाता है। सारे शहर में रामलीला का आयोजन होता है। राम लीला पौराणिक महाकाव्य, रामायण का एक लोकप्रिय अधिनियम है। ऐसा माना जाता है कि महान संत तुलसीदास ने राम, राम की परंपरा शुरू की, जो भगवान राम की कहानी के अधिनियम था। उनके द्वारा लिखी गई रामचरितमानस आज तक रामलीला प्रदर्शन का आधार बनाती हैं। रामनगर राम लीला (वाराणसी में) सबसे पारंपरिक शैली में अधिनियमित किया गया है।

विजयदशमी मनाने के पीछे राम लीला का उत्सव पौराणिक कथाओं को इंगित करता है। ये सीता माता के अपहरण के पूरे इतिहास को बताता है, असुर राजा रावण, उसके पुत्र मेघनाथ और भाई कुम्भकर्ण की हार और अंत तथा राजा राम की जीत को दर्शाता है। वास्तविक लोग राम, लक्ष्मण और सीता तथा हनुमान का किरदार निभाते है वहीं रावण, मेघनाथ और कुम्भकर्ण का पुतला बनाया जाता है। अंत में बुराई पर अच्छाई की जीत को दिखाने के लिये रावण, मेघनाथ और कुम्भकर्ण के पुतले जला दिये जाते है और पटाखों के बीच इस उत्सव को और उत्साह के साथ मनाया जाता है।

निबंध 2 (400 शब्द)

दशहरा हिन्दू धर्म के लोगों का एक महत्वपूर्ण त्यौहार है। इसे पूरे उत्साह के साथ पूरे देश में हिन्दू धर्म के लोगों द्वारा लगातार दस दिन तक मनाया जाता है। इसलिये इसे दशहरा कहते है। पहले नौ दिन तक देवी दुर्गा की पूजा की जाती है , दसवें दिन लोग असुर राजा रावण का पुतला जला कर मनाते है। दशहरा का ये पर्व सितंबर और अक्तूबर के महीने में दीवाली के दो या तीन हफ्ते पहले पड़ता है।

हिन्दू देवी दुर्गा की पूजा के द्वारा इस त्यौहार को मनाया जाता है तथा इसमें प्रभु राम और देवी दुर्गा के भक्त पहले या आखिरी दिन या फिर पूरे नौ दिन तक पूजा-पाठ या व्रत रखते है। नवरात्र को दुर्गा पूजा के नाम से भी जाना जाता है जब देवी दुर्गा के नौ रुपों की पूजा की जाती है।

क्यों ना हम पहले आपने अन्दर के रावण को मारें।

“रावण पर विजय पाने के लिए पहले खुद राम बनना पड़ता है”

हम बाहर रावण का पुतला तो जलाते है लेकिन अंदर उसे पोषित करते है। वो तो सतयुग था जिसमें केवल एक रावण था जिसपर भगवान राम ने विजय प्राप्त की। यह तो कलयुग है जिसमे हर घर में रावण है। इतने रावण पर विजय प्राप्त करना मुश्किल है। विजयादशमी बहुत ही शुभ और ऐतिहासिक पर्व है। लोगो को इस दिन अपने अंदर के रावण पर विजय प्राप्त कर हर्षोल्लास के साथ यह पर्व मनाना चाहिए। जिस प्रकार एक अंधकार का नाश करने के लिए एक दीपक ही काफी होता है वैसे ही अपने अंदर के रावण  नाश करने के लिए एक सोच ही काफी है।

ना जाने कई सालों सदियों से पूरे देश में रावण का पुतला हर साल जलाकर दशहरे का त्यौहार मनाया जाता है। अगर रावण की मृत्यु सालों पहले हो गयी थी तो फिर वो आज भी हमारे बीच जीवित कैसे है? आज तो कई रावण हैं। उस रावण के दस सिर थे लेकिन हर सिर का एक ही चेहरा था जबकि आज के रावण का सिर एक है पर चेहरे अनेक हैं, चेहरों पर चेहरे हैं जो नकाबों के पीछे छिपे हैं। इसलिए इनको ख़त्म करने के लिए साल में एक दिन काफी नहीं है इन्हें रोज मारना हमें अपनी दिनचर्या में शामिल करना होगा। उस रावण को प्रभु श्रीराम ने धनुष से मारा था, आज हम सभी को राम बनकर उसे संस्कारों से, ज्ञान से और अपनी इच्छा शक्ति से मारना होगा।

ये 10 दिन लंबा उत्सव होता है, जिसमें से नौ दिन देवी दुर्गा की पूजा के लिये और दसवाँ दिन विजयादशमी के रुप में मनाया जाता है ये असुर राजा रावण पर भगवान राम की जीत के अवसर के रुप में भी मनाया जाता है। इसके आने से पहले ही लोगों द्वारा बड़ी तैयारी शुरु हो जाती है। ये 10 दिनों का या एक महीने का उत्सव या मेले के रुप में होता है जिसमें एक क्षेत्र के लोग दूसरे क्षेत्रों में जाकर दुकान और स्टॉल लगाते है।

Essay on Dussehra in Hindi

निबंध 3 (500 शब्द)

पूरे देश में मनाया जाने वाला हिन्दू धर्म का महत्वपूर्ण पर्व है दशहरा। ये हर साल सितंबर या अक्टूबर के महीने में दीपावली के पर्व से 20 दिन पहले आता है। लंका के असुर राजा रावण पर भगवान राम की जीत को दिखाता है दशहरा। भगवान राम सच्चाई के प्रतीक है और रावण बुराई की शक्ति का। देवी दुर्गा के पूजा के साथ हिन्दू लोगों के द्वारा ये महान धार्मिक उत्सव और दस्तूर मनाया जाता है। इस पर्व को पूरे देश में मनाने की परंपरा और संस्कार क्षेत्र दर क्षेत्र अलग-अलग है। ये पर्व बच्चों के मन में काफी खुशियां लाता है।

दशहरा के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य:

  • कहा जाता है कि अगर रावण का वध भगवान राम ने नहीं किया होता तो सूर्य हमेशा के लिए अस्त हो जाता।
  • दशहरा का महत्व इस रूप में भी होता कि मां दुर्गा ने दसवें दिन महिषासुर राक्षस का वध किया था।
  • महिषासुर असुरों को राजा था, जो लोगों पर अत्याचार करता था, उसके अत्याचारों को देखकर भगवान ब्रह्मा, विष्‍णु और महेश ने शक्ति (माँ दुर्गा) का निर्माण किया, महिषासुर और शक्‍ति (माँ दुर्गा) के बीच 10 दिनों तक युद्ध हुआ और आखिरकार मां ने 10 वें दिन विजय हासिल कर ली।
  • ऐसी मान्यता है कि नवरात्र में देवी मां अपने मायके आती हैं और उनकी विदाई हेतु लोग नवरात्र के दसवें दिन उन्हें पानी में विसर्जित करते हैं।
  • एक मान्यता यह भी है कि श्री राम ने रावण के दसों सिर यानी दस बुराइयाँ को ख़त्म किया जो हमारे अंदर, पाप, काम, क्रोध, मोह, लोभ, घमंड, स्वार्थ, जलन, अहंकार, अमानवता और अन्‍याय के रूप में विराजमान है।
  • ऐसा लोगों का मानना है की मैसूर के राजा के द्वारा 17वीं शताब्दी में मैसूर में दशहरा मनाई गयी थी।
  • मलेशिया में दशहरा पर राष्ट्रीय अवकाश होता है, यह त्योहार सिर्फ भारत ही नहीं बांग्लादेश और नेपाल में भी मनाया जाता है।
  • दशहरा भगवान राम और माता दुर्गा दोनों का महत्व दर्शाता है. रावण को हराने के लिए श्री राम ने मां दुर्गा की पूजा की थी और आर्शीवाद के रूप में मां ने रावण को मारने का रहस्‍य बताया था।

रामलीला मंचन

हर तरफ जगमगाती रोशनी और पटाखों की शोर से गूँजता माहौल। बच्चे और बाकी सभी लोग रामलीला को पूरी रात देखते है। रामलीला मंचन के द्वारा वास्तविक लोग रामायण के पात्रों और उनके इतिहास को बताते है। हजारों की संख्या में आदमी, औरत और बच्चे रामलीला मैदान में अपने पास के क्षेत्रों से इस उत्सव का आनन्द उठाते है। राम, सीता और लक्ष्मण के किरदार के लिये वास्तविक कलाकार होते है वहीं रावण, मेघनाथ और कुम्भकर्ण के कागज के पुतले बनाये जाते है।

विजयादशमी एक ऐसा पर्व है, जिसे लोगों के मन में नई ऊर्जा, बुराई पर अच्छाई की जित और लोगों के मन में नई चाह और सात्विक ऊर्जा भी ले आता है। भगवान राम ने कैसे बुराई का अंत कर रावण पर विजय प्राप्त की। और माँ दुर्गा ने महिषासुर को मारकर बुराई का अंत किया। 9 दिन देवी माँ के पूजा अर्चना के बाद यह विजयादशमी आती है। इस दिन पकवान आदि सबके घरों में बनाये जाते है।

निबंध 4 (600 शब्द)

दशहरा भारत का एक महत्वपूर्ण और लंबा उत्सव है। पूरे देश में इसे पूरे उत्साह, प्यार, विश्वास और सम्मान के साथ हिन्दू धर्म के लोगों द्वारा मनाया जाता है। सभी के द्वारा मस्ती करने के लिये ये वाकई अच्छा समय होता है। दशहरा के उत्सव पर स्कूल और कॉलेजों से भी कुछ दिनों की छुट्टी मिल जाती है। ये पर्व हर साल सितंबर और अक्तूबर के महीने में दीवाली के 20 दिन पहले पड़ता है। लोगों को इस त्योहार का बड़ी बेसब्री से इंतजार रहता है।

दशहरा से जुड़ी रीती रिवाज और परंपरा

भारत एक ऐसा देश है जो अपनी परंपरा और संस्कृति, मेले और उत्सव के लिये जाना जाता है। यहाँ हर पर्व को लोग पूरे जोश और खुशी के साथ मनाते है। हिन्दू पर्व को महत्व देने के साथ ही इस त्योहार को पूरी खुशी के साथ मनाने के लिये भारत की सरकार द्वारा दशहरा के इस उत्सव पर राजपत्रित अवकाश की घोषणा की जाती है। दशहरा का अर्थ है ‘बुराई के राजा रावण पर अच्छाई के राजा राम की जीत’। दशहरा का वास्तविक अर्थ दस सर वाले असुर का इस पर्व के दसवें दिन पर अंत है। पूरे देश में सभी लोगों द्वारा रावण को जलाने के साथ ही इस उत्सव का दसवाँ दिन मनाया जाता है।

देश के कई क्षेत्रों में लोगों के रीति-रिवाज और परंपरा के अनुसार इस उत्सव को लेकर कई सारी कहानियाँ है। इस उत्सव की शुरुआत हिन्दू लोगों के द्वारा उस दिन से हुई जब भगवान राम ने असुर राजा रावण को दशहरा के दिन मार दिया था (हिन्दू कैलंडर के अश्वयुजा महीने में)। भगवान राम ने रावण को इसलिये मारा क्योंकि उसने माता सीता का हरण कर लिया था और उन्हें आजाद करने के लिये तैयार नहीं था। इसके बाद भगवान राम ने हनुमान की वानर सेना और लक्ष्मण के साथ मिलकर रावण को परास्त किया।

दशहरा का महत्व

दशहरा का पर्व हर एक के जीवन में बहुत महत्व है इस दिन लोग अपने अंदर की भी  बुराइयों को ख़त्म करके नई जीवन की शुरुआत करते है। यह बुराई पर अच्छाई की जीत की ख़ुशी में मनाया जाने वाला त्यौहार है। दशहरा त्यौहार जश्न के रूप में मनाया जाने वाला  त्यौहार है। सबकी जश्न की अपनी मान्यता है किसानों के लिए फसल को घर लाने का जश्न, बच्चों के लिए राम द्वारा रावण के वध का जश्न , बड़ो द्वारा बुराई पर अच्छाई का जश्न, आदि। यह पर्व बहुत ही शुभ और पवित्र माना जाता है। लोगों का मानना है की इस दिन अगर स्वामी  के पत्तों को घर लाये जाए तो बहुत ही शुभ होता है और इस दिन शुरू किये गए कार्य में जरूर सफलता मिलती है।

विजयादशमी से जुड़ी कथाएं

  • भगवान राम का रावण पर विजय।
  • पांडव का वनवास।
  • माँ दुर्गा द्वारा महिषासुर का वध।
  • देवी सती का अग्नि में समाना।

दशहरा का मेला

ऐसे कई जगह है जहां दशहरा पर मेला लगता है, कोटा में दशहरा का मेला, कोलकाता में दशहरा का मेला, वाराणसी में दशहरा का मेला, इत्यादि। जिसमें कई दुकानें लगती है और खाने पीने का आयोजन होता है। इस दिन बच्चे मेला घूमने जाते है और मैदान में रावण का वध देखने जाते है।

इस दिन सड़कों पर बहुत भीड़ होती है। लोग गाँवों से शहरों में दशहरा मेला देखने आते है। जिसे दशहरा मेला के नाम से जाना जाता है। इतिहास बताता है कि दशहरा का जश्न महारो दुर्जनशल सिंह हंडा के शासन काल में शुरू हुआ था। रावण के वध के बाद श्रद्धालु पंडाल घूमकर देवी माँ का दर्शन करते हुए मेले का आनंद उठाते है।

हिन्दू धर्मग्रंथ रामायण के अनुसार, ऐसा कहा जाता है कि देवी दुर्गा को प्रसन्न करने और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिये राजा राम ने चंडी होम कराया था। इसके अनुसार युद्ध के दसवें दिन रावण को मारने का राज जान कर उस पर विजय प्राप्त कर लिया था। अंततः रावण को मारने के बाद राम ने सीता को वापस पाया। दशहरा को दुर्गोत्सव भी कहा जाता है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि उसी दसवें दिन माता दुर्गा ने भी महिषासुर नामक असुर का वध किया था। हर क्षेत्र के रामलीला मैदान में एक बहुत बड़ा मेला आयोजित किया जाता है जहाँ दूसरे क्षेत्र के लोग इस मेले के साथ ही रामलीला का नाटकीय मंचन देखने आते है।

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dussehra essay for class 3 in hindi

Essay On Dussehra in Hindi – दशहरा हिंदू धर्म के लोगों द्वारा मनाया जाने वाला एक बड़ा त्योहार है और इसे बड़े त्योहारों में से एक माना जाता है। पूरे देश में लोग बड़े उत्साह और समर्पण के साथ दशहरा मनाते हैं। इस त्योहार का सभी को बेसब्री से इंतजार रहता है। Essay On Dussehra भारत के कुछ क्षेत्रों में दशहरा को विजयदशमी के नाम से भी जाना जाता है। 

Essay On Dussehra in Hindi – इस त्योहार की एक सीख है, या हम कह सकते हैं कि यह त्योहार ‘बुराई पर अच्छाई की जीत'( victory of good over evil ) के बारे में है। इस त्योहार का अपना महत्व है और यह बुराई की शक्ति पर अच्छाई की शक्ति की जीत का प्रतीक है। इस त्योहार का प्राथमिक परिणाम हर बार झूठ पर सत्य की जीत, बुराई पर अच्छाई की जीत और अंधेरे पर रोशनी की जीत है। इसलिए Dussehra पर लोगों की मान्यताएं भले ही अलग-अलग हों, लेकिन वे इसे पूरे देश में एक ही भाव से मनाते हैं। 

दशहरा पर निबंध 10 लाइन (Essay on Dussehra 10 lines in Hindi)

  • दशहरा त्यौहार रावण पर देवता राम की कुछ विजय के लिए एक अनुस्मारक के रूप में कार्य करता है
  • दशहरा उत्सव नैतिक सिद्धांतों और धर्मी आचरण को अपनाने के माध्यम से बुराई और अहंकार के विनाश का प्रतिनिधित्व करता है।
  • दुर्गा, लक्ष्मी, और गणेश की मूर्तियों को ले जाने वाले जुलूसों में भाग लेने वाले लोग गाते और नृत्य करते हैं, दशहरा उत्सव मनाने के पारंपरिक तरीकों में से हैं।
  • रावण के दस सिर चार वेदों और छह “शास्त्रों” की उसकी समझ के लिए खड़े हैं। हालाँकि, कुछ का दावा है कि वे 10 मानव दोषों का प्रतीक हैं जिन्हें हमें मोचन प्राप्त करने के लिए प्रतीकात्मक रूप से जलाना चाहिए।
  • भारत के पूर्वी और उत्तर-पूर्वी राज्यों में दशहरा उत्सव मनाने का एक अन्य कारण यह था कि देवी दुर्गा ने महिषासुर, भैंस राक्षस को हराया था, जिसे भगवान ब्रह्मा ने अमरता प्रदान की थी, लेकिन उसके जघन्य कर्म शुरू हो गए थे, इसलिए, सभी देवताओं ने देवी दुर्गा का गठन किया, जिन्होंने महिषासुर को युद्ध में शामिल किया। अंततः उसे हराने से पहले नौ दिनों के लिए।
  • कुछ लोग दुर्गा पूजा के समापन पर दशहरा उत्सव मनाते हैं और धर्म को बहाल करने और उसकी रक्षा करने के लिए महिषासुर पर देवी दुर्गा की जीत को याद करते हैं।
  • नवरात्रि उत्सव के दौरान, जो देवी दुर्गा के नौ रूपों को समर्पित है, भक्त उपवास भी करते हैं।
  • दशहरा उत्सव के दौरान, महाराष्ट्र और कई अन्य दक्षिण भारतीय राज्यों में लोग अपनी कारों की पूजा करते हैं और उन्हें फूलों और अगरबत्तियों से सजाते हैं।
  • दुनिया में सबसे प्रसिद्ध दशहरा उत्सव उत्सव में भाग लेने के लिए दुनिया भर से पर्यटकों को हिमाचल प्रदेश की कुल्लू घाटी की ओर आकर्षित करता है।
  • दिवाली, सबसे बड़ी और सबसे प्रसिद्ध हिंदू छुट्टियों में से एक, दो से तीन सप्ताह में आ रही है। दशहरा पर्व की तरह यह पर्व भी बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।

दशहरा पर निबंध 20 लाइन (Essay on Dussehra 20 lines in Hindi)

  • यह भारत का एक प्रसिद्ध हिंदू त्योहार है।
  • जो भारत में सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है।
  • इसे विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है।
  • यह पर्व आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है।
  • पूरे भारत के लोग इस त्योहार को बड़े उत्साह और उत्साह के साथ मनाते हैं।
  • यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
  • यह त्योहार अक्टूबर या नवंबर के महीने में मनाया जाता है।
  • यानी दिवाली से बीस दिन पहले।
  • इस त्योहार का नाम संस्कृत की दशा से लिया गया है जिसका अर्थ है दस और हारा का अर्थ है हार।
  • नौरात्रि के नौ दिनों के उत्सव के बाद,
  • दशहरा पर्व आश्विन माह की दशमी तिथि को मनाया जाता है ।
  • ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान राम ने राक्षस राजा रावण को हराया था और अपनी अपहृत पत्नी सीता को राक्षस के चंगुल से मुक्त कराया था।
  • दशहरा पर्व का सभी को बेसब्री से इंतजार रहता है।
  • यह त्योहार हमें सिखाता है कि बुराई पर हमेशा अच्छाई की जीत होती है।
  • इस दिन लोग रावण के पुतले को जलाते हैं।
  • मान्यता है कि रावण की प्रतिमा जलाने से हमें अपनी बुरी आदतों को भी जला देना चाहिए।
  • इस त्योहार पर लोग अपने घर में मिष्ठान पकाते हैं और साथ में इस त्योहार को मनाने के लिए अतिथि को भी आमंत्रित करते हैं।
  • इस दिन लोग अपने घर को फूलों से सजाते हैं।
  • महिलाएं अपने घर के मुख्य द्वार के सामने रंगोली बनाती हैं।
  • इस त्योहार का परिणाम अंधकार पर प्रकाश, असत्य पर सत्य और बुरे पर अच्छाई का है।

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दशहरा पर निबंध 100 शब्द (short Essay on Dussehra 100 words in Hindi)

Essay On Dussehra in Hindi – दशहरा हमारे देश भारत में मनाया जाने वाला एक प्रसिद्ध त्योहार है। यह उस दिन का प्रतीक है जिस दिन भगवान राम ने राक्षस राजा रावण को हराया था। उत्सव यह याद रखना है कि अच्छाई और पवित्र हमेशा बुराई पर विजय प्राप्त करते हैं। परिवारों के सदस्य सज-धज कर तैयार होते हैं और दशहरे के दिन अच्छा खाना खाकर और आतिशबाजी देखकर एक-दूसरे के साथ समय बिताने के लिए एक साथ आते हैं। बहुत से लोग बाहर जाते हैं और दशहरे के प्रमुख मेलों में समय बिताते हैं। इन मेलों में, कुछ स्थानीय रंगमंच समूह रामलीला के नाटक का मंचन करते हैं, जो रामायण की प्रसिद्ध हिंदू पौराणिक कथाओं पर आधारित है। रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण का प्रतिनिधित्व करने वाली बड़ी आकृतियों का दहन इस उत्सव के अंत का प्रतीक है।

दशहरा पर निबंध 150 शब्द (Dussehra Essay 150 words in Hindi)

Essay on Dussehra दशहरा भारत में सबसे प्रसिद्ध और अत्यधिक मनाई जाने वाली छुट्टियों में से एक है। भले ही यह एक हिंदू त्योहार है लेकिन भारत जैसे धर्मनिरपेक्ष देश में, विभिन्न धर्मों के लोग एकजुट होकर आनंद लेते हैं। दशहरे पर, सड़कों को चमकदार रोशनी से सजाया जाता है, और लाउडस्पीकरों से गाने बजाए जाते हैं जो सभी दिशाओं से आते हैं और सड़कों पर भीड़ लगाने वाले लोगों की आवाज़ और जयकारों के साथ मिलकर सुंदर अराजकता पैदा करते हैं। नवरात्रि के दस दिनों के दौरान सड़क के किनारे स्वादिष्ट स्ट्रीट फूड और छोटे स्मृति चिन्ह विक्रेताओं द्वारा बेचे जाते हैं।

दशहरे के दिन सबसे ज्यादा व्यापार इसलिए होता है क्योंकि हर कोई उस त्योहार के आखिरी दिन और छुट्टी का लुत्फ उठाना चाहता है। लेकिन भारत एक ऐसा देश है जहां त्योहार अक्सर होते हैं, और हर साल शरद ऋतु और सर्दियों के अंत में इनमें से अधिकांश त्योहार मनाए जाते हैं। इसलिए विजयादशमी पर, जिसे उसी दिन बंगाल और उड़ीसा में दशहरा के रूप में मनाया जाता है, लोग भले ही माँ दुर्गा को अलविदा कह रहे हों, लेकिन केवल माँ काली का स्वागत करने और दो सप्ताह बाद दिवाली मनाने के लिए।

दशहरा पर निबंध 200 शब्द (Dussehra Essay 200 words in Hindi)

Essay On Dussehra in Hindi – यह पौराणिक पौराणिक चरित्र भगवान राम की याद में मनाया जाने वाला एक हिंदू त्योहार है, जो रावण नामक तथाकथित अपराजेय दुष्ट आत्मा को पराजित करता है, जो किंवदंती के अनुसार श्रीलंका का राजा भी था। लोग इस दिन को राक्षस राजा रावण का प्रतिनिधित्व करने वाली लकड़ी और घास से बनी एक विशाल राक्षस जैसी संरचना को जलाकर मनाते हैं। एक और किंवदंती है कि पश्चिम बंगाल के लोग मानते हैं कि देवी मां दुर्गा, जो पृथ्वी पर अपने पिता के घर जाने के लिए आई थीं, पांच दिनों के बाद, यानी दशमी या दशहरा के दिन चली जाती हैं। तो सभी खुश हो जाते हैं और मां दुर्गा को विदा करते हुए अगले साल फिर आने को कहते हैं।

इस दिन, मिठाइयाँ बनाई जाती हैं और बाँटी जाती हैं, रिश्तेदार मिलते हैं और उपहारों का आदान-प्रदान करते हैं और अपने समय का आनंद लेते हैं। बच्चे वे हैं जो किसी भी त्योहार के दौरान सबसे अधिक उत्साहित होते हैं क्योंकि उन्हें सुंदर और नए कपड़े पहनाए जाते हैं, वे अपने चचेरे भाइयों और दोस्तों से मिलते हैं, उन्हें फिर से रामायण की कथा सुनाई जाती है, और उन्हें मेलों में भी ले जाया जाता है जहां वे खिलौने खरीदते हैं और खाते हैं स्वादिष्ट व्यंजन। वयस्कों के व्यस्त कार्यक्रम के साथ, वे दशहरे की छुट्टी का भी इंतजार करते हैं जब उन्हें अंततः आराम करने और अपने परिवार के साथ कुछ अच्छा समय बिताने का मौका मिलता है।

दशहरा पर निबंध 250 शब्द (Dussehra Essay 250 words in Hindi)

Introduction

Essay On Dussehra in Hindi – हर साल सितंबर-अक्टूबर के महीनों में, हिंदू उस दिन को मनाते हैं जब उनके प्रिय राजकुमार राम ने बाद के बुरे कामों और दुराचारों के लिए राक्षस रावण का वध किया था। दशहरा अत्यधिक हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है और हर गाँव या शहर मेलों में आने वाले दर्शकों से अभिभूत होता है।

राम की जीत का जश्न ( Ram’s victory celebration )

त्योहार प्रमुख रूप से रावण पर राम की जीत का जश्न मनाते हैं। यह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। यह वास्तव में एक असंभव कार्य था, फिर भी राम, अपने विश्वासों में विश्वास से प्रेरित होकर इसे प्राप्त करने में सक्षम थे। जब राम ने रावण से रक्षा की, तो उनके पास कुछ वफादार दोस्तों और भाई लक्ष्मण के अलावा कुछ भी नहीं था।

उस समय रावण एक शक्तिशाली राजा था जिसे किसी ने चुनौती देने का साहस नहीं किया। लेकिन, राम अपने वफादार दोस्तों को संगठित करने और रावण के खिलाफ लड़ने के लिए एक सेना का गठन करने में सक्षम थे। प्रारंभ में, रावण ने इसे हँसाया, लेकिन अपने आश्चर्य और निराशा के लिए, वह युद्ध के तेरहवें दिन राम द्वारा पराजित और मारा गया। राम की इसी विजय को भारत के लोग दशहरे के रूप में मनाते हैं।

दशहरा और दुर्गा पूजा (Dussehra and Durga Puja)

दशहरा और दुर्गा पूजा दोनों बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक हैं। जबकि दशहरा भगवान राम की जीत का जश्न मनाता है; दुर्गा पूजा उस दिन को मनाती है जब देवी दुर्गा ने नौ दिनों तक चले भयंकर युद्ध में दुष्ट भैंसे राक्षस महिषासुर का वध किया था। दुर्गा पूजा के दसवें दिन दशहरा भी पड़ता है। किंवदंती है कि युद्ध में जाने से पहले भगवान राम ने शक्ति और वीरता के लिए देवी दुर्गा की पूजा की थी।

दशहरा न केवल हिंदू विश्वास का अभिन्न अंग है, बल्कि यह “सत्य की हमेशा जीत” के भारतीय दर्शन पर भी जोर देता है।

दशहरा पर निबंध 300 शब्द 350 शब्द (Dussehra Essay 300 words 350 words in Hindi)

Essay On Dussehra in Hindi – दशहरा हिंदुओं द्वारा मनाया जाने वाला एक हिंदू त्योहार है, जो दीपावली के त्योहार से 20 दिन पहले मनाया जाता है। जबकि दीपावली भगवान राम की अयोध्या वापसी की याद दिलाती है; दशहरा उस दिन मनाया जाता है जिस दिन राम ने 13 दिनों तक चले युद्ध में रावण का वध किया था।

बुराई पर अच्छाई की जीत

राम अयोध्या के एक कुलीन राजकुमार थे, जिनकी पत्नी सीता का रावण द्वारा अपहरण कर लिया गया था, जबकि सीता वनवास पर थीं। रावण राक्षस राजा था, जो लंका के राज्य में रहता था। वह एक शक्तिशाली राजा था जिसने दुनिया पर राज किया। वनवास के दौरान राम के पास धनुष और बाण और उनकी वफादार पत्नी सीता और उनके भाई लक्ष्मण के अलावा कुछ नहीं था।

जब रावण सीता का हरण कर लंका ले गया; राम लगभग अज्ञात छोटे राज्यों के राजाओं से समर्थन प्राप्त करने में सक्षम थे। यह उपलब्धि वे अपने नेतृत्व कौशल और नैतिक उच्चता के कारण करने में सफल रहे।

राम की असाधारण पवित्र उपस्थिति थी जिसने उन्हें मिलने वाले सभी लोगों की वफादारी हासिल करने में मदद की। उसकी सेना, चाहे वह कितनी भी छोटी क्यों न हो, अपने मूल के प्रति वफादार थी और उस पर विश्वास करती थी। धार्मिकता के सिद्धांतों में राम के विश्वास ने उन्हें और उनकी सेना को एक बहुत ही दुर्जेय प्रतिद्वंद्वी – रावण के खिलाफ लड़ने की ताकत दी। यह और कुछ नहीं बल्कि अच्छाई और बुराई के बीच की लड़ाई थी और जिस दिन रावण के वध के साथ इसका अंत हुआ, वह बुराई पर अच्छाई की जीत थी, जिसे आज दशहरा के रूप में मनाया जाता है।

‘राम लीला’ – राम की कहानी Ram Leela – Story of Ram

दशहरा उत्सव के मुख्य आकर्षणों में से एक राम लीला या राम की कहानी का प्रदर्शन है। यह स्थानीय कलाकारों द्वारा राम के जीवन की घटनाओं को दर्शाने वाला नाटक है। राम लीला भारत के हर गांव और शहर में की जाती है और स्थानीय लोगों द्वारा अद्वितीय उत्साह के साथ देखा जाता है।

रामलीला 20 से अधिक दिनों के लिए की जाती है, जिसमें प्रत्येक दिन विशिष्ट घटनाओं को समर्पित होता है जैसे – जिस दिन राम ने अपना वनवास शुरू किया, सीता का अपहरण, हनुमना की लंका की यात्रा, आदि। राम लीला का अंतिम दिन राम के हाथों रावण के वध के साथ मेल खाता है। राम लीला का यह अंतिम कार्य अधिक लोकप्रिय है और “जय श्री राम” के नारे लगाते हुए दर्शकों के सामने रावण के एक बड़े पुतले को जलाने की आवश्यकता है।

दशहरा बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाता है। यह त्योहार हिंदू धर्म के बहुत ही मूल दर्शन को दर्शाता है, जो सत्य और धार्मिकता का शाश्वत प्रसार है। बुराई के सामने सत्य कितना भी छोटा क्यों न हो, उसे दबाया नहीं जा सकता और हमेशा विजयी होता है।

दशहरा पर निबंध 500 शब्द (long Essay Dussehra 500 words in Hindi)

दशहरा जिसे ‘विजयदशमी’ भी कहा जाता है, भारत में मनाया जाने वाला एक प्रमुख हिंदू त्योहार है। यह दीपावली और होली के बाद भारतीय हिंदुओं के सबसे लोकप्रिय त्योहारों में से एक है। त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत की याद दिलाता है। निबंध में हम दशहरा के समय, पौराणिक कथाओं, उत्सवों और महत्व के बारे में जानेंगे।

दशहरा कब मनाया जाता है?

दशहरा का त्यौहार हिंदू लूनिसोलर कैलेंडर के अश्विन या कार्तिक महीने के दसवें दिन मनाया जाता है, जो आमतौर पर सितंबर-अक्टूबर के ग्रेगोरियन कैलेंडर महीने से मेल खाता है।

यह त्योहार नौ दिनों तक चलने वाली दुर्गा पूजा के दसवें दिन और दीपावली के त्योहार से 20 दिन पहले आता है।

पौराणिक कथा ( mythology )

दशहरा उत्सव की कथा भगवान राम और राक्षस राजा रावण पर उनकी जीत से जुड़ी है। राम, अयोध्या के राजकुमार दंडक वन (दक्षिणी भारत) में अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ वनवास पर थे।

घटनाओं के बदले में, रावण द्वारा सीता का अपहरण कर लिया गया, जो उसे अपने राज्य ‘लंका’ ले गया, जो वर्तमान श्रीलंका में था। राम एक महान राजकुमार थे जो अपने तीरंदाजी कौशल और नैतिक मूल्यों के लिए जाने जाते थे। वह शुभचिंतकों को संगठित करने और सीता को मुक्त करने के लिए रावण के साथ युद्ध के लिए उकसाने में सक्षम था।

रामायण युद्ध लगभग 13 दिनों तक चला और अंत में राम रावण को मारने में सफल रहे। वास्तव में यह बुराई पर अच्छाई की जीत थी। इस दिन को दशहरा के रूप में मनाया जाता है।

युद्ध के 20 दिन बाद राम अयोध्या लौटे और इस दिन को दीपावली के रूप में मनाया जाता है।

दशहरा उत्सव

दशहरा का त्यौहार पूरे देश में असाधारण उत्साह और उत्साह के साथ मनाया जाता है। त्योहार की तैयारी महीनों पहले से की जाती है। दशहरा घरों में नहीं मनाया जाता है बल्कि यह सामुदायिक मेले की तरह अधिक होता है, जिसे समाज में अन्य लोगों के साथ मिलकर मनाया जाता है।

दशहरा नौ दिनों तक चलने वाले दुर्गा पूजा उत्सव के बाद मनाया जाता है, जो इस त्योहार को और भी भव्य बना देता है। मेले कई स्थानों पर आयोजित किए जाते हैं जहां लोग अपने परिवारों के साथ अस्थायी दुकानों के माध्यम से खरीदारी करने और स्थानीय व्यंजनों का स्वाद चखने के लिए जाते हैं।

दशहरा उत्सव की एक और महत्वपूर्ण घटना रावण का एक बड़ा पुतला है जिसे शाम को जलाया जाता है। पुतला आमतौर पर बड़े मैदानों और बस्तियों से सुरक्षित दूरी पर रखा जाता है। इसे देखने वालों के लिए सुरक्षित दूरी पर भी बैरिकेडिंग की गई है। पुतले को आतिशबाजी से भी लदा जाता है जो इसे जश्न का माहौल देता है। जब पटाखों के साथ पुतला जलता है, तो भीड़ अपार खुशी और उल्लास के साथ तालियां बजाती है। यह वाकई देखने लायक नजारा है।

दशहरे का महत्व

यह त्योहार भारतीय हिंदू समुदाय के लिए दो मुख्य कारणों से बहुत महत्वपूर्ण है। सबसे पहले, यह हिंदू धर्म के सबसे सम्मानित व्यक्तियों में से एक, भगवान राम की जीत का जश्न मनाता है। दूसरे, यह बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाता है और यह संदेश देता है कि बुरी ताकतें कितनी भी बड़ी क्यों न हों, आखिरकार वे सच्चाई और नैतिकता से हार जाएंगी।

दशहरा का त्योहार और इसका संदेश हिंदू मान्यताओं और रीति-रिवाजों के सच्चे परिपक्व होने का आधार है। लगभग हर हिंदू त्योहार में एक संदेश होता है जो धार्मिकता, सच्चाई और नैतिक उच्चता का प्रतीक है।

राम की पूजा इसलिए नहीं की जाती है क्योंकि वह एक राजकुमार थे, बल्कि इसलिए कि वे एक महान राजकुमार थे, जिन्होंने अपने सिद्धांतों और धार्मिकता को भौतिक संपत्ति से ऊपर रखा। राम की महिमा ऐसी थी कि भारत के लगभग हर राज्य में उनके शुभचिंतक थे। यह त्योहार नैतिक धार्मिकता का प्रतीक है और हर हिंदू दिल से राम को अपना आदर्श मानता है।

भारत के हिंदू हजारों वर्षों से दशहरा मनाते आ रहे हैं और आने वाली सहस्राब्दियों तक इसे उसी जोश और जुनून के साथ मनाया जाएगा। समय के साथ तरीके और अनुष्ठान बदल सकते हैं लेकिन त्योहार का महत्व वही रहेगा।

दशहरा पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

Q.1 हम दशहरा का त्योहार कब मनाते हैं.

उत्तर. दशहरा का त्योहार हिंदू कैलेंडर के अश्विन महीने के दसवें दिन मनाया जाता है।

Q.2 दशहरा क्यों मनाया जाता है?

उत्तर. दशहरा राक्षस रावण पर भगवान राम की जीत के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।

Q.3 दशहरा उत्सव का दूसरा नाम क्या है?

उत्तर. दशहरा को विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है।

Q.4 दशहरा का त्यौहार कुल्लू दशहरा के रूप में कहाँ मनाया जाता है?

उत्तर. दशहरा का त्योहार हिमाचल प्रदेश में कुल्लू दशहरा के रूप में मनाया जाता है।

Q.5 दशहरा से पहले नौ दिनों के दौरान कौन सा नाटक आयोजित किया जाता है?

उत्तर. दशहरा से नौ दिन पहले रामलीला का मंचन किया जाता है।

Q.6 दशहरे के दिन किसके पुतले जलाए जाते हैं?

उत्तर. दशहरे के दिन रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतले जलाए जाते हैं।

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  • दशहरा पर निबंध (Essay on Dussehra in Hindi): दशहरा पर 10, 100, 150, 200, 500 शब्दों में निबंध

Updated On: September 02, 2024 06:35 pm IST

प्रस्तावना (Preface)

आयोजन (events).

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निष्कर्ष (conclusion).

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दशहरा पर हिंदी में निबंध

श्री राम द्वारा रावण का वध (Slaying of Ravana by Lord Shri Ram)

दशहरा पर 200 शब्दों में निबंध (Essay on Dussehra in 200 words in Hindi)

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दशहरा भगवान राम की रावण पर विजय के रूप में मनाया जाता है। कई स्थानों पर इस दिन बुराई के विनाश का संकेत देने के लिए आतिशबाजी के साथ रावण के पुतले जलाए जाते हैं। दशहरा या विजयदशमी भगवान राम की विजय और दुर्गा पूजा के रूप या फिर यह शक्ति-पूजा का पर्व है।

दशहरा, जिसे विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है, भारत में बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाने वाला एक हिंदू त्यौहार है। यह महाकाव्य रामायण से जुड़ा हुआ है, जहाँ भगवान राम ने राक्षस राजा रावण को हराया था।

दशहरा संस्कृत शब्द दशहरा से आया है, जिसका शाब्दिक अर्थ है "(देवी) जो दस बड़े पापों को दूर करती है।"

कर्नाटक में दशहरा मनाने की परंपरा 400 साल से भी ज़्यादा पुरानी है। इस शुभ अवसर पर मैसूर शहर का पूरा महल रोशनी से जगमगा उठता है।

विजयदशमी यानी दशहरा नवरात्रि खत्म होने के अगले दिन मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान राम ने रावण का वध करने से पहले 9 दिनों तक मां दुर्गा की उपासनी की थी और 10वें दिन रावण का वध किया था। विजयदशमी का पर्व आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाए जाने वाले मुख्य पर्वों में से है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार दशहरा के त्योहार के पीछे दो प्रमुख कारण बताए जाते हैं पहला भगवान राम ने इस दिन ही रावण का वध किया था और मां दुर्गा ने महिषासुर राक्षस के साथ चले 10 दिनों के युद्ध में महिषासुर का संहार किया था।

 व्यक्ति और समाज के रक्त में वीरता प्रकट हो इसलिए दशहरे का उत्सव रखा गया है। दशहरा का पर्व दस प्रकार के पापों- काम, क्रोध, लोभ, मोह मद, मत्सर, अहंकार, आलस्य, हिंसा और चोरी के परित्याग की सद्प्रेरणा प्रदान करता है।

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दशहरा पर निबंध – Essay on Dussehra in Hindi

Essay on Dussehra in Hindi  – दोस्तों आज हम दशहरा त्योहार पर निबंध लिखने जा रहे है। हमारे देश भारत में त्योहारों का बहुत महत्व है हमारे देश में प्रत्येक त्यौहार बड़े ही धूमधाम और हर्षोल्लास से मनाया जाता है।

दशहरा त्योहार पर निबंध कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए है। इस निबंध की सहायता से विद्यार्थी अपनी जानकारी बढ़ा सकते हैं और साथ ही  परीक्षाओं में भी इस निबंध का इस्तेमाल कर सकते है।

Essay on Dussehra in Hindi

Essay on Dussehra in Hindi for school student under 100, 200, 300, 500 or 1500 words.

Best Essay on Dussehra in Hindi 100 words

भारत में दशहरा त्यौहार का बहुत महत्व है दशहरा भारत में पौराणिक काल से ही मनाया जाता आ रहा है। दशहरा हिंदू धर्म से जुड़ा हुआ त्योहार है यह 10 दिनों तक बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है । इसके मनाए जाने का कारण पौराणिक कथाओं में सुनने को मिलता है जिसके अनुसार जब रावण द्वारा माता सीता का हरण कर लिया गया था

तब भगवान श्रीराम ने रावण से आग्रह किया था कि वह मां सीता को सकुशल वापस लौटा दी नहीं तो इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। लेकिन रावण अपने अहंकार में इतना चूर हो गया था कि उसने भगवान राम की बात नहीं मानी।

यह भी पढ़ें –  गणेश चतुर्थी पर निबंध – Essay on Ganesh Chaturthi in Hindi

अंत में भगवान श्रीराम ने विजयदशमी के  के दिन लंका नरेश रावण का वध कर दिया। दशहरा त्योहार पर रावण का पुतला जलाया जाता है और इससे यह संदेश मिलता है कि बुराई पर हमेशा अच्छाई की ही जीत होती है।

Latest Essay on Dussehra in Hindi 200 words

दशहरा भारत में मनाए जाने वाले प्रमुख त्योहारों में से एक है। दशहरा त्योहार को पूरे भारत में अलग-अलग तरह से पूरे हर्ष और उल्लास से मनाया जाता है। यह त्योहार अशिवन महीने के शुक्ल पक्ष में दस दिनों तक मनाया जाता है।

भारत में यह त्यौहार विभिन्न रीति रिवाजों के अनुसार विभिन्न प्रांतों में विभिन्न तरीकों से मनाया जाता है जैसे कि पश्चिमी बंगाल झारखंड बिहार आदि राज्यों में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है

यह पूजा 9 दिनों तक लगातार की जाती है जिसमें प्रत्येक दिन मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा होती है।

विजयदशमी के दिन मां दुर्गा ने महिषासुर राक्षस का वध किया था और उसी दिन भगवान राम ने भी अहंकारी रावण का वध किया था। उत्तर भारत में  इन 9 दिनों में रामलीला का मंचन किया जाता है

यह भी पढ़ें –   दिवाली पर निबंध – Essay on Diwali in Hindi

जिसमें बताया जाता है कि भगवान राम ने रावण का वध कैसे किया और दसवें दिन रावण के साथ मेघनाद, कुंभकर्ण का पुतला भी जलाया जाता है।

दशहरा त्योहार के माध्यम से बताया जाता है कि असत्य कितना भी मजबूत क्यों ना हो सत्य की एक किरण उसे  हरा ही देती है। इस त्यौहार को असत्य पर सत्य की जीत पर मनाया जाता है।

Dussehra Par Nibandh 300 words

प्रस्तावना –

दशहरा त्योहार को पूरे भारत में हर्षोल्लास से मनाया जाता है इस पर्व पर खूब मिठाइयां बांटी जाती है खूब ढोल नगाड़े बजाए जाते है। विजयादशमी के इस पावन दिन पर असत्य पर सत्य की जीत हुई थी।

दशहरा त्योहार हिंदू धर्म को मानने वाले लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है यह पर्व दीपावली से करीब 20 दिन पहले आता है।

दशहरा का आयोजन –

इस पर्व को विजयादशमी और दशहरा के नाम से जाना जाता है इस पर्व को विजयदशमी का नाम देने के पीछे भी एक बहुत बड़ी पौराणिक मान्यता है जिसके अनुसार इस दिन मां दुर्गा ने असुर महिषासुर का वध किया था।

इसलिए बिहार झारखंड पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में पूरे 9 दिनों तक मां दुर्गा  के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है कुछ लोग इन 9 दिनों में उपवास भी रखते है। इस 9 दिन तक चलने वाले त्यौहार को नवरात्रि भी कहा जाता है जिसमें माता के नौ रूपों की पूजा की जाती है

इन दिनों में सुबह शाम माता की आरतियां होते हैं प्रसाद बांटे जाते हैं खूब ढोल-नगाड़े बजाए जाते है  और लोग प्रसन्नतापूर्वक इस त्यौहार को मनाते है चूँकि मां दुर्गा ने विजयदशमी के दिन महिषासुर का वध किया था तो बुराई पर अच्छाई की जीत हुई थी।

इसी प्रकार उत्तर भारत के लोग भी अपनी एक अलग मान्यता के अनुसार इस त्यौहार को मनाते हैं जिसमें 9 दिनों तक रामलीला का मंचन किया जाता है जिसमें वास्तविक लोगों द्वारा यह दर्शाया जाता है कि इस प्रकार माता सीता का अपहरण हुआ और किस प्रकार भगवान श्रीराम ने अहंकारी रावण का वध किया।

चूँकि रावण के दस सिर थे इसलिए इस त्यौहार को दस दिनों तक मनाया जाता है और दसवें दिन असत्य पर सत्य की जीत को दर्शाने के लिए और लोगों  को सत्य का साथ देने के लिए प्रेरित किया जाता है  जिसमें रावण मेघनाथ और कुंभकरण के पुतले जलाए जाते है।

उपसंहार –

जिस से यह प्रतीत होता है कि बुराई चाहे कितनी भी बड़ी क्यों ना हो उसका अंत निश्चित है। इसलिए हमें हमेशा सत्य का साथ देना चाहिए।

Essay on Dussehra in Hindi 500 words

भूमिका –

भारत एक धार्मिक परंपरा वाला देश है जहां पर हर रोज़ कोई ना कोई त्यौहार होता है लेकिन सबसे बड़े त्योहारों की बात करें तो उनमें से एक दशहरा भी है जोकि लगातार 10 दिनों तक चलने वाला त्यौहार है।

यह अक्टूबर और नवंबर माह के बीच में दीपावली से करीब 3 सप्ताह पहले आता है। इस दौरान खूब बड़े-बड़े धार्मिक आयोजन किए जाते हैं मिठाइयां बांटी जाती हैं लोग एक दूसरे से गले मिलकर त्यौहार की बधाइयां देते है।

दशहरा त्योहार के आते ही सरकार द्वारा भी इन दिनों स्कूल और सरकारी कार्यालयों की छुट्टियां कर दी जाती हैं जिससे कि सभी लोग इस त्यौहार का पूरी तरह से आनंद उठा सके।

दशहरा का महत्व –

दशहरा एक त्यौहार ही नहीं है इस दिन पूरे परिवार के लोग एक दूसरे से मिलने आते हैं जिससे इस त्यौहार का महत्व और भी बढ़ जाता है।

चूँकि भारत विभिन्न परंपरा वाला देश है इसलिए यहां पर अलग-अलग भाषाएं अलग-अलग परंपराएं हैं जिसके अनुसार इस त्यौहार का लोग अपनी परंपरा के हिसाब से आयोजन करते है। लेकिन सभी परंपराओं में इसका मूल उद्देश्य एक ही होता है।

इस त्यौहार से जन जन में यही संदेश पहुंचाया जाता है कि असत्य पर हमेशा सत्य की ही जीत होती है। बुराई का अंत निश्चित है इसलिए बुरा काम करने से बचें। दशहरा त्यौहार मनाए जाने के पीछे कई  पौराणिक कथाएं है जिनमें से एक यह कि भगवान श्री राम के भाई लक्ष्मण ने जब रावण की बहन सूर्पनखा का नाक काट दिया था

तब रावण ने नाराज होकर भगवान श्री राम की पत्नी माता सीता का अपहरण कर लिया। भगवान श्री राम ने वानर सेना, हनुमान जी, लक्ष्मण, सुग्रीव आदि के साथ मिलकर माता सीता को छुड़ाने की योजना बनाई।

इससे पहले उन्होंने मां दुर्गा की पूजा की जिससे उन्होंने यह जान लिया था कि रावण का वध कैसे किया जाए।  रावण और भगवान श्री राम के बीच युद्ध करीब 10 दिनों तक चला और दसवें दिन विजयदशमी के दिन भगवान राम ने रावण का वध कर दिया। और माता सीता को रावण के चंगुल से छुड़ाने में सफल रहे।

चूँकि रावण बहुत ही अहंकारी और अत्याचारी था इसलिए इस दिन बुराई पर अच्छाई की जीत हुई थी इसलिए दशहरा मनाया जाता है और वर्तमान में अभी यह प्रथा कायम रखने के लिए लोगों द्वारा  रामलीला का मंचन किया जाता है जिसमें भगवान श्री राम के वनवास जाने से लेकर रावण के वर्क तक का वर्णन किया जाता है और विजय दशमी के दिन रावण का पुतला जलाया जाता है।

भारत के कुछ राज्यों में दशहरा त्योहार को एक अलग ही पौराणिक मान्यता के अनुसार मनाया जाता है जिसमें मां दुर्गा की पूजा की जाती है। इस में प्रतिदिन मां दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है जैसे कि काली, शैलपुत्री, ब्रह्‌मचारिणी ,कुष्मांडा आदि विभिन्न रूप धारण करती हैं और आसुरी शक्तियों का संहार करती हैं।

चूँकि  मान्यता है कि मां दुर्गा ने महिषासुर नामक राक्षस से करीब 9 दिनों तक युद्ध किया था क्योंकि महिषासुर राक्षस ने पृथ्वी पर तबाही मचा दी थी इसलिए विजयदशमी के दिन मां दुर्गा ने महिषासुर का त्रिशूल मारकर वध कर दिया था।  इसलिए इस दिन बुराई और असुरी ताकतों का अंत हुआ था।

निष्कर्ष –

इस त्यौहार को मनाने का प्रमुख कारण यही है कि पूरे भारत में यह संदेश पहुंचाया जा सके कि हमेशा सत्य की ही जीत होती है चाहे बुराई कितनी भी बड़ी क्यों ना हो।

Long Essay on Dussehra in Hindi

भारत के सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक दशहरा भी है दशहरा त्योहार भारत में पुरातन काल से ही बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। भारत को त्योहारों का देश भी कहा जाता है क्योंकि यहां पर हर दिन कोई न कोई त्यौहार होता है।

दशहरा त्योहार को प्रत्येक वर्ग के लोग बड़ी धूमधाम से मनाते है। इस त्यौहार का अधिक महत्व है हिंदू धर्म और क्षत्रिय लोगों में बहुत ज्यादा होता है।

यह त्योहार हिंदी कैलेंडर के हिसाब से अशिवन महीने के शुक्ल पक्ष में दस दिनों तक मनाया जाता है। इस त्यौहार को मनाने के पीछे भारत के अलग-अलग प्रांतों में कई रोचक कहानियां एवं कथाएं सुनने को मिलती है। इस त्यौहार का भारत में अधिक महत्व इसलिए है।

क्योंकि यह दीपावली की तरह ही पूरे भारतवर्ष में प्रत्येक वर्ग के द्वारा हर्षोल्लास से मनाया जाता है। इस त्यौहार का अंतिम दिन विजयदशमी के रुप में मनाया जाता है जिसके नाम से ही पता चलता है कि इस दिन इतिहास में कोई ऐसी घटना घटी होगी जिसमें बहुत बड़ी विजय हासिल की गई होगी।

दशहरा त्योहार क्या है –

दशहरा त्योहार हिंदू धर्म से जुड़ा हुआ एक प्रमुख त्योहार है यह अक्टूबर से नवंबर माह के बीच में और दीपावली से करीब तीन सप्ताह पहले मनाया जाता है। यह त्योहार हर्षोल्लास और विश्वास के साथ पूरे भारतवर्ष में मनाया जाता है। इस दिन का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है

क्योंकि इस दिन जो भी कार्य किया गया है वह हमेशा सफल ही हुआ है। इस त्यौहार के माध्यम से हमें सच्चाई, आदर्श और नैतिकता की शिक्षा मिलती है। इस त्यौहार का प्रमुख उद्देश्य एक ही है कि सभी लोगों में संदेश पहुंचाया जा सके  की बुराई का अंत निश्चित होता है और हमेशा अच्छाई और सत्य की ही जीत होती है। इसलिए बड़ी धूमधाम से मनाते हैं ताकि हर वर्ग के लोगों तक इसका संदेश पहुंचाया जा सके।

दशहरा त्यौहार क्यों मनाया जाता है-

भारत जैसे विशाल जनसंख्या एवं पौराणिक मान्यताओं वाले देश में इस त्यौहार को सभी लोग अपनी-अपनी पारंपरिक मान्यताओं के अनुसार मनाते है। इस त्यौहार को मनाने के पीछे हिंदू धर्म के ग्रंथों में दो प्रमुख घटनाओं का वर्णन किया जाता है विश्व में पहली घटना मां दुर्गा से जुड़ी हुई है और दूसरी भगवान श्री राम से आइए जानते है।

मां दुर्गा ने महिषासुर का वध किया –

हिंदू धर्म के ग्रंथों के अनुसार पुरातन काल में महिषासुर नाम का एक बहुत बड़ा राक्षस हुआ करता था जिसने देवलोक से लेकर पृथ्वी पर भी अपना आतंक मचा रखा था। महिषासुर राक्षस को ऐसी शक्तियां प्राप्त थी कि कोई भी देवता उसके सामने टिक नहीं पा रहा था फिर मां दुर्गा से महिषासुर  राक्षस का नाश करने की विनती की गई।

तब मां दुर्गा ने अपना रौद्र रूप दिखाते हुए लगभग 9 दिनों तक महिषासुर नाम  के राक्षस से युद्ध किया उसके बाद विजय दशमी के दिन मां दुर्गा ने महिषासुर राक्षस का अंत कर दिया  क्योंकि इस दिन बुराई पर अच्छाई की जीत हुई थी इसलिए इसी दिन को दशहरा त्यौहार के रूप में मनाया जाने लगा।

भगवान राम ने अहंकारी रावण का वध किया –

जब भगवान राम 14 वर्ष का वनवास काट रहे थे तब अहंकारी रावण ने माता सीता का छलपूर्वक अपहरण कर लिया। भगवान राम ने रावण से माता सीता को सकुशल वापस लौट आने की विनती की लेकिन रावण ने इतना अहंकार भरा हुआ था कि वह नहीं माना।

तब भगवान राम ने रावण से युद्ध करने की सोची और भाई लक्ष्मण, सुग्रीव, हनुमान जी और वानर सेना के साथ मिलकर माता सीता को सकुशल वापस लाने की योजना बनाई। लेकिन लंका तक पहुंचने के लिए समुद्र  पार करना आवश्यकता इसलिए वानर सेना द्वारा पत्थरों का एक पुल बनाया गया जो कि रामसेतु के नाम से जाना जाता है जिस के अवशेष आज भी भारत से श्रीलंका के बीच में देखे जा सकते है।

भगवान श्री राम की लंका पहुंचने के बाद अहंकारी रावण और राम के बीच में बहुत भयंकर युद्ध हुआ जिसमें लंका  पूरी तरह तहस-नहस हो गई और विजय दशमी के दिन भगवान श्रीराम ने अहंकारी रावण के अहंकार को कुचलते हुए उसका वध कर दिया।

यहां पर यह बात जानने योग्य है कि रावण  भगवान राम से बहुत ज्यादा ज्ञानी और शक्तिशाली था लेकिन फिर भी वह मारा गया।

इससे हमें यह शिक्षा मिलती है कि अगर ज्ञान का अहंकार वश दुरुपयोग किया जाए तो उसका अंत निश्चित होता है। विजयदशमी के दिन असत्य पर सत्य की जीत हुई थी इसलिए दशहरा त्योहार मनाया जाता है।

दशहरा त्यौहार पर होने वाले कार्यक्रम –

दशहरा त्योहार के दिन अलग-अलग सांस्कृतिक कार्यक्रम होते है जिसे लोग बड़ी ही धूमधाम और हर्षोल्लास से मनाते है। इस दिन लोग खूब नाचते गाते हैं मिठाइयां बांटते हैं ढोल नगाड़े बजाते है और हर तरफ खुशियां ही खुशियां नजर आते है दशहरा त्योहार पर होने वाले प्रमुख कार्यक्रम इस प्रकार है –

दुर्गा पूजा –

दशहरा त्योहार को भारत के कई राज्यों में जैसे बिहार असम झारखंड पश्चिम बंगाल उड़ीसा गुजरात तमिलनाडु आंध्र प्रदेश कर्नाटक आदि राज्यों में नौ दिनों तक मां दुर्गा की पूजा की जाती है इन 9 दिनों में श्रद्धालु उपवास रखते हैं और सुबह शाम मां दुर्गा की पूजा करते है। इसमें प्रत्येक दिन मां दुर्गा की एक अलग रूप की पूजा की जाती है  क्योंकि मां दुर्गा के हर एक रूप का कुछ ना कुछ महत्व जरूर होता है।

गली-मोहल्लों और मंदिरों में  मां दुर्गा की विशेष मूर्तियां लगाई जाती हैं जिनमें मां दुर्गा के सभी रूप दर्शाए जाते है।

यह दृश्य बहुत ही रोचक और भक्तिमय होता है। मां दुर्गा की आरती के बाद सभी श्रद्धालुओं में प्रसाद बांटा जाता है जोकि श्रद्धालुओं द्वारा मां का आशीर्वाद समझकर ग्रहण किया जाता है। विजयदशमी के दिन मां दुर्गा की मूर्तियों की झांकियां निकाली जाती हैं और उन्हें किसी तलाब या समुद्र विसर्जित किया जाता है

झांकियां –

दशहरा के इस पावन पर्व पर झांकी निकालने का विशेष आयोजन किया जाता है जिसमें की सभी स्थानों पर अलग-अलग प्रकार की झांकियां निकाली जाती हैं कहीं पर मां दुर्गा की मूर्तियां लेकर नाच गानों के साथ पूरे गांव और शहर में घुमाई जाती है और अंत में मां दुर्गा की मूर्तियों को जल में विसर्जित कर दिया जाता है।

कुछ स्थानों पर रामलीला के सभी पात्रों की झांकियां निकाली जाती हैं जिनमें की खूब ढोल नगाड़े बजाए  जाते हैं और साथ ही आतिशबाजी की जाती है।

शस्त्र पूजन –

दशहरा त्योहार को लेकर क्षत्रिय धर्म को मानने वाले लोगों द्वारा एक अन्य प्रथा का भी आयोजन किया जाता है जिसमें वह अपने अस्त्र – शस्त्र की पूजा करते है। चूँकि  दशहरा त्योहार वर्षा ऋतु के खत्म होने के बाद आता है इसलिए राजा महाराजा ने युद्ध करने के लिए और शिकार करने के लिए वर्षा ऋतु के बाद ही बाहर निकलते हैं इसलिए वह पहले अपने अस्त्र शस्त्र की पूजा करते है।

रामलीला मंचन –

Dussehra त्योहार राम और रावण से जुड़ा हुआ है इसलिए उत्तर भारत यह लोग इन 10 दिनों में रामलीला का मंचन करते हैं जिसमें वास्तविक व्यक्तियों द्वारा रामायण काल के सभी पात्रों के जीवन को दर्शाया जाता है।

जिसमें प्रमुख रुप से भगवान श्री राम के वनवास से लेकर रावण के वध तक का पूर्ण वर्णन किया जाता है।

रामलीला का मंचन सभी शहरों और गांवों में एक निश्चित स्थान पर किया जाता है जहां पर शाम को सभी लोग इकट्ठा होकर रामलीला का आनंद उठाते है।

रामलीला के द्वारा लोगों को बताया जाता है कि किस प्रकार भगवान श्रीराम द्वारा अहंकारी रावण का अहंकार तोड़ा गया वह साथ ही उस का वध कैसे हुआ। रामलीला के मंचन का मुख्य उद्देश्य यही है कि लोगों में यह संदेश पहुंचाने की हमेशा अच्छाई की ही जीत होती है।

पुतला दहन –

दशहरे के दिन जिसे लोग विजयदशमी के नाम से भी जानते हैं जिस दिन रावण के पुतले का दहन किया जाता है जिसमें रावण के पुतले लकड़ी और कागजों से बनाए जाते हैं और उनमें पटाखे भर दिए जाते है।

आजकल तो रावण के साथ-साथ मेघनाथ और कुंभकरण के बीच पुतले जलाए जाते हैं जिसमें तीर द्वारा घुटनों में आग लगाई जाती हैं फिर भी पुतले आग की चपेट में आने से धू-धू कर जलने लगते है।

इतिहास में दशहरा त्योहार का महत्व –

भारत के इतिहास में भी दशहरा त्योहार का बहुत महत्व है क्योंकि प्राचीन काल में राजा में राजा दशहरे के दिन ही युद्ध पर निकलते थे या फिर किसी शुभ कार्य को करने के लिए इसी दिन को सुनते थे क्योंकि ऐसा माना जाता है कि  इस दिन जो भी कार्य किया जाता है वह जरुर सफल होता है।

इसका एक महत्वपूर्ण उदाहरण भी है जब मराठा रतन शिवाजी ने औरंगजेब से युद्ध किया था तो इसी दिन को चुना था और हिंदू धर्म की रक्षा की थी

Dussehra त्योहार खुशियों और उमंगों का त्यौहार है लेकिन इस त्यौहार की जितनी पौराणिक मान्यताएं हैं उतना ही इस त्यौहार का महत्व भी है क्योंकि इस समाज से हमें बहुत कुछ सीखने को भी मिलता है।

एक त्यौहार को लेकर जितने भी मान्यताएं जुड़े हुए नहीं हैं उनके अनुसार हमेशा अच्छाई की जीत हुई है।

हमें मां दुर्गा की तरह बुराइयों का अंत करने के लिए हमेशा प्रतिबद्ध रहना चाहिए कभी भी बुराइयों के आगे नहीं झुकना चाहिए। और भगवान राम के जीवन से हमें यह सीखने को मिलता है कि हमेशा शांत रहना चाहिए और हमेशा सत्य का मार्ग ही अपनाना चाहिए।

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4 thoughts on “दशहरा पर निबंध – Essay on Dussehra in Hindi”

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Essay On Dussehra in Hindi | दशहरा/विजयादशमी पर निबंध (Nibandh) (कक्षा-3 से 10 के लिए)

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Dussehra Essay in Hindi:- दशहरा दस दिन और नौ रातों तक चलने वाला हिंदू त्योहार है। यह बुरी शक्ति पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है जैसे राम की रावण पर विजय और दुर्गा की महिषासुर पर विजय। दशहरा हिंदू समुदाय द्वारा मनाया जाने वाला एक प्रमुख भारतीय त्योहार है। हिंदू कैलेंडर के आश्विन महीने के दसवें दिन मनाया जाने वाला यह त्योहार नवरात्रि उत्सव के अंत का भी प्रतीक है। यह त्यौहार रावण पर भगवान राम की जीत का जश्न मनाता है; इसलिए यह बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है।यह संदेश देता है कि सही और गलत की लड़ाई में हमेशा धर्म की ही जीत होती है। दशहरा का त्यौहार अधिकतर घरों के बाहर, सामुदायिक स्थानों पर, छोटे से लेकर बड़े मेलों के रूप में मनाया जाता है। मेले का मुख्य आकर्षण रावण का एक बड़ा पुतला है, जिसे भगवान राम का चित्रण करने वाले जनता के एक सदस्य द्वारा नाटकीय रूप से जलाकर राख कर दिया जाता है। भीड़ “जय श्री राम ” के नारे लगाते हुए जोर-जोर से चिल्लाने लगी।

24 अक्टूबर को दशहरा का त्यौहार मनाया जाएगा जिस दिन भगवान राम रावण का वध करेंगे। स्कूल कॉलेज में दशहरा पर निबंध लिखने को कहा जाता है अगर आप भी ऐसी ही किसी असमंजस में फंसकर Dussehra Par Nibandh तलाश कर रहे हैं तो यह लेख आपके लिए महत्वपूर्ण होने वाला है।आज इस लेख में हम आपको दशहरा पर निबंध (Essay on Dussehra in Hindi) बताने जा रहे है। नीचे दी गई सभी जानकारियों को ध्यानपूर्वक पढ़कर आप दशहरा पर एक खूबसूरत निबंध लिख पाएंगे और दशहरा त्योहार के बारे में विस्तारपूर्वक समझ पाएंगे इसलिए हमारे इस लेख के साथ अंत तक बने रहे।

Dussehra Essay in Hindi – Overview

कैसे मनाया जाता हैविभिन्न स्थानों पर रावण दहन आयोजित करके
कब मनाया जाता हैइस साल 24 अक्टूबर को
क्यों मनाया जाता हैभगवान राम के रावण का वध करने की वजह से

दशहरा पर निबंध हिंदी में | Essay on Dussehra in Hindi

हर साल नवरात्रि के त्यौहार के दसवें दिन को दशहरा त्योहार के रूप में मनाया जाता है। हिंदू धर्म की पौराणिक मान्यता के अनुसार दशहरा के दिन ही भगवान राम ने रावण का वध किया था और दुनिया को पाप मुक्त किया था। इस दिन को बड़े ही हर्षोल्लास के साथ हम विभिन्न समारोहों और पूजा पंडालों के साथ मनाते है। हिंदू पंचांग के अनुसार दशहरा का त्योहार हर साल भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा अवधि में 9 दिनों तक मनाया जाता है।

हिंदू धर्म की पौराणिक मान्यताओं के अनुसार आज से कई साल पहले भगवान राम धरती पर निवास करते थे तब रावण नाम का राक्षस का अत्याचार पूरे पृथ्वी पर चलता था और दशहरा के दिन ही उन्होंने इस रावण का वध करके धरती को पाप मुक्त किया था। इसके अलावा इस दिन मां दुर्गा ने महिषासुर नाम के राक्षस का वध किया था। हिंदू धर्म के पौराणिक मान्यता के अनुसार इस दिन विश्व से पाप का अंत हुआ था अच्छाई की बुराई पर जीत हुई थी जिसे हर साल बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाने के लिए दशहरा का त्यौहार आयोजित किया जाता है।

Dashara Par Nibandh | दशहरा पर निबंध हिंदी में

दशहरा के त्यौहार के दिन मां दुर्गा की पूजा होती है और भारत के विभिन्न स्थानों पर बड़े-बड़े मैदान में रावण के बड़े-बड़े पुतले बनाए जाते हैं जैसे भगवान राम की वेशभूषा में लोग तीर धनुष के सहारे आग लगाते हैं और उसके बाद रावण के अंदर रखा हुआ पटाखा फूटता है और बड़े ही हर्षोल्लास के साथ लोग नाचते हुए इस त्यौहार का आनंद उठाते है। हर साल दशहरा का त्यौहार मां दुर्गा की पूजा और रावण की प्रतिमा के अंत से मनाया जाता है।

इस साल भी बड़े ही हर्षोल्लास के साथ दशहरा का त्यौहार मनाया जाएगा और बड़े हर्षोल्लास के साथ लोग हंसते खेलते इस त्यौहार का अंत करेंगे इसी तरह हर साल विशेष मुहूर्त पर मां दुर्गा की पूजा और रावण दहन का कार्य करके दशहरा का त्यौहार मनाया जाता है और सभी लोगों में खुशियां बांटी जाती है।

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दशहरा कब हैं, पूजा, महत्व, रावण दहन मुहूर्त
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Essay on Dussehra in Hindi

हर साल दशहरा का त्यौहार बड़े हर्षोल्लास के साथ हिंदू धर्म का पालन करने वाले लोगों के द्वारा विश्व भर में मनाया जाता है। दशहरा का त्यौहार इस साल 5 अक्टूबर को मनाया जा रहा है। नवरात्रि के दसवें दिन और दशहरा का त्यौहार मनाते है। नवरात्रि का त्यौहार इस साल 26 सितंबर से 5 अक्टूबर तक रहने वाला है। लगातार नौ दिनों तक मां दुर्गा के अलग अलग स्वरूप की पूजा करने के बाद 24 अक्टूबर को रावण दहन के साथ इस त्यौहार का अंत किया जाता है।

हिंदू धर्म की पौराणिक मान्यता के अनुसार दशहरा के दिन ही भगवान राम ने रावण का वध किया था और मां दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था। इस धरती से पाप का अंत हुआ था अच्छाई की बुराई पर जीत हुई थी और इस शुभ अवसर को बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन भारत के विभिन्न जगहों पर रावण की बड़ी बड़ी प्रतिमा बनाई जाती है और उसे राम की फीस भूषा में जलाया जाता है। रावण की बड़ी बड़ी प्रतिमा में बहुत सारे पटाखे रखे जाते हैं और जब रावण जलता है तो खूब सारे पटाखे फूटते हैं लोग नाचते हैं यह एक बहुत ही बेहतरीन में त्यौहार है जिस दिन हर कोई अपने सगे संबंधियों को शुभकामनाएं देता है।

Happy Vijay Dashami

Dussehra ka Nibandh | दशहरा का निबंध

Essay On Dussehra in Hindi: दशहरा का त्यौहार हर साल भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा अवधि में मनाया जाता है इस साल 26 सितंबर से शुरू हो रही है इसी अवधि में चलते हुए दसवें दिन रावण दहन का त्यौहार मनाया जाता है जिसे दशहरा का त्यौहार कहते है। कई सालों से यह परंपराव्त त्योहार मनते आ रहा है। इस साल भी यह त्यौहार बड़े ही हर्षोल्लास के साथ पूरे भारतवर्ष में मनाया जाएगा औरतें इस दिन उपवास का परण करती है और भारत के अलग-अलग क्षेत्र में रामलीला का आयोजन भी किया जाता है। मुख्य रूप से उत्तर भारत के कुछ क्षेत्र में आपको रामलीला का एक विशेष रूप देखने को मिलेगा जहां मुखौटा पहनकर रामकथा के अलग-अलग पात्र बनकर लोक नृत्य करते हैं और रामायण की कथा सुनाते है। इस दिन मां दुर्गा के सभी स्वरूपों की पूजा का अंत होता है और आखिरी दिन भगवान राम के रावण वध और उनके जीवन की कहानी सुनाई जाती है साथ ही उनके जीवन से लोगों को प्रेरणा लेने को कहा जाता है। इसी तरह आने वाले समय में भी भगवान राम के लिए दशहरा का त्यौहार विशेष रूप से मनाया जाएगा। 

10 Quotes On Dussehra | दशहरा पर 10 वाक्य

1) दशहरा, जिसे विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है, भारत और हिंदू समुदायों वाले अन्य देशों में मनाया जाने वाला एक प्रमुख हिंदू त्योहार है।

2) यह हिंदू माह आश्विन के दसवें दिन पड़ता है, जो आमतौर पर सितंबर या अक्टूबर में होता है, जो कि नवरात्रि उत्सव के अंत का प्रतीक है।

3) दशहरा बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है, क्योंकि यह प्राचीन भारतीय महाकाव्य रामायण में राक्षस राजा रावण पर भगवान राम की विजय की याद दिलाता है।

4) यह त्यौहार बड़े उत्साह और उत्साह के साथ मनाया जाता है, जिसमें विस्तृत जुलूस, सांस्कृतिक कार्यक्रम और भगवान राम के जीवन को प्रदर्शित करने वाले जीवंत रामलीला प्रदर्शन होते हैं।

5) दशहरे के दौरान सबसे महत्वपूर्ण रीति-रिवाजों में से एक है रावण, उसके भाई कुंभकर्ण और उसके बेटे मेघनाद के पुतले जलाना, जो बुरी ताकतों की हार का प्रतीक है।

6) लोग हार्दिक शुभकामनाएँ और शुभकामनाएँ देते हैं, नए कपड़े पहनते हैं और दोस्तों और परिवार के साथ स्वादिष्ट पारंपरिक मिठाइयाँ और व्यंजन साझा करते हैं।

7) कुछ क्षेत्रों में, दशहरा देवी दुर्गा की पूजा और नवरात्रि के दौरान भैंस राक्षस महिषासुर पर देवी की जीत से भी जुड़ा हुआ है।

8) यह त्योहार एकता और खुशी का अवसर है, जो विभिन्न पृष्ठभूमि के लोगों को अपनी सांस्कृतिक विरासत का जश्न मनाने के लिए एक साथ लाता है।

9) अपने धार्मिक महत्व के अलावा, दशहरा ऐतिहासिक महत्व भी रखता है, भारत के विभिन्न हिस्सों में इसके साथ कई ऐतिहासिक घटनाएं जुड़ी हुई हैं।

10) दशहरा नवीनीकरण और आशा का समय है, जो हमें धार्मिकता की जीत और हमारे जीवन में अन्याय और बुराई के खिलाफ खड़े होने के महत्व की याद दिलाता है।

दशहरा पर निबंध कैसे लिखें? Dussehra Par Nibandh Kaise Likhen

अगर आप अपने स्कूल या विद्यालय में दशहरा पर विशेष निबंध लिखना चाहते हैं तो इसके लिए नीचे दी गई सूचीबद्ध जानकारी को ध्यानपूर्वक पढ़ें:– 

  • सबसे पहले दशहरा का त्यौहार कब मनाया जाता है, इसके बारे में जानकारी देते हुए दशहरा के त्यौहार को समझाने का प्रयास करें।
  • उसके बाद हर साल दशहरा का त्यौहार कैसे मनाया जाता है कब मनाया जाता है इसे विशेष रूप से समझाया।
  • दशहरा का त्यौहार क्यों मनाया जाता है इस दिन किस भगवान की पूजा करते हैं और इस दिन से जुड़ी कथा का भी वर्णन करें। 
  • दशहरा का त्यौहार कैसे मनाया जाता है इसके बारे में भी विस्तार पूर्वक जानकारी दें।
  • भारत के अलग-अलग क्षेत्र में दशहरा का त्यौहार कैसे मनाया जाता है, और इस दिन क्या-क्या विशेष होता है इसके साथ साथ आने वाले समय में यह त्यौहार कैसे मनाया जाने की उम्मीद है इसके बारे में कुछ प्रकाश डालते हुए अपने निबंध को खत्म करें। 

FAQ’s on Dussehra Essay in Hindi

Q. दशहरा का त्यौहार कैसे मनाया जाता है?

दशहरा के त्यौहार के दिन लोग रावण दहन करते हैं और मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूप की पूजा करते है। 

Q. दशहरा का त्यौहार कब है?

दशहरा का त्यौहार इस साल 24 अक्टूबर को मनाया जाएगा। हर साल दशहरा का त्यौहार है भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा आंधी में मनाया जाता है।

Q. दशहरा का त्यौहार क्यों मनाया जाता है?

हिंदू पौराणिक मान्यता के अनुसार दशहरा के दिन ही भगवान राम ने रावण का वध किया था और मां दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था इसलिए इस दिन को दशहरा के त्यौहार के रूप में मनाया जाता है। 

आज इस लेख में हमने दशहरा पर निबंध ( Essay on Dussehra in Hindi) आपके समक्ष प्रस्तुत किया है। हमने आपको दशहरा पर विभिन्न निबंध बताया है इसके अलावा दशहरा का त्योहार कैसे और कब मनाया जाता है इसके बारे में भी विस्तार पूर्वक जानकारी दी है। इस लेख में बताई गई सभी जानकारियों को ध्यानपूर्वक पढ़ने के बाद आप अगर सरल शब्दों में यह समझ पाए हैं कि दशहरा का त्योहार क्या है और कैसे मनाया जाता है तो इसे अपने सभी मित्रों के साथ साझा करें साथ ही दशहरा पर निबंध आपको कैसा लगा इसके बारे में भी कमेंट करके अवश्य बताएं।

इस ब्लॉग पोस्ट पर आपका कीमती समय देने के लिए धन्यवाद। इसी प्रकार के बेहतरीन सूचनाप्रद एवं ज्ञानवर्धक लेख easyhindi.in पर पढ़ते रहने के लिए इस वेबसाइट को बुकमार्क कर सकते हैं

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Essay on Dussehra in Hindi: स्टूडेंट्स के लिए दशहरा पर निबंध 100, 150, 250 और 500 शब्दों में 

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  • Updated on  
  • सितम्बर 7, 2023

Essay on Dussehra in Hindi

Essay on Dussehra in Hindi : दशहरा एक बहुत बड़ा हिंदू पर्व है, जिसे लोग ‘बुराई पर अच्छाई की जीत’ के रूप में मनाते हैं। एग्जाम के समय स्कूल में बच्चों को दशहरा पर निबंध (Essay on Dussehra in Hindi) लिखने को कहा जाता है, जिससे उनको दशहरा के इस पर्व के बारे में पता चले और इसके प्रति उनमें उत्सुकता बनी रहे और उन्हें दशहरा के बारे में पूरा ज्ञान प्राप्त हो। इसके अतिरिक्त कभी-कभी स्टूडेंट्स को शब्द सीमा के आधार पर निबंध लिखने को आता है। इसे देखते हुए आज हम Essay on Dussehra in Hindi के ज़रिए सरल तरीके से इस पर्व की विशेषता बताएंगे, ताकि स्टूडेंट्स को दशहरा पर निबंध आसानी से समझ आए।

This Blog Includes:

दशहरा पर्व का परिचय, दशहरा पर निबंध (essay on dussehra in hindi) 100 शब्दों में , दशहरा पर निबंध (essay on dussehra in hindi) 150 शब्दों में, दशहरा कब मनाया जाता है, इसलिए मनाया जाता है दशहरा, राम और रावण का युद्ध लगभग कितने दिनों तक चला , दुर्गा पूजा और दशहरा.

दशहरा एक बहुत बड़ा त्योहार है जिसे पूरे भारत देश में लोग बड़े उत्साह के साथ दशहरा मनाते हैं। इस पर्व का लोग बेसब्री से इंतजार करते हैं, क्योंकि इस पर्व में रावण के पुतले का दहन किया जाता है और यह बुराई की शक्ति पर अच्छाई की शक्ति की जीत का प्रतीक माना जाता है। यही नहीं हमारे भारत देश के कुछ क्षेत्रों में दशहरा को विजयदशमी के नाम से भी जाना जाता है। तो चलिए जानते हैं दशहरा पर निबंध के कुछ सैंपल निबंध। 

100 शब्दों में दशहरा पर निबंध कुछ इस प्रकार है –

दशहरा भारत देश में मनाए जाने वाले प्रसिद्ध त्योहार में से एक है। यह पर्व उस उपलक्ष्य में मनाया जाता है, जब भगवान राम ने लंका के राजा रावण को हराया था। उस दिन सभी को एक संदेश मिला था कि हमेशा अच्छाई और पवित्रता बुराई पर विजय प्राप्त करती है। कई शहरों और गांवों में इस पर्व के दिन मेले का आयोजन भी किया जाता है, जिसमें परिवार के सभी सदस्य तैयार होकर दशहरे में रावण दहन, आतिशबाजी और स्थानीय रंगमंच समूह रामलीला का नाटक देखने जाते हैं। जो रामायण की प्रसिद्ध पौराणिक कथाओं पर आधारित होती है। 

Essay on Dussehra in Hindi

150 शब्दों में दशहरा पर निबंध कुछ इस प्रकार है –

दशहरा हिंदू धर्म का प्रमुख त्योहार है, जिसे भारत देश में बड़े हर्षोल्लास से मनाया जाता है। दशहरा भारत देश में सभी जगह समान्य रूप से मनाया जाता है, पौराणिक कथाओं की मान्यता के अनुसार इस दिन रावण के पुतले का दहन किया जाता है। लेकिन देखा जाए तो इस पर्व को मनाए जाने के पीछे दो मुख्य कारण भी हैं, पहला यह कि इस दिन भगवान राम ने रावण के साथ युद्ध करके उसका वध किया था और वहीं दूसरी वजह यह कि माता दुर्गा द्वारा राक्षसों के साथ नौ दिनों तक भयंकर युद्ध के बाद उनका का संहार किया था। 

इसलिए कहा जाता है की इस दिन बुराई का अंत हुआ था और बुराई पर अच्छाई की जीत हुई थी। भारत देश सालों से इस दिन को विजयादशमी भी कहते हैं। क्योंकि देवी दुर्गा की नौ दिनों तक पूजन के पश्चात् लोग दशमी के दिन रावण का पुतला जलते हैं और इस दशहरे के पर्व को बड़ी धूमधाम के साथ मानते हैं। 

दशहरा पर निबंध (Essay on Dussehra in Hindi) 250 शब्दों में

दशहरा या विजयदशमी त्योहार जोकि बुराई पर अच्छाई की जीत की याद दिलाता है। इस सैंपल 250 शब्दों में दशहरा पर निबंध में आप दशहरा के समय, पौराणिक कथा और महत्व के बारे में जानेंगे।

दशहरा का त्यौहार हिंदू लूनिसोलर कैलेंडर के अनुसार अश्विन या कार्तिक माह में 10वें दिन मनाया जाता है, जो ग्रेगोरियन कैलेंडर के मुताबिक सितंबर-अक्टूबर माह से मिलता-जुलता है। यह त्योहार नवरात्रि में दुर्गा पूजा के दसवें दिन और दीपावली से 20 दिन पहले मनाया जाता है।

दशहरा का ये तयौहार मुख्य रूप से भगवान राम और रावण पर उनकी विजय से जुड़ा है। भगवान राम को कौन नहीं जनता है, यह पर्व अयोध्या (Ayodhya) के राजकुमार राम की है, जिनका विवाह मिथिला की राजकुमारी सीता से हुआ था। राम और सीता के विवाह के पश्चात राम को उनके पिता राजा दशरथ के वचनवद्ध होने के कारण उनको 14 वर्ष के वनवास भोगना पढ़ा। पिता की आज्ञा मानकर राम वनवास जाने के लिए अपने राजमहल से निकले उनके साथ सीता माता भी जाने को तैयार हो गई, भाई प्रेम के कारण लक्ष्मण ये सब देख न सके और भ्राता राम और माता सीता के साथ वन के लिए प्रस्थान कर लिया। राम दंडक वन (दक्षिण भारत) में अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ वनवास काट रहे थे। उस समय कई राक्षसों द्वारा तीनों को परेशान किया गया, लेकिन राम के आगे किसकी चलती। राम ने सबको पराजित किया। 

दशहरा पर निबंध (Essay on Dussehra in Hindi) 500 शब्दों में

500 शब्दों में दशहरा पर निबंध कुछ इस प्रकार है – 

लक्ष्मण द्वारा रावण की बहन की नाक काट देने की वजह से लंका के राजा लंकेश को बहुत गुस्सा आया और उसने इसका प्रतिशोध लेने के लिए माता सीता का हरण किया। रावण जानता था कि वह माता सीता का कोई साधारण स्त्री नहीं है, उनका हरण कर पाना सरल नहीं है। क्योंकि सीता अकेले जरूर है, परन्तु मायावी शक्तियां सदैव उनके साथ होंगी। जिसके कारण कभी उन तक नहीं पहुंच सकता है। तभी रावण ने उस समय एक साधु के वेश में आकर सीता का छल के द्वारा माता सीता का हरण कर लिया और वह उन्हें अपने राज्य ‘लंका’ ले गया, जोकि वर्तमान समय में श्रीलंका के नाम से पुकारा जाता है। 

राम को मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है, क्योंकि उनमें निस्सल राजकुमार, एक श्रेष्ठ धनुषधारी योद्धा और नैतिक मूल्य के गुण थे। इस युद्ध में उनकी मुलाकात अपने प्रिय भक्त हनुमान से हुई, जिन्होंने पूरी लंका को अपनी पूंछ के बल पर जला दिया था।  इस युद्ध में हनुमान के साथ, सुग्रीव, जामवंत अंगद जैसे कई वीर योद्धा शामिल थे। समय बीतता गया और राम की सेना लंका में प्रवेश करने वाली थी, लेकिन श्रीराम नहीं चाहते थे कि युद्ध हो और सब विनाश की चपेट में आए। युद्ध से होने वाले विनाश से बचने के लिए राम ने अंगद को लंका में शांतिदूत बनाकर भेजा था। वहां रावण द्वारा अंगद का बहुत उपहास और अपमान किया गया, जिससे क्रोधित होकर अंगद ने पूरी सभा में ही प्रस्ताव रख दिया कि जो कोई उनका पैर जमीन से हिला देगा, तो वे हार मान लेंगे और श्रीराम व पूरी सेना के साथ वापस अयोध्या को लौट जाएंगे। कोई उनके पैर को टस से मस नहीं कर सका।   

पौराणिक कथाओं के अनुसार कहा जाता है की राम और रावण का ये युद्ध लगभग 13 दिनों तक चला और अंत में भगवान राम लंका के राजा रावण को मारने में सफल रहे। और युद्ध के 20 दिन बाद अपना वनवास पूरा करके माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ अपनी नगरी अयोध्या वापस लौटे आए। राम के लौटने की खुशी में पूरे नगर के देशवासियों ने नगर को दीपों ने रोशन कर दिया था। इस उत्साह और ख़ुशी के दिन से ही पूरे भारत वर्ष में इस दिन को दीपावली के रूप में मनाया जाता है।

दुर्गा पूजा और दशहरा देखा जाएं तो दोनों बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है। इस दिन देवी दुर्गा ने नौ दिनों तक चले भयंकर युद्ध में दुष्ट राक्षस महिषासुर का वध किया था और नवरात्रि के दसवें दिन उसका वध किया था इस रूप में हम कह सकते हैं कि, बुराई पर अच्छाई की विजय हुई थी। कहा जाता है कि युद्ध में जाने से पहले भगवान राम ने शक्ति और वीरता के लिए देवी दुर्गा की पूजा की थी। हम हर वर्ष सितंबर-अक्टूबर के माह में दशहरा अत्यधिक हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं और हर गाँव या शहर में मेलों का आनंद लेते हैं।

दशहरा न केवल हिंदू धर्म के विश्वास का एक प्रमुख अंग है, अपितु यह दिन “असत्य पर सत्य की जीत” का प्रतीक है। ये दिन भारतीय लोगों पर भी जोर देता है।

1955 से रावण दहन कार्यक्रम की शुरुआत हुई। यह प्रचलन 1954 में दशहरा कमेटी के गठन के बाद से शुरू हुआ। 

 आशा है आपको ये Essay on Dussehra in Hindi का ब्लॉग पसंद आया होगा और इससे जुड़ी महत्वपूर्ण आपको मिली होगी। इसी तरह के अन्य निबंध से सम्बंधित ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें। 

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दशहरा पर निबंध: Essay on Dussehra in Hindi [2023]

यह लेख दशहरा पर हिंदी में निबंध प्रदान करता है। यहां लिखे गए निबंध 100 शब्दों में, 500 शब्दों में और 600 शब्दों में हैं।.

Sakshi Kabra

दशहरा पर निबंध (100 शब्दों में)

दशहरा पर निबंध (500 शब्दों में) .

भारतीय उपमहाद्वीप के सबसे महत्वपूर्ण और धार्मिक त्योहारों में से एक, "दशहरा" है। यह त्योहार हर साल विजयादशमी के रूप में मनाया जाता है और भगवान राम के रावण पर विजय के रूप में मनाया जाता है। दशहरा का आयोजन खुद भगवान राम के जीवन के महत्वपूर्ण घटना के रूप में किया जाता है और यह धर्म, संस्कृति, और परंपराओं का महत्वपूर्ण हिस्सा है।

दशहरा का महत्व:

दशहरा का आयोजन भगवान राम, उनकी पत्नी सीता, और उनके भक्त हनुमान के महान कार्यों की स्मृति में किया जाता है। इसे रामलीला के रूप में मनाया जाता है, जिसमें रामायण की कथा का प्रस्तुतिकरण किया जाता है। यह कथा बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है और यह दिखाती है कि सत्य, धर्म, और न्याय हमेशा जीतते हैं।

  • भगवान राम: भगवान राम रामलीला के प्रमुख पात्र होते हैं, और उनके जीवन की कई महत्वपूर्ण घटनाएं प्रस्तुत की जाती हैं।
  • सीता: सीता, भगवान राम की पत्नी, उनकी पतिव्रता और नरी शक्ति के प्रतीक के रूप में प्रस्तुत की जाती है।
  • रावण: रावण दुर्जन और अधर्मी का प्रतीक होता है, और उसकी पहचान के लिए दशहरा के दिन उसकी रणनीतियों की प्रस्तुति की जाती है।
  • हनुमान: हनुमान, भगवान राम के भक्त, उनके विश्वास और सेवा के प्रतीक के रूप में प्रस्तुत किया जाता है।

दशहरा की तैयारियाँ:

दशहरा के पूर्व, स्थानीय समुदायों और लोगों की तरफ से रामलीला की तैयारियाँ शुरू होती हैं। लोग रोज़ कुछ घंटे रात को मिलकर कथा की प्रस्तुति करते हैं और अभिनेता और नृत्यगायक की भूमिका में रंगमंच पर नाटक का प्रस्तुतीकरण करते हैं।

दशहरा के दिन:

दशहरा के दिन, रामलीला के आयोजन के बाद, एक बड़ा मेला आयोजित किया जाता है। इसमें स्थानीय वस्त्र, आभूषण, खिलौने, और फिरकी आदि की विभिन्न चीजें बिकती हैं। मेले में भगवान राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, और रावण के पुतले बिकते हैं, जिन्हें घर ले जाकर पूजा किया जाता है।

दशहरा के दिन कुछ स्थानों पर रामलीला का आयोजन बड़े धूमधाम से किया जाता है, और लाखों लोग इसे देखने के लिए आते हैं। यहाँ भगवान राम की कथा को प्रस्तुत करने के लिए पेशेवर अभिनेता और कलाकार होते हैं, और वे अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करते हैं। यह एक जीवंत नाटक होता है जो लोगों को भगवान राम के जीवन और उनके महत्वपूर्ण कार्यों के बारे में जागरूक करता है।

दशहरा पर निबंध (600 शब्दों में)

भारत, विविधता और धर्मिकता का देश है, जहाँ अनगिनत त्योहार और उत्सव हर साल मनाए जाते हैं। इन त्योहारों में से एक है "दशहरा," जिसे विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है। यह त्योहार हिन्दू धर्म का महत्वपूर्ण हिस्सा है और भारतीय संस्कृति में एक अद्वितीय स्थान रखता है। दशहरा का महत्व, परंपरा, और मनाने के तरीके के साथ इस निबंध में जानते हैं।

दशहरा, भगवान राम के रावण पर विजय के रूप में मनाया जाता है। इसे विजयादशमी के रूप में भी जाना जाता है, जिसका अर्थ होता है "विजय का दिन।" इस त्योहार का महत्व रामायण की कथा में है, जिसमें भगवान राम ने अपनी पत्नी सीता को रावण के कब्जे से मुक्त किया था। यह त्योहार भगवान राम के प्रमुख भक्तों और हिन्दू धर्म के अनुयायियों के लिए बड़ा महत्वपूर्ण है और इसके माध्यम से वे अपने ईश्वर के प्रति अपनी श्रद्धा का प्रकटीकरण करते हैं।

दशहरा का आयोजन:

दशहरा के दिन, लोग विभिन्न रूपों में रामलीला का आयोजन करते हैं, जिसमें रामायण की कथा का प्रस्तुतीकरण किया जाता है। यह एक आदर्श तरीका है जिससे लोग भगवान राम के जीवन और महान कार्यों के बारे में जान सकते हैं और उनके आदर्शों को अपने जीवन में अपना सकते हैं।

रामलीला का आयोजन किसी स्थानीय मंच पर किया जाता है, और लोग ख़ास उपयुक्तता के साथ इसमें भाग लेते हैं। इसमें नृत्य, गीत, और अद्वितीय प्रस्तुतियाँ शामिल होती हैं, जो कथा की रूपरेखा को प्रस्तुत करती हैं। भगवान राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, और रावण के पात्र विशेष ध्यान दिया जाता है और उनकी प्रस्तुतियाँ बड़ी ही आकर्षक होती हैं।

  • भगवान राम: भगवान राम, रामलीला के प्रमुख पात्र होते हैं, और उनके जीवन की कई महत्वपूर्ण घटनाएं प्रस्तुत की जाती हैं। उनकी पत्नी सीता को रावण के अधिकार से मुक्त कराने के लिए उन्होंने अनगिनत कठिनाइयों का सामना किया था। वे न्याय, धर्म, और सत्य के प्रतीक होते हैं, जो हमें अपने जीवन में अनुसरण करने की प्रेरणा देते हैं।
  • सीता: सीता, भगवान राम की पत्नी, उनकी पतिव्रता और नरी शक्ति के प्रतीक के रूप में प्रस्तुत की जाती है। उनकी आदर्श प्रेम और वफादारी के प्रतीक के रूप में जानी जाती है, जिन्हें भारतीय समाज में मान्यता दी जाती है।
  • लक्ष्मण: लक्ष्मण, भगवान राम के चोटे भाई, उनके साथ समय बिताने वाले अद्वितीय भक्त होते हैं। वे भगवान राम के आदर्श भ्राता होते हैं और उनके लिए जीवन की सबसे बड़ी भूमिका निभाते हैं।
  • हनुमान: हनुमान, भगवान राम के भक्त, उनके विश्वास और सेवा के प्रतीक के रूप में प्रस्तुत किया जाता है। हनुमान बल, वीरता, और समर्पण के प्रतीक होते हैं, और उनके भक्ति और प्रेम का प्रतीक होते हैं।
  • रावण: रावण दुर्जन और अधर्मी का प्रतीक होता है, और उसकी पहचान के लिए दशहरा के दिन उसकी रणनीतियों की प्रस्तुति की जाती है। रावण की दस heads की प्रतिष्ठा के बावजूद, उसकी अधर्मिकता और अहंकार ने उसे पराजित किया था, जो दशहरा के सन्देश का हिस्सा है।

दशहरा की तैयारी:

दशहरा के पूर्व, स्थानीय समुदायों और लोग रामलीला की तैयारीयाँ करते हैं। रामलीला का आयोजन ध्वज ध्वंसक, वीर लक्ष्मण, सीता, और हनुमान जैसे पात्रों के वस्त्र, मेकअप, और सेट के लिए आवश्यक उपकरणों की तैयारी के साथ होता है। लोग निरंतर रामलीला की प्रैक्टिस करते हैं, ताकि वे कथा का श्रेष्ठ प्रस्तुतीकरण कर सकें।

दशहरा के दिन, रामलीला के आयोजन के बाद, एक बड़ा मेला आयोजित किया जाता है। यह मेला अक्तूबर और नवम्बर के महीनों में मनाया जाता है और लोग इसमें उपन्यास, रंगमंच नाटक, और खिलौने आदि की विभिन्न चीजों का आनंद लेते हैं। 

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Dussehra Essay in English

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दशहरा पर निबंध (Dussehra Hindi Essay)

दशहरा पर निबंध (Dussehra Hindi Essay) - dussehra hindi essay

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Dussehra Essay In Hindi दशहरा पर निबन्ध

Dussehra Essay In Hindi | दशहरा पर निबन्ध

Dussehra Essay In Hindi | दशहरा पर निबन्ध

  • आयोजन और मनाया जाना

साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न  हिंदी निबंध  विषय पा सकते हैं।

दशहरा पर निबन्ध | Essay on Dussehra In Hindi

बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व है-दशहरा। इस दिन सचमुच ऐसा लगता है कि सतयुग का रामराज्य पुनः लौट आया है। इस पर्व का धार्मिक महत्व रामायण की कथा पर आधारित है। इस दिन अयोध्या के राजा राम ने लंका के अत्याचारी राजा रावण को पराजित कर विजय प्राप्त की थी। उसी विजय की स्मृति में इस पर्व को विजयदशमी भी कहते हैं। सहस्रों वर्षों की घटना को हिंदुओं के दृढ़ विश्वास ने इसे सजीव बना दिया है।

हिंदू इस पर्व को बड़ी धूमधाम से मनाते हैं। दस दिन पहले ही हर नगर, हर गली में रामलीला आरंभ हो जाती है। श्री राम के जीवन को चित्रित करने वाली झाँकियाँ निकाली जाती हैं, जिसे राम जी की सवारी कहते हैं। राजधानी दिल्ली की रामलीलाएँ विशेष रूप से दर्शनीय होती हैं।

इस पर्व के दिन बाजारों में विशेष चहल-पहल होती है। बाजारों में बिक रहे रामलीला के पात्रों के मुखौटे, धनुष-बाण और गदा आदि खिलौने बच्चे बड़े चाव से खरीदते हैं। शाम होते ही सभी दशहरा मैदान की तरफ चल पड़ते हैं। इस दिन सवारी की शोभा भी निहारने योग्य होती है।

सवारी के दशहरा मैदान पहुँचते ही राम-रावण युद्ध दिखाया जाता है। रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतले मैदान में पहले ही खड़े कर दिए जाते हैं। इनमें बारूद, पटाखे और आतिशबाजी भर दी जाती है। शाम होते ही इन पुतलों को कागज़ की लंका सहित अग्नि की भेंट कर दिया जाता है।

आकाश में उड़ती फुलझड़ियों और आतिशबाज़ी की रंगबिरंगी रोशनी बड़ी भली लगती है। रावण का दाह संस्कार कर सब लोग प्रसन्नतापूर्वक घर लौटते हैं। इस अवसर पर शक्ति की देवी, पापियों का नाश करने वाली दुर्गा की भी पूजा होती है। शाम को प्रतिमा को धूमधाम से जल में विसर्जित कर दिया जाता है। यह पर्व भारतीय समाज में बहुत ही शुभ माना जाता है।

यह पर्व हमारे जीवन में नई स्फूर्ति, नए जीवन और नए उत्साह का संचार करता है। इस पर्व से हमें यह शिक्षा मिलती है कि सदा सत्य की विजय और असत्य की पराजय होती है।

Essay on Dussehra In Hindi

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दशहरा पर निबंध Dussehra Essay In Hindi And English Language

नमस्कार दोस्तों आज का निबंध, दशहरा पर निबंध Dussehra Essay In Hindi And English Language दिया गया हैं. हिंदी और अंग्रेजी भाषा में दशहरा यानी विजयादशमी त्यौहार पर आसान भाषा में यहाँ दो तीन छोटे बड़े निबंध दिए गये हैं. उम्मीद करते है आपको ये लेख पसंद आएगा.

दशहरा पर निबंध Dussehra Essay In Hindi And English

Short Dussehra Essay In Hindi Language: Dusshera also called Vijayadashami, it is an important festival of India. before 20 days of Diwali Dussehra celebrated, this Dussehra Essay In Hindi And English helpful for students and kinds.

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आज का निबंध, दशहरा पर निबंध 2024 Dussehra Essay In Hindi पर दिया गया हैं. विजयादशमी हिन्दुओं का महत्वपूर्ण त्यौहार है. स्कूल स्टूडेंट्स के लिए सरल भाषा में यहाँ दशहरा क्या है कब और कैसे मनाते है इसके इतिहास और महत्व पर यहाँ निबंध दिया गया हैं.

हमारे यहाँ पर साल भर तीज त्यौहार मनाए जाते हैं, जिनमे कुछ तीज और कुछ महत्वपूर्ण फेस्टिवल होते हैं. दशहरा हिन्दू धर्म का महत्वपूर्ण त्यौहार हैं. जिन्हें विजयादशमी भी कहते हैं.

दशहरा पर निबंध (Dussehra Essay) में हम जानेगे आखिर यह पर्व क्यों मनाया जाता है, तथा दशहरा कब हैं. सरल भाषा में लिखे इस हिंदी निबंध लेखन को आप अपने विद्यालय के कार्यक्रम में भी प्रस्तुत कर सकते हैं.

1# Dussehra Essay In English

Dussehra is an important festival of the Hindus. it falls in the month of October. it is celebrated in honor of Rama’s victory over Ravana.

it is celebrated for ten days. in the first nine days, there are dramas. they are based on Ramayana. they tell us that Rama was an obedient son.

he kept his word of honor. he was very brave. he was sacrificing. he was a loving brother and good husband.

on the tenth day, a big fair is held. huge effigies are set up. they are of Ravana, his son meghnath and his brother Kumbh  Karan.

they made of bamboos and paper. fireworks are kept inside. in the evening a procession comes. it represents Rama, Lakshmana, and their armies.

at sunset, Rama shoots arrows at the effigies. the Dussehra festival has a lesson for us. it shows the victory of goodness over evils.

2# दशहरा पर निबंध- Dussehra Essay In Hindi

दशहरा हिंदुओं का एक महत्वपूर्ण त्यौहार है। यह अक्टूबर के महीने में मनाया जाता है। यह रावण पर राम की जीत के सम्मान में मनाया जाता है।

यह दस दिनों तक भारतभर में मनाया जाता है। पहले नौ दिनों में, रामायण पर आधारित नाटक होते हैं। वे हमें बताते हैं कि राम एक आज्ञाकारी पुत्र थे वों एक आदर्श पुरुष थे,

तथा सभी के साथ उनके रिश्ते आदर्श रूप में राम ने निभाया। राम बड़े साहसी थे। तथा बहादुर वीर योद्धा थे, वो एक अच्छे भाई व पति थे.

दशहरे के दसवें दिन एक बड़ा मेला आयोजित किया जाता है. रावण उसका पुत्र मेघनाथ व भाई कुंभकर्ण के विशाल पुतलें बनाए जाते है. जिन्हें बाँस व कागज से बनाया जाता है,

तथा इसके अंदर विस्फोटक सामग्री भरी जाती है. दशहरा की रात को विशाल शोभायात्रा निकाली जाती है, जिनमें कलाकारों को राम, लक्ष्मण व उनकी सेना के रूप में सजाया जाता है.

रात के समय इन पुतलों में राम द्वारा तीर चलाकर रावण की हत्या की जाती है. बुराई पर अच्छाई, असत्य पर सत्य की विजय के प्रतीक के रूप में दशहरा का नाटक मनाया जाता है.

3# दशहरा पर निबंध

हिन्दुओं के प्रमुख त्योहारों में दशहरा भी एक त्यौहार है. यह आसोज सुदी दशमी को मनाया जाता है. ऐसा माना जाता है. कि इस दिन भगवान राम ने राक्षसों के राजा रावण को मारकर विजय प्राप्त की थी. इसलिए इस दिन को विजयादशमी भी कहते है.

दशहरा शरद ऋतू का एक महत्वपूर्ण त्योहार है. दस दिन पहले से जगह जगह पर रामलीला शुरू होती है. दशमी के दिन रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतले जलाएं जाते है. इन पुतलों पर फटाखें बांधे जाते है. इससे अनेक प्रकार की आवाजे निकलती है.

इस मौके पर भगवान श्रीराम, सीता और लक्ष्मण की झांकी भी निकलती है. दशहरा पर क्षत्रिय लोग अपने शस्त्रों की पूजा करते है. दशहरा का त्योहार पाप पर पूण्य की और असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक है. इससे हमें अच्छे कर्म करने की प्रेरणा मिलती है.

4# दशहरा पर निबंध / Essay on Dussehra in Hindi

हमारे देश भारत में कई त्योहार जैसे होली, दीपावली, रक्षाबंधन, ईद, क्रिसमस, दशहरा आदि त्योहार प्रमुखता से मनाया जाता है. दशहरा आश्विन माह की शुक्ल पक्ष की दशमी के दिन मनाया जाता है. ऐसा माना जाता है, कि इसी दिन भगवान राम ने रावण पर विजय पाई थी, इसलिए इसे विजयदशमी भी कहा जाता है.

इससे पूर्व नौ दिन नवरात्र होते है. इन दिनों जगह जगह रामलीलाएं होती है. दसवें दिन रावण वध की लीला होती है और रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतले जलाए जाते है.

इस प्रकार यह त्योहार अन्याय पर न्याय, असत्य पर सत्य और अधर्म पर धर्म की विजय के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है. विजयादशमी मानव जाति का विजय पर्व है.#

दशहरा क्यों मनाया जाता है – इस दिन भगवान श्रीराम ने रावण का वध किया था, इसी उपलक्ष्य में दशहरा मनाया जाता है.

दशहरे को विजयदशमी क्यों कहते है – भगवान राम ने लंका विजय के समय समुद्र तट पर नौ दिन तक भगवती विजया की आराधना की थी. भगवती की कृपा से दुष्ट रावण पर राम ने विजय पाई थी. इसलिए दशहरा को विजयादशमी भी कहा जाता है.

कैसे मनाया जाता है दशहरा का त्योहार – वर्तमान समय में अपने पारंपरिक रीती रिवाजों के अलावा जगह-जगह मेले आयोजित किये जाते है. जिसमें राम और रावण से जुडी हुई झांकिय होती है. शाम के समय रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतलों का दहन किया जाता है.

दशहरा पर रावण का पुतला क्यों जलाया जाता है – दशहरे पर प्रतिवर्ष रावण के पुतले जलते हुए देखकर हमारे मन में यह बात दृढ़ हो जाती है कि अत्याचारी का न केवल अंत बुरा होता है, बल्कि आने वाली पीढियाँ भी उनके कुकृत्यों को कभी क्षमा नही करती है.

विजयादशमी (दशहरा) की रामलीला – रामलीला में श्रीराम के जन्म का, सीता- स्वयंवर, लक्ष्मण परशुराम संवाद, सीता हरण, हनुमान द्वारा लंका दहन, लक्ष्मण मेघनाद युद्ध और रावण वध आदि कथा प्रसंगों का प्रदर्शन होता है.

दशहरा की कथा – विजयादशमी को लेकर ऐसी पौराणिक कथा है कि समुद्रतट पर राम ने नौ दिन तक भगवती विजया की उपासना की थी. दसवें दिन रावण पर विजय पाई थी.

ऐसी कथा भी है कि इसी दिन पांडवों ने अन्यायी कौरवों पर विजय पाई थी. इसी तिथि पर देवताओं के राजा इंद्र ने वृत्रासुर नामक दैत्यराज को हराया था. दशमी तिथि को विजय नामक मुहूर्त होता हैं, जो सभी कार्यों में सिद्धिदायक होता है.

दशहरा का महत्व – विजयादशमी के दिन ही श्रीराम ने अन्यायी और दुष्ट रावण पर विजय पाई थी. कौरवों पर पांडवों को और वृत्रासुर दैत्य पर देवराज इंद्र को विजय मिली थी.

इस प्रकार इस त्योहार से अन्याय पर न्याय की, असत्य पर सत्य की और अधर्म पर धर्म की विजय की सीख मिलती है. जो कोई अत्याचार या कुकृत्य करता है, उसका विनाश अवश्य होता है. इसलिए हमें भी बुरे कार्यों से दूर रहना चाहिए.

शमी वृक्ष की पूजा-  दशहरे के दिन शमी अर्थात खेजड़ी के वृक्ष की पूजा की जाती है. इसके पीछे लोगो की धारणा यह है, कि शमी वृक्ष की पूजा से द्रढ़ता और तेजस्विता प्राप्त होती है.

5# दशहरा पर निबंध 2024 | Dussehra Essay In Hindi

हमारा देश त्योहारों का देश हैं. होली दीपावली, रक्षाबंधन, ईद, क्रिसमस, दशहरा आदि त्यौहार सम्पूर्ण भारत में आनन्द और उल्लास के साथ मनाए जाते हैं.

दशहरा हमारे देश का प्रसिद्ध त्यौहार हैं. यह त्यौहार आशिवन माह में शुक्ल पक्ष की दशमी को मनाया जाता हैं. यह वर्षा की समाप्ति और शरद के आगमन का प्रतीक हैं.

दशहरे से पहले नों दिन की अवधि को नवरात्र कहते हैं. ये शारदीय नवरात्र कहलाते है. इन नों दिनों में बड़ी धूमधाम से माँ दुर्गा के नों रूपों की सेवा पूजा की जाती हैं.

नवरात्र का प्रथम दिन कलश स्थापना का होता हैं एवं अंतिम दिन अर्थात दसवां दिन विजयादशमी के रूप में मनाया जाता हैं. हमारे देश में विजयादशमी (दशहरा) का इतिहास बहुत साल पुराना हैं.

निश्चयपूर्वक नही कहा जा सकता कि यह पर्व कब से मनाया जा रहा हैं. इस पर्व के साथ कई पौराणिक कथाएँ जुड़ी हुई हैं. ऐसा माना जाता है की सवर्प्रथम अयोध्या के राजा राम ने शारदीय नवरात्र प्रारम्भ की थी उन्होंने लंका विजय के समय समुद्र तट पर नों दिन तक भगवती (विजया) की आराधना की थी.

भगवती की कृपा से उनमे अपार शक्ति का संचार हुआ. तत्पश्चात दशमी के दिन लंका के राजा राक्षसराज रावण का वध करके एक अन्यायी से संसार को मुक्ति दिलाई थी. इसलिए दशहरे को विजयादशमी भी कहा जाता हैं.

यह भी माना जाता हैं कि इस तिथि को वीर पांड्वो ने अन्यायी कौरवों पर विजय प्राप्त की थी.इसी तिथि को देवताओं के राजा इंद्र ने व्रतासुर नाम के दैत्य को हराया था.

इस दशमी तिथि को विजय नामक मुहूर्त होता हैं, जो सम्पूर्ण कार्यो में सिद्धकारक होता हैं. अत: प्राचीनकाल में राजा लोग इसी दिन विजय यात्रा प्रारम्भ करते थे.

सरस्वती-पूजा, शस्त्र पूजा, दुर्गा विसर्जन, नवरात्र पारायण तथा विजय प्राण इस पर्व के महान कर्म हैं. शास्त्रकारों के अनुसार इस दिन शमी वृक्ष ( खेजड़ी) का पूजन किया जाता हैं.

लोगों का विशवास हैं कि शमी वृक्ष की पूजा से द्रढ़ता और तेजस्विता प्राप्त होती हैं. इस दिन नीलकंठ पक्षी के दर्शन को शुभ माना जाता हैं. विजयादशमी के पर्व का सबसे बड़ा आकर्षण रामलीला हैं. आश्विन माह में शुक्लपक्ष प्रारम्भ होते ही जगह-जगह रामलीला होने लगती हैं. और दशमी के दिन रावण का वध के साथ उसका समापन होता हैं.

हमारे देश में रामलीला का इतना प्रचार हैं कि छोटे-बड़े शहरों नगरो के अतिरिक्त गाँवों में भी लोग बड़े उत्साह से रामलीला का आयोजन करते हैं. बड़े-बड़े शहरों में प्रसिद्ध रामलीला-मंडलियो द्वारा रामलीला की जाती हैं. गाँवों में वहां के लोग लोग स्वय अभिनेता बनकर रामलीला करते हैं.

रामलीला का प्रदर्शन प्राय: तुलसीदासजी के प्रसिद्ध गन्थ रामचरित्रमानस के आधार पर होता हैं. राम जन्म, सीता स्वयवर, लक्ष्मण परशुराम संवाद, सीता हरण, हनुमान जी द्वारा लंका दहन, लक्ष्मण मेघनाद युद्ध रामलीला के आकर्षक प्रसंग हैं.

रामलीला के दिनों की चहल-पहल देखने लायक होती हैं. देर रात तक दर्शको का आना जाना लगा रहता हैं. विजयादशमी को मेला लगता हैं. दोपहर से ही सड़को पर रंग-बिरंगी पोशाक पह्ने महिलाएं, बच्चे,बूढ़े, जवान सभी मेले में जाते दिखाई देते हैं.

इस दिन बाजार की रौनक बदल जाती हैं. कई प्रकार की दुकाने, झूले, डोलर सज जाते हैं. जहाँ विजयादशमी का मेला लगता हैं, वहाँ एक तरफ मैदान में लंका नगरी का परकोटा तथा रावण, कुम्भकर्ण और मेघनाद के पुतलों को स्थापित किया जाता हैं.

रावण का रूप विशाल और विकराल होता हैं, पुतला बनाने में लकड़िया, बांस की खपच्चिया, रंग बिरंगे कागज और पटाखे आदि काम में लिए जाते हैं.

इस दिन गाँव कई जगह जुलुस भी निकाला जाता हैं, जुलुस में राम,लक्ष्मण, हनुमान तथा वानर सेना की झांकिया सजी रहती हैं. यह जुलुस मुख्य मार्गो से होता हुआ मैदान तक पहुचता हैं.

सूर्यास्त के समय राम द्वारा रावण व कुम्भकर्ण के पुतलों को तथा लक्ष्मण द्वारा मेघनाद के पुतले को जलाया जाता हैं. ये पुतले धू-धू कर जलते हैं, इसमे भरे फटाखे छुटने लगते हैं.

इस द्रश्य को देखकर सब लोग रामचन्द्र की जय का उद्घोष करते हुए प्रसन्नता व्यक्त करते हैं. इस प्रकार दशहरे का त्यौहार अन्याय पर न्याय की, असत्य पर सत्य की और अधर्म पर धर्म की विजय के प्रतीक के रूप में मनाया जाता हैं.

अत्याचारी रावण को प्रतिवर्ष जलते हुए देखकर हमारे मन में यह बात दृढ हो जाती हैं कि अत्याचारी का न केवल अंत बुरा होता हैं वरन आने वाली पीढ़िया भी उनके कुकृत्यो की कभी क्षमा नही करती, विजयादशमी मानव जाति का विजय पर्व हैं.

6# दशहरा 2024 पर छोटा निबंध कब क्यों और इसका महत्व

दशहरा हिन्दुओं का मुख्य पर्व है जो आश्विन महीने के नवरात्र के बाद शुक्ल दशमी पर मनाया जाता है. इसे दुर्गा पूजा और विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है.

असत्य पर सत्य की, बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में दशहरा के दिन ही भगवान श्रीराम ने अत्याचारी रावण का वध किया था. भारतवर्ष में दशहरा के अवसर पर गाँव गाँव व शहर शहर में रावण के पुतले जलाएं जाते है.

मैसूर का दशहरा, गुजरात का डांडिया नृत्य व पश्चिम बंगाल की दुर्गा पूजा दशहरा पर आकर्षण का केंद्र होते है. दशहरा (विजय/विजयादशमी) एक धार्मिक पर्व है जिनमे धर्म, आस्था और उत्साह का अनोखा संगम देखने को मिलता है.

आश्विन शुक्ल की एकम से माँ दुर्गा जिन्हें शक्ति की अधिष्ठात्री देवी मानी जाती है. कि पूजा आराधना आरम्भ हो जाती है. भक्त दुर्गा को खुश करने के लिए नवरात्र में उपवास रखते है.

कुल्लू तथा मैसूर का दशहरा पर्व दुनियाभर में जाना जाता है. धार्मिक कथाओं के अनुसार आश्विन दशमी के दिन ही राम जी दैत्य रावण का वध किया था.

दशहरा मनाने का कारण- दशहरा मनाने के पीछे कई कारण जुड़े हुए है. हिन्दू धर्म में प्रचलित पौराणिक कथाओं के मुताबिक आश्विन प्रतिपदा से भगवान् राम और राम का युद्ध आरम्भ हुआ था. जो दस दिन तक चला था.

दस दिन की अवधि तक चले इस युद्ध में रावण को मारने के लिए रामजी ने नौ दिन तक शक्ति की देवी माँ दुर्गा की पूजा की. फलस्वरूप दसवे दिन रावण को युद्ध के मैदान में मार डाला. तथा माता सीता को लेकर अयोध्या के लिए रवाना हुए.

इस विजय दिवस को हर साल विजयादशमी अथवा दशहरा के रूप में मनाकर रावण का दहन किया जाता है. दूसरी तरफ वर्षा ऋतू की समाप्ति के इस समय फसले पककर तैयार हो जाती है. तथा शरद ऋतू की शुरुआत के रूप में किसान इसे पर्व के रूप में मनाते है.

दशहरा मनाने का तरीका- विजयादशमी में देश भर के हर छोटे बड़े शहर में रावण का पुतला बनाकर जलाया जाता है. कई स्थानों पर दशहरे मेले भी लगते है, जिनमे कोटा का मेला विश्वप्रसिद्ध है. जिसे देखने लोग देश विदेश से आते है.

दशहरे के इस दस दिवसीय पर्व को आश्विन माह की पहली तारीख से रामलीलाओं का दौर शुरू होता है. जिनमें श्रीराम और सीता के जीवन पर आधारित कथा प्रस्तुती दी जाती है.  

मुख्यत राजपूत जाति के लोग इस दिन अपने अस्त्र-शस्त्रों की पूजा भी करते है. शमी वृक्ष की पूजा के साथ ही श्रीराम जी की झांकी भी निकाली जाती है. बैंड बाजे सहित लोग श्रद्धा भाव से इस जुलुस में भाग लेते है.

दशहरे का मेला – हर गाँव शहर में दशहरे का मेला लगता है. जहाँ लोग दोपहर से बड़ी संख्या में एकत्रित होने आरम्भ हो जाते है. इस दिन बाजार खिलोनों, तस्वीरों तथा नए वस्त्रो व् मिठाइयो से अट्टे पड़े रहते है.

शाम शुरू होने से पूर्व तक रावण, कुम्भकर्ण और मेघनाथ के विशालकाय पुतले तैयार किये जाते है. शहर कस्बे के सभी लोग पुरुषोतम श्रीराम के जयकारो के साथ इन पुतलों को जलाते है. भग्वान राम की आरती पूजा के इस इस दशहरे पर्व के मेले का आयोजन प्रसादी के साथ समाप्त किया जाता है.

दशहरे का महत्व- भारतीय जनमानस में त्यौहार और पर्व उत्साह और प्रेम का संचार करते है. जिनमे दशहरा मुख्य है.असत्य पर सत्य, अन्याय पर न्याय का यह पर्व प्रतीक है.

जो समाज में व्याप्त बुराइयों को मिटाने का संदेश देता है. इस प्रकार के धार्मिक त्यौहार आमजन में जोश और ख़ुशी का संचार करते है. लोग इस अवसर को मंगलकारी मानते है.

7# दशहरा निबंध अनुच्छेद Essay Paragraph On Dussehra In Hindi

दशहरा  हिंदुओ का मुख्य त्यौहार है,  दशहरा कब और क्यों मनाया जाता है . दशहरा के बारे में- सभी हिन्दू पर्वो में  दशहरे  का महत्वपूर्ण स्थान है.  कोटा का दशहरा  देशभर में प्रसिद्ध है इस दिन बंगाल में विशेष  दुर्गापूजा  का आयोजन भी किया जाता है.

हिंदी पंचाग के अनुसार यह विजय पर्व अश्विन महीने की दशवी तिथि को यानि शारदीय नवरात्र की समाप्ति पर मनाया जाता है. बुराई पर अच्छाई, असत्य पर सत्य के विजय पर्व दशहरा को विजयादशमी भी कहा जाता है. इसे मनाने का स्थान विशेष पर अलग अलग तरीके है. भारत के अतिरिक्त दशहरे को श्रीलंका और बांग्लादेश व अन्य देशों में रहने वाले धर्म के अनुयायी मनाते है.

इसे मनाने की मूल कथा भगवान् श्रीराम से जुड़ी हुई है., 14 वर्ष के वनवास में रावण द्वारा सीता का हरण कर लिया गया था. सीता को छुडाने व् अधर्मी का नाश करने के लिए राम जी ने रावण के साथ कई दिनों तक युद्ध किया.

शारदीय नवरात्रों के दिनों भगवान राम ने शक्ति की देवी दुर्गा की अराधना लगातार नौ दिनों तक की. दुर्गा के सहयोग से राम ने युद्ध के दसवें दिन रावण का वध कर उनके अत्याचारों से मानव जाती को बचाया.

इसी परम्परा को मानते हुए हम हर साल रावण, मेघनाथ और कुम्भकर्ण को बुराई का प्रतीक मानकर इनके पुतले दशहरे के दिन मनाते है. हंसी ख़ुशी के इस पर्व पर शारदीय नवरात्र की स्थापना पर कलश और मूर्ति स्थापना का विसर्जन भी इसी दिन किया जाता है.

वैसे दशहरा एक प्रतीक पर्व है दशहरे के पुतले को बुराई और समस्त प्रकार की अमानवीय प्रवृति का प्रतीक मानकर जलाया जाता है. ताकि हमारा समाज इस प्रकार की बुराइयों विक्रतियो से मुक्त हो सके. मगर आज दशहरा एक तमाचा मात्र बनकर रह गया है.

कहने भर को बुराई पर अच्छाई का दशहरा मनाने या रावण का दहन करने भर से समाज से बुराइयों का नाश नही होने वाला है. इस दिन हम सभी को अपना विश्लेष्ण करते हुए बुरी आदतों और विचार को त्यागने का संकल्प करना होगा. तभी सच्चे अर्थो में दशहरा मनाने का महत्व सार्थक सिद्ध होगा.

अश्विन की दसवी तिथि को दस सिर के रावण को सच में जलाना है तो काम, क्रोध, लोभ, मोह मद, मत्सर, अहंकार, आलस्य, हिंसा और चोरी इन दस बुरी प्रवार्तियो और आदतों का सर्वप्रथम हमे त्याग करना होगा.

मुख्य रूप से क्षत्रिय वर्ग दशहरा के दिन अपने अस्त्र शस्त्रों की पूजा अर्चना करते है. नवरात्रों के दौरान रामायण की कथा का वाचन होता है. जिसमे योग्य कलाकार राम, रावण, सीता, लक्ष्मण आदि रूप धारण कर मंचन करते है. दशहरे के दिन लकड़ी और काग़ज जिनमे फटाखो से भरे रावण, मेघनाथ और कुम्भकर्ण के पुतलों को तीर से मारकर जलाया जाता है.

कुछ मिनटों तक यह पुतला धू-धू कर जलता हुआ पटाखों की गूंज के साथ धरा पर गिर पड़ता है. लोग जय सिया राम के जयकारे करते हुए एक दुसरे को मिठाई से मुह मीठा करवाकर दशहरे की बधाई देते है.

दशहरा या विजयादशमी कथा पूजा विधि महत्व dussehra vrat katha Puja Vidhi importance Dates In India In Hindi

विजयादशमी यानी दशहरा फेस्टिवल इस साल 12 अक्टूबर 2024  को को भारत में मनाया जाएगा। यह पर्व आश्विन शुक्ल पक्ष की दशमी को मनाया जाता हैं। भगवान् राम ने इसी दिन लंका पर चढ़ाई करके विजय प्राप्त की थी।

ज्योतिर्निबन्ध में लिखा हैं कि आश्विन शुक्ल दशमी को तारा उदय होने के समय विजय नामक मुहूर्त होता हैं। दशहरा का यह मुहूर्त सभी कार्यों को सिद्ध करने वाला होता हैं।

विजयादशमी या दशहरा हमारा राष्ट्रीय पर्व हैं। मुख्य रूप से यह क्षत्रियों का त्यौहार है। दशमी के दिन रामचन्द्रजी की सवारी बड़ी सजधज के साथ निकाली जाती हैं और रावण वध लीला का प्रदर्शन होता हैं, दशहरे के दिन नीलकंठ का दर्शन शुभ माना जाता हैं।

दशहरा कब मनाया जाता हैं? (Dussehra 2024 Date) :

जैसा कि ऊपर विदित है, यह विजय पर्व आश्विन (आसोज) महीने की शुक्ल दशमी को दशहरा मनाया जाता हैं । शारदीय नवरात्र (आश्विन शुक्ल प्रतिपदा से नवमी) के अगले दिन विजया दशमी एव इसके ठीक 20 दिन बाद हिंदुओं का सबसे बड़ा पर्व दीपावली आता हैं ।

वर्ष 2024 मे दशहरा का फेस्टिवल 12 अक्टूबर 2022 को मनाया जाएगा। इसके पूजा समय मुहूर्त समय की जानकारी नीचे दी गई हैं ।

दशहरा या विजयादशमी कथा (dussehra vrat katha kahani Story In Hindi Language) :

एक बार पार्वती ने पूछा कि लोगों मे दशहरा का त्योहार प्रचलित हैं, इसका क्या फल हैं? शिवजी ने बताया आश्विन शुक्ल दशमी को सांयकाल मे तारा उदय के समय विजय नामक काल होता हैं जो सब इच्छाओं को पूर्ण करने वाला होता हैं ।

शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने वाले राजा को इसी समय प्रस्थान करना चाहिए । इस दिन यदि श्रवण नक्षत्र का योग हैं तो और भी शुभ हैं ।

मर्यादा पुरुषोतम भगवान श्री राम ने इसी विजयकाल मे लंका पर चढ़ाई की थी । इसलिए यह दिन बहुत ही पवित्र माना गया हैं। और क्षत्रिय लोग इसे अपना प्रमुख त्योहार मानते हैं।

शत्रु से युद्ध करने का प्रसंग न होने पर भी इस काल मे राजाओं को अपनी सीमा का उल्लघन अवश्य करना चाहिए। अपने तमाम दल बल को सुसज्जित करके पूर्व दिशा मे जाकर शमी वृक्ष की पूजा करनी चाहिए।

शमी के सामने खड़ा होकर इस प्रकार ध्यान करे- हे शमी तू सब पापों को नष्ट करने वाला हैं और शत्रुओं को भी पराजय देने वाला हैं, तूने अर्जुन का धनुष धारण किया और रामचंद्र जी से प्रियवाणी काही।

पार्वती जी बोली- शमी पेड़ ने कब और किस कारण अर्जुन का धनुष धारण किया था तथा रामचन्द्र जी ने कब और कैसी प्रियवाणी कही थी, सो क्रपा कर समझाइए ।

शिवजी ने उत्तर दिया- दुर्योधन ने पांडवों को जुए मे हराकर इस शर्त पर वनवास दिया था कि वे बारह वर्ष तक प्रकट रूप से वन मे जहाँ चाहे फिरे, मगर एक वर्ष बिलकुल अज्ञात मे रहे।

यदि इस वर्ष में उन्हे कोई पहचान लेगा तो उन्हें बारह वर्ष और भी वनवास भोगना पड़ेगा। इस अज्ञातवास के समय अर्जुन अपना धनुष बाण एक शमी वृक्ष पर रखकर राजा विराट के यहाँ व्रहन्नला के वेश मे रह रहे थे।

विराट के पुत्र कुमार ने गौओं कि रक्षा के लिए अर्जुन को अपने साथ लिया और अर्जुन ने शमी के व्रक्ष पर से अपना हथियार उठाकर शत्रुओं पर विजय प्राप्त कि। शमी व्रक्ष ने अर्जुन के हथियारों की रक्षा की थी।

विजयादशमी के दिन रामचन्द्र जी ने लंका पर चढ़ाई करने के लिए प्रस्थान करने के समय शमी व्रक्ष ने कहा था कि आपकी विजय होगी। इसीलिए विजय मुहूर्त मे शमी वृक्ष कि भी पूजा होती हैं।

एक बार युधिष्टर के पुछने पर श्री क्रष्ण जी ने उन्हे बतलाया था हे राजन विजयादशमी के दिन राजा को स्वय अलंकरत होकर अपने दासों और हाथी घोड़ों का श्रंगार करना चाहिए तथा गाजे बाजे के साथ मंगलाचार करना चाहिए।

उसे उस दिन पुरोहित को साथ लेकर पूर्व दिशा में प्रस्थान करके अपनी सीमा के बाहर जाना चाहिए और वहाँ वास्तु पूजा केएआरकेई अष्टदिगपालों तथा पार्थ देवता की वैदिक मंत्रों से पूजा करनी चाहिए। शत्रु की मूर्ति अथवा पुतला बनाकर उसकी छाती में बाण लगाए और पुरोहित वेद मंत्रों का उच्चारण करे।

ब्राह्मणों की पूजा करके हाथी, घोड़ा, अस्त्र, शस्त्र का निरीक्षण करना चाहिए। यह सब क्रिया सीमांत में करके अपने महल को लौट आना चाहिए। जो राजा इस विधि से विजयादशमी या दशहरा करता हैं वह सदा अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करता हैं।

दशहरा या विजयादशमी महत्व  ( Dussehra / Vijayadashami Mahatv importance In Hindi)

बुराई पर अच्छाई की, असत्य पर सत्य की, अंधकार पर प्रकाश की विजय के रूप में मनाया जाने वाला दशहरा एक सांकेतिक हिन्दू विजय पर्व हैं। प्राचीन समय में विजयादशमी का पर्व मात्र क्षत्रिय वर्ग तक सीमित था।

आज उन वर्ण व्यवस्था के दायरे से बाहर निकलकर दशहरा सभी वर्ग, संप्रदाय के लोगों द्वारा मनाया जाता हैं। भारत के आधिकारिक त्योहार व पर्वों में भी विजयादशमी को प्रमुखता से गिना जाता हैं।

किसान, मजदूर, अभिनेता, सैनिक, राजनेता सभी व्यवसाय के लोगों द्वारा हर साल नवरात्र के बाद इस खुशी के पर्व को मनाकर समाज, मन से बुराइयों को समाप्त करने की परंपरा का पालन किया जाता हैं।

दशहरा पूजन विधि, Dussehra Puja Vidhi in Hindi

विजयादशमी या दशहरा के दिन किसी नए कार्य अथवा व्यापार की शुरुआत की जा सकती हैं। यदि आप कोई आभूषण अथवा कीमती सामग्री खरीदना चाहते हैं तो दशमी का यह अच्छा अवसर हैं। विजया दशमी 2022 पर ऐसे करें पूजन-

– पूजन कर्ता को सवेरे जल्दी उठकर अपने नित्य कर्मों से निव्रत होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए। – परिवार के जीतने भी सदस्य इस पूजा हवन मे शामिल होना चाहते है उन्हे नहा धोकर स्वच्छ वस्त्र पहनने चाहिए। – गाय के गोबर के दस कंडे बनाकर उन पर दही का लेपन करे। – नवरात्रि कि स्थापना के समय जो जौ उगाए गए हैं उन्हे इन कंडो पर रखे। – भगवान राम की प्रतिमा पर इन जौ को चढ़ाएँ। – कई स्थानों पर इन्हें परिवारजनों के कान तथा सिर पर आशीर्वाद स्वरूप भी रखा जाता हैं। – इस दिन शमी व्रक्ष की पूजा करनी चाहिए तथा शाम को रावण मेघनाद तथा कुंभकर्ण के दहन मे सम्मिलित होना चाहिए।

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दा इंडियन वायर

दशहरा पर निबंध

dussehra essay for class 3 in hindi

By विकास सिंह

essay on dussehra in hindi

विषय-सूचि

दशहरा पर निबंध, essay on dussehra in hindi (100 शब्द)

दशहरा का त्यौहार विजयदशमी के रूप में भी जाना जाता है और पूरे भारत में हिंदू लोगों द्वारा बहुत खुशी और उत्साह के साथ मनाया जाता है।

यह भारत के सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक त्योहारों में से एक है। ऐतिहासिक मान्यताओं और सबसे प्रसिद्ध हिंदू ग्रंथ, रामायण के अनुसार, यह उल्लेख किया गया है कि भगवान राम ने शक्तिशाली राक्षस, रावण को मारने के लिए देवी दुर्गा माता का आशीर्वाद पाने के लिए एक चंडी-पूजा (पवित्र प्रार्थना) की थी।

श्रीलंका के दस-सिर वाले दानव राजा जिन्होंने अपनी बहन सुपर्णखा का बदला लेने के लिए भगवान राम की पत्नी, सीता का अपहरण कर लिया था। तब से, जिस दिन भगवान राम ने रावण का वध किया, उसे दशहरा पर्व के रूप में मनाया जाने लगा।

दशहरा पर निबंध, essay on dussehra in hindi (150 शब्द)

dussehra essay for class 3 in hindi

दशहरा का त्यौहार (जिसे विजयदशमी भी कहा जाता है) हर साल पूरे देश में हिंदू लोगों द्वारा मनाया जाता है। यह हर साल सितंबर या अक्टूबर के महीने में दिवाली त्योहार के बीस दिन पहले पड़ता है। यह हिंदू लोगों द्वारा राक्षस राजा रावण पर भगवान राम की जीत की खुशी में मनाया जाता है। दशहरा का त्योहार बुरी शक्ति पर सत्य की जीत का संकेत देता है। जिस दिन भगवान राम ने राक्षस राजा रावण को मारकर विजय प्राप्त की, प्राचीन काल से लोगों द्वारा दशहरा उत्सव के रूप में मनाया जाने लगा।

प्राचीन समय में, राजकुमार राम को 14 साल के लिए अयोध्या के जंगल में निर्वासित किया गया था। अपने निर्वासन के अंतिम वर्ष के दौरान, रावण ने अपनी पत्नी, सीता का अपहरण कर लिया। ऐसा कहा जाता है कि लक्ष्मण ने रावण की बहन की नाक काट दी थी कि क्यों रावण ने लक्ष्मण की भाभी सीता का अपहरण कर लिया। लोग इस त्योहार को बहुत खुशी और विश्वास के साथ मनाते हैं।

दशहरा पर निबंध, essay on dussehra in hindi (200 शब्द)

dussehra

दशहरा एक सबसे महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है। यह हिंदू धर्म के लोगों के लिए बहुत मायने रखता है। यह त्योहार महान धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व का है। इस त्योहार को लोग बड़े उत्साह और विश्वास के साथ मनाते हैं। यह त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत का संकेत देता है जिसका अर्थ है बुरी शक्ति पर सत्य की विजय।

लोग बहुत सारे अनुष्ठान और पूजा समारोह का पालन करके इस त्योहार को मनाते हैं। धार्मिक लोग और भक्त पूरे दिन उपवास रखते हैं। कुछ लोग केवल पहले और अंतिम दिन (9 वें दिन) तक उपवास रखते हैं, लेकिन कुछ लोग सभी नौ दिनों के लिए उपवास रखते हैं और आशीर्वाद और शक्ति पाने के लिए देवी दुर्गा की पूजा करते हैं। दसवें दिन लोग राक्षस राजा, रावण पर भगवान राम की जीत की खुशी में दशहरा मनाते हैं। दशहरा का त्यौहार दिवाली के त्यौहार से दो सप्ताह पहले हर साल आखिरी सितंबर या अक्टूबर के महीने में आता है।

देश के विभिन्न क्षेत्रों में दशहरा उत्सव मनाने के अलग-अलग रीति-रिवाज और परंपराएं हैं। कहीं-कहीं इसे पूरे दस दिनों तक मनाया जाता है और मंदिर के पुजारी भक्तों की बड़ी भीड़ के सामने रामायण से मंत्रों और कहानियों का पाठ करते हैं। कहीं-कहीं राम लीला का बड़ा मेला कई दिनों या एक महीने तक लगाया जाता है।

दशहरा पर निबंध, essay on dussehra in hindi (250 शब्द)

dussehra

दशहरा हिंदू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। यह दस दिनों तक चलने वाला त्यौहार है जिसे पूरे देश में हिंदू लोग बड़े उत्साह के साथ मनाते हैं। पहले नौ दिनों में देवी दुर्गा की पूजा होती है जिसे नवरात्र पर्व कहा जाता है। दसवें दिन लोग राक्षस राजा रावण के कार्टून को जलाकर नवरात्र मनाते हैं।

दशहरे का त्यौहार दिवाली के त्यौहार से दो या तीन सप्ताह पहले सितंबर या अक्टूबर के महीने में आता है। यह त्योहार हिंदू देवी दुर्गा की पूजा करके मनाया जाता है। भगवान राम और दुर्गा के भक्त पहले और अंतिम दिन या पूरे नौ दिन उपवास रखते हैं और देवी दुर्गा की पूजा करते हैं। नौ दिन या नवरात्र को दुर्गा पूजा के रूप में भी जाना जाता है जब देवी दुर्गा को उनके नौ रूपों में पूजा जाता है।

दशहरा उत्सव का मतलब लोग दसवें दिन को विजय दशमी के रूप में मनाते हैं जो एक बड़े मेले या राम-लीला का आयोजन करते हैं जहां वे भगवान राम के नाटकीय जीवन इतिहास को दर्शाते हैं। राम-लीला मेला विजय दशमी मनाने के पीछे किंवदंतियों को इंगित करता है जो भगवान राम और रावण हैं।

इसमें सीता के अपहरण, राम की विजय और राक्षस राजा, रावण और उसके पुत्र, मेघनाथ और भाई, कुंभकर्ण की हार और हत्या का पूरा इतिहास दिखाया गया है। असली लोग राम, लक्ष्मण, सीता और हनुमान की भूमिका निभाते हैं लेकिन वे रावण, मेघनाथ और कुंभकर्ण की कागज़ की मूर्ति बनाते हैं। अंत में, वे भगवान राम की जीत और पटाखों की आवाज के साथ रावण को मारने के लिए रावण, मेघनाथ और कुंभकर्ण की तीनों मूर्तियों को जलाते हैं।

दशहरा पर निबंध, dussehra essay in hindi (300 शब्द)

दशहरा देश भर में मनाया जाने वाला हिंदू धर्म का सबसे महत्वपूर्ण त्योहार है। यह हर साल सितंबर या अक्टूबर के महीने में दिवाली त्योहार से बीस दिन पहले पड़ता है। दशहरा का उत्सव राक्षस राजा रावण पर भगवान राम की जीत का संकेत देता है। भगवान राम सत्य के प्रतीक हैं और रावण बुरी शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है।

यह हिंदू लोगों द्वारा देवी दुर्गा की पूजा के साथ मनाया जाने वाला एक महान औपचारिक और धार्मिक उत्सव है। इस त्योहार को मनाने की परंपरा और संस्कृति देश में अलग-अलग क्षेत्रों में भिन्न-भिन्न है। यह दस दिनों तक चलने वाला त्योहार है, जिसके नौ दिन विजय दशमी के रूप में देवी दुर्गा और दसवें दिन की पूजा करके मनाए जाते हैं जब लोग राक्षस राजा, रावण पर भगवान राम की जीत का जश्न मनाते हैं।

इस त्यौहार की एक विशाल तैयारी होती है जो कुछ दिन पहले से शुरू होती है। पूरे दस दिनों या एक पूरे महीने के लिए एक बड़ा मेला आयोजित किया जाता है, जहां दूर-दराज के लोग लोगों के लिए आवश्यक सभी चीजों की दुकानें और स्टॉल बनाने आते हैं। यह प्रत्येक समाज या समुदाय में राम-लीला मैदान में होता है, जहां सभी दिनों के लिए दशहरे की किंवदंतियों के नाटकीय शो के साथ एक विशाल मेला लगता है।

रावण, कुंभकरण और मेघनाथ के पेपर मॉडल राम लीला मैदान में तैयार किए जाते हैं और असली लोग राम, सेता और लक्ष्मण की भूमिका निभाते हैं। हर जगह रोशनी चालू है और पूरा वातावरण पटाखों की आवाज से भरा हुआ है। पूरी रात लोग और बच्चे राम-लीला सहित मेला देखते थे। राम लीला में वास्तविक लोगों द्वारा भगवान राम के जीवन की विभिन्न महत्वपूर्ण घटनाओं का प्रदर्शन किया जाता है। शो का आनंद लेने के लिए रामलीला मैदान में आस-पास के क्षेत्रों के हजारों पुरुष, महिलाएं और बच्चे एकत्र होते हैं।

दशहरा पर निबंध, essay on dussehra in hindi (400 शब्द)

दशहरा त्योहार भारत के सबसे महत्वपूर्ण और सबसे लंबे त्योहारों में से एक है। यह हर साल पूरे देश में हिंदू धर्म के लोगों द्वारा पूरे उत्साह, विश्वास, प्रेम और सम्मान के साथ मनाया जाता है। यह वास्तव में सभी द्वारा आनंद लेने का महान समय है। दशहरा के त्योहार का पूरी तरह से आनंद लेने के लिए छात्रों को अपने स्कूलों और कॉलेजों से कई दिनों के लिए छुट्टियां भी मिलती हैं।

यह त्यौहार हर साल दिवाली से दो या तीन हफ्ते पहले सितंबर या अक्टूबर के महीने में आता है। लोग इस त्योहार का इंतजार बड़े धैर्य के साथ करते हैं। भारत एक ऐसा देश है जो अपनी संस्कृति और परंपरा, निष्पक्ष और त्योहारों के लिए बहुत प्रसिद्ध है। यह मेलों और त्यौहारों का देश है जहाँ लोग हर त्योहार को बड़े हर्ष और विश्वास के साथ मनाते हैं और आनंद लेते हैं।

दशहरा का त्यौहार भारत सरकार द्वारा राजपत्रित अवकाश के रूप में घोषित किया गया है ताकि लोग इस त्यौहार का पूरी तरह से आनंद ले सकें और साथ ही साथ हिन्दू त्यौहार को भी महत्व दें। दशहरा का अर्थ दस प्रमुख राक्षस राजा रावण पर भगवान राम की विजय है। दशहरा शब्द का वास्तविक अर्थ इस त्योहार के दसवें दिन दस सिर वाले (दश प्रमुख) दानव की हार है।

इस त्यौहार का दसवां दिन पूरे देश में लोगों द्वारा रावण क्लोन जलाकर मनाया जाता है। देश के कई क्षेत्रों में लोगों के रीति-रिवाजों और परंपराओं के अनुसार इस त्योहार से जुड़े कई मिथक हैं। यह त्योहार हिंदू धर्म के लोगों द्वारा मनाया जाना शुरू किया गया था जिस दिन से भगवान राम ने दशहरा के दिन राक्षस राजा रावण को मार दिया था (जिसका अर्थ है हिंदू कैलेंडर के अष्टभुजा महीने का 10 वां दिन)।

भगवान राम ने रावण का वध किया था क्योंकि उसने माता सीता का अपहरण कर लिया था और वह भगवान राम को लौटाने के लिए सहमत नहीं था। भगवान राम ने छोटे भाई लक्ष्मण और हनुमान के वानर सैनिक की मदद से रावण के साथ युद्ध जीता था। हिंदू शास्त्र, रामायण के अनुसार, यह उल्लेख है कि भगवान राम ने देवी दुर्गा को प्रसन्न करने और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए चंडी गृह का प्रदर्शन किया था। इस तरह भगवान राम ने युद्ध के 10 वें दिन रावण की हत्या के रहस्य को जानकर जीत हासिल की।

अंत में, उन्होंने रावण को मारने के बाद अपनी पत्नी सीता को सुरक्षित रख लिया। दशहरा उत्सव को दुर्गोत्सव के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि यह माना जाता है कि उसी दिन दसवें दिन महिषासुर नामक एक और राक्षस ने माता दुर्गा का वध किया था। रामलीला का एक विशाल मेला राम-लीला मैदान में लगता है, जहाँ आस-पास के क्षेत्रों के लोग रामलीला का निष्पक्ष और नाटकीय प्रतिनिधित्व देखने आते हैं।

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विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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Essay on dussehra in hindi – दशहरा पर निबंध हिंदी में.

दशहरा पर निबंध हिंदी में – Learn an Essay on Dussehra in Hindi for students of class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 and 12. Students today we are going to discuss a very important topic i.e essay on Dussehra in Hindi. Dussehra essay in Hindi is asked in many exams. The long essay on Dussehra in Hindi is defined in more than 1500 words. Learn an essay on Dussehra in Hindi and bring better results.

Essay on Dashahara in Hindi – दशहरा पर निबंध

hindiinhindi Essay on Dussehra in Hindi

Essay on Dussehra in Hindi 150 Words

दशहरा हमारे देश का महत्त्वपूर्ण त्योहार है। इसे विजयादशमी या विजयपर्व भी कहते हैं। यह त्योहार आश्विन मास में शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। इस त्योहार का संबंध रामायण से है। कहा जाता है कि इसी दिन रघुकुल-तिलक भगवान श्रीराम ने लंका के अन्यायी और अत्याचारी राजा रावण का वध किया था। तभी से लोग इस पर्व को विजय पर्व के रूप में मनाते चले आ रहे हैं। दशहरे को मुख्य रूप से ‘क्षत्रियों का त्योहार’ कहा जाता है। इस दिन शस्त्रों की पूजा की जाती है। दशहरे से नौ दिन पहले ही गाँव-गाँव और नगर-नगर में रामलीला होती है। इसमें रामचंद्रजी के संपूर्ण जीवन को धारावाहिक रूप में दिखाया जाता है। दशहरे के दिन एक विशाल मैदान में रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के विशालकाय पतले लगाए जाते हैं। इस स्थान पर मेला-सा लग जाता है। बच्चे, बूढ़े और जवान सभी मेले का आनंद लेने आते हैं। पहले खुले मैदान में राम-रावण का युद्ध होता है जिसमें राम रावण का वध कर देते हैं। बाद में पुतलों में आग लगाई जाती है। आग लगते ही पुतलों में रखे बम और पटाखे छूटने लगते हैं। बच्चे यह देखकर खुशी से तालियाँ बजाने लगते हैं। दशहरे का त्योहार बुराई पर अच्छाई की विजय का द्योतक है। यह हमें अच्छाई के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।

Essay on Dussehra in Hindi 200 Words

दशहरा हिंदुओं का एक बहुत बड़ा त्यौहार है जिसे पूरे भारत में बड़े ही हर्षो-उल्लास से मनाया जाता हे. अष्विन महीने के शुक्लपक्ष की दशमी को इसका आयोजन होता है. दशहरे वाले दिन भगवान राम ने लंका पति रावण को युद्ध में हराया था तथा मां दुर्गा ने 9 रात्रि 10 दिन के युद्ध के बाद महिषासुर पर विजय प्राप्त की थी. इस शुभ अवसर को सत्य की विजय के रूप में मनाया जाता हे. इसी लिए इस त्यौहार को विजय दशमी के नाम से जाना जाता है.

साल की तीन शुभ तिथियों में से एक दसहरा हे, अन्य दो चैत्र शुकल और कार्तिक शुकल की प्रतिपदा हे. दसहरे वाले दिन लोग शस्त्र पूजा करते हे और शुभ तिथि होने के कारण नया कार्य प्रारम्भ करते हे. पुराने समय में राजा लोग इसी दिन विजय की प्राथना कर रणन यात्रा के लिए निकल जाते थे. आज कल इस दिन जगह जगह मेले लगते हे और खास तोर पर रावण, कुम्भकरण और मेघनाथ के पुतले जलाये जाते हे. इसे भगवन राम की विजय के रूप में अथवा माँ दुर्गे पूजा के रूप में, दोनों की रूपों से ये शक्ति पूजा का पर्व हे और शस्त्र पूजन की तिथि हे.

भारत देश में ये त्यौहार भिन-भिन प्रकार से मनाया जाता हे. हिमाचल प्रदेश में कुल्लू का दसहरा भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में प्रसिद्ध हे. वह के लोग धूमधाम से जुलूस निकल कर बड़े धूम धाम से दसहरे को मनाते हे और पूजन करते हे. बस्तर में माँ संतेश्वरी की आराधना के द्वारा दसहरे का त्यौहार मनाया जाता हे.

Essay on Dussehra in Hindi 250 Words

Dussehra essay in hindi

दशहरा एक बहुत ही महत्वपूर्ण हिन्दू त्यौहार है जो पूरे भारत के लोगों के द्वारा हर साल बेहद हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। दशहरा को लोग विजयदशमी के नाम से भी जानते हैं। यह त्योहार अशिवन महीने के शुक्ल पक्ष में दस दिनों तक मनाया जाता है। भगवान राम ने इसी दिन रावण का वध किया था तथा देवी दुर्गा ने नौ रात तथा दस दिन के युद्ध के उपरांत महिषासुर पर विजय प्राप्त किया था। दशहरा को असत्य पर सत्य की विजय के रूप में मनाया जाता है। इसलिए इसे विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है।

दशहरा त्यौहार को कई सारे रीति-रिवाज और पूजा-पाठ के द्वारा मनाया जाता है। कुछ लोग देवी दुर्गा का आशीर्वाद पाने के लिये पूरे नौ दिन तक व्रत रखते है। पं.बंगाल, बिहार, झारखंड आदि राज्यों में महिषासुर और माँ दुर्गा की प्रतिमा स्थापित कर उनकी पूजा – अर्चना की जाती है। पुरे नौ दिनों तक दुर्गासप्तशती का पाठ चलता है। पूजा होने के बाद लोगों को प्रसाद वितरित किया जाता है और साथ में लंगर चलाने का कार्यक्रम भी किया जाता है। इसके अलावा कई जगहों पर 7 दिन या महीनों तक रामलीला का आयोजन किया जाता है। दुर्गा माता की मूर्ति की स्थापना कर पूजा करने वाले उनके भक्त दुर्गा माँ का मूर्ति-विसर्जन का कार्यक्रम भी गाज-बाजे के साथ करत है।

दशहरा के उत्सव पर स्कूल, कॉलेज और कार्यालय में कुछ दिनों के लिए छुट्टी मिल जाती है। लोग इस पर्व को ढेर सारी खुशी और उत्साह के साथ मनाते हैं। पूरे देश में रावण, कुम्भकर्ण और मेघनाथ का पुतला जलाने के साथ ही इस उत्सव का दसवा दिन मनाया जाता है।

Essay on Dussehra in Hindi 300 Words

10 lines on Dussehra in Hindi

दशहरा हिन्दुओं का प्रसिद त्योहार हे. इस दिन भगवन श्री राम ने लंका पति रावण को मार कर विजय प्राप्त की थी. इस दिन को बड़े उत्साह से दुनिआ भर में बड़ी धूम धाम से मनाया जाता हे. इस त्यौहार को सबसे ज्यादा भारत में मनाया जाता हे पर आज जहां-जहां भी भारत वासी या श्री राम जी के भगत हे, वह पर इस त्यौहार को बड़े ही उत्साह से मनाया जाता हे. दसहरे को विजय दशमी के नाम से भी जाना जाता हे, जो की नवरात्रो के आखिर में आता हे. दशहरा अशिवनं महीने की दसवीं तिथि को होता हे.

दसहरे के आठ दिन पहले राम-लीला की जाती है. जहां पर रामायण के तर्ज पर दुनिआ भर के लोगो को यह बताने की कोशिश की जाती हे की हमेशा असत्य पर सत्य की ही जीत होती हे. राम-लीला के माध्यम से पूरी रामायण की कहानी को मंच से दर्शाया जाता हे. राम-लीला ड्रामा के आखिर में रावण को मार कर समाप्ति की जाती हे. दसहरे के दिन खुले मैदान में बड़े बड़े रावण, कुम्भ-कारन और मेघनाथ के पुतलो को जलाया जाता हे. पुतला दहन के बाद खूब आतिशबाजी होती हे और लोग इस पूरे कार्यक्रम का भरपूर आनंद लेते हे. बंगाल में इसी दसहरे वाले दिन दुर्गा पूजा का उत्सव मनाया जाता हे.

भगवन राम चन्दर जी ने इस दिन लंका पति रावण को मार कर विजय प्राप्त की थी. इसी वजह से इस त्यौहार को विजय-दशमी कहते हे. विजय-दशमी के दिन असत्य पर सत्य की जीत हुई थी. पुराने समय में राजा गण वर्षा ऋतू बोल कर शत्रुओं पर चढ़ाई कर दिया करते थे.

इस समय वर्षा ऋतू के बाद शरद ऋतू शुरू होती हे. इन दिंनो किसान बहुत प्रसन होता हे क्युकी किसानो के खेतो के चावल लहलहा रहे होते हे.

Essay on Vijayadashami in Hindi 700 Words

अधर्म और दानवता पर विजय प्राप्त करके धर्म एवं देवत्व की स्थापना करना अवतारी शक्तियों का कार्य रहा है। विजयदशमी को विजयोत्सव के रूप में आज भी भारतीय जनता सदियों से मनाती चली आ रही है। विजयदशमी हिन्दुओं का पवित्र सांस्कृतिक एवं धार्मिक पर्व है। विजयदशमी का पर्व ग्रीष्म ऋत की समाप्ति पर आता है। सम्पूर्ण हिन्दू समाज इसे पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाता है।

विजय दशमी को ‘दशहरा पर्व’ के नाम से भी जाना जाता है। दशहरा से तात्पर्य दंश को हरने से है। इसी दिन श्रीराम जी ने दुष्ट रावण के दस सिरों का नाश किया था, इसीलिए इस पर्व को दशहरा भी कहा जाता है। अधर्म पर धर्म की और अन्याय पर न्याय की विजय प्राप्त करने के कारण इसे ‘विजयदशमी’ कहा जाता है। एक पौराणिक कथा के अनुसार- एक बार जब इन्द्रलोक एवं देवलोक महिषासुर नाम के राक्षस के अत्याचारों से पीड़ित होकर त्राहि-त्राहि कर उठे, तब सभी देवता शंकर की शरण में गए । शंकर की क्रोधाग्नि से एक शक्ति का प्रार्दुभाव हुआ और देवताओं ने उस शक्ति को शस्त्रास्त्र प्रदान करके और शक्तिशाली बनाया। उस शक्ति ने नौ दिन संघर्ष करने के बाद दसवें दिन महिषासुर का अंत कर दिया। तभी से प्रत्येक वर्ष आश्विन शुक्ल दशमी को आज भी लोग पूजते हैं।

विजयदशमी का त्योहार आश्विन मास के शुक्ल पक्ष में, दशमी तिथि के दिन सम्पूर्ण भारतवर्ष में धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस दिन कहीं दुर्गा जी की पूजा की जाती है और कहीं राम जी की। इस त्योहार को ‘दुर्गा-पूजा’ और ‘शस्त्र-पूजा’ के रूप में भी मनाया जाता है। क्षत्रिय लोग इस दिन शम्त्रों और अम्त्रों की पूजा करते हैं।

भारतीय जनता इस पर्व को बड़े धूमधाम से मनाती हैं। इस पर्व को मनाए जाने की विधि हर राज्य में अलग-अलग है। बंगाल में यह पर्व दुर्गा-पूजन के रूप में मनाया जाता है। गुजरात में यह पर्व समारोहों का आयोजन करके नृत्यादि करके मनाया जाता हैं। राजस्थान में राजा-महराजाओं की झांकिया निकलती है। और वे इन झाँकियों में अस्त्रों और शस्त्रों का प्रदर्शन करते हैं। दक्षिण भारत में इस अवसर पर शामी वृक्ष की पूजा करके, उसके पत्तों को स्वर्ण समझकर लूटा जाता है। दिल्ली, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार एवं पंजाब में इस पर्व को मनाने की विधि लगभग एक सी है। नवरात्र के आरंभ होने के साथ ही इन राज्यों में जगह-जगह रामलीला का आयोजन होता है। यहाँ राम जी के जीवन की पवित्र झलकियाँ लोगों को नाटक के माध्यम से नौ दिनों तक दिखाई जाती हैं। नाटक के दसवें दिन राम और रावण का युद्ध दिखाया जाता है, जिसमें राम रावण को मार गिराते हैं तथा राम की विजय होती है। रावण, कुम्भकरण और मेघनाद के पुतले जलाए जाते हैं। इन पुतलों में आतिशबाजी लगायी जाती है जिससे आग लगते ही रंग बिरंगी चिंगारियां निकलती हैं और धमाका होता है। इस दिन जगह-जगह पर मेलों का आयोजन होता है। बच्चे-बूढ़े, स्त्री-पुरूष सभी इन मेलों का आनंद लेने आते हैं। इस दिन घरों में पकवान बनते हैं, लोग पूजा-पाठ करते हैं। शाम होते ही लोग सज-धजकर मेला देखने पहुँच जाते हैं।

भारतीय समाज में यह दिवस बहुत ही महत्वपूर्ण और शुभ माना जाता है। इस दिन लोग अपने शुभ कार्य करते हैं। प्राचीनकाल में व्यापारी, यात्री, साधु आदि वर्षा ऋतु में अपनी यात्रा स्थगित कर देते थे; क्योंकि इस समय तक वर्षा भी समाप्त हो चुकी होती थी और यातायात का सुलभ साधन भी नहीं था। इसलिए इस को शुभ मानकर लोग यात्राएं और अपने अन्य कार्य करते थे। राजा-महाराजा इसी दिन दुश्मनों पर आक्रमण करने की तैयारी करते थे। विवाह आदि के शुभ कार्य भी इसी समय में ही किए जाते हैं। इस दिन योद्धा अपने शस्त्रों की पूजा करते हैं। बहनें अपने भाईयों के कानों में ‘नौरतें’ टाँगती हैं, जो भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक भी है।

यूँ कहा जाए तो विजयदशमी का त्योहार भारतीय संस्कृति, परम्परा और गौरव का प्रतीक है। इस पर्व से हमें शिक्षा मिलती है कि अन्याय, अत्याचार और दुराचार को सहना भी एक बड़ा पाप है। यह त्योहार राष्ट्र के उत्थान में भी बहुत सहायक हैं। यह त्योहार हमें संदेश देता हैं कि राम के चरित्र और आदर्शों का अनुकरण करने से ही हमारा जीवन सुखी और शांत रह सकता है। विजयदशमी, अन्याय पर न्याय की जीत का प्रतीक है। हमें न्याय तथा धर्म की स्थापना करके राष्ट्र को मजबूत बनाना चाहिए। देश में जन्मी हर बुराई को जड़ से उखाड़ फेंक देना चाहिए।

Paragraph on Dussehra in Hindi 10 Lines

  • हमारे देश में बहुत से त्योहार मनाए जाते हैं। उनमें से दशहरा भी एक प्रसिद्ध त्योहार है, जो प्राय: अक्टूबर भास में मनाया जाता है।
  • इस त्योहार के मनाने के पीछे यह कथा प्रचलित है कि रावण लंका का राजा था। वह बहुत विद्धवान था। परन्तु उसको अपनी शक्ति का बहुत अभिमान था।
  • श्री राम के वनवास के दिनों में, रावण छल से सीता जी को पकड़ कर ले गया।
  • श्री राम ने हनुमान और सुग्रीव आदि मित्रों की सहायता से लंका पर हमला कर दिया।
  • दशहरे से नौ दिन पहले नगरों में रामलीला होती है। जिस में श्री राम जी के जीवन की यही कहानी नाटक के रूप में प्रस्तुत की जाती है।
  • दशहरा रामलीला का आखिरी दिन होता है। इस दिन स्थान-स्थान यर मेले लगते हैं। लोग टोलियो में मेला देखने जाते हैं।
  • इम दिन रावण, कुंभकर्ण तथा मेघनाद के पुतले बनाए जाते हैं।
  • इनके अंदर बड़े-बड़े पटाके लगाए जाते हैं। सायंकाल के समय राम और रावण के दलों में बनावटी लड़ाई होती है।
  • अंत में श्री राम जी ने रावण पर युद्ध में विजय प्राप्त क्री, ऐसा दर्शाया जाता है। फिर तीनों के पुतलों को आग लगाई जाती है, जिससे पटाखे फूट पड़ते हैं।
  • चारों तरफ बुराई यर अच्छाई की विजय की खुशी का वातावरण छा जाता है।
  • सड़कों यर भिन्न-भिन्न वस्तुओं के स्टॉल लगे होते हैं।
  • सभी लोग मिठाइयाँ, खिलौने आदि लेकर घरों को लौटते हैं।
  • पंजाब में इस त्योहार की खास मिठाई जलेबी मानी जाती है।
  • बंगाल में दसहरे के दिन दुर्गा माता की मूर्ति का पूजन, बाद में उनका जल-विसर्जन किया जाता है, वहाँ उसे दुर्गा – पूजा के रूप में मनाया जाता है।
  • हिमाचल प्रदेश में कुल्लू का दशहरा भी वहुत प्रसिद्ध है।
  • दशहरा बुराई पर अच्छाई की विजय का त्योहार है इसलिए इसे विजय दशमी भी कहते है।
  • यह त्योहार हमें अपने धर्म और संस्कृति को रक्षा करने की, अत्याचारों के समक्ष न झुकने की प्रेरणा देता है।
  • यह त्योहार क्रूरता व अन्य सामाजिक, बुराइयों को सहन न करने का संदेश भी देता है।

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दशहरा पर निबंध। Dussehra essay in hindi

dussehra essay in hindi

दशहरा हिन्दुओ का प्रसिद्ध त्यौहार है। आज इस लेख में हम dussehra essay in hindi लेकर आये है। स्कूलों में कॉलेज में अक्सर about dussehra in hindi पुछा जाता है। भारत में या विदेशो में भी दशहरा बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है। आप सभी दशहरा त्यौहार की एक संक्षिप्त झलक इस पोस्ट में देख पाएंगे।

दशहरा दिलाता है विजय की आस आज भी, दशहरा करता है बुराई का सर्वनाश आज भी,

मन में  हो अगर प्रेम और विश्वास आज भी, तो हो जाता है सब दुखों के नाश आज भी।

दशहरा जिसे लोग विजयादशमी, आयुध-पूजा और बिजोया के नाम से जानते है। भगवती के विजया नाम पर भी इसे विजयादशमी कहा जाता है। त्योहारों में प्रमुख जीत का यह अनोखा पर्व है।आज के दिन की महिमा का गुणगान वर्षों से भारतीय संस्कृति में रहा है। असत्य पर सत्य, बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है ये पर्व। प्रेम, उल्लास, संवेदनाओ और विजय की रौनक का मिश्रण है ये त्योहार।

प्रस्तावना- हिन्दू कैलेंडर के अनुसार अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को दशहरे का आयोजन होता है। इस तिथि का महत्व भारतीय संस्कृति में असीम है। इस दिन के अलग अलग महत्व और कारण बताए जाते है। इस दिन भगवान श्री राम जी ने रावण का वद्ध किया था। देवी दुर्गा ने नौ-रात्रि और दस दिन के युद्ध के उपरांत महिषासुर पर विजय प्राप्त की।

इस दिन क्षत्रिय शास्त्र की पूजन करते है। आज ही के दिन कई राजाओ ने युद्ध के लिये प्रस्थान किया और विजय हासिल की। बुराई पर अच्छाई की जीत का उदाहरण है ये दिन।

महत्व-  आज के दिन का महत्व सर्वव्यापी है। दशहरा को लोग शुभ तिथि मानते है। श्री राम ने आज बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रमाण दिया। लोग आज के दिन को विजय का दिन मानते है। आज के दिन का निजी जीवन मे भी बहुत महत्व है। हर छोटे बड़े काम की शुरुवात लोग आज से ही करने की कामना करते हैं। अनगिनत मनुष्य उद्योग को आज से प्रारंभ करते है। जिससे उन्हें उनके कार्य मे धन, संपत्ति और यश की प्राप्ति हो। लोगो का यह मानना है कि आज के दिन वह जो भी कार्य आरंभ करेंगे उसमे वह ज़रूर सफल होंगे। हर नए कार्य की नींव आज ही के दिन रखी जाति है। नए वाहन हो या नए कपड़े, नए आभूषण हो या नए तोहफ़े। इन सभी की शोभा आज के दिन समूचे देश मे रहती है। शिवाजी ने औरंगज़ेब के विरुद्ध इसी दिन प्रस्थान करके हिन्दू धर्म का संरक्षण किया था। इतिहास से ही लोग इस दिन के महत्व पर विश्वास करते आये है। यह दिन हिन्दू धर्म की देवी दुर्गा को भी समर्पित है। दुर्गा जी ने  महिषासुर का सर्वनाश इसी दिन किया था। दशहरे के पहले की नव तिथियां माताजी को समर्पित होती है। दशमी पर विशाल रूप से माता जी को पूजा जाता है। यह त्योहार धार्मिक निष्ठा पर निर्भर है। हर्ष-उल्लास और विजय का प्रतीक है।

लोगो के हृदय में ये दिन वीरता का भाव पैदा करता है।  ये दिन  दिखाता है कि आज भी देर नही हुई है, हमे अपने अहँकार को छोड़ देना चाहिए वरना हमारी बुराइया ही हमारे सर्वनाश की वजह बन सकती है। लोगों को प्रेरणा मिलती है और सारी बुराइयों को छोड़ वे अच्छाई की और बढ़ते है।

मनाने के तरीके-  अलग अलग प्रदेश के वासी अलग अलग तरीकों से दशहरा को मानते है। समूचे भारत मे शाम होते ही आतिशबाजियों की गूंज सुनाई देती है। धरती आसमान पटाखों से भरा नज़र आता है। इस दिन रामलीला को देखने सेंकडो लोग एकत्रित होते है। कोई हनुमान जी  की पोशाक में नज़र आता है, तो कोई राम की। कोई रावण की पोशाक में नज़र आता है, तो कोई माता सीता की। ऐसा प्रतीत होता है कि मानो हम कोई नाटक नही देख रहे। सब अपने किरदार को बखूबी निभाते है। दिन भर सारे नगर में जुलूस निकाला जाता है। विशाल झाँकहिया बनाई जाती है जिसे देखने लोग अपने अपने घरों से उत्साह के साथ  बाहर आते है। आज के दिन हर जगह रावण के विशाल  पुतले जलाये जाते है। इसका अर्थ है कि लोग बुराई को समाज से खत्म कर देना चाहते है। 

महाराष्ट्र में यह पर्व सिलंगण के नाम से मनाया जाता है। सभी स्त्री पुरुष शाम को तैयार होकर ढोल बाजे के साथ गांव की सीमा पर जाते है। वहां वे शमी वृक्ष के पत्तों को तोड़कर लाते है और गांव में एक दूसरे को बांटते  है। यहां भी जुलूस निकाले जाते है। रावण के पुतले जलाये जाते है।

हिमाचल प्रदेश में दशहरे को कुल्लू का दशहरा बोला जाता है। यहां सज धज के लोग जुलूस निकालने के साथ देवता की मूर्ति सजाकर पूजा करते है। रघुनाथ को पालकी में सजाया जाता है। ग्रामीण देवता को सजाकर पूजा करते है।

बस्तर में दशहरे के दिन माँ दंतेश्वरी को पूजा जाता है। देवी काँटो की सेज पर विराजमान होती है। एक अनुसूचित जाति की कन्या से बस्तर के राजपरिवार अनुमति लेते है।

तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश में यह त्योहार 9 दिन तक मनाया जाता है। यहां पूजा स्थल को फूलों और दीपकों से सजाया जाता है। यह त्योहार धन की देवी लक्ष्मी, विद्या देवी सरस्वती और देवी दुर्गा को समर्पित होता है।

कर्नाटक में मैसूर का दशहरा सबसे प्रसिद्ध है। इस दिन के लिए 10 दिन पहले से लोग तैयारियाँ शुरू कर देते हैं। लोग नए नए वस्त्र व आभूषण खरीदते है। 10 दिन पहले से ही तैयारी की चहल पहल सुनाई देती है। इस दिन हाथी श्रृंगार होता है। भव्य जुलूस नगर के हर कोनो से निकाला जाता है। मैसूर के महल को रोशनी से सजाया जाता है। इसके बाद दशहरा मैदान में रावण दहन होता है। जुलूस में आमजन शामिल होते है और ढोल नगाड़ों के साथ नृत्य व मनोरंजन करते है।

बंगाल की दुर्गा पूजा- दशहरा का दिन बंगाल ओडिशा में देवी दुर्गा की उपासना के लिए प्रसिद्ध है। यहां दशहरा देवी दुर्गा को समर्पित है। बंगाल में ये त्योहार 5 दिन तक बड़े धूम धाम से मनाया जाता है। यहां मां दुर्गा के विशाल पंडाल को सजाया जाता है। जिसमे दुर्गा जी की सुंदर प्रतिमा को बैठाया जाता है। पूरे विश्व के नामी कलाकर बंगाल में देवी दुर्गा की मूर्ति बनाने आते है। दुर्गा जी के पंडाल को फूलों, दीपकों और अन्य वस्तुओं से सजाया जाता है। इत्र की खुशबू से महकता दुर्गा जी के पंडाल इतना मनमोहक होता है कि कोई एक क्षण के लिए भी नज़र नही हटा पाता।  षष्ठी के दिन दुर्गा जी की प्राण प्रतिष्ठा होती है। अष्टमी के दिन महापूजा व बलि देते है। नवमी तक दुर्गा जी की पूजा होती है। दशमी के दिन विशेष पूजा का आयोजन होता है। छप्पन भोग चढ़ाये जाते है और लोगो को बांटें जाते है।  दुर्गा पूजा की एक झलक पाने लोग दूर दूर से आते है। पूरे भारत से लोग माता के चरणों का प्रेम पाने की कामना से बंगाल के  विशाल पंडाल तक पहुंचते है। पुरुष आपस मे आलिंगन और अभिवादन करते है। स्त्रियां देवी के माथे पर सिंदूर चढ़ाती है। सिंदूर से खेलने का बड़ा आयोजन होता है। स्त्रियां बंगाली वस्त्र धारण करती है। नीलकंठ के दर्शन को यहां शुभ माना जाता है। अंत मे दशमी के दिन माता का भाव विभोर होकर विसर्जन  किया जाता है। अगले वर्ष माता जल्दी आये इस कामना से लोग अश्रुपूर्ण विदाई देते है। अपनी कामनाओं को  पूरा करने की माता से प्रार्थना करते है।

विदेश में दशहरा- भारतवासी जो विदेश में रहते है, वे विदेश में भी धूम धाम से दशहरा को मानते है। अपने देश की संस्कृति को विदेश के लोग भी सीखते है। दशहरा के दिन भारतवासी जिस भी देश मे होते है वह उस देश मे दशहरा की कीर्ति को बढ़ाते है। लोग सज धज कर घरों में आतिशबाज़ी करते है। रावण के पुतले का दहन करते है। भारतवासी के साथ विदेश के लोग भी इस गतिविधि का हिस्सा बनते है। विदेशों में भी कई जगह भारतीय संस्कृति का विस्तार व प्रचार प्रसार होता है। विदेशवासी भी बुराई पर अच्छाई की जीत , असत्य पर सत्य की विजय की सराहना करते है। हमारे संस्कार इस पर्व से विख्यात होते है। ये भारत के साथ विश्व की  रौनक बढ़ते है।

उपसंहार- दशहरा हमेशा लोगो को ये ज्ञात करता है की हमेशा अच्छाई की जीत निश्चित होती है। आगे भी देश मे अच्छाई की जीत होती रहेगी। हर वर्ष हम इस त्योहार को विजय के प्रतीक के रूप में मनाते है। जिससे लोग अच्छाई को भूल कभी बुराई का रास्ता न अपनाये। श्री राम के द्वारा रावण का वध हमे हर वर्ष ज्ञात कराता है कि हमेशा अच्छाई की ही जीत होती है। शत्रु चाहे कितना भी बड़ा क्यों न हो उसे अच्छाई के आगे झुकना आना चाहिए।

शीश चाहे दस हो पर ज्ञान शीश झुकाने का होना चाहिए।

अहँकार से प्राणी का संहार होता है, ये बात हमे जान जाना चाहिए।

और मन की बुराइयों को ढूंढ हमे उसका विनाश करना चाहिए

हमारे शत्रु हम खुद होते है, ये बात हमे अब पहचान जाना चाहिए।

विजयादशमी की हार्दिक हार्दिक शुभकामनाएं।

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दशहरे पर हिंदी में निबंध लिखने के लिए फॉलों करें ये टॉप टिप्स, होगी तारीफ !

Dussehra essay in hindi: दशहरे का पर्व पूरे भारत में हर वर्ष बड़े उल्लास के साथ मनाया जाता है। इस बार दशहरा 24 अक्टूबर को है। दशहरे के मौके पर स्कूलों आदि में छुट्टियां रहती हैं, लेकिन कई प्रतियोगी परीक्षाओं के दौरान इस पर निबंध पूछे जाते हैं। साथ ही स्कूलों में भी दशहरे पर निबंध प्रतियोगिता आयोजित की जाती है।.

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दशहरा पर निबंध | Essay on Dusshera in Hindi

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दशहरा पर निबंध | Essay on Dusshera in Hindi!

भारत में विभिन्न जातियों के लोग रहते हैं । ये जातियां अपने त्योहारों को मनाती हैं और राष्ट्र के जीवित होने का संकेत देती है । भारत की सभी जातियां अपने त्योहारों को बड़ी धूमधाम से मनाती हैं ।

इसीलिए यह त्योहारों का देश भी कहलाता है । भारत की प्रत्येक ऋतु अपने साथ कोई न कोई त्योहार लेकर आती है । विजय दशमी या दशहरा हिन्दुओं का प्रसिद्ध त्योहार है । यह वर्षा ऋतु की समाप्ति और शरद् ऋतु के आरम्भ होने पर आश्विन मास में शुक्ल पक्ष की दशमी को मनाया जाता है ।

दशहरा ही एक ऐसा पर्व है जिसे मनाये जाने के अनेक कारण हैं । पौराणिक कथाओं के अनुसार इसी दिन भगवती दुर्गा ने महिषासुर, शुम्भ-निशुम्भ दानवों चर विजय प्राप्त की थी । इसलिए बंगाल में श्रीराम की याद में दशहरा नहीं मनाया जाता अपितु शक्ति की देवी भगवती दुर्गा की पूजा होती है ।

हिन्दुओं में विशेषकर नवरात्रों में माँ दुर्गा की पूजा होती है । लोग आठ दिन तक उपवास रखते हैं । श्रद्धा और भक्ति से माँ दुर्गा की झाकियाँ निकाली जाती हैं । सजी हुई प्रतिमाओं को विजय दशमी वाले दिन जल में विसर्जित कर दिया जाता है ।

दशहरे का सम्बन्ध अभिन्न रूप से श्रीराम से है। श्रीराम ने लंकापति रावण से युद्ध करके अपनी पत्नी सीता को उसके चंगुल से छुड़ाया था । यह युद्ध दो व्यक्तियों का युद्ध नहीं था, अपितु दो विचारधाराओं का युद्ध था । जिसमें एक ओर भोगी भौतिकतावादी रावण दूसरी और संयमी राम ।

जिसमें विजयश्री मिली राम को । पाण्डवों के अज्ञातवास की अवधि पूरी होने पर, दुर्योधन द्वारा उनका राज्य वापिस न दिए जाने पर महाभारत का युद्ध भी विजयदशमी वाले दिन ही प्रारम्भ हुआ था । दशहरे के साथ मानवतावादी दृष्टिकोण भी जुड़ा है । घरों में इस दिन पहले ही बर्तनों में जौ बोया जाता है ।

ADVERTISEMENTS:

दशहरे वाले दिन इस जौ को तोड़ लिया जाता है । बहनें अपने भाइयों के सिर या कानों पर जी रखकर तिलक लगाती हैं और दीर्घायु होने की कामना करती हैं । इससे यह स्पष्ट होता है कि हमारी संस्कृति में अन्न की भी पूजा होती है, क्योंकि मानव के प्राण अत्र में ही बसते हैं ।

दशहरा मनाने की विधि भी अलग-अलग है । भारत में नौ दिन पहले से ही राम लीला शुरू हो जाती हैं । जिसमें श्रीराम के जन्म से लेकर लंकापति रावण पर विजय का पूर्ण चित्रण दर्शाया जाता है । दशहरे वाले दिन सजी हुई झाकियां, गलियों, नुक्कड़ों से होती हुई रामलीला मैदान में पहुँचती है ।

वहां राम-रावण युद्ध होता है । रावण की मृत्यु होते ही वहाँ खड़े रावण, कुम्भकर्ण और मेघनाथ के पुतलों में आग लगा दी जाती है । पुतलों में आग लगाने से पूर्व आकाश में रंग-बिरंगी आतिशबाजियां छोड़ी जाती हैं । जिसे देखकर बच्चे बहुत प्रसन्न होते हैं । दशहरा असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक है ।

हिमालय में कुल्लू का दशहरा भारतीयों और विदेशियों के लिए विशेष आकर्षण का केन्द्र होता है। रघुनाथ मन्दिर से भगवान राम की शोभायात्रा अन्य देवताओं के साथ पालकी में निकलती है । पहाड़ी वाद्यों, गायन और नृत्य से सारी घाटी गूंज उठती है ।

दशहरे का त्योहार प्राचीन काल से चला आ रहा है जो अपनी सभ्यता, प्राचीनता और संस्कृति की पवित्र विचारधारा की कहानी स्वयं कहता चलता है । आज का मानव महत्वाकांक्षी है । वह हर वस्तु को पा लेना चाहता है। हार से वह दु:खी और जीत पर प्रसत्र होता है । अपनी जीत की सफलता को राम के आदर्शो के रूप में अपनाना चाहिए, रावण की तरह नहीं ।

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दशहरा पर निबंध 2022 -23 Dussehra Essay in Hindi for Class 1-12 – Dussehra par Nibandh – दशहरे पर छोटा निबंध

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दशहरा पर निबंध 2022 : दशहरा का पर्व एक ऐसा त्यौहार है जो की भारत के हर शहर में मनाया जाता है| यह दिन माँ गौरी को समर्पित किया जाता है| यह त्यौहार हिन्दू धर्म के लोगो के लिए एक बहुत ही अहा त्यौहार है| यह पर्व हर साल नवरात्रि के आखरी दिन के बाद आता है| इस दिन लंका नरेश रावण का पुतला जलाया जाता है| इस दिन का महत्व इसलिए भी है क्योकि इसी दिन मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के रावण का वद्ध किया था और माता सीता को उसकी कैद से मुक्त कर दिया था|

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प्रस्तावना दशहरा हिन्दू धर्म के लोगों का एक महत्वपूर्ण त्यौहार है। इसे पूरे उत्साह के साथ पूरे देश में हिन्दू धर्म के लोगों द्वारा लगातार दस दिन तक मनाया जाता है। इसलिये इसे दशहरा कहते है। पहले नौ दिन तक देवी दुर्गा की पूजा की जाती है , दसवें दिन लोग असुर राजा रावण का पुतला जला कर मनाते है। दशहरा का ये पर्व सितंबर और अक्तूबर के महीने में दीवाली के दो या तीन हफ्ते पहले पड़ता है। हिन्दू देवी दुर्गा की पूजा के द्वारा इस त्यौहार को मनाया जाता है तथा इसमें प्रभु राम और देवी दुर्गा के भक्त पहले या आखिरी दिन या फिर पूरे नौ दिन तक पूजा-पाठ या व्रत रखते है। नवरात्र को दुर्गा पूजा के नाम से भी जाना जाता है जब देवी दुर्गा के नौ रुपों की पूजा की जाती है। क्यों ना हम पहले आपने अन्दर के रावण को मारें। “रावण पर विजय पाने के लिए पहले खुद राम बनना पड़ता है” हम बाहर रावण का पुतला तो जलाते है लेकिन अंदर उसे पोषित करते है। वो तो सतयुग था जिसमें केवल एक रावण था जिसपर भगवान राम ने विजय प्राप्त की। यह तो कलयुग है जिसमे हर घर में रावण है। इतने रावण पर विजय प्राप्त करना मुश्किल है। विजयादशमी बहुत ही शुभ और ऐतिहासिक पर्व है। लोगो को इस दिन अपने अंदर के रावण पर विजय प्राप्त कर हर्षोल्लास के साथ यह पर्व मनाना चाहिए। जिस प्रकार एक अंधकार का नाश करने के लिए एक दीपक ही काफी होता है वैसे ही अपने अंदर के रावण नाश करने के लिए एक सोच ही काफी है। ना जाने कई सालों सदियों से पूरे देश में रावण का पुतला हर साल जलाकर दशहरे का त्यौहार मनाया जाता है। अगर रावण की मृत्यु सालों पहले हो गयी थी तो फिर वो आज भी हमारे बीच जीवित कैसे है? आज तो कई रावण हैं। उस रावण के दस सिर थे लेकिन हर सिर का एक ही चेहरा था जबकि आज के रावण का सिर एक है पर चेहरे अनेक हैं, चेहरों पर चेहरे हैं जो नकाबों के पीछे छिपे हैं। इसलिए इनको ख़त्म करने के लिए साल में एक दिन काफी नहीं है इन्हें रोज मारना हमें अपनी दिनचर्या में शामिल करना होगा। उस रावण को प्रभु श्रीराम ने धनुष से मारा था, आज हम सभी को राम बनकर उसे संस्कारों से, ज्ञान से और अपनी इच्छा शक्ति से मारना होगा। निष्कर्ष ये 10 दिन लंबा उत्सव होता है, जिसमें से नौ दिन देवी दुर्गा की पूजा के लिये और दसवाँ दिन विजयादशमी के रुप में मनाया जाता है ये असुर राजा रावण पर भगवान राम की जीत के अवसर के रुप में भी मनाया जाता है। इसके आने से पहले ही लोगों द्वारा बड़ी तैयारी शुरु हो जाती है। ये 10 दिनों का या एक महीने का उत्सव या मेले के रुप में होता है जिसमें एक क्षेत्र के लोग दूसरे क्षेत्रों में जाकर दुकान और स्टॉल लगाते है।

दशहरा पर निबंध हिंदी में

अक्सर class 1, class 2, class 3, class 4, class 5, class 6, class 7, class 8, class 9, class 10, class 11, class 12 के बच्चो को कहा जाता है दशहरा पर निबंध लिखे| जिसके लिए हम पेश कर रहे हैं दशहरा त्योहार पर निबंध.

दशहरा हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है । यह त्योहार अशिवन महीने के शुक्ल पक्ष में दस दिनों तक मनाया जाता है । इन दिनों माँ दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा-अर्चना की जाती है । त्योहार का अंतिम दिन विजयादशमी के रूप में मनाया जाता है । असत्य पर सत्य की जीत इस त्योहार का मुख्य संदेश है । माँ दुर्गा शक्ति की अधिष्ठात्री देवी हैं । जीवन में शक्ति का बहुत महत्त्व है, इसलिए भक्तगण माँ दुर्गा से शक्ति की याचना करते हैं । पं.बंगाल, बिहार, झारखंड आदि प्रांतों में महिषासुर मर्दिनी माँ दुर्गा की प्रतिमा स्थापित की जाती है । नौ दिनों तक दुर्गासप्तशती का पाठ चलता रहता है । शंख, घड़ियाल और नगाड़े बजते हैं । पूजा-स्थलों में धूम मची रहती है । तोरणद्वार सजाए जाते हैं । नवरात्र में व्रत एवं उपवास रखे जाते हैं । मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना होती है । प्रसाद बाँटने और लंगर चलाने के कार्यक्रम होते हैं । उत्तर भारत के विभिन्न प्रांतों में रामलीला का मंचन होता है । कहा जाता है कि विजयादशमी के दिन भगवान राम ने लंका नरेश अहंकारी रावण का वध किया था । रावण अत्याचारी और घमंडी राजा था । उसने राम की पत्नी सीता का छल से अपहरण कर लिया था । सीता को रावण के चंगुल से मुक्त कराने के लिए राम ने वानरराज सुग्रीव से मैत्री की । वे वानरी सेना के साथ समुद्र पार करके लंका गए और रावण पर चढाई कर दी । भयंकर युद्ध हुआ । इस युद्ध में मेघनाद, कुंभकर्ण, रावण आदि सभी वीर योद्धा मारे गए । राम ने अपने शरण आए रावण के भाई विभीषण को लंका का राजा बना दिया और पत्नी सीता को लेकर अयोध्या की ओर प्रस्थान किया । रामलीला में इन घटनाओं का विस्तृत दृश्य दिखाया जाता है । इसके द्वारा श्रीराम का मर्यादा पुरुषोत्तम रूप उजागर होता है । रामलीलाओं के साथ-साथ अन्य धार्मिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं । स्थान-स्थान पर मेलों का आयोजन किया जाता है । बच्चे मेले में उत्साह के साथ भाग लेते हैं । वे झूला झूलते हैं और खेल-तमाशे देखते हैं । हर तरफ उत्साह और उमंग मचा रहता है । विजयादशमी के दिन रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतलों के दहन का कार्यक्रम होता है । इसमें हजारों लोग भाग लेते हैं । पुतले जलाकर लोग बुराई पर अच्छाई की विजय का संदेश दोहराते हैं । इस अवसर पर आकर्षक आतिशबाजी भी होती है । फिर लोग मिठाइयाँ खाते और बाँटते हैं । विजयादशमी के दिन माँ दुर्गा की प्रतिमाओं के विसर्जन का कार्यक्रम होता है । ट्रकों और ट्रॉलियों पर प्रतिमाएँ लाद कर लोग गाजे-बाजे के साथ चलते हैं । लोग भारी संख्या में इस जलूस में शामिल होते हैं । प्रतिमाएं विभिन्न मार्गों से होते हुए किसी नदी या सरोवर के तट पर ले जायी जाती हैं । वहाँ इनका विसर्जन कर दिया जाता है । इस तरह दस दिनों तक चलनेवाला उत्सव समाप्त हो जाता है । दशहरा भक्ति और समर्पण का त्योहार है । भक्त भक्ति- भाव से दुर्गा माता की आराधना करते हैं । नवरात्र में दुर्गा के नौ विभिन्न रूपों की पूजा होती है । दुर्गा ही आवश्यकता के अनुसार काली, शैलपुत्री, ब्रह्‌मचारिणी ,कुष्मांडा आदि विभिन्न रूप धारण करती हैं और आसुरी शक्तियों का संहार करती हैं । वे आदि शक्ति हैं । वे ही शिव पत्नी पार्वती हैं । संसार उन्हें पूजकर अपने अंदर की आसुरी शक्ति को नष्ट होने की आकांक्षा रखता है । दुर्गा रूप जय यश देती हैं तथा द्वेष समाप्त करती हैं । वे मनुष्य को धन- धान्य से संपन्न कर देती हैं । भारत में हिमाचल प्रदेश में कुच्छू घाटी का दशहरा बहुत प्रसिद्ध है । यहाँ का दशहरा देखने देश-विदेश के लोग आते हैं । यहाँ श्रद्‌धा, भक्ति और उल्लास की त्रिवेणी देखने को मिलती है । इस तरह दशहरा हर वर्ष आता है और लोगों में भक्तिभाव भर जाता है । पर्व-त्योहारों के माध्यम से लोग अपनी ऊब मिटाते हैं और अपने भीतर कार्य करने का नया उत्साह उत्पन्न करते हैं ।

दशहरा पर छोटा निबंध

Essay on dussehra in hindi

दशहरा या विजयदशमी या आयुध-पूजा हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। आश्विन शुक्ल दशमी को विजयदशमी का त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्योहार भारतीय संस्कृति के वीरता का पूजक, शौर्य का उपासक है। व्यक्ति और समाज के रक्त में वीरता प्रकट हो इसलिए दशहरे का उत्सव रखा गया है। भगवान राम ने इसी दिन रावण का वध किया था। इसे असत्य पर सत्य की विजय के रूप में मनाया जाता है। इसीलिए इस दशमी को विजयादशमी के नाम से जाना जाता है। दशहरा वर्ष की तीन अत्यन्त शुभ तिथियों में से एक है, अन्य दो हैं चैत्र शुक्ल की एवं कार्तिक शुक्ल की प्रतिपदा। इसी दिन लोग नया कार्य प्रारम्भ करते हैं, शस्त्र-पूजा की जाती है। प्राचीन काल में राजा लोग इस दिन विजय की प्रार्थना कर रण-यात्रा के लिए प्रस्थान करते थे। दशहरा का पर्व दस प्रकार के पापों- काम, क्रोध, लोभ, मोह मद, मत्सर, अहंकार, आलस्य, हिंसा और चोरी जैसे अवगुणों को छोड़ने की प्रेरणा हमें देता है। दशहरा या दसेरा शब्द ‘दश'(दस) एवं ‘अहन्‌‌’ से बना है। दशहरा उत्सव की उत्पत्ति के विषय में कई कल्पनाएं की गई हैं। कुछ लोगों का मत है कि यह कृषि का उत्सव है। दशहरे का सांस्कृतिक पहलू भी है। भारत कृषि प्रधान देश है। जब किसान अपने खेत में सुनहरी फसल उगाकर अनाज रूपी संपत्ति घर लाता है तो उसके उल्लास और उमंग का ठिकाना हमें नहीं रहता। इस प्रसन्नता के अवसर पर वह भगवान की कृपा को मानता है और उसे प्रकट करने के लिए वह उसका पूजन करता है। तो कुछ लोगों के मत के अनुसार यह रणयात्रा का द्योतक है, क्योंकि दशहरा के समय वर्षा समाप्त हो जाते हैं, नदियों की बाढ़ थम जाती है, धान आदि सहेज कर में रखे जाने वाले हो जाते हैं। इस उत्सव का सम्बन्ध नवरात्रि से भी है क्योंकि नवरात्रि के उपरांत ही यह उत्सव होता है और इसमें महिषासुर के विरोध में देवी के साहसपूर्ण कार्यों का भी उल्लेख मिलता है।

Essay on dussehra in hindi

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प्रस्तावना पूरे देश में मनाया जाने वाला हिन्दू धर्म का महत्वपूर्ण पर्व है दशहरा। ये हर साल सितंबर या अक्टूबर के महीने में दीपावली के पर्व से 20 दिन पहले आता है। लंका के असुर राजा रावण पर भगवान राम की जीत को दिखाता है दशहरा। भगवान राम सच्चाई के प्रतीक है और रावण बुराई की शक्ति का। देवी दुर्गा के पूजा के साथ हिन्दू लोगों के द्वारा ये महान धार्मिक उत्सव और दस्तूर मनाया जाता है। इस पर्व को पूरे देश में मनाने की परंपरा और संस्कार क्षेत्र दर क्षेत्र अलग-अलग है। ये पर्व बच्चों के मन में काफी खुशियां लाता है। दशहरा के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य: कहा जाता है कि अगर रावण का वध भगवान राम ने नहीं किया होता तो सूर्य हमेशा के लिए अस्त हो जाता। दशहरा का महत्व इस रूप में भी होता कि मां दुर्गा ने दसवें दिन महिषासुर राक्षस का वध किया था। महिषासुर असुरों को राजा था, जो लोगों पर अत्याचार करता था, उसके अत्याचारों को देखकर भगवान ब्रह्मा, विष्‍णु और महेश ने शक्ति (माँ दुर्गा) का निर्माण किया, महिषासुर और शक्‍ति (माँ दुर्गा) के बीच 10 दिनों तक युद्ध हुआ और आखिरकार मां ने 10 वें दिन विजय हासिल कर ली। ऐसी मान्यता है कि नवरात्र में देवी मां अपने मायके आती हैं और उनकी विदाई हेतु लोग नवरात्र के दसवें दिन उन्हें पानी में विसर्जित करते हैं। एक मान्यता यह भी है कि श्री राम ने रावण के दसों सिर यानी दस बुराइयाँ को ख़त्म किया जो हमारे अंदर, पाप, काम, क्रोध, मोह, लोभ, घमंड, स्वार्थ, जलन, अहंकार, अमानवता और अन्‍याय के रूप में विराजमान है। ऐसा लोगों का मानना है की मैसूर के राजा के द्वारा 17वीं शताब्दी में मैसूर में दशहरा मनाई गयी थी। मलेशिया में दशहरा पर राष्ट्रीय अवकाश होता है, यह त्योहार सिर्फ भारत ही नहीं बांग्लादेश और नेपाल में भी मनाया जाता है। दशहरा भगवान राम और माता दुर्गा दोनों का महत्व दर्शाता है. रावण को हराने के लिए श्री राम ने मां दुर्गा की पूजा की थी और आर्शीवाद के रूप में मां ने रावण को मारने का रहस्‍य बताया था। रामलीला मंचन हर तरफ जगमगाती रोशनी और पटाखों की शोर से गूँजता माहौल। बच्चे और बाकी सभी लोग रामलीला को पूरी रात देखते है। रामलीला मंचन के द्वारा वास्तविक लोग रामायण के पात्रों और उनके इतिहास को बताते है। हजारों की संख्या में आदमी, औरत और बच्चे रामलीला मैदान में अपने पास के क्षेत्रों से इस उत्सव का आनन्द उठाते है। राम, सीता और लक्ष्मण के किरदार के लिये वास्तविक कलाकार होते है वहीं रावण, मेघनाथ और कुम्भकर्ण के कागज के पुतले बनाये जाते है। निष्कर्ष विजयादशमी एक ऐसा पर्व है, जिसे लोगों के मन में नई ऊर्जा, बुराई पर अच्छाई की जित और लोगों के मन में नई चाह और सात्विक ऊर्जा भी ले आता है। भगवान राम ने कैसे बुराई का अंत कर रावण पर विजय प्राप्त की। और माँ दुर्गा ने महिषासुर को मारकर बुराई का अंत किया। 9 दिन देवी माँ के पूजा अर्चना के बाद यह विजयादशमी आती है। इस दिन पकवान आदि सबके घरों में बनाये जाते है।

Dussehra par nibandh hindi mein

दशहरा को दुर्गा पूजा के नाम से भी जाना जाता है। यह त्योहार वर्षा ऋतु के अंत में संपूर्ण भारत वर्ष में मनाया जाता है। नवरात्र में मूर्ति पूजा में पश्चिम बंगाल का कोई सानी नहीं है जबकि गुजरात में खेला जाने वाला डांडिया बेजोड़ है। पूरे दस दिनों तक त्योहार की धूम रहती है। लोग भक्ति में रमे रहते हैं। मां दुर्गा की विशेष आराधनाएं देखने को मिलती हैं। दशमी के दिन त्योहार की समाप्ति होती है। इस दिन को विजयादशमी कहते हैं। बुराई पर अच्छाई के प्रतीक रावण का पुतला इस दिन समूचे देश में जलाया जाता है। इस दिन भगवान राम ने राक्षस रावण का वध कर माता सीता को उसकी कैद से छुड़ाया था। और सारा समाज भयमुक्त हुआ था। रावण को मारने से पूर्व राम ने दुर्गा की आराधना की थी। मां दुर्गा ने उनकी पूजा से प्रसन्न होकर उन्हें विजय का वरदान दिया था। रावण दहन आज भी बहुत धूमधाम से किया जाता है। इसके साथ ही आतिशबाजियां छोड़ी जाती हैं। दुर्गा की मूर्ति की स्थापना कर पूजा करने वाले भक्त मूर्ति-विसर्जन का कार्यक्रम भी गाजे-बाजे के साथ करते हैं। भक्तगण दशहरे में मां दुर्गा की पूजा करते हैं। कुछ लोग व्रत एवं उपवास करते हैं। पूजा की समाप्ति पर पुरोहितों को दान-दक्षिणा देकर संतुष्ट किया जाता है। कई स्थानों पर मेले लगते हैं। रामलीला का आयोजन भी किया जाता है। श्रीराम का विजय पर्व दशहरा अथवा विजयादशमी राम की विजय के रूप में मनाया जाए अथवा दुर्गा पूजा के रूप में, दोनों ही रूपों में यह शक्ति पूजा का पर्व है, शस्त्र पूजन की तिथि है। हर्ष, उल्लास तथा विजय का पर्व है। देश के कोने-कोने में यह विभिन्न रूपों से मनाया जाता है, बल्कि यह उतने ही जोश और उल्लास से दूसरे देशों में भी मनाया जाता जहां प्रवासी भारतीय रहते हैं। मैसूर का दशहरा : मैसूर का दशहरा देशभर में विख्‍यात है। मैसूर में दशहरे के समय पूरे शहर की गलियों को रोशनी से सज्जित किया जाता है और हाथियों का श्रृंगार कर पूरे शहर में एक भव्य जुलूस निकाला जाता है। इस समय प्रसिद्ध मैसूर महल को दीपमालिकाओं से दुल्हन की तरह सजाया जाता है। इसके साथ शहर में लोग टार्च लाइट के संग नृत्य और संगीत की शोभा यात्रा का आनंद लेते हैं। द्रविड़ प्रदेशों में रावण-दहन का आयोजन नहीं किया जाता है।

दशहरा पर निबंध संस्कृत में

विजयादशमी भारतीयानां पवित्रं पर्व भवति। एतत् पर्व आश्विनमासस्य शुक्लपक्षस्य दशम्यां तिथौ सम्पाद्यते। इयं तिथिः विजयसूचिका मन्यते। अस्मिन् दिवसे श्रीरामः रावणस्य निधनं कृत्वा विजयं प्राप्तवान्। अस्मिन्नेव दिवसे दुर्गा शुम्भं निशुम्भं च अमारयत्। एतत् दिनं विजयेन सम्बन्धितमस्ति। अतः एतत् दिनं विजयादशमी नाम्ना प्रसिद्धम्। यद्यपि अयमुत्सवः आश्विनमासस्य शुक्लपक्षस्य दशम्यां तिथौ मन्यते, तथापि उत्सवात् दशदिनपूर्वमेव रामकथायाः रामलीलायाः संकीर्त्तनादीनां च आयोजनं भवति। जनाः उत्साहेन रामलीलां पश्यन्ति। दशम्यां तिथौ रावणकुम्भकर्ण-मेघनादानां च अग्निसंयोगः क्रियते। सायंकाले रामलीलाक्षेत्रे लोकानां विपुलः समागमः भवति। तस्मिन् समये रामस्य लक्ष्मणस्य हनुमतः च वेशेन कलाकाराः तत्र आगच्छन्ति। हनुमान् च दशहरास्थानमागच्छति। हनुमता कृत्रिमा लंका दह्यते। उपस्थिताः जनाः श्रीरामस्य जयध्वनिं कुर्वन्ति। अयमुत्सवः अधर्मस्य उपरी धर्मस्य, असत्यस्य उपरि सत्यस्य, दुर्जनतायाः उपरि सज्जनतायाः विजयस्य प्रतीकमस्ति। वस्तुतः एषः उत्सवः परमपावनः अस्ति।

Dussehra essay in english

Dussehra is the most significant festival of the Hindu religion celebrated all across the country. It falls every year in the month of September or October twenty days earlier to the Diwali festival. The celebration of Dussehra indicates the victory of Lord Rama over demon king Ravana. Lord Rama symbolizes truth and Ravana represents evil power. It is a great ceremonial and religious festival celebrated by the Hindu people with the worship of goddess Durga. The tradition and culture of celebrating this festival varies from region to region in the country. It is a ten days long festival, nine days of which is celebrated by worshipping the goddess Durga and tenth day as Vijay Dashmi when people celebrate the victory of Lord Rama over the demon King, Ravana. A huge preparation for this festival takes place which starts few days earlier to the exact date. A big fair is held for whole ten days or a whole month where people from far regions come to make shops and stalls of all things necessary for the people. It takes place in the Ram-Lila ground in every society or community where a huge fair is held with the dramatic show of legends of Dussehra for all days. Paper models of the Ravana, Kumbhkaran and Meghnath are prepared in the Ram Lila ground and real people play the role of Rama, Seta and Lakshman. Everywhere lights are on and whole environment becomes full of sound of firecrackers. People and kids used to see the fair including ram-lila whole night. Various important events of the life of Lord Rama are demonstrated by the real people in the Ram Lila. Thousands of men, women and children of the nearby regions get together in the Ram Lila ground to enjoy the show.

Dussehra essay in punjabi

ਦੁਸਰਾ ਸਭ ਤੋਂ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਤਿਉਹਾਰ ਹੈ ਜੋ ਸਾਰੇ ਦੇਸ਼ ਵਿਚ ਮਨਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ. ਇਹ ਦਿਵਾਲੀ ਤਿਉਹਾਰ ਤੋਂ 20 ਦਿਨ ਪਹਿਲਾਂ ਸਤੰਬਰ ਜਾਂ ਅਕਤੂਬਰ ਦੇ ਮਹੀਨੇ ਵਿੱਚ ਡਿੱਗਦਾ ਹੈ. ਦੁਸਹਿਰੇ ਦਾ ਤਿਉਹਾਰ ਦਰਸਾਏ ਰਾਜਾ ਰਾਵਣ ਤੇ ਭਗਵਾਨ ਰਾਮ ਦੀ ਜਿੱਤ ਨੂੰ ਦਰਸਾਉਂਦਾ ਹੈ. ਭਗਵਾਨ ਰਾਮ ਸੱਚ ਨੂੰ ਦਰਸਾਉਂਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਰਾਵਣ ਸ਼ਕਤੀ ਨੂੰ ਦਰਸਾਉਂਦਾ ਹੈ. ਇਹ ਇਕ ਮਹਾਨ ਰਸਮੀ ਅਤੇ ਧਾਰਮਿਕ ਤਿਉਹਾਰ ਹੈ ਜੋ ਹਿੰਦੂ ਲੋਕਾਂ ਦੁਆਰਾ ਭਗਵਾਨ ਦੁਰਗਾ ਦੀ ਪੂਜਾ ਨਾਲ ਮਨਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ. ਇਸ ਤਿਉਹਾਰ ਨੂੰ ਮਨਾਉਣ ਦੀ ਪਰੰਪਰਾ ਅਤੇ ਸਭਿਆਚਾਰ ਦੇਸ਼ ਦੇ ਖਿੱਤੇ ਤੋਂ ਵੱਖਰੇ ਖੇਤਰਾਂ ਵਿੱਚ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਹੁੰਦਾ ਹੈ. ਇਹ ਦਸ ਦਿਨ ਲੰਮੀ ਤਿਉਹਾਰ ਹੈ, ਜਿਸ ਦੇ ਨੌਂ ਦਿਨ ਦੇਵੀ ਦੇਵੜਾ ਦੀ ਪੂਜਾ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਦਸਵੇਂ ਦਿਨ ਵਿਜੈ ਦਸਮੀ ਦੇ ਤੌਰ ਤੇ ਜਦੋਂ ਲੋਕ ਰਾਜਾ ਰਾਮ, ਰਾਜਾ ਰਾਮ ਦੀ ਜਿੱਤ ਨੂੰ ਮਨਾਉਂਦੇ ਹਨ, ਰਾਵਣ ਇਸ ਤਿਉਹਾਰ ਲਈ ਇੱਕ ਵੱਡੀ ਤਿਆਰੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਜੋ ਕੁਝ ਦਿਨ ਪਹਿਲਾਂ ਸਹੀ ਤਾਰੀਖ ਤੋਂ ਸ਼ੁਰੂ ਹੁੰਦੀ ਹੈ. ਇੱਕ ਵੱਡਾ ਮੇਲਾ ਪੂਰੇ ਦਸ ਦਿਨ ਜਾਂ ਪੂਰੇ ਮਹੀਨੇ ਲਈ ਰੱਖਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਜਿੱਥੇ ਦੂਰ ਦਿਆਂ ਤੋਂ ਲੋਕ ਲੋਕਾਂ ਲਈ ਸਾਰੀਆਂ ਚੀਜ਼ਾਂ ਦੀ ਦੁਕਾਨਾਂ ਅਤੇ ਸਟਾਲਾਂ ਕਰਨ ਲਈ ਆਉਂਦੇ ਹਨ. ਇਹ ਹਰੇਕ ਸਮਾਜ ਜਾਂ ਸਮਾਜ ਵਿਚ ਰਾਮ-ਲੀਲਾ ਮੈਦਾਨ ਵਿਚ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਜਿੱਥੇ ਸਾਰੇ ਦਿਨ ਲਈ ਦੁਸਹਿਰੇ ਦੀਆਂ ਕਥਾ-ਕਹਾਣੀਆਂ ਦੇ ਨਾਟਕੀ ਪ੍ਰਦਰਸ਼ਨ ਨਾਲ ਇਕ ਵਿਸ਼ਾਲ ਮੇਲਾ ਲਗਦਾ ਹੈ. ਰਾਵਣ, ਕੁੰਭਰ ਅਤੇ ਮੇਘਨਾਥ ਦੇ ਪੇਪਰ ਮਾਡਲ ਤਿਆਰ ਹਨ ਰਾਮਲੀਲਾ ਮੈਦਾਨ ਵਿਚ ਅਤੇ ਅਸਲ ਲੋਕ ਰਾਮ, ਸੈਤਾ ਅਤੇ ਲਕਸ਼ਮਣ ਦੀ ਭੂਮਿਕਾ ਨਿਭਾਉਂਦੇ ਹਨ. ਹਰ ਜਗ੍ਹਾ ਲਾਈਟਾਂ ਚੱਲ ਰਹੀਆਂ ਹਨ ਅਤੇ ਸਾਰਾ ਵਾਤਾਵਰਨ ਪਟਾਖਿਆਂ ਦੀ ਆਵਾਜ਼ ਨਾਲ ਭਰ ਜਾਂਦਾ ਹੈ. ਲੋਕ ਅਤੇ ਬੱਚੇ ਰਾਮ-ਲੀਲਾ ਸਾਰੀ ਰਾਤ ਸਮੇਤ ਮੇਲੇ ਨੂੰ ਵੇਖਦੇ ਹੁੰਦੇ ਸਨ ਭਗਵਾਨ ਰਾਮ ਦੇ ਜੀਵਨ ਦੀਆਂ ਕਈ ਮਹੱਤਵਪੂਰਣ ਘਟਨਾਵਾਂ ਰਾਮਲੀਲਾ ਦੇ ਅਸਲ ਲੋਕਾਂ ਦੁਆਰਾ ਦਿਖਾਈਆਂ ਗਈਆਂ ਹਨ. ਪ੍ਰਦਰਸ਼ਨ ਦਾ ਅਨੰਦ ਲੈਣ ਲਈ ਹਜ਼ਾਰਾਂ ਪੁਰਸ਼, ਔਰਤਾਂ ਅਤੇ ਨੇੜਲੇ ਖੇਤਰਾਂ ਦੇ ਬੱਚੇ ਰਾਮਲੀਲਾ ਮੈਦਾਨ ਵਿਚ ਇਕੱਠੇ ਹੋ ਗਏ ਹਨ.

Dussehra essay in marathi

दशहरा हा हिंदू धर्माचा सर्वात महत्वाचा उत्सव देशभरात साजरा केला जातो. दरवर्षी सप्टेंबर किंवा ऑक्टोबर महिन्यात दिवाळीच्या उत्सवात ते दरवर्षी येते. दुश्हराचा उत्सव राक्षस राजा रावणवर भगवान रामचा विजय दर्शवितो. भगवान राम सत्याचे प्रतीक आहेत आणि रावण दुष्ट शक्तीचे प्रतिनिधित्व करतात. हा दुर्गा देवीच्या उपासनेत हिंदू लोकांचा उत्सव साजरा केला जातो. हा उत्सव साजरा करण्याची परंपरा आणि संस्कृती देशाच्या क्षेत्रामध्ये बदलली जाते. दहा दिवसांचा मोठा उत्सव आहे, त्यापैकी नऊ दिवस देवी दुर्गाची पूजा करून आणि दहाव्या दिवशी विजय दशमी म्हणून राक्षस राजा रावण या दिवशी भगवान रामचा विजय साजरा करतात. या उत्सवासाठी एक मोठी तयारी होती जी काही दिवसांपूर्वीच अचूक तारखेपासून सुरू होते. संपूर्ण दहा दिवस किंवा संपूर्ण महिनाभर एक मोठा मेळा आयोजित केला जातो जेथे दूरच्या प्रदेशांतील लोक लोक आणि लोकांच्या आवश्यक गोष्टींच्या दुकाने आणतात. हे प्रत्येक समाजातील किंवा समाजातील राम-लीला मैदानावर होते जेथे सर्व दिवस दशेराच्या नाट्यपूर्ण नाट्यपूर्ण नाट्यपूर्ण नाट्यपूर्ण नाट्यपूर्ण समारंभाचे आयोजन केले जाते. रावण, कुंभकर्ण आणि मेघनाथ यांचे पेपर मॉडेल राम लीला मैदानात तयार आहेत आणि वास्तविक लोक राम, सेता आणि लक्ष्मण यांची भूमिका बजावतात. सर्वत्र दिवे चालू आहेत आणि संपूर्ण वातावरण फटाकेच्या आवाजाने भरलेले आहे. संपूर्ण रात्री राम-लीलासह मेळावा पाहण्यासाठी लोक आणि मुले वापरत असत. राम लीलातील खर्या लोकांद्वारे भगवान रामच्या जीवनातील महत्वाच्या घटना दर्शविल्या जातात. जवळील प्रदेशातील हजारो पुरुष, महिला आणि मुले राम लीला ग्राउंडमध्ये शोचा आनंद घेण्यासाठी एकत्र येतात.

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