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- Essays in Hindi /
Essay on Earthquake : कैसे लिखें भूकंप पर निबंध
- Updated on
- अगस्त 22, 2024
भूकंप को समझना छात्रों के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह उन्हें प्राकृतिक आपदाओं के बारे में आवश्यक ज्ञान प्रदान करता है। यह ज्ञान न केवल छात्रों की जागरूकता को बढ़ावा देता है बल्कि भूकंपीय घटनाओं के दौरान प्रभावी ढंग से प्रतिक्रिया करने के लिए उन्हें तैयार भी करता है। भूकंप छात्रों को टेक्टोनिक प्लेट्स, भूकंपीय तरंगों और रिक्टर स्केल जैसी अवधारणाओं के बारे में परिचित कराता है, जिससे छात्रों में भूवैज्ञानिक विज्ञानों की गहरी समझ विकसित होती है। भूकंप विषय पर विद्यालय में निबंध प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है जिसमें भूकंप पर निबंध लिखने को दिया जाता है। इस ब्लॉग में Essay on Earthquake in Hindi के कुछ सैंपल दिए गए हैं आप जिनकी मदद ले सकते हैं।
This Blog Includes:
भूकंप पर 100 शब्दों में निबंध, भूकंप पर 200 शब्दों में निबंध, भूकंप के अन्य महत्वपूर्ण प्रकार, भूकंप से होने वाले प्रभाव, उपसंहार .
भूकंप पृथ्वी की सतह का हिलना होता है जो अर्थ क्रस्ट में अचानक ऊर्जा के निकलने के कारण होता है। इससे इमारतों और बुनियादी ढांचे को गंभीर नुकसान हो सकता है, जिससे यह एक खतरनाक प्राकृतिक आपदा बन जाती है। भूकंप की तीव्रता उसके परिमाण और भूकंप के केंद्र से दूरी पर निर्भर करती है। भूकंप भूस्खलन, आग और सुनामी को भी जन्म देते हैं, जिससे और भी अधिक विनाश हो सकता है। केवल कुछ सेकंड तक चलने के बावजूद, भूकंप का प्रभाव विनाशकारी हो सकता है, जो इस बात पर प्रकाश डालता है कि मनुष्य प्रकृति की शक्तियों के प्रति कितने कमजोर हैं। इमरजेंसी किट के साथ तैयार रहना और सुरक्षा प्रक्रियाओं को जानना ऐसी घटनाओं के दौरान जोखिम को कम करने और जान बचाने में मदद कर सकता है।
भूकंप प्राकृतिक विपत्ति है जो कई खतरे लेकर आती है। भूकंप के कारण इमारतें ढह सकती हैं, जिससे लोग अंदर फंस सकते हैं। जबकि मामूली भूकंप आना आम बात है, बड़े भूकंप से गंभीर कंपन हो सकता है। यह कंपन उस बिंदु से शुरू होता है जहाँ चट्टान सबसे पहले टूटती है, जिसे हाइपोसेंटर या फ़ोकस कहा जाता है।
जब भूकंप शुरू होता है और आप अंदर होते हैं, तो ज़मीन पर लेट जाएँ और सुरक्षित रहने के लिए अपना सिर ढक लें। भूकंप की तीव्रता भूकंपीय घटना के दौरान निकलने वाली ऊर्जा का माप है।
भूकंप के प्रकार
भूकंप तीन प्रकार के होते हैं, जैसे कि-
- उथले भूकंप: ये पृथ्वी की सतह के करीब आते हैं। ये आमतौर पर कम शक्तिशाली होते हैं लेकिन फिर भी काफी नुकसान पहुँचा सकते हैं।
- मध्यवर्ती भूकंप: इनका फ़ोकस सतह और पृथ्वी के मेंटल के बीच स्थित होता है। ये आमतौर पर उथले भूकंपों से ज़्यादा शक्तिशाली होते हैं।
- गहरे भूकंप: ये पृथ्वी की पपड़ी के नीचे मेंटल में आते हैं। ये सबसे शक्तिशाली होते हैं और सतह पर भी नुकसान पहुँचा सकते हैं।
इन प्रकारों को समझने से हमें प्रत्येक प्रकार के भूकंप से जुड़े संभावित प्रभाव और खतरों को पहचानने में मदद मिलती है। विभिन्न भूकंपों की प्रकृति और प्रतिक्रिया के तरीके को जानकर, हम उनके प्रभावों से खुद को बेहतर तरीके से तैयार और सुरक्षित कर सकते हैं।
भूकंप पर 500 शब्दों में निबंध
भूकंप पर 500 शब्दों (Essay on Earthquake in Hindi) में निबंध नीचे दिया गया है-
आसान शब्दों में कहें तो पृथ्वी की सतह के हिलने को भूकंप कहते हैं। यह अचानक होता है और बहुत भयावह हो सकता है। भूकंप एक गंभीर प्राकृतिक आपदा है जो इमारतों को बहुत नुकसान पहुंचा सकती है और लोगों को नुकसान पहुंचा सकती है। कुछ भूकंप छोटे होते हैं और शायद ही कभी ध्यान में आते हैं, जबकि कुछ बहुत शक्तिशाली और विनाशकारी होते हैं। बड़े भूकंप आमतौर पर बहुत खतरनाक होते हैं और बहुत तबाही मचा सकते हैं। भूकंप को विशेष रूप से खतरनाक बनाने वाली बात यह है कि हम यह अनुमान नहीं लगा सकते कि वे कब आएंगे।
भूकंप के अन्य महत्वपूर्ण प्रकार नीचे दिए गए हैं-
- टेक्टोनिक भूकंप: पृथ्वी की पपड़ी चट्टानों के बड़े-बड़े स्लैब से बनी है, जिन्हें टेक्टोनिक प्लेट्स कहा जाता है। ये प्लेटें ऊर्जा संग्रहित करती हैं, जिसके कारण वे एक-दूसरे से दूर या एक-दूसरे की ओर बढ़ती हैं। समय के साथ, यह गति प्लेटों के बीच दबाव बनाती है। जब दबाव बहुत अधिक हो जाता है, तो यह एक फॉल्ट लाइन बनाता है। इस गड़बड़ी के केंद्र को फोकस कहा जाता है। ऊर्जा तरंगें फोकस से सतह तक जाती हैं, जिससे जमीन हिलती है।
- टेक्टोनिक भूकंप, जो तब होता है जब मैग्मा हिलता है या वापस ले लिया जाता है।
- दीर्घ-अवधि के भूकंप, जो पृथ्वी की परतों के भीतर दबाव में बदलाव के कारण होते हैं।
- ढहने वाले भूकंप: ये गुफाओं और खदानों में होते हैं और आमतौर पर कमज़ोर होते हैं। भूमिगत विस्फोटों के कारण अक्सर खदानें ढह जाती हैं, जिससे भूकंपीय तरंगें पैदा होती हैं, जिसके परिणामस्वरूप भूकंप उत्पन्न होता है।
- विस्फोटक भूकंप: ये परमाणु हथियार परीक्षणों के कारण होते हैं। जब कोई परमाणु हथियार फटता है, तो उससे बहुत ज़्यादा ऊर्जा निकलती है, जिससे भूकंप पैदा होता है।
सबसे पहले भूकंप का सबसे ज़्यादा ध्यान देने योग्य प्रभाव ज़मीन का हिलना है। यह कंपन ज़मीन के टूटने का कारण बन सकती है, जो पृथ्वी की सतह का टूटना है। ज़मीन के टूटने और हिलने से इमारतों और बुनियादी ढांचे को गंभीर नुकसान हो सकता है। भूकंप की गंभीरता इसकी तीव्रता, भूकंप के केंद्र से दूरी और स्थानीय भूगोल पर निर्भर करती है। भूकंप का एक और बड़ा प्रभाव भूस्खलन है, जो तब होता है जब ढलान हिलने के कारण अस्थिर हो जाते हैं।
भूकंप मिट्टी के द्रवीकरण का भी कारण बन सकता है। ऐसा तब होता है जब पानी से भरी मिट्टी अपनी ताकत खो देती है और तरल की तरह व्यवहार करती है, जिससे इमारतें और अन्य संरचनाएँ डूब जाती हैं। भूकंप के दौरान आग लग सकती है क्योंकि कंपन से बिजली और गैस लाइनों को नुकसान पहुँचता है। एक बार आग लग जाने के बाद, इसे रोकना बहुत मुश्किल हो सकता है। भूकंप सुनामी का कारण बन सकते हैं, जो पानी के नीचे भूकंप के कारण पानी की अचानक गति से उत्पन्न होने वाली बड़ी समुद्री लहरें हैं। सुनामी 600-800 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से आ सकती है और तट पर पहुँचने पर भारी तबाही मचा सकती है।
भूकंप शक्तिशाली और भयावह प्राकृतिक घटनाएँ हैं जो इस बात पर प्रकाश डालती हैं कि मनुष्य प्रकृति के प्रति कितने संवेदनशील हैं। वे अचानक होने वाली घटनाएँ हैं जो सभी को चौंका देती हैं। भले ही भूकंप केवल कुछ सेकंड तक रहता है, लेकिन यह बहुत अधिक नुकसान पहुंचा सकता है।
भूस्खलन ढलान की अस्थिरता के कारण होता है। सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि यह ढलान अस्थिरता भूकंप के कारण होती है।
लेकिन कुछ मामलों में, किसी भ्रंश के दोनों ओर की चट्टानें समय के साथ टेक्टोनिक बलों के कारण धीरे-धीरे विकृत हो जाती हैं। भूकंप आमतौर पर तब आता है जब भूमिगत चट्टान अचानक टूट जाती है और किसी भ्रंश के साथ तीव्र गति से गति होती है। ऊर्जा के अचानक निकलने से भूकंपीय तरंगें उत्पन्न होती हैं, जिनसे ज़मीन हिलती है।
हम प्राकृतिक भूकंपों को आने से तो नहीं रोक सकते, लेकिन खतरों की पहचान करके, सुरक्षित संरचनाओं का निर्माण करके, तथा भूकंप सुरक्षा पर शिक्षा प्रदान करके हम उनके प्रभावों को काफी हद तक कम कर सकते हैं। प्राकृतिक भूकंपों के लिए तैयारी करके हम मानव जनित भूकंपों के खतरे को भी कम कर सकते हैं।
उम्मीद है आपको Essay on Earthquake in Hindi के संदर्भ में हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। इसी तरह के अन्य निबंध पर ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।
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भूकंप पर निबंध | Essay on Earthquake in Hindi
हेलो दोस्तों, आज हमलोग इस लेख में भूकंप पर निबंध के बारे में पड़ेंगे जो कि आपको क्लास 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 व अन्य competitive examination जैसे कि SSC, UPSC, BPSC जैसे उच्चाधिकारी वाले एग्जाम में अत्यंत लाभकारी साबित होंगे। भूकंप पर निबंध (Earthquake essay in Hindi) के अंतर्गत हम भूकंप से संबंधित पूरी जानकारी को विस्तार से जानेंगे इसलिए इसे अंत तक अवश्य पढ़ें।
प्रस्तावना (Introduction)
‘भूकंप’ बस नाम ही काफ़ी है। ‘भू का कंपन’ यह विचार मात्र मानव के मन और मस्तिष्क में कंपन ही उत्पन्न नहीं करता वरन् झकझोर कर रख देता है। जब-जब प्रकृति ने अपने इस रूप के दर्शन कराए हैं, मानव की लाचारी और बेबसी ने घुटने टेक दिए हैं। मनुष्य की सारी प्रगति प्रकृति के इस रूप के समक्ष बौनी दिखाई देती है। प्रकृति के महाविनाश का यह भयानक रूप है जिसकी कोई कल्पना भी नहीं करना चाहता।
लेकिन मनुष्य के कल्पना करने या न करने से प्रकृति के कार्यक्रमों में कोई अन्तर नहीं आता। प्रकृति ही मनुष्य को पालती है, वह आदिकाल से मनुष्य की सहचरी रही है किन्तु उसके अपने क्रियाकलाप भी हैं जिन्हें हम प्राकृतिक परिवर्तन के रूप में समझ सकते हैं। यदि मानव मस्तिष्क इसकी पूर्व जानकारी पा सकता है तो इतना भी मानव जाति के हित में होगा।
भूकंप क्या है? (Earthquake in Hindi)
जब पृथ्वी के भीतर का तरल पदार्थ अत्यधिक गर्म हो जाता है तो इसकी भाप का दबाव बहुत बढ़ जाता है। इस दबाव से धरती की कई सतहों में परिवर्तन होता है, वे इधर-उधर खिसकती हैं, हिलती-डुलती हैं और धरती के गर्भ में उथल-पुथल मचाती हैं। इससे पृथ्वी के ऊपरी स्तर को भी धक्का लगता है और हम इसे भूकंप कहते हैं।
भूकंप से बचाव
हमारे देश की प्रकृति ऐसी नहीं है जहाँ प्रायः भूकंप आते हों, जैसे जापान आदि देशों की है। ऐसे स्थानों पर लोग भूकंप बचाव की क्षमता वाली इमारतों का निर्माण करते हैं तथा लकड़ी आदि का प्रयोग करके छोटे-छोटे निवास स्थान बनाते हैं। वहाँ भूकंप से जान-माल की हानि से बचाव के उपाय किए जाते हैं।
इन्हें भी पढ़ें : सतर्क भारत समृद्ध भारत पर लेख हिंदी में
भूकंप के कारण (Causes of Earthquake)
भूकंप का हल्का-सा झटका बहुत हानिकारक नहीं होता क्योंकि धरती के भीतर रासायनिक प्रक्रिया के कारण हर समय भूगर्भ में हल्के-हल्के झटके लगते रहते हैं जो धरती पर भौतिक रूप में अपने चिह्न प्रकट भी करते हैं। किन्तु जोर के शक्तिशाली झटके महाविनाशी होते हैं। जब पृथ्वी के नीचे स्थित प्लेटो में घर्षण होता है तो वहां दबाव पैदा होता है। जिससे तरल पदार्थ निकलता है जो बहुत ही गर्म होता है। जिसका वाष्प बाहर निकलने का प्रयास करता है।
यही भूकंप का वास्तविक और वैज्ञानिक कारण है। हमारे पुराणों में मान्यता रही है कि धरती शेषनाग के फन पर टिकी है। जब धरती पर पापों का बोझ बढ़ जाता है, तब भगवान शेषनाग ही भूकंप के द्वारा अपना क्रोध प्रकट करते हैं।
भूकंप का प्रभाव (Effect of Earthquake)
इस मान्यता का भी यदि यह अर्थ लिया जाए कि पृथ्वी पर प्रकृति के प्रकोपों को कम या शून्य करने के लिए शान्ति बनाए रखना बहुत ज़रूरी है तो इसमें कोई बुराई नहीं है। परिवर्तन तो प्रकृति का नियम है। इसे हम स्वस्थ चिन्तन के साथ लें तो ही अच्छा होगा। भूकंप कुछ सेकंड या मिनट ही रहता है परन्तु इतने कम समय में ही भारी विनाश हो जाता है।
भूकंप के भारी झटके से धरती पर दरारें पड़ जाती हैं और उनमें से गर्म लावा और विषैली वायु बाहर निकलती है। देखते ही देखते बड़ी-बड़ी इमारतें धराशायी हो जाती हैं। कई बार बड़े-बड़े भवन धरती के गर्भ में फँस जाते हैं। हज़ारों लोग मलबे के नीचे दबकर मर जाते हैं या घायल हो जाते हैं। लाखों लोग बेसहारा तथा बेघर हो जाते हैं। कभी-कभी हरे-भरे गाँव तथा सुन्दर नगर खण्डहरों में बदल जाते हैं।
भूकंप के कारण भू-स्खलन भी होता है, जो नदी वाहिकाओं को अवरुद्ध कर जलाशयों में बदल देता है। कई बार नदियाँ अपना रास्ता बदल लेती हैं जिससे प्रभावित क्षेत्र में बाढ़ और दूसरी आपदाएँ आ जाती हैं।
वर्ष 2001 में छब्बीस जनवरी प्रात:काल ऐसा ही महाविनाशकारी भूकंप गुजरात के भुज शहर में आया, जिसने कुछ ही मिनटों में पूरे शहर को एक मलबे के ढेर में बदल दिया। पूरा कच्छ प्रदेश भी काँप गया। सभी सहम गए, कोई कुछ न कर सका।
वर्ष 1990 में उत्तरकाशी में भी ऐसा ही महाविनाशकारी भूकंप आया था। इस स्थिति में नदियों के प्रवाह, समुद्र और पर्वतों के स्थान भी बदल जाते हैं। कभी-कभी ज़मीन के नीचे दबे हुए प्राचीन संस्कृति तथा सभ्यता के अवशेष भूकंप के कारण बाहर निकल आते हैं। ऊपर की धरती नीचे तथा नीचे की धरती ऊपर आ जाती है।
भूकंप से बचाव के लिये उठाये गए कदम
कच्छ (गुजरात), लाटूर (महाराष्ट्र) में भयंकर भूकंप आए हैं। भूकम्प द्वारा हुई क्षति (हानि) को दृष्टि में रखते हुए अब हमारी सरकार ने इस दिशा में विशेष क़दम उठाए हैं तथा इस तरह के भवन निर्माण करने की योजना है जिससे भूकम्प आने पर कम से कम क्षति हो।
भूकंप के पश्चात् सरकारी और गैर-सरकारी लोगों तथा संस्थाओं द्वारा राहत कार्य शुरू होते हैं। भूकंप पीड़ितों को अन्न, वस्त्र, दवाइयों आदि की सहायता पहुँचाई जाती है। मलबा हटाया जाता है, खुदाई की जाती है। मलबे के नीचे दबे हुए लोगों में से कई जीवित भी पाए जाते हैं। इस समय इस राहत कार्य के साथ-साथ लोगों को सदमे की हालत से बाहर लाने की सबसे अधिक आवश्यकता होती है।
मनुष्य की मानवता और सेवा भावना भी ऐसे ही समय प्रकट होती है। सरकार के लिए पूरे क्षेत्र की भंग हुई संचार, यातायात, पानी और बिजली की व्यवस्था आदि का कार्य विस्तृत रूप ले लेता है। ऐसे समय में सभी से यथासंभव सहायता और सहयोग की आशा की जाती है। यह संसार एक दूसरे के सहयोग से ही चलता है।
भूकंप से होने वाले हानि को कम करने के उपाय
दूसरी आपदाओं की तुलना में भूकंप अधिक विध्वंसकारी हैं। चूँकि यह परिवहन और संचार व्यवस्था भी नष्ट कर देते हैं इसलिए लोगों तक राहत पहुँचाना कठिन होता है। भूकंप को रोका नहीं जा सकता। अतः इसके लिए विकल्प यह है कि इस आपदा से निपटने की तैयारी रखी जाए और इससे होने वाले नुकसान को कम किया जाए। इसके निम्नलिखित तरीके हैं :
(i) भूकंप नियंत्रण केंद्रों की स्थापना, जिससे भूकंप संभावित क्षेत्रों में लोगों को सूचना पहुँचाई जा सके। GPS (Geographical Positioning System) की मदद से प्लेट हलचल का पता लगाया जा सकता है।
(ii) देश में भूकंप संभावित क्षेत्रों का सुभेद्यता मानचित्र तैयार करना और संभावित जोखिम की सूचना लोगों तक पहुँचाना तथा उन्हें इसके प्रभाव को कम करने के बारे में शिक्षित करना।।
(iii) भूकंप प्रभावित क्षेत्रों में घरों के प्रकार और भवन डिज़ाइन में सुधार लाना। ऐसे क्षेत्रों में ऊँची इमारतें, बड़े औद्योगिक संस्थान और शहरीकरण को बढ़ावा न देना।
(iv) अंततः भूकंप प्रभावित क्षेत्रों में भूकंप प्रतिरोधी (resistant) इमारतें बनाना और सुभेद्य क्षेत्रों में हल्के निर्माण सामग्री का इस्तेमाल करना।
भूकंप और मनोबल में संबंध
भूकंप की स्थिति में सबसे अधिक काम आता है व्यक्ति का स्वयं का मनोबल। हमें सुख की भाँति दु:ख लिए भी समान रूप से तैयार रहना चाहिए। सुख और आनन्द की भाँति आपदाएँ, विपदाएँ भी आएँगी परन्तु जो बहादुर हैं, उनका धैर्यपूर्वक मुक़ाबला करते हैं, जीवन का आनन्द बार-बार उनका स्वागत करता है। जो कमज़ोर हैं, धैर्य नहीं रखते हैं, भूकंप के एक-दो झटकों में ही उनकी हृदयगति रुक जाती है।
जिससे आगे का दृश्य झेलने और देखने का न उनमें साहस होता है, न ही उन्हें अवसर मिलता है। कठिन समय में ही व्यक्ति के धैर्य की परीक्षा होती है। ऐसे समय का जो बहादुरी से सामना कर गए वे जी गए। जीवन जीने के लिए है और यह सिर्फ बहादुरों के लिए है।
Frequently Asked Questions (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल)
उत्तर: L तिरंगे
उत्तर: सुनामी
उत्तर: भूकंप की तीव्रता
उत्तर: भूकंपीय तरंगों को
उत्तर: भूकंप
उत्तर: टेकटोनिज्म
उत्तर: सीस्मोलॉजी
उत्तर: जॉन मिल
उत्तर: 0 से 10
उत्तर: मरकैली मापनी (Mercalli Scale)
उत्तर: P (प्राथमिक या अनुदैर्ध्य तरंग)
उपसंहार (Conclusion)
दोस्तों मुझे आशा है कि आपको हमारा लेख भूकंप पर निबंध (Essay on Earthquake in Hindi) पढ़ कर अच्छा लगा होगा और आपके सभी प्रश्नों के उत्तर मिल गए होगें।
यदि आपको यह लेख अच्छा लगा हो इससे आपको कुछ सीखने को मिला हो तो आप अपनी प्रसन्नता और उत्सुकता को दर्शाने के लिए कृपया इस पोस्ट को Social Networks जैसे कि Facebook , Google+, Twitter इत्यादि पर Share कीजिए।
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Essay on Earthquake in Hindi : भूकंप आने का कारण और इस से बचाव के उपाय
- By Aryavi Team
- 11 Min Read
भूकंप पृथ्वी की सतह पर ज़मीन के हिलने, विस्थापन और व्यवधान पैदा करके प्रकट होते हैं। ऐसे मामलों में जहां एक बड़े भूकंप का केंद्र तट से दूर होता है, यह सुनामी को ट्रिगर करने के लिए समुद्र तल को पर्याप्त रूप से विस्थापित कर सकता है। इसके अतिरिक्त, भूकंप में भूस्खलन को प्रेरित करने की क्षमता होती है जिससे उनका विनाशकारी प्रभाव बढ़ जाता है।
भूकंप मुख्य रूप से भूवैज्ञानिक दोष के टूटने (geological fault ruptures) का परिणाम होते हैं, लेकिन वे ज्वालामुखी गतिविधि, भूस्खलन, खनन विस्फोट और यहां तक कि परमाणु परीक्षणों से भी उत्पन्न हो सकते हैं। प्रारंभिक विच्छेदन के बिंदु को हाइपोसेंटर (hypocenter) या फोकस के रूप में जाना जाता है, जबकि अधिकेंद्र (epicenter) पृथ्वी की सतह पर सीधे हाइपोसेंटर के ऊपर का बिंदु है। अपने व्यापक अर्थ में, "भूकंप" शब्द किसी भी भूकंपीय घटना को शामिल करता है, चाहे वह प्राकृतिक हो या मानव-प्रेरित, जो भूकंपीय तरंगें (seismic waves) उत्पन्न करती है, जो हमारे ग्रह पर इन शक्तिशाली भूवैज्ञानिक घटनाओं के गहरे और विविध प्रभावों को उजागर करती है।
भूकंप के प्रमुख उदाहरण (Major Examples of Earthquake)
चीन में 1556 का शानक्सी (Shaanxi) भूकंप इतिहास के सबसे विनाशकारी भूकंपों में से एक है, जिसमें 830,000 से अधिक लोगों की जान चली गई। इस विनाशकारी घटना ने मुख्य रूप से याओडोंग (yaodongs) के नाम से जाने वाले आवासों को प्रभावित किया, जो लोएस पहाड़ियों में थे, जिसके परिणामस्वरूप संरचनात्मक पतन के कारण कई मौतें हुईं। 20वीं सदी में, चीन में 1976 का तांगशान भूकंप सबसे घातक साबित हुआ, जिससे 240,000 से 655,000 लोगों की जान चली गई। रिकॉर्ड किया गया सबसे बड़ा भूकंप, जिसकी तीव्रता 9.5 थी, 1960 में चिली (Chile) में आया था, जिससे अगले सबसे शक्तिशाली भूकंप की तुलना में दोगुनी ऊर्जा निकली। जबकि मेगाथ्रस्ट भूकंप तीव्रता के मामले में शीर्ष दस में हावी हैं, 2004 का हिंद महासागर भूकंप अद्वितीय है क्योंकि यह बड़े पैमाने पर और सबसे घातक में से एक है, जो अक्सर आने वाली सुनामी के कारण होता है। उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में आम तौर पर घनी आबादी वाले क्षेत्र या समुद्र तट शामिल होते हैं, जहां भूकंप और सुनामी महत्वपूर्ण खतरे पैदा करते हैं, जो अक्सर कमजोर, गरीब क्षेत्रों में भूकंपीय भवन कोड के खराब प्रवर्तन के कारण बढ़ जाते हैं।
भूकंप के कारण (Causes of Earthquake in Hindi)
भूकंप पृथ्वी की पपड़ी (Earth's crust) के भीतर अचानक टेक्टोनिक गतिविधि का परिणाम है, जो मुख्य रूप से टेक्टोनिक प्लेटों की गतिविधियों से प्रेरित होता है। पृथ्वी की पपड़ी इन विशाल प्लेटों में विभाजित है, जो धीरे-धीरे उनके नीचे अर्ध-तरल एस्थेनोस्फीयर (semi-fluid asthenosphere) के ऊपर सरकती हैं। जब ये प्लेटें परस्पर क्रिया करती हैं, अभिसरण (convergent), अपसारी (divergent) या परिवर्तित सीमाएँ (transform boundaries) बनाती हैं, तो भूकंपीय घटनाएँ घटित हो सकती हैं।
सबसे विनाशकारी भूकंप अक्सर अभिसरण सीमाओं पर होते हैं जहां प्लेटें एक-दूसरे से टकराती हैं या फिसलती हैं। यह अंतःक्रिया प्लेट के किनारों पर अत्यधिक दबाव और घर्षण पैदा करती है। जैसे-जैसे तनाव बढ़ता है, इन सीमाओं पर चट्टानें अंततः टूट जाती हैं और खिसक जाती हैं, जिससे संग्रहित ऊर्जा अचानक बाहर निकल जाती है, जो भूकंपीय तरंगों के रूप में प्रकट होती है, जिससे भूकंप आता है।
टेक्टोनिक गतिविधियों के अलावा, अन्य भूवैज्ञानिक गतिविधियाँ भी भूकंप को ट्रिगर कर सकती हैं। उदाहरण के लिए, ज्वालामुखीय गतिविधि भूकंप को प्रेरित कर सकती है जब मैग्मा बढ़ने से चट्टानों के आसपास दरारें पड़ जाती हैं। इन विक्षोभों (disturbances) के परिणामस्वरूप कंपन उत्पन्न होता है जो सभी दिशाओं में फैलता है और जमीन को हिला देता है। भूकंपमापी इन भूकंपीय तरंगों का पता लगाते हैं।
यह समझना महत्वपूर्ण है कि भूकंप मूल रूप से तनाव संचय (stress accumulation) और उसके बाद शॉकवेव्स के रूप में ऊर्जा के निकलने से उत्पन्न होते हैं। भूकंप की तीव्रता इस प्रक्रिया के दौरान निकलने वाली ऊर्जा की मात्रा से संबंधित होती है, जिससे यह उनके प्रभाव का आकलन करने में एक महत्वपूर्ण पैरामीटर बन जाता है।
भूकंप के प्रभाव (Effects of Earthquake)
भूकंप के प्रभाव व्यापक और विनाशकारी हो सकते हैं, जिसमें प्राकृतिक और निर्मित पर्यावरण के विभिन्न पहलुओं के साथ-साथ मानवीय प्रभाव भी शामिल हैं:
1. कंपन और ज़मीन का टूटना: भूकंप का प्राथमिक प्रभाव ज़मीन का हिलना होता है। इस झटके की गंभीरता भूकंप की तीव्रता, भूकंप के केंद्र से निकटता और स्थानीय भूवैज्ञानिक स्थितियों जैसे कारकों पर निर्भर करती है।
2. मिट्टी का द्रवीकरण: भूकंप के दौरान, जल-संतृप्त दानेदार सामग्री (water-saturated granular material), जैसे रेत, अस्थायी रूप से अपनी ताकत खो सकती है और तरल में बदल सकती है। यह घटना, जिसे मृदा द्रवीकरण (soil liquefaction) के रूप में जाना जाता है, इमारतों और संरचनाओं के झुकने या द्रवीकृत जमाव में डूबने का कारण बन सकती है।
3. मानवीय प्रभाव: भूकंप से चोटें और जीवन की हानि हो सकती है, विशेषकर घनी आबादी वाले या खराब निर्माण वाले क्षेत्रों में। सड़कें, पुल, सार्वजनिक परिवहन नेटवर्क, पानी और बिजली आपूर्ति प्रणालियाँ और संचार नेटवर्क सहित महत्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे क्षतिग्रस्त या बाधित हो सकते हैं। अस्पताल, पुलिस और अग्निशमन सेवाएँ भी प्रभावित हो सकती हैं, जिससे आपातकालीन प्रतिक्रिया प्रयासों में बाधा आ सकती है।
4. संपत्ति की क्षति: इमारतें और संरचनाएं ढह सकती हैं या अस्थिर हो सकती हैं, जिससे संपत्ति की क्षति हो सकती है। इस तरह की क्षति के आर्थिक परिणाम महत्वपूर्ण हो सकते हैं।
5. भूस्खलन: भूकंप ढलान में अस्थिरता पैदा कर सकता है, जिससे भूस्खलन हो सकता है, जो अतिरिक्त खतरे पैदा करता है और बचाव और पुनर्प्राप्ति प्रयासों (recovery efforts) में बाधा उत्पन्न कर सकता है।
6. आग: विद्युत शक्ति और गैस लाइनों को नुकसान के परिणामस्वरूप आग लग सकती है जिसे नियंत्रित करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है, जिससे संभावित रूप से भूकंप से भी अधिक विनाश और जीवन की हानि हो सकती है।
7. सुनामी: पानी के नीचे के भूकंप सुनामी उत्पन्न कर सकते हैं - बड़ी, विनाशकारी समुद्री लहरें जो तटीय क्षेत्रों में बाढ़ ला सकती हैं, जिससे व्यापक क्षति और जीवन की हानि हो सकती है। सुनामी खुले समुद्र में विशाल दूरी तक यात्रा कर सकती है।
8. बाढ़: यदि बांध क्षतिग्रस्त हो जाते हैं या भूस्खलन से नदियाँ बाधित हो जाती हैं, तो भूकंप अप्रत्यक्ष रूप से बाढ़ का कारण बन सकता है, जिससे बांध विफल हो जाते हैं और बाद में बाढ़ आती है।
भूकंप प्रबंधन (Management of Earthquake)
भूकंप प्रबंधन में तीन प्रमुख पहलू शामिल हैं: भविष्यवाणी (prediction), पूर्वानुमान (forecasting) और तैयारी (preparedness), जिसका लक्ष्य समाज पर भूकंपीय घटनाओं के प्रभाव को कम करना है।
भविष्यवाणी, सबसे चुनौतीपूर्ण पहलू, भविष्य में आने वाले भूकंपों का सटीक समय, स्थान और तीव्रता निर्दिष्ट करना चाहता है। भूकंप विज्ञान में व्यापक शोध के बावजूद, सटीक भविष्यवाणियाँ मायावी बनी हुई हैं। जबकि वैज्ञानिक उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों की पहचान कर सकते हैं, किसी विशिष्ट दिन या महीने में भूकंप की घटना को इंगित (pinpointing) करना वर्तमान क्षमताओं से परे है।
दूसरी ओर, पूर्वानुमान, सामान्य भूकंप के खतरों का संभावित रूप से आकलन करने पर केंद्रित है। इसमें किसी विशेष क्षेत्र में विस्तारित अवधि, जैसे कि वर्षों या दशकों में विनाशकारी भूकंपों की आवृत्ति और तीव्रता का अनुमान लगाना शामिल है। अच्छी तरह से समझी गई फॉल्ट लाइनों के लिए, निकट भविष्य में टूटने की संभावना का अनुमान लगाना संभव है।
भूकंप के खतरों को कम करने के लिए, जमीन हिलने से पहले क्षेत्रीय सूचनाएं प्रदान करने के लिए चेतावनी प्रणालियाँ विकसित की गई हैं। ये सिस्टम लोगों को आश्रय पाने के लिए एक संक्षिप्त विंडो (brief window) प्रदान करते हैं, जिससे चोटों और मृत्यु की संभावना कम हो जाती है।
भूकंपीय ताकतों का सामना करने के लिए संरचनाओं को डिजाइन करके भूकंप इंजीनियरिंग तैयारियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। मौजूदा इमारतों में भूकंप प्रतिरोध में सुधार के लिए भूकंपीय रेट्रोफिटिंग (seismic retrofitting) की जा सकती है।
आपातकालीन प्रबंधन रणनीतियाँ, चाहे वे सरकारों या संगठनों द्वारा लागू की गई हों का उद्देश्य जोखिमों को कम करना और परिणामों के लिए तैयार रहना है। इन रणनीतियों में आपदा प्रतिक्रिया योजना, निकासी मार्ग और विभिन्न एजेंसियों के बीच समन्वय (coordination) शामिल है।
भवन की कमजोरियों का आकलन करने और एहतियाती उपायों की योजना बनाने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial intelligence) का तेजी से उपयोग किया जा रहा है। इगोर (Igor) जैसी प्रणालियाँ चिनाई वाली इमारतों के लिए भूकंपीय मूल्यांकन और रेट्रोफिटिंग योजना में सहायता करती हैं।
व्यक्तिगत स्तर पर, लोग भूकंप की तैयारी के लिए कदम उठा सकते हैं। इसमें भारी वस्तुओं को सुरक्षित करना, उपयोगिता शटऑफ का पता लगाना (locating utility shutoffs) और भूकंप के दौरान प्रतिक्रिया करने का तरीका जानना शामिल है।
संक्षेप में, भूकंप प्रबंधन में भूकंपीय घटनाओं की भविष्यवाणी और पूर्वानुमान से लेकर इंजीनियरिंग संरचनाओं और तैयारी उपायों को लागू करने तक एक बहुआयामी दृष्टिकोण शामिल है। इन प्रयासों को एकीकृत करके, समुदाय भूकंप के प्रभाव को कम कर सकते हैं ।
सिस्मोग्राफ से क्या मापा जाता है (What is Measured by Seismograph)
भूकंप के दौरान, भूकंपीय तरंगें (seismic waves) पृथ्वी के माध्यम से फैलती हैं, और भूकंपमापी माप (seismographs) के लिए आवश्यक उपकरण के रूप में काम करते हैं। ये उपकरण सीस्मोग्राम (seismograms) उत्पन्न करते हैं, जो भूकंपीय तरंगों से प्रेरित जमीन की गति का डिजिटल ग्राफिकल प्रतिनिधित्व हैं। भूकंपमापी का एक वैश्विक नेटवर्क भूकंपीय घटनाओं के दौरान इन तरंगों की तीव्रता और अवधि का व्यवस्थित रूप से पता लगाता है और उनका आकलन करता है। परिणामी भूकंपीय डेटा वैज्ञानिकों को भूकंपों का विश्लेषण और लक्षण वर्णन करने में मदद करता है, उनके परिमाण और व्यवहार में महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि प्रदान करता है, अंततः पृथ्वी की गतिशील प्रक्रियाओं की हमारी समझ में योगदान देता है।
भूकम्प आने पर क्या करना चाहिए (What to do When an Earthquake Occurs)
भूकंप के समय आपकी सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण होती है:
Indoor- अंदर ही रहें, मजबूत फर्नीचर जैसे मेज या टेबल के नीचे जाएं और इसे पकड़ कर रहें (ढ़क जाएं, और पकड़ लें !). खिड़कियों, भारी फर्नीचर या उपकरणों से दूर रहें। रसोई से बाहर निकलें, क्योंकि यह एक खतरनाक स्थान हो सकता है (चीजें आपके ऊपर गिर सकती हैं)। जब भी इमारत झूल रही है या जोखिम है कि आप गिर सकते हैं या गिरी हुई चीजों से चोट आ सकती है, तब भी भागने की कोशिश न करें।
Outdoor- खुद को इमारतों, बिजली की तारों, चिमनीओं, और किसी और चीज से दूर खड़ा कर लें, जो आप पर गिर सकती है।
Car Driving- ध्यानपूर्वक रुक जाएं, लेकिन सावधानी से। अपनी कार को संभवत: सड़क के किनारे में खींचें, पुल या ओवरपास के नीचे या पेड़ों, बिजली की तारों, या साइनों के नीचे न रुकें। भूकम्प के थमने तक अपनी कार में ही बैठे रहें। जब शांति हो जाए, तो सावधानी से ड्राइव करने जारी रखें, सड़क पर टूटी हुई सड़क, गिरी हुई चट्टानों से दूर रहें।
On Hills- गिरने वाले पत्थर, भूस्खलन, पेड़, और अन्य सामग्री से सावधान रहें, जो भूकम्प द्वारा ढलाने (slope) या ढलाने की संभावना हो सकती है, और सुरक्षा के उपायों का पालन करें।
भूकंप प्राकृतिक भूवैज्ञानिक घटनाएँ हैं जो पृथ्वी की पपड़ी के भीतर ऊर्जा की रिहाई (release) के परिणामस्वरूप होती हैं, जिससे भूकंपीय तरंगों का प्रसार होता है। ये घटनाएँ परिमाण में बहुत भिन्न हो सकती हैं और विशेष रूप से घनी आबादी वाले या खराब तैयारी वाले क्षेत्रों में महत्वपूर्ण तबाही, जीवन की हानि और आर्थिक क्षति का कारण बन सकती हैं। भूकंप, भूकंप विज्ञान का अध्ययन, उनके कारणों को समझने, उनकी घटना की भविष्यवाणी करने और शमन और तैयारियों के लिए रणनीति विकसित करने के लिए महत्वपूर्ण है। भूकंप की तैयारी के उपाय, जैसे भूकंप प्रतिरोधी संरचनाएं बनाना और प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली लागू करना, इन शक्तिशाली प्राकृतिक आपदाओं के प्रभाव को कम करने और मानव जीवन और बुनियादी ढांचे की सुरक्षा के लिए आवश्यक हैं।
1. भूकंप का कारण क्या है?
भूकंप मुख्य रूप से पृथ्वी की पपड़ी में ऊर्जा की अचानक रिहाई के कारण होते हैं, जो अक्सर दोषों के साथ टेक्टोनिक प्लेटों की गति के कारण होता है।
2. भूकंप कैसे मापे जाते हैं?
भूकंपों को सीस्मोमीटर नामक उपकरणों का उपयोग करके मापा जाता है, जो जमीन की गति को रिकॉर्ड करते हैं और एक सीस्मोग्राम उत्पन्न करते हैं। भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल या आघूर्ण परिमाण स्केल (मेगावाट) जैसे पैमानों का उपयोग करके निर्धारित की जाती है।
3. क्या भूकंप की सटीक भविष्यवाणी की जा सकती है?
वर्तमान में, भूकंप कब और कहाँ आएगा, इसकी सटीक और विशिष्ट भविष्यवाणी संभव नहीं है। वैज्ञानिक केवल ऐतिहासिक डेटा और भूवैज्ञानिक विश्लेषण के आधार पर कुछ क्षेत्रों में संभावनाओं का अनुमान लगा सकते हैं।
4. भूकंप रेट्रोफिटिंग (earthquake retrofitting) क्या है?
भूकंप रेट्रोफिटिंग में मौजूदा इमारतों और संरचनाओं को भूकंपीय ताकतों के प्रति अधिक प्रतिरोधी बनाने के लिए संशोधित करना शामिल है, जिससे भूकंप के दौरान क्षति का जोखिम कम हो जाता है।
5. क्या भूकंप के परिणामस्वरूप हमेशा सुनामी आती है?
नहीं, सभी भूकंप सुनामी का कारण नहीं बनते। सुनामी आमतौर पर समुद्र के अंदर आने वाले भूकंपों या बड़ी मात्रा में पानी को विस्थापित करने वाले भूकंपों से जुड़ी होती है।
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भूकंप पर निबंध Essay on Earthquake in Hindi
इस लेख में हमने भूकंप पर निबंध (Essay on Earthquake in Hindi) आकर्षक रूप से लिखा है। इस लेख में भूकंप क्या है तथा भूकंप आने के कारण साथ ही भूकंप से बचाव के उपाय सरल रूप में दिया गया है।
Table of Contents
प्रस्तावना (भूकंप पर निबंध Essay on Earthquake in Hindi)
प्रकृति समय-समय पर स्वयं में परिवर्तन करती रहती है। जिसे हम भूकंप, बाढ़ तथा चक्रवात के रूप में देख सकते हैं। भूकंप आने के पीछे मनुष्य का पर्यावरण के तरफ उदासीन भाव भी होता है। आज मनुष्य स्वार्थवश प्रकृति का दोहन कर रहा है।
जब मनुष्य द्वारा या प्राकृतिक रूप से पर्यावरण में व्यतिरेक उत्पन्न होता है तब प्रकृति खुद को अपने मूल स्थिति में लाने के लिए भूकंप का सहारा लेती है।
भूकंप के कारण सजीव और निर्जीव दोनों की हानि होती है लेकिन मानव जाति कुछ ही दिनों में प्रकृति का दोहन फिर से शुरू कर देती है।
आज पर्यावरण दोहन अपने चरम पर है। वैज्ञानिकों ने एक स्वर में कहा है की आज के जितना प्रकृति दोहन पहले कभी नहीं हुआ है। जिसके कारण आज तापमान तेजी से बढ़ रहा है। असमय वर्षा और मौसम का बदलाव तथा भूकंप से बड़ी मात्रा में विनाश हो रहा है।
अगर प्रकृति के दोहन को रोक कर फिर से उसे पहले जैसा नहीं किया गया तो वह समय दूर नहीं जब धरती पर जीवन का नामोनिशान नहीं बचेगा।
भूकंप क्या है? What is Earthquake in Hindi?
जब धरती की प्लेटें आपस में टकराती हैं तब उनमें कंपन्न उत्पन्न होता है जिसे भूकंप कहा जाता है। भूकंप को सबसे घातक प्राकृतिक आपदाओं में से एक माना जाता है।
भूकंप के वक़्त होने वाले कंपन्न से बड़ी मात्रा में धन तथा जान माल का नुकसान होता है जिसकी भरपाई करने में काफी समय गुजर जाता है।
इसकी अधिक तीव्रता के कारण जमीन फट सकती है तथा हिमपर्वत भी पिघल सकते हैं जिसके कारण बाढ़ या सुनामी जैसे हालात भी बन जाते हैं।
भूकंप के चार प्रकार होते हैं। विवर्तनिक, ज्वालामुखी, विस्फ़ोट तथा पतन। विवर्तनिक प्रकार के भूकंप को सामान्य भूकंप कहते हैं। जब भूकंप का कंपन्न अधिक होता है तब उसके कंपन्न से ज्वालामुखी की परते खुल जाती है और ज्वालामुखी जागृत हो जाता है।
कई बार जब भूकंप आने के बाद धरती फट जाती है या किसी जगह से किन्ही गैस या तेल का प्रवाह निकलने लगता है, तो उसे विस्फ़ोटक प्रकार का भूकंप कहते हैं।
जब भूकंप के कारण समुन्द्र अपने स्तर से ऊँचा उठ जाता है और बड़ी-बड़ी लहरे उत्पन्न करने लगता है और सुनामी की शकल में सब कुछ तहस नहस कर देता है तो उसे पतन प्रकार के भूकंप के नाम से जाना जाता है।
भूकंप आने कारण Reasons of Earthquake in Hindi
पृथ्वी के अंदर कई प्रकार के तरल तथा पत्थर की प्लेटें समाई हुई हैं। जब यह प्लेटें टूटती हैं या अपने स्थान से खिसकती हैं, तो अचानक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ जाता है और फलस्वरूप उन दो चट्टानों के टकराने से एक कंपन्न उत्पन्न होता है जिसे भूकंप के नाम से जाना जाता है।
पृथ्वी एक निश्चित गति से सूर्य का चक्कर लगा रही है, साथ ही अपनी धुरी पर भी घूम रही है। लेकिन किन्हीं कारणवश इसकी प्राकृतिक बनावट में व्यतिरेक उत्पन्न होता है तो भूकंप आते हैं।
आज जिस प्रकार पेड़ों की कटाई हो रही है तथा प्रदूषण का स्तर बढ़ रहे हैं। यह सभी भी भूकंप के कारणों में शामिल हैं। पेड़ पौधे पर्यावरण के संतुलन को बनाए रखते हैं। पेड़ों की जड़ें जमीन में समाई होती हैं जिसके कारण जमीन एक दूसरे से जकड़ी होती हैं।
वृक्ष वर्षा चक्र को बनाए रखते हैं जिसके कारण धरती पर अनुकूल समय पर बरसात होती है तथा भूगर्भ की गर्मी कम होती है। इसके कारण इंसान को पीने का पानी धरती के ऊपरी स्तर पर ही मिल जाता है और उसे जमीन को गहरा खोदने की जरूरत नहीं पड़ती।
पर्यावरण प्रदूषण के कारण अम्ल वर्षा तथा ग्लोबल वार्मिंग में बढ़ोतरी हो रही हैं। जिसके कारण पेड़ पौधों तथा जमीन को नुकसान हो रहा हैं। यह सभी कारण हैं जिससे भूकंप आते हैं।
भूकंप के प्रभाव Impact of Earthquake in Hindi
मानव जीवन के लिए भूकंप अथवा कोई भी प्राकृतिक आपदाएं हानिकारक ही साबित होती हैं। भूकंप के प्रभाव से पशु पक्षी तथा इंसान कोई भी नहीं बच पाता।
भूकंप को रिक्टर स्केल के मापक पर मापा जाता है और 4 से ज्यादा रिक्टर स्केल के भूकंप को बहुत ही ज्यादा हानिकारक माना जाता है।
भूकंप के प्रभाव से बड़े-बड़े पेड़ अपनी जड़े खो देते हैं, ज्वालामुखी सक्रिय हो जाते हैं और धन का एक बड़े भाग का यूं ही नाश हो जाता है, जिसमें बड़ी बड़ी बिल्डिंगें, रेलवे ट्रैक, रोड तथा सांस्कृतिक विरासत भी शामिल हैं।
जापान में भूकंप की मात्रा बेहद अधिक होती हैं। जापान पूरी दुनिया का एकमात्र ऐसा देश है जहां पर एक भी प्राकृतिक नदियां नहीं है और जिसने भूकंप बाढ़ सुनामी से सबसे अधिक नुकसान झेला है। जापान में पांच रिक्टर स्केल के भूकंप को बेहद सामान्य माना जाता है।
इतिहास का सबसे खतरनाक भूकंप सन 1935 क्वेटा में आए भूकंप को माना जाता है। क्वेटा जैसे शहर की सुंदरता एक रात में नष्ट हो गई थी।
जिस स्थान को प्रवासियों के लिए स्वर्ग माना जाता था उस पर एक रात में कब्रिस्तान बनने का कलंक लग गया था। हजारों लाखों लोग नींद में ही काल के ग्रास बन गए थे और लाखों लोग घर से बेघर हो गए थे।
भूकंप से बचाव के उपाय (प्रबंधन) Earthquake Prevention Measures in Hindi
आधुनिक विज्ञान ऐसी कोई मशीन नहीं बना पाया है जिससे आने वाले भूकंप की जानकारी पहले से हो सके। लेकिन ऐसे कई बचाव के उपाय पुरानी किताबों में पाए गए हैं जिनसे बचाव मुमकिन हो सकता है। भूकंप से बचाव के रूप में सबसे पहला कदम मनुष्य का पर्यावरण के प्रति जिम्मेदार होना है।
आज हम प्रकृति के प्रति बिल्कुल भी सचेत नहीं है। इंसानी मस्तिष्क ने ऐसी मशीनें वह हथियार बनाए हैं जिससे प्रकृति का सीधे नाश होता है। अगर प्रकृति के प्रकोप से बचना है तो ऐसी मशीनों को नष्ट करना होगा।
उदाहरण के तौर पर एयर कंडीशनर में से निकलती गैस CFC क्लोरोफ्लोरोकार्बन गैस को लिया जा सकता है। क्लोरोफ्लोरोकार्बन गैस का एक अणु ओजोन स्तर के एक लाख परमाणुओं का नाश करता है।
भूकंप से बचाव के लिए हमें वन संरक्षण को बढ़ाना होगा तथा वृक्षारोपण में तेजी लानी होगी। युद्ध के स्थान पर बातचीत को तवज्जो देना होगा क्योंकि पर्यावरण को सबसे अधिक नुकसान हथियारों के प्रयोग से होता है।
निष्कर्ष Conclusion
इस लेख में अपने भूकंप पर निबंध (Essay on Earthquake in Hindi) बड़ा आशा ही आलेख आपको सरल तथा जानकारी से भरपूर लगा होगा। अगर यह लेख आपको पसंद आया हो तो इसे शेयर जरूर करें।
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भूकंप के कारण और प्रभाव (Earthquake: Causes and Effects)
- भूकंप पृथ्वी की सतह का हिलना है, जिसके परिणामस्वरूप पृ थ्वी के स्थलमंडल में ऊर्जा की अचानक रिहाई होती है जो भूकंपीय तरंगें पैदा करती है ।
- भूकंप पृथ्वी की सतह परत के माध्यम से प्रसारित तरंग गति की ऊर्जा का रूप है।
- यह फॉल्टिंग, वलन, प्लेट मूवमेंट, ज्वालामुखी विस्फोट और बांधों और जलाशयों जैसे मानवजनित कारकों के कारण हो सकता है।
- भूकंप अब तक की सभी प्राकृतिक आपदाओं में सबसे अप्रत्याशित और अत्यधिक विनाशकारी है।
- पृथ्वी की पपड़ी के भीतर कंपन की हल्की तरंगों के कारण होने वाले छोटे भूकंप हर कुछ मिनटों में आते हैं, जबकि बड़े भूकंप आमतौर पर दोषों के साथ होने वाली हलचल के कारण होते हैं , विशेष रूप से घनी आबादी वाले क्षेत्रों में बहुत विनाशकारी हो सकते हैं।
भूकंप के अध्ययन में प्रयुक्त शब्दावली
- भूकंप तीव्रता
- भूकंप की तीव्रता
- रिक्टर पैमाने
- मर्कल्ली पैमाना
- भूकंप का झटका
- भूकंप-सूचक यंत्र
फोकस और उपकेंद्र (Focus and Epicenter)
- पृथ्वी के भीतर वह बिंदु जहां भ्रंश शुरू होता है , फोकस या हाइपोसेंटर है ।
- सतह पर फोकस के ठीक ऊपर का बिंदु भूकंप का केंद्र है । भूकंप की तीव्रता भूकंप के केंद्र पर सबसे अधिक होती है और भूकंप के केंद्र से दूरी के साथ कम होती जाती है।
रिक्टर पैमाने (Richter scale)
- रिक्टर परिमाण पैमाना भूकंप से निकलने वाली ऊर्जा की तीव्रता को मापने का पैमाना है ।
- यह पैमाना चार्ल्स द्वारा तैयार किया गया था। वर्ष 1935 में एफ. रिक्टर ।
- परिमाण दर्शाने वाली संख्या 0 से 9 के बीच होती है
- एक भूकंप जो रिक्टर पैमाने पर 5.0 दर्ज करता है, उसका कंपन आयाम 4.0 दर्ज किए गए भूकंप की तुलना में 10 गुना अधिक होता है, और इस प्रकार कम तीव्रता वाले भूकंप से 31.6 गुना अधिक ऊर्जा निकलती है।
मर्कल्ली पैमाने (Mercalli scale)
- मर्कल्ली तीव्रता पैमाना एक भूकंपीय पैमाना है जिसका उपयोग भूकंप की तीव्रता को मापने के लिए किया जाता है।
- यह भूकंप के प्रभावों को मापता है
- तीव्रता दर्शाने वाली संख्या 1 से 12 के बीच होती है
भूकंपीय तरंगे (Seismic Waves)
- भूकंपीय तरंगें पृथ्वी के भीतर चट्टान के अचानक टूटने से उत्पन्न होने वाली ऊर्जा की तरंगें हैं।
- वे वह ऊर्जा हैं जो पृथ्वी के माध्यम से यात्रा करती हैं और भूकंपमापी पर दर्ज की जाती हैं।
- तरंगों के दो मुख्य प्रकार हैं शरीर तरंगें और सतह तरंगें।
शरीर की तरंगें (Body waves)
- प्राथमिक तरंगें (पी-तरंगें)
- द्वितीयक तरंगें (एस-तरंगें)
सतही तरंगें (Surface Waves)
- लव वेव्स (एल-वेव्स)
प्राथमिक तरंगें (अनुदैर्ध्य तरंग) Primary waves (longitudinal wave)
- पहली प्रकार की शारीरिक तरंग पी तरंग या प्राथमिक तरंग है।
- यह सबसे तेज़ प्रकार की भूकंपीय लहर है ।
- पी तरंग गैसीय, ठोस चट्टान और तरल पदार्थ , जैसे पानी या पृथ्वी की तरल परतों से होकर गुजर सकती है।
- यह चट्टान को धकेलता और खींचता है, यह उसी तरह आगे बढ़ता है जैसे ध्वनि तरंगें हवा को धक्का और खींचती हैं।
द्वितीयक तरंगें (अनुप्रस्थ तरंग) (Secondary waves (transverse wave))
- दूसरे प्रकार की शारीरिक तरंग S तरंग या द्वितीयक तरंग है।
- S तरंग, P तरंग की तुलना में धीमी होती है और केवल ठोस चट्टान के माध्यम से ही चल सकती है।
- यह लहर चट्टान को ऊपर-नीचे, या अगल-बगल ले जाती है।
- एस-तरंगें कुछ समय अंतराल के साथ सतह पर आती हैं।
लव तरंगे (Love Waves)
- पहली प्रकार की सतह तरंग को लव वेव कहा जाता है , जिसका नाम ब्रिटिश गणितज्ञ एईएच लव के नाम पर रखा गया है।
- यह सबसे तेज़ सतही तरंग है और ज़मीन को एक तरफ से दूसरी तरफ ले जाती है।
रेले तरंगे (Rayleigh Waves)
- दूसरी प्रकार की सतही तरंग रेले तरंग है, जिसका नाम लॉर्ड रेले के नाम पर रखा गया है।
- रेले लहर ज़मीन पर उसी तरह घूमती है जैसे एक लहर किसी झील या समुद्र पर घूमती है।
- क्योंकि यह लुढ़कता है, यह जमीन को ऊपर-नीचे और अगल-बगल उसी दिशा में घुमाता है जिस दिशा में लहर चल रही है।
- भूकंप से महसूस होने वाले अधिकांश झटके रेले तरंग के कारण होते हैं, जो अन्य तरंगों की तुलना में बहुत बड़ा हो सकता है।
भूकंप की भविष्यवाणी (Earthquake Predicting)
भूकंप का वर्गीकरण (classification of earthquake).
- आइसोस्टेटिक
- मध्यम(0-50 किमी)
- इंटरमीडिएट(50-250 किमी)
- गहरा फोकस (250-700 किमी)
- मध्यम (मृत्यु<50,oo)
- अत्यधिक खतरनाक(51,000-1,00,00)
- सबसे खतरनाक(>1,00,00)
भूकंपों का विश्व वितरण (World Distribution of Earthquakes)
- विश्व में भूकंपों का वितरण ज्वालामुखियों के वितरण से बहुत मेल खाता है।
- सबसे बड़ी भूकंपीयता वाले क्षेत्र सर्कम-प्रशांत क्षेत्र हैं , जिनमें भूकंप का केंद्र और ‘प्रशांत रिंग ऑफ फायर’ के साथ सबसे अधिक घटनाएं होती हैं।
- ऐसा कहा जाता है कि 70% से अधिक भूकंप सर्कम-प्रशांत क्षेत्र में आते हैं।
- अन्य 20% भूकंप एशिया माइनर, हिमालय और उत्तर-पश्चिम चीन के कुछ हिस्सों सहित भूमध्य-हिमालयी बेल्ट में आते हैं।
- शेष प्लेटों के अंदरूनी हिस्सों और फैले हुए रिज केंद्रों पर होते हैं।
भूकंप के कारण (Earthquake Causes)
भूकंप मुख्यतः पृथ्वी की परत के किसी भाग में असंतुलन के कारण आते हैं।
पृथ्वी की पपड़ी में असंतुलन या आइसोस्टैटिक असंतुलन के लिए कई कारण बताए गए हैं।
(a)। प्राकृतिक कारण
- ज्वालामुखी का विस्फोट
- दोषयुक्त एवं मोड़ना
- ऊपर की ओर झुकना और नीचे की ओर झुकना
- पृथ्वी के अन्दर गैसीय विस्तार एवं संकुचन।
- प्लेट मूवमेंट
(b)। मानव निर्मित/मानवजनित कारण
- गहरा भूमिगत खनन
- निर्माण प्रयोजनों के लिए डायनामाइट द्वारा चट्टान को विस्फोटित करना।
- गहरी भूमिगत सुरंग
- परमाणु विस्फोट
- जलाशय प्रेरित भूकंपीयता (आरआईएस) (उदाहरण के लिए कोयना जलाशय में आरआईएस के कारण 1967 में भूकंप आया था)
- जलाशयों और झीलों जैसे मानव निर्मित जल निकायों का हाइड्रोस्टेटिक दबाव।
प्लेट टेक्टोनिक्स ज्वालामुखी और भूकंप की सबसे तार्किक व्याख्या प्रदान करता है।
तीन प्रकार की प्लेट सीमाएँ होती हैं जिनके साथ भूकंप आता है
भारत में भूकंप संभावित क्षेत्र
- प्रतिदिन हल्की तीव्रता का भूकंप आता है। हालाँकि, बड़े पैमाने पर विनाश का कारण बनने वाले तेज़ झटके कम आते हैं। प्लेट सीमाओं के क्षेत्रों में, विशेषकर अभिसरण सीमाओं पर, भूकंप अधिक बार आते हैं।
- भारत में इंडियन प्लेट और यूरेशियन प्लेट के अभिसरण का क्षेत्र भूकंप के प्रति अधिक संवेदनशील है। जैसे हिमालय क्षेत्र.
- भारत का प्रायद्वीपीय भाग एक स्थिर खंड माना जाता है। हालाँकि, कभी-कभी, कुछ भूकंप छोटी प्लेटों के किनारों पर महसूस किए जाते हैं। 1967 का कोयना भूकंप और 1993 का लातूर भूकंप प्रायद्वीपीय क्षेत्रों में आए भूकंप के उदाहरण हैं।
- भारतीय भूकंप विज्ञान के विशेषज्ञों ने भारत को चार भूकंपीय क्षेत्रों जोन-II, जोन-III , जोन-IV और जोन-V में विभाजित किया है । यह देखा जा सकता है कि संपूर्ण हिमालयी क्षेत्र, उत्तर-पूर्व भारत के राज्य, पश्चिमी और उत्तरी पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और गुजरात के कुछ हिस्से उच्चतम और उच्च जोखिम वाली श्रेणियों के क्षेत्र में आते हैं, जिन्हें जोन V कहा जाता है। और चतुर्थ.
- उत्तरी मैदानी इलाकों के शेष हिस्से और पश्चिमी तटीय क्षेत्र मध्यम जोखिम वाले क्षेत्र में आते हैं और प्रायद्वीपीय क्षेत्र का एक बड़ा हिस्सा कम जोखिम वाले क्षेत्र में आता है।
भूकंप के परिणाम
मानव जीवन और संपत्ति को नुकसान.
- पृथ्वी की पपड़ी की ऊर्ध्वाधर और क्षैतिज गति के कारण जमीन की सतह की विकृति मानव प्रतिष्ठानों और संरचनाओं को भारी क्षति और विनाश का कारण बनती है।
- उदाहरण:- 2015 के नेपाल भूकंप का एक शहरी आपदा केस अध्ययन। यह भूकंप 7.8 तीव्रता का था और 8.2 किमी गहरा था। अनियोजित शहरी निर्माण के कारण नेपाल में आए भूकंप में भारी जनहानि हुई; ख़राब डिज़ाइन वाली इमारतें और अवैज्ञानिक रूप से डिज़ाइन की गई संरचनाएँ।
- काठमांडू के शहरी इलाकों में भारी क्षति हुई, 8 हजार लोगों की मौत हो गई और 10 अरब अमेरिकी डॉलर का आर्थिक नुकसान हुआ।
भूस्खलन और हिमस्खलन
- विशेष रूप से पर्वतीय क्षेत्रों में झटके ढलान अस्थिरता और ढलान विफलता का कारण बन सकते हैं, जिससे ढलान से नीचे मलबा गिर सकता है, जिससे भूस्खलन हो सकता है।
- भूकंप के कारण हिमस्खलन के कारण बर्फ का विशाल द्रव्यमान बर्फ से ढकी चोटियों से नीचे गिर सकता है।
- उदाहरण:- 2015 के नेपाल भूकंप के परिणामस्वरूप माउंट एवरेस्ट शिखर पर और उसके आसपास कई हिमस्खलन हुए। 2011 के सिक्किम भूकंप के कारण भूस्खलन हुआ और जीवन और संपत्ति को गंभीर क्षति हुई, विशेषकर सिंगिक और ऊपरी तीस्ता जलविद्युत परियोजनाओं को।
पानी की बाढ़
- भूकंप से बांधों, जलाशयों में विनाशकारी गड़बड़ी हो सकती है और अचानक बाढ़ आ सकती है। भूस्खलन और हिमस्खलन जो नदी के मार्ग को अवरुद्ध कर सकते हैं, जिससे बाढ़ आ सकती है।
- उदाहरण:- 1950 के असम भूकंप ने भारी मलबे के जमा होने के कारण दिहांग नदी में अवरोध पैदा कर दिया, जिससे नदी के ऊपरी हिस्से में अचानक बाढ़ आ गई।
- सुनामी समुद्री बेसिन के विघटन और पानी की विशाल मात्रा के विस्थापन के कारण उत्पन्न होने वाली लहरें हैं। भूकंप की भूकंपीय लहरें समुद्र तल को विस्थापित कर सकती हैं और सुनामी के रूप में ऊंची समुद्री लहरें उत्पन्न कर सकती हैं।
- उदाहरण:- 26 दिसंबर 2004 को हिंद महासागर की सुनामी सुमात्रा के तट पर आए भूकंप के कारण आई थी। ऐसा भारतीय प्लेट के बर्मी प्लेट के नीचे दब जाने के कारण हुआ। इसने हिंद महासागर और उसके आसपास के देशों में लगभग 2.4 लाख लोगों की जान ले ली।
- फुकुशिमा परमाणु दुर्घटना – 2011 में जापान के बड़े तोहोकू भूकंप के परिणामस्वरूप 10 मीटर की सुनामी लहरें उठीं, जो 9 तीव्रता के समुद्र के नीचे भूकंप के कारण हुई थी। इससे रिएक्टरों को ठंडा करने वाले आपातकालीन जनरेटर नष्ट हो गए और परमाणु पिघल गया और रेडियोधर्मी गिरावट आई। फुकुशिमा दाइची दुनिया भर में चिंता का विषय बन गया।
भूकंप प्रबंधन
भूकंप प्रबंधन आपात्कालीन स्थितियों के सभी मानवीय पहलुओं से निपटने के लिए संसाधनों और जिम्मेदारियों का संगठन और प्रबंधन है। इसका उद्देश्य खतरों के हानिकारक प्रभावों को कम करना है। भूकंप प्रबंधन में भूकंप-पूर्व जोखिम में कमी से लेकर भूकंप के बाद पुनर्प्राप्ति तक के चरण शामिल हैं।
- जोखिम की पहचान – कुछ क्षेत्र दूसरों की तुलना में भूकंप के प्रति अधिक संवेदनशील हैं, इसलिए जोखिम की पहचान पहला कदम है।
- इससे आने वाली आपदाओं के प्रभाव को कम करने में मदद मिलेगी।
- उदाहरण: – जापान में भूकंप पूर्व चेतावनी प्रणाली है जो इलेक्ट्रॉनिक संकेतों का उपयोग करती है जो भूकंप तरंगों की तुलना में तेजी से पहुंचते हैं।
- संरचनात्मक समाधान – पिछले भूकंपों से पता चलता है कि 95% से अधिक जानें उन इमारतों के ढहने के कारण हुईं जो भूकंप प्रतिरोधी नहीं थीं। लेकिन, ऐसी भूकंपरोधी इमारतों का निर्माण सामान्य इमारतों की तुलना में अधिक महंगा है। इसलिए, लागत प्रभावी समाधान भारत जैसे देश के लिए एक चुनौती बना हुआ है। भूकंपीय सुदृढ़ीकरण संरचनाओं की प्राथमिकता के माध्यम से किया जा सकता है और इसे लागू करने के लिए, संवेदनशीलता के अनुसार विभिन्न क्षेत्रों के लिए भूकंप खतरा मानचित्र होना महत्वपूर्ण है।
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Earthquake Explained: क्या होता है भूकंप, कैसे आता है... क्या होती है इसकी वजह?
नेपाल में भूकंप आया. भारत और चीन भी हिल गए. इस साल भारत में 948 भूकंप आए. लेकिन क्या आपको पता है कि भूकंप कैसे आता है इसके पीछे की क्या वजह है ये कब आता है, क्यों आता है. ये है क्या बला इससे क्या नुकसान होता है. ये कितनी ताकतवर हो सकता है..
ऋचीक मिश्रा
- 09 नवंबर 2022,
- (अपडेटेड 09 नवंबर 2022, 8:37 AM IST)
हमारी पृथ्वी प्रमुख तौर पर चार परतों से बनी है. यानी इनर कोर (Inner Core), आउटर कोर (Outer Core), मैंटल (Mantle) और क्रस्ट (Crust). क्रस्ट सबसे ऊपरी परत होती है. इसके बाद होता है मैंटल. ये दोनों मिलकर बनाते हैं लीथोस्फेयर (Lithosphere). लीथोस्फेयर की मोटाई 50 किलोमीटर है. जो अलग-अलग परतों वाली प्लेटों से मिलकर बनी है. जिसे टेक्टोनिक प्लेट्स (Tectonic Plates) कहते हैं.
धरती के अंदर सात टेक्टोनिक प्लेट्स हैं. ये प्लेट्स लगातार घूमती रहती हैं. जब ये प्लेट आपस में टकराती हैं. रगड़ती हैं. एकदूसरे के ऊपर चढ़ती या उनसे दूर जाती हैं, तब जमीन हिलने लगती है. इसे ही भूकंप कहते हैं. भूकंप को नापने के लिए रिक्टर पैमाने का इस्तेमाल करते हैं. जिसे रिक्टर मैग्नीट्यूड स्केल कहते हैं.
रिक्टर मैग्नीट्यूड स्केल 1 से 9 तक होती है. भूकंप की तीव्रता को उसके केंद्र यानी एपीसेंटर से नापा जाता है. यानी उस केंद्र से निकलने वाली ऊर्जा को इसी स्केल पर मापा जाता है. 1 यानी कम तीव्रता की ऊर्जा निकल रही है. 9 यानी सबसे ज्यादा. बेहद भयावह और तबाही वाली लहर. ये दूर जाते-जाते कमजोर होती जाती हैं. अगर रिक्टर पैमाने पर तीव्रता 7 दिखती है तो उसके आसपास के 40 किलोमीटर के दायरे में तेज झटका होता है.
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3800 साल पहले आया था दुनिया का सबसे भयावह भूकंप
वैज्ञानिकों को मानव इतिहास के अब तक के सबसे बड़े भूकंप के बारे में पता चला है. चिली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डिएगो सालाजार ने इस बारे में रिसर्च किया. इस भयानक भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 9.5 थी. इस भूकंप से 8000 किलोमीटर तक सुनामी आई थी. उस समय धरती पर रह रहे इंसानों 1000 साल तक आसपास के समुद्र तटों को छोड़ना पड़ा था. यह भूकंप 3800 साल पहले आया था. जहां ये आया था, उसे अब उत्तरी चिली कहा जाता है. एक टेक्टोनिक प्लेट के टूटने की वजह से इस इलाके की तटरेखा (Coastline) ऊपर उठ गई थी. भूकंप की वजह से सुनामी की 66 फीट लंबी लहरें उठी थीं.
आधुनिक इतिहास का सबसे बड़ा भूकंप वाल्डिविया में आया था
अब तक, रिकॉर्ड किया गया सबसे बड़ा भूकंप 1960 में आया वाल्डिविया भूकंप (Valdivia earthquake) था. यह 9.4 से 9.6 के बीच की तीव्रता का था. इसने दक्षिणी चिली को हिलाकर रख दिया था. इस भूकंप में 6,000 लोग मारे गए थे. इसकी वजह से प्रशांत महासागर (Pacific Ocean) में बार-बार सुनामी आई. वाल्डिविया भूकंप जिस टेक्टोनिक प्लेट के टूटने से आया, उसकी लंबाई 800 किमी थी.
लगातार चीन की तरफ बढ़ रही है भारतीय टेक्टोनिक प्लेट
इंडियन टेक्टोनिक प्लेट हिमालय से लेकर अंटार्कटिक तक फैली है. यह पाकिस्तान बार्डर को सिर्फ छूती है. भूगोल के हिसाब से यह हिमालय के दक्षिण में है. जबकि यूरेशियन प्लेट हिमालय के उत्तर में है. इंडियन प्लेट उत्तर-पूर्व दिशा में यूरेशियन प्लेट की तरफ यानी चीन की तरफ लगातार बढ़ रही है. अगर ये प्लेट टकराती हैं तो भूकंप का केंद्र भारत में होगा. जिससे बड़ी तबाही होगी.
भूकंप चार प्रकार के होते हैं... जानिए कौन-कौन से
भूकंपों के तीन प्रकार होते हैं. पहला इंड्यूस्ड अर्थक्वेक (Induced Earthquake) यानी ऐसे भूकंप जो इंसानी गतिविधियों की वजह से पैदा होते हैं. जैसे सुरंगों को खोदना, किसी जलस्रोत को भरना या फिर किसी तरह के बड़े भौगोलिक या जियोथर्मल प्रोजेक्ट्स को बनाना. बांधों के निर्माण की वजह से भी भूकंप आते हैं.
दूसरा होता है वॉल्कैनिक अर्थक्वेक (Volcanic Earthquake) यानी वो भूकंप जो किसी ज्वालामुखी के फटने से पहले, फटते समय या फटने के बाद आते हैं. ये भूकंप गर्म लावा के निकलने और सतह के नीचे उनके बहने की वजह से आते हैं. तीसरा होता है कोलैप्स अर्थक्वेक (Collapse Earthquake) यानी छोटे भूकंप के झटके जो जमीन के अंदर मौजूद गुफाओं और सुरंगों के टूटने से बनते हैं. जमीन के अंदर होने वाले छोटे विस्फोटों की वजह से भी ये आते हैं.
चौथा है एक्सप्लोसन अर्थक्वेक (Explosion Earthquake) इस तरह के भूकंप के झटके किसी परमाणु विस्फोट या रासायनिक विस्फोट की वजह से पैदा होते हैं.
भूकंपों के आने से क्या फायदा होता है?
भूकंप से धरती की अंदरूनी संरचना को समझने में वैज्ञानिकों को मदद मिलती है. भूकंपों की वजह से ही ऊंचाई वाले इलाकों का निर्माण होता है. इससे उस इलाके की जलवायु पर पॉजिटिव इफेक्ट पड़ता है. जैसे पर्वत, पठार, घाटियां. इन स्थानों पर वनों का निर्माण होता है. जीवन पनपता है. मिट्टी की उर्वरक क्षमता बढ़ती है. भूकंपों की वजह से ही हमारी दुनिया का ये स्वरूप हमें देखने को मिल रहा है. हालांकि इनकी वजह से जानमाल का नुकसान बहुत होता है.
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भूकंप (earthquake) क्या है? भूकंप कैसे और क्यों आता है, पूरी जानकारी
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हेलो दोस्तों , आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से भूकंप के बारे में जानेंगे, जैसे भूकंप क्या होता है, भूकंप कैसे आता है और भूकंप क्यों आता है, इन सभी सवालों के जवाब आपको इस लेख में विस्तार से मिलेंगे। आपने कभी न कभी भूकंप के झटके महसूस किए होंगे। लेकिन शायद ही आपको पता होगा कि भूकंप क्यों और कैसे आते हैं। अगर आप नहीं जानते कि भुकम्प कैसे आता है और जानना चाहते हैं तो उसके लिए आप इस आर्टिकल को अंत तक पढ़ें। तो आइए अब जानते हैं कि भूकंप क्या कहलाता है?
भूकंप (earthquake) क्या है?
दोस्तों सरल शब्दों में भूकंप पृथ्वी का हिलना है। यह एक प्राकृतिक घटना है। यह ऊर्जा की रिहाई के कारण होता है, जो सभी दिशाओं में यात्रा करने वाली तरंगों को उत्पन्न करता है। भूकंप हर समय आते हैं, पूरी पृथ्वी पर। उन पर ध्यान ही नहीं जाता। बड़े भूकंप बहुत कम बार आते हैं। वे इमारतों, पुलों, बांधों और लोगों को भारी नुकसान पहुंचा सकते हैं। जान-माल का बड़ा नुकसान हो सकता है।
भूकंप बाढ़, भूस्खलन और सुनामी का कारण बन सकते हैं। वह बिंदु जहां से ऊर्जा निकलती है, भूकंप का फोकस कहलाता है, वैकल्पिक रूप से, इसे हाइपोसेंटर कहा जाता है। सतह पर वह बिंदु, जो फोकस के सबसे निकट होता है, उपरिकेंद्र कहलाता है। यह लहरों का अनुभव करने वाला पहला व्यक्ति है। भूकंप मुख्य रूप से उन क्षेत्रों में आते हैं जहां कमजोर चट्टानें पाई जाती हैं। भूकंपीय तरंगों को मापने के लिए ‘भूकंप लेखी’ यंत्र का उपयोग किया जाता है। भूकंप एक ऐसी प्राकृतिक आपदा है जिसका आज तक कोई समाधान नहीं निकला है।
भूकंप (earthquake) क्यों आता है ?
दोस्तों अब हम समझते हैं कि भूकंप की उत्पत्ति के कारण क्या होता है तो, भूकंप उत्पन्न होने के कारण निम्नलिखित हैं:
1) ज्वालामुखी विस्फोट: जब पृथ्वी पर ज्वालामुखी फटता है, तो भूकंप आना तय है। ज्वालामुखी के दौरान लावा और मैग्मा इतनी जोर से निकलते हैं कि पूरी पृथ्वी कांप उठती है।
2) पृथ्वी के संतुलन में अव्यवस्था: पृथ्वी पर विभिन्न परतें अपना कार्य करती रहती हैं। इस प्रक्रिया में विभिन्न क्षेत्रों का भार बढ़ता रहता है जिससे पृथ्वी की परतों में कंपन होता है जिससे उस क्षेत्र में भूकंप के झटके आने लगते हैं।
3) जलीय भार: सतह के नीचे की चट्टानें जहाँ झीलें, तालाब, जलाशय आदि हैं, वजन और दबाव के कारण उनमें हेरफेर किया जाता है। यदि यह परिवर्तन अचानक होता है तो भूकंप आते हैं।
4) पृथ्वी की पपड़ी में सिकुड़न: गर्मी की कमी के कारण पृथ्वी की ऊपरी परत सिकुड़ने लगती है। यह सिकुड़न पर्वत निर्माण प्रक्रिया को जन्म देती है। जब यह क्रिया तेज हो जाती है, तो पृथ्वी कंपन करने लगती है।
5) प्लेट विवर्तनिकी: वह भूमि जिस पर महाद्वीप और महासागर स्थित हैं, प्लेट कहलाती है। जब ये प्लेटें आगे बढ़ती हैं तो पृथ्वी कंपन करती है। 26 जनवरी 2001 को भारत के भुज क्षेत्र में आए भूकंप का कारण प्लेट विवर्तनिक गति है। जब 2 गतिमान टेक्टोनिक प्लेट एक दूसरे के ऊपर से खिसकती हैं तो एक बड़ा कंपन होता है। इस प्रकार के भूकंप को टेक्टोनिक भूकंप के रूप में जाना जाता है। टेक्टोनिक भूकंप दुनिया में सबसे अधिक प्रचलित प्रकार के भूकंप हैं। इसका परिमाण छोटा या बड़ा हो सकता है। टेक्टोनिक भूकंपों ने ग्रह के अधिकांश सामूहिक विनाश का कारण बना है। टेक्टोनिक भूकंपों से उत्पन्न होने वाले झटके हमेशा गंभीर होते हैं, और यदि उनकी तीव्रता अधिक है, तो वे पूरे शहर को सेकंडों में नीचे लाने में सक्षम हैं।
भूकंप (earthquake) के विनाशकारी प्रभाव –
1. इमारतों को नुकसान.
उच्च तीव्रता के भूकंप से इमारतें पूरी तरह ढह सकती हैं। इमारतों के ढहने से मलबा भूकंप के दौरान मुख्य खतरा होता है क्योंकि विशाल, भारी वस्तुओं के गिरने का प्रभाव मनुष्यों के लिए घातक हो सकता है। उच्च तीव्रता के भूकंप के कारण शीशे और खिड़कियां टूट जाती हैं, जो मनुष्यों के लिए भी खतरा पैदा करती हैं।
2. बुनियादी ढांचे को नुकसान
भूकंप के कारण बिजली की लाइनें गिर सकती हैं। यह खतरनाक है क्योंकि उजागर हुए तार इंसानों को बिजली का करंट लग सकता है या आग लग सकती है। बड़े भूकंप सड़कों, गैस लाइनों और पानी की पाइपलाइनों के टूटने का कारण बन सकते हैं। टूटी हुई गैस लाइनें गैस को बाहर निकलने का कारण बन सकती हैं। बच निकलने वाली गैस से विस्फोट और आग लग सकती है, जिसे काबू करना मुश्किल हो सकता है।
3. भूस्खलन और चट्टानें
जब भूकंप आता है, तो बड़ी चट्टानें और ऊपर की ओर स्थित पृथ्वी के कुछ हिस्सों को उखाड़ा जा सकता है, फलस्वरूप, घाटियों में तेजी से लुढ़कते हुए। भूस्खलन और चट्टानें नीचे की ओर रहने वाले लोगों के लिए विनाश और मृत्यु का कारण बन सकती हैं।
4. बाढ़ का कारण बन सकता है
उच्च तीव्रता के भूकंप लंबे समय में बांध की दीवारों के टूटने, ढहने के लिए उकसा सकते हैं। इससे आस-पास के क्षेत्रों में उग्र पानी भेजेगा जिससे बड़े पैमाने पर बाढ़ आएगी।
5. भूकंप सुनामी को ट्रिगर कर सकते हैं
एक सुनामी समुद्र के नीचे भूकंप या ज्वालामुखी विस्फोट से लंबे समय तक उच्च समुद्री झटकों की एक श्रृंखला है। एक सुनामी पूरे आसपास के तटीय क्षेत्र की आबादी को मिटा सकती है। एक विशिष्ट उदाहरण मार्च 11, 2011, भूकंप और सूनामी है जिसने जापान के तट पर हमला किया, जिससे 18,000 से अधिक लोग मारे गए।
6. द्रवीकरण की ओर ले जाता है
द्रवीकरण एक ऐसी घटना है जहां मिट्टी संतृप्त हो जाती है और अपनी ताकत खो देती है। जब उच्च जल सामग्री वाले तलछट लगातार कांपते रहते हैं, तो तलछट के छिद्रों में पानी का दबाव धीरे-धीरे बढ़ता है। अंततः, तलछट लगभग सभी एकजुट शक्ति खो देते हैं और तरल पदार्थ की तरह काम करना शुरू कर देते हैं। इस द्रवीभूत मिट्टी के ऊपर बनी इमारतें और अन्य संरचनाएँ उलट जाती हैं या जमीन में धंस जाती हैं। दुनिया भर में होने वाले अधिकांश द्रवीकरण के लिए भूकंप जिम्मेदार हैं। द्रवीकरण घटना का एक विशिष्ट उदाहरण जमैका में 1692 का भूकंप है जिसके परिणामस्वरूप पोर्ट रॉयल शहर की तबाही हुई।
भूकंप कैसे मापा जाता है?
भूकंपों को उनके द्वारा उत्पादित बल या ऊर्जा की मात्रा से मापा जाता है। यह रिक्टर स्केल के जरिए किया जाता है। यह उपकरण कैलिफोर्निया प्रौद्योगिकी संस्थान के चार्ल्स एफ. रिक्टर द्वारा विकसित किया गया था। इस टूल के बारे में आपने कई बार न्यूज या इंटरनेट में सुना या पढ़ा होगा। रिक्टर स्केल भूकंप की तीव्रता की गणना के लिए सिस्मोग्राफ के माध्यम से उत्पन्न जानकारी का उपयोग करता है। भूकंप की तीव्रता से आपको भूकंप के प्रभाव का अंदाजा हो जाता है।
रिक्टर पैमाने पर 7 से ऊपर आने वाले भूकंप ऐसे विनाशकारी प्रभाव के लिए जाने जाते हैं और जीवन और संपत्ति को गंभीर नुकसान पहुंचा सकते हैं। रिक्टर पैमाने पर 3 से नीचे आने वाले भूकंपों को महसूस नहीं किया जा सकता है। 3 से 6 के बीच आने वाले भूकंप हल्के प्रकार के कहे जाते हैं। जापान जैसे देश उच्च भूकंपीय क्षेत्र में आने के कारण भूकंप के प्रति संवेदनशील होते हैं। जब समुद्र में भूकंप आता है, तो यह सुनामी का मार्ग प्रशस्त करता है। सबसे विनाशकारी सुनामी में से एक 26 दिसंबर, 2004 को हिंद महासागर में आई थी।
क्या भूकंप की भविष्यवाणी की जा सकती है?
आज तक वैज्ञानिक भूकंप की भविष्यवाणी नहीं कर पाए हैं। कई आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया गया है, दुर्भाग्य से, उनमें से किसी ने भी काम नहीं किया है। यदि भूकंप की भविष्यवाणी करने के लिए ऐसा कोई टोल बनाया जाता है, तो भविष्य में कई लोगों की जान बचाई जा सकती है। केवल एक चीज जो आप कर सकते हैं वह है भूकंप प्रबंधन के बारे में खुद को शिक्षित करना और आपदाओं के समय सतर्क रहना।
भूकंप की घटना कभी भी हो सकती है और हम इसके लिए और आने वाले खतरे के लिए कभी भी तैयार नहीं होंगे। लेकिन भूकंप की तैयारी के उपायों और जागरूकता के साथ, यह आपको खतरे के समय में ठोस निर्णय लेने में सतर्क और त्वरित बना सकता है।
निष्कर्ष –
दोस्तों उम्मीद करता हूँ आज इस आर्टिकल के माध्यम से आप लोगों को भूकंप क्या होता है, भूकंप कैसे आता है और भूकंप क्यों आता है इनसभी सवालो के बारे में सारी जानकारी मिल गई होग। दोस्तों फिर भी, अगर आप हमसे इस आर्टिकल से जुड़े कुछ सवाल हमसे पूछना चाहते हैं तो नीचे कमेंट करके पूछ सकते हैं हमारी टीम आपका जवाब जरूर देगी , कृपया अपने दोस्तों के साथ जरूर इस आर्टिकल को साझा करे ताकि उनको भी यह जानकारी मिल सके धन्यवाद।
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भूकंप पर निबंध (प्राकृतिक आपदा)
[प्राकृतिक आपदा] भूकंप (Earthquake) पर छोटे व बड़े निबंध [Long & Short essay Writing on Earthquake in Hindi]
[प्राकृतिक आपदा] भूकंप (Earthquake)
पृथ्वी की सतह के हिलने और कांपने को भूकंप के रूप में जाना जाता है। भूकंप को सबसे खतरनाक प्राकृतिक आपदाओं में से एक माना जाता है क्योंकि वे जीवन और संपत्ति को बहुत नुकसान पहुंचाते हैं। भूकम पे निबंध छोटे बच्चो और कॉलेज छात्रों के लिए निबंध प्रस्तुत किया गया है।
#1. [100-150 Words] भूकंप -भूचाल (Bhukamp)
धरती के अचानक हिलने की घटना भूकंप कहलाती है। जब पृथ्वी के आंतरिक गर्म पदार्थों के कारण हलचल उत्पन्न होती है, तो भूकंप की स्थिति उत्पन्न होती है। कभी भूकंप हल्की तो कभी भारी तीव्रता का होता है। कम तीव्रता वाला भूकंप आने पर क्षेत्र-विशेष में धरती केवल हिलती महसूस होती है लेकिन इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं होता। अधिक तीव्रता वाला भूकंप कभी-कभी भारी क्षति पहुँचाता है। कच्चे और कमज़ोर मकान ढह जाते हैं, चल-अचल संपत्ति का भारी नुकसान होता है। सैंकड़ों मनुष्य मकान के मलबे में दबकर मर जाते हैं। हज़ारों घायल हो जाते हैं। लोग बेघर-बार होकर अस्थायी निवास में रहने के लिए विवश होते हैं। परिस्थितियों के सामान्य बनाने में कई महीने या कई वर्ष लग जाते हैं। भूकंप को रोका नहीं जा सकता परंतु सावधानियाँ बरतने से इससे होने वाली क्षति ज़रूर कम की जा सकती है। इससे बचाव के लिए भूकंपरोधी भवनों का निर्माण करना चाहिए। भूकंप आने पर घबराना नहीं चाहिए बल्कि आवश्यक सावधानियाँ बरतनी चाहिए। भूकंप एक प्राकृतिक आपदा है, इसका मिल-जुलकर मुकाबला करना चाहिए।
#2. [400-500 Words] भूकंप पर निबंध-essay on earthquake in Hindi
भूमिका : भूकंप पृथ्वी का अपनी धुरी से हिलकर कम्पन करने की स्थिति को भूकम्प या भूचाल कहा जाता है। कभी-कभी तो यह स्थिति बहुत भयावह हो जाती है। इसके परिणामस्वरूप पृथ्वी के ऊपर स्थित जड़-चेतन हर प्राणी और पदार्थ का या तो विनाश हो जाता है या फिर वह सर्वनाश की-सी स्थिति में पहुंच जाता है। जापान के विषय में तो प्रायः सुना जाता है कि वहां तो अक्सर भूकम्प आकर विनाशलीला प्रस्तुत करते ही रहते हैं। इस कारण लोग वहां लकड़ियों के बने घरों में रहते हैं। इसी प्रकार का एक भयानक भूकम्प बहुत वर्षों पहले अविभाजित भारत के कोटा नामक स्थान पर आया था। उसने शहर के साथ-साथ हजारों घर-परिवारों का नाम तक भी बाकी नहीं रहने दिया था।
अभी कुछ वर्षों पहले गढ़वाल और महाराष्ट्र के कुछ भागों को भूकम्प के दिल दहला देने वाले हादसों का शिकार होना पड़ा था। प्रकृति की यह कैसी लीला है कि वह मानव-शिशुओं के घर-घरौंदों को तथा स्वयं उनको भी कच्ची मिट्टी के खिलौनों की तरह तोड़-मरोड़कर रख देती है। पहले यह भूकम्प गढ़वाल के पहाड़ी इलाकों में आया था, जहां इसने बहुत नुकसान पहुंचाया था। थोड़े दिन पश्चात् महाराष्ट्र के एक भाग में फिर एक भूकम्प आया जिसने वहां सब कुछ मटियामेट कर दिया था। महाराष्ट्र में धरती के जिस भाग पर भूकम्प के राक्षस ने अपने पैर फैला दिए थे वहाँ तो आस-पास के मकानों के खण्डहर बन गए थे। उन मकानों में फंसे लोग कुछ तो काल के असमय ग्रास बन गए थे, कुछ लंगड़े-लूले बन चुके थे। एक दिन बाद समाचार में पढ़ा कि वहां सरकार और गैर-सरकारी स्वयं-सेवी संस्थाओं के स्वयंसेवक दोनों राहत कार्यों में जुटे हुए थे। ये संस्थाएं अपने साधनों के अनुरूप सहृदयता का व्यवहार करती हुई पीड़ितों को वास्तविक राहत पहुंचाने का प्रयास कर रही थीं।
भूकम्प कितना भयानक था यह दूरदर्शन में वहां के दृश्य देखकर अन्दाजा हो गया था। जिन भागों पर भूकम्प का प्रकोप था वहां सब कुछ समाप्त हो चुका था। हल जोतने वाले किसानों के पशु तक नहीं बचे थे। दुधारू पशुओं का अन्त हो चुका था। सैकड़ों लोग मकानों के ढहने और धरती के फटने से मृत्यु को प्राप्त हो गए थे। इस प्रकार हंसता-खेलता संसार वीरान होकर रह जाता है। सब ओर गहरा शून्य तथा मौत का-सा सन्नाटा छा जाता है। कभी-कभी मैं सोचता हूं कि जापान के लोग कैसे रहते होंगे जहां इस प्रकार के भयावह भूकम्प आए दिन आते रहते हैं।
26 जनवरी, 2001 को गुजरात सहित पूरे भारत ने भूकंप का कहर देखा। भुज सहित संपूर्ण गुजरात में भारी जान-माल का नुकसान हुआ। 8 अक्टूबर, 2005 को पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर और उससे सटे भारतीय कश्मीर में दिल दहला देने वाला जो भूकंप आया उसमें जहाँ एक लाख से अधिक लोंग काल के गाल में समा गए, वहीं लाखों लोग घायल हुए। अरबों रुपए की संपत्ति की हानि हुई।
भूकंप वैज्ञानिकों का कहना है कि अभी तक ऐसा कोई उपकरण-यंत्र विकसित नहीं हुआ है, जिससे यह बात पता चल सके कि अमुक-अमुक क्षेत्रों में भूकंप आने वाला है। भूकंप के आते समय ‘रिक्टर स्केल’ पर सिर्फ उसकी क्षमता का ही माप लिया जा सकता है। जापान, पेरू व अमेरिका के कुछ राज्यों में जहां भूकंप के झटके अकसर महसूस किए जाते हैं, वहां के वैज्ञानिकों ने भूकंपरोधी मकानों (Earthquake Resistance) का निर्माण किया है। भारत के भूकम्प प्रमाणित क्षेत्रों में भी ‘भूकंपरोधी’ मकानों के निर्माण की प्रक्रिया शुरू करने के लिए सरकार को कारगर नीति बनानी चाहिए।
#3. [600-700 Words] Bhukamp par nibandh भूकंप निबंध हिंदी में
भूमिका : प्रकृती उस ईशवर की रचना होने के कारण अजय है। मनुष्य आदि काल से प्रकृति की शक्तियों के साथ संघर्ष करता रहा है। उसने अपनी बुद्धि साहस एवं शक्ति के बल पर प्रकृति के अनेक रहस्य का उद्घाटन करने में सफलता प्राप्त की है लेकिन इस प्रकृति की शक्तियों पर पूर्ण अधिकार करने की सामर्थ्य मनुष्य में नहीं है। प्रकृति अनेक रूपो में हमारे सामने आती है। ये कभी अपना कोमल और सुखदायी रूप दिखाती है। तो कभी ऐसा कठोर रूप धारण करती है कि मनुष्य इसके सामने विवश और असहाय हो जाता है। आंधी तूफान, अकाल, अनावृष्टि अतिवृष्टि तथा भूकम्प ऐसे ही प्रकोप है।
भूकम्प क्या है: भूमि के हिलने को भूचाल, भूकंप की संज्ञा दी जाती है। धरती का कोई भी अंग ऐसा नहीं बचा जहां कभी ना कभी भूकंप के झटके ना आए हो, भूकंप के हल्के झटके से तो विशेष हानि नहीं होती है। लेकिन जब कभी जोर के झटके आते हैं तो वे प्रलय कारी दृश्य उपस्थित कर देते हैं। कामायनी के महाकाव्य के रचयिता श्री जयशंकर प्रसाद में प्रकृति का प्रकोप का वर्णन करते हुए लिखा है।
हा – हा – कार हुआ क्रंदनमय कठिन कुलिश होते थे चूर हुए दिगंत वाघेर, भीषण रव बार-बार होता था क्रूर।।
भूकंप का कारण: भूकंप क्यों आते हैं यह एक ऐसा रहस्य है जिसका उद्घाटन आज तक नहीं हो सका वैज्ञानिकों ने प्रकृति को मनुष्य के अनुकूल बनाने का प्रयत्न किया है । वह गर्मी तथा सर्दी में स्वयं को बचाने के लिए वातावरण को अपने अनुकूल बना सकता है। लेकिन भूकंप तथा बाढ़ आदि ऐसे देवी प्रकोप है जिनका समाधान मनुष्य जाति सैकड़ों वर्षों के कठोर प्रयोत्नो के बावजूद भी नहीं कर पाई है।
भूकंप के कारण के विभिन्न मत: भूकम्प को विषय में लोगों के भिन्न-भिन्न मत है, भुगर्भ शास्त्रियों का मत है कि धरती के भीतर तरल पदार्थ है, जब अंदर की गर्मी के कारण तीव्रता से फैलने लगते हैं तो पृथ्वी हिल जाती है। कभी-कभी ज्वालामुखी का फटना भी भूकम्प का कारण बन जाता है। भारत एक धर्म प्रधान देश है, यहां के लोगों का मत है कि जब पृथ्वी के किसी भाग पर अत्याचार और अनाचार बढ़ जाते हैं तो उस भाग में देवी प्रकोप के कारण भूकंप आते है। देहातो में तो यह कथा भी प्रचलित है कि शेषनाग ने पृथ्वी को अपने सिर पर धारण कर रखा है। उसके सात सिर है जब एक सिर पृथ्वी के बोझ के कारण थक जाता है। तो उसे दूसरे सिर पर बदलना है उसकी इस क्रिया से पृथ्वी हिल जाती है। और भूकंप आ जाता है, अर्थशास्त्रियों का तर्क है कि जब पृथ्वी पर जनसंख्या जरूरत से अधिक बढ़ जाती है तब उसे संतुलित करने के लिए भूकम्प उत्पन्न करती हैं।
भूकंप से हानि: भूकंप का कारण कोई भी क्यों ना हो, पर इतना निश्चित है कि यह एक दैवी प्रकोप है जो अधिक विनाश का कारण बनता है यह जान लेवा ही नहीं बनता बल्कि मनुष्य की शताब्दीयो की मेहनत को भी नष्ट कर देता है। बिहार में बड़े विनाशकारी भूकंप देखे हैं हजारों लोग मौत के मुंह में चले गए भूमि में दरारें पड़ गई जिनमें जीवित प्राणी समा गए पृथ्वी के गर्भ से कई प्रकार की विषैली गैस उत्पन्न हूंई जिनमें प्राणियों का दम घुट गया। भूकंप के कारण जो लोग धरती में समा जाते हैं उनके मृत शरीरों को बाहर निकालने के लिए धरती की खुदाई करनी पड़ती है। यातायात के साधन नष्ट हो जाते हैं बड़े-बड़े भवन धराशाई हो जाते हैं लोग बेघर हो जाते हैं धनवान निर्धन बन जाते हैं और निर्धनों को जीने के लाले पड़ जाते हैं।
भूकंप का उल्लेख: सन 1935 में क्वेटा ने भूकंप का प्रलयकारी नृत्य देखा था। भूकंप के तेज झटकों के कारण देखते ही देखते एक सुंदर नगर नष्ट हो गया हजारों स्त्री पुरुष जो रात की सुखद नींद का आनंद ले रहे थे क्षण भर में मौत का ग्रास बन गए। मकान, सड़के ओर व्रक्ष आदि सब नष्ट हो गए सब कुछ बहुत दयनीय हो गया। बहुत से लोग अपंग हो गए। किसी का हाथ टूट गया तो किसी की टॉन्ग, कोई अँधा हो गया तो कोई बहरा। अनेक स्त्रियां विधवा हो गई। बच्चे अनाथ हो गए। भारत देश के गुजरात राज्य में सन 2001 का भूकंप ऐसा रहा कि जिससे हुई बर्बादी अभी तक किसी भी भूकम्प से हुई बर्बादी से अधिक है। आज भी जब उस भूकम्प की करुण कहानी सुनते है।तो ह्रदय कांप उठता है।
भूकंप क्यों आते हैं ? इस संबंध में भिन्न-भिन्न मत प्रचलित हैं। भूगर्भशास्त्रियों की राय है कि पृथ्वी के भीतर की तहों में सभी धातुएँ और पदार्थ आदि तरल रूप में बह रहे हैं। जब वे भीतर की गरमी के कारण अधिक तेजी से बहते और फैलते हैं तो धरती काँप उठती है। कभी-कभी ज्वालामुखी पर्वतों के फटने से भी भूकंप आ जाते हैं। एक अन्य मत यह भी प्रचलित है कि पृथ्वी के भीतर मिट्टी की तहों के बैठने (धसकने) से भी धरती हिल उठती है।
जापान आदि कुछ ऐसे देश है जहां भूकंप की संभावना अधिक रहती है यहां पर मकान पत्थर चुने तथा ईट के ना होकर लकड़ी तथा गत्ते के बनाए जाते हैं। ये साधन भूकम्प के प्रभाव को कम कर सकते हैं पर उसे रोक नहीं सकते है। भूकंप जब भी आता है जान और माल की हानि अवश्य होती है। टर्की में भी एक भीषण भूकंप आया था जिसके परिणाम स्वरूप हजारों मनुष्य दबकर मर गए थे भूकंप के हल्के झटके भी कम भयंकर नही होते उससे भवनों को क्षति पहुंचती है।
उपसंहार : आज का युग विज्ञान का युग कहलाता है। पर विज्ञान देवी प्रकोप के सामने विवश है। भूकम्प के मनुष्य कारण क्षण भर में ही प्रलय का दृश्य उपस्थित हो जाता है। ईश्वर की इच्छा के आगे सब विवश है। मनुष्य को कभी भी अपनी शक्ति और बुद्धि का घमंड नहीं करना चाहिए उसे हमेशा प्रकृति तथा ईश्वर की शक्ति के आगे नतमस्तक रहना चाहिए। ईश्वर की कृपा ही मानव जाति को ऐसे प्रकोप से बचा सकती है।
#4. [800-1000 Words Long essay] प्राकृतिक आपदा भूकंप पर निबंध
प्रस्तावना : मनुष्य अपने स्वार्थ सिद्धि और तरक्की के कारण पर्यावरण को बेहद नुकसान पहुंचा रहा है। पर्यावरण का संतुलन बिगड़ रहा है। इसके कारण कई प्राकृतिक आपदाओं को इसने जन्म दिया है। भूकंप एक भयंकर प्राकृतिक आपदा है। यह एक भीषण संकट है। भूकंप जैसे ही आता है , यह जीव जंतु , मनुष्य सभी की जान ले लेता है। पेड़ पौधे नष्ट हो जाते है। बड़ी बड़ी इमारतें कुछ ही मिनटों में ताश के पत्तों की तरह ढह जाती है। भूमि पर दरार पड़ जाती है। अचानक धरती पर तीव्र गति से कम्पन होती है कि एक ही झटके में सब कुछ नष्ट हो जाता है। कई परिवार भूकंप की इस भयावह आपदा के शिकार हो जाते है। हर तरफ त्र्याही त्र्याही मच जाती है। भूकंप दो अक्षरों -भू + कम्प से बना है। भू मतलब धरती और कम्प का अर्थ है कम्पन। इस प्रकार भूमि यानी धरती पर अचानक आये कम्पन को भूकंप कहते है।
लोग बेघर हो जाते है और इस विनाशकारी आपदा की वजह से घायल हो जाते है। भूकंप के समक्ष मनुष्य की हालत दयनीय और असहाय हो जाती है। अपने चारो तरफ वह विनाश देखने को बेबस हो जाता है। भूकंप , बड़े उन्नत शहरों को खंडहरों में बदल कर रख देता है। मनुष्य ने हर क्षेत्र में प्रगति कर ली मगर भूकंप पर विजय पाने में असफल रहा है। ज़्यादातर भूंकम्प ज्वालामुखी विस्फोटो से आते है। जब ज्वालामुखी विस्फोट होता है , धरती में कम्पन पैदा हो जाता है। भूंकम्प आने पर चट्टानें टूट जाती है। जहाँ पर यह भूकंप आता है , वहां पर बसे गाँव और शहर नष्ट हो जाते है। जान माल की प्रचुर हानि होती है। कई बार दरारे इतनी गहरी पड़ती है कि लोग जिन्दा दफ़न हो जाते है। संचार और यातायात के सभी साधन भूकंप की वजह से नष्ट हो जाते है।
भूकंप पीड़ित जगहों पर कई वर्षो तक खुशहाली लौटती नहीं है। जीवन सामान्य होने में वक़्त लगता है। धरती को कृषि योग्य बनाने के लिए सैंकड़ो सालों से की गयी परिश्रम एक पल में नष्ट हो जाती है। भूकंप की वजह से सागर में भयानक लहरें उठती है जो वहां के क्षेत्रों में बसे लोगो पर कहर बरसाती है। भूकंप के समय समुद्र में तैर रही जहाजों का बचना नामुमकिन हो जाता है।
भारत में गुजरात के भुज में 7.7 तीव्रता से विनाशकारी भूकंप आया था। इस भूकंप में तीस हज़ार से ज़्यादा लोगो की जान चली गयी थी।
चार परतो से मिलकर धरती का निर्माण होता है। क्रस्टल , मेन्टल , इनर कोर , आउटर कोर इन चार परतो के नाम है। जब घरती के अंदर यह टेकटोनिक प्लेट हिलती है भूंकम्प आता है। धरती पर कभी कभार इतना अधिक दबाव पड़ता है कि पहाड़ खिसकने लगते है। टेकटोनिक प्लेट की तरह पहाड़ो , महासागरों की भी विभिन्न प्लेट होती है। भूकंप तब भी आ सकता , जब ऐसी प्लेट्स एक दूसरे के संग टकराती है।
भूकंप आने के कुछ कारण , मनुष्य का परमाणु परीक्षण , अनियमित प्रदूषण खदानों में विस्फोट , गहरे कुएं से तेल प्राप्त करना , जगह -जगह पर बाँध का निर्माण करवाना है । भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल में मापी जाती है। भूकंप को जिस उपकरण से मापा जाता है , उसे सिस्मोमीटर कहा जाता है। अगर दो से तीन तक की रिक्टर स्केल की भूकंप आती है ,तो यह भूकंप इतनी तीव्र नहीं होती है। अगर भूकंप की तीव्रता सात रिक्टर या उससे ज़्यादा होती है , तो भीषण विनाश ले आती है। ऐसे भूकंप में जान माल का बहुत नुकसान होता है।
जिस जगह में जनसंख्या का घनत्व अधिक होती है , वहां भूकंप से भयानक हानि होती है। शहरों में बड़ी इमारते होती है ,वो ढह जाती है जिसमे कई लोग दब कर मर जाते है। जब भूकंप आता है , तो नदियों और समुन्दरो में लहरें बढ़ जाती है। इससे बाढ़ का भय बढ़ जाता है।
अगर अतिरिक्त कम्पन होता है , धरती का बुरी तरीके से फटना शुरू हो जाता है। भूकंप आने पर चारो तरफ तनाव और भय का माहोल उतपन्न हो जाता है। मनुष्य को ऐसे घरो का निर्माण करना चाहिए ,जो भूकंप की चपेट को झेल सके। भूकंप रोधी घर होने चाहिए। जैसी ही लोगो को भूकंप के झटके महसूस होते है , उन्हें अपने मकान से निकलकर , खुले स्थान पर जाना चाहिए। अगर देर हो रही है , तो किसी सख्त फर्नीचर के नीचे छिप जाए । एक बात का ध्यान रखे , भूकंप के समय लिफ्ट का उपयोग बिलकुल ना करे। बिजली की मैन स्विच बंद कर दे। भूकंप की वजह से बड़े बड़े घरो और पाइपलाइनो में भयंकर आग लग सकती है। इससे और अधिक लोगो की जान जा सकती है। कई तरह के बिजली उपकरणों के कारण और अधिक भयंकर हादसा हो सकता है। इसलिए सावधानी बरतनी ज़रूरी है। समुद्र में जब भूकंप आता है ,तो वहां ऊँची लहरों का निर्माण होता है। यह सब विनाश भूकंप की ही देन है।
भूकंप आने से पूर्व मनुष्य को कोई चेतावनी नहीं मिलती है। लोगो को भूकंप के बारे में पहले से कुछ जानकारी नहीं मिलती है। कभी भूकंप की गति कम होती है , लोग इसे भूल जाते है। जब भूकंप अपने चरम सीमा पर होता है , तो गंभीर घाव दे जाता है। भूकंप अचानक दस्तक देती है और सब कुछ तहस नहस कर देती है।
यह सबसे घातक प्राकृतिक आपदा है। इससे लोगो की जिंदगी और संपत्ति सब लूट जाती है। भूकंप की उत्पत्ति जहां होती है , उसे भूकंप केंद्र कहा जाता है। भूकंप जैसे महाविनाश को रोकना असंभव है। मनुष्य को इसके प्रभाव को कैसे कम किया जाए , इस पर विचार करना चाहिए। मनुष्य भूकंप के कष्टों को कम ज़रूर कर सकता है। सामाजिक संस्थाएं ग्रसित जगहों में जाकर पीड़ित लोगो की मदद करती है। सरकार पीड़ित लोगो के पुनः स्थापना के लिए सरकारी अनुदान देती है। राहत कोष जैसी सुविधाएं प्रदान की जाती है। मनुष्यो के औद्योगीकरण और प्रौद्योगिकी क्षेत्र में तीव्र गति की उन्नति ने इन भयानक प्राकृतिक आपदाओं को जन्म दिया है। मनुष्य को इस पर नियंत्रण करना बहुत ज़रूरी है।
#सम्बंधित :- Hindi paragraph, Hindi Essay, हिंदी निबंध।
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1 thought on “भूकंप पर निबंध (प्राकृतिक आपदा)”
Well l think u could have posted 200-300 words limitation too. Coz there situation in which we don’t need much words and of course least words.So for that situation 200-300 words is perfect. I just wanted to make u know about it……..
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भूकंप पर निबंध – Essay on earthquake in Hindi
हेलो दोस्तों, में आज आपके लिए लेकर आया हूँ भूकंप पर निबंध(Short and long essay on earthquake in Hindi). मनुष्य पृथ्वी पर कई प्राकृतिक आपदाओं का सामना करता है. इनमें से भूकंप सबसे घातक है. घातक इसलिए क्योंकि भूकंप ने कई लोगों की जान ले ली है. भूकंप के दौरान मनुष्य अपना सब कुछ खो देता है. आज आप इस लेख में भूकंप का कारण, भूकंप से नुकसान और भी बहुत कुछ भूकंप के बारे में जानेंगे. तो चलिए हमारे मुख्य लेख के ओर बढ़ते हैं जो है भूकंप पर निबंध (Essay on earthquake in Hindi) .
भूकंप पर निबंध – Short essay on earthquake in Hindi
प्रस्तावना .
तूफान और बाढ़ जैसे भूकंप भी एक प्राकृतिक आपदा है. तूफान और बाढ़ से भूकंप ज्यादा खतरनाक होता है. उपग्रह या रडार द्वारा यह पहले से ही ज्ञात हो जाता है कि तूफान होने वाला है. लेकिन उपग्रहों और रडार द्वारा भूकंप होगा या नहीं पता नहीं चल पाता है. इसलिए भूकंप अचानक आता है. लेकिन क्योंकि लोग भूकंप के बारे में कुछ नहीं जान पाते हैं, इसलिए सुरक्षित क्षेत्र में नहीं जा पाते हैं.
भूकंप का कारण
पृथ्वी की सतह को कठिन मूर्तिकला और कठोर चट्टान की आवरण के साथ आवृत होकर रहा है. लेप का ऊपरी हिस्सा ठंडा होता है. लेकिन धरती के अंदर हमेशा आग लगी रहती है. परिणाम बहुत अधिक गैस या भाप सृष्टि हो रहा है और बहुत सी धातु पिघल रही है. यह सब जगह की कमी को देखते हुए, वे पृथ्वी पर आने के इरादे से पृथ्वी को अंदर से धकेल रहे हैं, नतीजतन भूकंप सृष्टि हो रहा है.
भूकंप का भयानक रूप
भूकंप घरों को नष्ट कर देता है. जल स्तर बढ़ जाता है. उदाहरण के लिए, 6 जनवरी, 2001 की सुबह में, गुजरात के कुछ हिस्सों में भूकंप आया था. जिसमें 20,000 से अधिक लोग मारे गए थे और 40,000 से अधिक लोग घायल हुए थे. इस भूकंप ने बहुत सारे जिंदगियों को तबाह कर दिया था.
सरकार और विभिन्न स्वैच्छिक संगठन लोगों को बचाने के लिए काम करते हैं. सेना भी बचाव अभियान में शामिल होते हैं. राहत सहायता भूकंप से न प्रभावित क्षेत्र से आती है. भारत सरकार ने भूकंप प्रभावित क्षेत्रों को सहायता के लिए करोड़ों रुपये प्रदान किए हैं.
दुनिया के किस हिस्से में भूकंप की संभावना है, यह जानने का एक तरीका है; लेकिन कब और कहां भूकंप आएगा यह पता नहीं चल पाता है. तो उस उस क्षेत्र में छोटे और मध्यम आकार के भूकंप से लोगों को बचाने के तरीकों के बारे में सोचना होगा. ऊंची इमारतों की नींव मजबूत रखने की जरूरत है और उस क्षेत्र में जापानी प्रणाली में घर बनाना बेहतर है. जिससे भूकंप से मरने वालों की संख्या में कमी आएगी.
दूसरी ओर, भूकंप मनुष्य पर भगवान का सबसे बड़ा प्रकोप लगता है. क्योंकि इसको रोकने के लिए कोई पूर्व उपाय नहीं है. इसलिए भूकंप से बचने के लिए ईश्वर से प्रार्थना करना ही एकमात्र रास्ता है.
सृष्टि की शुरुआत से ही पृथ्वी पर होने वाली अधिकांश प्राकृतिक आपदाएँ अचानक और अप्रत्याशित. प्राकृतिक आपदाओं जैसे बाढ़, तूफान, आदि से पहले इन सब के संबंध में कुछ पूर्वानुमान लगाना संभव है. लेकिन भूकंप के मामले में, यह संभव नहीं है. इसलिए भूकंप सभी प्राकृतिक आपदाओं में सबसे अचानक और अप्रत्याशित हैं. बेशक, पृथ्वी की सतह के कुछ क्षेत्रों में अक्सर भूकंप आते हैं. इसलिए उस इलाके के लोग भूकंप के डर से हमेशा सतर्क रहते हैं. हालांकि, ज्यादातर जगहों पर, बिना किसी पूर्वानुमान के, बहुत अचानक और अप्रत्याशित भूकंप आता है. और परिणामस्वरूप, कई लोगों की जान चली जाती है.
भूकंप का कारण
आज से लाखों साल पहले पृथ्वी का निर्माण हुआ था. प्रारंभ में यह एक जलता हुआ और गर्म निर्जन ग्रह था. हालाँकि इसकी सतह समय के साथ ठंडी और सख्त हो गई है, फिर भी इसका आंतरिक भाग तरल और अर्ध-तरल है. सतह से पृथ्वी की सतह तक तापमान धीरे-धीरे बढ़ता है. इसलिए, तापमान पृथ्वी की सतह के विभिन्न स्तरों पर भिन्न होता है. कभी-कभी तापमान में एक विशेष अंतर पृथ्वी की सतह के एक निश्चित स्तर पर होता है, जो बदले में पृथ्वी की सतह में गड़बड़ी का कारण बनता है. गड़बड़ी जितनी तीव्र होगी, उसका सतह पर उतना ही अधिक प्रभाव पड़ेगा और सतह कांप उठेगी. सतह का यह कंपन होता है भूकंप. इसके अलावा, सतह का संतुलन बदलना, पृथ्वी की सतह पर दरारें बनने के बाद और भू अभ्यंतर से गैस निकलने के बाद भूकंप आते हैं. कुछ मामलों में, भूकंप मानव गतिविधि के कारण भी होते हैं.
भूकंप से नुकसान
भूकंप के परिणामस्वरूप, जमीन पर गरज होने के साथ कंपन होने लगता है. सतह के ऐसे अशांत अवस्था के परिणामस्वरूप, घर, पेड़ और बिजली का खंभा आदि सभी नष्ट हो जाते हैं. एक पल में, सुंदर पृथ्वी एक खंडहर बन जाती है. भूकंप के कारण कई इंसान और जानवर मर जाते हैं. विनाशकारी भूकंप से बचे लोगों का पुनरुत्थान करना एक बड़ी समस्या के रूप में प्रकट होता है. सार्वजनिक आवास के अलावा, कई कार्यशालाएं, सरकारी भवन, शैक्षणिक संस्थान, मंदिर, चर्च, मस्जिद आदि भी भूकंप से विशेष रूप से प्रभावित होते हैं. इसके अलावा, सड़कें, रेलमार्ग, पोल, बांध, आदि बिखर जाते हैं और नष्ट हो जाते हैं. नतीजतन, परिवहन, संचार, बिजली और पानी की आपूर्ति पूरी तरह से बाधित होता है. बड़े भूकंप के कारण समुद्र के तटीय क्षेत्र में भी कुछ बदलाव होता है. कुछ तटीय क्षेत्र भी जलमग्न हो जाते हैं, या समुद्र का पानी सूखी भूमि बन जाता है.
दुनिया के भूकंप-प्रभावित क्षेत्र
भूकंप पृथ्वी की सतह के अपेक्षाकृत कमजोर क्षेत्रों में होते हैं. इस तथ्य के कारण है कि भूमिगत गड़बड़ी कमजोर क्षेत्र को जल्दी से प्रभावित कर सकती है. प्रशांत महासागर के व्यापक तटीय क्षेत्र, उत्तर और दक्षिण अमेरिकी महाद्वीपों के उत्तर-पश्चिमी हिस्से और दक्षिणी यूरोप में अक्सर भूकंप आते हैं. भारत के हिमालय की तलहटी के तल पर और दक्षिण भारतीय के कुछ हिस्सों को भूकंप संभावित क्षेत्रों के रूप में जाना जाता है.
दुनिया के विभिन्न हिस्सों में भूकंप
सृष्टि की शुरुआत से कई बार भूकंप आए हैं जिसके वजह से जीवित दुनिया जबरदस्त रूप से पीड़ित हुआ है. अब भी हर दो साल के अंतराल पर विभिन्न स्थानों पर भूकंप आते हैं. 1988 से 2001 के बीच दुनिया में छह भूकंप आए हैं. 1950 और 1975 के बीच चार भूकंप आए हैं. भूकंप कहां आएगा, कब आएगा, कोई भी निश्चित रूप से बोल नहीं सकता. चूंकि यह एक प्राकृतिक आपदा है, यह पूरी तरह से प्रकृति पर निर्भर करता है. मनुष्य के लिए इसे नियंत्रित करना असंभव है.
1908 में इटली में आए भयावह भूकंप में एक लाख बीस हजार लोग मारे गए थे. पेरू में 1960 में आए भूकंप में कम से कम 60,000 लोग मारे गए थे. चीन में 1958 में आए भूकंप ने भी हजारों लोगों की जान ले ली थी. 1934 में बिहार में आए भूकंप में 10,000 से अधिक लोग, 1993 में लातूर में आए भूकंप में 9,000 से अधिक लोग, 2001 में गुजरात में आए भूकंप में 20,000 लोग और 2005 में पाकिस्तान के कब्जे वाले भारत में 40,000 लोग मारे गए थे.
भूकंप की तीव्रता
बाढ़ के दौरान बाढ़ के पानी के बहाव के परिणाम, के साथ-साथ तूफानों के दौरान बहने वाली हवा की गति कम होती है, इसी तरह भूकंप की तीव्रता भिन्न भिन्न प्रकार की होती है. भूकंप की तीव्रता मापक यंत्र को रिक्टर स्केल कहा जाता है. कंपन की तीव्रता के अनुसार, रिक्टर स्केल बढ़ना शुरू हो जाता है. भूकंप की तीव्रता की मात्रा जितनी अधिक होती है, क्षति की भयावहता भी उतनी ही अधिक होती है. इस पैमाने का नाम कैलिफोर्निया के एक प्रमुख वैज्ञानिक चार्ल्स रिक्टर के नाम पर रखा गया है. भूकंप की आशंका वाले क्षेत्रों में इस पैमाने का उपयोग करके भूकंप की तीव्रता निर्धारित की जाती है.
सहायता और बचाव कार्य
भूकंप प्रभावित क्षेत्र में कई लोग मारे जाते हैं. यदि मृतकों की लाशों का समय पर दाह संस्कार किया नहीं जाता है, तो वे सड़ जाएंगे और पर्यावरण प्रदूषित हो जाएगा. और बाकी बचे लोगों के बीमार होने का खतरा रहता है. इसी तरह, घायलों को तत्काल उपचार के परिणामस्वरूप, वे ठीक हो जाते हैं. कुछ लोगों को बड़ी मुश्किल से बचाया जाता है. इसलिए इन सभी क्षेत्रों में सेवा और बचाव कार्य आवश्यक है. घायलों और बचे लोगों को उनके जीवन आवश्यक भोजन, पानी, दवाई आदि उपलब्ध कराया जाता है. भूकंप प्रभावित क्षेत्र में, कई घर पूरी तरह या आंशिक रूप से ध्वस्त हो जाते हैं. इसलिए घरों का पुनर्निर्माण और प्रभावित लोगों को स्थानांतरित करना बहुत महत्वपूर्ण है. सरकारी अधिकारी और कई स्वयंसेवक और संगठन इस काम में शामिल होते हैं. भूकंप से प्रभावित क्षेत्र को आर्थिक सहायता भी दिया जाता है.
कैसे सावधान रहें
भूकंप की भविष्यवाणी करना मुश्किल है. फिर भी पृथ्वी पर सबसे अधिक भूकंप वाले क्षेत्रों के लोगों और संबंधित देशों की सरकारों को इस संबंध में अधिक सतर्क रहने की आवश्यकता है. पहले से ही सूखे खाद्य पदार्थ जैसे चूड़ा, चीनी, ब्रेड, बिस्कुट उपलब्ध होने चाहिए. आवास लकड़ी, बांस, पुआल, से बना होना चाहिए. भूकंप होने से हताहतों की संख्या होगा और मौतों की संख्या भी कम होगा.
भूकंप को बर्दाश्त करना अत्यधिक दुर्भाग्य की पहचान है. वैज्ञानिकों ने आधुनिक तकनीक का उपयोग करके भूकंप की भविष्यवाणियों की गणना करने के लिए काम कर रहे हैं. भूकंप एक प्राकृतिक आपदा है. इंसानों के लिए इससे पूरी तरह बच निकलना आसान नहीं है.
आपके लिए :-
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ये था हमारा लेख भूकंप पर निबंध (short and long earthquake essay in Hindi). उम्मीद है कि यह लेख आपको पसंद आया होगा. अगर पसंद आया है तो अपने दोस्तों के साथ शेयर करना न भूलें. मिलते है अगले लेख में. धन्यवाद.
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भूंकप पर निबंध – Essay on Earthquake in Hindi
Essay on Earthquake
भूकंप एक ऐसी प्राकृतिक आपदा है, जो कि जीव-जन्तु, जलवायु, पेड़-पौधे, वनस्पति, पर्यावरण समेत समस्त मानव जीवन के लिए किसी बड़े संकट से कम नहीं है। भूकंप, जब भी आता है, धरती पर इतनी तेज कंपन होता है कि पल-भर में ही सब-कुछ तहस-नहस हो जाता है और तमाम मानव जिंदगियों एक झटके में बर्बाद हो जाती हैं।
अक्सर स्कूल के बच्चों को भूंकप पर निबंध लिखने के लिए कहा जाता है, इसी दिशा में हम अपने इस पोस्ट में आपको भूकंप जैसी विनाशकारी आपदा पर निबंध उपलब्ध करवा रहे हैं, जिसमें भूकंप से संबंधित सभी मुख्य तथ्य शामिल किए गए हैं, इस निबंध को आप अपनी जरुरत के मुताबिक इस्तेमाल कर सकते हैं –
भूकंप, जैसी अत्यंत विध्वंशकारी और भयावह आपदा जब भी आती है, धरती पर इतनी तेज कंपन हो उठता है कि पल भर में ही सब-कुछ नष्ट हो जाता है। भूकंप आने पर न सिर्फ सैकड़ों जिंदगियों का पल भर में विनाश हो जाता है, बल्कि करोड़ों-अरबों रुपए की संपत्ति भी एक ही झटके में मलबे का ढेर बन जाती है।
तेज भूकंप आने पर न जाने कितनी इमारतें ढह जाती हैं, नदियों, जलाशयों में उफान आ जाता हैं, धरती फट जाती है और सुनामी का खतरा बढ़ जाता है, भूकंप को तत्काल प्रभाव से नहीं रोका जा सकता है।
भूकंप क्या है – What is the Earthquake
भूकंप शब्द – दो अक्षरों से मिलकर बना है- भू+कंप अर्थात, भू का अर्थ है भूमि, और कंप का मतलब कंपन से है तो इस तरह भूमि पर कंपन को ही भूकंप कहते हैं।
वहीं अगर भूकंप को परिभाषित किया जाए तो – भूकंप एक अत्यंत विध्वंशकारी प्राकृतिक आपदाओं में से है, जिसमें अचानक से धरती सतह पर तेजी से कंपन होना लगता है, अर्थात धरती बुरी तरह हिलने-डुलने लगती है।
वहीं जब भूकंप की तीव्रता की गति अत्यंत तेज होती है, तो यह उस भयावह स्थिति को उत्पन्न करता है, जिसमें धरती फटने लगती हैं, नदियों, जलाशयों में तेजी से उफान आता है, जिससे भूस्खलन और सुनामी जैसे संकट का खतरा पैदा हो जाता है, और इससे बड़े स्तर पर जान-माल की हानि होती है, और इसके तत्काल प्रभाव पर काबू नहीं पाया जा सकता है।
भूकंप आने के कारण – Causes of Earthquake
प्राकृतिक और मानव निर्मित दोनों कारणों से भूकंप आ सकता है-
भूकंप आने के प्राकृतिक कारण – Natural Causes of Earthquake
क्रस्टल, मेनटल, इनर कोर और आउट कोर इन चार परतों से मिलकर धरती बनी हैं, इन परतों को टेक्टोनिक प्लेट्स कहा जाता है, वहीं जब ये प्लेट्स अपने स्थान से खिसकती हैं अर्थात हिलती-डुलती हैं तो भूकंप की स्थिति पैदा हो जाती है। इसके साथ ही जब धरती की निचली सतह में तरंगें उत्पन्न होती हैं, तो भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदा जन्म लेती हैं
धरती का तापमान बढ़ने से ज्वालामुखी फटते हैं, जिसके कारण भूकंप जैसी विनाशकारी आपदा आती है।
धरती के अंदर की चट्टानों के खिसकने की वजह से भी भूकंप आते हैं, इसलिए धऱती पर दवाब होने की वजह से पहाड़ वाले स्थान पर भूकंप ज्यादा आते हैं।
भूकंप पर वैज्ञानिकों की आधुनिक शोध के तहत प्लेट टेक्टोनिस्क भी भूकंप का कारण हैं, इसके तहत जब पहाड़ों, महासागरों, मरुभूमियों और महाद्धीपों की अलग-अलग प्लेटें होती हैं, जो कि लगातार खिसकती रहती हैं, वहीं ऐसी प्लेटों के आपस में टकराने से या फिर अलग होने पर भी भूंकप आता है।
भूकंप आने के मानव निर्मित कारण – Man-made Causes of Earthquake
- परमाणु परीक्षण।
- नाभिकीय और खदानों के विस्फोट।
- गहरे कुओं से तेल निकालना या फिर किसी तरह का अपशिष्ट या तरल पदार्थ भरना।
- विशाल बांध का निर्माण।
रिक्टर स्केल से मापी जाती है भूकंप की तीव्रता:
रिक्टर स्केल से भूकंप की तीव्रता मापी जाती है। आपको बता दें कि सिसमोमीटर द्धारा रिएक्टर स्केल में मापी गई भूकंप की तीव्रता 2-3 रिएक्टर में आती है, तो इसे सामान्य माना जाता है ,यानि कि इसके तहत हल्के झटकों का एहसास होता है।
इसमें ज्यादा नुकसान नहीं होता है, वहीं जब यह तीव्रता 7 से ज्यादा होती है, तो इस तीव्रता वाले भूकंप, बेहद खतरनाक और विनाशकारी होते हैं और सब-कुछ तहस नहस कर देते हैं।
भूकंप से नुकसान – Effects of Earthquake
- भूकंप से कई जिंदगियां तबाह हो जाती हैं।
- भीड़-भाड़ वाले इलाके में भूकंप से काफी नुकसान होता है, कई बड़ी इमारते पल भर में ढह जाती हैं, वहीं मलबों के नीचे भी कई लोग दब कर मर जाते हैं।
- भूकंप से नदियों, जलाशयों के जल में उफान आ जाता है, जिससे सुनामी और बाढ़ का खतरा बढ़ जाता है।
- अत्याधिक तेज कंपन से धरती फंटना शुरु हो जाती है, अर्थात भूस्खलन की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।
भूकंप आने पर अपनी सुरक्षा कैसे करें:
- भूकंप जैसी भयावह आपदा पर काबू पाना तो मुमकिन नहीं है, लेकिन भूकंप आने पर घबराने की बजाय अगर समझदारी के साथ नीचे लिखी कुछ बातों पर ध्यान दिया जाए तो आप अपना बचाव कर सकते हैं –
- ऐसे मकानों का निर्माण करवाना चाहिए जो कि भूकंप रोधी हों।
- भूकंप के झटकों का एहसास होते ही, तुरंत घर से निकलकर खुले स्थानों पर जाएं, वहीं अगर घर से बाहर निकलने में टाइम लगे तो कमरे के कोने में या फिर किसी मजबूत फर्नीचर के नीचे जाकर छिप जाएं।
- भूकंप के दौरान लिफ्ट का इस्तेमाल बिल्कुल भी न करें।
- घर में उपलब्ध बिजली के सारे उपकरण को बंद कर दें, और बिजली का मेन स्विच बंद कर दें।
- कार चलाते वक्त तुरंत कार से बाहर निकलें।
भूकंप से बचने के उपाय:
भूकंप जैसी भयावह आपदा के प्रभाव को रोका नहीं जा सकता है, लेकिन अगर सही दिशा में प्रयास किए जाएं तो इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है, भूकंप से बचना तो मुमकिन नहीं है, लेकिन अगर पहले से ही कुछ भूकंप मापने वाले यंत्र लगा दिए जाएं तो, पहले से ही भूकंप आने की जानकारी मिल सकेगी, जिससे लोगों को पहले से ही आगाह किया जा सकेगा।
अब तक आए सबसे बड़े भूकंप:
- वाल्डिविया, चिली में 22 मई, 1960 को 9.5 की तीव्रता वाला भयंकर भूकंप आया था, जिसमें चिली समेत न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया, फिलीपींस ने भारी तबाही मचाई थी और लाखों जिंदगियां इस भूंकप से बर्बाद हो गईं थी।
- दक्षिण भारत में 9.2 की तीव्रता वाला भूकंप 26 दिसंबर, साल 2004 में आया था, जिसमें कई हजार लोगों की जान चली गई थी।
- गुजरात के भुज में 26 जनवरी, 2001 में 7.7 की तीव्रता वाला विध्वंशकारी भूकंप आया था, जिसमें करीब 30 हजार से ज्यादा लोगों की जान चली गई थी, और करोड़ों-अरबों रुपए की संपत्ति का नुकसान हुआ था।
- हैती में 12 जनवरी, 2010 में 7 रिएक्टर की तीव्रता वाला भूकंप आया था, जिसमें करीब 1 लाख से ज्यादा लोग मारे गए थे।
भूकंप, जैसी भयावह और विध्वंशकारी आपदा को रोका तो नहीं जा सकता, लेकिन आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल कर इसका पूर्वानुमान लगाकर, इससे प्रभाव को कम जरूर किया जा सकता है।
- Water is Life Essay
- Essay on Water Pollution
- Essay on Science
- Essay on Disaster Management
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1 thought on “भूंकप पर निबंध – Essay on Earthquake in Hindi”
11 बड़े भूकंप कब आए और कहाँ आए?
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भूकंप: क्या करें तथा क्या ना करें
भूकंप आने से पहले क्या करें
- छत तथा नींव के पलास्तर में पड़ी दरारों की मरम्मत कराएं। यदि कोई संरचनात्मक कमी का संकेत हो तो विषेशज्ञ की सलाह लें।
- सीलिंग में ऊपरी (ओवरहेड) लाइटिंग फिक्सचर्स (झूमर आदि) को सही तरह से टांगें।
- भवन निर्माण मानकों हेतु पक्के इलाके में प्रासंगिक बीआईएस संहिताओं का पालन करें।
- दीवारों पर लगे षेल्फों को सावधानी से कसें।
- नीचे के षेल्फों में बड़ी अथवा भारी वस्तुओं को रखें।
- सांकल/चिटकनी वाली लकड़ी की निचली बंद कैबिनेटों में भंगुर (ब्रेकेबल) मदें जैसे बोतलबंद खाद्य सामग्री, गिलास तथा चीनी मिट्टी के बर्तन को रखें।
- भारी चीजों जैसे तस्वीर तथा षीषे आदि को, बिस्तर, सेटीज (सोफा, बेंच या कोच) तथा जहां भी लोग बैठते हैं, से दूर रखें।
- फैन फिक्चर्स तथा ओवरहेड लाइट को नट-बोल्ट की मदद से अच्छी तरह फिट कराएं।
- खराब या दोशपूर्ण बिजली की तारों तथा लीक करने वाले गैस कनेक्षनों की मरम्मत कराएं जिनसे आग लगने के जोखिम की संभावना होती है।
- पानी गर्म करने का हीटर, एलपीजी सिलेंडर आदि को दीवार के साथ अच्छी तरह कसवाएं बंधवाएं अथवा फर्ष पर बोल्ट कसवा के उन्हें सुरक्षित बनाएं।
- अपतृण-नाषी (वीड किलर्स), कीटनाषक तथा ज्वलनषील पदार्थों को सांकल वाले कैबिनेटों में तथा नीचे के षेल्फों में सावधानी से रखें।
- घर के अंदर तथा बाहर सुरक्षित स्थानों को तलाष कर रखें।
- मजबूत खाने की मेज, बिस्तर के नीचे।
- किसी भीतरी दीवार के साथ।
- उस जगह से दूर जाना जहां खिड़की, षीषे, तस्वीरों से कांच गिरकर टूट सकता हो अथवा जहां किताबों के भारी षेल्फ अथवा भारी फर्नीचर नीचे गिर सकता हो।
- खुले क्षेत्र में बिल्डिंग, पेड़ों, टेलीफोन, बिजली की लाइनों, फ्लाईओवरों तथा पुलों से दूर रहें।
- आपातकालीन टेलीफोन नंबरों को याद रखें (जैसे डाक्टरों, अस्पतालों, तथा पुलिस आदि के टेलीफोन नंबर)।
- स्वयं तथा परिवार के सदस्यों को भूकंप के बारे में जानकारी दें।
आपदा आपातकालीन किट को तैयार रखें
- अतिरिक्त बैटरियों सहित बैटरी चालित टॉर्च
- बैटरी चालित रेडियो
- प्राथमिक सहायता थैला (किट) तथा मैनुअल
- आपातकालीन खाद्य सामग्री (ड्राई आइटम्स) तथा पीने का पानी (पैक्ड तथा सीलबंद)
- एक वाटरप्रूफ कंटेनर में मोमबत्तियों तथा माचिसें
- क्लोरीन की गोलियां तथा पाउडर-युक्त वाटर प्यूरिफायर
- अनिवार्य दवाइयां
- नकदी तथा क्रेडिट कार्ड
- मोटी रस्सी तथा डोरियां
एक आपातकालीन संपे्रशण योजना तैयार करना
- यदि किसी स्थिति में परिवार के सदस्य एक-दूसरे से भूकंप के दौरान अलग हो जाएं (दिन के दौरान होने वाली एक वास्तविक संभावना जब घर के वयस्क सदस्य काम पर गए हों और बच्चे स्कूल में हो), आपदा के बाद वापस इकट्ठा होने के लिए एक योजना तैयार रखें।
- राज्य से बाहर रहने वाले अपने रिष्तेदार अथवा दोस्त को आपदा के बाद “पारिवारिक सूत्र” (फैमिली कांटेक्ट) के रूप में उपलब्ध होने के लिए कहें, अक्सर दूर स्थित व्यक्ति से बात करना आसान होता है। सुनिष्चित करें कि परिवार का हर व्यक्ति संपर्क सूत्र (कांटेक्ट पर्सन) का नाम, पता तथा फोन नंबर जानता हो।
अपने समुदाय को तैयार रहने में मदद करें
- अपने स्थानीय अखबार में एक विषेश खंड प्रकाषित करें जिसमें भूकंप पर चेतावनी सूचना उपलब्ध हो। स्थानीय आपातकालीन सेवा कार्यालयों तथा अस्पतालों के फोन नंबर प्रकाषित करें। सूचना को स्थानीय स्तर पर स्थान दें।
- घर में खतरों को पता लगाने के लिए साप्ताहिक अवधि वाली श्रृंखलाओं का संचालन करें।
- विकलांग व्यक्तियों (मूक-बधिर, दृश्टिहीन, अपंग आदि) के लिए विषेश रिपोर्ट को तैयार करने हेतु स्थानीय आपातकालीन सेवाओं तथा अधिकारियों/कर्मचारियों के साथ इस पर बात काम करना कि भूकंप के दौरान उनके लिए क्या किया जाए।
- घर में भूकंप से निपटने के लिए कवायदों (ड्रिल) के संचालन पर उपयोगी सुझाव देना।
- अपने समुदाय में अपनी जानकारी को भवन निर्माण संहिताओं पुनर्निर्माण/पुनःमरम्मत (रेट्रोफिटिंग) कार्यक्रमों, खतरे के बारे में पता लगाने, आस-पड़ोस तथा परिवार के लिए आपातकालीन योजनाओं को बनाने में प्रयोग करने के लिए मिल-जुलकर काम करना।
भूकंप के दौरान क्या करें
भूकंप के दौरान जितना संभव हो उतना सुरक्षित रहें। इस बात के प्रति सतर्क रहें कि कौन-से भूकंप वास्तव में इसकी पूर्व-चेतावनी देने वाले भूकंप के झटके होते हैं और बाद में बड़ा भूकंप भी आ सकता है। धीरे-धीरे कुछ कदमों तक सीमित हलचल करें जिससे पास में किसी सुरक्षित स्थान पर पहुंच सकें और भूकंप के झटकों के रुकने पर घर में तब तक रहें जब तक कि आपको यह सुनिष्चित हो जाएं कि बाहर निकलना सुरक्षित है।
यदि आप घर के अंदर हों
- आप यदि घर के अंदर हों तो जमीन पर झुक जाए, किसी मजबूत मेज अथवा फर्नीचर के किसी हिस्से के नीचे षरण लें अथवा तब तक मजबूती से पकड़कर बैठे रहें जब तक कि भूकंप के झटके न रुक जाएं। यदि आपके पास कोई मेज या डेस्क न हो तो अपने चेहरे तथा सिर को अपने बाजुओं से ढक लें और बिल्डिंग के किसी कोने में झुक कर बैठ जाएं।
- किसी आंतरिक दरवाजे के लिन्टॅल (लेंटर), किसी कमरे के कोने में, किसी मेज अथवा यहां तक कि किसी पलंग के नीचे रुककर अपने आपको बचाएं।
- षीषे, खिड़कियों, दरवाजों तथा दीवारों से दूर रहें अथवा ऐसी कोई चीज जो गिर सकती हो (जैसे लाइटिंग फिक्सचर्स या फर्नीचर), से दूर रहें।
- भूकंप के षुरू होने पर, यदि आप उस समय पलंग पर हांे तो पलंग पर ही रहें। अपने सिर पर किसी तकिए को ढककर बचाएं जब तक कि आप किसी भारी लाइट फिक्सचर जो गिर सकती हो, के नीचे न आएं। यदि ऐसी स्थिति हो तो पास के किसी सुरक्षित स्थान की ओर खिसक जाएं।
- षरण लेने के लिए तभी ऐसे किसी दरवाजे से निकलकर बाहर जाएं जब वह आपके निकट हो और आप जानते हों कि ये किसी सषक्त सहारे (सपोर्ट) वाला है या यह सषक्त और वजन को झेल सकने वाला दरवाजा है।
- जब तक भूकंप के झटके न रुके तथा बाहर जाना सुरक्षित न हो तब तक अंदर रुके रहंे। अनुसंधान से यह पता चला है कि ज्यादातर चोटें तब लगती है जब भवन के अंदर मौजूद लोग किसी दूसरी जगह अथवा बाहर जाने का प्रयास करते हैं।
- ध्यान रखें कि बिजली कभी भी जा सकती है अथवा स्प्रिंकलर सिस्टम अथवा चेतावनी वाले फायर अलार्म कभी भी चालू हो/बज हो सकते हैं।
यदि आप घर के बाहर हों
- यदि आप घर के बाहर हों तो जहां हों वहां से आप न हिलें। तथापि बिल्डिंग, पेड़ों, स्ट्रीट लाइटों तथा बिजली/टेलीफोन आदि की तारों आदि से दूर रहें।
- यदि आप किसी खुली जगह पर हों तो वहां तब तक रुके रहें जब तक कि भूकंप के झटके न रुक जाएं। सबसे बड़ा खतरा बिल्डिंग के बाहर, निकास द्वारों तथा इसकी बाहरी दीवारों के पास होता है। भूकंप से संबंधित अधिकांष दुर्घटनाएं दीवारों के गिरने, टूटकर गिरने वाले कांच तथा गिरने वाली वस्तुओं के कारण होती हैं।
यदि किसी चलते वाहन में हों
- जितनी जल्दी संभव हो सुरक्षा के साथ गाड़ी रोकें तथा गाड़ी में रुके रहें। बिल्डिंग, पेड़ों, ओवरपास, बिजली/टेलीफोन आदि की तारों के पास अथवा नीचे रुकने से बचें।
- सावधानी से भूकंप के रुकने के बाद आगे बढ़ें अथवा सड़कों, पुलों, रैम्प से बचें जो भूकंप द्वारा क्षतिग्रस्त हुए हो सकते हैं।
यदि मलबे के नीचे फंसे हों
- माचिस की तीली को न जलाएं।
- धूल न उड़ाएं अथवा हिले-डुले नहीं।
- अपने मुंह को किसी रुमाल अथवा कपड़े से ढकें।
- किसी पाइप अथवा दीवार को थपथपाएं ताकि बचाने वाले आपको ढूंढ सकें। यदि उपलब्ध हो तो सीटी का उपयोग करें । अगर और कोई उपाय न हो तो तेजी से चिल्लाएं। चिल्लाने से आपके मुंह में सांस के द्वारा खतरनाक धूल अंदर जा सकती है।
भूकंप और इसका प्रबंधन Earthquake and Its Management in Hindi
Table of Content
भूकंप क्या है? What is Earthquake?
2015 में जम्मू कश्मीर में भयानक भूकंप आया था जिसमें 130000 लोगों की मृत्यु हो गई थी। इस भूकंप की तीव्रता 6 रिक्टर पैमाने की थी। 2001 में गुजरात में बहुत ही बड़ा विनाशकारी भूकंप आया था जिसमें 20000 लोगों की मौत हो गई थी और पूरा गुजरात नष्ट हो गया था। सभी मकान, इमारतें, पुल, सड़के सब कुछ नष्ट हो गया था। इस तरह से हम पाते हैं कि भूकंप बहुत ही विनाशकारी होते हैं। आज के लेख में हम आपको भूकंप से बचने के उपाय बताएंगे।
भूकंप से बचने के उपाय/ भूकंप प्रबंधन Earthquake Safety Tips and Management
मकान, इमारतों, ऑफिस से बाहर निकल आये.
जिस समय भूकंप आता है उस समय धरती हिलने लग जाती है। इसलिए मकान इमारत ढह जाते हैं। जब भी भूकंप आए आपको तुरंत ही मकान, इमारतों, ऑफिस से बाहर निकल आना चाहिए और किसी खुली जगह में रहना चाहिए। यदि आप मकान, ऑफिस, दफ्तर के अंदर ही छुपे रहेंगे तो संभव है कि वह इमारत नष्ट हो जाए और आप उसी में फस जाए। भूकंप आने पर किसी भी इमारत के आसपास नहीं खड़े होना चाहिए। खुली जगह में ही रहना चाहिए।
बिजली के उपकरणों को बंद कर दें
पैनिक ना हो, किसी भी अफवाह पर विश्वास ना करें.
भूकंप आने पर आपको खुद को संभालना चाहिए। घबराना नहीं चाहिए। किसी भी झूठी अफवाह पर विश्वास नहीं करना चाहिए। धैर्य और संयम से काम लेना चाहिये।
लिफ्ट का इस्तेमाल ना करें
भूकंप रोधी मकान इमारत बनवायें.
भूकंप से बचने के लिए सबसे अच्छा उपाय है कि आप अपने मकानों को भूकंप रोधी बनवाएं। बीम, कॉलम और बुनियाद को आर्किटेक्ट के अनुसार सही तरीके से बनवाएं। छत की ढ़ुलाइ कभी भी टुकड़ों में न करें। पूरी छत एक साथ ढलवाएं, इससे छत मजबूत बनती है।
रेडियो टीवी से समाचार सुनते रहे
जर्जर, पुराने मकानों को खाली कर दें.
आमतौर पर यह देखा गया है कि लोग बहुत पुरानी इमारतों में सालों से रह रहे होते हैं। वे इमारत की मजबूती पर कोई ध्यान नहीं देते हैं। ऐसे में यदि कम तीव्रता वाला भूकंप भी आ जाता है तो ऐसी इमारतें टूट कर गिर जाती हैं। इसलिए पुरानी जर्जर इमारतों में ना रहे। उसे खाली कर दे।
पेड़ों से दूर रहे
पुल के नीचे न खड़े हो.
भूकंप आने पर पुल आसानी से टूट जाते हैं। इसलिए उसके नीचे शरण न लें। खुले स्थानों पर शरण लें।
मेज के नीचे छिप जाए
भूकंप में कार ना चलाएं, आपातकालीन सुरक्षा किट बनाएं, मकानों में बड़ी खिड़कियां और दरवाजे लगाएं.
जिन क्षेत्रों में भूकंप हर साल आता है वहां के निवासियों को चाहिए कि अपने घरों में बड़ी खिड़कियां और दरवाजे लगाएं। इससे आप आसानी से भूकंप आने पर खिड़कियों से बाहर निकल सकते हैं।
अपने परिवार के साथ रहे
भूकंप आने पर बच्चों और महिलाओं को सबसे पहले सुरक्षित खुले स्थान में पहुंचा दें। अपने परिवार के साथ ही रहे। ऐसे में यदि कोई सदस्य कहीं फस जाता है तो बाकी परिवार उसे तुरंत बचा सकता है।
लोगो की मदद करे
भूकंप आने के बाद आप अपने आसपास की इमारतों में फंसे लोगों को बचाने में मदद करें। उन्हें मलबे से बाहर निकालने में मदद करें। मरे हुए लोगो के शवों को बाहर निकाले और उनका जल्दी से अंतिम संस्कार कर दें। अन्यथा बीमारी फैलने का डर रहता है।
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Earthquake in Delhi-NCR: Tremors felt after 5.8-magnitude quake rocks Pakistan
Earthquake in Delhi-NCR: Several people claimed that they felt tremors in Peshawar, Islamabad and Lahore in Pakistan, and New Delhi, Uttar Pradesh, Haryana, Punjab, Jammu and Kashmir in India.
It said the epicentre for the quake was 415 kilometres west of Amritsar in Punjab.
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Taiwan earthquake: Tremors of 5.5 magnitude hit Taipei, Hualien, no immediate reports of damage
The United States Geological Survey however stated that the extent of the quake was recorded at magnitude 5.4, affecting India, Pakistan, and Afghanistan. Meanwhile, India's National Center for Seismology said the earthquake of magnitude 5.8 struck Pakistan at 12:58 pm.
In 2005, a magnitude 7.6 quake killed thousands of people in Pakistan and Kashmir.
This is the second occurrence of mild tremors in Delhi and its surrounding areas within two weeks. On August 29, a 5.7-magnitude earthquake struck Afghanistan, originating 255 kilometers beneath the Earth's surface.
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Oliver Browning | Thursday 12 September 2024 19:00 BST
Putin says West will be fighting directly with Russia if it lets Ukraine use long-range missiles
If Ukraine is allowed to use long-range Western-provided missiles against targets inside Russia , it would mean the direct participation of Nato countries in the conflict, Vladimir Putin said on Thursday 12 September.
Western long-range precision weapons can only be used with intelligence data from Nato satellites and flight assignments entered by Nato military personnel, he claimed.
“Therefore, we are not talking about allowing the Ukrainian regime to strike Russia with these weapons or not. We are talking about making a decision about whether NATO countries are directly involved in the military conflict or not,” Mr Putin said.
He added that the decision would change “the very nature of the conflict”.
“This will mean that Nato countries, the United States, and European countries are fighting against Russia.”
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