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आत्मनिर्भर भारत पर निबन्ध (Self Reliant India Essay in Hindi)

आत्मनिर्भर भारत का अर्थ है स्वयं पर निर्भर होना, यानि खुद को किसी और पर आश्रित न करना। कोरोना महामारी के दौरान लाकडाउन मे सारे विश्व मे हर किसी के लिए खाने, पीने और रहने मे परेशानी पैदा कर दी है। महामारी की इस संकट को देखते हुए भारत को आत्मनिर्भर होने की जरुरत है। भारत प्राचीन काल से ही आत्मनिर्भर रहा है, और इस कड़ी मे आत्मनिर्भर बनकर आप खुद के परिवार के साथ-साथ आप अपने देश को फिर से प्रगति के मार्ग पर खड़ा करने मे मदद कर सकते है। यहां नीचे आत्मनिर्भरता और आत्मनिर्भर भारत के कुछ महत्वपुर्ण बातों पर मैने तीन अलग-अलग निबन्ध दिये है आइएं उनपर नजर ड़ालते है।

आत्मनिर्भर भारत पर लघु और दीर्घ निबंध (Short and Long Essays on Self Reliant India in Hindi, Atmanirbhar Bharat par Nibandh Hindi mein)

निबन्ध 1 (250 शब्द) – आत्मनिर्भर भारत.

आत्म निर्भरता मुख्यतः पांच तत्वों पर निर्भर करती है – अर्थव्यवस्था, मांग, जनसँख्या, तंत्र और संरचना। भारत की कला और संस्कृति को देखते हुए यह बात स्पष्ट होती है कि भारत प्राचीन काल से ही आत्मनिर्भर रहा है। आज हमे कोरोना महामारी की इस संकट मे खुद को आत्मनिर्भर बनाने की जरुरत है। आत्मनिर्भर होने का मतलब है कि आपके पास जो हुनर है उसके माध्यम से एक छोटे स्तर पर खुद को आगे की ओर बढ़ाना है या फिर बड़े स्तर पर अपने देश के लिए कुछ करना है।

आत्मनिर्भर भारत योजना

कोरोना काल में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आत्मनिर्भर भारत अभियान की शुरुआत 12 मई 2020 को की गई। यह अभियान कोरोना काल के दौरान भारत को इस संकट से लड़ने के लिए तैयार करने के लिए बनाया गया था। इस अभियान के तहत छोटे वर्ग के लोग जो कोई बिज़नेस करना चाहते है उन्हें सस्तेदर पर लोन उपलब्ध कराया जायेगा। विद्यार्थियों को ऐसी शिक्षा दी जाएगी जिससे उनके अंदर कौशल का विकास हो ताकि वो रोजगार प्राप्त कर सके।

आत्मनिर्भर भारत के लाभ

इस तरह से हम भारत को आत्मनिर्भर भारत के रुप मे देख सकते है। कुटीर उद्योग, मत्स्य पालन इत्यादि आत्मनिर्भर भारत के कुछ उदाहरण है। कुटीर उद्योग या घर मे बनाए गए सामानों को अपने आस-पास के बाजारों मे ही बेचा जाता है, यदि किसी की सामाग्री अच्छी गुणवत्ता का हो तो, अन्य जगहों पर भी इसकी मांग होती है।

आप स्वयं के साथ-साथ आत्मनिर्भर भारत की राह मे अपना योगदान दे सकते है, और हम सब मिलकर एक आत्मनिर्भर राष्ट्र निर्माण सपने को मजबूत बनाने मे सहयोग कर सकते है। आप खुद को आत्मनिर्भर बनाकर अपने परिवार का भरण पोषण कर सकेगें और इसके साथ ही आप अपने राष्ट्र मे भी अपना योगदान दे सकेगें।

निबन्ध 2 (400 शब्द) – आत्मनिर्भर भारत का सपना

हर किसी का सपना होता है कि वो आत्मनिर्भर बने और यह वास्तव मे किसी व्यक्ति मे सबसे अच्छा गुण होता है। यदि कोई व्यक्ति आत्मनिर्भर बनता है तो वह हर मुंश्किलों का सामना करके आगे बढ़ता है और मुसीबतों से खुद को आसानी से निकाल लेता है। हर व्यक्ति खुद मे आत्मनिर्भर बनकर अपनी, अपने परिवार के साथ-साथ अपने देश के उत्थान मे भी अपना पूरा सहयोग कर सकता है।

आत्मनिर्भर भारत बनने की जरुरत क्यो

भारत प्राचीन काल से ही संसाधनों से परिपूर्ण देश रहा है। यहां हर प्रकार के चीजों को बनाने और उसका अपने जीवन मे उपयोग कर अपने राष्ट्र निर्माण मे मदद कर सकता है। पूरे विश्व मे केवल भारत ही ऐसा देश है जहां सबसे अधिक प्राकृतिक संसाधन पाये जाते है, जो कि बिना किसी देश की मदद से जीवन से लेकर राष्ट्र निर्माण की वस्तुएं बना सकता है और आत्मनिर्भर के सपने को पूरा कर सकता है।

  • हालाकि भारत को आत्मनिर्भर बनाने का सपना नया है। यह सपना महात्मा गांधी ने आजादी के बाद ही स्वदेशी वस्तुओं के इस्तेमाल और आत्मनिर्भरता पर जोर दिया था, पर गरीबी और भुखमरी के कारण उनका सपना साकार न हो सका।
  • करोना महामारी के कारण पिछले कई महीनों से सारा विश्व बन्द पड़ा है, जिसके कारण छोटे लोगों से लेकर पूंजीपतियों तक को भारी नुकसान और परेशानीयों का सामना करना पड रहा है। खासतौर से हमारे छोटे और मध्यम वर्ग के परिवारों को कमाने खाने की समस्या काफी बढ़ गयी है।
  • कोरोना महामारी के कारण किसी भी देश से सामानों का आदान-प्रदान बन्द है। इसलिए मई के महीने मे तालाबन्दी के दौरान हमारे प्रधानमंत्री ने देश को आत्मनिर्भर बनने का आह्वाहन किया है। उन्होने “लोकल फॉर वोकल” का भी नारा दिया। जिसका अर्थ है कि लोकल मे बनी वस्तुओं का उपयोग और उनका प्रचार करना और एक पहचान के रुप मे आगे बढ़ना।
  • महामारी के दौरान ही चीन ने भारत के डोकलाम सीमा क्षेत्र मे कब्जा करने की कोशिश की, जिसमे भारत के लगभग 20 जवान शहीद हो गए। सीमा के इस विवाद मे भारत के सैनिकों की क्षति के कारण देश के हर कोने से चीनी सामान को बैन करने की माँग के साथ ही, चीनी सामानो को बन्द कर दिया गया और प्रधानमंत्री ने सारे देश को आत्मनिर्भर बनने का मंत्र दिया। उन्होने कहा कि आत्मनिर्भर बनकर घरेलु चीजों का इस्तेमाल करें ताकि हमारा राष्ट्र मजबूती के साथ खड़ा हो सके।
  • पिछले कुछ महीनों से विश्व कोरोना वायरस महामारी के कारण बन्द पड़ा है। इसके कारण सारे विश्व मे वित्तीय संकट के बादल छाएं है। इसी कड़ी मे भारत ने खुद को आत्मनिर्भर बनाने और राष्ट्र को आगे ले जाने फैसला किया है। विश्व बन्दी के कारण सारे विश्व के उत्पादों पर भारी असर हुआ है, इसलिए भारत ने स्वयं को आत्मनिर्भर बनाकर देश की तरक्की पर अपना कदम आगे बढ़ाया है।

इन सभी स्थितियों को देखते हुए और भारत की मूल आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए प्रधानमंत्री ने भारत के लोगों से आत्मनिर्भरता से लेकर भारत को आत्मनिर्भर बनाने को देशवासीयों से अपील की है। भारत इस ओर धीरे-धीरे अग्रसर भी हो रहा है।

कोरोना की महामारी काल मे सभी देश अपने आन्तरिक स्थितीयों और समस्याओं, बेरोजगारी, भुखमरी, चिकित्सा और कई अन्य समस्याओं से जुझ रहा है और भारत भी उनमे से ही एक है। भारत को इन समस्याओं से लड़ने और देश को तरक्की की राह पर आगे ले जाने के लिए आत्मनिर्भर भारत के सपने को पूरा करने मे अग्रसर है।

निबन्ध 3 (600 शब्द) – आत्मनिर्भर भारत अभियान और इसके फायदे

विश्व मे कोरोना महामारी के संकट से लड़ने और देश के आंतरिक स्थिति बनाएं रखने और इसे अच्छा करने के लिए भारत ने खुद को आत्मनिर्भर भारत बनाने का फैसला किया है। भारत काफी मात्रा मे चीजों का आयात विदेशो से करता था, पर इस महामारी के चलते सारे विश्व के आयात-निर्यात पर भारी असर पड़ा है, और इस स्थिति को सामान्य और देश की हर आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए राष्ट्र को आत्मनिर्भर बनना बहुत आवश्यक है।

आत्मनिर्भर भारत बनाने का अभियान

कोरोना काल मे आपदा को अवसर मे बदलने के लिए प्रधानमंत्री ने देश-वासियों से आह्वाहन किया है। संकट की इस घड़ी मे सभी को आत्मनिर्भर बन राष्ट्र की सेवा और तरक्की मे हर किसी को योगदान देने की अपील की है। देश आत्मनिर्भर होगा तभी इस संकट की घड़ी मे हम राष्ट्र को तरक्की के लिए आगे खड़ा कर सकते है।

भारत प्राचीन काल से ही संसाधनों का देश रहा है। आजादी के बाद भारत की गरीबी और भुखमरी को देखते हुए महात्मा गांधी नेदेश को आत्मनिर्भर बनानेका सपना देखा था, पर उस स्थिति मे सुविधाओं की कमी के कारण ये पूरी तरह से संभव न हो सका, लेकिन जहां तक हो सका लोगों ने खुद को आत्मनिर्भर बनाया। महामारी की इस संकट मे फिर से महात्मा गांधी के आत्मनिर्भरता के उस सपने को याद कराते हुए प्रधान मंत्री ने अपील की है। भारत मे संसाधनों की कोई कमी नही है और अब भारत किसी भी चीज का निर्माण करने मे सक्षम है, इसके लिए उसे किसी और से मदद लेने की आवश्यकता नही है।

आत्मनिर्भर भारत बनने का तात्पर्य है कि हमारे देश को हर क्षेत्र मे खुद पर ही निर्भर होना होगा। भारत को देश मे ही हर वस्तु का निर्माण करना होगा। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य है कि भारत के संसाधनों से बनी वस्तुओं को भारत मे ही उपयोग मे लाना है। आत्मनिर्भर भारत से अपने यहां के उद्योगों मे सुधार करना और युवाओं के लिए रोजगार, गरीबों के लिए पर्याप्त खाना ही इस अभियान का मुख्य उद्देश्य है।

आत्मनिर्भर भारत फायदे

यदि हमारा भारत आत्मनिर्भर बनता है तो देश को इससे कई सारे फायदे होगें जो लोगों और देश की तरक्की मे बहुत सहायक होंगें।

  • आत्मनिर्भर भारत से हमारे देश मे उद्योगों की संख्या मे वृद्धि होगी।
  • हमारे देश को और देशो से सहायता कम लेनी होगी।
  • हमारे देश मे रोजगार के अधिक अवसर पैदा होगें।
  • इससे देश मे बेरोजगारी के साथ-साथ गरीबी से मुक्ति मे सहायता मिलेगी।
  • भारत की आर्थिक स्थिति काफी मजबूत हो सकेगी।
  • आत्मनिर्भर बनने के साथ भारत चीजों का भंड़ारण काफी अधिक कर सकता है।
  • देश आगे चलकर अन्य देशों से आयात कम और निर्यात ज्यादा कर सकेगा।
  • आपदा की स्थिति मे भारत बाहरी देशों से मदद की मांग कम होगी।
  • देश मे स्वदेशी वस्तुओं का निर्माण कर देश की तरक्की को शीर्ष तक ले जाने मे सहायता मिलेगी।

आत्मनिर्भर भारत बनने के महत्वपूर्ण बातें

आत्मनिर्भर भारत की घोषणा के तहत भारत के प्रधानमंत्री ने आत्मनिर्भरता के लिए पांच महत्वपूर्ण चीजे बाताई है।

  • इंटेंट यानी इरादा करना।
  • इन्क्लूजन या समावेश करना।
  • निवेश या इन्वेस्टमेन्ट करना।
  • इन्फ्रास्ट्रक्चर यानी सार्वजनिक ढ़ाचे को मजबूत करना।
  • नयी चीजों का खोज करना।

आत्मनिर्भर भारत बनने का अवसर

सारे विश्व के साथ-साथ भारत भी कोरोना की माहामारी के दौर से गुजर रहा है, इसलिए इसके साथ ही भारत को आत्मनिर्भर बनने का अवसर भी प्राप्त हुआ है। इस महामारी के दौरान कुछ हद तक हमने आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार किया है और बिना अन्य देश की मदद से इस महामारी से लड़ने के लिए हमने देश मे ही चीजों का निर्माण करना शुरु कर दिया है।

जहां हमने पीपीई किट, वेन्टिलेटर, सेनेटाइजर और के.एन.-95 मास्क का निर्माण अपने देश मे ही शुरु कर दिया है। पहले यही चीजे हमे विदेशों से मंगानी पड़ती थी। इन सभी चीजों का निर्माण भारत मे करना ही आत्मनिर्भर भारत की ओर बढ़ने का पहला कदम है। इनके उत्पादन से हमे अन्य देशों की मदद भी नही लेनी पड़ रही है, और भारत आत्मनिर्भरता की ओर आगे कदम बढ़ा रहा है।

आत्मनिर्भरता की ओर भारत ने पीपीई किट, वैन्टिलेटर इत्यादि चीजों को बनाकर आत्मनिर्भरता की ओर  अपना पहला कदम बढ़ा दिया है और हमे भी इसमे अपना योगदान देकर आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करना होगा। हमे ज्यादा से ज्यादा स्वदेशी वस्तुओं का उपयोग करने की आवश्यकता है। जिससे कि हम अपने देश को आत्मनिर्भर और अपने राष्ट्र को आगे बढ़ाने मे अपना योगदान कर सके।

Essay on Aatmanirbhar Bharat

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आत्मनिर्भर भारत पर निबंध- Aatm Nirbhar Bharat Essay in Hindi

In this article, we are providing Aatm Nirbhar Bharat Essay in Hindi आत्मनिर्भर भारत पर निबंध | Nibandh। Essay in 200, 300, 500 words For Class 3,4,5,6,7,8,9,10,11,12 Students.

आत्मनिर्भर भारत पर निबंध- Aatm Nirbhar Bharat Essay in Hindi

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Aatm Nirbhar Bharat Par Nibandh ( words 500 )

आत्मनिर्भर भारत क्या है?

आत्मनिर्भर भारत एक शब्द है जिसे भारत में कोविड़ -19 महामारी के समय गढ़ा गया था। यह वास्तव में हमारे माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की दृष्टि है। “आत्मनिर्भर” एक हिंदी शब्द (आत्मनिर्भर भारत अभियान) है जिसका अर्थ है स्वयं पर निर्भर या दूसरों पर कम निर्भरता। भारत बहुत सारे आयातों पर निर्भर रहा है, हर महीने भारत को बड़े आयात बिल का भुगतान करना पड़ता है। हमारा आयात बिल हमेशा निर्यात राजस्व से अधिक होता है यही कारण है कि हमारे देश को हमेशा व्यापार में घाटा होता है।

हमें आत्मनिर्भर भारत अभियान की आवश्यकता क्यों थी।

कोविड़ -19 महामारी के दौरान जब भारत को अस्पताल के बेड, पीपीई किट, कोविद परीक्षण किट, दवाएं, वेंटिलेटर और अन्य आवश्यक श्वसन और चिकित्सा उपकरणों की कमियों का सामना करना पड़ा, यहां तक कि हाथ सैनिटाइज़र की बुनियादी आपूर्ति, 3 प्लाई मास्क, एन-95 मास्क की कमी पड़ने पर भारत की सरकार और लोगों ने महसूस किया कि स्वदेशी नवोन्मेष और स्थानीय विनिर्माण पर निर्भर पर होने के लिए यह सही समय है, और यही कारण है कि इस शब्द को 13 मई 2020 को आत्मनिर्भर भारत के रूप में पेश किया गया था।

अब इसका मतलब यह नहीं है कि हम वैश्विक दुनिया से कट गए हैं, जबकि इसका मतलब है कि हम उत्पादों का उत्पादन करने में सक्षम हैं, जो हमें चाहिए, स्थानीय स्तर पर और अंततः अधिशेष निर्यात करके वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक बड़ी भूमिका निभा सकते हैं।

आतम निर्भर भारत के सफल उदाहरण।

आत्मनिर्भर भारत अभियान के सबसे बड़े उदाहरणों में से एक तथ्य यह है कि मार्च 2020 से पहले पर्सनल प्रोटेक्शन इक्विपमेंट (PPE) किट के शून्य उत्पादन से, भारत ने आज स्थानीय स्तर पर प्रतिदिन 2 लाख PPE किट बनाने की क्षमता बनाई है, जो लगातार बढ़ रही है। पहले हम पीपीई किट का आयात करते थे।

हमने अपनी स्वयं की परीक्षण किट विकसित की, विभिन्न क्षेत्रों में बेलआउट पैकेज और समर्थन पैकेज बढ़ाना, तरलता में वृद्धि, अधिक ऋण, अनुपालन भरण का समय, एमएसएमई की परिभाषा में परिवर्तन, रिलायंस ने जुलाई 2020 में भारत में 5G नेटवर्क बनाने की घोषणा की है। यहां तक कि रक्षा मंत्रालय अब मेक इन इंडिया को हथियारों के उत्पादन पर जोर दे रहा है और अगले पांच वर्षों में आयात प्रतिबंध के लिए एक नियोजित लक्ष्य है।

सबसे महत्वपूर्ण सिफ़ारिशें में से एक यह है कि 200 करोड़ तक के टेंडर के लिए अब वैश्विक निविदा की जरूरत नहीं है।हमें यह कहते हुए गर्व हो रहा है कि इन चरणों के लिए भारत सरकार ने 20 लाख करोड़ रुपये के समग्र पैकेज की घोषणा की है जो कि भारत की जीडीपी के 10% के लगभग बराबर है।

आत्मनिर्भर भारत का निष्कर्ष। 

विशेषज्ञों का मानना है कि देश को पूरी तरह से आत्मनिर्भर होने में कुछ साल लगेंगे और अरबों डॉलर का निवेश भी पूरी सहमति और सकारात्मक इरादे के साथ होगा।

मुझे यह कहते हुए गर्व हो रहा है कि भारत सरकार का यह साहसिक कदम भारत को आत्मनिर्भर बना देगा और इस क्षण को भारत के इतिहास में सुनहरे शब्दों के रूप में दर्ज किया जाएगा।

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आत्मनिर्भर भारत पर निबंध: Aatm Nirbhar Bharat Essay in Hindi

यह एक बहुत प्रसिद्ध कहावत है कि आवश्यकता आविष्कार की जननी है। इसी प्रकार आत्मनिर्भर भारत का आविष्कार, कोरोना महामारी के दौरान भारतीय लोगो के साथ-साथ भारतीय अर्थव्यस्था के लिए भी बहुत अधिक आवश्यक था। आत्मनिर्भर भारत न केवल एक शब्द है, बल्कि यह हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की दूरदृष्टि पर आधारित एक पहल है जो भारतीय लोगो के साथ-साथ भारतीय अर्थव्यस्था को महामारी COVID-19 के दौरान इस कठिन समय से उबरने में सक्षम बनाता है।

आत्मनिर्भर भारत का अर्थ

सरल शब्दों में आत्मनिर्भर का अर्थ है स्वयं पर निर्भर, अपने बल पर। इसका एक अर्थ यह भी है की दूसरों पर से निर्भर न होना। इसी प्रकार आत्मनिर्भर भारत का मतलब यह है की भारत को आत्मनिर्भर बनाना है। यानि भारत में जिस वस्तु की जरुरत हो उसका उत्पादन भारत में हो और इसके लिए हमें किसी अन्य देश पर निर्भर न रहना पड़े। आत्मनिर्भर वास्तव में हमारे माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की पहल है जो स्थानीय स्तर पर सभी अनिवार्य वस्तुओं का उत्पादन शुरू करके भारत और भारतीयों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए है। वोकल फॉर लोकल भी आत्मनिर्भर भारत अभियान का अभिन्न अंग है।

आत्मनिर्भर भारत अभियान की जरूरत क्यों पड़ी?

भारत अपनी आवश्यकताओं की पूर्ती के लिए दुनिया भर के कई देशों से बहुत सारे आयातों पर निर्भर है और निर्यात की तुलना में बड़े आयात बिल का भुगतान करता है। महामारी के समय दुनिया भर में सभी आयात और निर्यात गतिविधियाँ रुक गयी थीं। वस्तुओं का परिवहन, परिवहन के साधन बंद होने के कारण रुक गया था। ऐसे में संसाधनों के बिना जीना बहुत मुश्किल था क्योंकि परिवहन गतिविधियों के बंद होने के कारण माल का आयात संभव नहीं था। और इसलिए आवश्यक वस्तुओं के स्थानीय बाजारों में उत्पादन करना अनिवार्य हो गया। जिससे आवश्यक वस्तुओं के स्थानीय बाजारों में उत्पादन करके भारत को आत्मनिर्भर बनाने की शुरुआत हुई। वोकल फॉर लोकल अभियान के द्वारा स्थानीय उत्पादों के उत्पादन, सेवन और प्रोत्साहन के लिए लोगो से अपील की गयी। 

महामारी के दौरान भारत को अस्पताल के बेड, पीपीई किट, कोविड परीक्षण किट, दवाइयां, वेंटिलेटर और अन्य आवश्यक श्वसन और चिकित्सा उपकरणों की कमी के संदर्भ में बहुत अधिक समस्याओं का सामना करना पड़ा, जिनमें सैनिटाइज़र, एन 95 मास्क की बुनियादी आपूर्ति भी शामिल है। इस दौरान हमने यह महसूस किया कि यह हमारे लिए स्वदेशी इनोवेशन, उत्पादों और स्थानीय विनिर्माण पर निर्भर रहने का समय है। इन माँगों को पूरा करने और देश में इन वस्तुओं के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए आत्मनिर्भर भारत अभियान शुरू किया।  प्रधनमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने और कठिनाइयों को अवसर में बदलने के लिए आत्मनिर्भर भारत के पांच स्तंभों को परिभाषित किया: 

आत्मनिर्भर भारत के पांच स्तंभ

  • अर्थव्यवस्था:   जो वृद्धिशील परिवर्तन नहीं, बल्कि लंबी छलांग सुनिश्चित करती है। 
  • बुनियादी ढांचा : जिसे भारत की पहचान बन जाना चाहिए।  
  • प्रणाली (सिस्‍टम):   जो 21वीं सदी की प्रौद्योगिकी संचालित व्यवस्थाओं पर आधारित हो। 
  • उत्‍साहशील आबादी: जो आत्मनिर्भर भारत के लिए हमारी ऊर्जा का स्रोत है। 
  • मांग:   जिसके तहत हमारी मांग एवं आपूर्ति श्रृंखला (सप्‍लाई चेन) की ताकत का उपयोग पूरी क्षमता से किया जाना चाहिए।

आत्मनिर्भर भारत अभियान का त्वरित लाभ 

आत्मनिर्भर भारत अभियान का लाभ या सफलता  का अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि मार्च 2020 से पहले पर्सनल प्रोटेक्शन इक्विपमेंट (PPE) किट के शून्य उत्पादन से, आज भारत ने स्थानीय रूप से प्रतिदिन 2 लाख से अधिक PPE किट बनाने की क्षमता विकसित कर ली है और यह तेजी से बढ़ रहा है। इससे पहले भारत आयातित पीपीई किट का उपयोग करता था और बदले में बहुत सारे पैसे आयात बिल के रूप में चुकाना पड़ता था। कुछ मायनों में आत्मनिर्भर भारत अभियान मेक इन इंडिया का सुदृढीकरण है।

आत्मनिर्भर भारत अभियान का दीर्घकालिक लाभ

आत्मनिर्भर भारत अभियान ने भारत में विभिन्न नवाचारों और नए उत्पादों के विकास को बढ़ावा दिया। इससे भारत का आयात घटेगा और निर्यात बढ़ेगा परिणाम स्वरुप लंबे समय में हमारा व्यापार घाटा कम होगा। निर्यात प्रोत्साहन से हमें विदेशी मुद्रा बचाने और अधिक विदेशी मुद्रा अर्जित करने में मदद मिलेगी। आत्मनिर्भर भारत पैकेज से भारतीय लघु और मझोले उद्योगों को बढ़ाने में मदद मिलेगी और विनिर्माण क्षेत्र में उन्नति होगी। यह कार्यक्रम भारत सरकार की 5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करेगा।

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आत्मनिर्भर भारत पर निबंध Aatm nirbhar Bharat Essay in Hindi

आत्मनिर्भर भारत पर  निबंध, अर्थ, क्या है, स्तंभ, फायदे, अवसर, चुनौतियां (Aatm nirbhar Bharat Essay in Hindi) (Competition, Benefit, Opportunity)

Table of Contents

एक व्यक्ति का सबसे बड़ा गुण होता है आत्मनिर्भरता। एक आत्मनिर्भर व्यक्ति अपने स्वयं के लिए सहारा बन सकता है। अगर कोई व्यक्ति स्वयं आत्मनिर्भर रहता है तो उसे किसी और के सहारे की जरूरत नही पडती है। हमारा भारत देश विश्व की प्राचीन संस्कृतियों मे से एक रहा है और इस देश की संस्कृति, रंग – ढ़ग देखकर हम कह सकते है की भारत पहले से ही काफी आत्मनिर्भर है। स्वयं के हुनर से स्वयं का विकास करना ही आत्मनिर्भरता का सही मतलब है। हर व्यक्ति यही चाहता है की वह आत्मनिर्भर बने, फिर चाहे उसके रहन – सहन से हो या उसके तौर तरीके से। 

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आत्मनिर्भर का अर्थ  

आत्मनिर्भर का अर्थ एक व्यक्ति विशेष को किसी और के सहारे न रहकर अपने स्वयं के सहारे रहना चाहिए। इसी को एक उदाहरण के साथ समझे तो मान लीजिए की आप अपने घर पर अकेले रहते है और अपने खाने पीने के साथ – साथ अपनी सुविधाओं के लिए आपको रिश्तेदारों पर निर्भर रहना पडता है, रिश्तेदार आपको खाना या तो टिफिन के जरिये पहुंचाता है या किसी और के सहारे से आप तक पहुंचाते है। इसके विपरीत अगर आप अपने खाने के लिए खुद मेहनत करते है और खुद खाना बनाते है, तो हो गये ना आप आत्मनिर्भर। इसको सीधी सी भाषा मे समझे तो इसका मतलब यह होता है ही हम किसी और के भरोसे पर न रहे और स्वयं कोई ऐसा काम करे जिससे हमारा जीवन यापन हो सके। 

आत्मनिर्भर भारत अभियान

भारत को आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी ने 12 मई 2020 को इस अभियान की घोषणा की थी जिसमें उन्होंने देश को संबोधित करते हुए कहा था की भारत की अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए यह एक अच्छी पहल है। इस अभियान के तहत भारत आने वाले कुछ सालों मे अधिकतर वस्तुओं का निर्माण भारत के किया जाएगा। इस कारण से ही इस अभियान का नाम आत्मनिर्भर रखा गया है। 

इस अभियान के तहत उन सभी विदेशी निर्भरताओं को कम करना है जिस वजह से भारत का ज्यादातर व्यापार दूसरे पड़ोसी देशों पर निर्भर है। इसमें बाहर की वस्तुओं पर निर्भर न रहकर बाहर अपने स्वयं के स्तर पर अच्छी गुणवत्ता वाले प्रोडक्ट को हमारे देश मे ही तैयार करना है इस अभियान मे शामिल है। 

आज की बात करे तो हमारे दैनिक जीवन मे कई ऐसी वस्तुएं है जिसकी आपूर्ति हमें हमारा पड़ोसी देश चीन करता है। चीन के अलावा अमेरिका, कोरिया, सऊदी अरब भी इसी श्रेणी में शामिल है जो हमारे सामान की मांग को पूरा करता है। भारत के विकास की झड़े अगर मजबूत करनी है तो हमें पहले आत्मनिर्भर बनना पड़ेगा तभी हमारा भारत विकासशील से विकसित देश बनेगा। इस अभियान के तहत हमारे जरूरी व आवश्यक चीजों का निर्माण हमारे देश मे ही किया जाएगा तभी हमारा देश आत्मनिर्भर भारत कहलायेगा। 

आत्मनिर्भर भारत का सपना

1947 के बात यानी देश की स्वतंत्रता के बाद से ही भारत आत्मनिर्भर बनने का सपना देख रहा है। आजादी से पूर्व ही भारत की आजादी की लडाई मे महात्मा गांधी द्वारा सविनय अवज्ञा आंदोलन भी चलाया गया था जिसमें लोगों से विदेशी वस्तुओं पर निर्भर न रहकर भारत मे बनी वस्तुओं पर निर्भर रहने की अपील की थी। महात्मा गांधी स्वयं भी स्वदेशी वस्तुओं का उपयोग करते थे, और महात्मा गांधी ही ऐसे पहले व्यक्ति थे जिन्होंने आत्मनिर्भर भारत की तरफ पहला कदम उठाया था।

परंतु दुख की बात करे तो आजादी के 70 साल बाद ही भारत ने इस सपने की और कोई और नया कदम नहीं उठाया। मगर विश्व मे व्याप्त इस कोरोना महामारी की वजह से भारत को आत्मनिर्भर बनने का सपना एक बार फिर देखा और आत्मनिर्भर का सही मतलब समझा। इसके बाद ही भारत के दिल मे आत्मनिर्भर बनने का सपना पलने लगा।

भारत को आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा महात्मा गांधी के उस सविनय अवज्ञा आंदोलन से ही मिली थी। इस आंदोलन के तहत लोगों ने विदेशी कपड़े पहनने बंद कर दिये थे और अपने हाथ से बुने हुए कपड़े पहने थे। अब वर्तमान मे भारत का यह अभियान उसी सपने को पूरा करेगा और भारत बनेगा आत्मनिर्भर।

आत्मनिर्भर बनने के पांच स्तम्भ

भारत के आत्मनिर्भर वे पांच स्तम्भ जो भारत को आत्मनिर्भर बनाने मे करेंगे मदद –

  • अर्थव्यवस्था – वर्तमान की भारत की अर्थव्यवस्था एक मिश्रित प्रकार की अर्थव्यवस्था है जिसमें परिवर्तन किया जाता संभव है।अर्थव्यवस्था ही एक ऐसा साधन है जो भारत को आत्मनिर्भर बनने की और मोड सकता है।
  • तकनीकी – भारत मे तकनीकी काफी विकसित है और इसी तकनीक के चलते भारत मे विश्व शक्ति बनने का साहस रखता है। भारत की तकनीकी इसी का एक मुख्य अंग है जो भारत को आत्मनिर्भर बनाएगा।
  • इन्फ्रास्ट्रक्चर – भारत का इन्फ्रास्ट्रक्चर इतना मजबूत है की यह भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए मदद करेगा।
  • मांग – भारत में कच्चे माल की मांग इतनी ज्यादा बढ़ रही है की हमे पड़ोसी देश पर निर्भर रहना पडता है। अगर हम कच्चे माल निर्माण भारत मे करते है तो उस स्थिति मे भारत आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर हो सकेगा।
  • बढ़ती जनसंख्या – भारत की जनसंख्या भी जंगल मे आग की तरह फैल रही है, इस पर नियंत्रण भी जरूरी हैं।

आत्मनिर्भर बनने के फायदे

अगर भारत आत्मनिर्भर बनता है तो उस स्थिति मे भारत को कई तरह के फायदे होंगे जो भारत को एक नई पहचान दिलाने मे मदद करेंगे।

  • आत्मनिर्भर बनने के बाद किसी के आगे हाथ नहीं फैलाने पड़ेंगे – भारत मे हमारे दैनिक जीवन मे उपयोग मे आने वाली वस्तुओं का आयात चीन या अन्य पड़ोसी देशों से किया जाता है। अगर भारत का यह आत्मनिर्भर बनने का सपना पुरा होता है तो भारत को किसी के अन्य देश के आगे हाथ नहीं फैलाने पड़ेंगे और भारत स्वयं ऐसी वस्तुओं का निर्माण करने लगेगा।
  • देशी उद्योग मे बढ़ोतरी – भारत के आत्मनिर्भर बनने से भारत मे कई तरह की वस्तुओं का निर्माण होगा और भारत मे उद्योग भी बढ़ेंगे। भारत उन वस्तुओं को विदेश मे भी भेज सकेगा और इससे भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी।
  • रोजगार के अवसर – आत्मनिर्भर से भारत मे देशी और घरेलू उद्योग बढ़ेंगे जिस वजह से भारत मे रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे और देश के कुशल और सक्षम लोगों को इससे रोजगार भी मिलेगा। इससे देश के आर्थिक हालात भी सुधर सकेंगे।
  • गरीबी से मुक्त होगा – देश मे आत्मनिर्भरता से उद्योगों के साथ साथ युवाओं को रोजगार के अवसर भी मिलेंगे। इससे देश मे गरीबी भी कम हो सकेगी।
  • पैसों की कमाई – भारत के आत्मनिर्भर बनने से देश मे व्यापार के अवसर को बढ़ेंगे ही साथ ही इससे देश को अच्छी कमाई भी होगी जिससे देश की अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी।
  • आयात की जगह निर्यात बढ़ेगा – भारत के आत्मनिर्भर बनने से पहले देश अब तक जिन वस्तुओं का आयात करता था उसका अब भारत करेगा निर्यात, इससे देश मे विदेशी मुद्रा का भंडार बढ़ेगा।
  • आपदा के समय संकटमोचक बनेगा खजाना – आत्मनिर्भर बनने से भारत मे रोजगार बढ़ेगा और देश की अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी जिससे संकट के समय वह धन देश की रक्षार्थ काम आ सकेगा।

आत्मनिर्भरता के अवसर

इस कोरोना महामारी के समय मे हमने देखा ही है की भारत के साथ – साथ विश्व भी कई संकटों से गुजरा है। देश 55 से भी ज्यादा दिनों के लिए रुक चुका था। बावजूद इसके भी भारत मे कई ऐसे अवसर आए जिसकी बदौलत भारत मे भारत मे सैनिटाइजर और मास्क का घरेलू स्तर पर उत्पादन होने लगा। देश मे घरेलू उत्पाद तो बड़े ही साथ ही इससे रोजगार भी बडा।

भारत पहले से ही इस भयानक महामारी से लडने के लिए कई सारे प्रोडक्ट बना चुकी है पीपीई किट, वेंटिलेटर, मास्क, सैनिटाइजर इत्यादि। भारत मे संसाधनों की कमी नही है परन्तु लोगों को अवसर नही मिलते है परन्तु इस कोरोना महामारी की वजह से लोगों को अवसर भी मिले है जिस वजह लोगो ने घरेलू उत्पाद मे वृद्धि की है। कोरोना महामारी से लड़ने के लिए इन वस्तुओं का निर्माण के संदर्भ मे भारत की तरफ से यह पहला प्रयास है और काफी हद्द तक यह सफल भी रहा। इसकी वजह से हमारा देश विश्व मे एक अच्छी पहचान बना चुका।

आत्मनिर्भर भारत के समक्ष संभावित चुनौतियां

भारत के आत्मनिर्भर बनने के सपने को साकार करने कुछ चुनौतियां ऐसी है जिससे निपटना जरूरी है।

  • लागत और गुणवत्ता – भारत के स्वयं के उत्पादों मे एक समस्या है जो सबसे बडी है। भारत के प्रोडक्ट निर्माण मे यह देखना जरूरी है की क्या वास्तव मे भारत मे बने उत्पादों की गुणवत्ता अच्छी है और उनकी लागत कम हो।हालांकि भारत मे बनने वाली वस्तुओं पर लागत भी कम लगेगी और उस पर व्यय भी कम आयेगा।
  • आर्थिक समस्या – भारत मे जनसंख्या और गरीबी दोनों की एक साथ तेजी से बढ रही है। किसी भी नये उत्पादन के लिए सबसे पहली आवश्यकता होती है पूंजी, हालांकि भारत मे कई ऐसी योजनाएं है जो किसी भी नये उत्पादन या व्यवसाय को चालु करते के लिए लोन मुहैया कराती है। परन्तु यह भी कहा जा सकता है की शुरुआती समय मे देश मे को आर्थिक समस्या का सामना करना पड सकता है।
  • आधारभूत ढांचा – कई आर्थिक व व्यापार विशेषज्ञों की मानें तो उनके अनुसार, चीन से निकलने वाली कई अधिकांश कंपनियों के भारत में न आने का एक सबसे बडा मुख्य कारण ही भारतीय औद्योगिक क्षेत्र (विशेष कर तकनीक के संदर्भ में) में एक मजबूत आधार ढांचे के अभाव को माना जाता है। यही वजह से की भारत मे कई वस्तुओं का आयात ज्यादा मात्रा मे किया जा रहा है जिस वजह से यह भारत के कई व्यापार दूसरे देश पर निर्भर है। आत्मनिर्भर भारत बनने की इस समस्या को सुधारने की भी जरूरत होगी।

निजी क्षेत्रों को बढ़ावा

आत्मनिर्भर भारत अभियान मे निजी क्षेत्रों को हो सकता है फायदा, हालांकि इस अभियान का उद्देश्य भी कही न कही यही है की इससे देश मे व्यापार व उद्योगों को बढ़ाया जाए।

  • आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत देश के निजी क्षेत्रों को बढ़ाया जायेगा। इसमे देशी उद्योगों को व व्यापार को बढाने हेतु बीते बजट सत्र 2021-22 मे भी कई बड़ी घोषणाएं की गई है।
  • प्राइवेट सेक्टर की कंपनियों को इस अभियान के तहत निजी क्षेत्रों के हस्तक्षेप के लिए खोल दिया जाएगा।
  • इस अभियान के तहत भारतीय बाजार मे निजी कंपनियों की डिमांड व उनका हस्तक्षेप भी बढ़ जाएगा।

कोरोना का टीका बना कर दूनिया को दिया संदेश

आत्मनिर्भर भारत के उदाहरण की बात करे तो भारत ने वैश्विक महामारी कोरोना का टीका बना कर विश्व को यह संदेश दिया है की भारत भी कुछ कर सकता है। भारत ने सबसे पहले कोरोना के टीके का निर्माण सफलतापूर्वक किया है। भारत मे स्थित पुणे के सीरम इंस्टीट्यूट मे इस कोरोना के टीके का निर्माण किया गया है। यह टीका भारत के अलावा भारत के पड़ोसी देशों को भी भेजा जा रहा है। इस बात से अब ऐसा लग रहा है की भारत का आत्मनिर्भर बनने का सपना पूरा हो रहा है। भारत आत्मनिर्भर बन रहा है। 

दूसरों पर निर्भर रहने का नुकसान

अगर देश मे इस आत्मनिर्भर भारत के अभियान की शुरुआत नही होती तो हमको पूर्व की भांति वर्तमान मे भी दूसरों पर निर्भर रहना पडता जिससे कुछ नुकसान भी होते –

भारत मे संसाधन सीमित है जिस वजह से हम दूसरों पर निर्भर रहते है। अगर हम दूसरों पर निर्भर रहते है तो हमे उनके अनुरूप काम करना पडता है और उस देश या की हर उस शर्त को मानना होता है जो हमे भले की मंजूर न हो। अगर भारत देश दूसरों पर निर्भर रहता है तो इससे हमारे देश को आर्थिक नुकसान होता है और दूसरे देश को आर्थिक फायदा होता है। दूसरों पर निर्भर रहते ने हमारा देश काफी पीछे रह जाता है और काफी हद तक रह भी गया है। दूसरे देश पर निर्भर रहने से हमारे देश मे बेरोजगारी जैसी भयानक समस्या आ सकती है।

देश मे कोरोना महामारी की वजह से देश को कई समस्याओं का सामना करना पडा है। देश को कई आर्थिक समस्याओं का भी सामना करना पड़ा था। वर्तमान मे देश के आत्मनिर्भर भारत अभियान की शुरुआत के बाद ही हमें इसके परिणाम देखने को मिले है। देश मे कोरोना से लड़ने के लिए पीपीई किट, मास्क, सैनिटाइजर इत्यादी भारत मे बनने लगे और इतना की नही वैश्विक महामारी को झड से मिटाने के लिए कोरोना का टीका भी भारत मे ही पहली बार बनाया गया है।

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आत्मनिर्भर भारत पर निबंध | Aatm nirbhar Bharat Essay in Hindi

आत्मनिर्भर भारत पर निबंध Self Reliant India & Aatmnirbhar Bharat Essay in Hindi: स्वावलंबन अर्थात आत्म निर्भरता का आशय यह है कि स्वयं अपने पैरों पर खड़े होने की योग्यता अर्जित करना.

आर्थिक राजनैतिक और सामाजिक रूप से किसी पर निर्भर न होकर खुद के पैरो पर खड़ा होना हैं. केंद्र सरकार आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत देश की जरूरत के सभी सामान को मेक न इंडिया और मेड इन इंडिया को बढ़ावा देकर इस अभियान पर जोर दे रही हैं.

आत्मनिर्भर भारत पर निबंध Aatmnirbhar Bharat Essay in Hindi

आत्मनिर्भर भारत पर निबंध | Aatm nirbhar Bharat Essay in Hindi

नमस्कार दोस्तों आपका स्वागत है आज के लेख में हम क्लास 1 से लेकर 12 वीं तक के स्कूल स्टूडेंट्स के लिए आत्मनिर्भर भारत योजना पर सरल और आसान भाषा में निबंध, भाषण, अनुच्छेद उपलब्ध करवा रहे हैं. उम्मीद करते है यह आपको पसंद आएगा.

आत्मनिर्भर भारत निबंध

आज भारत को आजाद हुए सात दशक से अधिक का समय हो गया है इन सात दशकों में भारत ने कई उपलब्धियां अर्जित की है.

कई छोटे बड़े क्षेत्रों में भारत ने अपनी प्रतिभा का परिचय दिया हैं. मगर आज भी कई क्षेत्र ऐसे है जिन पर हम दूसरी वैश्विक शक्तियों पर निर्भर हैं.

खासकर कोरोना महामारी के दौर के बाद समूची अर्थव्यवस्था ठप पड़ चुकी हैं ऐसे में नई रणनीति के साथ देश को उठ खड़ा होना होगा.

नये वैश्विक परिद्रश्य में हम वैश्विक शक्तियों से प्रतिस्पर्धा तभी कर पाएगे जब हम आत्म निर्भर हो जाएगे अपनी जरूरत की चीजों के लिए दूसरे देशों पर हमारी निर्भरता कम होगी.

आत्मनिर्भरता का अर्थ

आत्मनिर्भरता शब्द दो शब्दों आत्म और निर्भर से मिलकर बना है जिसमें आत्म अर्थात स्वयं निर्भर अर्थात आश्रित. अर्थात इसका अर्थ हुआ स्वयं पर निर्भर रहना.

मतलब अपनी आवश्यकताओं के लिए दूसरों पर निर्भर न रहना ही आत्मनिर्भरता है और आत्म निर्भर होना हर व्यक्ति समाज और राष्ट्र का स्वप्न होता है.

भारत की अर्थव्यवस्था

आजादी के बाद से भारत आत्मनिर्भरता की ओर लगातार बढ़ता जा रहा है एक विश्व शक्ति बनकर उभर रहा है. और भारत कई सामाजिक और आर्थिक रूप से बदलाव हुए है और इसी कारण से भारत की अर्थव्यवस्था भी आज एशिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था है.

आत्मनिर्भर भारत की ओर बढ़ता देश

आजादी के बाद से यानी इन 75 सालों में भारत ने लगभग हर क्षेत्र में विकास किया हैं. आजादी के समय एक ध्वस्त इमारत के ढेर की स्थिति में हमें यह देश मिला था.

देश के किसानों, मजदूरों, अर्थशास्त्रियों, व्यापारियों, इंजीनियरों और वैज्ञानिकों की दिन रात की कड़ी मेहनत के कारण ही आज हम सुई से लेकर चंद्रयान तक अपने ही देश में बनाने में सफल हुए हैं.

आत्मनिर्भर भारत में विद्यार्थियों की भूमिका

किसी भी देश का भविष्य उस देश के बच्चों युवाओं पर निर्भर करता हैं. यानी हम कह सकते है कि हमारे देश के बच्चों पर ही आत्मनिर्भर भारत का सपना टिका हैं. और विद्यार्थी ही विश्व में अपने देश को आर्थिक सामाजिक बौद्धिक धार्मिक और आध्यात्मिक रूप से शानदार पहचान दिला सकते हैं.

और इन सब के लिए विद्यार्थियों का शिक्षित होना बहुत आवश्यक हैं. जब हम देश के बच्चों को शिक्षित करते है तो यह भी आत्मनिर्भर भारत में अपना योगदान होता हैं. क्योंकि विद्यार्थी ही आगे चलकर देश को सही दिशा और दशा दे सकते हैं.

साथ ही साथ विद्यार्थियों का भी यह कर्तव्य है कि वे अपनी शिक्षा का उपयोग अच्छे कार्यों के लिए अपने देश और समाज के विकास के लिए करें.

विद्यार्थी देश के राष्ट्रीय विकास में मजबूती लाते हैं लेकिन इन्हे सही मार्गदर्शन ना मिले तो राष्ट्रीय विकास नहीं हो सकता और अगर राष्ट्र का विकास नहीं होगा तो भारत आत्मनिर्भर नहीं बनेगा. इसलिए विद्यार्थियों को सही मार्गदर्शन देना चाहिए ताकि वे देश का नाम रोशन कर सके.

केंद्र और राज्य सरकारों ने कई योजनाएं चलाई है जिससे कोई भी युवा बेरोजगारन रहे. ऐसी एक योजना स्टार्ट अप स्टैंड अप है इसके तहत युवाओं को रोजगार के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा हैं.

नये नये इनोवेटिव आइडिया के जरिये नये नये व्यवसाय स्थापित किये जा रहे है और युवाओं को आगे बढ़ने के लिए आर्थिक सहायता प्रदान की जा रही हैं.

जिससे वे अपने ही देश में रहकर उद्योग धंधे स्थापित करे जिससे भारत में रोजगार पैदा हो सके. और ज्यादा से ज्यादा चीजों का निर्माण देश में ही हो. देश की दूसरे देशों पर निर्भरता कम हो. हमारे देश की अर्थव्यवस्था मजबूत हो सके और हम आत्मनिर्भर भारत का निर्माण कर सके.

हर जन का हो एक ही नारा आत्मनिर्भर हो देश हमारा

आत्मनिर्भर भारत की उपलब्धियां

स्वतंत्रता के बाद से भारत ने कई उपलब्धियां हासिल की है चाहे किसी भी क्षेत्र में हो. आज दुनियां भी मानने लगी है कि भारत की सारी उपलब्धियां पूरे विश्व के लिए उपयोगी है.

भारत ने परमाणु शक्ति से लेकर तकनीकी, सूचना प्रोद्यौगिकी और अन्तरिक्ष में कई कीर्तिमान स्थापित किये हैं. कोरोना की वैश्विक महामारी के दौरान जीवन रक्षक दवाइयों, कोविड वैक्सीन, मास्क आदि के उत्पादन और आपूर्ति में महत्वपूर्ण योगदान दिया हैं.

चंद्रयान 2 भेजकर भारत ने अन्तरिक्ष अभियानों में बड़ी सफलता अर्जित की हैं. आर्यभट्ट उपग्रह के साथ शुरू हुई भारत की अन्तरिक्ष यात्रा अब स्वदेशीकरण की तरफ तेजी से बढ़ रही हैं.

भारत के अन्तरिक्ष का सफर 360 किलोग्राम वजनी आर्यभट्ट से शुरू हुआ था. पूरी तरह भारत में निर्मित चंद्रयान 2 के सफल प्रयास के बाद ये आत्मनिर्भर भारत के प्रयास जारी हैं.

मंगल ग्रह का पहला मिशन नवम्बर 2013 में लोंच किया गया था जो सफलतापूर्वक 24 सितम्बर 2014 को ग्रह अपनी कक्षा में स्थापित हो गया था. इस क्षेत्र में भारत अब दिन प्रतिदिन आत्मनिर्भर होता जा रहा है.

संचार क्रांति के क्षेत्र में

भारत ने संचार के क्षेत्र में बहुत प्रगति की है गाँव गाँव तक इन्टरनेट स्मार्टफोन पहुच चुके है. अब हमारे देश का एक छोटा सा गाँव भी पुरे विश्व से जुड़ गया हैं.

डिजिटल इंडिया प्रोग्राम की शुरुआत की गई जिसके माध्यम से लोग सभी प्रकार की जानकारी घर बैठे ले सकते है. चाहे वो किसी सरकारी योजना की जानकारी हो या अन्य किसी प्रकार की.

आज भारत में विश्व का सबसे सस्ता इन्टरनेट भी जिओ की देन है जिससे भारत में आत्मनिर्भर स्वदेशी मोबाइल इंटरनेट सेवाओं में अभूतपूर्व वृद्धि हुई हैं.

तकनीक के क्षेत्र में

तकनीक के क्षेत्र में भारत में निर्मित वन्दे भारत एक्सप्रेस ने हमारे देश की रेल पटरी पर फर्राटे से दौड़ लगाई हैं. यह ट्रेन पूरी तरह स्वदेशी तकनीक से निर्मित थी और हमारे देश के मेक इन इंडिया प्रोग्राम के तहत बनी हुई थी. इसके अलावा भारत ने आईटी के क्षेत्र में भी प्रगति कर पूरे विश्व को चौका दिया हैं.

कृषि के क्षेत्र में

भारत कृषि क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन चूका है आजादी के बाद भारत ने कृषि क्षेत्र में बहुत विकास किया है. उत्पादन के मामले में भारत ने कई देशों को पीछे छोड़ दिया है. भारत दालों का सबसे बड़ा उत्पादक देश है.

चीनी का यह दूसरा सबसे बड़ा और कपास का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है. भारत पशुधन के मामले में भी सम्पन्न राष्ट्र है जिस कारण भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध और मक्खन उत्पादक भी हैं.

औद्योगिक क्षेत्र में

आजादी के बाद से भारत में तेजी से औद्योगिक विकास हुआ हैं. लघु मध्यम और वृहद उद्योगों के विकास में सरकारों की पंचवर्षीय योजनाओं का भी बड़ा हाथ रहा हैं. भारत में टेक्स्टाईल, मोटर वाहन, ऑटोमोबाइल का बड़ा उत्पादक देश हैं.

भारत में ही सबसे सस्ती नैनो कार से लेकर bwm के संयंत्र काम कर रहे हैं. विश्व का सबसे बड़ा दुपहिया वाहन निर्माता भी भारत ही हैं.

भारत अब दुनिया के औद्योगीकृत देशों की श्रेणी में गिना जाता हैं. भारत ने विश्व स्तरीय निर्माणों में भी आत्मनिर्भरता हासिल कर देश की अर्थव्यवस्था को गति प्रदान की हैं.

सैन्य शक्ति के रूप में

भारत ने अपनी सैन्य शक्ति का बहुत विस्तार किया है. हमारी सेना में अत्याधुनिक हथियारों के साथ साथ राफेल जैसे घातक फाइटर जैट भी हैं.

साथ ही साथ भारत और रूस द्वारा बनाई गई दुनिया की सबसे तेज क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस को भी भारतीय सेना में शामिल किया गया हैं.

स्वतंत्रता से अब तक भारत की विकास यात्रा बहुत ही अच्छी रही है. चाहे वह किसी भी क्षेत्र में हो कृषि क्षेत्र से लेकर अन्तरिक्ष तक, संचार क्रांति से लेकर ट्रेन बनाने तक हर कार्य में भारत आत्मनिर्भरता की और बढ़ रहा हैं. दिन प्रतिदिन अलग और नये नये आविष्कारों से भारत उन्नत बन रहा हैं.

साथ ही मूल्यों संस्कारों समृद्ध परम्पराओं को साथ लेकर चल रहा हैं. अगर भारत एक महाशक्ति के रूप में रूप में पहचान बनाना चाहता है तो उसे हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर होना ही होगा.

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आत्मनिर्भर भारत पर निबंध : आत्मनिर्भर के बारे में ये जरूरी बातें जानें।

आत्मनिर्भर भारत पर निबंध (Aatm Nirbhar Bharat Par Nibandh in Hindi) : आत्मनिर्भर भारत अभियान की शुरुआत भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना वायरस की अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए की थी।

आत्मनिर्भर भारत पर निबंध

आत्मनिर्भर भारत पर निबंध हिंदी में (250 words) :.

इस अभियान के द्वारा भारत में लोगों को काम काज करने की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी और यह प्रयत्न किया जाएगा कि अगले कुछ सालों में भारत अपनी जरूरतों की अधिकतर वस्तुएं अपने देश में ही तैयार करें अर्ताथ आत्मनिर्भर बन जाए।

आत्मनिर्भर होना हर व्यक्ति समाज और राष्ट्र का स्वपन होता है। हमारी भूतपूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने भी कहा है। कि एक राष्ट्र की शक्ति उसकी आत्मनिर्भरता में है। दूसरों से उधार लेकर काम चलाने में नहीं।

आत्मनिर्भर राष्ट्र ही अपने राष्ट्र को सर्वोपरि बना सकता है। क्योंकि जो राष्ट्र आत्मनिर्भर होता है। अपने पैरों पर खड़ा खड़ा होता है। वही अपने आप में सबसे अच्छा होता है।

उदाहरण के तौर पर मैंने एक चीज लिखिए जिससे आपका जो ऐसे है। वह बहुत अच्छा लगेगा यदि बैसाखी के सहारे चलने वाले व्यक्ति की बैसाखी छीन ली जाए तो वह चलने में असमर्थ हो जाता है। ठीक उसी प्रकार यही स्थिति दूसरों पर निर्भर रहने वाले राष्ट्र की हो जाती है।

दोस्तों यदि हम किसी भी सामान के लिए दूसरे देश पर निर्भर रहते है और किसी कारणवश वह सामान हमारे यहां नहीं आ पाता तो हमारी स्थिति बहुत जर्जर हो जाती है। लेकिन अगर वही सामान हमारे राष्ट्र में डेवलप हो रहा है। तो हमें कोई ज्यादा फर्क नहीं पड़ता है।

वर्तमान समय में यदि हम इतिहास के पृष्ठों को पलट कर देखें। तब जब तक भारत परतंत्र था, यह अपने विकास के लिए अंग्रेजों पर निर्भर था। लोग चाहकर भी अपना और देश का विकास नहीं कर सकते थे।

किंतु स्वतंत्रता के उपरांत भारत आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर हुआ और आज स्थिति यह है। कि यह विश्व में कोहिनूर की भांति चमकता आ रहा है। या चमकता है। आज देखिए भारत स्तर पर अपने जो संसाधन है। जो हमारे राष्ट्र में ही निर्मित है। तो उसमें कहीं हद तक अपनी पहचान बना चुका है।

आत्मनिर्भर भारत पर निबंध

आत्मनिर्भर भारत अभियान पर निबंध (500 words)

हाल ही में भारतीय प्रधानमंत्री ने भारतीय उद्योग परिसंघ वार्षिक सत्र 2020 को वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से संबोधित करते हुए आत्मनिर्भर भारत के निर्माण की आवश्यकता पर बल दिया है। कि हमें आप निर्भरता का जो फैसला है। वह लेना चाहिए भारत जो कि वासुदेव कुटुंबकम की संकल्पना में विश्वास करता है।

भारत अगर प्रगति करता है। तो वह दुनिया की प्रगति में भी अपना योगदान देता है। आत्मनिर्भर भारत कार्यक्रम के तहत भारत को उस बाज की तरह ऊंची उड़ान भरनी चाहिए जो कि सबसे ऊपर पहुंच कर भी हर जीव पर नजर रखता है।

प्रधानमंत्री द्वारा आत्मनिर्भर भारत अभियान का आह्वान करते हुए 20 लाख करोड़ रूपए की विशेष आर्थिक पैकेज की घोषणा की थी। प्रधानमंत्री जो उन्होंने यह कार्यक्रम चलाया है। भारत अपने पैरों पर खड़ा हो सके। भारत की पहचान बन सके।

जीवन में शिक्षा का महत्व पर निबंध: शिक्षा एकमात्र आधार है जिस पर मानव जाति का भविष्य निर्भर करता है।

हम अपने प्राचीन जो हमारे महापुरुष उनकी बात करते हैं, हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का सपना था कि भारत स्वदेशी चीजों को अपनाएं तथा देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाएं। वर्तमान समय में फिर से आज मुझे उनका यह सपना पूरा होता नजर आ रहा है

आत्म निर्भरता का अर्थ यह नहीं है। कि हम चीन के सामान या अन्य किसी देश के समान का आयात बंद कर दें। ऐसा नहीं है कि हम उनका इंपोर्ट बंद कर दे। इसका मतलब है कि हमारा खुद का सामान इतना सस्ता और अच्छा होगी विदेश का माल को छोड़कर लोग स्वयं जो स्वदेशी माल है उसको खरीदें। क्योंकि कहा गया है कि जबरदस्ती कराया गया काम कुछ वर्ष लेकिन स्वेच्छा से किया गया काम उम्र भर चलता है।

चलिए आगे बढ़ते हैं अतः अंत में हम जिस राष्ट्र की मिट्टी में पले बढ़े हुए हैं जिस राष्ट्र का हमने खाया है, क्यों ना उस राष्ट्र का कर्ज हम स्वदेशी वस्तुओं को अपनाकर भारत को विकासशील नहीं बल्कि विकसित देशों में शामिल करैं।

तभी हम पूरी तरह से कह पाएंगे कि हां मैं भारत का निवासी हूं। जो कि आर्थिक सामाजिक राजनीतिक दृष्टिकोण से स्वतंत्र राष्ट्र है। तो तभी हमारा स्वतंत्र भारत का सपना पूरा हो सकेगा।

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Essay On Aatm Nirbhar Bharat : आत्मनिर्भर भारत

Meena Bisht

  • October 11, 2020
  • Hindi Essay

Essay On Aatm Nirbhar Bharat ,  आत्मनिर्भर भारत पर हिन्दी निबन्ध 

Essay On Aatm Nirbhar Bharat

Essay On Aatm Nirbhar Bharat

आत्मनिर्भर भारत पर हिन्दी निबन्ध .

Content /संकेत बिन्दु /विषय सूची

  •   प्रस्तावना 
  • आत्मनिर्भर भारत का सपना 
  • आत्मनिर्भर भारत अभियान 
  • भारत के आत्मनिर्भर होने से फायदा

आत्मनिर्भर भारत के पाँच मूलभूत स्तंभ

  • कैसे बनेगा भारत , आत्मनिर्भर भारत 

प्रस्तावना 

आत्मनिर्भर का अर्थ होता है अपने आप पर निर्भर या आश्रित होना। आत्मनिर्भर भारत का अर्थ हैं  भारत को किसी भी क्षेत्र जैसे खाद्य पदार्थ , टक्नोलॉजी , इलेक्ट्रॉनिक उपकरण या किसी भी तरह के अन्य उपकरणों , मशीनों , दवाइयों , रक्षा से जुड़े सैन्य सामानों आदि के लिए दुनिया के किसी भी देश पर निर्भर न रहना पड़े।

यानि ट्रेन से लेकर प्लेन तक , सुई से लेकर भवन निर्माण तक , मोबाइल से लेकर सुपर कंप्यूटर तक , हर जरूरत की वस्तु का निर्माण पूर्ण गुणवत्ता व विश्वसनीयता के साथ भारत में ही किया जाय। ताकि हमें किसी भी वस्तु का आयात करने की जरूरत न पड़े और दूसरे देशों पर हमारी निर्भरता बिल्कुल खत्म हो जाय।यही आत्मनिर्भरता हैं।

आत्मनिर्भर भारत का सपना (Essay On Aatm Nirbhar Bharat)

स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से ही भारत के दिल में आत्मनिर्भरता का सपना पलने लगा था। गांधीजी हमेशा कहते थे पूर्ण रूप से स्वदेशी वस्तुओं को अपनाओ।अपने देश के प्राकृतिक संसाधनों व कच्चे माल से तैयार होने वाली वस्तुओं का ज्यादा से ज्यादा प्रयोग करो। वो खुद भी पूर्ण स्वदेशी वस्तुओं का प्रयोग करते थे। यह आत्मनिर्भर भारत की तरफ उठाया गया पहला कदम था।

लेकिन दुख की बात यह रही कि आजादी के 70 साल तक यह पहला कदम दूसरे कदम में नहीं बदल पाया। मगर कोरोना महामारी से उपजे संकट में देश ने खाद्यानों व अन्य जरूरी सामानों की कमी के बाद आत्मनिर्भरता का मतलब समझा। इसके बाद से ही भारत के दिल में आत्मनिर्भरता का सपना पलने लगा।

जब कोरोनावायरस पूरी दुनिया में बहुत तेजी से अपने पैर पसार रहा था। तब कोई भी देश चाह कर भी दूसरे देश की मदद नहीं कर पा रहा था। ऐसे समय में हमारे देश के पास मेडिकल में प्रयोग होने वाले उपकरणों व दवाइयों की भारी किल्लत हो गई। उस वक्त भारत को भी कई सारी मेडिकल से संबंधित समस्याओं से गुजरना पड़ा।

पर कहते हैं ना कि आवश्यकता , आविष्कार की जननी है। बस हमने इस को सिद्ध कर दिखाया। भारत ने हिम्मत नहीं हारी और अपने ही देश में कुछ सामान जैसे पीपीई किट , वेन्टिलेटर , सेनेटाइजर और के.एन.-95 मास्क का तुरंत भारी मात्रा में उत्पादन शुरू कर दिया। हमारी आवश्यकतायों की पूर्ति के लिए हमारे कदम आत्मनिर्भर भारत की तरफ बढ़ चले।

आत्मनिर्भर भारत अभियान ( Essay On Aatm Nirbhar Bharat Abhiyan )

कोरोना महामारी से बचने के लिए पूरे विश्व में लॉकडाउन किया गया जिस वजह से सभी व्यावसायिक और औद्योगिक गतिविधियां बंद हो गई। चाह कर भी एक देश , दूसरे देश से माल आयात व निर्यात नहीं कर पा रहा था । भारत में भी लोगों को अपनी जरूरतों के लिए कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा। 

रही सही कसर भारत के साथ चीन के डोकलाम विवाद ने पूरी कर दी। डोकलाम विवाद के बाद भारत ने चीनी वस्तुओं के आयात पर पूरी तरह से पाबंदी लगा दी। चीन से आयात की जाने वाली वस्तुएं बहुत ही कम मूल्य में उपलब्ध होती थी। लेकिन पाबंदी लग जाने के बाद भारत में चीन से सामान आना बंद हो गया।

तब भारत को दूसरे देशों से सामान मंगाना पड़ा , जो काफी महंगा था। तब भारत ने आत्मनिर्भर होने की जरूरत को बड़ी शिद्दत से महसूस किया। 

12 मई 2020 को राष्ट्र के नाम एक सम्बोधन में भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने भारत को पूर्ण रूप से आत्मनिर्भर बनाने की बात जनता के सामने रखी। और “लोकल फॉर वोकल” स्लोगन के साथ देश की जनता से आत्मनिर्भर भारत बनाने का आह्वान किया।

इसके साथ ही आत्मनिर्भर भारत अभियान की शुरुवात के लिए 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज की घोषणा भी की। जो देश के कुल सकल घरेलु उत्पाद (GDP) का 10% हैं। तब प्रधानमंत्री ने कहा था कि भारत को COVID-19 महामारी संकट को एक अवसर के रूप में देखना चाहिये।

वैसे भारत में “मेक इन इंडिया प्रोग्राम /Make In India Programme” पहले से ही चल रहा है। जिसके तहत कई सारी योजनाएं सफलतापूर्वक चलाई जा रही है। 

भारत के आत्मनिर्भर होने से फायदा (Benefits of Aatm Nirbhar Bharat)

भारत के आत्मनिर्भर होने से पूरे देश व देश के प्रत्येक नागरिक को फायदा पहुंचेगा। सबसे पहला फायदा तो यह होगा कि हमें अपनी जरूरत की वस्तुओं के लिए दूसरे देशों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। आयात में कमी होने से विदेशी मुद्रा की बचत होगी। जरूरत से ज्यादा वस्तुओं का निर्यात कर हम अधिक से अधिक विदेशी मुद्रा भी अर्जित कर सकते हैं। किसी भी आपदा या महामारी के वक्त हमें अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करने के लिए दूसरों के मुंह नहीं ताकना पड़ेगा। 

अपने देश में नए-नए उद्योग धंधे को स्थापित किया जायेगा। जिससे हजारों की संख्या में लोगों को रोजगार मिलेगा। हर हाथ के पास काम होगा , तो बेरोजगारी व गरीबी खुद-ब-खुद खत्म होगी। प्रति व्यक्ति आय में बढ़ोतरी होगी , जिससे लोगों के आर्थिक हालत में भी सुधार आएगा। लोगों के आर्थिक हालत में सुधार का मतलब समाज और देश की आर्थिक स्थिति में सुधार। फिर हमें बेरोजगारी व गरीबी को खत्म करने के लिए कोई अलग से अभियान नहीं चलाना पड़ेगा।  देश में बनने वाली सभी वस्तुओं की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान दिया जाएगा जिससे देश दुनिया पर हमारे देश व वस्तुओं के प्रति विश्वसनीयता बढ़ेगी। 

आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए पाँच मूलभूत स्तंभों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा । जो निम्न है। 

  • अर्थव्यवस्था (Economy) – अर्थव्यवस्था को वृद्धिशील परिवर्तन (Incremental Change) की जगह बड़ी उछाल (Quantum Jump) पर आधारित किया जायेगा।
  • प्रौद्योगिकी (Technology) –  प्रौद्योगिकी संचालित व्यवस्था पर जोर दिया जायेगा।
  • अवसंरचना (Infrastructure) – ऐसे अवसंरचना का विकास किया जायेगा जो पूरे विश्व में आधुनिक भारत की पहचान बने।
  • मांग (Demand) – भारत की मांग और आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत कर उसकी पूरी क्षमता का उपयोग किया जायेगा।
  • गतिशील जनसांख्यिकी (Vibrant Demography) –  भारत दुनिया की सबसे बड़ी Democracy हैं। और हमारी असली ताकत भी यही है। जो आत्मनिर्भर भारत के लिये ऊर्जा का स्रोत बनेगी।  

कैसे बनेगा भारत , आत्मनिर्भर भारत ( Essay On Aatm Nirbhar Bharat)

हमारा देश भारत , विविधताओं का देश है। यह देश अलग-अलग तरह की संस्कृति , रहन-सहन , खान-पान ,  भाषा का धनी तो हैं ही , साथ ही साथ प्राकृतिक संसाधनों , जैव विविधताओं तथा हरियाली (वनों) से भी संपन्न है। प्रकृति ने जो हमें दिया है या जो भी संसाधन हमारे पास है। हम उन्हीं चीजों का इस्तेमाल कर भी आराम से आत्मनिर्भर बन सकते हैं। लेकिन भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए हमें कई सारे क्षेत्रों में एक साथ सामूहिक प्रयास करने होंगे। जो निम्न हैं। 

1. भारत को आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए देश के प्रत्येक नागरिक को अपने-अपने स्तर से सहयोग करना होगा।  एक जिम्मेदार नागरिक के तौर पर हम सब को अपने-अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से पालन करना होगा। सबसे अच्छी बात यह है कि हमारा संविधान भी हमें व हमारे देश को आत्मनिर्भर बनने में पूरा पूरा सहयोग करता है। भारत का संविधान भारत के प्रत्येक नागरिक को जीने का , शिक्षा ,  रोजगार ,  विचारों की अभिव्यक्ति व अन्य सभी चीजों के समान अवसर प्रदान करता है। और सारी जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ भी देश का प्रत्येक नागरिक समान रूप से ले सकता है।

हमारा संविधान कहता है कि देश का प्रत्येक नागरिक स्वतंत्रता पूर्वक देश के किसी भी कोने में जाकर अपनी रोजी-रोटी के लिए प्रयास कर सकता है। नए उद्योग धंधों को स्थापित कर सकता है। जो किसी भी राष्ट्र के आत्मनिर्भर बनने की तरफ सबसे पहला और अहम कदम है।

2.   हमारे युवा व हमारे देश के छात्र आत्मनिर्भर भारत बनाने में अहम योगदान दे सकते हैं। ये  विद्यार्थी अपार संभावनाओं और असीमित प्रतिभाओं के धनी होते हैं । वैसे भी भारत के छात्रों व युवाओं की प्रतिभा का लोहा तो पूरी दुनिया मानती है। अधिकतर विकसित देशों में भारत के युवा अपनी सेवाएं बड़ी कुशलता पूर्वक दे रहे हैं।

सरकार ने नए उद्योग धंधों को स्थापित करने व नये आविष्कारों को इजाद करने के लिए स्टार्टअप योजना की शुरुआत की है जिसमें सरकार इन युवाओं को आर्थिक प्रोत्साहन देकर अपने देश में ही अपनी सेवाएं देने के लिए प्रेरित कर रही है। जो भारत को आत्मनिर्भर बनाने में दूसरा अहम कदम है। 

3.   हमें समुद्र से लेकर हरियाली (वनों) तक सभी को संरक्षित करना होगा। भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए हमें अपने प्राकृतिक संसाधनों का भी भरपूर उपयोग करना पड़ेगा। हमें अपने देश में मिलने वाले कच्चे माल का उपयोग अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए करना सीखना होगा।

इसके लिए हमें अपने प्राकृतिक संसाधनों व जैव विविधता व वनों , यहां तक कि अपने समुद्र को भी बचाना आवश्यक है। क्योंकि जंगलों से हमें कई तरह के उद्योग धंधों के लिए कच्चा माल व अमूल्य औषधियों प्राप्त होती है। साथ में इससे इको टूरिज्म को बढ़ावा मिलता है जिससे राज्य सरकारों और केंद्र सरकारों को भारी राजस्व की प्राप्त होती हैं।

4. हमारे समाज में अभी भी जाति , धर्म , लिंग का भेदभाव गहरी पैठ बनाये हुए है। जो हमारी तरक्की में सबसे बड़ा बाधक है। अगर भारत को आत्मनिर्भर बनाना है तो हमें जाति , धर्म व लिंग के भेदभाव से ऊपर उठकर समान रूप से अपनी व देश की आर्थिक तरक्की के लिए सामूहिक प्रयास करने होंगे। अगर हर व्यक्ति अपने को आर्थिक रूप से मजबूत करने का प्रयास करेगा , तो देश खुद-ब-खुद मजबूत बन जाएगा। 

5. भारत एक कृषि प्रधान देश है और भारत की लगभग 70% आबादी कृषि कार्यों पर अपना जीवन यापन करती हैं हालाँकि आज भारत में कृषि के पारंपरिक तौर तरीकों को बदलकर किसानों ने वैज्ञानिक तरीकों को अपना लिया है जिससे अच्छी पैदावार हो रही है।

लेकिन अभी भी इस क्षेत्र में बहुत कुछ करना बाकी है।कृषि ही एक मात्र ऐसा क्षेत्र है जिसमें भारत पूरी तरह से आत्मनिर्भर होकर अपने देश के लिए खाद्यान्नों की जरूरत को तो पूरा कर ही सकता है साथ में खाद्यान्नों के निर्यात से भी अच्छी खासी विदेशी मुद्रा अर्जित कर सकता है। हाल के वर्षों में कृषि क्षेत्र की तरफ पढ़े लिखे युवाओं का रुझान भी बढ़ा है। कई अच्छे पढ़े-लिखे प्रतिष्ठित युवा भी कृषि क्षेत्र में अपना करियर बनाने में विशेष रुझान दिखा रहे हैं। 

6. स्थानीय उत्पादों को अधिक से अधिक बढ़ावा दिया जाना आवश्यक है। ये भी हमें आत्मनिर्भर बनाने में बहुत बड़ी भूमिका निभाएंगें। प्रधानमंत्री ने भी “लोकल उत्पादों को वोकल” बनाने की बात की हैं।  प्रधानमंत्री ने बच्चों के खिलौने बनाने के क्षेत्र में भी अपार संभावनाएं जताई हैं। 

7.   हमें अपनी सभ्यता , संस्कृति , भाषा , लोककला , रीति रिवाजों , पूर्वजों की धरोहरों व आध्यात्मिक ज्ञान व भारतीय विद्याओं  को भी सहेज व समेट कर रखना होगा और अधिक से अधिक युवाओं को इन सब से जोड़कर इसे रोजगार का जरिया बनाना होगा , क्योंकि हमारी यही सासंस्कृतिक धरोहर दुनिया के लिए आकर्षण का केंद्र है। 

8. भारत को सिर्फ आत्मनिर्भर ही नहीं बल्कि स्वस्थ भारत बनाना भी आवश्यक है। क्योंकि जब देश का प्रत्येक व्यक्ति स्वस्थ होगा तो , वह किसी न किसी रूप में आत्मनिर्भर भारत बनाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान देगा।  किसी भी राष्ट्र के विकास में वहाँ के स्वस्थ नागरिक मानव पूंजी का निर्माण करते हैं। स्वस्थ व्यक्ति प्रत्येक काम चाहे वह उद्योग धंधे हो या कृषि व्यवसाय या किसी भी अन्य तरह के क्षेत्र की तरक्की में अपना योगदान दे सकते हैं। 

9. युवाओं को रोजगार परक शिक्षा देने की अति आवश्यकता है। स्कूल कॉलेजों में छात्रों को अपने मनपसंद की शिक्षा लेने की स्वतंत्रता होनी चाहिए जिससे युवा अपनी रूचि के हिसाब से शिक्षा ग्रहण कर अपनी क्षमता का विकास करें और भविष्य में उनकी वही शिक्षा उनके लिए रोजगार का जरिया बन जाए। अगर हर हाथ के पास काम होगा तो भारत आत्मनिर्भर होगा। 

10. हमारे देश में प्राकृतिक पर्यटन के साथ ही धार्मिक पर्यटन की भी असीम संभावनाएं हैं। भारत में होने वाले विशाल धार्मिक आयोजन (जैसे कुम्भ मेला) शेष विश्व के लोगों को आकर्षित करते हैं। 

हमें अपने भारत को सिर्फ आत्मनिर्भर नहीं बल्कि एक श्रेष्ठ व विश्वसनीय भारत बनाना होगा। इसमें हमारे युवा अपनी ऊर्जा व नए नए विचारों से नए नए तरह के व्यवसायियों , अविष्कारों को जन्म देकर आत्मनिर्भर भारत बनाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। देश के बड़े-बड़े उद्योगपति व सरकार इन लोगों को आर्थिक मदद देकर प्रोत्साहित कर सकते हैं। जब भारत में ही हर तरह की वस्तुओं को पूर्ण गुणवत्ता के साथ बनाया जाएगा। तो भारत को अपनी जरूरत के लिए किसी अन्य देश के मुंह नहीं ताकना पड़ेगा। 

कोई कंपनी खोलकर लोगों को रोजगार देगा , तो कोई कुटीर उद्योग से अपने लिए स्वरोजगार पैदा करेगा। कोई अपने गांव में मिलने वाले सामान को “लोकल से ग्लोबल” बनाएगा तो , कोई नया आविष्कार कर एक मिसाल कायम करेगा। यानी बड़े अपने अनुभव से और नवयुवा अपनी मेहनत से आत्मनिर्भर भारत का सपना साकार करेंगे। 

Essay On Aatm Nirbhar Bharat :

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आत्मनिर्भर भारत पर निबंध – Aatm Nirbhar Bharat Essay in Hindi

नमस्कार दोस्तों Top Kro में आपका स्वागत है। इस पोस्ट में हम “आत्मनिर्भर भारत के बारे में ( Aatm Nirbhar Bharat Essay in Hindi ) पढेंगे। इस लेख में आत्मनिर्भर भारत पर निबंध सभी कक्षाओं के छात्रों व आत्मनिर्भर भारत पर निबंध upsc के लिए है।

इस पोस्ट में आपको आत्मनिर्भर भारत पर कई निबन्ध दिए गए है जैसे Self Reliant India Essay In Hindi 100 शब्दों में, आत्मनिर्भर भारत पर निबंध 300 शब्दों में, आत्मनिर्भर भारत पर निबंध 500 शब्दों में तथा आत्मनिर्भर भारत पर निबंध 1000 शब्दों में इत्यादि।

Aatm Nirbhar Bharat Essay in Hindi की सहायता से विद्यार्थी अपनी जानकारी बढ़ा सकते है। इस निबंध के माध्यम से हमने बताया है कि  आत्मनिर्भर का क्या अर्थ है, आत्मनिर्भर भारत का क्या मतलब है, भारत को आत्मनिर्भर कैसे बनाया जा सकता है, भारत को आत्मनिर्भर बनाने के फायदे व भारत को आत्मनिर्भर बनाने में आने वाली रुकावटों के बारे में जानकारी देने का प्रयास किया है।

Aatm Nirbhar Bharat Essay in Hindi 100 Words

आत्मनिर्भर भारत अभियान भारतीय अर्थव्यवस्था के आर्थिक पुनरुद्धार और प्रगति के लिए एक महत्वपूर्ण अभियान है। भारतीय अर्थव्यवस्था में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए सरकार द्वारा बनाए गए कानूनों के उचित कार्यान्वयन और सरकार द्वारा धन के उचित आवंटन की आवश्यकता है।

आत्मनिर्भर राष्ट्र होने के बहुत सारे फायदे होते हैं। आत्मनिर्भर भारत योजना के अन्तर्गत मई 2020 में भारत सरकार द्वारा 20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज की घोषणा की गई थी| यह आर्थिक पैकेज छोटे व्यवसायों, कपड़ा उद्योग, घरेलू उद्योग, मज़दूरों तथा एमएसएमई सहित अन्य विभिन्न वर्गों की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए था। इसी के साथ प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत को आत्मनिर्भर बनाने का समय आ गया है।

आत्मनिर्भर भारत पर निबंध 300 शब्दों में

भारत की कला और संस्कृति को देखते हुए यह बात स्पष्ट होती है कि भारत प्राचीन काल से ही आत्मनिर्भर रहा है। आज हम पूर्ण रूप से आत्मनिर्भर नहीं है। आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत भारत में विभिन्न नए उत्पादनों के विकास को बढ़ावा मिला है। इससे हमारे देश का आयात घटेगा और निर्यात बढ़ेगा।  

“Aatm Nirbhar” एक अंग्रेजी शब्द है, जिसका हिंदी मे अर्थ होता है कि दूसरों पर निर्भरता नहीं रखना या दूसरों पर निर्भर न होना। हमारे देश के प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा देश के लोगो को आत्मनिर्भर बनाने के लिए आत्मनिर्भर भारत अभियान की शुरुआत की गई थी।

12 मई 2020 को राष्ट्र के नाम एक सम्बोधन में भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने भारत को पूर्ण रूप से आत्मनिर्भर बनाने की बात जनता के सामने रखी। और “लोकल फॉर वोकल” के नारे के साथ देश की जनता से आत्मनिर्भर भारत बनाने का आह्वान किया।

हांलाकि आत्मनिर्भरता शब्द नया नही है। ग्रामीण क्षेत्रों मे छोटे उधोगों के द्वारा बनाए गए सामानों और उसकी आमदनी से आए पैसों से परिवार का खर्च चलाने को ही आत्मनिर्भरता कहा जाता है। छोटे उधोगों मे बनाए गए सामानों को अपने आस-पास के बाजारों मे ही बेचा जाता है।

आत्मनिर्भरता की श्रेणी मे खेती, मत्स्य पालन इत्यादि अनेक प्रकार के कार्य है जो कि हमे आत्मनिर्भरता की श्रेणी मे लाकर खड़ा करती है। इस प्रकार से हम अपने परिवार से गांव, गांव से शहर, शहर से जिला और इसी प्रकार पूरे राष्ट्र को योगदान आत्मनिर्भर बना सकते है।

हम सहजता से मिल जाने वाले प्राकृतिक संसाधनों और कच्चे माल के द्वारा वस्तुओं का निर्माण करके अपने आसपास के बाजारों मे इसे बेच सकते है। इससे स्वयं के साथ-साथ आत्मनिर्भर भारत अभियान मे अपना योगदान दे सकते है और हम सब मिलकर एक आत्मनिर्भर राष्ट्र भारत के सपने को मजबूत बनाने मे सहयोग कर सकते है। हमें अपने भारत को सिर्फ आत्मनिर्भर ही नहीं बल्कि एक श्रेष्ठ व विश्वसनीय भारत बनाना होगा।

आत्मनिर्भर भारत निबंध 500 शब्दों में – Essay on Aatam Nirbhar Bharat in Hindi

आत्मनिर्भर का अर्थ होता है कि कोई भी व्यक्ति या देश किसी दूसरे पर निर्भर नहीं होकर खुद पर निर्भर रहे। आत्मनिर्भर होना खुद के लिए, अपने गाँव, शहर, जिले और देश के लिए बहुत जरूरी है। यदि हमारा शहर या देश आत्मनिर्भर रहेगा तो हमें किसी दूसरे देश पर निर्भर नहीं रहना होगा। आत्मनिर्भर होने से पैसों की भी बचत होती है और रोजगार के भी नए – नए अवसर पैदा होंगे।

कोई भी व्यक्ति यदि किसी दूसरे पर निर्भर है तो हर काम या अपनी आवश्यकता के लिए उसे दूसरों से मदद की जरूरत होती है यह उसके लिए बहुत बड़ी कमी है। उसे खुद पर निर्भर होना चाहिए न कि किसी दूसरे पर। आत्मनिर्भर न होने पर हमें दूसरों पर निर्भर रहना पड़ता है।

भारत एक कृषि प्रधान देश है और भारत की लगभग 70% आबादी कृषि सम्बंधित कार्यों से अपना जीवन यापन करती हैं हालाँकि आज भारत में कृषि के पारंपरिक तौर तरीकों को बदलकर किसानों ने वैज्ञानिक तरीकों को अपना लिया है जिससे अच्छी पैदावार हो रही है।

आत्मनिर्भर भारत अभियान

आत्मनिर्भरता की ये सभी बातें व्यक्ति को छोड़कर राज्य और देश पर भी लागू होती है। यदि देश के पास पर्याप्त संसाधन उपलब्ध नहीं है तो उसे किसी दूसरे देश से उस संसाधन की कमी को पूरा करना पड़ेगा। यदि उस संसाधन को बनाने की सारी सामग्री उसके पास उपलब्ध है तो वह उसका प्रयोग कर उसका निर्माण स्वयं कर सकता है। इससे वह आत्मनिर्भर भी बनेगा और किसी दूसरे देश पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

भारत एक ऐसा देश है जहां हर संसाधन प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है। लेकिन हम कई सारी ऐसी चीज़े उपयोग में लेते हैं जो किसी दूसरे देशों में बनी होती है। इससे हमें तो नुकसान तो होता ही है। साथ में देश को भी इसका बहुत बड़ा नुकसान भुगतना पड़ता है। दूसरे देशों से बनी वस्तएं खरीदने पर हम दूसरे देश को पैसे देते हैं अगर वहीं ये वस्तुएं अपने देश मे बनी हो तो देश की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी और रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे।

यदि देश मे उपलब्ध सभी संसाधनों का सही उपयोग करके देश में ही वस्तुएं बननी शुरू हो जाये तो इससे देश को काफी फायदा होगा। इससे देश में उद्योगों की बढ़ोतरी होती और देश के हर युवा को रोजगार मिलेगा और देश के नागरिको को प्राप्त मात्रा में आवश्यक सामान उपलब्ध हो पाएगा।

देश में अधिक उद्योग लगेंगे तो देश में बेरोजगारी कम होगी और देश में फैली गरीबी भी समाप्त होने के साथ – साथ देश की आर्थिक स्थिति में काफी सुधार होगा और अर्थव्यवस्था बहुत मजबूत होगी। फिर हमारे देश को किसी दूसरे देश पर निर्भर नहीं होना पड़ेगा। अधिक सामग्री बनने से हम अपने देश की सामग्री को दूसरे देशो को भी निर्यात कर सकते हैं। इससे हमारे देश के आयात में कमी होगी और साथ में निर्यात में बहुत अधिक बढ़ोतरी होगी।

आत्मनिर्भर भारत को लेकर अब सरकार भी बहुत अच्छे-अच्छे कदम उठा रही है तो हमें भी सरकार का सहयोग करना चाहिए और देश को आत्मनिर्भर बनाने में सरकार की मदद करनी चाहिए।

आत्मनिर्भर भारत पर निबंध 1000 शब्दों में

एक व्यक्ति का सबसे बड़ा गुण होता है आत्मनिर्भरता। एक आत्मनिर्भर व्यक्ति अपने खुद का सहारा स्वयं होता है। अगर कोई व्यक्ति आत्मनिर्भर रहता है तो उसे किसी दूसरे के सहारे की जरूरत नही पडती। हमारा भारत देश विश्व की प्राचीन संस्कृतियों मे से एक है और इस देश की संस्कृति, रंग – ढ़ग देखकर हम कह सकते है की भारत पहले से ही काफी आत्मनिर्भर रहा है।

भारत मे लगभग सभी संसाधन उपलब्ध है। स्वयं के हुनर से स्वयं का विकास करना ही आत्मनिर्भरता का सही मतलब है। हर व्यक्ति यही चाहता है की वह आत्मनिर्भर बने, फिर चाहे उसके रहन – सहन से हो या उसके तौर तरीके से। 

आत्मनिर्भर का अर्थ 

किसी एक व्यक्ति विशेष, गांव या देश को किसी और के सहारे न रहकर अपने स्वयं के सहारे रहना ही आत्मनिर्भर कहलाता है। इसी को एक उदाहरण के साथ समझे तो मान लीजिए की आप अपने घर पर अकेले रहते है और अपने खाने पीने के साथ – साथ अपनी सुविधाओं के लिए आप पड़ोसी पर निर्भर है वो आपको खाना देने के लिए कभी भी मना कर सकता है।

इसके विपरीत अगर आप अपने खाने के लिए खुद मेहनत करते है और खुद खाना बनाते है तो आप आत्मनिर्भर है आपको अपने खाने – पीने के लिए किसी दूसरे के सहारे की जरूरत नहीं है। इसी को आत्मनिर्भरता कहते हैं। इसको सीधी सी भाषा मे समझे तो इसका मतलब यह होता है ही हम किसी दूसरे के भरोसे पर न रहे और स्वयं कोई ऐसा काम करे जिससे हमारा जीवन यापन हो सके।

आत्मनिर्भर भारत अभियान की शुरुआत

भारत को आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 12 मई 2020 को इस अभियान की घोषणा की थी जिसमें उन्होंने देश को संबोधित करते हुए कहा था की भारत की अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए भारत को आत्मनिर्भर बनाने की आवश्यकता है। इस अभियान के तहत आने वाले कुछ सालों मे अधिकतर वस्तुओं का निर्माण भारत में ही किया जाएगा। इस कारण से ही इस अभियान का नाम आत्मनिर्भर रखा गया है। 

इस अभियान का मुख्य उद्देश्य उन सभी विदेशी निर्भरताओं को कम करना है जिनकी वजह से भारत का ज्यादातर व्यापार पड़ोसी देशों पर निर्भर है। इसमें बाहर की वस्तुओं पर निर्भर न रहकर, अपने स्तर पर अच्छी गुणवत्ता वाले उत्पादों को हमारे देश मे ही तैयार करना शामिल है। 

आज की बात करे तो हमारे दैनिक जीवन मे उपयोग होने वाली कई ऐसी वस्तुएं है जिसकी आपूर्ति हमें हमारे पड़ोसी देशों से करनी पड़ती है। भारत के विकास की जड़ें अगर मजबूत करनी है तो हमें आत्मनिर्भर बनना पड़ेगा तभी हमारा भारत विकासशील से विकसित देशों की श्रेणी में आएगा।

आत्मनिर्भर भारत का सपना

देश की स्वतंत्रता के बाद से ही भारत आत्मनिर्भर बनने का सपना देख रहा है। भारत की आजादी की लडाई मे भी महात्मा गांधी द्वारा स्वदेशी आंदोलन चलाया गया था जिसमें उन्होंने लोगों से विदेशी वस्तुओं पर निर्भर न रहकर भारत मे बनी वस्तुओं पर निर्भर रहने की अपील की थी। महात्मा गांधी स्वयं भी स्वदेशी वस्तुओं का उपयोग करते थे और महात्मा गांधी ही ऐसे पहले व्यक्ति थे जिन्होंने आत्मनिर्भर भारत की तरफ अपना कदम उठाया था।

परंतु दुख की बात यह है कि आजादी के 70 साल बाद भी भारत इस सपने को साकार नहीं कर पाया। मगर विश्व मे व्याप्त कोरोना महामारी की वजह से भारत ने आत्मनिर्भर बनने का सपना एक बार फिर से देखा। आज सरकार भी इस बारे में काफी अभियान चला रही है ताकि भारत के आत्मनिर्भर होने के सपने को साकार किया जा सके।

भारत को आत्मनिर्भर बनने के पांच स्तम्भ

भारत को आत्मनिर्भर बनाने के पांच स्तम्भ बताए गए हैं जो भारत को आत्मनिर्भर बनाने मे करेंगे मदद। तो आइए इन पांच स्तम्भों के बारे में जानते हैं।

1). अर्थव्यवस्था

वर्तमान में भारत की अर्थव्यवस्था एक मिश्रित प्रकार की अर्थव्यवस्था है जिसमें परिवर्तन करना आवश्यक है। अगर देश की अर्थव्यवस्था में आवश्यक परिवर्तन किए जाएं तो यह आत्मनिर्भरता के मार्ग में पहला कदम होगा।

भारत मे तकनीकी काफी विकसित है और इसी तकनीकी के चलते भारत विश्व शक्ति बनने का साहस रखता है। पिछले कुछ वर्षों में भारत ने तकनीकी के मामले में काफी उन्नति की है भारत की तकनीकी इसी का एक मुख्य अंग है जो भारत को आत्मनिर्भर बनाने में मदद करेगा।

3). इन्फ्रास्ट्रक्चर

भारत के इंफ्रास्ट्रक्चर को और मजबूत करना होगा। अगर भारत का इन्फ्रास्ट्रक्चर मजबूत हो जाएगा तो यह भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए मदद करेगा।

भारत देश में वस्तुओं की मांग की कोई कमी नही है। हमे इस भारी मांग का उपयोग अपने देश के में निर्मित चीज़ों की बिक्री बढाने के लिए करना है। हमें अपनी सप्लाई चेन को मजबूत करना होगा। अगर हम सफल रहे तो भारत आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर हो सकेगा।

5). बढ़ती जनसंख्या

भारत की जनसंख्या में 18 से 35 वर्ष की आयु के लोग सबसे ज्यादा है। हमारे पास युवा शक्ति का विशाल भंडार है। इस जनसंख्या के भार को मुनाफे में बदलने के लिए हमें लोगों को ज्यादा से ज्यादा रोजगार देना होगा। उन्हें रोजगार तभी मिल सकता है जब हम स्वदेशी वस्तुओं का प्रयोग करें। मेड इन इंडिया और मेक इन इंडिया को बढ़ावा देकर हमे भारत में निर्मित सामान दूसरे देशों तक पहुंचाना है |

आत्मनिर्भर बनने के फायदे

अगर भारत आत्मनिर्भर बनता है तो उस स्थिति मे भारत को बहुत सारे फायदे होंगे जो भारत को एक नई पहचान दिलाने मे मदद करेंगे।

अगर भारत आत्मनिर्भर बन जाता है तो भारत को अन्य देशों पर निर्भर नही रहना पड़ेगा क्योंकि भारत स्वयं ऐसी वस्तुओं का निर्माण करने लगेगा।

भारत के आत्मनिर्भर बनने से भारत मे कई तरह की वस्तुओं का निर्माण होगा जिससे भारत मे उद्योग भी बढ़ेंगे। भारत उन वस्तुओं को विदेश मे भी भेज सकेगा और इससे भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत मिलेगी।

आत्मनिर्भर होने से भारत मे देशी और घरेलू उद्योग बढ़ेंगे जिस वजह से भारत मे रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे और देश के कुशल और सक्षम लोगों को इससे रोजगार भी मिलेगा। इससे देश के आर्थिक हालात भी सुधर सकेंगे ओर बेरोजगारी भी कम होगी।

देश मे आत्मनिर्भरता से युवाओं को रोजगार के अवसर भी मिलेंगे। इससे देश मे गरीबी कम हो सकेगी। क्योंकि अगर देश मे रोजगार होगा तो गरीबी के आंकड़े में अपने आप सुधार हो जायेगा।

भारत के आत्मनिर्भर बनने से देश मे व्यापार के अवसर बढ़ेंगे साथ ही इससे देश को अच्छी कमाई भी होगी जिससे देश की अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी।

पहले देश अब तक जिन वस्तुओं का आयात करता था आत्मनिर्भर बनने के बाद भारत अब उनका निर्यात कर सकेगा इससे देश मे विदेशी मुद्रा का भंडार बढ़ेगा।

आत्मनिर्भर भारत के रास्ते मे आने वाली चुनौतियां

भारत के आत्मनिर्भर बनने के सपने को साकार करने में कुछ चुनौतियां ऐसी है जिनसे निपटना जरूरी है।

भारत के प्रोडक्ट निर्माण मे यह देखना जरूरी है की क्या वास्तव मे भारत मे बने उत्पादों की गुणवत्ता अच्छी है और उनकी लागत कम है। हालांकि भारत मे बनने वाली वस्तुओं पर लागत भी कम लगेगी और उस पर व्यय भी कम आयेगा।

भारत मे जनसंख्या और गरीबी दोनों की एक साथ तेजी से बढ रही है। किसी भी नये उत्पादन के लिए सबसे पहली आवश्यकता पूंजी होती है। हालांकि भारत मे कई ऐसी योजनाएं है जो किसी भी नये उत्पादन या व्यवसाय को चालु करने के लिए लोन मुहैया कराती है। परन्तु यह भी कहा जा सकता है की शुरुआती समय मे देश मे को आर्थिक समस्या का सामना भी करना पड सकता है।

कई आर्थिक व व्यापार विशेषज्ञों के अनुसार, चीन से निकलने वाली कई अधिकांश कंपनियों के भारत में न आने का एक सबसे बडा मुख्य कारण भारतीय औद्योगिक क्षेत्र में एक मजबूत आधारभूत ढांचे का अभाव है। आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए इस समस्या को सुधारने की भी जरूरत होगी।

निजी क्षेत्रों को बढ़ावा

आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत देश के निजी क्षेत्रों को बढ़ावा मिलेगा। प्राइवेट सेक्टर की कंपनियों को इस अभियान के तहत निजी क्षेत्रों के हस्तक्षेप के लिए खोल दिया जाएगा। इस अभियान के तहत भारतीय बाजार मे निजी कंपनियों की डिमांड व उनका हस्तक्षेप भी बढ़ जाएगा।

दूसरों पर निर्भर रहने का नुकसान

अगर देश मे इस आत्मनिर्भर भारत के अभियान की शुरुआत नही होती तो हमको पूर्व की भांति वर्तमान मे भी दूसरों पर निर्भर रहना पडता जिससे कुछ नुकसान भी होते। भारत मे संसाधन सीमित है जिसकी वजह से हम दूसरों पर निर्भर रहते है। अगर हम दूसरों पर निर्भर रहते है तो हमे उनके अनुरूप काम करना पडता है और उस देश की हर उस शर्त को मानना होता है जो हमे भले ही मंजूर न हो। अगर भारत देश दूसरों पर निर्भर रहता है तो इससे हमारे देश को आर्थिक नुकसान होता है और दूसरे देश को आर्थिक फायदा होता है।

देश मे कोरोना महामारी की वजह से देश को कई समस्याओं का सामना करना पडा है। देश को कई आर्थिक समस्याओं का भी सामना करना पड़ा था। वर्तमान मे आत्मनिर्भर भारत अभियान की शुरुआत के बाद ही हमें इसके परिणाम देखने को मिले है।

इन्हें भी पढ़ें:-

  • मेरा भारत महान निबंध
  • डिजिटल भारत पर निबंध
  • स्वच्छ भारत अभियान पर निबंध हिंदी में

देश मे कोरोना से लड़ने के लिए पीपीई किट, मास्क, सैनिटाइजर इत्यादी भारत मे बनने लगे और इतना ही नही वैश्विक महामारी को से निपटने के लिए कोरोना का टीका भी भारत मे ही पहली बार बनाया गया। भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए हमें भी सहयोग करना चाहिए।

उम्मीद करता हूं दोस्तों की “आत्म निर्भर भारत पर निबंध ( Aatm Nirbhar Bharat Essay in Hindi )” से सम्बंधित हमारी यह पोस्ट आपको काफी पसंद आई होगी। इस पोस्ट में हमनें आत्मनिर्भर भारत से सम्बंधित सभी जानकारी देने का प्रयास किया है। आशा है आपको पूर्ण जानकारी मिल पाई होगी।

अगर आप यह पोस्ट आपको अच्छा लगा तो आप अपने दोस्तों के साथ इसे शेयर कर सकते हैं। अगर आपके मन मे कोई सवाल है तो आप हमें कमेंट के माध्यम से बता सकते हैं हम आपसे जल्द ही संपर्क करेंगे। अपना कीमती समय देने के लिए आपका बहुत – बहुत धन्यवाद।

FAQ About Aatm Nirbhar Bharat In Hindi

प्रश्न.1. आत्मनिर्भर भारत अभियान की शुरुआत कब हुई.

उत्तर: आत्म निर्भर भारत अभियान की शुरुआत 12 मई 2020 को माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा की गई।

प्रश्न.2. आत्मनिर्भर भारत अभियान क्या है?

उत्तर: आत्मनिर्भर भारत अभियान भारत को सभी क्षेत्रों में आत्मनिर्भर बनाने की पहल है। इस अभियान का उद्देश्य है कि भारत का आयात घटे और भारत के निर्यात को बढ़ाया जाए।

प्रश्न.3. आत्मनिर्भर भारत पर निबंध कैसे लिखें?

उत्तर: आत्मनिर्भर भारत पर निबंध लिखना बहुत ही आसान है। आत्मनिर्भर भारत पर निबंध लिखने के लिए आप दिए गए निबन्धों को पढ़ें। इन निबन्धों को अच्छी तरह पढ़ने के बाद आप भी आत्मनिर्भर भारत पर निबंध लिख पाएंगे।

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आत्मनिर्भर भारत अभियान निबंध, Self Reliant India Campaign Essay

आत्मनिर्भर भारत अभियान पर निबंध कैसे लिखें – Aatm nirbhar Bharat essay in Hindi यह निबंध एसएससी और upsc की परीक्षाओं को ध्यान में रखते हुए लिखा गया है। हालाँकि, कक्षा 9 से 12 के स्टूडेंट्स भी आवश्यकतानुसार ‘आत्म निर्भर भारत अभियान निबंध’ को थोडा छोटा करके उपयोग कर सकते हैं।

आत्मनिर्भर भारत अभियान क्या है ? What is Aatm nirbhar Bharat Abhiyan essay in Hindi

इस अभियान की शुरुआत भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना संकट (2019-20) के दौर में भारत की अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए की थी। 12 मई 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि इस अभियान के द्वारा भारत में लोगों को कामकाज करने की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी और यह कोशिश की जाएगी कि अगले कुछ सालों में भारत अपनी जरूरत की अधिकतर वस्तुएं अपने देश में ही तैयार करे अर्थात आत्मनिर्भर बन जाये। इसलिए अभियान का नाम आत्मनिर्भर भारत अभियान रखा गया है।

इस अभियान का अर्थ और उद्देश्य विदेशों से भारत में आने वाली वस्तुओं पर अपनी निर्भरता को कम करना है अर्थात हमें ज्यादा से ज्यादा भारत में बनी हुई वस्तुओं का उपयोग करना है। उनकी गुणवत्ता में इतना सुधार करना है कि स्वयं भी उनका उपयोग करें और दूसरे देशों में भी बेच सकें।

आज भारतीयों की रोज़मर्रा के सामान की 60% आपूर्ति चीन करता है। अन्य देशों, जैसे की अमेरिका, कोरिया, सऊदी अरब इत्यादि से भी भारत बहुत सा सामान आयात करता है। देश का विकास करने के लिए पहले देश को आत्मनिर्भरता हासिल करनी होगी और वह तभी संभव है जब हमारे निर्यात,आयात से अधिक होंगे। हम अपनी ज़रूरतों का ज़्यादातर सामान अपने देश में ही निर्मित करेंगे तभी हम आत्मनिर्भर कहलायेंगे और प्रगति के पथ पर अग्रसर होंगे।

भारत में आत्मनिर्भरता की शुरुआत

ज़रूर पढ़ें: आत्मनिर्भरता पर निबंध- विद्यार्थी आत्मनिर्भर कैसे बनें

भारत का इस ‘आत्मनिर्भरता’ शब्द से बहुत पुराना नाता है। यह शब्द पहली बार सन 1905 में इस्तेमाल किया गया था। जिसमें नेताओं ने अपनी जनता से अपील की थी कि वह अपने देश में बनी वस्तुओं का इस्तेमाल करें। इस आंदोलन के द्वारा भारतियों से विदेशी माल का बहिष्कार और स्वदेशी माल को अंगीकार कर राष्ट्रीय शिक्षा एवं सत्याग्रह के महत्व पर बल दिया था। इसके बाद चौथी पंचवर्षीय योजना (1969-1974) में इंदिरा गांधी के कार्यकाल के दौरान भी आत्मनिर्भरता पर बल दिया गया था।

वोकल फॉर लोकल क्या है , (vocal for local in Hindi)

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण सारे विश्व में तालाबंदी है और सामान का आदान-प्रदान नहीं हो रहा है । इस समय में हमारी रोजमर्रा की जरूरतों को आसपास के छोटे-मोटे दुकानदार पूरा कर रहे हैं। हमें ज्यादा से ज्यादा कोशिश करनी चाहिए कि हम अपने आसपास निर्मित वस्तुओं (local goods) का प्रयोग करें उनके उपयोग को प्रोत्साहित करें (vocal)

लोकल सामान का इतना प्रचार करें कि वे ग्लोबल बन जाएँ । इससे छोटे कारीगर और मजदूरों को प्रोत्साहन मिलेगा। इसे प्रधानमंत्री ने वोकल फॉर लोकल (vocal for local) का नाम दिया।

आत्मनिर्भर भारत के पांच स्तंभ, Five Pillars of A atm Nirbhar Bharat Abhiyan in Hindi

  • अर्थव्यवस्था –  एक ऐसी इकॉनॉमी जो इन्क्रीमेंटल चेंज (वृद्धिशील परिवर्तन) नहीं बल्कि क्वांटम जंप(Quantum jump) (बड़ी उछाल) लाए। 
  • आधारभूत संरचना (Infrastructure) – भारत की सरकार आधारभूत संरंचना में ज़रूरी निवेश के सुधार करेगी जिससे कि स्वदेशी वस्तुएं बाहर से आने वाले उत्पादों का मुकाबला कर सकें।
  •   तंत्र (Administrative System) – आने वाले समय में ऑनलाइन सर्विस (e-governance) को बढ़ावा दिया जायेगा ।21 वीं सदी में विकास के लिए भारत को टेक्जिनोलॉजी ड्रिवेन सिस्टम की आवश्यकता है | जिससे सरकारी काम में पारदर्शिता बढ़ जाये और लोगों का सरकार पर और भारत पर विश्वास स्थापित हो सके।
  • जनसंख्या संरचना ( vibrant demography) – भारत की जनसंख्या में 18 से 35 वर्ष की आयु के लोग सबसे ज्यादा है। इसलिए उन्हें वाइब्रेंट डेमोग्राफी नाम से संबोधित किया है। हमारे पास युवा शक्ति का विशाल भंडार है। इस जनसंख्या के भार को मुनाफे में तब्दील करने के लिए हमें लोगों को ज्यादा से ज्यादा काम देना होगा। उन्हें रोजगार तभी मिल सकता है जब हम लोकल निर्मित वस्तुओं का प्रयोग करें। मेड इन इंडिया और मेक इन इंडिया को बढ़ावा देकर भारत का सामान दूसरे देशों तक पहुंचाना है।
  • मांग (Demand) – 137 करोड की जनसँख्या वाले भारत देश में वस्तुओं की मांग की कोई कमी नही है। हमे इस भारी मांग का उपयोग अपने देश के में निर्मित चीज़ों की बिक्री बढाने के लिए करना है। हमें अपनी सप्लाई चेन को मजबूत करना होगा।

इस अभियान में 20 लाख करोड़ का आर्थिक पैकेज घोषित किया गया है जो कि भारत के जीडीपी का 10% है ।आगे पढ़िए, यह जानने के लिए कि यह 20 लाख करोड़ का राहत पैकेज किस तरह से सभी क्षेत्रों में बांटा जाएगा –

2 0 लाख करोड़ के आत्मनिर्भर भारत अभियान पैकेज से गरीबों को फायदे

  • एक करोड़ 70 लाख रुपया प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत गरीबों को दिया जाएगा।
  • इंश्योरेंस कवर – जो स्वास्थ्य कर्मी और पुलिस कोरोना कमांडोज की तरह इस कोरोनावायरस से देश के लिए लड़ रहे हैं, उन स्वास्थ्य कर्मियों को विशेष लाभ दिया गया है | इस योजना के तहत यदि किसी स्वास्थ्य कर्मी की इस कोरोनावायरस से लड़ाई के दौरान जान चली जाती है तो उस स्वास्थ्य कर्मी के परिवार को 50 लाख रूपए रुपए दिए जाएंगे।
  • कोरोना कमांडोज की बहादुरी जानने के लिए निबंध पढ़िए
  • वन नेशन, वन राशन कार्ड’ योजना के तहत मज़दूर चाहे देश के किसी भी कोने में हों, वहां के राशन डिपो से अपने हिस्से का अनाज ले सकते हैं| इसका फ़ायदा उन सभी प्रवासी मज़दूरों को मिल पाएगा जो रोज़गार के लिए दूसरे राज्यों में जाते हैं।
  • आठ करोड़ प्रवासी मज़दूरों के लिए 3500 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। उन सभी प्रवासी मज़दूरों को भी मुफ़्त अनाज दिया जाएगा जिनके पास राशनकार्ड नहीं है।
  • गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले आठ करोड़ गरीब परिवार जो कि उज्जवला योजना के अंतर्गत गैस सिलेंडर का इस्तेमाल कर रहे हैं उन्हें अगले 3 महीनों तक मुफ्त में गैस सिलेंडर दिया जाएगा।
  • 20 करोड़ महिलाओं के पास जन धन अकाउंट है, उन्हें अगले 3 महीनों तक प्रतिमाह ₹500 दिए जाएंगे।
  • मनरेगा के मज़दूरों की दिहाड़ी 182 रुपये प्रतिदिन से बढ़ाकर 202 रुपये प्रतिदिन कर दी गई है।
  • रेहड़ी-पटरी वालों और घरों में काम करने वालों को 10 हज़ार रुपये तक का कर्ज़ मिल सकेगा। पांच हज़ार करोड़ रुपये की सहयोग राशि का ऐलान।

एमएसएमई, MSME -Micro, small and Medium Enterprises

आत्मनिर्भर भारत अभियान का मुख्य उद्देश्य सूक्ष्म, लघु, एवं मध्यम वर्गीय गृह उद्योग (MSMEs) को बढ़ावा देकर भारत से बेरोज़गारी और गरीबी को ख़त्म करना है। एमएसएमई जोकि 12 हजार करोड़ से ज्यादा लोगों को रोजगार उपलब्ध कराता है।इस अभियान के अंतर्गत की गयी घोषणाएं इस प्रकार हैं –

  • 3 लाख करोड़ के गारंटी फ्री लोन की घोषणा
  • एक साल तक ईएमआई चुकाने से मिली राहत
  • इस घोषणा से 45 लाख एमएसएमई को फायदा मिलेगा
  • इसके अलावा सरकार ने MSME की परिभाषा पूरी तरह बदल दी है

प्रधानमंत्री ने ‘ वसुधैव कुटुंबकम ‘ कहकर यह इशारा किया कि भारत पूरे विश्व को अपना घर मानता है। भारत की उन्नति में सारे विश्व की उन्नति है। आत्मनिर्भर भारत का अभिप्राय यह नहीं है कि भारत सभी देशों से अपने व्यापारिक रिश्ते तोड़ देगा। भारत अपनी उन्नति में सभी को साथ लेकर चलना चाहता है। हम यह चाहते हैं कि दूसरे देश आकर हमारे देश में विनिवेश करें और भारत की बनी हुई वस्तुएं विश्व के हर कोने में पहुंचे।

आत्मनिर्भर भारत की भावना से प्रेरित होकर २११ गायकों ने ‘जयतु जयतु भारतम’ गीत का निर्माण किया है। सुर-सम्राज्ञी लता मंगेशकर ने ट्विटर के द्वारा कमेंट कर यह गाना भारत की जनता और प्रधानमन्त्री नरेंदर मोदी को समर्पित किया था।

आत्मनिर्भर भारत निबंध- उपसंहार

वर्तमान में, यह जानने का कोई तरीका नहीं है कि इस वित्तीय वर्ष के अंत में सरकारी खर्च का अंतिम स्तर क्या होगा। बहुत से लोग यह कहकर इसकी आलोचना कर रहे हैं कि जीडीपी (GDP) के 10% के प्रस्तावित स्तर से बहुत दूर – आत्मनिर्भर भारत अभियान में वास्तविक सरकारी व्यय जीडीपी का सिर्फ 1% ही अपेक्षित है।

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(2022) आत्मनिर्भर भारत पर निबंध- Aatm Nirbhar Bharat Essay in Hindi

जब कोरोना वायरस की वजह से सारे विश्व में लाकडाउन हुआ था, तब हर किसी देश को खाने-पीने और दवाइया जैसी चीज़ों में परेशानी होने लगी। इसी महामारी के संकट को देखते हुए विश्व के हर देश को आत्मनिर्भर होने की जरुरत पड़ी थी। आत्मनिर्भर यानि किसी अन्य व्यक्ति या देश पर आश्रित न होकर खुद पर निर्भर होना। अगर हमारा देश हर क्षेत्र में खुद पर निर्भर हो और उसे दुनिया में किसी दूसरे की मदद न लेनी पड़े उसे आत्मनिर्भर कहा जाता है। हर छोटी से बड़ी चीज़ का निर्माण हमारे देश में ही हो। इससे हमें किसी दूसरे देश के सामने हाथ फैलाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

Table of Contents

आत्मनिर्भर बनना भारत का सपना

1947 में जब हमारा देश अंग्रेजों से आजाद हुआ था, तब से भारत आत्मनिर्भर बनने का सपना देख रहा है। बल्कि आजादी से पहले ही महात्मा गांधी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन के जरिए आत्मनिर्भर भारत की ओर पहला कदम बढ़ाया था। इस आंदोलन में लोगों को विदेशी वस्तुओं पर निर्भर न रहकर भारत की बनी वस्तुओं पर निर्भर रहने की अपील की गई थी। लोगो ने विदेशी कपड़े पहनना बंद कर दिया और देश के हाथ से बुने हुए कपड़े पहनने लगे थे। इस तरह भारत को आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा सबसे पहले महात्मा गांधी के सविनय अवज्ञा आंदोलन से मिली थी।

लेकिन हमारे लिए यह बहुत दुख की बात है कि, आजादी के 70 साल बाद भी आज हम आत्मनिर्भर भारत से कोसों दूर है। परंतु कोरोना वायरस की इस महामारी ने एक बार फिर भारत को आत्मनिर्भर बनने पर मजबूर कर दिया है। ना सिर्फ भारत बल्कि दुनिया के सभी देशो को कोरोना वायरस ने आत्मनिर्भर बनने पर मजबूर कर दिया है। क्योकि उस समय कोई विकसित देश चाहकर भी दूसरे देश की मदद नहीं कर पाया था। ऐसे समय में हमारे देश को भी मेडिकल चीज़ों की भारी किल्लत हो गई थी।

आत्मनिर्भर भारत बनने का अवसर

कोरोना वायरस की इस भयानक महामारी ने विश्व के सभी देशो को आत्मनिर्भर बनने का अवसर दिया है। क्योंकि यह बीमारी एक दूसरे को छूने से ज्यादा फैलती है। इसलिए कोई दूसरा देश चाहकर भी मदद नहीं कर सकता था। लेकिन भारत ने इस महामारी से लड़ने के लिए स्वदेशी पीपीई किट, सैनिटाइज़र और वेंटिलेटर जैसी चीजों का उत्पादन किया है। इन सभी चीज़ों का निर्माण आत्मनिर्भर भारत की ओर बढ़ने का पहला कदम है।

आत्मनिर्भर भारत

भारत के पास संसाधनों की कोई कमी नही है। परंतु शुरुआती समय में लोगों को अवसर नही मिलता था। लेकिन कोरोना वायरस की वजह से लोगों को अवसर मिले, जिससे लोगो ने घरेलू उत्पाद शुरू किया। स्वदेशी उत्पादन के कारण हमें दूसरे देशों की मदद भी नहीं लेनी पड़ी और देश के लोगों का रोजगार भी बढ़ा। इसलिए हम कह सकते है कि, कोरोना महामारी के दौरान हमने कुछ हद तक आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार किया है।

(यह भी पढ़े- कोरोना वायरस पर निबंध )

आत्मनिर्भर भारत अभियान क्या है

हमारे प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने भारत को आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से 12 मई 2020 को आत्मनिर्भर भारत अभियान की शुरुआत की थी। इस अभियान के तहत आने वाले कुछ सालों में भारत अधिकतर वस्तुओं का निर्माण देश में ही करेगा। इसी वजह से इस अभियान का नाम आत्मनिर्भर भारत अभियान रखा गया है। इस अभियान का स्लोगन लोकल फॉर वोकल है।

इस अभियान का मुख्य उदश्य बाहर की वस्तुओं पर निर्भर न रहकर अपने ही देश में एक बेहतर और अच्छी गुणवत्ता वाला उत्पाद तैयार करना है। इस अभियान के तहत देश के हर उस क्षेत्र पर ध्यान दिया जाएगा जिसमें भारत दूसरे देश की मदद लेता है। क्योंकि वर्तमान में हमारे दैनिक जीवन का अधिकांश सामान चीन, अमेरिका, सऊदी अरब और कोरिया जैसे कई देशों से आता है।

जब तक हम दूसरे देशों पर निर्भर हैं, तब तक हम विकसित देश नहीं बन सकते। अगर हमें अपने देश की विकास की झड़े मजबूत करनी है तो सबसे पहले आत्मनिर्भर बनना ही पड़ेगा। और यह अभियान हमें आत्मनिर्भर बनने और भारत की अर्थव्यवस्था को सुधारने में बहुत मदद करेगा। भारत सरकार ने आत्मनिर्भर भारत अभियान की शुरुआत के लिए 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज की घोषणा की है।

आत्मनिर्भर भारत अभियान के मुख्य चरण

आत्मनिर्भर भारत अभियान को मुख्य दो चरणों में लागू किया जाएगा। पहले चरण में इलेक्ट्रॉनिक, प्लास्टिक, चिकित्सा, वस्त्र और खिलौने जैसे क्षेत्रों को प्रोत्साहित किया जाएगा। जबकि दूसरे चरण में एयर कंडीशनर, मोबाइल, कपड़े, दवाइयों, फर्नीचर, रत्न, आभूषण, फूट वेयर और पूंजीगत सामान जैसे क्षेत्रों को प्रोत्साहित किया जाएगा।

आत्मनिर्भर भारत बनने के पाँच स्तंभ

नीचे दिए गए पांच स्तंभ भारत को आत्मनिर्भर बनाने में काफी मदद करेंगे।

  • अर्थव्यवस्था

भारत की वर्तमान अर्थव्यवस्था मिश्रित प्रकार की है। इसमें कुछ बड़े बदलाव करके हमे वृद्धिशील परिवर्तन के स्थान बड़े उछाल पर आधारित अर्थव्यवस्था बनानी होगी। क्योकि अर्थव्यवस्था एक ऐसा साधन है, जिससे भारत आत्मनिर्भर बन सकता है।

हमारे देश की जनसंख्या काफी ज्यादा है, इसलिए कच्चे माल की मांग हमेशा हमारे पास अधिक रहती है। कच्चे माल की कमी के कारण हमें अक्सर पड़ोसी देशों पर निर्भर रहना पड़ता है। लेकिन अगर हम अधिक मात्रा में कच्चे माल का निर्माण भारत में ही करे तो उस स्थिति में भारत आत्मनिर्भर बन सकता है।

  • इन्फ्रास्ट्रक्चर

भारत में ऐसा इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित किया जाएगा जो पूरे विश्व में भारत की पहचान बनेगा। मजबूत इंफ्रास्ट्रक्चर भी भारत को आत्मनिर्भर बनने में मदद करेगा।

आज का युग तकनीकी युग है और भारत में तकनीक काफी विकसित है। इसी तकनीक का उपयोग करके भारत आत्मनिर्भर बन सकता है।

  • बढ़ती जनसंख्या

भारत के पास युवा शक्ति का विशाल भंडार है, क्योकि भारत में युवाओ की संख्या सबसे अधिक है। अगर भारत इन युवाओं को ज्यादा से ज्यादा काम दे तो युवा शक्ति से काफी मुनाफा कमा सकता है। इससे युवाओं को रोजगार भी मिलेगा और देश का विकास भी होगा। इसके साथ-साथ भारत की जनसंख्या पर नियंत्रण भी जरूरी है। इससे भी भारत आत्मनिर्भर बन सकता है।

(यह भी पढ़े- बाल मजदूरी पर निबंध )

हम भारत को आत्मनिर्भर कैसे बनाये

हमारा देश प्राकृतिक संसाधन और जैव विविधताओं से परिपूर्ण है। लेकिन हम इसे बहुत नुकसान पहुंचाते है। यदि हम प्रकृति को संरक्षित करेंगे , तो इससे भारत को आत्मनिर्भर बनने में मदद मिलेगी। क्योकि प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करके हम अपने देश में ही कच्चे माल का उत्पादन कर सकते है।

इसके अलावा भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए देश के हर व्यक्ति को अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से पालन करना होगा और अपने स्तर पर देश को सहयोग करना होगा। 

हमारे युवा और हमारे छात्र भी भारत को आत्मनिर्भर बनाने में अपना अहम योगदान दे सकते है। भारत के कई युवा अमेरिका, चीन और रशिया जैसे विकसित देशों में बहुत ही कुशलता से अपनी सेवाएं दे रहे है। अगर इसी तरह देश का हर युवा मेहनत करे तो भारत को आत्मनिर्भर बनने से कोई रोक नहीं सकता।

यदि भारत सरकार नए उद्योग स्थापित करती है और नए आविष्कारों से अपनी तकनीक में सुधार करती है तो भारत को चीन जैसे देशों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।

भारत विविधताओं का देश है। यहां पर कई अलग-अलग तरह के धर्म, संस्कृति, भाषा, खान-पान और रहन-सहन करने वाले लोग रहते है। लेकिन भारत के कई समाजों में आज भी धर्म, जाति, लिंग का भेदभाव किया जाता है। इससे हमारे देश की तरक्की में समस्या होती है। इसलिए अगर हम भारत को आत्मनिर्भर बनाना चाहते है, तो धर्म, जाति, लिंग के भेदभाव से उठकर देश की आर्थिक प्रगति के लिए समान रूप से सामूहिक प्रयास करने होंगे।

भारत एक कृषि प्रधान देश है जहां देश की 70% आबादी कृषि पर निर्भर है। कृषि एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें भारत पूरी तरह से आत्मनिर्भर हो सकता है। लेकिन आज भी भारत में ज्यादातर लोग उसी पारंपरिक तरीके से खेती करते है। अगर हम इन पारंपरिक तरीकों को बदलकर वैज्ञानिक तरीके अपनाएं तो इससे कृषि में अच्छी पैदावार हो सकती है।

इन सबके अलावा हमें स्थानीय उत्पादों को अधिक बढ़ावा देना चाहिए। ये भी भारत को आत्मनिर्भर बनाने में बहुत बड़ी भूमिका निभाएंगें।

भारत का संविधान भारत के हर नागरिक को शिक्षा, रोजगार और अन्य सभी चीजों के समान अवसर प्रदान करता है। देश के प्रत्येक नागरिक को सभी योजनाओं का लाभ समान रूप से मिलता है। इसके साथ-साथ देश का कोई भी व्यक्ति देश के किसी भी कोने में जाकर अपनी रोजी-रोटी कमा सकता है। इस तरह हमारे देश का संविधान भी हमें आत्मनिर्भर बनने में मदद करता है।

स्वस्थ नागरिक विश्व के किसी भी राष्ट्र के विकास के लिए आवश्यक है। क्योकि एक स्वस्थ इंसान हर काम की प्रगति में अपना योगदान दे सकता है, चाहे वह उद्योग हो या कृषि व्यवसाय।

भारत के प्रत्येक व्यक्ति को यह नहीं भूलना चाहिए कि हमारी इच्छाशक्ति ही हमें मंजिल तक पहुंचा सकती है। जब अमेरिका ने जापान में परमाणु बम विस्फोट किया, तब जापान में स्थिति बहुत खराब थी। लेकिन आज जापान सबसे विकसित देशों में से एक है। क्योकि जापान के लोगों में हमेशा आगे बढ़ने की इच्छाशक्ति और कड़ी मेहनत है। उन्होंने कभी हार नहीं मानी और हमेशा आगे बढ़ने की कोशिश करते रहे।

अगर हम आज से ही अपने देश को आगे बढ़ाने का फैसला करे और उसके पीछे कड़ी मेहनत करे तो आने वाले समय में भारत भी एक विकसित राष्ट्र बन सकता है।

(यह भी पढ़े- मेरे सपनों का भारत पर निबंध )

आत्मनिर्भर भारत के फायदे

आत्मनिर्भर बनने का सबसे पहला फायदा यह होगा कि, हमें किसी के आगे हाथ नहीं फैलाना पड़ेगा। जैसे कि वर्तमान में भारत को दैनिक जीवन में उपयोग आने वाली चीज़ों का आयात चीन या अन्य पड़ोसी देशों से करना पड़ता है। लेकिन अगर भारत आत्मनिर्भर हो गया तो हमें किसी दूसरे देश के सामने हाथ फैलाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

अगर भारत आत्मनिर्भर बनता है तो देश में ही कई वस्तुओं का निर्माण होगा। इससे देश में उद्योग बढ़ेंगा। देशी उद्योग के बढ़ने से भारत में कई नए रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे। इससे देश की बेरोजगारी कम होगी और अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। अगर देश के ज्यादातर लोगों को रोजगार मिल जाएगा तो देश की गरीबी कुछ हद तक कम हो जाएगी। इस तरह आत्मनिर्भरता से हम देश की गरीबी और बेरोजगारी दोनों को कम कर सकते है।

अगर हमने कुछ चीजों का अधिक उत्पादन किया है तो हम ऐसी चीजों का निर्यात भी कर सकते है। इससे देश में विदेशी मुद्रा का भंडार बढ़ेगा और दुनिया में हमारे पैसे का मूल्य बढ़ेगा। इस तरह आत्मनिर्भर भारत हमारे लिए कई फायदे लेकर आएगा।

आत्मनिर्भर भारत के सामने कुछ चुनौतियाँ

इस दुनिया में हमें एक छोटी सी चीज़ पाने के लिए भी कई चुनौतियाँ का सामना करना पड़ता है। इस तरह भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए भी हमे कुछ चुनौतियाँ का सामना करना पड़ेगा।

जिसमें सबसी पहली चुनौति है, लागत और गुणवत्ता। इस समय हमारे देश में कई ऐसी कंपनियां है, जिनके पास ज्यादा अनुभव नहीं है। इस वजह से भारत के उत्पाद निर्माण में यह देखना जरूरी है कि इस कंपनी द्वारा बनाए गए उत्पादों की गुणवत्ता कम लागत में अच्छी है या नहीं। लेकिन अक्सर यह देखा गया की, कम लागत वाली वस्तुए ज्यादा अच्छी नहीं होती।

इसके अलावा आर्थिक समस्या भी आत्मनिर्भर भारत के सामने एक बड़ी चुनौति है। क्योकि वर्तमान समय में भारत की जनसंख्या और गरीबी दोनों ही तेजी से बढ़ रही है। इसलिए अगर किसी नए व्यक्ति को औद्योगिक क्षेत्र में आना है, तो उसे सक्रिय पूंजी और वित्तीय तरलता की चुनौती का सामना करना पड़ेगा। इस वजह से अगर किसी के पास एक अच्छा विचार है, तो भी वह अपना खुद का उत्पादन करने से डरता है।

आधारभूत ढांचे का अभाव भी आत्मनिर्भर भारत की समस्या है। कई विशेषज्ञों के अनुसार, विश्व की कई बड़ी-बड़ी कंपनियों के भारत में नहीं आने का एक मुख्य कारण भारतीय औद्योगिक क्षेत्र में एक मज़बूत आधारभूत ढांचे का अभाव है। इसी कारण भारत में ज़्यादातर वस्तुओं का आयात किया जाता है। अधिक आयात के कारण ही हमें दूसरे देश पर निर्भर रहना पड़ता है। इस तरह अगर हम इन तीन चुनौतियों का समाधान कर लें तो भारत आसानी से आत्मनिर्भर बन सकता है।

भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए देश के प्रत्येक नागरिक को हर संभव प्रयास करने चाहिए। इसके साथ-साथ हमें अधिक से अधिक स्वदेशी वस्तुओं का उपयोग करना चाहिए। जिस तरह हमने कोरोना से लड़ने के लिए स्वदेशी पीपीई किट, मास्क और सैनिटाइजर का निर्माण किया था, अगर हम देश के अन्य क्षेत्रों में भी इसी तरह काम करते है तो आने वाले कुछ ही सालो में भारत आत्मनिर्भर बन जाएगा।

अगर आपको इस निबंध से कुछ भी लाभ हुआ हो, तो इसे share करना ना भूले। आत्मनिर्भर भारत पर निबंध  पढ़ने के लिए आप सभी का धन्यवाद (Aatm Nirbhar Bharat Essay in Hindi)

आत्मनिर्भर भारत योजना क्या है ?

आने वाले कुछ सालों में भारत की ज़्यादातर चीज़ों का निर्माण देश में करने के लिए इस अभियान को बनाया गया है।

आत्मनिर्भर भारत स्लोगन क्या है ?

स्लोगन लोकल फॉर वोकल

भारत आत्मनिर्भर कैसे बनेगा ?

वर्तमान समय में हम जितनी भी चिजे दूसरे देशों से आयात करते है, अगर हम इन चीज़ों को भारत में ही निर्माण करने लगे तो कुछ ही सालो में हमारा देश आत्मनिर्भर बनेगा।

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Essay on Atmanirbhar Bharat (India): Samples in, 250 and 600 Words

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  • Updated on  
  • Jan 25, 2024

Essay On Atmanirbhar Bharat

Essay on Atmanirbhar Bharat: Today, India, that is Bharat, has become a self-reliant (atmanirbhar) country in most of the realms. The Indian Prime Minister, Narendra Modi, launched the Atmanirbhar Bharat Abhiyan on 12th May 2020 during the COVID-19 pandemic to make India self-reliant. As India prepares to take the global centre stage, it will become an important global economy. India is ranked 5th in nominal GDP and 3rd in purchasing power parity (PPP). 

There are five pillars of the Atmanirbhar Bharat Abhiyan, which are economy, technology-driven systems, infrastructure, vibrant demography and demand. Moreover, India is determined to become a global power under the India Vision 2047. Atmanirbhar Bharat Abhiyan is not just a social and economic development topic. It is about the importance of India and its citizens in the global development. Today, we will provide some samples of essays on Atmanirbhar Bharat (India) for school students.

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Essay on Atmanirbhar Bharat in 250 Words

The Prime Minister of India launched the ‘Atmanirbhar Bharat Abhiyaan’ on 12th May 2020. All the activities and developments under this programme are managed by the Ministry of Defence, Ministry of Finance, Ministry of Health and Ministry of Electronics and Information Technology (Meity). 

Initially, this programme was launched with a total budget of INN 5,000 crore, which is 0.025% of our GDP. Later on, the Prime Minister increased this monetary budget to INR 20 lac crore to achieve all the desired objectives. To make India a self-reliant nation, native businessmen, industrialists and traders were encouraged to participate in the nation-building programme.

There are five pillars of the Atmanirbhar Mission. These are technology-driven systems, infrastructure, vibrant demography and demand. All these pillars are equally important and are managed by different ministries and departments of the Indian government. All the ministries involved in this programme have their separate objectives. 

To become a global economy, India is focusing on producing more and more products for exports and reducing its expenses in importing. When a country’s exports are more than its imports, its economy grows at a positive rate. We have a long way ahead of us. Our major focus is on producing indigenous products by encouraging local businesses so that their production is sufficient to sustain them and to export outside the country. If this trend continues, then the time is not far when India will become the global economic power, surpassing Germany, Japan, China and the USA. 

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Essay on Atmanirbhar Bharat in 600 Words

The Atmanirbhar Bharat Abhiyaan or mission is an Indian government initiative, launched by Prime Minister Narendra Modi on 12th May 2020. The Prime Minister laid down all the objectives, responsibilities, pillars and names of the ministries which will be working to achieve all the goals of this scheme. The objective of this scheme is to make India a self-reliant nation and a global economic power. 

Total Budget

The initial budget of the Atmanirbhar Bharat Abhiyaan was INR 5000 crore. However, due to the COVID-10 pandemic and global economic slowdown, this budget was raised to INR 20 lac crore. This was done to achieve all the objectives in real-time, as India is planning to enhance its production. 

Native businessmen, industrialists and traders are encouraged by the government to contribute and invest in the Indian manufacturing sector. With the number in production increasing, the country will be focusing on exporting more and importing less.

Five Pillars of Atma Nirbhar Bharat

The Atmanirbhar Bharat Abhiyaan functions under five ministries:  Ministry of Defence, Ministry of Finance, Ministry of Health and Ministry of Electronics and Information Technology (Meity). All these ministries will be working on separate pillars of the Atmanirbhar Bharat mission. These five pillars are; technology-driven systems, infrastructure, vibrant demography and demand. All these pillars are equally important and are managed by different ministries and departments of the Indian government. 

  • Technology-driven systems – A system based on technological developments, which can make India an important global power in the 21st century.
  • Economy – An economic system focusing on Quantum Jump rather than Incremental change.
  • Infrastructure – A modern infrastructure for a modern India.
  • Demography – As the mother of Democracy, our demographic variation or diversity is our strength to make India self-sustaining.
  • Demand – To enhance the cycle of demand and supply for a stronger economy

Developments So far

The Ministry of Defence is focusing on building its own infrastructure and warfare equipment, instead of importing from other countries. To achieve these goals, all five departments of the Ministry of Defence are working together. These departments are the Department of Military Affairs, the Department of Defence, the Department of Defence Production, the Department of Defence Research and Development, and the Department of Ex-Servicemen Welfare. LCH Prachand chopper, Pinaka rocket launchers, and Nag anti-tank missiles are some of the Indian-made military weapons.

Benefits to Poors and Migrants

Under the Atmanirbhar Bharat Abhiyaan, the Indian government has encouraged the local and state governments to work for the welfare of the poor and migrants.

  • Migrants are given food grain supply for up to 2 months.
  • Poor people are given access to education and learn technical skills so that they can participate in technological-related activities.
  • To offer affordable housing complexes for migrant workers and urban poor people, the One Nation One Ration Card scheme was introduced.
  • The Shishu Mudra loan service was launched, under which a 2% interest subvention for 12 months was offered. This scheme offered a total of INR 12,000 crore loans all over India.
  • Another INR 70,000 crore was invested in the housing sector for middle-class people under the PMAY (Urban).
  • INR 30,000 crore was invested in the Emergency Working Capital for farmers under the NABARD scheme.
  • INR 2 lac crore was invested to help more than 25 million farmers under the Kisan Credit Card Scheme.

When a country’s exports are more than its imports, its economy grows at a positive rate. We have a long way ahead of us. The major focus of the Atmanirbhar Bharat Scheme is on producing indigenous products by encouraging local businesses so that their production is sufficient to sustain them and to export outside the country.

Ans: The Atmanirbhar Bharat Abhiyaan is a national mission to make India, Bharat a self-reliant country in terms of trade, economy, defence and technology.

Ans: The Atmanirbhar Bharat Abhiyaan or mission is an Indian government initiative, launched by Prime Minister Narendra Modi on 12th May 2020. The Prime Minister laid down all the objectives, responsibilities, pillars and names of the ministries which will be working to achieve all the goals of this scheme. The objective of this scheme is to make India a self-reliant nation and a global economic power. 

Ans: The Atmanirbhar Bharat Abhiyaan or Self-reliant India mission was launched by Prime Minister Narendra Modi, with the vision to make India a self-reliant and self-sustaining nation.

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आत्मनिर्भर भारत और हिंदी पर निबंध | Aatmnirbhar Bharat Aur Hindi Pr Nibandh

आत्मनिर्भर भारत और हिंदी पर निबंध

हेलो फ्रेंड, इस पोस्ट “ आत्मनिर्भर भारत और हिंदी पर निबंध | Aatmnirbhar Bharat Aur Hindi Pr Nibandh ” में, हम आत्मनिर्भर भारत और हिंदी के बारे में निबंध के रूप में विस्तार से पढ़ेंगे। तो…

चलिए शुरू करते हैं…

हमारा भारत देश विश्व की प्राचीन संस्कृतियों में से एक है और इस देश की संस्कृत, वेशभूषा, रंग-ढंग, बोलचाल देखकर हम कह सकते हैं कि भारत पहले से ही काफी आत्मनिर्भर है.

स्वयं के हुनर से स्वयं का विकास करना ही आत्मनिर्भरता का सही मतलब है.

हर व्यक्ति यही चाहता है कि वह आत्मनिर्भर बने फिर चाहे उसके रहन-सहन से हो या उसके तौर तरीके से हो.

एक व्यक्ति का सबसे बड़ा गुण होता है आत्मनिर्भरता अत: आत्मनिर्भर बनाने के सपने को साकार करने हेतु सभी नागरिकों का देश की नीति निर्माण में सहभागी होना आवश्यक है

और जनभागीदारी हेतु आवश्यक है कि सभी नागरिकों को आपस में जुड़ाव महसूस होना चाहिए और इस जुड़ाव का आधार हमारी मातृभाषा हिंदी के अलावा कुछ और हो ही नहीं सकता.

हिंदी भाषा भारत की सबसे प्रमुख भाषाओं में से एक है.

एक भाषा के रूप में हिंदी ना सिर्फ भारत की पहचान है बल्कि हमारे जीवन मूल्यों, संस्कृत एवं संस्कारों की संवाहक, संप्रेषक और परिचय भी है.

भारत में सभी अंग्रेजी नहीं जानते इसलिए भारत में आपको किसी से भी बात करनी हो या फिर संवाद करना हो तो आपको सबसे पहले हिंदी का ज्ञान होनी चाहिए.

यह एक ऐसी भाषा है जिसकी मदद से हम अपनी भावनाओं को बहुत ही सरल तरीके से व्यक्त कर सकते हैं.

किसी भी देश के लिए उसके विकास में उसकी भाषा महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. भाषा देश की एकता, अखंडता तथा विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है.

यदि राष्ट्र को आत्मनिर्भर बनाना है तो एक भाषा होनी चाहिए एवं हम सभी लोगों को अंदर उस भाषा के प्रति सम्मान, जागरूकता, प्यार होनी चाहिए.

इसके लिए लोगों में हमें हिंदी भाषा के प्रति जागरूकता फैलाने की जरूरत है बिना हिंदी के विकास के भारत का विकास होना असंभव सा है और बिना विकास किए कोई भी देश आत्मनिर्भर नहीं बन सकता है अतः भारत को आत्मनिर्भर बनाने में हिंदी की अहम भूमिका है.

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अपनी भाषा को छोड़कर हम अन्य विदेशी भाषाओं का प्रयोग करके आत्मनिर्भर कतई नहीं बन सकते. यदि हम अन्य भाषाओं का प्रयोग करेंगे तो हमारा आत्मनिर्भर का सपना धरा ही रह जाएगा.

वह उपलब्धि ही क्या जिसका वर्णन करने के लिए किसी और भाषा का सहारा लेना पड़े.

संस्कृत में कहा गया है कि:-

“ मातृभाषा परिव्यज्य येडन्यभाषामुंपासते

तत्र यांति हि ते यत्र सूर्यो न भासते “…

अर्थात जो अपने मातृभाषा का प्रयोग करके किसी और की भाषा की उपासना करता है वह अंधकार के उस गर्त में जा पहुंचता है जहां सूर्य का प्रकाश भी नहीं पहुंचता है.

जिस प्रकार भारत द्वारा हिंदी के विकास पर बल दिया जा रहा है उसी प्रकार देशवासी को हिंदी भाषा को वह मान सम्मान अवश्य देना चाहिए जिसका वह अधिकारी है.

हम सभी लोगों को अपने राष्ट्रभाषा हिंदी का सम्मान एवं हमें हिंदी बोलते वक्त गर्व महसूस करना चाहिए क्योंकि जब तक हम अपने वास्तविकता को नहीं स्वीकार करेंगे तब तक हम सही मायने में आत्मनिर्भर भारत को नहीं बना सकेंगे.

अतः हम सभी लोगों को हिंदी भाषा का सम्मान करते हुए अपने भारत को आत्मनिर्भर भारत बनाना है.

इस निबंध को “ आत्मनिर्भर भारत और हिंदी पर निबंध | Aatmnirbhar Bharat Aur Hindi Pr Nibandh “,  पढ़ने के लिए आप सभी लोगों को दिल से धन्यवाद।

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