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डाकघर पर निबंध | Essay on Post Office In Hindi

डाकघर पर निबंध essay on post office in hindi, डाकघर के कार्य पर निबंध हिंदी में (essay on post office work in hindi).

डाकघर की उपयोगिता पर निबंध | Essay on The Utility of the Post Office in Hindi

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डाकघर की उपयोगिता पर निबंध | Essay on The Utility of the Post Office in Hindi!

सरकार अपने विभिन्न विभागों के माध्यम से जनसेवा के कार्य संपन्न करती है । विभाग दो प्रकार के होते हैं- प्रमुख और गौण । शिक्षा, आयकर, आबकारी आदि गौण विभाग हैं ।

यदि इन विभागों के कर्मचारी अपनी माँग पूरी कराने के लिए किसी समय हड़ताल कर दें तो कुछ दिनों तक सरकारी कार्य चलना रहना है । रेलवे, सेना, पुलिस आदि प्रमुख और अत्यंत आवश्यक विभाग हैं । इनके कर्मचारियों के किसी कारण हड़ताल करने पर जनसेवा का सारा काम ठप हो जाता हें । डाक विभाग भी ऐसा ही प्रमुख विभाग है । इसके कार्यों में रुकावट आने पर सरकार अपंग हा जाना है ।

राज्यों की राजधानी में डाक विभाग का एक प्रादेशिक कार्यालय होता है । राज्य के विभिन्न छोटे-बड़े स्थानों में स्थापित डाकघर उसी की देखरेख में कार्य करते हैं । बड़े-बड़े नगरों में एक प्रधान डाकघर होता है । उसके अंतर्गत नगर के स्थानों में अनेक छोटे-बड़े डाकघर होते हैं । बड़े-बड़े कस्बे और ग्रामों में केवल एक डाकघर होता है । डाकघर के प्रमुख अधिकारी को ‘पोस्ट मास्टर’ कहते हैं ।

डाकघरों में पोस्ट मास्टर के अतिरिक्त आवश्यकतानुसार डाकिया होते हैं । नगर के उप-डाकघरों में पोस्ट मास्टर की सहायता के लिए एक अथवा दो कर्मचारी रहते हैं, किंतु बड़े और प्रमुख डाकघरों में डाक संबंधी विभिन्न प्रकार के कार्यों के लिए कई कर्मचारी होते हैं । प्रत्येक डाकघर दस बजे खुलता है और पाँच बजे बंद हो जाता है ।

डाकघर का प्रमुख कार्य है- बाहर से आई हुई डाक, पार्सल, मनीऑर्डर, पत्र आदि को पावती के घरों तक पहुँचाना और उस स्थान की डाक को बाहर भेजने की व्यवस्था करना, जिसमें वह स्थित है । कस्बों के डाकघरों में कार्य-भार अधिक नहीं होता, इसलिए दोनों कार्य वहाँ के डाकिए एक साथ ही साथ लेते हैं । नगर के प्रमुख तथा केंद्रीय डाकघरों में कार्य-भार अधिक होता है, इसलिए वहाँ दोनों प्रकार के कार्यों के अलग-अलग उप-विभाग होते हैं ।

एक उप-विभाग बाहर से आई हुई डाक को नगर में वितरण कराने का कार्य करता है और इसके साथ ही नगर के विभिन्न स्थानों में स्थापित पत्र-पेटिकाओं में संगृहीत पत्रों तथा उप-डाकघरों से आए हुए रजिस्टर्ड पत्रों, पार्सलों, मनीऑर्डरों आदि को उनके गंतव्य स्थानों के अनुसार उनकी छँटाई करता है और फिर उन्हें थैलों में भरकर डाक ढोनेवाली लाल रंग की मोटर से स्टेशन तक पहुँचाता है ।

स्टेशन से विभिन्न दिशाओं की ओर जानेवाली रेलगाड़ियों द्वारा डाक बाहर भेजी जाती है । डाक ले जानेवाली रेलगाड़ियों में लाल रंग का एक बड़ा डिब्बा लगा रहता है । उसके कर्मचारी पत्रों आदि को छाँटकर पत्रों के थैलों को गंतव्य स्थान के स्टेशनों पर उतार देते हैं ।

प्रमुख डाकघर के दूसरे उप-विभाग का संबंध जनसेवा से रहता है । यह उप-विभाग कार्य की सुविधा के लिए कई शाखाओं में विभाजित रहता है । डाकघरों में एक खिड़की पर पोस्टकार्ड, टिकट, लिफाफे आदि मिलते हैं तो दूसरी खिड़की पर मनीऑर्डर लिये जाते है तीसरी खिड़की पार्सलों के लिए होती है, चौथी खिड़की पर पत्रों की रजिस्ट्री होती है और पाँचवीं खिड़की सेविंग बैंक की होती है । खिड़कियों पर नियुक्त कर्मचारी अपना कार्य अत्यंत सावधानी और तत्परता से करते हैं ।

तारघर की व्यवस्था एक अलग कमरे में की जाती है । उसके कर्मचारी भी अलग होते हैं । उनका अपना विभाग होता है । नगरों में डाकघर से संबंधित तारघर केवल तार भेजने का कार्य करता है । बाहर से आए हुए तारों कों वह प्राप्त नहीं करता ।

नगर के समस्त तारों को बाहर भेजने और नगर में आए हुए समस्त तारों को पते के अनुसार वितरित कराने का कार्य नगर का केंद्रीय तारघर करता है । तार संबंधी दोनों कार्यों के लिए दो उप-विभाग होते है । एक उप-विभाग बाहर तार भेजता है और दूसरा उप-विभाग बाहर से आए हुए तारों का वितरण कराता है । ये तारघर दिन-रात खुले रहते हैं ।

डाकघर हमारे लिए बहुत उपयोगी है । यह जनसेवा का मुख्य केंद्र है । प्राय: सभी वर्गों के लोग इससे लाभ उठाते हैं । व्यापारियों के लिए तो यह वरदान ही है । इसके द्वारा उन्हें अपने व्यापार में अत्यधिक सुविधा रहती है ।

समाचार-पत्र भी हवाई डाक से भेजे जाते हैं । तार से समाचार ही नहीं, मनीऑर्डर भेजने की भी सुविधा है । ऐसी स्थिति में डाक विभाग को अपना पूरा सहयोग देना जनता का परम कर्तव्य है और उसके कर्मचारी धन्यवाद के पात्र हैं ।

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10 Lines on Post Office in Hindi and English

10 Lines on Post Office in Hindi and English In this article we are providing short essay or 10 Lines on Post office in Hindi and English language for class 1, 2, 3, 4, 5. इस लेख में पढ़ें हिंदी तथा अंग्रेजी में पोस्ट ऑफिस पर 10 वाक्य।

10 Lines on Post Office in Hindi

  • पोस्ट ऑफिस को हिंदी में डाकघर कहते हैं। 
  • भारत में डाकसेवा की शुरुआत 1 अप्रैल 1854 को हुई। 
  • वारेन हेस्टिंग्स ने कलकत्ता में प्रथम डाकघर स्थापित किया.
  • पोस्ट ऑफिस एक महत्वपूर्ण कार्यालय होता है। 
  • डाकघर प्रत्येक जिले, कस्बे व गाँव में होता है। 
  • डाकघर के द्वारा पत्रों का आदान-प्रदान किया जाता है। 
  • डाकघर के बाहर पत्र जमा करने की एक पेटी होती है। 
  • इस पत्र पेटी का रंग लाल होता है। 
  • डाकघर पत्रों को भेजने के लिए पिनकोड प्रयोग करते हैं। 
  • भारत में रेलवे तथा सेना के अपने अलग डाकघर होते हैं। 
  • यहां डाकिया, पोस्टमॉस्टर क्लर्क व चपरासी आदि काम करते हैं। 
  • प्रत्येक पोस्ट ऑफिस में एक टिकट काउंटर होता है। 
  • टिकट काउंटर पर टिकट व स्टाम्प खरीदी जाती हैं। 
  • डाकघर में पत्रों को जमा करने, छांटने व पहुंचाने का कार्य होता है।
  • डाकघर से पार्सल व मनीआर्डर आदि भी भेजे जाते हैं। 
  • कई लोग डाकघरों में अपने पैसे भी जमा करते हैं। 

10 Lines on Post Office in English

  • Postal services is the cheapest mode of communication.
  • Postal service started in India on 1 April 1854.
  • Post offices are found in every city, town, and village.
  • Post office carries our letters from one place to the other
  • Here the postman, postmaster clerk and peon are working.
  • There is a red box to collect letters outside the post office.
  • People put their letters into the letter box.
  • Each post office has a ticket counter and inquiry counter .
  • Tickets and stamps are purchased at the ticket counter.
  • Postcode is used to send letters to the post office.
  • Railways and the army have their own post offices in India.
  • The post office has the task of collecting, sorting and delivering letters.
  • Parcel and money orders are also sent from the post office.
  • Many people deposit their money also  in post offices.
  • Post offices offer services such as acceptance of letters and parcels.
  • The postal network in India is the largest in world

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post office essay in hindi

10 Lines on Post office in Hindi Language

In this article, we are providing 10 Lines on Post office in Hindi. In this, you will get information about Post office in Hindi for students and kids for classes 2nd 3rd, 4th, 5th, 6th, 7th, 8th, 9th, 10th 11th, 12th. हिंदी में डाकघर पर 10 लाइनें, Short 10 lines essay on Post office.

post office essay in hindi

1. डाकघर एक महत्वपूर्ण कार्यालय होता है जो पत्रों को आदान-प्रदान करने का काम करता है ।

2. डाकघर के अंदर डाकिया,क्लर्क, व चपरासी आदि काम करते हैं ।

3. भारत में डाकसेवा की शुरुआत 1 अप्रैल 1854 को हुई थी ।

4. भारत में 1854 से लेकर करीब आज तक 1,55,015 जितने डाकघर बनाए गए है ।

5. अंतर्राष्ट्रीय डाक दिवस 9 अक्टूबर को मनाया जाता है, जिसकी शुरुआत सन् 1874 से हुई थी ।

6. डाकघर के बाहर पत्र जमा करने के लिए एक लाल रंग की पेटी होती है ।

7. डाकघर केंद्र सरकार द्वारा संचालित एक संस्थान है ।

8. श्रीनगर के अंदर एक ऐसा डाकघर है,जो झील के बीचो बीच बनाया गया है । जिसे डूबता हुआ डाकघर भी कहा जाता है ।

9. हिमाचल प्रदेश के हिक्किम जिले में स्थित डाकघर दुनिया का सबसे ऊंचा डाकघर है, जिसकी ऊंचाई 4440 मीटर है।

10. वैश्विक डाक संघ की स्थापना 1874 में कि गई थी, जिसका हेतु दुनिया में ज्यादा से ज्यादा डाकघर बनाने का था ।

Essay on Postman in Hindi

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डाकघर पर 10 वाक्य | 10 Lines on Post Office in Hindi

10 Lines on Post Office in Hindi: आज हम आपको डाकघर पर 10 वाक्य निबंध हिंदी में उपलब्ध करा रहे है जिसके तहत आपको post office par 10 line essay और कंही खोजने की जरुरत न पड़े।

Post Office भारत सरकार द्वारा उपलब्ध कराई जाने वाली सार्वजनिक सुविधा है जिसमे पत्र और पार्सल का आदान प्रदान किया जाता है। डाकघर में डाक टिकट, पैकेजिंग, मेल और स्टेशनरी सम्बंधित सुविधाएँ भी उपलब्ध होती है। हर डाकघर के बहार कुछ बॉक्स लगाए जाते है जिसमे लोग अपने जान पहचान सम्बंधित लोगो के लिए पत्र डालते है जिसके तहत वह अपना सन्देश भी पहुंचा पाते है।

10 Lines on Post Office in Hindi

  • डाकघर को अंग्रेजी में Post Office कहते हैं।
  • डाकघर में महत्वपूर्ण काम पत्रों का आदान प्रदान किया जाता है।
  • डाकघर के बाहर एक लाल रंग की पेटी होती जिसमें पत्र जमा किए जाते हैं।
  • अंतर्राष्ट्रीय डाकघर दिवस 9 अक्टूबर को मनाया जाता है।
  • डाकघर हर गांव कस्बे इत्यादि शहर में उपस्थित होता है।
  • डाकघर से हम चिट्टियां तथा पैसे ट्रांसफर भी कर सकते हैं।
  • सरकारी दस्तावेज डाकघर द्वारा ही लोगों के घर पर पहुंचाया जाता है।
  • डाकघर की शुरुआत सबसे पहले 1 अक्टूबर 1854 में की गई।
  • भारत में 1.5 लाख डाकघर मौजूद है।
  • डाकघर में खाता खुलवाने से बैंक से ज्यादा ब्याज मिलता है।

10 lines on post office in hindi

डाकघर पर 10 वाक्य

  • डाकघर के अंदर चपरासी डाकिए आदि क्लर्क काम करते हैं।
  • श्रीनगर में एक ऐसा डाकघर है जो झील के बीचो बीच बनाया गया जिसे डूबता हुआ है डाकघर भी कहा जाता है।
  • डाकघर पत्रों को भेजने के लिए पिन कोड का उपयोग करते हैं।
  • डाकघर से सरकारी दस्तावेज में लगने वाली स्टैंप मिलती है।
  • डाकघर से सबसे पहले ज्यादा चिट्टियां तथा पैसे भेजे जाते थे लेकिन अब मोबाइल के आ जाने से लोगों ने
  • डाकघर का उपयोग कम कर दिया है।
  • डाकघर में वजन के अनुसार शुल्क लगता है।
  • भारतीय डाकघर में मनी ऑर्डर की सेवा 9 अगस्त 2003 में शुरू की गई।
  • डाकघर में कई बचत योजनाएं चलती रहती हैं जैसे कि सुकन्या योजना बुजुर्गों से संबंधित।
  • भारत में सबसे पहले डाकघर की शुरुआत वारेन हेस्टिंग्स ने की थी।
  • वर्ष 1983 से हिक्किम गांव में विश्व का सबसे उंचा पोस्ट आफिस चल रहा है।

अगर आपको डाकघर पर 10 वाक्य हिंदी निबंध अच्छा लगा है तो post office par 10 line essay को आप अपने अन्य दोस्तों के साथ सांझा कर सकते है फेसबुक और व्हाट्सप्प के जरिये और अगर आपको किसी विशेष टॉपिक पर शार्ट निबंध चाहिए तो आप कमेंट कर के बता सकते है।

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Essay on Letter Box in Hindi – लेटरबॉक्स पर निबंध

August 10, 2018 by essaykiduniya

यहां आपको सभी कक्षाओं के छात्रों के लिए हिंदी भाषा में लेटरबॉक्स पर निबंध मिलेगा। Here you will get Paragraph and Short Essay on Letter Box in Hindi Language for students of all Classes in 100, 300, 400 words.

Essay on Letter Box in Hindi – लेटरबॉक्स पर निबंध

Essay on letter box in hindi – लेटरबॉक्स पर निबंध ( 100 words ).

लैटर बॉक्स को हिंदी में डाक पेटी कहा जाता है। यह डाकघर के बाहर रखा होता है और लाल रंग का होता है। लोग इसमें अपनी चिटी, मनी आर्डर आदि डालकर जाते हैं। प्राचीन समय में इसका प्रयोग बहुत ज्यादा किया जाता था लेकिन अब इसका प्रचलन कम हो गया है। लोगों ने घर के बाहर भी लैटर बॉक्स बनवाया होता है ताकि अगर उनके लिए कोई चिट्ठी आए तो उसमें डाल जाए। लैटर बॉक्स डाकघर का एक अहम हिस्सा है। इसके बिना डाकघर कुछ भी नहीं है। लैटर बॉक्स का अपना महत्व है।

Essay on Letter Box in Hindi – लेटरबॉक्स पर निबंध ( 300 – 400 words )

एक लेटर बॉक्स, जिसे पोस्ट बॉक्स, मेलबॉक्स, लेटर बॉक्स या ड्रॉप बॉक्स भी कहा जाता है वह एक भौतिक बॉक्स है जिसमें जनता के सदस्य किसी देश की डाक सेवा के एजेंटों द्वारा संग्रह के लिए आउटगोइंग मेल जमा कर सकते हैं। पोस्ट बॉक्स शब्द आने वाले मेल के लिए एक निजी पत्र बॉक्स भी देख सकता है।

पोस्ट बॉक्स 19वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में हांगकांग पहुंचे और लकड़ी से बने थे। 1890 के दशक में, धातु स्तंभ बॉक्स हांगकांग में दिखाई दिया और 1990 के दशक के अंत तक उपयोग में रहा। 1890 से 1997 तक बक्से लाल रंग में पेंट किए गए थे और 1997 के बाद हरे रंग के चित्रित किए गए थे। आमतौर पर बॉक्स में तय प्लेट पर सूचीबद्ध समय पर पोस्ट बॉक्स खाली हो जाते हैं। शहरी क्षेत्रों में, यह दिन में एक या दो बार हो सकता है। अतिप्रवाह से बचने के लिए, और सॉर्टर्स के लिए काम फैलाने के लिए व्यस्त बक्से को और अधिक बार साफ़ किया जा सकता है। मेल के साथ बक्से बनने से रोकने के लिए, क्रिसमस तक की अवधि में अतिरिक्त निकासी की जाती है।

2005 के बाद से, अधिकांश रॉयल मेल पोस्ट बॉक्स में बॉक्स में दिखाए गए दिन के आखिरी संग्रह का समय था, इस बात का कोई संकेत नहीं कि बॉक्स को दिन में पहले से साफ़ किया गया था या नहीं। रॉयल मेल का कहना है कि उन्हें खराब दृष्टि वाले लोगों की मदद के लिए प्लेट पर शब्द के प्रकार के आकार को बढ़ाने की जरूरत है, और इसलिए दिन भर में सभी संग्रह समय सूचीबद्ध करने के लिए पर्याप्त जगह नहीं थी।

कुछ पोस्ट बॉक्स अगले संग्रह समय को धातु ‘टैब’ द्वारा इंगित कर सकते हैं या डायल किया जा सकता है जब बॉक्स खुला होता है। टैब एक दिन या संख्या प्रदर्शित करता है, प्लेट पर दिखाए गए एक अलग समय से संबंधित प्रत्येक संख्या। कुछ बक्से का इस्तेमाल प्रयुक्त हाइपोडर्मिक सुइयों के लिए डंपिंग ग्राउंड के रूप में किया जाता है। ऐसे मामलों में कर्मचारियों को सुरक्षा उपकरण के साथ जारी किया जाता है।

हम उम्मीद करेंगे कि आपको यह निबंध ( Essay on Letter Box in Hindi – लेटरबॉक्स पर निबंध ) पसंद आएगा।

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डाकघर पर दस पंक्तियाँ 10 Lines on Post Office in Hindi

नमस्कार आप 10 Lines on Post Office in Hindi खोज रहे है या आप डाकघर पर दस पंक्तियाँ लाइन हिंदी व English में अपने बच्चों को लिखवाना चाहते हैं. तो यह लेख आपके लिए हैं. यहाँ सरल भाषा में छोटी छोटी पंक्तियाँ हिंदी व अंग्रेजी भाषा में दी गई हैं.

डाकघर पर दस पंक्तियाँ 10 Lines on Post Office in Hindi

प्रिय छात्र छात्राओं क्या आप हिंदी में डाकघर (Post Office) पर सरल व सुंदर 10 Lines का छोटा एस्से पढ़ना चाहते हो. यदि हाँ तो यह आर्टिकल आपके लिए ही हैं.

यहाँ आपकों हिंदी और अंग्रेजी भाषा में पोस्ट ऑफिस पर कुछ पंक्तियाँ कक्षा 1, 2, 3, 4, 5 std के बच्चों के लिए दी गई हैं. उम्मीद करते है आपकों ये बहुत पसंद भी आएगी.

Post Office 10 Lines in Hindi

1. डाकघर एक महत्वपूर्ण सरकारी कार्यालय होता है.

2. डाक घर के द्वारा पत्रों, मनी आर्डर आदि का आदान प्रदान किया जाता है.

3. डाकघर में पार्सल, मनी आर्डर भेज सकते है और लोग अपने पैसे भी जमा कराते है.

4. यहाँ पोस्टमास्टर, डाकिया, क्लर्क व चपरासी आदि काम करते हैं.

5. डाकघर प्रत्येक जिले, कस्बे और गाँव में होता है.

6. भारत में डाक सेवा की शुरुआत 1 अप्रैल 1854 को हुई.

7. डाकघर के बाहर पत्र जमा करने के लिए एक लाल रंग की पेटी होती है.

8. डाकघर पत्र भेजने के लिए पिन कोड प्रणाली का उपयोग करते है.

9. जिस डाक पते पर पत्र और मनी आर्डर पहुचाना होता है उस पते पर डाकिया पंहुचा देता है.

10. डाक घर केंद्र सरकार द्वारा संचालित उपक्रम हैं.

11. भारतीय डाक द्वारा कई प्रकार की बचत योजनाएं भी चलाई जा रही हैं.

10 Lines on Post Office in English

1. post office is very helpful for us.

2. through post office we send and receive letters and money orders.

3. post office are located in every town, village and city.

4. it is a branch of indian postal department.

5. post office runs by govt of india.

6. post masters, post men, clerk etc, are worked in post office.

7. their are a red box in front of the post office .

8. we insert our letters into this box.

9. postmen delivers the letters to correct address.

10. every post office has its own pin code.

Many types of savings schemes are also being run by India Post.

I hope guys. You must have liked this short article of a few lines in Hindi About the post office and 10 lines On the post office in English .

Here you have brought a short essay on the post office in Hindi , which will provide you information about this institute in fewer words.

डाकघर पर छोटा निबंध

डाकघर एक सरकारी कार्यालय हैं यहाँ डाक सम्बन्धी कार्य किये जाते हैं. डाकघर में कई विभाग होते हैं. कहीं पोस्टकार्ड, लिफ़ाफ़े और डाक टिकट मिलते हैं.

कहीं मनीऑर्डर (धनादेश) लिए जाते है. कही रजिस्ट्री व पार्सल का काम होता है. तार के लिए अलग विभाग होता है. डाकघर में बचत बैंक भी होता है.

प्रत्येक डाकघर के बाहर पत्र पेटियाँ होती है. लोग पत्र पेटियों में पत्र डालते हैं. डाकिया उन पत्रों को डाकघर ले आता हैं. वहां से इन पत्रों को पते के अनुसार अलग अलग जगह भेजा जाता हैं.

बाहर से आने वाले पत्रों को पते के अनुसार छाटा जाता हैं. फिर डाकिया उन पत्रों पर लिखे पतों के अनुसार उन्हें घर घर पहुंचाता हैं. सचमुच डाकघर लोगों की बहुत मदद करता हैं.

भारत में डाक सेवा एक प्राचीन और संसार की बड़ी प्रणाली हैं. हमारे देश में इसकी शुरुआत 1 अप्रैल 1854 को हुई थी, वारेन हेस्टिंग्स के समय कलकत्ता शहर में भारत का पहला डाकघर खोला गया था. रेलवे और सेना के अपने अलग से डाकघर होते हैं.

भारतीय डाक विभिन्न सरकारी योजनाओं तथा बचत योजनाओं को भी संचालित करता हैं. कई सारे लोग अपनी भविष्य निधि के लिए डाक घर में खाता खुलवाते हैं.

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Post Office Essay in Hindi | डाकघर पर निबंध

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डाकघर पर निबंध

डाकघर एक केन्द्रीय संस्थान है जो लोगों द्वारा प्रेषित लिफाफों, पोस्ट कार्ड, मनी आर्डर और सामान को गन्तव्य स्थल तक पहुचाने का काम करते हैं। साथ ही ये पोस्ट कार्ड और डाक टिकेट के अलावा बचत योजनाएं, पेशन सेवाएं तथा लोकर की भूमिका निभाती है।

डाकघर एक सरकारी कार्यालय है। यहाँ से पत्र एक स्थान से दूसरे स्थान भेजे जाते हैं। डाकघर को पोस्ट आफिस भी कहते हैं। डाकघर से हम पोस्टकार्ड, अंतर्देशीय-पत्र और लिफाफे खरीदते हैं। डाकघर से हम टिकट भी खरीदते हैं। अपने घर से कही भी दूर रहकर भी अपने परिवार और रिश्तेदारों को अपने संदेश अथवा कोई वस्तु आसानी से डाक के जरिये प्रेषित कर सकते हैं। डाकघर के जरिये हम पंजीकृत पत्र, जन्मदिन की शुभकामनाएं, पार्सल और मनी ऑर्डर आदि भेज सकते हैं।

डाकघर से हम किसी को पारसल भेज सकते हैं। यहाँ से हम मनीआर्डर द्वारा रुपये भी भेज सकते हैं। डाकघर में बचतखाता भी होता है। सार्वजनिक जीवन में उपयोग आने वाली महत्वपूर्ण संस्थाओं में डाकघर भी हैं। इसकी मदद से हम अपने पार्सल या कागजात को कही भी भेज सकते है अथवा घर बैठे आसानी से प्राप्त कर सकते हैं।

बदलते वक्त और संचार के साधनों में वृद्धि के साथ ही डाक घर और डाक प्रणाली की उपयोगिता जरुर कम हुई है मगर फिर भी इसका महत्व खत्म नहीं हुआ हैं। डाक पत्र वितरित करने वाले पोस्टमैन (डाकिया) के साथ हमारे विशिष्ट सम्बन्ध होते हैं। कई बार हम ऑनलाइन खरीददारी की डिलीवरी भी डाक के जरिये पोस्ट ऑफिस से ही प्राप्त करते हैं।

डाकघर ने हमारे जीवन में कई मुश्किलों को सरल किया हैं। सरकारी योजनाओं से जुड़े लाभ हमें डाक के जरिये ही प्राप्त होते हैं। विद्यार्थी, वृद्ध, महिलाओं के लिए छोटी छोटी बचत योजनाएं जीवन में कई बार बहुत कारगर साबित होती हैं। डाकघर हमारे समय और धन दोनों की बचत कर आवश्यक वस्तु को हमारे द्वार तक पहुचाता हैं, एक तरह से जीवन में डाकघर जनसेवा केंद्र की भूमिका निभाकर अपनी उपयोगिता सिद्ध कर रहे हैं।

डाकघर तरह-तरह से जनता की सेवा करता है। मध्य-वर्ग के लिए यह वरदान से कम नहीं हैं, उन्हें बहुत कम खर्च में अत्यधिक सुविधाएं डाकघर उपलब्ध करवाता हैं।

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डाकघर पर निबंध Essay on post office in hindi

Essay on dakghar in hindi.

Post office – दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से डाकघर पर लिखे निबंध के बारे में बताने जा रहे हैं । चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और इस आर्टिकल को पढ़कर डाकघर के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं ।

Essay on post office in hindi

भारतीय डाकघर के बारे में – भारत देश में डाकघर की सुविधा प्रारंभ करने के लिए ब्रिटिश शासन के दौरान अंग्रेजों ने सबसे पहले सैनी एवं खुफिया एजेंसी की मदद के लिए भारत में पहली बार 1688 में डाकघर खोलने का विचार बनाया था । जो कि ब्रिटिश अधिकारियों के द्वारा मुंबई में पहला डाकघर खोला गया था । भारत देश में नागरिकों को डाकघर की सुविधा प्रदान की गई है । जिसके माध्यम से भारत के नागरिक एक स्थान से दूसरे स्थान पर सूचना पहुंचाने का काम करते हैं । 1854 में  भारत देश में पोस्ट ऑफिस प्रथम बार 1 अक्टूबर 1854 को  राष्ट्रीय महत्व  के  लिए पृथक रूप से  डायरेक्टर जनरल के  संयुक्त नियंत्रण के अंतर्गत  मान्यता देकर  यह सुविधा प्रारंभ की गई थी ।

डाकघर की सभी सुविधाएं केंद्र सरकार के द्वारा दी जाती हैं । डाकघर सुविधा केंद्र सरकार द्वारा संचालित संस्थान है । डाकघर की सुविधा भारत के हर राज्य , हर जिलों में , हर कस्बों में उपलब्ध है । डाकघर के माध्यम से मनी ऑर्डर , पोस्टकार्ड , लिफाफे को एक शहर से दूसरे शहर पहुंचाया जाता है और जिस पते पर पोस्टकार्ड पहुंचाना होता है उस पते पर डाकघर में कार्यरत डाकिया पोस्टकार्ड को पहुंचा देता है । डाकघर का मुख्य कार्य मनीआर्डर , बीमा पत्रों , पत्रों , पंजीकृत पत्रों , पोस्टकार्ड , टिकटों , लिफाफा को सही पते पर पहुंचाना होता है ।

डाकघर का जो प्रमुख होता है वह पोस्ट मास्टर कहा जाता है । डाकघर मे पत्र बॉक्स से पत्र को निकाल कर लाया जाता है और जिस पते पर पत्र को पहुंचाना होता है उस पते पर उस पत्र को पहुंचा दिया जाता है । डाकघर में टेलीग्राम , टेलीफोन की सुविधा भी मौजूद है । यदि हम प्राचीन समय की बात करें तो प्राचीन समय में जब किसी व्यक्ति को दूर स्थित व्यक्ति के पास खबर  पहुंचानी होती थी तो वह पत्र को घोड़ों , कबूतरों के माध्यम से भेजा जाता था । परंतु धीरे-धीरे समय बदलता गया और डाकघर की स्थापना हुई और डाकघर के माध्यम से रेलवे परिवहन एवं हवाई मार्गों के माध्यम से पत्र एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचाया जाने लगा ।

डाकघर में बचत बैंक खाते , बीमा खाते की सुविधा भी उपलब्ध है । जहां पर भारतीय नागरिक बैंक खाते खुलवा कर पैसे जमा कर सकते हैं  । यदि कोई व्यक्ति पोस्ट ऑफिस से बीमा करवाता है तो उसे कई तरह का लाभ डाकघर के माध्यम से दिया जाता है । भारत देश में पहली बार पेनी डाकघर सुविधा की शुरुआत 1963 में ब्रिटिश शासन के दौरान ग्रेट ब्रिटेन के लॉर्ड डलहौजी द्वारा की गई थी । जिसके बाद धीरे-धीरे डाकघर की सेवाओं को भारत के हर कोने में पहुंचाई गई थी ।

भारत में प्रारंभ की गई डाकघर की सेवाओं के बारे में – भारत में डाकघर की सेवाओं के बारे में जानने के बाद यह ज्ञात होता है कि भारत में डाकघर के माध्यम से कितना बदलाव हुआ है । 1774 में भारत में वारेन हेस्टिंग्स ने प्रथम डाकघर की स्थापना कोलकाता में करवाई थी । इसके बाद 1766 में लॉर्ड क्लाइव द्वारा भारत देश में प्रथम डाक व्यवस्था की स्थापना की गई थी । जिसके बाद डाकघर के माध्यम से नागरिकों को बहुत ही लाभ प्राप्त हुआ था । इसके बाद धीरे-धीरे समय बदलता गया और 1793 मे ब्रिटिश शासन के दौरान प्रधान डाकघर की सेवा बंबई में उपलब्ध कराई गई थी ।

1863 में भारतीय डाक सेवा के विकास के लिए रेल डाक सेवा प्रारंभ की गई थी ।जिससे कि भारतीय डाक सेवा की सुविधा देश के हर कोने में पहुंचाई जा सके । सन 1870 के दौरान भारत की केंद्र सरकार की ओर से नक्काशी दार लिफाफे की बिक्री डाकघर में प्रारंभ की गई थी । सन 1876 के दौरान डाकघर में भारत पार्सल पोस्टल यूनियन की शुरुआत की गई थी और भारत पार्सल पोस्टल यूनियन में डाकघर को शामिल किया गया था । 1877 में VPP और पार्सल जैसी सुविधाएं डाकघर में प्रारंभ की गई थी ।

सन 1880 में डाकघर के माध्यम से मनी ऑर्डर सेवा प्रारंभ की गई थी जिसका लाभ भारत के लोगों ने प्राप्त किया था । सन 1911 में प्रथम ईयर मेल सेवा भारत में प्रारंभ की गई थी जो इलाहाबाद से नैनी डाक से भेजी गई थी । इसके बाद 1935 में इंडियन पोस्टल ऑर्डर प्रारंभ किया गया और सभी इस सुविधा का लाभ प्राप्त करने लगे थे । 1972 में भारत की केंद्र सरकार के द्वारा डाकघरों के माध्यम से पिन कोड प्रारंभ किए गए थे ।

1954 में भारतीय डाक सेवा को सफल बनाने के लिए और भारत के सभी नागरिकों को डाकघर से जुड़ने के लिए डाक जीवन बीमा प्रारंभ किया गया था और कई भारतीय नागरिकों ने डाक जीवन बीमा पोस्ट ऑफिस में करवाया था । भारत देश में डाकघर की महत्वता को देखते हुए टेलिकॉम विभाग एवं पोस्ट विभाग को पृथक किया गया था । 1990 में चेन्नई , मुंबई में दो स्वचालित डाक  प्रसंस्करण केंद्र भारतीय केंद्र सरकार की ओर से स्थापित किए गए थे । 1995 में ग्रामीण डाक जीवन बीमा की शुरुआत की गई थी । 1996 में डाकघर के माध्यम से मीडिया डाक सेवा की स्थापना की गई थी ।

1997 में डाकघर के माध्यम से बिजनेस पोस्ट सेवा प्रारंभ की गई थी जिसका लाभ काफी व्यापारियों ने प्राप्त किया था और उनको बहुत अधिक फायदा प्राप्त हुआ था । 1998 में भारत सरकार के द्वारा पोस्ट ऑफिस में उपग्रह डाक सेवा प्रारंभ की गई थी ।1999 में डाटा डाक व एक्सप्रेस डाक सेवा  जैसी सुविधाएं डाकघर में प्रारंभ की गई थी । जिसके बाद डाकघर की सेवाओं का लाभ भारतीय नागरिकों को प्राप्त हुआ था । सन 2000 में भारतीय डाक घर के माध्यम से ग्रीटिंग पोस्ट सेवा प्रारंभ की गई थी । सन 2001 भारत के सभी डाकघरों  में इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर सेवा प्रारंभ की गई थी ।

3 जनवरी 2002 को भारत की सरकार के द्वारा डाकघर के माध्यम से भारतीय नागरिकों को लाभ देने के लिए इंटरनेट आधारित ट्रैक एवं टैक्स सेवा प्रारंभ की गई थी । भारतीय डाक सेवा के माध्यम से 15 सितंबर 2003 को  मेल सेवा प्रारंभ की गई थी । 10 अगस्त 2004 को भारत सरकार के द्वारा भारतीय डाकघर के माध्यम से लोगों को लाभ देने के लिए लॉजिस्टिक्स पोस्ट प्रारंभ की गई थी । जिसका लाभ कई भारतीय नागरिकों ने लिया है ।

डाकघर की सुविधाएं facilities of post office in hindi – डाकघर के माध्यम से भारतीय नागरिकों को कई तरह की सुविधाएं दी गई थी । डाकघर की शुरुआत होने के बाद भारत में रहने वाले लोग अपने रिश्तेदारों , जान पहचान वालों को पत्र भेजकर  डाकघर के माध्यम से खबर पहुंचाते हैं । डाकघर के माध्यम से ग्रामीण डाक सेवाएं , मीडिया डाक सेवाएं , बिजनेस पोस्ट सेवाएं , ग्रीटिंग पोस्ट सेवाएं , इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर सेवाएं , ई पोस्ट सेवा , बिल मेल सेवा , लॉजिस्टिक पोस्ट एवं और भी कई सेवाएं प्राप्त हुई हैं ।

पोस्ट ऑफिस के माध्यम से , मासिक आय बचत योजना के माध्यम से भारतीय नागरिक पोस्ट ऑफिस में खाता खुलवा कर लाभ प्राप्त कर सकता है ।डाकघर के माध्यम से डाक पार्सल मनी ऑर्डर भेजने की सुविधा का लाभ भारतीय नागरिकों को प्राप्त हुआ है ।डाकघर विभाग के माध्यम से भारतीय नागरिकों को कई तरह की सुविधाएं प्राप्त हुई हैं । भारतीय डाक घरों में लिफाफे , खाली पत्र , टिकट वितरण करने की सुविधा होती है । जहां से भारत का कोई भी नागरिक खाली लिफाफा या पत्र खरीद कर उस पत्र पर टिकट लगा कर दूसरे शहर भेज सकता है ।

डाकघर के माध्यम से भारतीय व्यापारियों को बहुत ही लाभ प्राप्त हुआ है । डाकघर के माध्यम से हवाई डाक से समाचार पत्र भी एक शहर से दूसरे शहर भेजे जाते हैं । इस तरह से भारत देश की केंद्र सरकार की सहायता से डाकघर के माध्ययम से भारतीय नागरिकोंं को यह सभी सुविधाएं प्राप्त हुई हैं । समय बदलने के साथ साथ भारत में स्थित सभी डाकघरों में केंद्र सरकार  की सहायता से कई तरह की सुविधाएं भारतीय नागरिकों को दी गई है ।

भारत में डाकघर की उपयोगिता के बारे में – जब  भारत देश में  डाकघर  की  उपयोगिता देखी गई तब ब्रिटिश अधिकारियों के द्वारा भारत देश में डाकघर की सुविधा प्रारंभ की गई थी । जब भारत देश आजाद हुआ तब डाकघर की उपयोगिता को देखते हुए ग्रामीण क्षेत्रों , शहरी क्षेत्रों में डाकघर का निर्माण किया गया था । राज्यों की सभी राजधानी में डाकघर के प्रादेशिक कार्यालय भी खोले गए थे । आज हम डाकघर की उपयोगिता को जान सकते हैं क्योंकि डाकघर के माध्यम से कई तरह की सुविधाएं भारतीय नागरिकों को प्राप्त हैं ।

जिसके माध्यम से भारतीय नागरिक सुविधा लेकर अपने जीवन को सरल बनाते हैं । नगर एवं केंद्रीय डाकघरों की स्थापना भी भारत देश में की गई है । जो भारतीय नागरिकों की सुविधाओं के लिए खोली गई हैं । डाकघर के उपविभाग की उपयोगिता को देखते हुए भारत देश में डाकघर विभाग की स्थापना की गई है । जहां पर बाहर से आने वाले डाक को एकत्रित करके शहर में वितरण किया जाता है ।

डाकघर के कार्यभार के बारे में – डाकघर में कार्यरत कर्मचारियों के ऊपर काफी जिम्मेदारियां होती हैं । उनका कार्यभार बहुत अधिक होता है । नगर में स्थित डाकघर एवं केंद्रीय डाकघरों में कार्यरत कर्मचारियों पर काफी अधिक कार्यभार होता है । जब यह देखा गया कि डाकघर का कार्यभार बढ़ता जा रहा है तब केंद्र की सरकार के द्वारा उप विभाग की स्थापना की गई थी । उप विभाग का सबसे महत्वपूर्ण कार्य बाहर से आई हुई सभी डाक को एक स्थान पर एकत्रित करके उनकी छटनी करके डाकिया के माध्यम से पूरे शहर में वितरण करना है ।

डाकघरों के उपविभाग नगर के विभिन्न चौराहों , विभिन्न स्थानों पर स्थापित की गई पत्र पेटी से पत्र संग्रहित करके उन सभी पत्रों की छटनी करके शहर में वितरण कराया जाता है ।भारतीय पोस्ट ऑफिस का सबसे बड़ा कार्यभार सभी पार्षलो को एकत्रित करना , रजिस्टर्ड पत्रों को एकत्रित करना , सभी मनी ऑर्डर  को एकत्रित करना और उनको सही पते पर पहुंचाना है क्योंकि भारतीय डाकघर का संबंध , उपविभाग का संबंध जनसेवा से रहता है । डाकघर मे अलग-अलग खिड़कियां भी रखी जाती हैं ।

जिसकी एक खिड़की में टिकट वितरण किए जाते हैं और दूसरी खिड़की में पोस्टकार्ड वितरण किए जाते हैं , तीसरी खिड़की में लिफाफे आदि वितरण किए जाते हैं । जिन खिड़कियों पर भारतीय पोस्ट ऑफिस में कार्यरत कर्मचारी मौजूद रहते हैं । जो डाकघर की सभी सेवाओं को बड़ी सावधानी से देखते हैं । यह काम कोई आसान काम नहीं है । यह कार्यभार एक साधारण व्यक्ति नहीं संभाल सकता है ।

डाकघर में स्थित ताल घर के बारे में – भारत में स्थित सभी डाकघरों में 1 ताल घर भी होता है । जो अलग कमरे में बनाया जाता है । भारत में स्थित सभी डाकघरों में ताल घरों के लिए अलग से कर्मचारी नियुक्त किए जाते हैं । यह उनका अपना अलग से एक विभाग होता है । भारत के सभी नगरों में स्थित तालघर सिर्फ और सिर्फ तार भेजने का काम करते हैं । ताल घर में जो कर्मचारी काम करते हैं वह बाहर से आए हुए तार को  प्राप्त नहीं करते हैं । नगर में आए हुए सभी तारों को एकत्रित करके कर्मचारियों के माध्यम से वितरण किए जाते हैं ।

यह कार्य नगर में स्थित केंद्रीय तालघर करता है । दूर-दूर से आए तार को एकत्रित करके उनको सही पते पर वितरण करना तार घर से संबंधित सभी कार्य को करना बहुत ही मेहनत का कार्य होता है । तार संबंधी कार्यों को करने के लिए दो विभाग भी निर्धारित किए गए हैं । पहला विभाग उप विभाग जो बाहर तार भेजता है और दूसरा विभाग भी नियुक्त किया गया है जिस विभाग में कार्यरत कर्मचारी बाहर से आए तारों का वितरण करते हैं । यह ताल घर 24 घंटे खुले रहते हैं ।

पोस्ट ऑफिस मासिक आय बचत योजना के बारे में – पोस्ट ऑफिस मासिक आय बचत योजना केंद्रीय संचार मंत्रालय के द्वारा प्रारंभ की गई एक बेहतरीन योजना है ।जिस योजना का लाभ कई लोगों ने प्राप्त किया है । इस योजना में जो भी व्यक्ति हिस्सा लेता है उस व्यक्ति को 7.5 फ़ीसदी  सालाना ब्याज पोस्ट ऑफिस की तरफ से दिया जाता है । पोस्ट ऑफिस मासिक आय योजना के तहत व्यक्ति को एफडी की तुलना में सबसे ज्यादा रिटर्न दिया जाता है । यदि कोई व्यक्ति पोस्ट ऑफिस मासिक आय बचत योजना के तहत खाता खुलवाना चाहता है तो वह अपने पास में स्थित डाकघर में 1500 रुपए प्रतिमाह जमा करके निवेश शुरू कर सकता है ।

पोस्ट ऑफिस मासिक आय बचत योजना के तहत जो भी व्यक्ति जुड़ता है उस व्यक्ति को काफी लाभ  डाकघर के माध्यम से दिया जाता है । डाकघर मासिक आय योजना की सबसे बड़ी खास बात यह है कि डाकघर मासिक आय योजना की अवधि 5 वर्ष है । जिसमें आप अधिकतम ₹900000 जमा कर सकते हैं । यदि कोई व्यक्ति पोस्ट ऑफिस मासिक आय बचत योजना  के तहत खाता खुलवाता है तो उसे खाते को किसी अन्य जगह के पोस्ट ऑफिस में ट्रांसफर करने की भी व्यवस्था दी गई है । यदि कोई व्यक्ति 1 साल के अंदर पैसा निकालना चाहता  है तो उसे पैसा रिटर्न नहीं दिया जाता है ।

इस योजना के तहत व्यक्ति अपने परिवार के साथ मिलकर जॉइंट अकाउंट भी खोल सकता है । एक व्यक्ति यदि अपने नाम पर अकाउंट खोलता है तो वह इस खाते में अधिकतर 450000 रुपए ही निवेश कर सकता है । कोई भी व्यक्ति नाबालिक के नाम से भी डाकघर मासिक आय योजना के तहत खाता खोल सकता है और इस योजना का लाभ ले सकता है । परंतु नाबालिग व्यक्ति के नाम पर सिर्फ ₹300000 ही निवेश किए जा सकते हैं। कोई भी व्यक्ति पोस्ट ऑफिस में जाकर डाकघर मासिक आय योजना के तहत दो प्रकार से खाता खुलवा सकता है ।

पहला खाता सिंगल खाता , दूसरा खाता जॉइंट खाता ।कहने का तात्पर्य है कि यदि कोई व्यक्ति सिंगल अकाउंट खोलना चाहता है तो वह अपने नाम पर या परिवार के किसी एक व्यक्ति के नाम पर अकाउंट खोल सकता है ।यदि व्यक्ति पूरे परिवार के नाम पर जॉइंट अकाउंट खोलना चाहता है तो वह पूरे परिवार के नाम पर जॉइंट अकाउंट खोल सकता है । यदि कोई व्यक्ति डाकघर मासिक आय योजना के तहत खाता खोलता है तो उसे टैक्स  में विशेष छूट नहीं दी जाती है ।

आयकर कानून के सेक्शन 80c डाकघर मासिक आय योजना में जो व्यक्ति अकाउंट खोलता है उस व्यक्ति को टैक्स में विशेष छूट नहीं मिलती है । यदि कोई व्यक्ति डाकघर मासिक आय योजना के तहत अपना खाता खुलवाता है तो वह 1 साल के बाद पैसा निकाल सकता है लेकिन यदि वह व्यक्ति 3 साल से पहले पैसा निकलता है तो उस व्यक्ति को 3% पेनल्टी भरनी पड़ती है । यदि 3 साल के बाद वह व्यक्ति पैसा निकालता है तो उस व्यक्ति को जमा राशि की 1% कटौती काट करके पैसा दिया जाता है ।

यदि कोई व्यक्ति 5 साल के बाद पैसा निकलता है तो उस व्यक्ति को किसी भी तरह की कोई भी पेनल्टी नहीं देनी पड़ती है । भारत के लाखों लोगों ने डाकघर बचत योजना के तहत खाते खुलवाए हैं । जिसके बाद कई लोगों ने इस योजना का लाभ प्राप्त किया है । इस तरह से केंद्र सरकार की ओर से डाकघर मासिक आय योजना की शुरुआत की गई थी । जिसके बाद भारत के सभी डाकघरों के माध्यम से लोगों को इस योजना का लाभ दिया गया था ।

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10 lines on Post Office in Hindi - Few lines about post office

Today, we are sharing ten lines essay on Post Office . This article can help the students who are looking for information about Post Office in Hindi . This essay is very simple and easy to remember. The level of this essay is medium so any students can write on this topic. This article is generally useful for class 1, class 2, and class 3 .

few lines about post office

10 lines on Post Office in Hindi

  • डाक घर एक सरकारी संस्था है, जिसे अंग्रेजी में पोस्ट ऑफिस कहा जाता है।
  • डाक घर एक बहुत ही उपयोगी संस्था है इसकी मदत से हम बहुत ही कम खर्च में पत्र या सामान को एक जगह से दूसरी जगह भेज सकते है।
  • डाक घर से हमें अन्य कई सरकारी योजनाओं का भी लाभ मिलता है, जैसे बचत योजना, सुकन्या योजना, पेंसन योजना इत्यादि।
  • डाक घर की मदत से हम अपने दोस्त या रिश्तेदार को पैसा, मनी आर्डर के रूप में भेज और प्राप्त कर सकते है।
  • डाकिया, डाक घर में ही काम करते है, इनका काम लोगों द्वारा भेजे गए पत्र, या सामान को उनके पते पर पहुचाना होता है।
  • डाक घरों में पत्र या दस्तावेज को भेजने के दो प्रकार होते है, पहला साधारण डाक, और दूसरा स्पीड पोस्ट।
  • साधारण डाक को उसके पते पर पहुचने में थोडा ज्यादा समय लगता है और हम इसकी स्थिति को ट्रैक नहीं कर सकते है।
  • जबकि स्पीड पोस्ट द्वारा भेजे गए पत्र या दस्तावेज काफी जल्दी अपने पते पर पहुच जाते है।
  • और हम इसकी स्थिति को भी ऑनलाइन ट्रैक कर जान सकते है की हमारा पत्र या दस्तावेज भेजे गए पता पर पंहुचा या नहीं।
  • अन्य सरकारी लाभ या सामान, जैसे आधार कार्ड, पैन कार्ड, एटीएम कार्ड, बिमा के बोनस चेक इत्यादि, बन जाने के बाद यह हमारे घर के पते पर डाक द्वारा ही पहुचाये जाते है।

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Children in school, are often asked to write 10 lines about Post Office in Hindi . We help the students to do their homework in an effective way. If you liked this article, then please comment below and tell us how you liked it. We use your comments to further improve our service. We hope you have got some learning on the above subject. You can also visit my YouTube channel that is https://www.youtube.com/synctechlearn. You can also follow us on Facebook https://www.facebook.com/synctechlearn .

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Essay on Deforestation: वनोन्मूलन पर छात्र ऐसे लिखें निबंध

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  • Updated on  
  • जुलाई 2, 2024

Essay on Deforestation in Hindi

Essay on Deforestation in Hindi: वनों की कटाई से पारिस्थितिकी तंत्र पर पड़ने वाले प्रभाव को समझना छात्रों को जैव विविधता और पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने में वनों के महत्व को समझने में मदद करता है। वन कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करके जलवायु को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वनों की कटाई के बारे में जानकारी जिम्मेदारी की भावना पैदा करती है। इससे छात्र सीखते हैं कि स्थानीय कार्यों के वैश्विक नतीजे कैसे हो सकते हैं और टिकाऊ प्रयासों का महत्व क्या है। इसलिए छात्रों को essay on deforestation in hindi के बारे में निबंध लिखने के लिए दिया जाता है। इस बारे में अधिक जानने के लिए इस ब्लॉग को अंत तक पढ़ें। 

This Blog Includes:

वनोन्मूलन पर 100 शब्दों में निबंध, वनोन्मूलन पर 200 शब्दों में निबंध, वनों की कटाई के कारण, वनोन्मूलन के हानिकारक प्रभाव, वनों की कटाई को कैसे रोकें.

Essay on Deforestation in Hindi 100 शब्दों में नीचे दिया गया है:

वनोन्मूलन का मतलब है कि भूमि का उपयोग अन्य उद्देश्यों के लिए करने के लिए वनों को काटना। वनों की कटाई पूरे विश्व में स्वाभाविक रूप से होती है। यह मुख्य रूप से मानवीय गतिविधियों के कारण होती है। पूरे इतिहास में मानव जीवन के लिए वन महत्वपूर्ण रहे हैं। वन कागज बनाने, जहाज और घर बनाने और हीटिंग के लिए ईंधन के रूप में लकड़ी प्रदान करते हैं। अपने और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्वस्थ और स्वच्छ वातावरण सुनिश्चित करने के लिए, वन महत्वपूर्ण हैं। वे जैव विविधता का समर्थन करते हैं, जलवायु को नियंत्रित करते हैं, और संतुलित पारिस्थितिकी तंत्र और स्वच्छ जल स्रोतों को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

Essay on Deforestation in Hindi 200 शब्दों में नीचे दिया गया है:

विभिन्न मानवीय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए वनों की कटाई या जंगल में आग लगाकर व्यापक रूप से की जाने वाली कटाई वनोन्मूलन है। यह प्राकृतिक रूप से या मानवीय गतिविधियों के कारण हो सकता है, जिसका पर्यावरण और समाज दोनों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। वन पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने और मानव कल्याण का समर्थन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, फिर भी इसके ज्ञात हानिकारक प्रभावों के बावजूद यह प्रथा जारी है।

कई विकासशील देशों में वनों की कटाई का एक प्रमुख कारण कृषि विस्तार है। छोटे किसान अक्सर अपने परिवारों और समुदायों का भरण-पोषण करने के उद्देश्य से फसलों या पशुओं के लिए चारागाह बनाने के लिए जंगलों को साफ करते हैं। इसके अलावा बड़े पैमाने पर वाणिज्यिक कृषि, जैसे कि मवेशी पालन और सोयाबीन उत्पादन जैसे कार्य वनों की कटाई में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं, खासकर विश्व के बड़े अमेज़न वर्षावन जैसे क्षेत्रों में।

इसके कारणों में अवैध कटाई, जंगल में आग और जंगलों के पास सड़कों और बुनियादी ढांचे का निर्माण शामिल है। ये गतिविधियाँ पारिस्थितिकी तंत्र को बाधित करती हैं, जिससे मिट्टी का कटाव होता है, जैव विविधता को नुकसान होता है और संग्रहीत कार्बन डाइऑक्साइड के निकलने के माध्यम से जलवायु परिवर्तन में योगदान होता है।

वनों की कटाई के परिणाम बहुत गंभीर हैं। यह उन लोगों की आजीविका को खतरे में डालता है जो भोजन, आश्रय और आय के लिए जंगलों पर निर्भर हैं। यह वैश्विक जलवायु पैटर्न और जल चक्रों को भी प्रभावित करता है, कृषि उत्पादकता को प्रभावित करता है और पर्यावरण क्षरण को भी बढ़ाता है।

वनों की कटाई को कम करने के प्रयासों में स्थायी भूमि उपयोग प्रथाएँ, पुनर्वनीकरण पहल और संरक्षण कानूनों का सख्त रूप से लागू किया जाना शामिल है। वनों का संरक्षण न केवल जैव विविधता की रक्षा और जलवायु परिवर्तन को कम करने के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि दुनिया भर में पारिस्थितिकी तंत्र और मानव समाज दोनों की दीर्घकालिक भलाई सुनिश्चित करने के लिए भी महत्वपूर्ण है।

वनोन्मूलन पर 500 शब्दों में निबंध

Essay on Deforestation in Hindi 500 शब्दों में नीचे दिया गया है:

वनों की कटाई तब होती है जब खेतों, शहरों या उद्योगों जैसे अन्य उद्देश्यों के लिए जगह बनाने के लिए जंगलों को स्थायी रूप से साफ कर दिया जाता है। वनों की कटाई के गंभीर और दूरगामी परिणाम होते हैं। पेड़ हवा से कार्बन डाइऑक्साइड, ग्रीनहाउस गैस को अवशोषित करते हैं परिणामस्वरूप यह ग्लोबल वार्मिंग के खतरे को ओर अधिक बढ़ाता है। वनों की कटाई से मिट्टी का कटाव भी होता है, आवास नष्ट हो जाते हैं और पौधों और जानवरों के घरों को नष्ट करके जैव विविधता कम हो जाती है। यह अचानक बाढ़ और भूस्खलन को भी बढ़ा सकता है। जलवायु को स्थिर करने, वन्यजीवों को संरक्षित करने और प्राकृतिक आपदाओं से समुदायों की सुरक्षा के लिए वनों की रक्षा करना महत्वपूर्ण है।

वनों की कटाई कई कारणों से होती है, मुख्य रूप से मानवीय गतिविधियों के कारण होती है। वनों की कटाई के मुख्य कारण वन भूमि को कृषि, पशुपालन और शहरी विकास के लिए परिवर्तित करना है। पाम ऑयल के बागानों के लिए जगह बनाने के लिए खनन, कटाई और जंगलों को जलाना भी इसमें योगदान देता है। लकड़ी और कागज़ के उत्पादों के लिए कटाई से पेड़ों का बहुत ज़्यादा नुकसान होता है। कृषि एक और प्रमुख कारक है, क्योंकि फसलों और पशुओं के लिए खेत बनाने के लिए जंगलों को साफ किया जाता है। खनन कार्य भी खनिजों और संसाधनों तक पहुँचने के लिए बड़े वन क्षेत्रों को साफ करके योगदान करते हैं। इसके अतिरिक्त शहरीकरण और बुनियादी ढाँचे के विकास के लिए भूमि की आवश्यकता होती है, जिससे वनों की कटाई और बढ़ जाती है। ये क्रियाएँ न केवल वनों को नष्ट करती हैं बल्कि पारिस्थितिकी तंत्र को भी बाधित करती हैं, जिससे जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता का नुकसान होता है।

मिट्टी की स्थिरता बनाए रखने, जलवायु को विनियमित करने, पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करने और वन्यजीवों और मानव समुदायों दोनों के लिए विविध पारिस्थितिकी तंत्रों को संरक्षित करने के लिए वनों की रक्षा करना आवश्यक है। वनों की कटाई के कई दूरगामी और हानिकारक प्रभाव होते हैं। कुछ मुख्य रूप से होने वाले प्रभाव नीचे दिए गए हैं:

  • मृदा अपरदन: जब पेड़ों को हटाया जाता है, तो मिट्टी हवा और पानी के कटाव के प्रति कमज़ोर हो जाती है। इससे भूस्खलन और बाढ़ आ सकती है, जिससे समुदायों को नुकसान पहुँच सकता है।
  • ग्लोबल वार्मिंग: पेड़ कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करते हैं, जो एक ग्रीनहाउस गैस है। पर्याप्त पेड़ों के बिना, वातावरण में अधिक कार्बन डाइऑक्साइड बनी रहती है, जो ग्लोबल वार्मिंग और चरम मौसम में योगदान देती है।
  • जल चक्र पर प्रभाव: पेड़ वाष्पोत्सर्जन के माध्यम से हवा में नमी छोड़कर जल चक्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वनों की कटाई इस चक्र को बाधित करती है, वर्षा को कम करती है और कृषि को प्रभावित करती है।
  • वन्यजीवों के लिए खतरा: वनों की कटाई से आवास नष्ट हो जाते हैं, जिससे कई प्रजातियाँ विलुप्त हो जाती हैं या खतरे में पड़ जाती हैं। जानवर अपने घर खो देते हैं, जिससे पारिस्थितिकी तंत्र और जैव विविधता बाधित होती है।

कई ऐसे छोटे बड़े कार्य हैं जिन्हे करके हम वनों की कटाई को रोक सकते हैं। वनों की कटाई को रोकने के कुछ तरीके इस प्रकार हैं:

  • यह सुनिश्चित करते हुए कि पेड़ों की कटाई संधारणीय तरीके से की जाए।
  • कंपनियों और सरकारों को सस्टेनेबल फॉरेस्ट्री को लागू करने और उनका पालन करने के लिए प्रोत्साहित करें।
  • पाम ऑयल, सोयाबीन और बीफ़ जैसे उत्पादों की खपत सीमित करें जो वनों की कटाई के प्रमुख कारण हैं।
  • वनों की सुरक्षा और संरक्षण के लिए समर्पित संगठनों को दान दें या उनके साथ कार्य करें।
  • स्थानीय, राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर वन संरक्षण और बहाली को प्राथमिकता देने वाली नीतियों की पालना करें।
  • अपने दैनिक जीवन में कम कागज और लकड़ी के उत्पादों का उपयोग करें।
  • प्रिंटेड सामग्री की जगह जब भी संभव हो डिजिटल दस्तावेज चुनें।
  • संसाधन खपत को कम करने के लिए न्यूनतम या फिर से प्रयोग किए जाने वाले पैकेजिंग वाले उत्पाद चुनें।
  • ऐसी स्थायी कृषि पद्धतियों का समर्थन करें जिनमें खेती के लिए जंगलों को साफ करना शामिल न हो।
  • अवैध रूप से कटाई की गई लकड़ी या विलुप्त होने वाली पेड़ प्रजातियों से बने उत्पादों का प्रयोग न करें।

वनों की कटाई, खेती और खनन जैसी गतिविधियों के कारण होती है। इसके प्रभाव व्यापक और हानिकारक होते हैं, जो पर्यावरण और लोगों दोनों को प्रभावित करते हैं। यह मिट्टी के कटाव, पानी की कम गुणवत्ता, वन्यजीवों की हानि और जलवायु परिवर्तन के साथ-साथ गरीबी और सामाजिक संघर्षों को बढ़ा सकता है। वनों की कटाई को रोकने के लिए, हमें वनों की रक्षा करने और भूमि का स्थायी रूप से उपयोग करने की आवश्यकता है। सरकारों को वनों की कटाई को कम करने के लिए कार्रवाई करनी चाहिए। वैश्विक नेताओं को नवीनतम वैज्ञानिक अनुसंधान के आधार पर मजबूत वन संरक्षण नीतियों का समर्थन करना चाहिए।

वनों को नष्ट करने से मौसम के पैटर्न में बदलाव आता है, आवास नष्ट होते हैं और ग्रामीण समुदायों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जिससे खाद्य असुरक्षा पैदा होती है और पूरे पारिस्थितिकी तंत्र को अपरिवर्तनीय क्षति पहुँचती है।

वनों की कटाई को मानवीय गतिविधियों की सुविधा के लिए वनों से पेड़ों को बड़े पैमाने पर हटाने के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। जैसे कि बड़े पैमाने पर इंडस्ट्री का निर्माण करना। यह एक गंभीर पर्यावरणीय चिंता है क्योंकि इसके परिणामस्वरूप जैव विविधता का नुकसान, प्राकृतिक आवासों को नुकसान, जल चक्र में गड़बड़ी और मिट्टी का कटाव हो सकता है।

पेड़ कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित और संग्रहीत करते हैं। वनों की कटाई और क्षति वैश्विक तापमान में लगभग 10% का कारण है। यदि हम वनों की कटाई को नहीं रोकते हैं तो हम जलवायु संकट से लड़ने का कोई तरीका नहीं खोज सकते।

वनों की कटाई के प्रत्यक्ष कारण कृषि विस्तार, घरेलू ईंधन या लकड़ी के कोयला के लिए लकड़ी काटना या लकड़ी काटना, और सड़क निर्माण और शहरीकरण जैसे बुनियादी ढांचे का विस्तार करना हैं। 

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  • Who are the Volga Germans?
  • Settlements along the Volga

Mapping information provided by Sandy Payne germansfromrussiasettlementlocations.org

Drawing of Saratov in 1711 - approximately 50 years before the arrival of the Volga German immigrants. Source: Steve Schreiber.

Saratov was home to both a Lutheran parish and a Roman Catholic parish which served the ethnic Germans living in this city.

CONGREGATIONS

St. Clement Catholic Church

St. John Lutheran Church

St. Mary Lutheran Church

The Lutheran parish in Saratov was officially organized in 1793, although Pastor Ahlbaum was active in the city before then.

The Pope established the Diocese of Tiraspol, headquartered in Saratov on 3 July 1848. During its existence, there were five bishops:

Ferdinand Helanus Kahn (1850-1864) Franz Xavier Zottmann  (1872-1888) Anton Johann Zerr  (1889-1902) Eduard von der Ropp (1902-1903) Joseph Aloysius Kessler  (1904-1930)

This diocese went inactive in 1930 with the resignation of Bishop Kessler and officially vacant in 1933 when he died. It was formally "surpressed" in 2002 when the new Diocese of St. Clement in Saratov was established.

The Catholic parishners of Saratov built a wooden church which was consecrated in 1805. This building was used until 1880 when a new brick building was erected. The architect was M. N. Grudistova, and the new building was consecrated to St. Clement (St. Klemens in German) when it was completed in 1881. Today the structure serves as a movie theatre called "Pioneer."

In the post-Soviet era, the St. John Evangelical Lutheran Church was founded in 2001 in Saratov. It is part of the Evangelical Lutheran Church of Ingria (ELCI). There is a chapel in Saratov, and the pastor serving there is Olav Panchu.

There were three frontier garrisons founded to protect merchant ships traveling on the Volga River: Saratov (1584), Samara (1586), and Tsaritsyn (1589). Over the next century, the settlements were rebuilt on first one side of the Volga and then the other following a series of natural disasters.  The 1670 peasant revolt led by Stepan Razin also thwarted development of these cities.

Saratov was the first point of arrival for the German colonists and the location of the Kontora (Office of Immigrant Oversite) following the establishment of the colonies in the 1760's. From its beginning as a provincial outpost, Saratov grew to become a prosperous city and served as the center of industry for the Volga German colonists.

Catholic and Lutheran

Maps of Saratov and Saratov Province

Schnurr, Joseph.  Die Kirchen und das Religiöse Leben der Russlanddeutschen  - Evangelischer Teil (Stuttgart: Landsmannschaft der Deutschen aus Russland, 1972): 194.

Saratov  (Wikipedia)

Roman Catholic Diocese of Tiraspol (Wikipedia)

Map of Saratov Province (1823) (World Digital Library)

Historic Saratov photos and maps  (Russian site)

Description of the city of Saratov and Saratov Province  ( Encyclopædia Britannica )

Geographic card depicting key features of Saratov Province (1856)  (World Digital Library)

  • Bahasa Indonesia
  • Slovenščina
  • Science & Tech
  • Russian Kitchen

Saratov: The city that almost came up overnight

The downtown with church in evening beams of the sun. Source: Shutterstock / Legion-Media

The downtown with church in evening beams of the sun. Source: Shutterstock / Legion-Media

Once one of the Russian Empire’s largest cities, Saratov is home to a conservatory, one of Russia’s most famous and oldest circuses and perhaps the finest art collection in provincial Russia. Throw in long pedestrian avenues, the legacy of the Volga Germans and the mighty Volga River and you start to see the fuller picture of this city that was literally built over night.

Saratov is a great place to feel the immense grandeur of the Volga River. Saratov offers an unusual collection of architecture from the pre-revolutionary and Soviet period and its large center makes for an excellent place to take an aimless walk through centuries of Russian history literally living on top of each other.

The city which was built over night

Ukek, a Golden Horde city, was situated nearby until Tamerlane destroyed it in 1395. Saratov was founded in 1590 and soon became a popular stop between Europe and Asia. Located 858 kilometers southeast of Moscow, it was one of three lower Volga cities founded as forts to protect recently acquired territories at the Empire’s edge over a five-year span (1586-1590), along with present day Volgograd and Samara. Saratov was actually constructed significantly north of the city. The wooden buildings were disassembled, sent downstream and erected quickly allowing Saratov to appear practically overnight.

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A view of Saratov from the Volga river. Source: Lori/Legion-Media

By the early 1800s Saratov had grown to be a significant port city and the railroad arrived in 1870. The city experienced a boom during World War II as many factories and institutes were relocated here, although it was closed during Soviet times as it was the site of a military aircraft manufacturing plant.

Saratov and neighboring city Engels (combined metro area today of over one million) were home to hundreds of thousands of Germans in the 18  th  , 19  th  and early 20  th  centuries. Originally invited by the Tsars to spur agricultural development in the area, the Volga Germans went on to hold prominent regional roles. Many were deported to Central Asia and Siberia during World War II, with many of those that remained immigrating to Germany in the 1980s. 

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The bridge between Saratov and Engels. Source: Lori/Legion-Media

The bridge connecting Saratov with its twin city across the Volga, Engels, was the longest in the Soviet Union when completed in 1965 at 2,826 meters long. The architecture is quite diverse on the Volga waterfront with luxury apartments mingling with log cabins. Make sure to see the Balneological Clinic for an example of an old sanatorium. There are numerous cafes along the river, as well as a pedestrian zone. From the River Port at St. Naberezhnaya Kosmonavtov 7a it is possible to take a cruise as far south as Astrakhan, as far north as St. Petersburg and all major cities on the Volga River, as well as Moscow. Cruises operate from early May until mid-September and a schedule can be found here:  rech-vokzal.ru .

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The evening city of Saratov with the bridge through the Volga River. Source: Shutterstock/Legion-Media

Surprisingly, Saratov went three full centuries before a promenade was built along the river. One of the main attractions here is a statue dedicated to the first man in space, Yuri Gagarin. Gagarin first moved to Saratov to continue his studies in 1951 at the Saratov Industrial Technical School. He studied tractors and spent his weekends volunteering at a local aviation club where he learned to fly. He also worked part time on the Volga docks. 

A walk through the city center

The city’s main artery is Moskovskaya St., which leads from the Volga through the heart of the city, however, Saratov’s soul can be found on Prospekt Kirova, one of Russia’s first pedestrian zones. Until 1917 it was known as Nemetskaya St. in honor of the large German population. Many sights are located here, as well as dozens of bars and restaurants. Several statues dot the landscape including a bronze statue of an accordion player and one of a young man waiting for his love with flowers as inspired by this  song about Saratov .

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The oldest balneological clinic in Saratov. Source: Lori/Legion-Media

The Leonid Sobinov State Conservatory  opened in 1912 at Kirova 1 not far from the entrance to the charming Park Lipki. At the time it was only the third in the country as Saratov was then the third largest city in Russia and the largest on the Volga (16  th  largest today).

The Nikitin Bothers Circus  at the top of Kirova (away from the Volga) was the second stationary circus in Russia (the first is in Penza). This is probably the best place in town to see tigers and clowns under the same roof. Across the street is the Kryty Rynok, a covered market built in 1916. Behind the market is an example of a classic Soviet movie palace, Pobeda; it opened in 1955. If walking away from the circus towards the Volga there are well-preserved examples of proletarian communal buildings constructed in the 1920s on the left.

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The building of the Saratov State Art Museum named after Alexander Radishchev. Source: Shutterstock/Legion-Media

Also of note on the street is the cinema Pioneer at Kirova 11. It was previously a Catholic Church serving the German population. Partially destroyed during the Soviet period, a fragment of the original wall can be seen inside.

One block parallel to Kirova is Teatralnaya Square. Here is the  Saratov Academic Theater of Opera and Ballet , built in 1875. Across the square is  Radishchev Museum , featuring one of the finest art collections in provincial Russia. Named for the controversial 18  th  century writer who grew up nearby (and whose grandson provided the initial collection), this was the first art museum in Russia to open its doors to the public. Today it counts numerous famous Russian painters in its collections including works by Repin, Shishkin and Falk.

The bridge out of the past to the future

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Monument to Chernyshevsky and conservatory in the city center of Saratov. Source: Shutterstock/Legion-Media

One of the city’s most famous residents is Nikolai Chernyshevsky (1828-1889). A socialist, philosopher and writer, he is best known for his 1863 utopian novel, “What is to be Done?” It tells the story of Vera Pavlovna, an emancipated woman and the ascetic revolutionary Rakhmetov, who sleeps on nails and eats raw steak. The book had an enormous influence on Lenin; today the main public university is named for him and  his museum  is located at Chernyshevskogo St. 142.

Park Pobedy is the city’s largest and is located at about three kilometers from the Volga. It hosts the National Village of the Peoples of Saratov Region, an open-air architectural and ethnographic museum. 

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To Serve His Country, President Biden Should Leave the Race

President Biden standing behind a lectern with CNN’s name appearing repeatedly beyond him.

By The Editorial Board

The editorial board is a group of opinion journalists whose views are informed by expertise, research, debate and certain longstanding values . It is separate from the newsroom.

President Biden has repeatedly and rightfully described the stakes in this November’s presidential election as nothing less than the future of American democracy.

Donald Trump has proved himself to be a significant jeopardy to that democracy — an erratic and self-interested figure unworthy of the public trust. He systematically attempted to undermine the integrity of elections. His supporters have described, publicly, a 2025 agenda that would give him the power to carry out the most extreme of his promises and threats. If he is returned to office, he has vowed to be a different kind of president, unrestrained by the checks on power built into the American political system.

Mr. Biden has said that he is the candidate with the best chance of taking on this threat of tyranny and defeating it. His argument rests largely on the fact that he beat Mr. Trump in 2020. That is no longer a sufficient rationale for why Mr. Biden should be the Democratic nominee this year.

At Thursday’s debate, the president needed to convince the American public that he was equal to the formidable demands of the office he is seeking to hold for another term. Voters, however, cannot be expected to ignore what was instead plain to see: Mr. Biden is not the man he was four years ago.

The president appeared on Thursday night as the shadow of a great public servant. He struggled to explain what he would accomplish in a second term. He struggled to respond to Mr. Trump’s provocations. He struggled to hold Mr. Trump accountable for his lies, his failures and his chilling plans. More than once, he struggled to make it to the end of a sentence.

Mr. Biden has been an admirable president. Under his leadership, the nation has prospered and begun to address a range of long-term challenges, and the wounds ripped open by Mr. Trump have begun to heal. But the greatest public service Mr. Biden can now perform is to announce that he will not continue to run for re-election.

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