वन महोत्सव पर निबंध

यहाँ पर हम वन महोत्सव पर निबंध शेयर कर रहे है। इस निबंध में वन महोत्सव से सम्बंधित सभी जानकारी का वर्णन किया गया है। यह निबंध सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए मददगार है।

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वन महोत्सव पर निबंध (200, 500 और 800 शब्दों में)

वन महोत्सव पर निबंध (200 शब्द).

बढ़ती जनसंख्या और आधुनिकरण का सीधा प्रभाव हमारे वनों पर पड़ा है, जिसके चलते वनों की अंधाधुंध कटाई हो रही है। भारत में अब सिर्फ 20% ही वन बाकि रहे है। वनों के प्रति लोगों में जागरूकता लाने के लिए वन महोत्सव देश में मनाया जाता है। वन महोत्सव को एक राष्ट्रीय त्यौहार घोषित किया गया है।

वन महोत्सव की शुरुआत साल 1950 में देश के कृषिमंत्री डॉ. कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी द्वारा की गई थी। वनमहोत्सव हर साल जुलाई महीने में प्रथम सप्ताह के दौरान मनाया जाता है। उस दिन देश के सभी विद्यालयों, विश्वविद्यालयों, सरकारी दफ्तरों, कई संगठनों और संस्थाओं द्वारा पूरे देश में पौधे लगाने के कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं। काफी मात्रा में लोग इस महोत्सव में भाग लेते हैं।

वनों के साथ हमारे जीवन का गहरा रिश्ता जुड़ा हुआ है। वन हमें हमारे शरीर के लिए मूलयवान प्राणवायु, फल, फूल, दवाइयां और काफी कीमती जीवन जरुरी सामग्री प्रदान करते हैं। वनों की कटाई के कारण हमारा भविष्य जोखिम में पड़ सकता है।

वन महोत्सव के दिन हमें हर साल अधिक से अधिक पौधे लगाने की प्रतिज्ञा करती चाहिए। लोगों में वनों के प्रति जागरुकता फैलानी चाहिए, जिससे हमारा आनेवाला कल बहेतर और सुनहरा बन सके, क्योंकि वृक्ष है तो जीवन है।

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वनमहोत्सव पर निबंध (500 शब्द)

हमारे देश में पेड़ों को काफी ज्यादा महत्व दिया जाता है। लेकिन कई जगहों पर पेड़ों की कटाई दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही हैं। इसी के चलते देश में वन महोत्सव को मनाया जाता है। इस वन महोत्सव के माध्यम से देश में पेड़ों के महत्व को और अधिक समझने और पेड़ों की कटाई को रोकने के लिए जागरूकता फैलाई जा रही है।

वन महोत्सव का मतलब

वन महोत्सव की शुरुआत सन 1950 में हुई थी। देशभर में वर्तमान समय में वन महोत्सव मनाने का मुख्य उद्देश्य जंगलों के संरक्षण और पेड़-पौधों का बचाव करना हैं। वन महोत्सव को शुरू करने के पश्चात पेड़ों के महत्व को लेकर जागरूकता देशभर में फैली है।

वनों की कटाई लगातार होने से पृथ्वी पर कई प्रकार के बुरे प्रभाव पड़ रहे हैं और उसी से बचाने के लिए वन महोत्सव की शुरुआत करके देश भर में और पूरी पृथ्वी पर जागरूकता फैलाने की एक अनूठी पहल की गई हैं।

वन महोत्सव की जरूरत

देश में वन महोत्सव के माध्यम से वृक्षों की कटाई पर रोक लगाने के साथ-साथ नए वृक्षों को लगाने में भी कई अभियान चलाए जा रहे हैं। वन महोत्सव के माध्यम से वृक्षों की कटाई कम करके जल की समस्या को दूर करने का प्रयास किया जा रहा है और बर्षा के चक्र को अनियंत्रित होने से बचाया जा रहा है।

वनों की कटाई की वजह से ही हर साल मनुष्य के द्वारा प्राकृतिक आपदाओं को निमंत्रण दिया जा रहा है। इसी प्राकृतिक आपदाओं से बचने के लिए सरकार के द्वारा वन महोत्सव की एक अनूठी पहल की शुरुआत करके देश भर में नए वृक्ष लगाने के लिए और वृक्षों के महत्व के लिए जागरूकता फैलाई जा रही है।

वन महोत्सव का महत्व समझने के लिए हमें वनों की कटाई से होने वाले दुष्प्रभाव के बारे में जान लेना होगा। यदि वनों की कटाई ऐसे ही लगातार होती रही तो पृथ्वी का तापमान इतना अधिक हो जाएगा। हिमालय की सारी बर्फ पिघल जाएगी, जिससे नदियों का जलस्तर बढ़ जाएगा और बाढ़ जैसी विकट स्थिति पैदा हो जाएगी।

इसीलिए हमें वनों की कटाई पर रोक लगाकर, नए पेड़ों को लगाने पर जोर देना चाहिए। यह बात वन महोत्सव के माध्यम से देश भर के सभी लोगों के पास पहुंचाई जा रहे हैं।

वन महोत्सव का महत्व

सामान्य तौर पर देखा जाए तो हर दिन हमें नए पेड़ पौधे लगाने चाहिए और वनों को काटने से रोकना चाहिए। लेकिन वन महोत्सव के दिन मुख्य तौर पर देश के सभी जगह पर एक अभियान चलाया जाता है, जिसकी वजह से देश में लाखों नए पेड़ पौधे लगाए जाते हैं। प्रत्येक वर्ष वन महोत्सव के दिन लगाए जाने वाले लाखों की संख्या में पेड़-पौधे हमारे देश के भविष्य को सुरक्षित कर रहे हैं।

वन महोत्सव का महत्व भारत के सभी विश्वविद्यालयों, विद्यालय और सभी सरकारी दफ्तरों में बड़े धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस दिन सभी विद्यालय और विश्वविद्यालय में बच्चों को वनों के महत्व के प्रति जागरूकता फैलाई जाती है और नए पेड़ पौधों को लगाने के कई अलग-अलग प्रकार के कार्यक्रम को आयोजित किया जाता है।

हमारे जीवन का पेड़ एक अभिन्न अंग है, इसके बचने से ही हमारा जीवन सुरक्षित रह पायेगा। पेड़ की कटाई से हमारे वातावरण पर बुरा प्रभाव पड़ेगा, जिसमें बाढ़ आना, तूफान आना, गर्मी अधिक पड़ना आदि जैसी समस्याएँ पैदा हो सकती है।

इसलिए हमें पेड़ों को बचाने के लिए सभी को जागरूक करना चाहिए और नए पेड़ अधिक से अधिक लगाने के लिए प्रेरित करना चाहिए, जिससे हम प्रकृति संरक्षण में अहम योगदान दे पायें।

वन महोत्सव पर निबंध (800 शब्द)

भारतीय संस्कृति के अधिकतर उत्सव हमेशा प्रकृति के साथ जुड़े हुए है। चाहे वो सामाजिक हो या धार्मिक। क्योंकि हम अपनी आवश्यता के लिए हमेशा प्रकृति पर निर्भर रहते है और उत्सवों के जरिये हम उनसे कृतज्ञता भाव अभिव्यक्त करते है। आज हम ऐसे ही एक उत्सव की बात करने जा रहे है, जिसका नाम है वन महोत्सव।

वन महोत्सव यानी कि ‘पेड़ों का त्योहार’। हमारे जीवन में वनों का काफी महत्व है। वन हमें प्राणवायु, फल-फुल, छाया देते है और बदले में हमसे कुछ नहीं मांगते। साथ साथ पेड़ हमें जीवन में नैतिकता, परोपकार और विनम्रता जैसे गुण सिखाते है। उनका यही अहेसान हम वन महोत्सव जरिये अभिवक्त करते है।

वन महोत्सव दिवस

भारत देश में वन महोत्सव बड़े धाम धूम से मनाया जाता है। सन 1950 में कृषि मंत्री डॉ. कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी द्वारा वन महोत्सव मनाने की शुरुआत हुई थी। यह उत्सव प्रति वर्ष 1 जुलाई को वन महोत्सव दिवस के रूप में मनाया जाता है और एक सप्ताह तक चलता है। यह एक राष्ट्रीय महोत्सव है। इस समय के दौरान पूरे भारत देश में एक लाख से भी ज्यादा वृक्षारोपण किया जाता है।

वन महोत्सव की शुरुआत

कृषि मंत्री डॉ. कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी ने देखा भारत में पेड़ों की कटाई ज्यादा हो रही है। इस विषय को लेकर वो काफी चिंतित हुए। लोगों में वनों के प्रति जागरूकता लाने के लिए उन्होंने समूह में वृक्षारोपण का कार्यक्रम बनाने का सोचा, जिससे लोग जंगल संरक्षण और नए पेड़ों के रोपण का महत्व समझ सके।

वन महोत्सव मनाने के लिए जुलाई महीने को चुना गया, क्योंकि जुलाई महीने में वर्षा ऋतू की शुरुआत होती है और इस समय पर पेड़ लगाना काफी फायदेमंद होता है।

वैसे तो वन महोत्सव की शुरुआत साल 1947 में देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू , डॉ राजेंद्र प्रसाद और मौलाना अब्दुल कलाम जैसे राष्ट्रीय नेताओं द्वारा की गई थी, लेकिन साल 1950 में इसे कृषि मंत्री कन्हैया लाल मुंशी ने वन महोत्सव को राष्ट्रीय महोत्सव के रूप में घोषित किया।

वन महोत्सव दिवस का महत्व

वन प्राकृतिक संपत्ति है। पेड़ों के साथ हमारे जीवन का काफी गहरा रिश्ता रहा है। सदियों से पेड़ हमें फल, फूल और छाया देते आये हुए हैं और बदले में कुछ भी नहीं मांग रहे। लेकिन मनुष्य विकास के नाम पर जितने पेड़ काट रहे है, उतने नए पेड़ों का रोपण नहीं कर रहे और यह एक गंभीर समस्या है।

आज के बच्चे कल का भविष्य है। इसलिए भारत की विद्यालयों में, विश्वविद्यालयों में यह महोत्सव बड़ी धामधूम से मनाया जाता है। ताकि बच्चों में बचपन से ही वनों के प्रति जागरूकता पैदा हो। सरकारी दफ्तरों, कई संगठनों और संस्था के द्वारा भी समूह में पौधों लगाने का कार्यक्रम आयोजित किया जाता है।

वन और भारतीय संस्कृति

हमारी भारतीय संस्कृति का भी वनों के साथ काफी गहरा नाता है। हमारे ऋषि मुनि भी शांति और एकांत की तलाश में वन में रहते थे। हमारी प्राचीन परंपरा से हमें वक्षों की पूजा करना, व्रत रखना और जल चढना सिखाया जाता है।

प्राचीन समय में गुरूकुल भी जंगल में ही हुआ करते थे, क्योंकि शिक्षा लेते समय मन को एकाग्रता और शुद्ध वातावरण प्राप्त हो। हिन्दू संस्कृति में भी वृक्षों को भगवान का दर्जा दिया गया है। आपको तुलसी का एक पौधा हर घर में दिखने को मिलेगा।

वनों के अनगिनत लाभ है। सबसे अहम लाभ तो वो हमारे जीवन के लिए प्राणवायु देता है। शुद्ध और स्वस्छ वातावरण देता है। उनकी हरियाली देखकर हमारी आंखों की थकान दूर होती है और मन को शांति मिलती है। वनों अनेक प्राणी और पक्षी का आशियाना है।

वनों से हमें लकड़ियां, फल, फूल, दवाइयां, कागज, चन्दन की लकड़ियां जैसी कई मूल्यवान जीवन जरुरी सामग्री प्राप्त होती है। गर्मी में ठंडक देना और वर्ष ऋतु में बारिश लाने का काम भी तो वनों को ही आभारी है। वन धरती के कटाव को रोकता है, जिसके कारण उपजाऊ मिटटी नष्ट नहीं होती है।

वनों की कटाई

देश की आबादी बढ़ने पर सबसे पहला प्रश्न रहने और खाने का है, जिसके चलते वनों की अंधाधुन कटाई हो रही है। हमारे देश में सिर्फ 20% ही वन बचे है, जो एक गंभीर प्रश्न है। वनों की कटाई के कारण प्रदूषण काफी बढ़ गया है।

ग्लोबल वार्मिंग विश्व के लिए एक चुनौती बन गई है। वनों के कटने के कारण बारिश कम हो रही है और धरती का तापमान बढ़ रहा है। वनों की कटाई के कारण पृथ्वी पर कई जीवों की जातियाँ नामशेष हो गई है।

हमारा अस्तित्व वनों से ही जुड़ा है, इसलिए वनों की रक्षा करना हमारा अहम कर्तव्य है। वनों के महत्व को समझते हुए हमें अधिक से अधिक पेड़ लगाने चाहिए। वन महोत्सव दिवस को बढ़ावा देना चाहिए। वनों से ही हमारी पृथ्वी की सुंदरता बढ़ती है। हमें अपनी भावी पीढ़ी को बेहतर वातावरण देने की कोशिश करनी चाहिए।

वन महोत्सव पर निबंध PDF

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  • पेड़ों के महत्त्व पर निबंध
  • प्लास्टिक प्रदूषण पर निबंध
  • स्वच्छ भारत अभियान पर निबंध

Rahul Singh Tanwar

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Essay on Van Mahotsav in Hindi – वन महोत्सव पर निबंध

वन हमारे जीवन के लिए बहुत आवश्यक है और आज हमने वन महोत्सव पर हिंदी में निबंध लिखा है. Van Mahotsav in hindi पर निबंध कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए है. इस निबंध के माध्यम से हमने बताया है कि वनों की हमें कितनी जरूरत है और वन महोत्सव क्यों मनाया जाता है.  वन महोत्सव 2018 में 1 जुलाई से 7 जुलाई तक मनाया जाएगा.

पृथ्वी का बदलता वातावरण बहुत ही गंभीर विषय है इसका मुख्य कारण अंधाधुन पेड़ों की कटाई और सिकुड़ते वन क्षेत्र के कारण पृथ्वी का वातावरण गर्म हो रहा है.  

Essay on Van Mahotsav in Hindi

पेड़ों की कटाई के कारण आपने देखा होगा कि तापमान घटता बढ़ता है, बाढ़, आंधी तूफान सूखा और भूमि क्षरण जैसी कई समस्याएं उत्पन्न हो चुकी है. अगर जल्द ही हम इस विषय पर कुछ नहीं करते हैं तो अपने ही हाथों अपने घर (पृथ्वी) को नष्ट कर देंगे. मानव विकास करने की राह में इतना लालची हो गया है कि उसको जीवन देने वाले वनों और पेड़ पौधों की वह अंधाधुंध कटाई करने में लगा हुआ है

और अपना जीवन भोग-विलास में बिता रहा है.  यह बहुत ही चिंता का विषय है कि कोई कैसे अपने जीवन देने वाले जीवनदाता को ही मार काट रहा है. मानव प्रकृति की रक्षा नहीं कर रहा है इसलिए कभी-कभी प्रकृति भी अपना विकराल रूप दिखाती है और उसमें हजारों लोगों की मृत्यु हो जाती है.  यह प्रकृति का मानव को चेतावनी है कि अगर वह जल्द ही नहीं चेता तो पृथ्वी का नष्ट होना तय है.

Essay on Van Mahotsav in Hindi

Van Mahotsav Essay Hindi me School or College ke Student ke Liye.

Van Mahotsav in Hindi – वन महोत्सव

पर्यावरण के प्रति पुरातन काल में भी लोग बहुत सचेत थे जैसे कि गु प्तवंश, मौर्यवंश, मुगलवंश वनों को सुरक्षित रखने के लिए बहुत ही  सराहनीय प्रयास किए गए थे. लेकिन जैसे-जैसे हमारा देश तरक्की करता जा रहा है अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए वह निरंतर वनों की कटाई करता जा रहा है. इस बात को सन 1947 में ही भाप लिया गया था कि अगर वनों को नहीं बचाया गया तो मानव सभ्यता का जीवन संकट में पड़ सकता है.

सन् 1947 में स्व. जवाहरलाल नेहरू, स्व. डॉ. राजेंद्र प्रसाद और मौलाना अब्दुल कलाम आजाद के के संयुक्त प्रयास से जुलाई के प्रथम सप्ताह में वन महोत्सव मनाया जाता है . यह वन महोत्सव इसलिए मनाया जाता है जिससे लोगों में पेड़ लगाने के प्रति चेतना उत्पन्न हो और अधिक से अधिक वे पेड़ लगाएं.

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इस महोत्सव के दौरान सरकार द्वारा भी लाखों पेड़ लगाए जाते हैं और साथ ही कई ऐसी संस्थाएं भी होती हैं जो कि जगह जगह पर पौधारोपण करती है. वन महोत्सव का प्रमुख उद्देश्य यही है कि लोग पेड़ों का महत्व समय रहते ही समझ जाएं और अधिक से अधिक संख्या में वृक्षारोपण करें.

लेकिन 1947 में Van Mahotsav का आयोजन सिर्फ अनौपचारिक रूप से ही किया गया था जिसके कारण यह है बड़ा रूप नहीं ले पाया लेकिन सन 1950 में तत्कालीन कृषि मंत्री कन्हैया लाल माणिकलाल मुंशी ने इस महोत्सव को आधिकारिक रूप से लागू कर दिया . यह निर्णय मील का पत्थर साबित हुआ क्योंकि अगर यह निर्णय नहीं लिया जाता तो शायद आज भारत में 20% की जगह 10% ही वन पाए जाते.

वन महोत्सव क्या है – Van Mahotsav Kya hai

भारत में निरंतर वनों की अंधाधुंध कटाई के कारण हमारे पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा था. और  जितने पेड़ों की कटाई की जा रही थी उसमें से आधे भी नहीं लगाई जा रहे थे. जिसके कारण वनों को बचाने के लिए सरकार द्वारा जुलाई माह में वन महोत्सव का आयोजन किया गया इसको Van Mahotsav नाम इसलिए दिया गया

ताकि ज्यादा से ज्यादा संख्या में लोग पेड़ लगाएं और एक दूसरे को इस बारे में सचेत करें कि पेड़ लगाना हमारे जीवन के लिए कितना आवश्यक हैं.

वन महोत्सव का मुख्य उद्देश्य ही यह है कि सभी जगह पेड़ पौधे लगाए जाएं और वनों के सिकुड़ते क्षेत्र को बचाया जाए. वन महोत्सव सप्ताह में हमारे पूरे देश में लाखों पेड़ लगाए जाते हैं लेकिन दुर्भाग्यवश इनमें से कुछ प्रतिशत ही पेड़ बच पाते हैं क्योंकि इनकी देखभाल नहीं की जाती है जिसके कारण यह या तो जीव जंतुओं द्वारा खाली जाते हैं या फिर जल नहीं मिलने के कारण नष्ट हो जाते हैं.  

हमारे देश में वनों को बचाने के लिए चिपको आंदोलन और अप्पिको आंदोलन बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि इन आंदोलनों के कारण ही वन क्षेत्रों की कटाई में थोड़ी कमी आई है.

वन महोत्सव की आवश्यकता क्यों पड़ी – Van Mahotsav ki Avashyakta Kyo Padi

पेड़ों की कटाई के कारण पृथ्वी का वातावरण दूषित होने के साथ-साथ बदल रहा है जिसके फलस्वरुप आपने देखा होगा कि हिमालय तेजी से निकल रहा है पृथ्वी का तापमान फिर से बढ़ने लगा है असमय वर्षा होती है कहीं पर बाढ़ आ जाती है और कहीं पर आंधी तूफान आ रहे हैं जो कि प्रकृति की साफ चेतावनी है कि अगर हम अभी भी सचेत नहीं हुए तो वह दिन दूर नहीं जब पृथ्वी का विनाश हो जाएगा.

वर्तमान में गर्मियों का समय बढ़ गया है और सर्दियों का समय बहुत कम नाम मात्र का ही रह गया है. गर्मियों में तो राजस्थान में पारा 50 डिग्री तक पहुंच जाता है . इसका मतलब अगर इतनी तेज धूप में कोई व्यक्ति अगर आधे घंटे भी खड़ा हो जाए तो उसको हैजा जैसी  बीमारी हो सकती है या फिर उसकी मृत्यु भी हो सकती है.

भारत में जितनी तेजी से औद्योगिकरण हुआ है उतनी ही तेजी से वनों की कटाई भी हुई है, लेकिन हम लोगों ने जितनी तेजी से वनों की कटाई की थी पुनः वृक्षारोपण नहीं किया. वन नीति 1988 के अनुसार धरती के कुल क्षेत्रफल के 33% हिस्से पर वन होने चाहिए तभी प्रकृति का संतुलन कायम रह सकेगा. लेकिन वर्ष 2001 की रिपोर्ट में चौंकाने वाले नतीजे सामने आए जिसके अनुसार भारत में केवल 20% प्रतिशत ही वन बचे रह गए है.

2017 की वन विभाग की रिपोर्ट के अनुसार पिछले वर्षों की तुलना में 2017 में वनों में 1% की वृद्धि हुई है . लेकिन यह वृद्धि दर काफी नहीं है क्योंकि जनसंख्या लगातार बढ़ रही है और साथ ही प्रदूषण भी बहुत तेजी से बढ़ रहा है इस प्रदूषण को अवशोषित करने के लिए हमारे वन अब भी काफी कम है.

हमारे भारत देश में कुछ राज्यों में तो बहुत ज्यादा वन है जैसे कि लक्ष्यदीप, मिजोरम, अंडमान निकोबार द्वीप समूह मैं लगभग 80 प्रतिशत हिस्सा वनों से ढका हुआ है. लेकिन हमारे देश में कुछ ऐसे राज्य भी हैं जो कि धीरे-धीरे रेगिस्तान बनते जा रहे हैं जैसे कि गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र आदि ऐसे राज्य हैं.  

इन राज्यों में वन क्षेत्र को बढ़ाने की बहुत सख्त जरूरत है नहीं तो आने वाले दिनों में यहां पर भयंकर अकाल की स्थिति देखने को मिल सकती हैं.

वनों की कटाई के कारण – Vano ki Katai ke Karan

  • हमारी देश की बढ़ती हुई जनसंख्या वनों की कटाई का मुख्य कारण है क्योंकि जैसे-जैसे जनसंख्या बढ़ती जा रही है उस जनसंख्या को जगह और खाने पीने की वस्तुओं की जरूरत भी बढ़ गई है इसलिए वनों की कटाई करके इस सब की पूर्ति की जा रही है.
  • आजकल आपने देखा होगा कि आपके घरों में ज्यादातर गेट और खिड़कियां और अन्य घरेलू सामान लकड़ी से बनता है और जनसंख्या वृद्धि के साथ लकड़ी की मांग में वृद्धि हुई है इस वृद्धि को पूरा करने के लिए वनों की कटाई की जा रही है.
  • वनों से हमें कई प्रकार की जड़ी बूटियां प्राप्त होती है इन जड़ी बूटियों को हासिल करने के लिए मानव द्वारा वनों को नष्ट किया जा रहा है.
  • भारत में आजकल कई ऐसे अवैध उद्योग धंधे जिनमें लकड़ी का उपयोग ज्यादा मात्रा में किया जाता है उसकी पूर्ति के लिए पेड़ों की कटाई की जाती है.
  • वनों की कटाई का एक अन्य कारण यह भी है कि आजकल  लकड़ी के कई अवैध धंधे भी चल रहे हैं वे लोग बिना सरकार की मंजूरी के वनों से पेड़ों की कटाई करते हैं और अधिक मूल्य में लोगों को बेच देते हैं.
  • मानव अपनी भोग विलास की वस्तु की इच्छा को पूरा करने के लिए बेवजह पेड़ों की कटाई करता है.

वनों के लाभ – Benefits of forests

  • वनों के कारण हमारी पृथ्वी के वातावरण में समानता बनी रहती है.
  • वनों के कारण मिट्टी का कटाव नहीं होता है.
  • पेड़ पौधों से हमें ऑक्सीजन मिलती है जो कि प्रत्येक जीवित प्राणी के लिए बहुत आवश्यक है.
  • पेड़ पौधे कार्बनडाई जैसी जहरीली गैसों को अवशोषित कर लेते है.
  • वनों से हमें कीमती चंदन जैसी लकड़ियां प्राप्त होती है.
  • वनों से हमें बीमारियों को दूर भगाने के लिए आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां मिलती है.
  • पेड़ पौधों के कारण  वर्षा अच्छी होती हैं जिससे हर तरफ हरियाली ही हरियाली रहती है.
  • वनों के कारण आपातकालीन आपदा, सूखे की स्थिति, आंधी, तूफान और बाढ़ कम आती है.
  • वन अन्य जीव जंतुओं के रहने का घर है

वनों की कटाई के दुष्प्रभाव – Vano ki Katai ke Dusparbhav

वनों की कटाई के कारण केवल मान्यवर जाति पर ही प्रभाव नहीं पड़ा है इसका प्रभाव संपूर्ण पृथ्वी पर पड़ा है.  जिसके कारण आज ग्लोबल वॉर्मिंग की स्थिति पैदा हो गई है. आइए जानते हैं कि वनों की कटाई के कारण क्या क्या दुष्प्रभाव पड़ते है.

पृथ्वी के तापमान में वृद्धि –

वन क्षेत्र जैसे जैसे सीमित होता जा रहा है वैसे-वैसे पृथ्वी का तापमान में भी वृद्धि हो रही है आपने देखा होगा कि सर्दियों की ऋतु का मौसम में कुछ समय के लिए ही आता है और ज्यादातर समय गर्मियां ही रहती है. पिछले 10 सालों में पृथ्वी के तापमान में 0.3 से 0.6 डिग्री सेल्शियस की बढ़ोतरी हुई है. और हर साल इस में बढ़ोतरी ही हो रही है.

प्रदूषण का बढ़ना –

पेड़ पौधे उद्योग-धंधों एवं अन्य पदार्थों से निकलने  वाली जहरीली गैसों को अवशोषित कर लेते है. अगर इनकी कटाई कर दी जाएगी तो यह  जहरीली गैसें वातावरण में ज्यों की त्यों ही रहेंगी जिनके कारण हैं अनेक भयंकर बीमारियां जन्म लेंगी  और अगर इसी प्रकार वनों की कटाई चलती रही तो मानव को सांस लेने में भी दिक्कत होगी क्योंकि पेड़ों द्वारा ही ऑक्सीजन का निर्माण किया जाता है और कार्बन डाइऑक्साइड को शोख लिया दिया जाता है.

अकाल –

वनों की कटाई के कारण अकाल की स्थिति भी उत्पन्न हो रही है. क्योंकि पेड़ों से ही  अधिक वर्षा होती है. अगर पृथ्वी पर पेड़ ही नहीं रहेंगे तो वर्षा भी नहीं होगी. जिसके कारण अकाल की स्थिति उत्पन्न हो जाएगी.  भारत के कई ऐसे राज्य हैं जिनमें वन क्षेत्र कम पाए जाते हैं जैसे कि गुजरात और राजस्थान तो यहां पर अक्सर अकाल की स्थिति बनी रहती है. इन राज्यों में वन क्षेत्र कम होने के कारण जल की कमी भी पाई जाती है.

बाढ़ –

पेड़ों की अंधाधुंध कटाई के कारण कई जगह अधिक वर्षा भी हो जाती है और वन क्षेत्र कम होने के कारण पानी का बहाव कम नहीं हो पाता है और जिससे बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो जाती है.

वन्य जीव जंतुओं का विलुप्त होना –

बढ़ती हुई आबादी के कारण वन क्षेत्र सीमित हो गए हैं जिसके कारण वनों में रहने वाले वन्यजीवों को रहने के लिए बहुत कम जगह मिल रही है और साथ ही कई ऐसे पेड़ों की कटाई कर दी गई है  जो कि कई वन्य जीव के जीने के लिए बहुत जरूरी थे. वनों की कटाई के कारण कई जीव जंतुओं की प्रजातियां विलुप्त हो चुकी हैं और अगर ऐसे ही वनों की कटाई होती रही तो जल्द ही सभी वन्यजीवों की प्रजातियां विलुप्त हो जाएगी.

ग्लोबल वॉर्मिंग –

पृथ्वी के जलवायु में हो रहे परिवर्तन ग्लोबल वॉर्मिंग के अंतर्गत ही आते है. वर्तमान में आपने समाचार पत्र पत्रिकाओं में पढ़ा होगा कि गर्मियों के समय बर्फ गिर रही है, रेगिस्तान क्षेत्र में बाढ़ आ रही है, हिमालय पिघल रहा है  और साथ ही पृथ्वी का तापमान भी बढ़ रहा है यह सभी कारण ग्लोबल वॉर्मिंग के अंतर्गत आते है.

वन क्षेत्र बचाने के उपाय – Van Sanrakshan ke Upay

  • वन क्षेत्र को बचाने के लिए हमें लोगों में अधिक से अधिक है जागरूकता फैलाने होगी.
  • जनसंख्या वृद्धि दर को कम करना होगा.
  • हमें वन महोत्सव जैसे कार्यक्रमों को बढ़ावा देना होगा जिससे कि अधिक से अधिक मात्रा में पेड़ लगाए जा सके.
  • वनों को बचाने का काम सिर्फ सरकार का ही नहीं है यह काम हमारा भी है क्योंकि जब तक हम स्वंय  पेड़ नहीं लगाएंगे तब तक वन क्षेत्र नहीं बढ़ सकते है.
  • हमें अवैध वनों की कटाई करने वाले लोगों के लिए सख्त कानून का निर्माण करना होगा.
  • सभी लोगों को पेड़ पौधों के लाभ बताने होंगे जिससे कि वह अधिक से अधिक पेड़ लगाएं.
  • हमें लकड़ियों से बनी वस्तुओं का उपयोग कम करना होगा.

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20 thoughts on “Essay on Van Mahotsav in Hindi – वन महोत्सव पर निबंध”

nice essay …thanks

Thank you nirtin

बहुत अच्छा निबंध है आपका । इसे ही निबंध लाते रहिए। धन्यवाद

शिवांग जी सराहना के लिए आप का बहुत बहुत धन्यवाद, हम ऐसे ही निबंध लिखते रहेंगे|

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Eassy acha hai Bhai 👍👍👍👍👍👍😜👍🎅🎅🎅🎅😘😘😬😬😬😬😬😬😟😟

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It is a good essay 😉😉😉

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वन महोत्सव पर निबंध | van mahotsav essay in hindi 250-500 words.

Van Mahotsav Essay In Hindi

100 Words - 150 Words 

वन महोत्सव भारत में हर साल जुलाई के पहले सप्ताह में मनाया जाने वाला एक विशेष उत्सव है । इसका उद्देश्य पर्यावरण के संरक्षण एवं वन्यजीवन को बढ़ावा देना है । इस उत्सव के दौरान लाखों पौधों के सप्लाई और वितरण के लिए कई कार्यक्रमों का आयोजन होता है ।  

वन महोत्सव के माध्यम से मानवता को वन्यजीवन की अहमियत का बोध होता है और उसके संरक्षण के लिए सक्रिय योगदान का अनुरोध किया जाता है । पौधों के साथ-साथ वन्यजीवन जैसे पशु-पक्षियों के भी जीवन की रक्षा करना आवश्यक है ।  

वन महोत्सव एक सकारात्मक कदम है जो हमें प्रकृति के साथ संतुलन बनाए रखने और आने वाले पीढ़ियों को हरियाली से समृद्ध करने का संदेश देता है । इसे ध्यान में रखते हुए वन महोत्सव का सही उत्सर्जन करना हम सभी की जिम्मेदारी है ।  

200 Words - 250 Words 

वन महोत्सव भारत का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो वर्षावन्ती ऋतु के आगमन के साथ हर साल जुलाई महीने में मनाया जाता है। यह एक वन्यजीवन और पर्यावरण के संरक्षण को प्रोत्साहित करने के लिए आयोजित किया जाता है। इसे पहले 1950 में श्री कुलपति कमलानाथ बियानी ने शुरू किया था।  

वन महोत्सव के दौरान लोग नए वृक्षों को बगीचों, स्कूलों, गांवों, नगरपालिका क्षेत्रों, और वन्यजीव अभयारण्यों में लगाते हैं। वृक्षारोपण के माध्यम से वृक्षों की संख्या में वृद्धि होती है और इससे हमारे प्राकृतिक पर्यावरण को बेहतर बनाने में मदद मिलती है। यह पर्व लोगों को पर्यावरण संरक्षण के महत्व को समझाने, वन्यजीवन की रक्षा करने और वनों के महत्व को प्रोत्साहित करने के लिए एक अच्छा माध्यम प्रदान करता है।  

वन महोत्सव का उद्देश्य वृक्षारोपण के माध्यम से जनता को एकजुट करना और हर व्यक्ति को वृक्ष लगाने के महत्व को समझाना है। वृक्ष हमारे जीवन का महत्वपूर्ण अंग हैं जो हमें शुद्ध वायु और शुद्ध जल प्रदान करते हैं और जलवायु को सुखद बनाने में मदद करते हैं।  

सारांशतः, वन महोत्सव एक महत्वपूर्ण उत्सव है जो पर्यावरण संरक्षण और वन्यजीवन को प्रोत्साहित करने के लिए समर्पित है। यह उत्सव हर साल लोगों को जागरूक करता है कि हमें अपने प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा करनी चाहिए और वृक्षारोपण के माध्यम से हम अपने आसपास के पर्यावरण का सम्मान कर सकते हैं।  

500 Words 

प्रस्तावना: वन महोत्सव भारत में विशेष रूप से हर वर्ष जुलाई के पहले सप्ताह को मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण उत्सव है। यह उत्सव प्रकृति के साथ मिलने और पर्यावरण संरक्षण को प्रोत्साहित करने का एक अच्छा मौका प्रदान करता है। वन महोत्सव का मुख्य उद्देश्य पेड़ों के पौधों के संरक्षण, उगाने, विकसित करने और पर्यावरण की सुरक्षा में जनता को सहयोग करना है। इस लेख में हम वन महोत्सव पर एक विस्तृत निबंध प्रस्तुत करेंगे, जो हिंदी भाषा में है और 500 शब्दों से कम नहीं है।  

परिचय: वन महोत्सव का आयोजन भारत सरकार द्वारा वर्ष 1950 में किया गया था, जिसका मुख्य उद्देश्य पेड़ उगाने और पर्यावरण संरक्षण के महत्व को लोगों के बीच जागरूकता फैलाना था। इस उत्सव का समय जुलाई के पहले सप्ताह में निर्धारित किया गया है क्योंकि यह अवसर बारिश के मौसम के साथ पेड़ों के उगाव के लिए अनुकूल होता है। यह उत्सव भारत भर में धूमधाम से मनाया जाता है और इसमें सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों के साथ लोग भी सहभागी होते हैं।  

पेड़ों के महत्व : पेड़ और पौधे पृथ्वी के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं। वे हमारे जीवन के लिए ऑक्सीजन प्रदान करते हैं जो हमारी श्वसन प्रक्रिया के लिए आवश्यक है। पेड़ हमारे आस-पास के वातावरण को शुद्ध करके वायु, पानी और मिट्टी का संतुलन बनाते हैं। वे बिजली को भी अवशोषित करके आसमान से आने वाली कड़कती धूप का भी संतुलन बनाते हैं। पेड़ों के नीचे बैठकर विश्राम करना हमारे मन को शांति देता है और मनोवैज्ञानिक रूप से भी यह साबित है कि पेड़ों से घिरे वातावरण में मनुष्य का मन शांत होता है।  

पेड़ों के कटाव की समस्या: दुर्भाग्यवश, आधुनिक युग में वन्य जीवन को बचाने की कवायद होती है, लेकिन बढ़ते विकास के चलते इंसानी ग्रीड ने पेड़ों के कटाव का सबसे बड़ा कारण बन दिया है। लोगों की लालसा और ज़मीन के मूल्य के कारण वे लकड़ी और अन्य वन्य उत्पादों के लिए पेड़ों काटते हैं। वन्यजनों के अस्तित्व को खतरे में डालते हुए, हम अपने जीवन के लिए भी खतरे में पड़ रहे हैं। पेड़ों के नष्ट होने से धरती की प्राकृतिक संतुलन प्रक्रिया भी प्रभावित हो रही है जिससे भूकंप, बाढ़, सूखे, तूफ़ान, आदि जैसी प्राकृतिक आपदाएं बढ़ गई हैं।  

पेड़ों के महत्व की जागरूकता : वन महोत्सव के दौरान, लोग विभिन्न जगहों पर पेड़ों को उगाने के लिए आते हैं और पर्यावरण संरक्षण के महत्व को समझाने वाले नाटक, कविता, गीत, सम्मेलन आदि कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। सरकार और गैर-सरकारी संगठन भी इस मौके पर पेड़ उगाने और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए अपने-अपने कार्यक्रम आयोजित करते हैं। छोटे स्कूलों और कॉलेजों में भी वन महोत्सव के अवसर पर पेड़ उगाने के लिए विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं जिससे बच्चों में पेड़ों के प्रति जागरूकता बढ़ती है।  

पेड़ों के उगाने के लाभ: पेड़ों के उगाने के कई लाभ होते हैं जो पृथ्वी के पर्यावरण को संतुलित और स्वस्थ बनाते हैं। पेड़ ऑक्सीजन को निर्गत करके कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करते हैं और वातावरण को शुद्ध करते हैं। इसके साथ ही, पेड़ों के निर्मित ऑक्सीजन धरती के वातावरण में वायुमंडल की रखरखाव करने में मदद करते हैं जो विश्व के जलवायु पर प्रभाव डालता है। पेड़ों की छाया में रहने से बुखार और तपती धूप के कारण होने वाली त्वचा संबंधी समस्याएं भी कम होती हैं।  

संरक्षण के उपाय: पेड़ों के महत्व को समझकर और पर्यावरण संरक्षण के माध्यम से हम उन्हें बचाने के लिए निम्नलिखित उपाय कर सकते हैं:  

-वन्यजीवन के संरक्षण के लिए वन्यजीवन संरक्षक क्षेत्रों को बढ़ावा देना चाहिए।  

-वन महोत्सव के अवसर पर अधिक से अधिक पेड़ उगाने और उन्हें संरक्षित करने के लिए लोगों को प्रोत्साहित करना चाहिए।  

-शिक्षा और जागरूकता के माध्यम से लोगों को पेड़ों के महत्व को समझाना चाहिए।  

-पेड़ों के कटाव को रोकने के लिए सख्त कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए।  

-भूकंप और बाढ़ की समस्याओं को देखते हुए, हमें पेड़ों के कटाव से बचने के लिए वन्यजीवन संरक्षक क्षेत्रों की रखरखाव को मजबूत करने की जरूरत है।  

निष्कर्ष: वन महोत्सव एक महत्वपूर्ण उत्सव है जो पेड़ उगाने और पर्यावरण संरक्षण के महत्व को लोगों के बीच फैलाने के लिए आयोजित किया जाता है। पेड़ों का महत्व इस तथ्य को साबित करता है कि वे पृथ्वी के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं और हमारे जीवन को सुखी, स्वस्थ और समृद्ध बनाते हैं।

हमें उन्हें संरक्षित रखने और और पेड़ों के कटाव को रोकने के लिए संगठनित रूप से कदम उठाने की जरूरत है ताकि हम भविष्य में भी हरे-भरे पृथ्वी में रह सकें। वन महोत्सव के माध्यम से हम सभी एकजुट होकर पेड़ों के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझ सकते हैं और एक स्वच्छ और हरा-भरा पर्यावरण के लिए साथ मिलकर काम कर सकते हैं।  

Categories/श्रेणियाँ

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वन महोत्सव पर निबंध – Van Mahotsav Hindi Esaay

वन महोत्सव पर निबंध: वन महोत्सव का आयोजन जंगली जानवरों और वन्यजीवों के संरक्षण के माध्यम से प्राकृतिक संतुलन को बढ़ावा देने के लिए किया जाता है। यह समाज को प्राकृतिक संसाधनों के महत्व और उनके संरक्षण के प्रति जागरूक करने का एक प्रयास है।

वन महोत्सव पर निबंध

आदिमानव का प्रथम निवास स्थान घने जंगल थे। मानव सभ्यता एवं संस्कृति के विकास में इसकी भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। सभ्यता के विकास से पहले मनुष्य की सभी आवश्यकताएँ वनों से ही पूरी होती थीं। उसके लिए भोजन और पानी उपलब्ध कराया गया। वन आजीविका के लिए विभिन्न तत्व प्रदान करता है। सभ्यता के क्रमिक विकास के साथ-साथ जंगल नष्ट होने लगे। जंगल काटे गए और गाँव तथा कस्बे बसाए गए। औद्योगिक सभ्यता के विकास के कारण बड़े पैमाने पर वनों का विनाश हुआ। वनों के नष्ट होने से मानव समाज पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। प्राकृतिक आपदाएँ बढ़ रही हैं। विकट परिस्थिति से गुजरते हुए मनुष्य पुनः जागृत होता है। फिर वन संरक्षण हेतु वन महोत्सव प्रारम्भ किया गया।

van mahotsav par nibandh

भारतीय सभ्यता में वन

भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति में वनों का योगदान अतुलनीय है। इसके शांतिपूर्ण वातावरण ने देश की संस्कृति को आकार दिया है। जंगल ही तपस्या और ध्यान का एकमात्र शांतिपूर्ण स्थान था। प्राचीन ऋषि विश्व कल्याण के लिए जंगल में साधना करते थे। यह जंगल मनुष्य को घर के लिए आवश्यक उपकरण और भोजन उपलब्ध कराता था। वन उत्पाद मानव जीवन के दैनिक उपयोग में थे। समय पर वर्षा होने से प्रचुर मात्रा में फसल होती थी। अब भी, कई आदिवासी अपनी आजीविका के लिए जंगल पर निर्भर हैं। वनों का मानव जीवन से घनिष्ठ संबंध होने के कारण ही भारतीय सभ्यता में प्रकृति पूजा का प्रचलन हुआ।

वन का उपयोग

वनों की उपयोगिता अद्वितीय है। यह मनुष्य को घरेलू उपकरणों के लिए आवश्यक उपकरण प्रदान करता है। मनुष्य के घर और फर्नीचर के निर्माण के लिए लकड़ी, बांस की आवश्यकता होती है। अतीत में, बीमारियों के इलाज के लिए इस जंगल से कई छालें और औषधियाँ एकत्र की जाती थीं। जड़ों का उपयोग आयुर्वेदिक चिकित्सा में किया जाता है और इसे मुख्य रूप से जंगलों से एकत्र किया जाता है। जंगल के कई पेड़ों के औषधीय गुण अतुलनीय हैं। मृदा संरक्षण में इसकी भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह बारिश और बाढ़ के दौरान मिट्टी के कटाव को रोकता है। पेड़ विषैला कार्बन ग्रहण करते हैं और ऑक्सीजन छोड़ते हैं। ऑक्सीजन मानव जीवन के लिए आवश्यक है। वन पर्यावरण को प्रदूषण से बचाते हैं। वन शिल्प के लिए कच्चा माल उपलब्ध कराते हैं। विभिन्न दृष्टिकोणों से देखने पर मानव समाज के लिए वनों की उपयोगिता अतुलनीय है।

वनों की कटाई के प्रभाव

वन हानि से मानव समाज को होने वाली क्षति की भरपाई करना कठिन मामला है। उत्तरी अफ्रीका, फारस, मिस्र जैसे कई देश वनों की कटाई के कारण शुष्क रेगिस्तान में बदल गये हैं। भारत में वनों की कटाई से भी ऐसा ही ख़तरा पैदा होने की संभावना है। 1952 में, भारत की वन नीति, जो लागू की गई थी, में कहा गया था कि देश का एक तिहाई हिस्सा वनाच्छादित रहेगा। लेकिन इसके क्रियान्वयन से कोई खास फायदा नहीं हो रहा है। पुराने जंगल नष्ट हो रहे हैं। या नये जंगल नहीं बनाये जा रहे हैं। वनों की कटाई प्राकृतिक आपदाओं का कारण बन रही है। अनियमित बारिश के कारण फसलों को भारी नुकसान होता है। वातावरण में अधिक से अधिक कार्बन डाइऑक्साइड मानव समाज के लिए खतरा पैदा कर रही है। पौधे आमतौर पर इन जहरीले धुएं को अवशोषित करते हैं। लेकिन वन हानि के कारण यह संभव नहीं है। उद्योगों और कारखानों से निकलने वाले दूषित वाष्प पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहे हैं। पर्यावरणविद् पहले ही गहरी चिंता व्यक्त कर चुके हैं क्योंकि इससे पर्यावरण प्रदूषित होता है। यदि ऐसी ही स्थितियाँ बनी रहीं तो पृथ्वी पर जीवन संभव नहीं होगा। तो साफ संकेत है कि धरती पर एक भयानक खतरा आने वाला है। इन सभी दुष्प्रभावों का एकमात्र कारण वनों की कटाई है।

शहर के विकास और उद्योग के विकास के कारण अधिक जगह की आवश्यकता है। बार-बार जनसंख्या वृद्धि वन विनाश का एक अन्य कारण है। मनुष्य आवास के लिए जंगल काट रहा है। उसे पता ही नहीं चलता कि यह किस तरह का ख़तरा लेकर आता है. हरे-भरे जंगल आज विशाल रेगिस्तान में तब्दील होने जा रहे हैं। इसे देखते हुए मानव समाज को अभी से सावधान रहने की जरूरत है।

वन महोत्सव की आवश्यकता

वैज्ञानिकों की चेतावनी और पर्यावरणविदों की चेतावनियों के बाद मानव समाज अपने पर्यावरण के प्रति जागरूक हो गया है। यह आज सरकार द्वारा पोषित ‘वन महोत्सव’ का उदाहरण है। हालाँकि वन महोत्सव कार्यक्रम पहली बार 1950 में शुरू किया गया था, लेकिन इसे जुलाई 1983 से औपचारिक रूप से पोषित किया गया है। इस उत्सव के दौरान जगह-जगह वृक्षारोपण कार्यक्रम हो रहे हैं। लोगों में जागरूकता बढ़ाने के लिए कुछ कार्यक्रम शुरू किये गये हैं। नए जंगल बनाने के प्रयास जारी हैं। हालाँकि सरकार की नई सामाजिक वानिकी पहल स्वागत योग्य है, लेकिन इसका कार्यान्वयन आशाजनक नहीं लगता है। अत: इसमें कोई संदेह नहीं कि मनुष्य को आसन्न संकट से बचाने के लिए ‘वन महोत्सव’ एक स्वागत योग्य कदम है।

आज लोग खतरे की दहलीज पर खड़े हैं। इसमें कोई संदेह नहीं कि पहला कारण वनों की कटाई है। चूंकि भौतिकवादी मनुष्य अपने स्वार्थ के लिए जंगल को नष्ट कर रहा है, इसलिए उसे इसके परिणाम भुगतने होंगे। अतः मानव समाज को इस आसन्न खतरे से बचाने के लिए नये वनों का निर्माण करना होगा। इस बीच, सभी स्तरों पर प्रयास जारी रहना चाहिए। वन विभाग इस क्षेत्र में अधिक एहतियाती कदम उठाए तो काफी हद तक वन हानि को रोका जा सकता है। साथ ही सरकार और जनता को इस दिशा में और अधिक सक्रिय होना चाहिए। सभी सहकारी कार्यक्रम वन संसाधनों को बचा सकते हैं और मानव समाज को विलुप्त होने से बचा सकते हैं।

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तो दोस्तों ये था वन महोत्सव पर निबंध। वन महोत्सव को एक सामाजिक एवं सांस्कृतिक उत्सव के रूप में भी आयोजित किया जा सकता है, जिसके माध्यम से लोग अपने पर्यावरण से जुड़े रह सकते हैं और इसकी सुरक्षा एवं संरक्षण में सक्रिय भूमिका निभा सकते हैं। इस प्रकार वन महोत्सव एक महत्वपूर्ण त्यौहार है जो हमें प्राकृतिक संसाधनों के प्रति संवेदनशीलता एवं संवर्धन की प्रेरणा देता है।

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जब से औद्योगिकीकरण ने धरती पर अपने पांव पसारे तब से मानो ऐसा लगता है जैसे कि हर जगह इंडस्ट्रीज की बौछार हो गई है। जहां देखो वहां पर पेड़ की जगह इंडस्ट्री जरूर देखने को मिल जाएगी। एक समय था जब पेड़ों की संख्या बहुत अधिक मात्रा में हुआ करती थी। मैं हमेशा इसी ख्याल में डूब जाती हूँ कि पुराने ज़माने में लोग कितने खुशकिस्मत हुआ करते थे जो इतनी हरियाली के बीच रहा करते थे। पहले के लोग वन और पेड़-पौधों को भगवान के रूप में देखते थे। आज के समय और पुराने समय में रात दिन का फर्क़ आ गया है।

आज मौसी के यहां पर नया फर्नीचर आने को था। मौसी और सभी परिवार वाले इस बात से बहुत खुश थे। जैसे ही फर्नीचर घर पर आया, सभी फर्नीचर को देखने के उमड़ पड़े। वह वाकई में बहुत सुंदर था। मेरी मौसी कह रही थी उनके घर का सारा फर्नीचर इको फ्रेंडली है। कि तभी मासी का बेटा तपाक से बोल पड़ा कि यह इको फ्रेंडली जरूर होंगे। परंतु इनको बनाने के लिए कितने पेड़ों की अंधाधुंध कटाई भी जो हुई है। मेरे मासी के बेटे ने एकदम सही कहा था।

आज के समय में हम घर में जितने भी फर्नीचर देखते हैं उनके लिए पेड़ों ने अपना खूब बड़ा बलिदान दिया है। प्रकृति तो हमेशा से ही मानवों के लिए अपना बलिदान देती आई है। परंतु हमने इसका हमेशा से दोहन ही किया है। तो आज का हमारा विषय वन महोत्सव पर आधारित है। आज हम जानेंगे कि वन महोत्सव का अर्थ क्या होता है। और वन महोत्सव का इतिहास और महत्व क्या है। तो आइये हम वन महोत्सव पर निबंध (Essay on van mahotsav in Hindi) हिंदी में पढ़ना शुरू करते हैं।

बहुत साल पहले भगवान ने पृथ्वी को बनाया था। वह पृथ्वी जब भगवान को खाली सी लगने लगी तो ऐसे में भगवान ने धरती पर पेड़ पौधे और जंगल को बनाया। लेकिन अब भी भगवान को कुछ कमी लग रही थी इसलिए सोचा कि क्यों ना धरती पर मनुष्य भी उतार दिया जाए। भगवान ने ऐसा ही किया। पेड़ पौधे मनुष्य की जरूरत बन गए थे। उन्हें पेड़ों से खाना और फल फूल मिलने लगे। इंसान और पेड़ पौधें जंगलों में मिलजुल कर रह रहे थे।

लेकिन बदलते समय के साथ इंसानों को यह महसूस होने लगा कि उनकी रहने की जगह जंगल की बजाय कहीं और भी हो सकती है। यहां पर उनका लालच जाग उठा। फिर काफी विचार विमर्श के बाद इंसानों ने यह तय किया कि क्यों ना जंगल को काटकर ही आशियाना बनाया जाए। पेड़ पौधों ने इंसानों को जंगल को नष्ट करने से रोका। कहा कि अगर तुम हमसे धोखा करोगे तो एक दिन बहुत बड़ा नुकसान उठाओगे। पेड़ों की बात को अनसुना करके मनुष्य वनों को नुकसान पहुंचाते रहे। फिर एक दिन भंयकर बाढ़ आई जो आधे से ज्यादा मनुष्यों को अपने साथ बहाकर ले गई।

वन महोत्सव क्या है?

ऊपर दी गई यह कहानी हम इंसानों पर एकदम सटीक बैठती है। वन के बिना हमारा जीवन ही अधूरा है। वन हम मनुष्यों का साथ कभी से निभाते आ रहे हैं। वन के बिना हमारा जीवन ही अधूरा है। वन हमें बिना कोई शिकायत के प्राकृतिक संसाधन प्रदान करते रहते हैं।

वन के चलते ही आज मानव का साँस लेना संभव है। वन से ही हमारा कल है। तो चलिए अब जानते हैं कि वन महोत्सव है क्या? यह हम सबको पता है कि हमारा देश त्यौहारों का देश माना जाता है। यहां पर आए दिन अलग अलग त्यौहार मनाए जाते हैं। हमारे देश में प्रकृति को लेकर भी एक त्यौहार मनाया जाता है। हम बात कर रहे हैं वन महोत्सव की। अन्य दूसरे त्यौहारों की ही तरह वन महोत्सव भी मनाया जाता है।

वन महोत्सव से तात्पर्य ऐसे त्यौहार से है जो वन को समर्पित होता है। हमारे देश में यह त्यौहार जुलाई के महीने में मनाया जाता है। यह उत्सव लगभग एक सप्ताह तक चलता है। मतलब यह 1 जुलाई को शुरू होता है और फिर 7 जुलाई तक लगातार चलता है। इस उत्सव को शुरू करने का श्रेय कन्हैयालाल मानेकलाल मुंशी को जाता है।

वन महोत्सव का महत्व

वन महोत्सव भारत सरकार द्वारा उठाया गया एक सार्थक कदम है। वनों का होना हमारे जीवन के लिए बहुत मायने रखता है। प्राचीनकाल से ही वन हमारे जीवन को कई तरह की चीजें प्रदान करते आए हैं। हमारे देश के जितने भी बड़े बड़े ऋषि मुनि हुए वह सब वन में जाकर ही तपस्या करते थे। वन हमेशा से ही हमारे मित्र की तरह रहे हैं। वन हमारे सुख-दुख में भी साथ खड़े रहते हैं। वन हमें कभी भी धोखा नहीं देते हैं। भले ही हम मानव जंगल को धोखा दे दे।

आज के समय में वन को उजाड़ कर हम अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मार रहे हैं। यह हम सभी को पता है कि पेड़ पौधों हमें ऑक्सीजन के रूप में अमृत प्रदान करते हैं। पर आज हम ही इन पेड़ों को खत्म भी कर रहे हैं। आज जिस बाढ़ का हम सामना कर रहे हैं वह सब पेड़ों की कमी के चलते हो रहा है।

वातावरण की ग्रीन हाउस गैस को भी पेड़ अपनी ओर खींच लेते हैं। पेड़ और वन प्रकृति को साफ सुथरा बनाए रखते हैं। हम जितने ज्यादा पेड़ लगाते हैं उतना ही फायदा वह मनुष्य को पहुंचाते हैं। इसलिए प्रकृति में संतुलन बनाए रखने के लिए वन महोत्सव को मनाना बहुत जरूरी हो जाता है। वन महोत्सव के चलते लोग प्रकृति के प्रति जागरूक बनते हैं।

वन महोत्सव की शुरुआत किसने की थी?

वनों के संरक्षण हेतु कदम मनुष्य कभी से उठाया जा रहा है। यह सदियों से चला आ रहा है। हमारे भारत में जितने भी साम्राज्य हुए उन सभी ने वनों और वन्यजीव के संरक्षण हेतु ठोस कदम उठाए। हम सभी यह भी हम जानते हैं कि महात्मा बुद्ध ने अपने प्रवचन पेड़ के नीचे ही देते थे। और तपस्या पेड़ के नीचे ही करते थे। वन को लेकर कोई ना कोई हमेशा जागरूक होता आया है।

अब यह सोचने वाली बात है कि आखिर वन महोत्सव की शुरुआत किसने की थी। यह माना जाता है कि वन महोत्सव मनाने की नींव स्व. जवाहरलाल नेहरू, मौलाना अब्दुल क़लाम आज़ाद और स्व. डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने 1947 में रखी थी। लेकिन वन महोत्सव शुरू करने का असली श्रेय तो कन्हैयालाल मानेकलाल मुंशी को जाता है। वह भारत के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और एक अच्छे राजनेता थे। वन महोत्सव मनाने का सिलसिला 1950 के दशक में शुरू हुआ था जो आज भी कायम है।

वन का महत्व

हमारे जीवन में जितना धन है उतने ही अहम वन है। वन इंसानों के सबसे सच्चे दोस्त की तरह रहे हैं। जिस दिन वन नहीं रहेंगे समझो हम भी नहीं रहेंगे। वन के बिना हमारा जीवन ही अधूरा है। वन इतने सुंदर होते हैं कि वह किसी का भी मन मोह लेने में सक्षम होते हैं। वन हमें शुद्ध हवा प्रदान करते हैं। यह शुद्ध हवा ऑक्सीजन कहलाती है। वन मनुष्यों को फल-फूल, लकड़ी, जड़ी बूटियां उपलब्ध करवाती है। अधिक वन होने से वातावरण सही बना रहता है। पारिस्थितिकी संतुलन सही रहता है। वन्यजीव भी जंगलों पर ही निर्भर होते हैं। इसलिए जब वन की संख्या अधिक होती है तो वन्यजीव भी सुरक्षित रहते हैं। अधिक संख्या में वन होने से बाढ़ जैसी मुश्किलों का सामना भी नहीं करना पड़ता।

वन महोत्सव मनाने की जरूरत क्यों है?

आज आधुनिकीकरण और जनसंख्या इतनी ज्यादा बढ़ गई है कि चारों तरफ अंधाधुंध तरीके से वन और पेड़ काटे जा रहे हैं। आज ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन के चलते वातावरण बहुत ज्यादा दूषित होता जा रहा है। यह सब चिंता का विषय बन चुके हैं। जैसे पृथ्वी के महत्व को दर्शाने के लिए हम अर्थ डे मनाते हैं ठीक उसी प्रकार वनों के महत्व को दर्शाने के लिए हम वन महोत्सव मनाते हैं। आज के समय में खूब पेड़ काटे जा रहे हैं। जिसके चलते वन भी बड़ी तेजी से खत्म हो रहे हैं। इसके पीछे सबसे बड़ा हाथ मानव का ही है।

मानवों की बढ़ती जनसंख्या ने पेड़ काटने को मजबूर कर दिया है। मानवों को सिर्फ अपना स्वार्थ दिख रहा है। वह यह नहीं जानते कि भविष्य में इसके कितने दुष्परिणाम होंगे। बस इसी चीज को ध्यान में रखते हुए वन महोत्सव को मनाने की बहुत जरूरत पड़ जाती है। वन महोत्सव को मनाने के पीछे का उद्देश्य यह है कि सभी लोग जागरूक होकर वृक्षारोपण करें। अगर वह एक काटे तो बदले में वह 10-20 पेड़ लगाने की हिम्मत रखें। वन महोत्सव में सक्रिय रूप से भागीदार बनकर हम अपने भविष्य के लिए लाखों के पेड़ बचा सकते हैं।

वन महोत्सव पर 10 लाइनें

  • वन महोत्सव को पेड़ों का त्यौहार माना जाता है।
  • वन महोत्सव मनाने की परंपरा कन्हैयालाल मानेकलाल मुंशी ने की थी।
  • भारत में आज के समय केवल 20% ही वन बचे हैं।
  • प्राचीनकाल से ही वन हमारे दोस्त की तरह रहे हैं।
  • वन ही हमारा भविष्य है। आज वन की वजह से ही हम सभी जिंदा हैं।
  • वन से हमें खाने का भोजन और फर्नीचर का सामान प्राप्त होता है।
  • वन महोत्सव को जुलाई के पहले सप्ताह में मनाया जाता है।
  • वन महोत्सव 1 जुलाई से शुरू होता है और 7 जुलाई तक चलता है।
  • वन को अंग्रेजी में फॉरेस्ट कहते हैं।
  • वन महोत्सव पर लोग खूब पेड़ पौधे लगाते है। वन लगाने से हमारा देश हरा भरा बना रहता है।

वन महोत्सव पर 200 शब्दों में निबंध

वन महोत्सव हर साल जुलाई के महीने में मनाया जाता है। यह महोत्सव पर्यावरण को समर्पित होता है। इस दिन पर खूब सारे पेड़ पौधे उगाए जाते हैं। यह जुलाई के पहले सप्ताह में मनाए जाने वाला उत्सव है। मतलब यह उत्सव 1 जुलाई को शुरू होता है और 7 जुलाई तक चलता है। यह दिवस हमारे लिए बहुत महत्व रखता है। इस दिन लोगों को पेड़ लगाने के लिए जागरूक किया जाता है।

आज के समय की यह मांग है कि हम अधिक से अधिक पेड़ उगाए। क्योंकि आज के समय में खूब पेड़ काटे जा रहे हैं। पेड़ों की घटती संख्या आज मुसीबत का कारण बनी हुई है। इसी कारण के चलते आज ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन बहुत तेजी से फैल रहा है। आज हर जगह प्राकृतिक घटनाएं देखने को मिल रही है।

आज तेजी से ग्लेशियर पिघल रहे हैं। प्रकृति में उतार चढ़ाव देखने को मिल रहा है। आज हम कभी बाढ़ का सामना कर रहे हैं तो कभी भयंकर सूखे का। आज के समय में मौसम के मिजाज का कुछ भी पता नहीं चलता है। इन सबके पीछे किसका हाथ है। इसका सीधा और सरल सा उत्तर है हम मनुष्य।

मनुष्यों की वजह से प्रकृति का संतुलन बिगड़ गया है। अब समय आ गया है कि हम मनुष्यों को चेत जाना चाहिए। हमारे देश में वन महोत्सव मनाने के पीछे का बड़ा कारण ही यह है कि ज्यादा से ज्यादा पेड़ पौधे लगाए और हमारी धरती को नष्ट होने से बचाए।

तो आज के हमारे इस निबंध के माध्यम से हमने यह जाना कि वन महोत्सव क्या होता है। हमने इसी निबंध के माध्यम से यह भी जाना कि वन महोत्सव मनाने के पीछे का महत्व क्या है। वन हमारे जीवन में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वन से ही हमारा कल है। हमें अपने वनों की रक्षा हेतु जागरूक होना बहुत जरूरी है। हम यह आशा करते हैं कि आपको हमारे द्वारा लिखा गया यह निबंध जरूर पसंद आया होगा।

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वन महोत्सव पर FAQs

Q1. वन महोत्सव क्या है? इसकी शुरुआत किसने की थी?

A1. वन महोत्सव एक प्रकार का उत्सव है जो हर साल जुलाई के महीने में मनाया जाता है। यह दिन प्रकृति को समर्पित होता है। इस उत्सव को मनाने की शुरुआत कन्हैयालाल मानेकलाल मुंशी की थी।

Q2. भारत में कितने प्रकार के वन पाए जाते हैं?

A2. भारत में छह प्रकार के वन पाए जाते हैं जैसे कि आर्द्र उष्णकटिबंधीय वन, शुष्क उष्णकटिबंधीय, पर्वतीय उप-उष्णकटिबंधीय, उप-अल्पाइन, उप शीतोष्ण और शीतोष्ण वन।

Q3. वन महोत्सव कब मनाया जाता है?

A3. वन महोत्सव हर साल जुलाई के महीने में मनाया जाता है। यह एक सप्ताह तक चलने वाला उत्सव होता है। मतलब यह 1 जुलाई से 7 जुलाई तक चलता है।

Q4. वन महोत्सव हमेशा बारिश के मौसम में ही क्यों मनाया जाता है?

A4. वन महोत्सव हर साल बारिश के मौसम में ही मनाया जाता है। इसको मनाने के पीछे सबसे बड़ा कारण यह है कि बारिश का मौसम पेड़ पौधों के लिए बहुत अच्छा समय होता है।

Q5. फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट कहाँ पर स्थित है?

A5. फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट देहरादून में स्थित है।

Q6. भारत में फिलहाल कितने प्रतिशत भाग पर वन है?

A6. भारत में फिलहाल 23.81% भाग पर वन है।

Q7. भारत में सबसे अधिक वन किस राज्य में स्थित हैं?

A7. भारत में सबसे अधिक वन मध्य प्रदेश राज्य में स्थित है।

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  • Hindi Grammar /

Van Mahotsav Essay In Hindi: जानिए परीक्षाओं पूछे जाने वाले वन महोत्सव पर निबंध

van mahotsav essay in hindi 200 words

  • Updated on  
  • दिसम्बर 9, 2023

Van Mahotsav Essay In Hindi

वन महोत्सव वनीकरण (afforestation) और वनों के संरक्षण को बढ़ाने के लिए मनाया जाने वाला एक वार्षिक कार्यक्रम है। वन महोत्सव को समझने से छात्रों को पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने और पेड़ों और जंगलों के महत्व के बारे में जागरूक होने में मदद मिलती है। वन महोत्सव के उपलक्ष में छात्र ऑक्सीजन, क्लाइमेट और बायोडायवर्सिटी के बारे में अधिक जान पाते हैं।इसलिए कई बार छात्रों को वन महोत्सव पर निबंध तैयार करने को दिया जाता है। Van Mahotsav Essay In Hindi के बारे में जानने के लिए इस ब्लोग को अंत तक पढ़ें। 

This Blog Includes:

वन महोत्सव पर निबंध सैंपल 1, वन महोत्सव पर निबंध सैंपल 2, वन महोत्सव का इतिहास, वन महोत्सव के उद्देश्य, देश में वन महोत्सव सप्ताह समारोह, वन महोत्सव का महत्व, वन महोत्सव पर 10 लाइन्स.

वन महोत्सव भारत में प्रतिवर्ष मनाया जाने वाला कार्यक्रम है। यह कार्यक्रम पेड़ लगाने के लिए समर्पित है और वर्ष 1950 में शुरू हुआ है। यह वनों की कटाई और बढ़ती कार्बन डाइऑक्साइड के कारण यह महोत्सव ओर भी महत्वपूर्ण हो गया है। हर साल, वन महोत्सव के दौरान देश भर में लाखों पौधे लगाए जाते हैं, जो आमतौर पर 1 से 7 जुलाई तक होता है।

वर्ष 1950 में केंद्रीय कृषि और खाद्य मंत्री डॉ. के एम मुंशी ने लोगों को वनों के संरक्षण और अधिक पेड़ लगाने के लिए प्रेरित करने के लिए इस उत्सव की शुरुआत की। तब से यह उत्सव पूरे भारत में फैल गया है।

वन महोत्सव का प्राथमिक लक्ष्य पेड़ों के महत्व के बारे में जागरूकता को बढ़ाना है। यह ग्लोबल वार्मिंग से निपटने और प्रदूषण को कम करने में वृक्षारोपण पर अधिक जोर देता है।  

यह त्यौहार लोगों को पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी की भावना को बढ़ावा देता है। साथ ही यह वृक्षारोपण और देखभाल में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करता है। देश भर में मनाया जाने वाला वन महोत्सव हमारे जंगलों को संरक्षित करने और एक स्वस्थ ग्रह को बढ़ावा देने के महत्व को भी याद दिलाता है।

Van Mahotsav Essay In Hindi सैंपल 2 नीचे दिया गया है-

पेड़ प्रकृति के उपहार की तरह हैं, जो पृथ्वी पर जीवन को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे पर्यावरण को संतुलित और स्वस्थ रखने में मदद करते हैं। पेड़ हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं, और उनके सामने आने वाली चुनौतियों को समझना आवश्यक है।

पूरे विश्व में तापमान को नियंत्रित करने और बारिश कराने के लिए मौसम की स्थिति बनाने में पेड़ों का बड़ा काम है। वे कार्बन डाइऑक्साइड लेकर और ऑक्सीजन छोड़ कर हवा को भी साफ करते हैं, जो सभी जीव जंतुओं के लिए महत्वपूर्ण है। इसके अतिरिक्त, पेड़ हमें लकड़ी, भोजन, ईंधन, कागज और बहुत कुछ प्रदान करते हैं, जिससे वे हमारे दैनिक जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन जाते हैं। वे विभिन्न जानवरों और पक्षियों के लिए घर के रूप में भी काम करते हैं।

हम जिस बड़ी समस्या का सामना कर रहे हैं वह वनों की कटाई है, वर्तमान समय में बड़े पैमाने पर पेड़ काटे जाते हैं।  इससे न केवल प्राकृतिक आपदाएँ आती हैं बल्कि कई पौधों और जानवरों की प्रजातियाँ हमेशा के लिए लुप्त हो जाती हैं।

अब, हमारे लिए अपने कार्यों की जिम्मेदारी लेना महत्वपूर्ण है। हमें पृथ्वी की उसी तरह देखभाल करनी चाहिए जैसे वह हमारी देखभाल करती रही है। इसका समाधान सरल है: अपने ग्रह को एक बार फिर से सुंदर, हरा-भरा और स्वस्थ बनाने के लिए जितना हो सके उतने पेड़ लगाएं।

वन महोत्सव पर निबंध सैंपल 3

Van Mahotsav Essay In Hindi सैंपल 3 नीचे दिया गया है-

वन महोत्सव एक विशेष वृक्षारोपण उत्सव है जो प्रत्येक वर्ष जुलाई में पूरे भारत में मनाया जाता है। इसकी शुरुआत 1950 में हुई जब डॉ. के एम मुंशी के द्वारा हुई थी। वे कृषि और खाद्य के प्रभारी थे। उन्होंने वन महोत्सव को एक राष्ट्रीय कार्यक्रम बना दिया। इस उत्सव के दौरान, लोग देश भर में पेड़ लगाने के लिए एक साथ आते हैं। इस दिन हम इस बात पर विचार करते हैं कि पेड़ कितने महत्वपूर्ण हैं और सभी को अधिक पेड़ लगाकर पर्यावरण की देखभाल करने के लिए प्रोत्साहित भी करते हैं। 

इस आंदोलन की शुरुआत 1947 में हुई जब पंजाबी वनस्पतिशास्त्री एमएस रंधावा ने 20 से 27 जुलाई तक वृक्षारोपण सप्ताह का आयोजन किया था। दिल्ली पुलिस आयुक्त खुर्शीद अहमद खान ने वनों की कटाई के प्रभाव पर जोर देते हुए 20 जुलाई 1947 को इस कार्यक्रम का उद्घाटन किया था। जवाहरलाल नेहरू और डॉ. राजेंद्र प्रसाद जैसे नेताओं ने भारत के उद्घाटन वृक्षारोपण अभियान में भाग लिया।

1950 में, कनैयाका मानेकलाल मुंशी ने इसे ‘वन महोत्सव’ नाम देकर एक राष्ट्रीय गतिविधि का दर्जा दिया और इसे जुलाई के पहले में मानने की घोषणा कर दी। डॉ. मुंशी ने वृक्षारोपण से कहीं अधिक की कल्पना की, उनका लक्ष्य ग्रह पर लोगों का वनों के प्रति योगदान का जश्न मनाना था। उनकी एक मात्र पहल से परे, ‘वन महोत्सव’ एक राष्ट्रव्यापी त्योहार बन गया। यह पर्यावरण के प्रति उत्साह और आपसी समझ को बढ़ावा देने के महत्व पर जोर देता है। यह उत्सव न केवल वृक्षारोपण का प्रतीक है, बल्कि लोगों के बीच जिम्मेदारी और उत्साह का भी प्रतीक है। 

वन महोत्सव, वनों को समर्पित एक दिन है। इस सप्ताह का उद्देश्य लोगों को वनों के महत्व के बारे में जागरूक करना और वृक्षारोपण को बढ़ावा देना है। महोत्सव के लिए डॉ. मुंशी के लक्ष्यों में फलों का उत्पादन बढ़ाना, बेहतर कृषि के लिए आश्रय-बेल्ट बनाना, जंगल की चराई को कम करने के लिए मवेशियों को चारा-पत्ती उपलब्ध कराना, मिट्टी के बांझपन को रोकना, मिट्टी के संरक्षण को बढ़ाना, छाया और सजावटी पेड़ों के साथ सौंदर्यशास्त्र जोड़ना और निर्माण की लकड़ी के खंभों की आपूर्ति करना शामिल है।  

इस उद्देश्य से जुड़ी इसी तरह की पहल में 28 जून से 12 जुलाई को मनाया जाने वाला संस्कृति मंत्रालय का संकल्प पर्व शामिल है। इस दौरान, मंत्रालय ने अपने कार्यालयों और संस्थानों से अपने परिसरों या आस-पास के क्षेत्रों में पेड़ लगाने का आग्रह करता है। ये प्रयास सामूहिक रूप से पर्यावरण को भलाई के लिए पेड़ों के महत्व पर जोर देते हैं।

भारत में मानसून का मौसम जुलाई के पहले सप्ताह के आसपास शुरू होता है, जो वन महोत्सव के उत्सव के साथ मेल खाता है। इस दौरान पौधे लगाने से अन्य महीनों की तुलना में पौधों के जीवित रहने की संभावना अधिक होती है।

इस त्योहार के दौरान, लोग आमतौर पर देशी पेड़ लगाते हैं, क्योंकि वे स्थानीय परिस्थितियों के लिए उपयुक्त होते हैं।  देशी पेड़ जानवरों, पक्षियों, कीड़ों और अन्य जीवित प्राणियों के लिए सबसे अच्छे आश्रय के रूप में काम करते हैं।

भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए, स्थानीय अधिकारी और राज्य सरकारें स्कूलों, कॉलेजों, गैर सरकारी संगठनों और विभिन्न संस्थानों को पौधे वितरित करती हैं। वन महोत्सव न केवल व्यापक वृक्षारोपण को प्रोत्साहित करता है बल्कि यह भी सुनिश्चित करता है कि चुने गए पेड़ पर्यावरण के साथ अच्छी तरह से मेल खाते हैं। ये एक स्वस्थ और अधिक टिकाऊ पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देते हैं।

पर्यावरण को संतुलित रखने के लिए हरियाली बेहद जरूरी है। चूंकि पेड़ पारिस्थितिकी तंत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, इसलिए उनकी रक्षा करना और स्वच्छ, प्रदूषण मुक्त वातावरण बनाना प्रत्येक व्यक्ति की जिम्मेदारी बन जाती है।

दुर्भाग्य से शहरीकरण और औद्योगीकरण के कारण पेड़ों को नियमित रूप से काटा जा रहा है, जिससे वनों की कटाई और पर्यावरण असंतुलन हो रहा है। ग्लोबल फ़ॉरेस्ट वॉच के अध्ययन के अनुसार 2019-2020 में, भारत ने लगभग 38,500 हेक्टेयर ट्रॉपिकल फारेस्ट खो दिया है, जो लगभग 14% वृक्ष आवरण का नुकसान है। इसके परिणामस्वरूप देश के कुल वृक्ष आवरण क्षेत्र में 0.67% की कमी आई और उष्णकटिबंधीय वनों वाले क्षेत्र में 0.38% की गिरावट आई।

पिछले दशक में, वनों की कटाई के कारण वन क्षेत्रों में 16% की कमी आई है।

यह स्पष्ट है कि मानवीय गतिविधियों से वनों को खतरा है।  वन महोत्सव भारत की बहुमूल्य वनस्पतियों को लुप्त होने से बचाने का एक मुख्य प्रयास है।

वन महोत्सव एक विशेष उत्सव है जो हमें हमारे ग्रह के लिए पेड़ों के महत्व की याद दिलाता है। पेड़ न केवल हमें ऑक्सीजन प्रदान करते हैं बल्कि विभिन्न तरीकों से पर्यावरण को संतुलित भी रखते हैं। यह त्यौहार लोगों को एक साथ आने और अधिक पेड़ लगाने के लिए प्रोत्साहित करता है। साथ ही यह वनों की कटाई को रोकने और प्रकृति में संतुलन बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है।

वन महोत्सव के माध्यम से, हम सीखते हैं कि पर्यावरण की रक्षा में हममें से प्रत्येक की भूमिका है।  पेड़ लगाना एक आसान लेकिन शक्तिशाली कार्य है जो हरी और स्वच्छ पृथ्वी में योगदान देता है। हमें वन महोत्सव जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से पेड़ों के महत्व को याद रखना चाहिए। 

Van Mahotsav Essay In Hindi जानने के बाद अब वन महोत्सव पर 10 लाइन्स जानिए, जो नीचे दी गई हैं-

  • भारत में हर साल जुलाई के पहले सप्ताह में वन महोत्सव मनाया जाता है।
  • यह वनों और उनके निवासियों की सुरक्षा और संरक्षण के लिए एक सरकारी पहल है।
  • कृषि मंत्री कन्हैया लाल मुंशी ने 1950 में इस महोत्सव की शुरुआत की थी।
  • इस दिन को वनों का त्यौहार के नाम से भी जाना जाता है।
  • लोग हमारे जीवन में अपनी आवश्यक भूमिका को पहचानने के लिए इस दिन पेड़ लगाते हैं।
  • वन हमें ऑक्सीजन, औषधि, भोजन और अन्य महत्वपूर्ण संसाधन प्रदान करते हैं।
  • उत्सव का उद्देश्य पौधों के महत्व के बारे में जागरूकता पैदा करना और पुनर्वनीकरण को बढ़ावा देना है।
  • पर्यावरण को बेहतर बनाने में पेड़-पौधे अहम भूमिका निभाते हैं।
  • पेड़ों के मूल्य के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए इस उत्सव में सक्रिय भागीदारी आवश्यक है।
  • वन महोत्सव हमारे लिए प्रकृति के संरक्षण के प्रति अपना आभार और प्रतिबद्धता व्यक्त करने का समय है।
   
   

वन महोत्सव प्रतिवर्ष जुलाई के पहले सप्ताह में मनाया जाता है।

भारत सरकार का लक्ष्य वार्षिक वृक्षारोपण अभियान के माध्यम से देश के वन क्षेत्र को बढ़ाना है।  उन्होंने इस परियोजना के लिए लगभग 0.2 बिलियन आवंटित किए हैं और 2030 तक लगभग 95 मिलियन हेक्टेयर वनों को कवर करने के लिए लक्ष्य बनाया है।

उत्तर प्रदेश ने वन महोत्सव सप्ताह 2021 के दौरान 27.9 करोड़ पौधे लगाकर एक प्रभावशाली रिकॉर्ड बनाया।  राज्य के वन विभाग ने सक्रिय रूप से भाग लिया और गंगा और उसकी सहायक नदियों के किनारे 1.3 करोड़ पेड़ लगाए।

आशा है कि आपको इस ब्लाॅग में Van Mahotsav Essay In Hindi के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी। इसी प्रकार के अन्य कोर्स और सिलेबस से जुड़े ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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वन महोत्सव पर निबंध- Essay on Van Mahotsav in Hindi

In this article, we are providing information about Van Mahotsav in Hindi- Essay on Van Mahotsav in Hindi Language. वन महोत्सव पर निबंध- Van Mahotsav Essay in Hindi for Children & Students.

Essay on Van Mahotsav in Hindi

वन महोत्सव पर निबंध- Essay on Van Mahotsav in Hindi

Van Mahotsav Essay in Hindi- वन महोत्सव पर निबंध ( 150 to 200 words )

हमारे देश में पुराने जमाने में बहुत जंगल थे। वे अधिकतर काट लिये गये हैं। नये वृक्ष नहीं लगाये गये। हरियाली समाप्त हो गयी। वर्षा कम हो गयी। देश रेगिस्तिान बनने लगा । इस कमी को पूरा करने के लिए पौधे लगाने और वनों का विस्तार बढ़ाने की आवश्यकता महसूस की गयी। केन्द्र सरकार सन् 1950 से हर साल वन महोत्सव कार्यक्रम देश-भर मनाने लगी। आंध्रप्रदेश सरकार कुछ सालों से इस कार्यक्रम पर जोर दे रही है। विद्यार्थियों और नागरिकों को पौधे लगाने को प्रोत्साहित कर रही है।

वन महोत्सव का मुख्य उद्देश्य जनता को वनों का विस्तार बढ़ाने की आवश्यकता बताना है।

वनों से कई लाभ हैं – 1. पर्यावरण कलुष कम होता है। 2. वन में मिलनेवाली जड़ी-बूटियाँ दवाओं का काम करती हैं। 3. इंधन, कागज, पेंसिल, बक्स, डिब्बे आदि को बनाने के लिए आवश्यक लकड़ी मिलती है। 4. फल, फूल मिलते हैं। 5. बाढ़ रोकने में सहायक हैं। 6. परिसर प्रदेशों को समशीतोष्ण रखते हैं। 7. मिट्टी के कटाव को रोकते हैं।

वन संरक्षण की आवश्यकता को दृष्टि में रखकर हरेक व्यक्ति कमसे-कम एक पौधा डालकर उसको सम्भाले। अपने घर के परिसरों में पौधे डालें और देखभाल के सम्बन्ध में भी श्रद्धा लें।

जरूर पढ़े- पेड़ों का महत्व निबन्ध- Essay On Importance Of Trees in Hindi

Essay on Van Mahotsav in Hindi ( 400 to 500 words )

वन का हमारे जीवन में बहुत महत्व है। यह मनुष्य से लेकर पशु पक्षियों तक सबके लिए उपयोगी है। यह हमसे कभी कुछ नहीं माँगते सिर्फ हमें देते है। पेड़ हमें तपती धूप में छाया , फल फूल आदि प्रदान करते हैं।

हर साल जुलाई के प्रथम सप्ताह में वन महोत्सव मनाया जाता है। 1950 में पेड़ो की कटाई को रोकने के लिए इसकी शुरूआत की गई थी लेकिन उस समय यह सिर्फ कागजों में सिमट कर रह गया था और वनों की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया गया था। यदि कुछ पेड़ लगाए भी गए थे तो उन्हें पानी नहीं दिया गया था जिस वजह से वह पूर्ण रूप से सुख गए थे।उसके बाद इंदिरा गाँधी के बेटे संजय गाँधी ने पेड़ लगाओ कार्यक्रम शुरू किया जिसमें लोगो को ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने के लिए प्रोरित किया गया और बिना सरकार की अनुमति के पेड़ काटने पर पाबंधी लगाई गई । जुलाई अगस्त में वर्षा के समय पेड़ लगाए जाते हैं ताकि पेड़ो को पानी आसानी से मिल सके।

आज के युग में मनुष्य अपने आवास स्थान और उद्योगों को बनाने के लिए वनों को काटता जा रहा है। वह धीरे धीरे पेड़ो का महत्व भूलता जा रहा है। मनुष्य तकनीक की होड़ में भूलता जा रहा है कि पेड़ उसके परम मित्र है। पेड़ उन्हें आजीविका का साधन और ईंधन भी प्रदान करते हैं। पेड़ बहुत से वन्य जीवों का घर है। पेड़ो की कटाई की वजह से बहुत सी वन्य प्रजाति लुप्त होती जा रही है। प्राचीन काल से ही पेड़ मानव जीवन में अहम भूमिका निभाते आए हैं। यह पुजनीय है और इनसे ओषधि भी प्राप्त होती है।

वन महोत्सव मनाने का मुख्य उद्देश्य यह है कि लोगोम रो पेड़ लगाने के लिए प्रेरित किया जा सके जिससे कि प्रदुषण कम हो और श्वास लेने के लिए शुद्ध ऑक्सीजन प्राप्त हो सके। इस सप्ताह लोगोम को पेड़ो के गुण और पेड़ो को काटने से होने वाली हानियों के विषय में बताया जाता है। स्कूल और कॉलेजों में बच्चे मिलकर पौधे लगाते हैं। कुछ संगठन मुफ्त में भी पौधे वितरित करते है। हम सबको हर साल एक पौधा तो अवश्य लगाना चाहिए और उसे पानी देकर उसका विकास करना चाहिए। आज का लगाया हुआ पौधा हमें कल को बहुत लाभ देगा। पेड़ वर्षा कराने में भी सहायक है जो कि तपती धरती को लिए बहुत जरूरी है। ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाओ और वातावरण को स्वच्छ बनाओ।

Essay on Tree Plantation in Hindi- वृक्षारोपण पर निबंध

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1 thought on “वन महोत्सव पर निबंध- Essay on Van Mahotsav in Hindi”

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thanks for sharing this information.have shared this link with others keep posting such information..

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वन महोत्सव पर निबंध

van mahotsav essay in hindi 200 words

By विकास सिंह

essay on van mahotsav in hindi

वन महोत्सव पर निबंध, essay on van mahotsav in hindi – 1

भारत में ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में वनों की कटाई की बढ़ती समस्या के बारे में हम सभी जानते हैं। भारतीय वन सर्वेक्षण (एफएसआई) सर्वेक्षण के अनुसार – पिछले 30 वर्षों में, हरियाणा के क्षेत्रफल के लगभग दो तिहाई वनों को खो दिया गया है। इसका मुख्य कारण अतिक्रमण (15,000 वर्ग किमी) और 23,716 में औद्योगिक परियोजनाओं (14,000 वर्ग किमी) हैं। कुल वन और वृक्ष का आवरण 802,088 वर्ग किमी में फैला हुआ है, जो देश के भौगोलिक क्षेत्र का 24.39 प्रतिशत है।

भारतीय वन विभाग के अनुसार, प्रत्येक पेड़ गिरने के लिए, इसके नुकसान की भरपाई के लिए दस पेड़ पौधे लगाए जाने चाहिए। लेकिन इस प्रथा का पालन शायद ही कभी किया जाता है। हम सभी जानते हैं कि, वन हमें पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने और कार्बन पैरों के निशान को कम करने में मदद करते हैं। हालांकि, बिना सोचे समझे मीलों तक के जंगलों को जला दिया जाता है या हज़ारों पेड़ों को काट दिया जाता है।

वृक्ष के महत्व को मनाते हुए, वन महोत्सव की शुरुआत वर्ष 1950 में हमारे वनों को उगाने और बचाने के महत्व को मनाने और वनों की कटाई के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए की गई थी। यह जुलाई के महीने में एक वार्षिक वृक्षारोपण उत्सव है। इस त्यौहार के दौरान पूरे भारत में हज़ारों पेड़ लगाए जाते हैं। यह उस समय के कृषि और खाद्य मंत्री के एम मुंशी द्वारा शुरू किया गया था, ताकि वे जागरूकता पैदा कर सकें और जंगलों के संरक्षण और नए पेड़ों के रोपण का महत्व समझ सकें।

वन महोत्सव नाम का अर्थ है ‘पेड़ों का त्योहार’। इसकी शुरुआत जुलाई 1947 में दिल्ली में डॉ राजेंद्र प्रसाद और जवाहरलाल नेहरू जैसे राष्ट्रीय नेताओं द्वारा रोपित वृक्षारोपण अभियान के बाद हुई। यह त्योहार भारत में कई राज्यों में एक साथ मनाया जाता था। तब से, विभिन्न प्रजातियों के हजारों पौधे स्थानीय लोगों और वन विभाग जैसी विभिन्न एजेंसियों की ऊर्जावान भागीदारी के साथ लगाए जाते हैं।

डॉ. मुंशी द्वारा वन महोत्सव की कल्पना करने वाले अन्य कारणों में से कुछ थे:

  • फलों का उत्पादन बढ़ाने के लिए, जिन्हें देश के संभावित खाद्य संसाधनों में जोड़ा जा सकता है।
  • अपनी उत्पादकता बढ़ाने के लिए कृषि क्षेत्रों के आस-पास आश्रय-स्थल बनाने में मदद करें।
  • आरक्षित वनों पर चराई की तीव्रता को राहत देने के लिए मवेशियों के लिए चारे की पत्तियां प्रदान करें।
  • मृदा संरक्षण को बढ़ावा देना और मृदा की उर्वरता को और बिगड़ने से रोकना।

इसमें कोई संदेह नहीं है, सरकारें, द वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फंड और अमेज़ॅन वॉच आदि जैसे गैर-लाभकारी संगठन, वनों की कटाई से लड़ने और जागरूकता बढ़ाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। लेकिन एक वास्तविक प्रभाव बनाने के लिए, हम सभी को अपनी और से योगदान देना होगा।

यहां कुछ ऐसे उपाय दिए गए हैं जो हर व्यक्ति एक बेहतर प्रकृति बनाने के लिए उपयोग कर सकता है:

  • एक पेड़ लगाने के लिए अपने समुदाय में अपने दोस्तों को प्रोत्साहित करें और अपने स्थानीय जंगल को सुरक्षित रखने में मदद करें (यदि आपके पास अपने क्षेत्र में एक है)। हर पेड़ को बचाने की कोशिश करें।
  • उन कंपनियों पर दबाव डालें जो वनों को नष्ट नहीं कर रही हैं, उनसे खरीदकर अपने उत्पादों का निर्माण कर रही हैं।
  • शून्य वनों की कटाई की नीतियों और पर्यावरण के अनुकूल उत्पादों के साथ ब्रांडों का समर्थन करें और लोगों को भी ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित करें। जागरूक रहें और पूछें कि आपके द्वारा खरीदे जाने वाले उत्पादों को कैसे बनाया जा रहा है।
  • पर्यावरण के अनुकूल बनें। पेड़ों से अधिक कच्चे माल की आवश्यकता को कम करने के लिए 3 आर – कम उपयोग, पुन: उपयोग और रीसायकल का अभ्यास करें।

वन महोत्सव पर निबंध, essay on van mahotsav in hindi – 2

वन महोत्सव या पेड़ों का त्योहार भारत में जुलाई के पहले सप्ताह में मनाया जाने वाला त्योहार है। इस उत्सव की शुरुआत 1950 में डॉ। के.एम. मुंशी उस समय के दौरान भारत के कृषि मंत्री द्वारा की गयी थी और इस दिवस पर उत्सव के रूप में, वन महोत्सव सप्ताह में देश भर से सभी आयु वर्ग के लोगों द्वारा लाखों पौधे लगाए जाते हैं।

पूरे देश में, लोगों को पेड़ लगाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। यह प्रथा पूरे देश के स्कूलों द्वारा देखी जाती है। स्कूल आमतौर पर इस दिन को एक आधा दिन घोषित करते हैं जहां कक्षाएं निलंबित कर दी जाती हैं और छात्रों को पेड़ लगाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। यह छात्रों को बेहतर नागरिक बनाने में मदद करता है और पेड़ों को काटने के प्रतिकूल प्रभावों के बारे में जागरूकता भी फैलाता है।

पूरे देश में जागरूकता अभियान चलाए जाते हैं और एनजीओ द्वारा विभिन्न अभियान चलाए जाते हैं ताकि लोगों को पेड़ लगाने की प्रक्रिया में भाग लेने में मदद मिल सके। यह अभ्यास हर साल होता है और हमारे देश की हरियाली के संरक्षण में मदद करता है। औद्योगीकरण में तेजी और इतने सारे कारखानों के निर्माण के कारण प्रकृति का संरक्षण हमारे जीवन का एक बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है, वनों का संरक्षण प्रमुख चिंता का विषय बन गया है।

इस त्योहार को जुलाई के महीने में मनाए जाने के कारण जो मानसून के मौसम की शुरुआत है, पेड़ लगाना फायदेमंद साबित होता है। पेड़ों का रोपण अन्य उद्देश्यों की पूर्ति भी करता है जैसे कि वैकल्पिक ईंधन विकल्प प्रदान करना, मवेशियों के लिए भोजन, मिट्टी के संरक्षण में मदद करता है और किसी भी चीज़ से अधिक प्राकृतिक सौंदर्य प्रदान करता है।

पेड़ों के रोपण से मिट्टी के कटाव से बचने में मदद मिलती है जिससे बाढ़ आ सकती है। साथ ही, वृक्षारोपण ग्लोबल वार्मिंग को धीमा करने में बेहद प्रभावी हो सकता है और वायु प्रदूषण को कम करने में पेड़ भी प्रदूषण को कम करने में मदद करते हैं।

पेड़ों की लगातार कटाई अब लंबे समय से एक समस्या है और इसके परिणामस्वरूप हमारे लिए उसी के लिए जागरूकता पैदा करना बेहद महत्वपूर्ण है। और सभी को कोशिश करनी चाहिए और इस अभ्यास में खुद को सक्रिय रूप से शामिल करना चाहिए।

वन विभाग के अनुसार हर पेड़ को गिराने से हुए नुकसान की भरपाई के लिए दस पेड़ों दस पेड और लगाने चाहिए ताकि प्रकृति और मनुष्यों को कोई नुक्सान न हो। हालांकि हमें पेड़ लगाने के लिए वन महोत्सव का इंतज़ार नहीं करना चाहिए बल्कि अपने जन्मदिन या ऐसे किसी भी ख़ुशी के मौके को पेक पेड़ लगाकर मनाना चाहिए ताकि मानवता का भला हो सके और वातावरण बेहतर बन सके।

[ratemypost]

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विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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Easy paragraph Nahin hai Van mahotsav mein

वन महोत्सव जैसे इवेंट्स को हमेशा बढ़ावा मिलना चाइये। हमारी संस्कृति भी हमेशा वनो को महत्व देती आइ है।आर्टिकल मै ज्यातादर आपने इसे कवर किया है।

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Short Essay

Van Mahotsav Essay – 10 Lines, 100, 500, 1000 Words

Van Mahotsav Essay: Embark on an insightful journey into the significance of afforestation and environmental conservation with our “Van Mahotsav Essay.” This comprehensive piece explores the essence of Van Mahotsav, the annual tree-planting festival in India.

Delve into the history, objectives, and the vital role of afforestation in combating climate change. Learn about the celebratory traditions, community involvement, and the collective responsibility to nurture and protect our forests. This Van Mahotsav Essay serves as a call to action, highlighting the importance of sustainable practices and the profound impact of trees on our ecological well-being.

Van Mahotsav Essay in 100 Words

Table of Contents

Van Mahotsav Essay in English in 10 Lines

Discover the essence of environmental conservation and afforestation in our concise “Van Mahotsav Essay ,” exploring the significance, history, and collective responsibility in ten succinct lines.

  • Van Mahotsav, the annual tree-planting festival in India, celebrates the importance of afforestation.
  • Originating in 1950, the festival aims to promote environmental awareness and conservation.
  • The week-long celebration involves planting millions of saplings across the country.
  • Trees play a crucial role in combating climate change by absorbing carbon dioxide.
  • Van Mahotsav emphasizes the significance of trees in maintaining ecological balance.
  • Afforestation helps prevent soil erosion, conserve water, and protect biodiversity.
  • Community participation is integral, fostering a sense of environmental responsibility.
  • The festival promotes sustainable practices and the need to preserve our green cover.
  • Van Mahotsav serves as a reminder of the collective responsibility to safeguard nature.
  • The event underscores the profound impact of trees on our well-being and the planet’s health.

Also See – Shivaji Jayanti Essay – 100, 500, 1000 Words & 10 Lines

Van Mahotsav Essay in 100 Words – Short Essay

This short Van Mahotsav Essay encapsulates the importance of trees in combating climate change, maintaining ecological balance, and fostering community participation for a sustainable future.”

Van Mahotsav, an annual tree-planting festival in India since 1950, signifies a collective commitment to environmental conservation. This short essay highlights the importance of afforestation, emphasizing the role of trees in absorbing carbon dioxide, preventing soil erosion, and sustaining biodiversity.

The festival, celebrated with community participation, promotes environmental awareness and underscores the need for sustainable practices.

Van Mahotsav serves as a reminder of our collective responsibility to nurture and protect our green cover, acknowledging the profound impact of trees on ecological balance and the well-being of our planet.

Van Mahotsav Essay in 500 Words in English

Delve into the comprehensive exploration of Van Mahotsav , the annual tree-planting festival in India, in our 500-word Van Mahotsav Essay, unraveling its origins, objectives, environmental impact, and the importance of afforestation for a sustainable future.

Van Mahotsav: Cultivating a Greener Future

Van Mahotsav, an annual tree-planting festival in India, is more than just a celebration; it is a poignant reminder of our responsibility towards the environment. Initiated in 1950 by Dr. K. M. Munshi, the festival aims to address the escalating challenges of deforestation and climate change.

At its core, Van Mahotsav is a collective commitment to nurture nature, recognizing the pivotal role trees play in maintaining ecological balance. The week-long celebration involves the planting of millions of saplings across the country, contributing to the expansion of green cover and fostering a culture of afforestation.

The historical roots of Van Mahotsav are deeply embedded in the foresight of Dr. Munshi, the Union Minister for Agriculture and Food at the time. Witnessing the environmental threats posed by rampant deforestation, he envisioned a festival that would not only raise awareness but also actively engage communities in the process of afforestation.

The festival’s origin reflects a visionary approach to addressing environmental challenges through sustained and collective efforts.

Afforestation, the primary focus of Van Mahotsav, holds immense importance in the fight against climate change. Trees act as carbon sinks, absorbing carbon dioxide and releasing oxygen during photosynthesis. Van Mahotsav emphasizes the need for afforestation to counteract the adverse effects of climate change, reduce air pollution, and support overall environmental health. The festival serves as a platform to educate individuals about the significance of planting trees and the positive impact it has on the ecosystem.

The impact of Van Mahotsav extends beyond the immediate act of planting saplings. Afforestation contributes to preventing soil erosion, conserving water, and promoting biodiversity.

Trees play a crucial role in sustaining the delicate balance of ecosystems, and Van Mahotsav highlights the broader environmental benefits derived from planting and preserving trees. The festival serves as an integral part of the larger environmental conservation efforts, emphasizing the interconnectedness of nature.

One of the distinctive features of Van Mahotsav is the active involvement of communities. Schools, colleges, non-governmental organizations, and governmental bodies participate in tree-planting drives.

This collective participation fosters a sense of environmental responsibility, encouraging people to take ownership of their surroundings. The festival becomes a community-driven initiative, reinforcing the idea that every individual has a role to play in building a sustainable and green future.

Beyond its practical implications, Van Mahotsav holds symbolic importance. It represents a collective resolve to address environmental challenges and safeguard the well-being of future generations.

The festival encourages individuals to reflect on their relationship with nature and the impact of human activities on the environment. It serves as a call to action, urging everyone to become stewards of the earth, actively contributing to the preservation and restoration of our natural resources.

While Van Mahotsav has made significant strides in promoting afforestation, challenges such as illegal logging and habitat destruction persist. Continued efforts are needed to address these challenges, and the festival serves as a platform to advocate for policies that protect and preserve forests.

Van Mahotsav stands as a beacon of hope in the face of environmental challenges, reminding us that our collective efforts, manifested through tree planting and sustainable practices, are integral to ensuring a greener, healthier planet for generations to come.

1000 Words Van Mahotsav Essay

Explore the multifaceted significance of Van Mahotsav, the annual tree-planting festival in India, in our comprehensive 1000-word essay, delving into its historical roots, objectives, environmental impact, community participation, and the crucial role of afforestation for a sustainable future.

Van Mahotsav: Nurturing Nature for Sustainable Tomorrow

Introduction

Van Mahotsav, an annual tree-planting festival in India, transcends the boundaries of a mere celebration. Since its inception in 1950, this festival has grown into a symbol of collective responsibility towards the environment. This comprehensive essay explores the essence of Van Mahotsav, its historical roots, objectives, environmental impact, community participation, and the imperative role of afforestation in fostering a sustainable future.

Historical Roots and Genesis

  • Origins of Van Mahotsav: Van Mahotsav owes its existence to the visionary foresight of Dr. K. M. Munshi, the Union Minister for Agriculture and Food in 1950. Concerned about the escalating threats of deforestation and its ramifications, Dr. Munshi conceived a festival that would not only raise awareness about environmental issues but actively involve communities in the process of afforestation.
  • Historical Significance: The historical roots of Van Mahotsav are deeply embedded in the post-independence era when India was grappling with the challenges of economic development and environmental conservation. The festival’s genesis reflects a conscious effort to address the adverse effects of deforestation and promote sustainable forestry practices.

Objectives of Van Mahotsav

  • Promoting Environmental Awareness: At its core, Van Mahotsav aims to promote environmental awareness and instill a sense of responsibility towards nature. It serves as a platform to educate individuals about the significance of trees in maintaining ecological balance, combating climate change, and sustaining biodiversity.
  • Afforestation as a Primary Objective: The primary objective of Van Mahotsav is to encourage afforestation, the process of establishing a forest. Afforestation is pivotal in addressing environmental challenges, and the festival actively advocates for the planting of millions of saplings across the country during its week-long celebration.

Importance of Afforestation

  • Countering Climate Change: Afforestation plays a crucial role in countering climate change by serving as a natural carbon sink. Trees absorb carbon dioxide during photosynthesis and release oxygen, contributing to a reduction in greenhouse gas emissions. Van Mahotsav underscores the critical role of afforestation in mitigating the adverse effects of climate change.
  • Environmental Health and Air Quality: The festival emphasizes the role of trees in maintaining overall environmental health. Trees act as natural air purifiers, filtering pollutants and improving air quality. Afforestation, as advocated by Van Mahotsav, becomes instrumental in creating healthier living environments.

Community Participation

  • Involvement of Schools and Educational Institutions: A distinctive feature of Van Mahotsav is the active involvement of communities. Schools, colleges, and educational institutions play a pivotal role in the festival. Tree-planting drives are organized, fostering a sense of environmental responsibility among students and educators.
  • Non-Governmental Organizations (NGOs) and Government Bodies: Beyond educational institutions, non-governmental organizations (NGOs) and governmental bodies actively participate in Van Mahotsav. The collaborative efforts of these organizations amplify the impact of the festival, turning it into a community-driven initiative.
  • Environmental Impact of Van Mahotsav: Preventing Soil Erosion and Conserving Water: Afforestation, as promoted by Van Mahotsav, contributes significantly to preventing soil erosion. The roots of trees anchor the soil, reducing the risk of erosion. Additionally, trees play a crucial role in conserving water by preventing runoff and enhancing groundwater recharge.
  • Biodiversity Conservation: Van Mahotsav underscores the importance of trees in promoting biodiversity. Forests created through afforestation become habitats for diverse flora and fauna, fostering a delicate balance in ecosystems. The festival serves as a reminder of the broader environmental benefits derived from planting and preserving trees.

Symbolic Importance of Van Mahotsav

  • Collective Resolve to Address Environmental Challenges: Beyond its practical implications, Van Mahotsav holds symbolic importance. It represents a collective resolve to address environmental challenges and safeguard the well-being of future generations. The festival encourages individuals to reflect on their relationship with nature and the impact of human activities on the environment.
  • Call to Action: Van Mahotsav serves as a powerful call to action, urging everyone to become stewards of the earth actively contributing to the preservation and restoration of our natural resources. The symbolic significance of the festival lies in its ability to mobilize individuals towards a shared commitment to environmental stewardship.

Challenges and Future Outlook

  • Illegal Logging and Habitat Destruction: While Van Mahotsav has made significant strides in promoting afforestation, challenges such as illegal logging and habitat destruction persist. The festival becomes an opportune platform to address these challenges and advocate for policies that protect and preserve forests.
  • Continued Efforts for Sustainable Practices: The essay acknowledges that continued efforts are needed to ensure the success of afforestation initiatives. Sustainable practices in forestry, responsible consumption of wood products, and reforestation are integral components of the future outlook for environmental conservation.

Beacon of Hope: In conclusion, Van Mahotsav stands as a beacon of hope in the face of environmental challenges. This essay has navigated through its historical roots, objectives, environmental impact, community participation, and the imperative role of afforestation. Van Mahotsav serves as a reminder that our collective efforts, manifested through tree planting and sustainable practices, are integral to ensuring a greener, healthier planet for generations to come. The festival encapsulates the spirit of environmental stewardship, emphasizing the interconnectedness of nature and the profound impact of afforestation on the ecological well-being of our planet.

Van Mahotsav emerges as a powerful catalyst for environmental consciousness and action. Beyond its celebratory nature, the festival embodies a collective commitment to safeguarding our planet.

The Van Mahotsav Essay has illuminated the historical roots, objectives, and the transformative impact of afforestation promoted by Van Mahotsav. As a symbol of hope, the festival calls upon individuals and communities to embrace their role as stewards of the environment, fostering a sustainable tomorrow through the nurturing of nature.

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Hindi Essay on “Vriksharopan”, “Van-Mohotsav” , ”वृक्षारोपण”,”वन-महोत्सव” Complete Hindi Essay for Class 9, Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

वृक्षारोपण या वन-महोत्सव

Vriksharopan ya Van-Mohotsav

वृक्ष समस्त प्राणी जगत के श्रेष्ठ साथी और सहचर माने गए हैं। वृक्षों के समूह को वन, उपवन, जंगल कुछ भीकहकर पुकारा जा सकता है। वृक्षों को प्रकृति के राजकुमार और वनों, उपवनों या जंगलों को उनकी जन्मभूमि कह सकते हैं। दूसरे शब्दों में वृक्षों के समूह से ही वन बनते हैं और वन प्रकृति के जीवनदाययक सौंदर्य का साकार रूप हुआ  करते हैं। वृक्ष और वन हमें अनेक प्रकार के फल-फूल, छाया, लकड़ी हवा आदि तो देते ही हैं, जिसे हम प्राणवायु या जीवनदायिनी शक्ति कहते हैं, उसका स्त्रोत भी वास्तव में वन और वृक्ष ही हैं। इतना ही नहीं, धरती और उस पर स्थित अनेक रंग-रूपों वाली सृष्टि का आज तक जो संतुलन बना हुआ है, उसका मूल कारण भी वन और वृक्ष ही हैं। धरती पर लगे कल-कारखाने या अन्य प्रकार के तत्व जो अनेक प्रकार के प्रदूषित तत्व, गंदी हवांए, दमघोंटू गैसें या इसी प्रकार के अन्य विषैले तत्व उगलते रहते हैं, समस्त मानव-जीवन और प्राणी जगत की उन सबसे रक्षा भी निश्चय ही वन और वृक्ष ही कर रहे हैं। उनका अभाव सर्वनाश का कारण बन सकता है यह तथ्य सभी लेग मुक्तभाव से स्वीकार करते हैं।

वनों-वृक्षों का महत्व मात्र इतना ही नहीं है। हमारे लिए अन्न-जल की व्यवस्था सांस ले पाने का सुप्रबंध भी यही करते हैं। वर्षा का कारण भी ये वन-वृ़क्ष ही हैं जो धरती को हरियाली प्रदान कर, अन्न-जल का उत्पदान कर हमारा भरण-पोषण करते हैं। सोचिए, यदि वर्षा न हो तो एक दिन सारी नदियां, कुंए और पानी के स्त्रोत सूख जाएंगे। समुद्र तक अपना अस्तित्व खो बैठेगा। धरती बंजर और फिर धीरे-धीरे राख का ढेर बनकर रह जाएगी। स्पष्ट है कि वन और वृक्षों का अस्तित्व धरती और उस पर हने वाले प्राणी जगत के लिए कितना महत्वपूर्ण और आवश्यक है। उनका अभाव जो स्थिति ला सकता है, उसकी कल्पना अत्यंत लोमहर्षक है।

वनों, वृक्षों का महत्व जानते-समझते हुए भी आज हम कुछ पैसें के लोभ के लिए उन्हें काटकर जलाते, बेचते या अन्य तरह से प्रयोग करते जाते हैं। इससे नदियों, पर्वतों आदि का संतुलन तो बिगडृ ही रहा है प्रकृति ओर सारे जीवन का संतुलन भी बिगडक़र प्रदूषण का प्रकोप निरंतर बढ़ता जा रहा है। गीले पर्वतों और जल स्त्रोंतों के अपासपास उगे वनों-वृ़क्षों को काट डालने का यही परिणाम है कि अब बाढ़ों का प्रकोप कहीं अधिक झेलना पड़ता है। मौसम में वर्षा नहीं होती, जिससे सूखे के थपेड़े सहने पड़ते हैं। वन-वृक्ष अवश्य काटने और उनकी लकड़ी हमारे उपयोग के लिए ही है, पर हमारा यह भी तो कर्तव्य बन जाता हेह्व कि यदि एक वृक्ष काटते हैं तो उसके स्थान पर एक अन्य उगांए भी। परंतु हम तो वनों को मैदानों और बस्तियों के रूप में बदलते जा रहे हैं। आखिर ऐसा कब तक चल सकेगा? निश्चय ही अधिक चलने वाला नहीं, इस बात को आज के ज्ञानी-विज्ञानी मानव ने अच्छी प्रकार समझ लिया है। तभी तो आज न केवल हमारे देश बल्कि विश्व के सभी देशों में वृक्ष लगाने की प्रक्रिया वन महोत्सव के रूप में मनाई जाने लगी है। पेड़ उगा, वनों को फिर से उगा हम उन पर नहीं, बल्कि अपने पर ही कृपा करेंगे। अपनी भाव सुरक्षा को योजना ही बनाएंगे।

भारत में वनों-व़क्षों की कटाई अंधाधुंध हुई है। फलत: प्राकृतिक संतुलन बिगड़ चुका है। इसे जान लेने के बाद ही आज हमारे देश में प्रगति और विकास के लिए सरकारी या संस्थागत रूप में जो अनेक प्रकार के कार्यक्रम चल रहे हैं, वृक्ष उगाना और वन-संवर्धन भी उनमें से एक प्रमुख कार्य है। प्राय: हर वर्ष लाखों-करोड़ों की संख्या में वृक्षों वनों की पौध रोपी जाती है। पर खेद के साथ कहना पड़ता है पौध-रोपन के बाद हम अपना कर्तव्य भूल जाते हैं। रोपित पौध का ध्यान नहीं रखते। उसे या तो आवारा जानवर चर जाते हैं या पानी के अभाव में सूख-मुरझाकर समाप्त हो जाते हैं। यदि सचमुच हम चाहते हैं कि मानव-जाति और उसके अस्तित्व की आधार-स्थली धरती, प्रकृति का संतुलना बना रहे, तो हमें काटे जा रहे पेड़ों के अनुपात से कहीं अधिक पेड़ उगाने होंगे। उनके संरक्षण एंव संवद्र्धन का प्रयास भी करते रहना होगा। अनावश्यक वन-कटाव कठोरता से रोकना होगा। इसके सिवा समस्त प्राणी जगत रक्षा और प्रकृति का संतुलन बनाए रखने का अन्य कोई चारा या उपाय नहीं।

इस प्रकार वृक्ष रोपण या वन-महोत्सव का महत्व स्पष्ट है। हमने सार्थक रूप से वन-महोत्सव आज इसलिए मना और उसके साथ जुड़ी भावना को साकार करना है, ताकि मानव-जीवन भविष्य में भी हमेशा आनंद-उत्सव मना सकने योज्य बना रह सके। वह स्वंय ही घुटकर दम तोडऩे को बाध्य न हो जाए। सजग-साकार रहकर फल-फूल सके। प्रगति एंव विकास के नए अध्याय जोड़ सके और बन सके मानवता का नवीन, सुखद इतिहास।

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वन महोत्सव पर निबंध 2022 -23 Van Mahotsav Par Nibandh in Hindi – Van Mahotsav Day Essay for School Students & Teachers

वन महोत्सव पर निबंध

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वन महोत्सव पर निबंध इन हिंदी

वन महोत्सव कब मनाया जाता है : वन महोत्सव सप्ताह भारत में 1 जुलाई 2020 से 7 जुलाई 2020  तक मनाया जाएगा| अक्सर class 1, class 2, class 3, class 4, class 5, class 6, class 7, class 8, class 9, class 10, class 11, class 12 के बच्चो को कहा जाता है वन महोत्सव सप्ताह पर निबंध लिखें| आइये देखें essay on van mahotsav, Van Mahotsav Shayari in Hindi , van mahotsav essay in kannada language,  Van Mahotsav Wishes , in odia, वन महोत्सव पर कविता , van mahotsav essay pdf, Van Mahotsav Speech in Hindi , van mahotsav essay in hindi language, van mahotsav essay in telugu, ppt, in kannada pdf, वन महोत्सव फोटो , van mahotsav essay in telugu language, Van Mahotsav Quotes in Hindi , in hindi pdf, van mahotsav essay in punjabi, Van Mahotsav Week हिंदी में 100 words, 150 words, 200 words, 400 words जिसे आप pdf download भी कर सकते हैं|

वन महोत्सव जुलाई के पहले सप्ताह में मनाया भारत में एक वार्षिक पेड़ लगाकर त्योहार है . इस आंदोलन कृषि के लिए भारत के केन्द्रीय मंत्री , Kulapati Dr.KM मुंशी द्वारा वर्ष 1950 में शुरू किया गया था .यह पर्व अपार राष्ट्रीय महत्व प्राप्त की है और हर साल , पौधे के लाखों वन महोत्सव सप्ताह के अवलोकन में पूरे भारत भर में लगाए हैं . यह भारत के प्रत्येक नागरिक को वन महोत्सव सप्ताह में एक पौधा संयंत्र के लिए है कि उम्मीद है. यह घरों में पेड़ या पौधे लगाकर वन महोत्सव का जश्न मनाने trees.People के नीचे काटने की वजह से नुकसान के बारे में लोगों के बीच फैल जागरूकता में मदद करता है , कार्यालयों , आदि स्कूलों , कॉलेजों , जागरूकता अभियान विभिन्न स्तरों पर आयोजित की जाती हैं . पेड़ों के मुक्त संचलन जैसे उपन्यास प्रोन्नति भी विभिन्न संगठनों और स्वयंसेवकों से लिया जाता है . त्योहार के दौरान पेड़ों का रोपण वैकल्पिक ईंधन उपलब्ध कराने जैसे विभिन्न प्रयोजनों के कार्य करता है , खाद्य संसाधनों के उत्पादन में वृद्धि , मवेशियों के लिए भोजन उपलब्ध कराने , उत्पादकता बढ़ाने के लिए खेतों के चारों ओर आश्रय बेल्ट बनाने में मदद करता छाया और सजावटी परिदृश्य प्रदान करता है , आदि , मिट्टी गिरावट संरक्षण में मदद करता है पेड़ों ग्लोबल वार्मिंग को रोकने और प्रदूषण को कम करने के लिए सबसे अच्छा उपाय कर रहे हैं जैसे त्योहार , लोगों के बीच पेड़ों की जागरूकता को शिक्षित और रोपण और पेड़ों के रखरखाव की जरूरत चित्रण. वन महोत्सव के जीवन का एक उत्सव के रूप में मनाया जाता है. भारत में यह धरती मां को बचाने के लिए एक अभियान के रूप में शुरू किया गया था . नाम वन महोत्सव ” पेड़ों के त्योहार ” का मतलब है. एक समृद्ध वृक्षारोपण ड्राइव डॉ. राजेंद्र प्रसाद और जवाहरलाल नेहरू जैसे राष्ट्रीय नेताओं ने भाग लिया , जिसमें दिल्ली में शुरू किए जाने के बाद यह जुलाई 1947 में शुरू हुआ . त्योहार एक साथ भारत में राज्यों की संख्या में मनाया गया. तब से, विभिन्न प्रजातियों के पौधे के हजारों वन विभाग की तरह स्थानीय लोगों और विभिन्न एजेंसियों के ऊर्जावान भागीदारी के साथ लगाए हैं .

Van Mahotsav Par Nibandh in Hindi

Van Mahotsav essay in hindi

हम लोग अपने जीवन में कई प्रकार से उत्सव मनाते हैं । पारिवारिक सामाजिक धार्मिक एवं राष्ट्रीय उत्सवों में लोग बढ़-चढ़कर भाग लेते हैं । परंतु वन महोत्सव इस सबसे बढ़कर ऐसा उत्सव है जो हमारे जीवन को सच्चा सुख प्रदान करता है । यह महोत्सव हमें प्रकृति से जोड़ता है । यह हमें याद दिलाता है कि हे मानव, वनों के बिना तेरा कल्याण नहीं है । वन समस्त प्राणी जगत् के उत्तम साथी हैं । वृक्षों का समूह जो कि वन कहलाता है हमारे जीवन के आधार हैं । वृक्षों के बदौलत ही हमारी धरती हरी-भरी है । वन, उपवन, बाग-बगीचे पृथ्वी पर जीवन और सौंदर्य के साकार रूप हैं । इनकी रक्षा के लिए प्रयत्न करना आवश्यक है । नए-नए वृक्षों को लगाकर वनों को घना करना वन क्षेत्र बढ़ाना वन महोत्सव का एक अंग है । जब हम वनस्पतियों के अस्तित्व के बारे में सोचते हैं तो असल में हम अपने अस्तित्व के लिए ही सोचते हैं । वृक्ष हमें फल-फूल छाया लकड़ी आदि देते हैं । ये हमें प्राणवायु और जीवनदायी शक्ति देकर हमें उपकृत करते हैं । हमारे देश में वनों के पेड़ों की बेहिसाब कटाई हुई है । वन अपनी प्राकृतिक शोभा खोते जा रहे हैं । यहाँ के कटे पेड़ चीख-चीखकर अपनी दर्दभरी दास्तान बता रहे हैं । वन्य पशु-पक्षी भी आहत हैं क्योंकि उनका प्राकृतिक आवास विकास की भेंट चढ़ चुका है । वनों को काटकर कृषि भूमि की तलाश की जाती है । झूम खेती इसी का एक वीभत्स रूप है । इतना ही नहीं जहाँ कभी घने वन थे वहाँ आज अट्टालिकाएँ हैं, कल-कारखाने हैं । यदि ऐसा ही होता रहा तो एक दिन स्थिति बहुत गंभीर हो जाएगी । धरती पर गरमी बढ़ेगी ऊँचे पहाड़ों के बरफ पिघलेंगे बाढ़ और सूखे की जटिल स्थितियों से हमें निरंतर जूझना पड़ेगा । वनों के अभाव में हमें अधिक प्रदूषित वायु में साँस लेना पड़ेगा । वर्षा का कारण भी ये वन-वृक्ष ही हैं । ये रेगिस्तानों का विस्तार रोकते हैं । वन महोत्सव एक युक्ति है प्राकृतिक सतुलन को बनाए रखने की । इसीलिए पर्यावरण प्रेमियों ने वृक्षारोपण को एक उत्सव का एक महोत्सव का नाम दिया । सामूहिक रूप से पेड़-पौधे लगाना वन महोत्सव का हिस्सा है । इस महोत्सव में आम लोगों की भागीदारी आवश्यक है । इस कार्य में उन लोगों का सहयोग भी अपेक्षित है जो वन क्षेत्र के आस-पास रहते हैं । ये लोग ही वनों की रक्षा मे सबसे अधिक सहयोग दे सकते हैं । हमारे देश में वन महोत्सव मनाया जाने लगा क्योंकि हमें पेड़-पौधों के महत्त्व का पता चल गया वन महोत्सव के माध्यम से वृक्षारोपण का नेक संदेश आम नागरिकों नक आसानी से पहुँचाया जा सकता है । वृक्ष लगाने की प्रक्रिया वन महान्मत्र क रूप में आरंभ की जा सकती है । हमारी आज की आवश्यकताएँ ही कुछ ऐसी है कि वन-वृक्षों की कटाई के बिना काम नहीं चल सकता । साथ-साथ हमारा यह कर्त्तव्य बनता है कि एक कटे पेड़ के स्थान पर दो पेड़ लगाए जाएँ, उनकी उचित देखभाल भी की जाए । अधिकांश रोपित पौधे जल के अभाव में सूख जाते हैं अथवा उन्हें पशु चर जाते हैं । ऐसे में पेड़ लगाने का लाभ भी समाप्त हो जाता है । इस पूरे घटनाक्रम को समझते हुए हमें वृक्षों के संरक्षण एव संवर्धन का दायित्व निभाना होगा । यदि हम अपना भविष्य सँवारना चाहते हैं और यदि भविष्य में भी आनंद-उत्सव मनाने की कामना करते हैं तो आज से ही वृक्षारोपण की प्रक्रिया आरंभ करनी होगी ।

Van Mahotsav short essay in hindi

वृक्ष हमारे जीवन में एहम भूमिका निभाते हैं यह हमारे द्वारा छोड़े गए कार्बनडाईऑक्साइड गैस को खींच लेते हैं और हमें ओक्सिजन देते हैं। मानव जीवन में वृक्षों का विशेष महत्व है। वन महोत्सव भारत में जुलाई महीने के पहले सप्ताह को मनाया जाता है इन दिनों देश भर में लाखों की संख्या में पेड़ -पौधे लगाए जाते हैं। कुछ वर्षों में जंगलों और वृक्षों की होती अँधा -धुंध कटाई के कारण वातावरण का संतुलन बिगड़ गया है और मौसम में काफी बदलाव आ गया है लगातार तापमान में बढ़ोतरी हो रही है को देखते हुए वृक्ष लगाना अनिवार्य हो गया है। वृक्षों की कटाई के कारण कुदरत इसका बदला हमसे ले रही है बाढ़ , सूखा ,फैलता हुआ प्रदूषण आदि के रूप में हमें परिणाम मिल रहे हैं। वन महोत्सव सन 1950 में शुरू किया गया था हमारे भारत देश में पेड़ों की विशेष रूप से पूजा की जाती है यहां के लोग पेड़ों को देवता के रूप में पूजते हैं कुछ पेड़ों की पत्तियां और टहनियों को तो विशेष पूजा में इस्तेमाल किया जाता है जिससे ज्ञात होता है के प्राचीन समय से ही मनुष्य पेड़ों की पूजा अर्चना करता आ रहा है। इसीलिए मनुष्य को वृक्षों के महत्व को समझना चाहिए ता जो वृक्षों की कटाई को रोका जा सके और हर वर्ष वन महोत्सव के दिनों में लाखों पेड़ -पौधे लगाकर लोगों को इनके प्रति जागरूक किया जाता है

Van mahotsav long essay

बन महोत्सव अथवा वृक्षारोपण या वन संरक्षण अथवा जीवन में वनो का महत्व 1.प्रस्तावना:- भारतवर्ष का मौसम और जलवायु देशों में सर्वश्रेष्ठ है, इसकी प्राकृतिक रमणीयता और हरित वैभव विख्यात है विदेशी पर्यटक यहां की मनोहारी प्राकृतिक सुषमा देखकर मोहित हो जाते हैं| 2.प्राचीन सभ्यता एवं संस्कृति में वृक्षों की महत्ता:- हमारे देश की प्राचीन संस्कृति में वृक्षों की पूजा और आराधना की जाती है|तथा नेतृत्व की उपाधि दी जाती है|बच्चों को प्रकृति ने मानव की मूल आवश्यकता से जोड़ा है| किसी ने कहा है कि- वृक्ष ही जल है, जल ही अन्न है,और अन्न ही जीवन है| यदि वृक्ष न होते तो नदी और आसमान ना होते वृक्ष की जड़ों के साथ वर्षा का जल जमीन के भीतर पहुंचता है, वन हमारी सभ्यता और संस्कृतिके रक्षक है|शांति और एकांत की खोज में हमारे ऋषि मुनि वनों में रहते थे, वहां उन्होंने तत्व ज्ञान प्राप्त किया और वह विश्व कल्याण के उपाय भी सोचते, वही गुरुकुल होते थे| जिसमें भावी राजा, दार्शनिक, पंडित आदि शिक्षा ग्रहण करते थे|आयुर्वेद के अनुसार पेड़ पौधों की सहायता से मानव को स्वस्थ एवं दीर्घायु किया जा सकता है| तीव्र गति से जनसंख्या बढ़ने तथा राष्ट्रों के ओद्योगिक विकास कार्यक्रमों के कारण पर्यावरण की समस्या गंभीर हो रही है| प्राकृतिक साधनों के अधिक और अधिक उपयोग से पर्यावरण बिगड़ता जा रहा है|वृक्षों की भारी तादाद में कटाई से जलवायु बदल रही है|ताप की मात्रा बढ़ती जा रही है, नदियों का जल दूषित होता जा रहा है, वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड गैस की मात्रा बढ़ रही है, इसे भी भावी पीढ़ी के स्वास्थ्य को खतरा है| 3.वृक्षों की उपासना का प्रचलन:- वृक्षों के महत्व एवं गौरव को समझते हुए हमारी प्राचीन परंपरा में इनकी आराधना पर बल दिया गया है|पीपल के वृक्ष की पूजा करना, व्रत रखकर उसकी परिक्रमा करना एवं जल अर्पण करना और पीपल को काटना पाप करने के सामान है|यह धारणा वृक्षों की संपत्ति की रक्षा का भाव प्रकट करती है| प्रत्येक हिंदू के आंगन में तुलसी का पौधा अवश्य में देखने को मिलता है| तुलसी पत्र का सेवन प्रसाद में आवश्यक माना गया है| बेल के वृक्ष, फल और बेलपत्र की महिमा इतनी है, कि वह शिवजी पर चढ़ाए जाते हैं| कदम वृक्ष को श्री कृष्ण का प्रिय पेड़ बताया है तथा अशोक के वृक्ष शुभ और मंगल दायक हैं| इन वृक्ष की रक्षा हेतु कहते हैं कि-हरे वृक्षों को काटना पाप है, श्याम के समय किसी वृक्ष के पत्ते तोड़ना मना है वृक्ष सो जाते हैं |यह सब हमारी प्राचीन सभ्यता और संस्कृति के प्रतीक है| जिसमें वृक्षों को ईश्वर स्वरूप, वन को संपदा और वृक्षों को काटने वालों को अपराधी कहा जाता है| 4.वृक्षों से लाभ:- वृक्षों से स्वास्थ्य लाभ होता है क्योंकि मनुष्य के श्वास प्रक्रिया से जो दूषित हवा बाहर निकलती है, वृक्ष उन्हे ग्रहण कर, हमें बदले में स्वच्छ हवा देते हैं| आंखों की थकान दूर करने और तनाव से छुटकारा पाने के लिए विस्तृत वनों की हरियाली हमें शांति प्रदान कर आंखों की ज्योति को बढ़ाती है|वृक्ष बालक से लेकर बुजुर्गों तक सभी के मन को भाते है| इसलिए हम अपने घरों में छोटे छोटे से पौधे लगाते हैं|वृक्षों पर अनेक प्रकार के पक्षी अपना घोंसला बना कर रहते हैं और उनकी कल कल मधुर ध्वनि पर्यावरण में मधुरता घोलती है|वृक्षों से अनेक प्रकार के स्वाद भरे फल हमारे भोजन को रसमय और स्वादिष्ट बनाते हैं| इनकी छाल और जड़ों से दवाइयां बनाई जाती है|पशु वृक्षों से अपना भोजन ग्रहण करते हैं| इसलिए हमें अपनी धरती के आंचल को अधिक से अधिक हरा-भरा रखने के लिए पेड़ पौधे लगाने चाहिए| यह वर्षा कराने में सहायक होते हैं| मानसूनी हवाओं को रोककर वर्षा कराना पेड़ों का ही काम है|वृक्षों के अभाव में वर्षा नहीं होती है और वर्षा के अभाव में अन्न का उत्पादन नहीं हो पाता है| गृह कार्य में वृक्ष हमें सुखद छाया और मंद पवन देते हैं| सूखे ब्रक्ष ईंधन के काम आते हैं| गृह निर्माण, गृह सज्जा, फर्नीचर, के लिए हमें वृक्षों से ही लकड़ी मिलती है| आमला, चमेली का तेल, गुलाब, केवड़े का इत्र, खस की खुशबू यह सभी वृक्षों और उनकी जडो से ही बनाए जाते हैं| 5.उपसंहार:- वृक्षों से हमें नैतिकता, परोपकार और विनम्रता की शिक्षा मिलती है| फलों को स्वयं वृक्ष नहीं खाता है| वह जितना अधिक फल फूलों से लगा होगा उतना ही झुका हुआ रहता है| हम जब देखते हैं कि सूखा कटा हुआ पेड़ भी कुछ दिनों में हरा भरा हो जाता है जो जीवन में आशा का संचार का धैर्य और साहस का भाव भरता है| हमें अधिक से अधिक वृक्षारोपण करना चाहिए| वृक्षारोपण करके ही हम अपनी भावी पीढ़ी के लिए जीवन उत्तरदाई वातावरण सृजित कर सकते हैं| यदि आज इस दृष्टि से वृक्षों का अस्तित्व मिटा दिया गया तो कल आने वाले समय में इस सृष्टि पर जीवन का होना संभव नहीं होगा|वृक्षों से ही जीवन संभव है, वृक्ष है तो सब कुछ है और यदि वृक्ष नहीं है, तो जीवन में कुछ भी नहीं है| इसलिए हम कह सकते है कि- “Trees Are Best Friend In Our Life”

Van Mahotsav essay in english

Van Mahotsava english essay is given below:

Van Mahotsav or the festival of trees is a festival celebrated in India in the first week of July. This celebration was started in 1950 by Dr. K.M. Munshi the Agriculture minister for India during the same year. As part of the celebrations, millions of saplings are planted by people of all age groups from all over the country in the Van Mahotsav week. All over the country, people are encouraged to plant trees. This practice is observed by schools all over the country. Schools usually declare this day to be a half day where classes are suspended and students are encouraged to plant trees. This helps in making the students better citizens and also spreads awareness as to the adverse effects of cutting trees. Awareness campaigns are held all over the country and various drives by NGO’s are organized to help people participate in the process of planting trees. This practice takes place every year and helps conserve the greenery of our country. The preservation of nature has become a very important part of our life due the acceleration in industrialization and the construction of so many factories, conservation of forests has become a point of major concern. Due to the celebration of this festival in the month of July which is also the onset of the monsoon season, planting trees proves to be beneficial. Planting of trees also serves other purposes like providing alternative fuel options, food for cattle, helps in soil conservation and more than anything offers a natural aesthetic beauty. Planting of trees also helps to avoid soil erosion which may cause floods. Also, planting trees can be extremely effective in slowing down global warming and trees also help in reducing pollution as they make the air cleaner. The constant felling of trees has been a problem for a long time now and as a result of that it is extremely important for us to create awareness for the same. And everyone must try and actively involve themselves in this practice as well. According to the forest department for every tree felled ten trees should be planted to regain the loss of one. The survival of plants and animals is also put in danger as each and every time a tree is felled or a forest is uprooted. Van Mahotsav is thus a widely celebrated festival and should be celebrated as more than a day of planting trees and celebrated as any other festival.

वन महोत्सव पर लेख – 250 words

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मानव जीवन में वृक्षों का विशेष महत्व है। वन महोत्सव भारत में जुलाई महीने के पहले सप्ताह को मनाया जाता है इन दिनों देश भर में लाखों की संख्या में पेड़ -पौधे लगाए जाते हैं। कुछ वर्षों में जंगलों और वृक्षों की होती अँधा -धुंध कटाई के कारण वातावरण का संतुलन बिगड़ गया है और मौसम में काफी बदलाव आ गया है लगातार तापमान में बढ़ोतरी हो रही है को देखते हुए वृक्ष लगाना अनिवार्य हो गया है। वृक्ष हमारे जीवन में एहम भूमिका निभाते हैं यह हमारे द्वारा छोड़े गए कार्बनडाईऑक्साइड गैस को खींच लेते हैं और हमें ऑक्सीजन देते हैं। इसीलिए भविष्य में वातावरण को संतुलन बनाए रखने के लिए वृक्ष लगाना आवश्यक है। वृक्ष ही भूमि को बंजर होने से रोकते हैं। वृक्षों से ही कई प्रकार की जड़ी बूटियां तैयार की जाती हैं। इसीलिए हमें ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने चाहिए वन महोत्सव (Van Mahotsav) का मुख्य उदेश्य लोगों को पेड़ों के प्रति जागरूक करना है । वन महोत्सव (Van Mahotsav) सन 1950 में शुरू किया गया था हमारे भारत देश में पेड़ों की विशेष रूप से पूजा की जाती है यहां के लोग पेड़ों को देवता के रूप में पूजते हैं कुछ पेड़ों की पत्तियां और टहनियों को तो विशेष पूजा में इस्तेमाल किया जाता है जिससे ज्ञात होता है के प्राचीन समय से ही मनुष्य पेड़ों की पूजा अर्चना करता आ रहा है। परन्तु पेड़ों की अंधा -धुंध कटाई के कारण केवल पर्यावरण को ही नुक्सान नहीं हुआ बल्कि जीव जंतु खत्म हो गए पेड़ों पर रहने वाले पक्षी अलोप हो गए। इसीलिए वनों के मानव जाति को फायदे ही फायदे हैं वहीँ यदि मानव अपने स्वार्थ के लिए इसी तरह वृक्षों की कटाई करता रहा तो वो दिन दूर नहीं जब मानव खुद अपने विनाश का कारण बनेगा। वृक्षों की कटाई के कारण कुदरत इसका बदला हमसे ले रही है बाढ़ , सूखा ,फैलता हुआ प्रदूषण आदि के रूप में हमें परिणाम मिल रहे हैं। इसीलिए मनुष्य को वृक्षों के महत्व को समझना चाहिए के वे उनके मित्र हैं जो सुख -दुख में उनकी मदद करेंगे और हमें सब को एक वृक्ष तो अवश्य लगाना चाहिए और उनकी देखभाल करें। भारत सरकार ने वृक्ष रक्षा हेतु कई कठोर नियम बनाये हैं ता जो वृक्षों की कटाई को रोका जा सके और हर वर्ष वन महोत्सव के दिनों में लाखों पेड़ -पौधे लगाकर लोगों को इनके प्रति जागरूक किया जाता है बस देर है हमें इनके महत्व को समझने की और हर वर्ष कम से कम एक पेड़ लगाने की।

वन महोत्सव पर निबंध संस्कृत में

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अस्मान् परितः यानि पञ्चमहाभूतानि सन्ति तेषां समवायः एव परिसरः अथवा पर्यावरणम् इति पदेन व्यवह्रीयते । अधुना पर्यावरणस्य समस्या न केवलं भारतस्य अपितु समस्तविश्वस्य समस्या वर्तते।

वन महोत्सव पर निबंध इन हिंदी

Van Mahotsav essay in kannada

ಚಾಮರಾಜನಗರ, ಜು.31: ಕಾಟಾಚಾರಕ್ಕೆ ಗಿಡನೆಟ್ಟು ಕ್ಯಾಮರಾ ಮುಂದೆ ಪೋಸ್ ನೀಡಿ ಪ್ರಚಾರ ಪಡೆದು ಮತ್ತೆ ಅತ್ತ ತಿರುಗಿ ನೋಡದ ಜನರ ನಡುವೆ ಶಾಲೆ ಆವರಣದಲ್ಲಿ ಗಿಡನೆಟ್ಟು ಅವುಗಳನ್ನು ಪೋಷಿಸಿ, ಬೆಳೆಸಿ ಅವುಗಳಿಗೆ ಹುಟ್ಟು ಹಬ್ಬ ಆಚರಿಸುವ ಮೂಲಕ ಪರಿಸರ ಕಾಳಜಿ ತೋರುತ್ತಿರುವ ಚಾಮರಾಜನಗರದ ಚನ್ನಿಪುರಮೋಳೆಯ ಸರ್ಕಾರಿ ಹಿರಿಯ ಪ್ರಾಥಮಿಕ ಶಾಲೆಯ ಮಕ್ಕಳು ಇತರರಿಗೆ ಮಾದರಿಯಾಗಿದ್ದಾರೆ. ಕ್ರೀಡಾ ವಾರ್ತೆ ಫೀಫಾ 2020: ಚಾಂಪಿಯನ್ನರಿಗೆ ‘ಶಾಪ’, ‘ಜರ್ಮನಿ’ ಹೊಸ ಸೇರ್ಪಡೆ ಫೀಫಾ 2020: ಚಾಂಪಿಯನ್ನರಿಗೆ ‘ಶಾಪ’, ‘ಜರ್ಮನಿ’ ಹೊಸ ಸೇರ್ಪಡೆ ಜರ್ಮನ್ ನಂತೆ ಮುಖಭಂಗ ಅನುಭವಿಸಿದ ಪ್ರಮುಖ ತಂಡಗಳಿವು! ಜರ್ಮನ್ ನಂತೆ ಮುಖಭಂಗ ಅನುಭವಿಸಿದ ಪ್ರಮುಖ ತಂಡಗಳಿವು! ಫೀಫಾ ಸೆಮಿಫೈನಲ್‌ಗೆ ಬರುವ ತಂಡಗಳು ಯಾವುವು? ವರಾಹ ಭವಿಷ್ಯ ಫೀಫಾ ಸೆಮಿಫೈನಲ್‌ಗೆ ಬರುವ ತಂಡಗಳು ಯಾವುವು? ವರಾಹ ಭವಿಷ್ಯ ಶಾಲೆಯ ಆವರಣದಲ್ಲಿ ಕಳೆದ ವರ್ಷ ನ್ಯಾಯಾಧೀಶರಾದ ಮಲ್ಲಪ್ಪ ಸಮಾಜ ಸೇವಕ ಎಲ್. ಸುರೇಶ್ ಕೊಡುಗೆಯಾಗಿ ನೀಡಿದ್ದ ಗಿಡಗಳನ್ನು ನೆಟ್ಟಿದ್ದರು. ಆ ಮೂಲಕ ವನ ಮಹೋತ್ಸವಕ್ಕೆ ಚಾಲನೆ ನೀಡಿದ್ದರು. ಪ್ರತಿಯೊಂದು ಗಿಡಕ್ಕೂ ದೇಶದ ಮಹಾನ್ ನಾಯಕರ ಹೆಸರು ಇಡಲಾಗಿತ್ತು. ಆದರೆ ವಿದ್ಯಾರ್ಥಿಗಳು ಗಿಡ ನೆಟ್ಟ ನಂತರ ಪ್ರತಿ ದಿನವೂ ಅವುಗಳಿಗೆ ನೀರು, ಗೊಬ್ಬರ ಹಾಕಿ ಪ್ರೀತಿ ಯಿಂದ ಬೆಳೆಸಿದ್ದರು. ಇದೀಗ ಗಿಡಗಳಿಗೆ ವರ್ಷ ತುಂಬಿದ್ದರಿಂದ ಹುಟ್ಟುಹಬ್ಬ ಆಚರಣೆಯ ಸಂಭ್ರಮ. ಶಾಲೆಯಲ್ಲಿ ಎಲ್ಲಿ ನೋಡಿದರಲ್ಲಿ ಹಬ್ಬದ ವಾತಾವರಣ… ವಿದ್ಯಾರ್ಥಿಗಳಲ್ಲಿ ಏನೋ ಉತ್ಸಾಹ… ಗಿಡಗಳಿಗೆ ಹಸಿರು ತೋರಣ ಕಟ್ಟಿ ಹೂವಿನಿಂದ ಸಿಂಗರಿಸಿ… ಕೇಕ್ ಕತ್ತರಿಸಿ ಎಲ್ಲರಿಗೂ ಹಂಚುವ ಮೂಲಕ ಗಿಡಗಳಿಗೆ ನೀರು ಹಾಕಿದರು. ಶಾಲೆ ಮಕ್ಕಳ ಈ ಕಾಳಜಿ ಎಲ್ಲರಲ್ಲೂ ಮೂಡಿದ್ದೇ ಆದರೆ ವನಮಹೋತ್ಸವ ಆಚರಣೆಗೆ ಖಂಡಿತಾ ಅರ್ಥ ಬರುತ್ತದೆ.

10 Lines on Van Mahotsav in Hindi

बंजर धरती करे पुकार, पेड़ लगाकर करो सिंगार. वन उपवन कर रहे पुकार, देते हम वर्षा की बोछार. सर साटे रूख रहे, तो भी सस्तो जाण. कहते हे सब वेद-पुराण, एक वृक्ष दस पुत्र सामान. धरती पर स्वर्ग हे वहाँ, हरे भरे वृक्ष हे जहाँ. जहां हरयाली है, वहीं खुशहाली है. वृक्ष प्रदूषण-विष पी जाते, पर्यावरण पवित्र बनाते. पेड़ लगाएं, प्राण बचाएं. कड़ी धूप में जलते हैं पाँव, होते पेड़ तो मिलती छाँव. पेड़ो से वायु, वायु से आयु.

Few Lines on Van Mahotsav in Hindi

साँस के लिये ऑक्सिजन बनाते हैं. धूप की पीड़ा और ठंड के कष्ट से बचाते हैं. धरती का श्रृंगार कर सुंदर प्रकृति का निर्माण करते हैं. पथिकों विश्राम-स्थल, पक्षियों को नीड़, जीव जन्तुओं को आश्रय स्थल देते हैं. पेड़ अपना तन समर्पित कर गृहस्थों को इंर्धन, इमारती लकड़ी, पत्तो-जड़ों तथा छालों से समस्त जीवों को औषधि देते हैं. पत्ते, फूल, फल, जड़, छाल, लकड़ी, गन्ध, गोंद, राख, कोयला, अंकुर और कोंपलों से भी प्राणियों की अन्य अनेकानेक कामनाएँ पूर्ण करते है.

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वन महोत्सव दिवस 2023 पर निबंध | Van Mahotsav Diwas Essay in Hindi

Essay On Van Mahotsav Diwas

Essay On Van Mahotsav Diwas 2023: वन महोत्सव जुलाई के महीने में एक वार्षिक वृक्षारोपण उत्सव है। इस त्यौहार के दौरान पूरे भारत में हजारों पेड़ लगाए जाते हैं। 1950 में इसकी शुरुआत उस समय के केंद्रीय कृषि और खाद्य मंत्री के.एम.मुंशी ने की थी। इसकी शुरुआत लोगों के मन में वनों के संरक्षण और नए पेड़ लगाने के प्रति जागरूकता पैदा करने के लिए की गई थी।वन महोत्सव को जीवन के उत्सव के रूप में मनाया जाता है। भारत में इसे धरती माता को बचाने के लिए एक धर्मयुद्ध के रूप में शुरू किया गया था। वन महोत्सव नाम का अर्थ है ‘वृक्षों का त्योहार’। इसकी शुरुआत जुलाई 1947 में दिल्ली में एक समृद्ध वृक्षारोपण अभियान के बाद हुई, जिसमें डॉ. राजेंद्र प्रसाद और जवाहरलाल नेहरू जैसे राष्ट्रीय नेताओं ने भाग लिया। यह त्यौहार भारत के कई राज्यों में एक साथ मनाया गया। तब से, स्थानीय लोगों और वन विभाग जैसी विभिन्न एजेंसियों की सक्रिय भागीदारी से विभिन्न प्रजातियों के हजारों पौधे लगाए गए हैं।इस लेख में हम 300 शब्दों, 500 शब्दों, 700 शब्दों की विभिन्न शब्द सीमाओं में वन महोत्सव पर छोटे और लंबे निबंध प्रस्तुत कर रहे हैं। 1,2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 और 12 कक्षाओं में पढ़ने वाले छात्र को इन्हें स्कूल का काम पूरा करने में मदद मिल सकती है। इस  लेख को हमने पाइन्ट के आधार पर विभाजित किया है जैसे वन महोत्सव पर निबंध (Van Mahotsav Diwas Essay In Hindi) वन महोत्सव दिवस पर निबंध (300 शब्द)| Van Mahotsav Day Short Essay in Hindi (300 शब्द)वन महोत्सव दिवस पर निबंध (500 शब्द) | Van Mahotsav Diwas Essay in Hindi (500 शब्द) वन महोत्सव दिवस पर निबंध (700 शब्द) | Essay on Van Mahotsav Diwas in Hindi (700 शब्द) वन महोत्सव दिवस पर निबंध in PDF,वन महोत्सव दिवस पर 10 वाक्य है।

वन महोत्सव पर निबंध (Van Mahotsav Diwas Essay in Hindi)

टॉपिकवन महोत्सव दिवस पर निबंध 2023
लेखनिबंध
साल2023
वन महोत्सव दिवस1 जुलाई
वन महोत्सव सप्ताह1 जुलाई से लेकर 7 जुलाई
शुरुआत1950
किसने शुरुआत कीकेंद्रीय कृषि और खाद्य मंत्री के.एम.मुंशी
कहां मनाया जाता हैभारत में
साल में कितने वार मानाया जाता हैसाल में एक बार

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वन महोत्सव दिवस पर निबंध (300 शब्द)| Van Mahotsav Day Short Essay in Hindi (300 शब्द)

हमारे जीवन में जंगल का बहुत महत्व है। लोगों से लेकर जानवरों तक हर कोई इससे लाभान्वित हो सकता है। यह हमें कभी भी पूछताछ करने के लिए कुछ प्रदान नहीं करता है। जब सूरज गर्म होता है, तो पेड़ छाया, फल-फूल और अन्य लाभ प्रदान करते हैं।हर साल जुलाई के पहले सप्ताह में वन महोत्सव मनाया जाता है। इसकी शुरुआत 1950 में पेड़ों की कटाई को रोकने के लिए की गई थी, लेकिन उस समय यह केवल कागजों में ही सिमट रहा था और जंगलों पर कोई ध्यान नहीं दिया गया था। त्योहार के दौरान पेड़ लगाने से वैकल्पिक ईंधन की आपूर्ति, भोजन को बढ़ावा देने सहित कई उद्देश्य पूरे होते हैं। उत्पादन, मवेशियों के लिए चारा उपलब्ध कराना, उत्पादकता में सुधार के लिए खेतों के आसपास आश्रय बेल्ट के निर्माण में सहायता करना और छाया और सुंदर वातावरण देना। अन्य बातों के अलावा, ग्लोबल वार्मिंग और प्रदूषण से बचने के लिए मृदा क्षरण संरक्षण में सहायता प्रदान करता है।ऐसे आयोजनों के लिए सबसे अच्छा विकल्प लोगों को पेड़ों के बारे में सिखाना और ऐसे पेड़ लगाना और चित्रित करना है, जिनकी सभी को देखभाल की आवश्यकता होती है। वन महोत्सव के जीवन को एक महोत्सव के रूप में सम्मानित किया जाता है। इस भूमि की स्थापना भारत में मां के संरक्षण के प्रयास के रूप में की गई थी।

वन महोत्सव नाम का अर्थ है “वृक्ष उत्सव।” डॉ. राजेंद्र प्रसाद और जवाहरलाल नेहरू उन राष्ट्रीय नेताओं में से थे जिन्होंने वृक्षारोपण अभियान में भाग लिया, जो जुलाई 1947 में दिल्ली में उद्घाटन के बाद शुरू हुआ। यह आयोजन एक ही समय में कई भारतीय राज्यों में आयोजित किया गया था।स्थानीय लोगों और वन विभाग जैसे अन्य संगठनों की सक्रिय भागीदारी के कारण, तब से हजारों विभिन्न प्रकार के पौधे लगाए गए हैं।वन महोत्सव का मुख्य लक्ष्य प्रदूषण को कम करने और सांस लेने के लिए स्वच्छ ऑक्सीजन प्राप्त करने के लिए लोगों को रोने वाले पेड़ लगाने के लिए प्रोत्साहित करना है। इस सप्ताह पेड़ों की विशेषताओं और पेड़ों को काटने से होने वाले नुकसान पर चर्चा की जा रही है।

वन महोत्सव दिवस पर निबंध (500 शब्द) | Van Mahotsav Diwas Essay in Hindi (500 शब्द)

वनमहोत्सव का शाब्दिक अर्थ जंगल का त्योहार है। इस आधुनिक और औद्योगिक युग में इसका उत्सव इस अद्वितीय पृथ्वी पर जीवन के लिए बहुत मायने रखता है।वनमहोत्सव राष्ट्रव्यापी स्तर पर वृक्षारोपण का एक वार्षिक उत्सव है। इसकी शुरुआत 1950 में हुई थी। इसकी शुरुआत 21 अगस्त 1950 को केंद्रीय कृषि और खाद्य मंत्री डॉ. केएम मुंशी ने लोगों के बीच जागरूकता फैलाने के लिए की थी। वन महोत्सव को पेड़ों का त्यौहार और जीवन का त्यौहार भी कहा जाता है। वर्ष के इस सप्ताह के दौरान पूरे भारत में लोगों द्वारा हजारों पौधे लगाए जाते हैं। वनमहोत्सव मनाने का विषय वृक्षारोपण के गुणों पर ध्यान केंद्रित करना है। वनमहोत्सव का उत्सव बरसात के मौसम की शुरुआत में शुरू होता है – आमतौर पर हर साल जुलाई के पहले सप्ताह में। वनमहोत्सव सप्ताह आम पौधों जैसे बबूल, पीपल, आम, नीम, बांस आदि के पौधे लगाकर मनाया जाता है।

वनमहोत्सव सरकार के साथ-साथ आम लोगों द्वारा भी मनाया जाता है। भारत सरकार ने पूर्ण अखिल भारतीय ढाल स्थापित की है। सर्वश्रेष्ठ जिले के लिए राजेंद्र शील्ड, सर्वश्रेष्ठ गांव के लिए जवाहर, वृक्षारोपण में सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालय के लिए सरदार पटेल शील्ड। सरकार ने भी पेड़ों को काटने पर सख्त रोक लगा दी है।पेड़ मानव जाति को दिया गया सबसे अनमोल उपहार है और इसे बचाना हमारा कर्तव्य है। लेकिन मनुष्य अपनी स्वार्थी जरूरतों और स्वार्थों के लिए इसे नष्ट कर रहा है। वह पेड़ों को काट रहा है और हम लगातार विनाश की राह पर बढ़ रहे हैं। एक ऐसी दुनिया की कल्पना करें जहां न पेड़ होंगे और न ही जंगल। मैं जानता हूं कि इसकी कल्पना करना सचमुच कठिन है। प्रकृति से प्रेम के लिए हमें इसे बचाने और संरक्षित करने की जरूरत है।प्रतिदिन अधिक से अधिक पेड़ लगाकर और अधिक से अधिक लोगों को भी ऐसा करने के लिए कहकर वन महोत्सव मनाया जा सकता है।

  • -जंगलों को नष्ट करके पैदा किए गए या बनाए गए उत्पादों को खरीदना बंद कर सकते हैं और उनका उपयोग करने से बच सकते हैं।
  • -अपने घरों, स्कूलों, कार्यालयों और कॉलेजों में पेड़ लगाएं और विभिन्न जागरूकता अभियानों में भाग लें। पेड़ों के मुफ्त प्रसार जैसी पहल भी विभिन्न स्वयंसेवकों और संगठनों द्वारा की जा सकती है।
  • -बच्चों को पेड़ लगाने की आवश्यकता और यह ग्लोबल वार्मिंग को रोकने और प्रदूषण को कम करने में कैसे मदद करता है, यह सिखाने के लिए स्कूलों में कार्यशालाएं आयोजित की जा सकती हैं।
  • -हम 3आर नियम का भी अभ्यास कर सकते हैं और पेड़ों और जंगलों से कच्चे माल की आवश्यकता को कम कर सकते हैं।

वन महोत्सव का मुख्य लक्ष्य प्रदूषण को कम करने और सांस लेने के लिए स्वच्छ ऑक्सीजन प्राप्त करने के लिए लोगों को रोने वाले पेड़ लगाने के लिए प्रोत्साहित करना है। इस सप्ताह पेड़ों की विशेषताओं और पेड़ों को काटने से होने वाले नुकसान पर चर्चा की जा रही है।स्कूलों और विश्वविद्यालयों में बच्चे और पौधे मिलकर पौधे लगाते हैं। कुछ समूहों द्वारा पौधे निःशुल्क दिये जाते हैं। हम सभी को हर वर्ष एक पौधा तैयार कर उसे सींचना चाहिए और उसका विकास करना चाहिए।आज हमने जो पौधा लगाया है, वह हमें भविष्य में कई लाभ प्रदान करेगा। पेड़ वर्षा के संग्रहण में भी सहायता करते हैं, जो स्वस्थ मिट्टी के लिए महत्वपूर्ण है। अधिक से अधिक पेड़ लगाने चाहिए और पर्यावरण को स्वच्छ बनाना चाहिए।

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वन महोत्सव दिवस पर निबंध (700 शब्द) | Essay on Van Mahotsav Diwas in Hindi(700 शब्द) 

वन महोत्सव एक वार्षिक अखिल भारतीय वृक्षारोपण उत्सव है, जो जुलाई के महीने में एक सप्ताह तक चलता है। इस कार्यक्रम के दौरान लाखों पेड़ लगाए जाते हैं। इसकी शुरुआत 1950 में तत्कालीन केंद्रीय कृषि और खाद्य मंत्री के.एम. मुंशी द्वारा वनों के संरक्षण और वृक्षारोपण के लिए जनता के मन में उत्साह पैदा करने के लिए की गई थी।वन महोत्सव के दौरान वृक्षारोपण का मुख्य उद्देश्य मिट्टी के संरक्षण में मदद करना और मिट्टी की उर्वरता में और गिरावट को रोकना है। लोगों में वृक्ष चेतना और वृक्षों के प्रति प्रेम पैदा करना है। खेतों, गांवों, नगरपालिकाओं और गांवों में वृक्षों के रोपण और देखभाल को लोकप्रिय बनाना है। सार्वजनिक भूमि को उनकी सौंदर्य संबंधी, आर्थिक और सुरक्षात्मक आवश्यकताओं के लिए। वनमहोत्सव जीवन का उत्सव है। भारत में इसकी शुरुआत धरती माता को बचाने के एक अभियान के रूप में की गई थी

वन महोत्सव का इतिहास

वन महोत्सव भारत में जबरदस्त उत्साह और तीव्रता के साथ मनाया जाने वाला एक वार्षिक कार्यक्रम है। यह त्यौहार वृक्षारोपण और पर्यावरण संरक्षण के लिए समर्पित है। यह एक सप्ताह तक चलने वाला कार्यक्रम है जो हर साल जुलाई के पहले सप्ताह में आयोजित किया जाता है। इस कार्यक्रम की स्थापना 1950 के दशक में तत्कालीन भारतीय केंद्रीय कृषि मंत्री कुलपति डॉ. के.एम. मुंशी ने वनीकरण और पर्यावरण जागरूकता को प्रोत्साहित करने के लिए की थी। वन महोत्सव के दौरान, भारत भर में लोग अपने घरों, स्कूलों, कॉलेजों और सार्वजनिक स्थानों पर पेड़ लगाते हैं। वनीकरण में योगदान दें। यह महोत्सव देश के वन क्षेत्र को बढ़ाने और पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास को बढ़ावा देने में सफल रहा है।

वन महोत्सव का महत्व

वन महोत्सव का महत्व पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास की संस्कृति को बढ़ावा देने की क्षमता में निहित है। पेड़ लगाकर और उनका पालन-पोषण करके, लोग पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली में योगदान देते हैं और आने वाली पीढ़ियों के लिए बेहतर भविष्य सुनिश्चित करते हैं। पेड़ स्वच्छ हवा, जल संरक्षण और मिट्टी की सुरक्षा सहित कई लाभ प्रदान करते हैं, जो उन्हें मानव अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण बनाते हैं।इसके अलावा, वन महोत्सव में प्रकृति चित्रों और पेड़ों की पेंटिंग पर जोर देने से लोगों को प्राकृतिक दुनिया से जुड़ने और इसकी सुंदरता की सराहना करने में मदद मिलती है। कला के माध्यम से प्रकृति के महत्व को बढ़ावा देकर, यह त्योहार लोगों को पर्यावरण के प्रति अधिक जागरूक होने और पर्यावरण की रक्षा के लिए कदम उठाने के लिए प्रेरित करता है। वन महोत्सव का महत्व पर्यावरण जागरूकता को बढ़ावा देने और लोगों को पर्यावरण की रक्षा के लिए कार्रवाई करने के लिए प्रोत्साहित करने की क्षमता में निहित है। प्रकृति चित्रों और वृक्ष चित्रों पर अपने फोकस के माध्यम से, यह त्योहार लोगों को प्रकृति से जुड़ने और हमारे जीवन में इसके मूल्य को पहचानने में मदद करता है।

वन महोत्सव कैसे मनाया जाता है | Van Mahotsav Diwas Kaise Manaya Jata Hai

भारत में हजारों पौधे लगाकर वन महोत्सव मनाया जाता है123। यह एक ऐसा त्यौहार है जो भारत के नागरिकों को अधिक से अधिक पेड़ लगाने के लिए प्रोत्साहित करता है। वन और पेड़ कार्बन पदचिह्न को कम करने और पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने में मदद करते हैं। जुलाई के पहले सप्ताह में वन महोत्सव का उत्सव भी मानसून की शुरुआत के साथ मेल खाता है1। लोग पर्यावरण जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए वृक्षारोपण अभियान, सेमिनार, रैलियां और अन्य कार्यक्रम आयोजित करके वन महोत्सव मनाते हैं2। विभिन्न स्तरों पर जागरूकता अभियान चलाए जाते हैं, और विभिन्न संगठनों और स्वयंसेवकों द्वारा निःशुल्क वृक्ष वितरण जैसे नए प्रचार भी किए जाते हैं।वन महोत्सव का मुख्य उद्देश्य पर्यावरण के लिए पेड़ों और जंगलों के महत्व के बारे में जागरूकता पैदा करना, वनीकरण और वृक्षारोपण को बढ़ावा देना और मौजूदा जंगलों की रक्षा और संरक्षण करना है। वन महोत्सव के समर्थन से, देश के वन क्षेत्र में सफलतापूर्वक वृद्धि हुई है, और इसने पर्यावरण संरक्षण जागरूकता बढ़ाने में योगदान दिया है। इसके अतिरिक्त, पर्यावरण को बेहतर बनाने और देश भर में हरियाली की मात्रा में वृद्धि करने में इस आयोजन की महत्वपूर्ण भूमिका थी।

वन महोत्सव पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव डालने में सफल रहा है, और इसके उत्सव के परिणामस्वरूप देश भर में हरित आवरण में वृद्धि हुई है। वन महोत्सव का मुख्य उद्देश्य वनों के संरक्षण और संरक्षण को बढ़ावा देना और महत्व के बारे में जागरूकता पैदा करना है पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने और पर्यावरणीय स्थिरता सुनिश्चित करने में पेड़ों का योगदान। महोत्सव का उद्देश्य लोगों को वृक्षारोपण गतिविधियों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करना और उन्हें पर्यावरण और मानव कल्याण के लिए पेड़ों के लाभों के बारे में जागरूक करना है।

वन महोत्सव दिवस पर निबंध in PDF

इस पॉइन्ट के जरिए हम आपको लिए वन महोतस्व दिवसड पर निबंध in PDF लेकर आएं है जो आप PDF डाउनलोड कर सकते है। वहीं यह डाउनलोड की गई फाइल को अपने परिजनों के साथ शेयर कर सकते हैं।

वन महोत्सव दिवस पर 10 वाक्य | 10 Lines On Van Mahotsav Diwas

van mahotsav essay in hindi 200 words

  • भारत में हर साल वन महोत्सव एक सप्ताह का वृक्षारोपण उत्सव है जो 1 जुलाई से शुरु होता है और 7 जुलाई तक मनाया जाता है।
  • इस दिन को वन महोत्सव के नाम से भी जाना जाता है।
  • इस दिन लोग पेड़-पौधे लगाते हैं।
  • वृक्षारोपण से हमारा पर्यावरण शुद्ध होता है।
  • यह दिन वृक्षारोपण के महत्व के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए मनाया जाता है।
  • भारतीयों को वृक्षारोपण और देखभाल के लिए प्रोत्साहित करके, उत्सव आयोजकों को देश में अधिक वन बनाने की उम्मीद है।
  • वृक्षारोपण वैकल्पिक ईंधन उपलब्ध कराता है, खाद्य संसाधनों का उत्पादन बढ़ाता है, उत्पादकता बढ़ाने के लिए खेतों के चारों ओर आश्रय-बेल्ट बनाएगा, मवेशियों के लिए भोजन और छाया प्रदान करता है, छाया और सजावटी परिदृश्य प्रदान करता है, सूखे को कम करेगा और मिट्टी के कटाव को रोकने में मदद करेगा।
  • वन महोत्सव सप्ताह देश के ज्यादातर हिस्सों में पेड़ लगाने का सबसे उचित वक्त समय है क्योंकि यह मानसून के साथ मेल जोल खाता है।
  • इसलिए हमें इस दिन पेड़-पौधे लगाने चाहिए।
  • साथ ही अपने अन्य मित्रों एवं परिजनों को भी पौधे लगाने के लिए प्रेरित करें।

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Van Mahotsav 2021: History, significance, celebrations and quotes

Van mahotsav week is celebrated in the first week of july to spread awareness about forests. have a look at its history, significance, celebrations and quotes that you can share with your loved ones..

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Van Mahotsav 2021: History, significance, celebrations and quotes

  • Van Mahotsav week is celebrated in the first week of July and plantation drives are carried out across the country.
  • India has taken a target of creating additional 2 billion carbon sequestration by 2030.
  • On Van Mahotsav, people plant saplings and encourage more people and various plantation drives are also carried out.

Van Mahotsav or Forest Festival is an annual tree-planting festival celebrated in the month of July in which thousands of trees are planted all over the country. Van Mahotsav week is celebrated from 1 July to 7 July to spread awareness of forest conservation and to save the environment.

Trees and forests play a very crucial role in maintaining an ecological balance and providing oxygen to human beings on the planet. The Van Mahotsav week is a reminder that we must protect forests and stop deforestation and practice the 3R rule- Reduce, reuse and recycle.

During this week, one can find children and elders planting saplings and taking part in the plantation drive to raise awareness about the importance of trees.

History of Van Mahotsav:

The history of Van Mahotsav Day dates back to 1947 when it was first organised by Punjabi botanist MS Randhawa from 20 to 27 July. The then Delhi Police Commissioner Khurshid Ahmad Khan inaugurated the first event of Van Mahotsav on 20 July 1947 to stress the impact of deforestation on flora and fauna. A flourishing plantation drive was undertaken by national leaders like Dr Rajendra Prasad and Jawaharlal Nehru.

Significance of Van Mahotsav:

Van Mahotsav week is celebrated in India to encourage people to plant more and more trees as they are being cut down on a large scale for industrialisation and urbanisation. Trees contribute to the production of food resources, maintain ecological balance, improve air quality, climate amelioration, conserves water, preserves soil, supports wildlife, reduces drought and prevents soil erosion and pollution.

How can we celebrate Van Mahotsav?

The government organizes various plantation drives at various levels to encourage people to plant trees. We can also do our part.

-Van Mahotsav can be celebrated by planting more and more trees every day and by telling more and more people to do the same.

-One can stop buying products that are produced or made by destroying forests and avoid using them.

-Plant trees at your homes, schools, offices and colleges and take part in various awareness campaigns.Initiatives like the free circulation of trees can also be taken up by various volunteers and organisations.

-Workshops can be conducted in schools to teach children about the need for planting trees and how it helps in preventing global warming and reducing pollution.

Quotes and wishes on Van Mahotsav:

Here are some quotes and wishes on Van Mahotsav that you can share with your loved ones:

-Finding forests is scarce. When will we understand its value?

-The best time to plant a tree was 20 years ago. The second best time is now.

-"The true meaning of life is to plant trees, under whose shade you do not expect to sit."- Nelson Henderson.

-If we need to thrive, see that flora and fauna in forests survive.

-The Almighty gifted us a bountiful green earth; we had no dearth

-Afforestation can only give our coming generations real mirth.

-"Someone's sitting in the shade today because someone planted a tree a long time ago." Warren Buffett

-"Until you dig a hole, you plant a tree, you water it and make it survive, you haven't done a thing. You are just talking." Wangari Maathai

-Each one plant one, for safe and secure environment.

-"Trees are poems that the earth writes upon the sky." Kahlil Gibran

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READ ALSO | India's contribution to climate change in last 200 years just 3 per cent: Prakash Javadekar Published By: Neena Kumar Published On: Jul 1, 2021 --- ENDS ---

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वन का महत्व पर निबंध (Importance of Forest Essay in Hindi)

वन वह महत्वपूर्ण इकाई है जो प्रकृति द्वारा हमें प्रदान की गई हैं। इतनी कीमती चीज पाने के बाद हमें धन्य महसूस करना चाहिए। वे लगातार हमें भोजन, लकड़ी, सांस लेने के लिए हवा, और अन्य जरूरी चीजें प्रदान करते रहते हैं। वे तमाम तरह के जीवों के लिए एक घर की तरह हैं। वन के बिना हम अपने जीवन और अन्य क्रियाकलापों की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं, लेकिन वनों की कटाई और छंटाई के प्रति बढ़ता कदम एक गंभीर मुद्दा बनते जा रहा है और यह रुकना या कम होना चाहिए। इन निबंधों को पढ़िए ताकि आप इस विषय को बेहतर समझ सकें।

वन का महत्व पर लघु और दीर्घ निबंध (Short and Long Essays on Importance of Forest, Van ka Mahatva par Nibandh Hindi mein)

निबंध 1 (250 – 300 शब्द) – वन का महत्व.

जंगल, प्रकृति द्वारा इंसानों को दिया गया सबसे बेहतर तोहफा है। यह कई जीवित प्राणियों के लिए रहने की जगह देता है। इसके अलावा, हम वनों से तमाम तरह के फायदे लेते रहते हैं। वनों में विभिन्न प्रकार के पेड़-पौधे, जड़ी-बूटियाँ, झाड़ियाँ आदि होते हैं। उनमें से कई औषधीय मूल्य प्रदान करते हैं। आश्रय और छाया प्रदान करते हैं।हवा, भोजन, फल, लकड़ी, पानी, और दवा प्रदान करते है।

वन का महत्व

वन,एक प्राकृतिक वायुमंडलीय शोधक के रूप में कार्य करते हैं।जलवायु, मृदा अपरदन को रोकने और प्रदूषण को नियंत्रित करने में मदद करते हैं।जैव विविधता के प्रबंधन द्वारा स्थिरता में मदद करते है।लोगों को रोजगार लाभ प्रदान करते हैं।वन पर्यावरण का एक महत्वपूर्ण पहलू है और ग्रीनहाउस गैसों का एक भंडार भी है।वन के सौंदर्य मूल्य भी हैं।हमें वनों से विभिन्न प्रकार के लकड़ी के उत्पाद भी प्राप्त होते हैं। इसके अलावा, वे वायु में प्रदूषकों को हटाने में भी सहायक होते हैं, इस प्रकार वायु प्रदूषण को कम करने में वन अहम भूमिका निभाते हैं।

वन, मानव जाति के लिए विभिन्न लाभों का प्रदाता हैं। इसलिए यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम उन गतिविधियों को कम करें जो वन में कमी की ओर अग्रसर हैं।वनों में विभिन्न प्रकार के जीव-जंतुओं का समावेश होता है जिसमें पक्षी, कीट और स्तनधारी सभी शामिल हैं। वे महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वे परागण और फैलाव तंत्र के लिए जिम्मेदार होते हैं। इस प्रकार से वन इन सभी वनवासियों के समूह का घर है।

निबंध 2 (400 शब्द) – हमें वन संरक्षण की आवश्यकता क्यों है

वन कई जीवों के रहने की जगह है। वे हमारे लिए प्रकृति का एक अनूठा आशीर्वाद हैं। वे हमें कई आवश्यक सेवाएं प्रदान करते हैं जिनमें वायु, लकड़ी, आश्रय, छाया और तमाम वस्तुएं शामिल हैं। वे जल चक्र के तंत्र को विनियमित करके, जलवायु परिवर्तन में एक सक्रिय भूमिका निभाते हैं। चूंकि वन कई जीवित जीवों को एक घर या आश्रय प्रदान करते हैं, इसलिए जब वन को काट दिया जाता है या उस स्थान को साफ़ कर के कृषि भूमि के लिए मंजूरी दे दी जाती है, तो ये जीव अपने निवास स्थान के नुकसान से काफी पीड़ित होते हैं, जिसकी वजह से आगे चलकर इस प्रक्रिया में जैव विविधता की हानि होती है।

वनों में विभिन्न प्रकार के जीव-जंतुओं का समावेश होता है जिसमें पक्षी, कीट और स्तनधारी सभी शामिल हैं। वे महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वे परागण और फैलाव तंत्र के लिए जिम्मेदार होते हैं। इस प्रकार से वन इन सभी वनवासियों के समूह का घर है।

हमें जंगल के संरक्षण की आवश्यकता क्यों है ?

यहाँ ऐसे कई पहलू हैं जो बताते हैं कि हमें अपने वनों को बचाने की आवश्यकता हैं।

  • वे जीवों के एक विविध समूह और हमारे लिए भोजन, वायु, लकड़ी, आश्रय जैसे सभी आवश्यक आवश्यकताएं प्रदान कराते हैं।
  • वे पृथ्वी की सतह को बांधकर मिट्टी के कटाव को रोकने में मदद करते हैं।
  • वे हमारे चारों ओर की वायु के शुद्धिकारक हैं।
  • वे कुछ जलवायु परिवर्तन के साथ-साथ बारिश और तापमान को नियमित रखने के लिए जिम्मेदार हैं।
  • वे भूमिगत जल के स्तर को बढ़ने में भी मदद करते हैं।
  • वनों में कुछ जड़ी-बूटियाँ (औषधीय महत्व वाली) होती हैं जिनका इस्तेमाल दवाओं को बनाने में किया जाता है।

वनों की कटाई के प्रभाव

विकास की दौड़ में मनुष्य निरंतर आगे बढ़ता जा रहा है। इस तरह से शहरीकरण को ज्यादा तवज्जो दी जा रही है। उद्योग तथा रहने के लिए बिल्डिंग आदि के निर्माण के उद्देश्य से वन भूमि की कटाई की जा रही है। मानव का यह कार्य जो पूरी तरह से विकास के उद्देश्य के लिए केंद्रित है, वन भूमि के विनाश और गिरावट की तरफ बढ़ रहा है। भविष्य या प्रकृति की चिंता किए बिना मनुष्य पूरी तरह से एक लालची इंसान में बदल गया है। इस प्रकार पेड़ों की संख्या में दैनिक आधार पर कटौती की जा रही है।

इससे बहुत सी जलवायु असामान्यताएं, बाढ़ और सूखे जैसी विभिन्न आपदाओं को निमंत्रण मिलता है।

इसलिए हमारा मुख्य ध्यान वन इकाई के संरक्षण की आवश्यकता पर होना चाहिए। यह हमारी भावी पीढ़ियों की आवश्यकताओं से समझौता किए बिना हमारी स्थिरता को बनाए रखेगा और हमारी आवश्यकताओं को पूरा करेगा। मनुष्य पर्यावरण से लाभ प्राप्त करने के लिए निरंतर सक्रिय रहा है, लेकिन इस समय अंतराल में पर्यावरण से जिस तरह लिया उसे उसी प्रकार से लौटाना भूल गया। इससे प्राकृतिक चक्र में असंतुलन पैदा होता है। ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने पर जोर दिया जाना चाहिए।

“पेड़ लगाओ – वातावरण को स्वच्छ बनाओ”

“अधिक से अधिक पेड़ लगाएं, सांस लेने के लिए पर्यावरण को शुद्ध बनाएं”।

Essay on Importance of Forest

निबंध 3 (600 शब्द) – वन का महत्त्व

जैसे ही हमारे दिमाग में वन शब्द आता है, अचानक ही हमारे दिमाग में फलों और फूलों के साथ हरियाली और पेड़-पौधों की तस्वीर सामने आ जाती है। इसलिए सीधे अपनी परिभाषा पर आते हैं, जंगल विभिन्न प्रकार के पेड़ों, जड़ी-बूटियों और झाड़ियों वाली भूमि का एक विस्तृत क्षेत्र है। दुनिया भर में वन धरती का तक़रीबन 30% हिस्सा हैं। वन हमारी प्रकृति द्वारा मानव जाति को प्रदान की जाने वाली बेहद महत्वपूर्ण सुविधा है। यह हमें विभिन्न आवश्यक सेवाएं प्रदान करता है और हमारी कई जरूरतों को पूरा करता है। यह विभिन्न जीवों का घर भी है और तमाम तरह की जनजातियों का भी। जलवायु परिस्थितियों और पेड़ों के प्रकार के आधार पर वन कई प्रकार के होते हैं। यह सदाबहार, पर्णपाती, आंशिक रूप से सदाबहार, शुष्क और उष्णकटिबंधीय हो सकता है।

वन बड़ी संख्या में लोगों के लिए रोजगार का एक स्रोत हैं। कई लोग सक्रिय रूप से सीधे तौर पर या फिर किसी अन्य माध्यम से वन उत्पादों, या तो लकड़ी या गैर-लकड़ी उत्पादों द्वारा अपना जीवन यापन कर रहे हैं। इसलिए हम कह सकते हैं कि निवास स्थान प्रदान करने के साथ, वन हमें जीविका अर्जित करने में भी मदद करते हैं। कुछ लोग जंगलों और पेड़ों की पूजा भी करते हैं, वे इसे पवित्र खांचा कहते हैं, इसलिए यह कहा जा सकता है कि वन का धार्मिक महत्व भी हैं।

हमारे जीवन में वन हमारे लिए कितने महत्वपूर्ण हैं, यह दर्शाने के लिए नीचे कुछ बिंदु सूचीबद्ध किये गए हैं:

पारिस्थितिक और आर्थिक महत्व

  • उत्पादक – यह हमें अलग अलग प्रकार का भोजन, फल, साथ ही साथ दवा भी प्रदान करता है। इसके अलावा यह हमें लकड़ी भी प्रदान करता है जो विभिन्न तरह के तैयार उत्पादों के लिए कच्चा माल होता है। लकड़ियाँ विभिन्न उद्योगों के प्रयोग के लिए कच्चा माल है।
  • सुरक्षात्मक – यह तमाम तरह के जीवों के साथ-साथ जनजातियों के लिए एक निवास स्थान है। इसलिए जैव विविधता को भी बनाए रखता है। यह तक़रीबन 80% स्थलीय जीवों को एक घर प्रदान करता है। जंगल के फर्श का अपना अलग ही मूल्य है, क्योंकि इसमें बहुत सारे डीकंपोज़र और सैप्रोफाइट मौजूद होते हैं।
  • सामाजिक और मनोरंजन – हमें मौज-मस्ती के लिए एक जगह प्रदान करता है, साथ ही साथ सुखदायक स्थान और इलाज व ध्यान के लिए बेहतर वातावरण भी प्रदान करता है।
  • वन, वाहनों के उच्च शोर स्तर को अवशोषित करके ध्वनि प्रदूषण को कम करने में मदद करता है।

जलवायु महत्व

  • वन मृदा अपरदन को कम करने के लिए जिम्मेदार होते हैं, क्योंकि पेड़ों की जड़ें पृथ्वी की सतह परत को काफी मजबूती से जकड लेते हैं और, इस प्रकार मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाने में मदद करते हैं।
  • वन एक क्षेत्र पर जलवायु के प्रबंधन में मदद करते हैं क्योंकि यह जल चक्र को बनाने में सक्रिय रूप से मदद करता है। यह तापमान नियमित करने में भी मदद करता है।
  • वन, बहते पानी को नियंत्रित करते हैं, इसे बहने या बर्बाद होने की बजाय इसे अवशोषित कर लेते हैं। यह बहते हुए पानी को अवशोषित करके भूमिगत जल के स्तर को बढ़ाने का भी काम करता है। बाढ़ के दौरान पानी की गति को कम करने में मदद करता है।
  • कार्बन डाइऑक्साइड और कार्बन मोनोऑक्साइड जैसी ग्रीनहाउस गैसों को अवशोषित करके वन प्राकृतिक प्यूरीफायर की भूमिका निभाते हैं। महासागरों के बाद, वन कार्बन डाइऑक्साइड गैस का दूसरा सबसे बड़ा भंडार है। इस प्रकार ग्लोबल वार्मिंग प्रभाव के स्तर में कमी लाने में वन एक प्रमुख भूमिका निभाते है।

वन कटाई के लिए अग्रणी कारक

  • वनों की कटाई
  • कृषि भूमि के लिए वनों की बिना किसी उचित योजना के कटाई
  • अत्यधिक चराई
  • लकड़ी और जीवाश्म ईंधन की बढ़ती मांग

वन संरक्षण के उपाय

  • सक्रिय रूप से अभियान शुरू करना और लोगों को इस परिदृश्य के बारे में जागरूक करना। जन भागीदारी को बढ़ाया जाना चाहिए।
  • कुछ अन्य विकल्प चुनकर जीवाश्म ईंधन और लकड़ी पर निर्भरता को कम करना।
  • पुनर्वनरोपण और वनरोपण नीतियां अपनाना।
  • जंगल की आग पर नियंत्रण।
  • वन उत्पादों का सतत उपयोग।

वन वह संसाधन है जो मानव के लिए काफी अधिक महत्व रखते है। यह हमें हमारी बुनियादी आवश्यकताओं वाली हर इकाई प्रदान करता है; इसलिए यह हमसे कुछ भी हासिल करने के बजाय हमें लगातार देता ही आ रहा है। हम अपनी प्रकृति के लिए हमेशा कर्ज में डूबे हैं और हमेशा रहेंगे भी। हमें अपने वन संसाधनों के संरक्षण में एक कदम आगे बढ़ाना चाहिए। आज वे उपलब्ध हैं, लेकिन भविष्य में, अगर वे समाप्त हो जाते हैं, तो केवल एकमात्र पीड़ित हम ही होंगे।

प्रकृति के साथ, एक आदमी, इस प्रकृति की एक सबसे सुंदर रचना है। प्रकृति के साथ-साथ एक इंसान पूरी तरह से एक दूसरे पर आश्रित है। पेड़ हमारे पर्यावरण और पारिस्थितिकी तंत्र की सुंदरता हैं। हमें प्रत्येक जीव के अस्तित्व के लिए उनकी रक्षा करने की आवश्यकता है। उचित वन और वन उत्पाद प्रबंधन नीतियों को लागू किया जाना चाहिए, साथ ही जो लोग इसका पालन नहीं कर रहे हैं उनपर दंड और जुर्माना लगाना चाहिए।

“वन ही जीवन है”

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वनों का महत्व पर निबंध | Vano Ka Mahatva Essay In Hindi Language

वनों का महत्व पर निबंध Vano Ka Mahatva Essay In Hindi Language आज हम वनों पर निबंध ( Importance of Forests)  में वनों की आवश्यकता महत्व पर्यावरण संरक्षण में योगदान, वनों के लाभ.

वन कटाई से हानि इसे रोकने के उपाय व कानून के बारे में यह वन महत्व का निबंध कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8 ,9, 10 के स्टूडेंट्स के लिए 100, 200, 250, 300, 400, 500 शब्दों में छोटा बड़ा निबंध एस्से यहाँ आपके लिए प्रस्तुत कर रहे हैं.

वनों का महत्व पर निबंध

वनों का महत्व पर निबंध | Vano Ka Mahatva Essay In Hindi Language

आदिकाल से ही मनुष्य ने प्रकृति को खूब हरा भरा बनाया था. उस समय वातावरण स्वच्छता और स्वास्थ्य की दृष्टि से सर्वोत्तम था. वन इस वातावरण के जनक थे. अतः वातावरण को स्वच्छ बनाए रखने के लिए पृथ्वी पर वनों का होना आवश्यक हैं.

वनों से लाभ – वन संसार को वन्य संपदा , स्वच्छ वातावरण तथा जीवन प्रदान करते है, वन ही वन्य जीवो का घर होता है ,वन ही बादलों को बरसने के लिए प्रेरित करते है तथा वन ही बाढ,अकाल आदि से बचाव करते है

मानव शवसन में आक्सीजन लेता है जो वनों से ही प्राप्त होती है ,इस प्रकार वन सम्पूर्ण पर्यावर्णीय संतुलन को बनाये रखते है जिससे धरती पर जीवन विद्यमान है .

मधुर सुस्वादु फलों से लदे होने वाले वृक्ष हमारे जीवनदाता भी हैं. वन बरसात के जल को पृथ्वी में सरक्षित करते हैं. इससे एक तो भूमि का कटाव नही होता हैं, दुसरे भूमि के अंदर जल प्रचुर मात्रा में संगृहीत हो जाता हैं.

यदि वन जल का संरक्षण नही करे तो बहता हुआ जल समुद्र में चला जाएगा और भूजल का अभाव हो जाएगा. इससे भूमि का कटाव भी आरम्भ होगा और भूमि का उपजाऊपन भी समाप्त होगा.

वनों को काटना, बर्बादी को निमंत्रण- वनों का हमारे जीवन में इतना महत्व होते हुए भी मनुष्य व्यक्तिगत स्वार्थ के वशीभूत होकर, वृक्ष काटकर वन उजाड़ने में लगा हुआ हैं. इस प्रकार वनों को उजाड़कर एक ओर तो वह वन्य पशुओं को बेघर कर रहा हैं,

वही दूसरी ओर स्वयं भी वन सम्पदा से वंचित हो रहा हैं. वह अतिवृष्टि, अनावृष्टि और भूकम्प आदि को स्वयं निमंत्रण दे रहा हैं. शुद्ध वायु के अभाव में जीवन कितना नरकीय हैं, इसे भुक्तभोगी ही जानता हैं.

उपसंहार- अतः जीवन के लिए वनों की उपयोगिता को समझते हुए हमें वृक्षों की सुरक्षा और वनों का संरक्षण करना चाहिए.

वनों का महत्व निबंध Essay on Importance of Forests In Hindi

केवल भारत में ही नही विश्व भर में वनों का विशेष महत्व हैं. वैसे भारत में वृक्षों का इतना महत्व हैं, कि यहाँ वृक्षों की पूजा की जाती हैं. जिनमें पीपल एवं बरगद के वृक्ष मुख्य हैं.

जंगल एक राष्ट्र की संपदा होते हैं. प्राचीन समय में ऋषि मुनियों द्वारा जंगलों में अपनी कुटियाँ आश्रम बनाते थे और वहां पर अपने शिष्यों को शिक्षा देते थे.

विश्व में वनों की अत्यंत उपयोगिता हैं. जंगल हमारे लिए बहुत लाभदायक हैं. जंगल हमें बहुत सारी वस्तुएं देते हैं. ये हमें घर, फर्नीचर और ईधन के लिए लकड़ी देते हैं, ये विभिन्न प्रकार के स्वादिष्ट फल देते हैं,

वृक्ष कई प्रकार के होते हैं जैसे फलवाले वृक्ष, औषधीय वृक्ष और उद्योग में काम आने वाले वृक्ष. चीड़, भूर्ज, पीपल व देवदार आदि वृक्ष पहाड़ो पर उगते हैं. और साल सागौन एवं बबूल के वृक्ष समतल धरातल पर उगते हैं.

हमें रबर भी वृक्षों से ही मिलती हैं. जो हमारे बहुत काम आती हैं. हम तारपीन का तेल, राल तथा औषधीय जड़ीबूटिया वनों से ही प्राप्त करते हैं.

अत्यधिक उद्योग धंधे वनों पर ही निर्भर हैं. बांसों के जंगल से हमें कागज बनाने के लिए लुगदी मिलती हैं. इसके अतिरिक्त हमें वनों से लाख मिलती हैं. जो बहुत से उद्योगों में काम में ली जाती हैं.

चारकोल, टोकरी एवं रस्सी बनाने के लिए हमें कच्चा माल जंगलों से ही मिलता हैं. इन जंगलों से ही अनेकों उद्योग धंधे चल रहे हैं जिनसे लाखों करोड़ों लोगों को रोजगार मिल रहा हैं.

ये वृक्ष और अन्य पौधे हमें ऑक्सीजन और भोजन देते हैं जो हमारे जीवन के लिए अत्यावश्यक हैं. वृक्ष केवल मनुष्यों के लिए ही आवश्यक नही हैं, पशु पक्षी तथा अन्य जीव जन्तुओं के लिए भी आवश्यक हैं.

चिड़ियाँ वृक्षों पर घौसला बनाती हैं. और अन्य जानवर वृक्षों की पत्तियां व फल खाकर जीवित रहते हैं तथा वृक्ष इन पशु पक्षियों को शरण भी देते हैं. वृक्ष इनके रहने के लिए एक प्राकृतिक सुलभ साधन हैं.

जंगलों का सबसे बड़ा लाभ यह हैं कि ये भू क्षरण को रोकते हैं. अत्यधिक वर्षा अच्छे किस्म की मूल्यवान मिट्टी को अक्सर अपने साथ बहा ले जाती हैं ये वृक्ष ही हैं जो मिट्टी को बहने से रोकते हैं.

इसके अतिरिक्त वृक्ष अचानक आने वाली बाढ़ को रोकने में मदद करते हैं और वृक्ष ही अकाल नही पड़ने देते अर्थात वर्षा लाते हैं.

निष्कर्षतः वृक्ष हमारे जीवन के लिए अत्यंत उपयोगी हैं, इसलिए उनकी सुरक्षा एवं देखभाल करके हमें उन्हें काटने से बचाना चाहिए,

यदि हम भूमि को बंजर होने से बचाना चाहते हैं तो हमें वृक्ष उगाने चाहिए.इसी बात को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार वन महोत्सव आयोजित करती हैं.

यदि हम अधिक से अधिक वृक्ष लगायेगे तो हमें ईधन और खाद सस्ती उपलब्ध होगी तथा इससे हमारा खाद्य उत्पादन भी बढ़ेगा इसलिए विश्व में वनों का सर्वाधिक महत्व हैं.

वनों के लाभ

वनों में अनेक प्रकार के पेड़ पौधों का भंडार होता हैं जो विभिन्न प्रकार से मानवों के लिए उपयोगी हैं. पीपल का वृक्ष का हमारे लिए आध्यात्मिक महत्व तो हैं ही साथ ही साथ इसके अत्यंत गुणकारी भी हैं. क्योंकि यह प्रचुर मात्रा में ऑक्सीजन देकर मानव मात्र का कल्याण करता हैं.

वैसे तो सभी वृक्ष दिन के समय ऑक्सीजन छोड़ते हैं. जो जीवन के लिए आवश्यक तत्व हैं. परन्तु पीपल के वृक्ष में ऑक्सीजन प्रदान करने का अनुपात अन्य वृक्षों की तुलना में अधिक होता हैं. इसके अतिरिक्त नीम, बबूल, तुलसी, आंवला व शमी आदि वृक्षों का औषधि के रूप में विशेष महत्व हैं.

वन मनुष्य के लिए ही नही अपितु समस्त जीव जन्तुओं के लिए आवश्यक हैं. इनसे प्रकृति का संतुलन बनाए रखने में मदद मिलती हैं. आज वनों के अधिकाधिक कटाव से अनेक महत्वपूर्ण जन्तु लुप्त हो गये हैं.

अनेक जन्तुओं के लुप्त होने का खतरा उत्पन्न हो गया हैं. वनराज सिंह की संख्या में निरंतर कमी आ रही हैं, जंगली हाथियों की संख्या भी निरंतर घट रही हैं. यही हाल अन्य जन्तुओं का भी हैं.

वन ऋतुचक्र एवं प्रकृति में संतुलन बनाए रखने में सक्षम होते हैं. वन अधिक वर्षा के समय मिट्टी के कटाव को रोकते हैं. तथा उसकी उपजाऊ शक्ति को बनाए रखने में सहयोग करते हैं.

पेड़ पौधे अपनी जड़ों के द्वारा पृथ्वी के जल को अवशोषित करते हैं जो पुनः वाष्पित होकर वायुमंडल में बादल का रूप लेते हैं. जिसके परिणामस्वरूप वर्षा होती हैं और यह चक्र निरंतर चलता रहता हैं.

कटते जंगल घटता मंगल पर निबंध

प्रस्तावना- मानव जीवन को मंगलमय एवं स्वस्थ बनाए रखने के लिए केवल धन और भोजन ही पर्याप्त नहीं है. परन्तु इसके लिए शुद्ध वातावरण अर्थात स्वास्थ्यवर्धक भौगोलिक परिवेश भी अपेक्षित है.

परन्तु वर्तमान काल में मानव के कल्याण की बात तो हर कोई करता है, लेकिन उनके आधारभूत प्राकृतिक साधन वनों का विन्स्ग रोकने का प्रयास कोई नहीं करता हैं. फलस्वरूप जंगलों की बेहताशा कटाई से मानव कल्याण तथा पर्यावरण की समस्या उत्पन्न हो गई हैं.

पर्यावरण के रक्षक वन – पर्यावरण की रक्षा करने वाले अर्थात पर्यावरण को शुद्ध रखने वाले प्राकृतिक साधनों में हरियाली, वृक्षावली तथा वनों का विशेष महत्व हैं. वन विभिन्न प्राकृतिक क्रियाओं जे द्वारा पर्यावरण की रक्षा करते हैं.

अशुद्ध वायु को शुद्ध कर उसे स्वास्थ्य के अनुकूल बनाते है. वृक्षों की पत्तियां वातावरण में अशुद्ध वायु अर्थात कार्बनडाई ऑक्साइड को ग्रहण कर ऑक्सीजन का उद्वमन करती है.

वनों के आकर्षण से बादल जल बरसाते है और धरती उपजाऊ बन जाती है. इस प्रकार वन तथा वृक्षावली पर्यावरण के रक्षक माने जाते हैं.

कटते जंगल एक समस्या- वर्तमान में जनसंख्या वृद्धि के कारण जंगल तीव्र गति से कट रहे हैं. लोगों के आवास योग्य मकानों के लिए ईधन, ईमारती लकड़ी, फर्नीचर, उद्योग धंधों की जरूरतों के लिए वनों को काटा जा रहा हैं.

उद्योगों की स्थापना तथा सड़कों के निर्माण में वनों की भूमि का विदोहन तीव्र गति से हुआ हैं. मकानों के लिए पत्थर, गारा आदि की पूर्ति के लिए वन उजाड़े गये हैं. इन सभी कारणों से आज कटते जंगल पर्यावरण के लिए एक भारी समस्या बन गये हैं.

कटते वनों की रोकथाम के प्रयास – वर्तमान में कुछ सामाजिक संगठन पर्यावरण प्रदूषण निवारक संस्था तथा कुछ सरकारी विभाग वनों की सुरक्षा एवं वृक्षारोपण अभियान चला रहे हैं.

उतराखंड में चिपको आंदोलन तथा कर्नाटक में अप्पिको आंदोलन के द्वारा वनों की कटाई का विरोध किया जा रहा हैं.

राजस्थान में विश्नोई समाज ने वृक्षों की कटाई के विरोध में कई बलिदान दिए हैं. देश के अन्य राज्यों में भी वृक्ष मित्र सेना द्वारा वनों की कटाई का विरोध हो रहा है. वन एवं पर्यावरण मंत्रालय द्वारा कठोर कानून बनाकर वनों की कटाई रोकी जा रही हैं.

समाधान एवं उपाय- कटते जंगलों की सुरक्षा के लिए सरकार द्वारा अनेक कानूनी उपाय किये जा सकते हैं. सामाजिक संगठन चिपको आंदोलन की तरह अपने अपने क्षेत्र में आंदोलन चलाकर जन जागरण के द्वारा वनों के विनाश को रोक सकते हैं.

सरकार इस सम्बन्ध में कठोर दंड व्यवस्था प्रारम्भ करे और वृक्षारोपण को प्राथमिकता देकर पर्यावरण की स्वच्छता पर पूरा ध्यान दे, इस प्रकार के अन्य उपाय करने से धरती को वृक्षावलियों से हरा भरा रखा जा सकता हैं.

उपसंहार- वर्तमान में वनों की अंधाधुंध कटाई होने से पर्यावरण प्रदूषण का भयानक रूप उभर रहा है. इस दिशा में कुछ मानवता वादी चिंतकों एवं पर्यावरणविद वैज्ञानिकों का ध्यान गया हैं.

उन्होंने कटते जंगल और घटते मंगल को एक ज्वलंत समस्या मानकर उसके निवारण के सुझाव भी दिए हैं.

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nice usefull and memorable

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Essay on van mahotsav in hindi वन महोत्सव पर निबंध हिंदी में.

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hindiinhindi Van Mahotsav in Hindi

Van Mahotsav in Hindi

प्रकृति से जुड़ा वन महोत्सव प्रतिवर्ष जुलाई के महीने में मनाया जाता है। यह एक राष्ट्रीय कार्यक्रम है। हमारे पूर्वज वृक्षों के महत्त्व को जानते थे। वे हरी-भरी प्रकृति के बीच रहना पसंद करते थे। नीम, पीपल, बरगद, आम जैसे वृक्षों की पूजा करते थे। किंतु आज ऐसा नहीं है। लोग अपने स्वार्थ के लिए वक्षों को काट रहे हैं। वन के वन नष्ट किए जा रहे हैं। यदि हमें मानव-जाति को बचाना है तो वनों की रक्षा करनी होगी तथा जहाँ वन काटे गए हैं वहीं फिर से वन लगाने होंगे। इसी उददेश्य को ध्यान में रखकर वर्षा ऋतु में यह उत्सव मनाया जाता है।

वृक्ष हमें शीतल छाया देते है जो तपती गर्मी में हमें सुख पहुँचाती है। पत्तियाँ पशुओं के चारे और खाद के काम आती है। वनों की गोद में न जाने कितने पशु-पक्षी अपना घर बनाते हैं जो हमारी पृथ्वी की शोभा हैं।

वन भूमि के कटाव को रोकते हैं। वृक्षों की जड़े मिट्टी को बाँधे रखती हैं, इससे पानी के बहाव का वेग कम हो जाता है। वन जल बरसाने में भी सहायक होते हैं। जहाँ घने वन होते हैं, वहाँ वर्षा अधिक होती है।

वनों से हमें फल-फूल, लकड़ी, ईंधन, जड़ी-बूटियाँ आदि मिलती हैं।

आजकल दिन-प्रतिदिन प्रदूषण बढ़ता जा रहा है, इससे वायु दूषित होती जा रही है। वृक्ष वायु को शदध रखते हैं। वृक्ष वातावरण को विषैली गैसों से मुक्त कराते हैं।

हमारा कर्तव्य है कि वन महोत्सव के दिन हम एक पेड़ अवश्य लगाएँ। एक-एक पेड़ लगाने से करोड़ों पेड लग सकते हैं। बंजर भूमि फिर से हरी-भरी धरती में बदल सकती है। वास्तव में पेड़ मनुष्य का बहुत उपकार करते हैं। इसलिए पेड़ लगाना पुण्य का कार्य है।

आइए संकल्प करें कि वन महोत्सव के दिन हम एक पेड़ अवश्य लगाएँगे और धरती को स्वर्ग के समान सुंदर और सुखकर बनाएँगे।

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van mahotsav essay in hindi 200 words

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वनों का महत्व पर निबंध | Essay on Importance of Forests in Hindi

van mahotsav essay in hindi 200 words

वनों का महत्व पर निबंध | Essay on Importance of Forests in Hindi!

प्राचीन काल से ही वन मनुष्य के जीवन में विशेष महत्व रखते थे । यह मानव जीवन के लिए प्रकृति के अनुपम उपहार हैं । हमारे वन पेड़-पौधे ही नहीं अपितु अनेकों उपयोगी जीव-जंतुओं व औषधियों का भंडार हैं ।

ADVERTISEMENTS:

वन पृथ्वी पर जीवन के लिए अनिवार्य तत्व हैं यह प्रकृति के संतुलन को बनाए रखने में पूर्णतया सहायक होते हैं । प्राचीन काल से ही हमारे पूर्वजों, ऋषियों-मुनियों व संतों के लिए वन तपस्या का प्रमुख स्थान रहा है । इन्हीं वनों में महान ऋषियों के आश्रम रहे हैं जहाँ पर संत एवं उनके शिष्य रहते थे । समाज में इनका विशेष स्थान था जिन्हें लोग पूर्ण श्रद्‌धा एवं विश्वास से देखते थे ।

पूर्व चिकित्सकों एवं वैद्‌यों के लिए वन महान औषधियों का स्त्रोत थे। रामायण की कथा में मेघनाथ के अमोघ अस्त्र के प्रहार से लक्ष्मण का जीवन बचाने के लिए संजीवनी वनों में ही उपलब्ध थी । वृंदावन का भगवान श्रीकृष्ण एवं राधिका के पवित्र प्रेम से सीधा संबंध रहा है । उनका यह संबंध देवी-देवताओं के प्रकृति प्रेम को दर्शाता है ।

वनों में अनेक प्रकार के पेड़-पौधों का भंडार होता है जो विभिन्न प्रकार से मानव के लिए उपयोगी है । पीपल के वृक्ष का हमारे लिए आध्यात्मिक महत्व तो है ही साथ ही साथ यह अत्यंत गुणकारी भी है क्योंकि यह प्रचुर मात्रा में ऑक्सीजन देकर मानव मात्र का कल्याण करता है । s

वैसे तो सभी वृक्ष दिन के समय ऑक्सीजन छोड़ते हैं जो जीवन के लिए आवश्यक तत्व है परंतु पीपल के वृक्ष में ऑक्सीजन प्रदान करने का अनुपात अन्य वृक्षों की तुलना में अधिक होता है । इसके अतिरिक्त नीम, बबूल, तुलसी, आँवला व शमी आदि वृक्षों का औषधि के रूप में विशेष महत्व है ।

वन मनुष्य के लिए ही नहीं अपितु समस्त जीव-जंतुओं के लिए आवश्यक हैं । इनसे प्रकृति का संतुलन बनाए रखने में मदद मिलती है । आज वनों के अधिकाधिक कटाव से अनेक महत्वपूर्ण जंतु लुप्त हो गए हैं तथा अनेक जंतुओं के लुप्त होने का खतरा उत्पन्न हो गया है । वनराज सिंह की संख्या में निरंतर कमी आ रही है । जंगली हाथियों की संख्या भी लगातार घट रही है । यही हाल अन्य जंतुओं का भी है ।

वन ऋतुचक्र एवं प्रकृति में संतुलन बनाए रखने में सक्षम होते हैं । वन अधिक वर्षा के समय मिट्‌टी के कटाव को रोकते हैं तथा उसकी उपजाऊ शक्ति को बनाए रखने में सहयोग करते हैं । पेड़-पौधे अपनी जड़ों के द्‌वारा पृथ्वी के जल को अवशोषित करते हैं जो पुन: वाष्पित होकर वायुमंडल में बादल का रूप ले लेते हैं, जिसके परिणामस्वरूप वर्षा होती है और यह चक्र निरंतर बना रहता है ।

परंतु मनुष्य की भी स्वार्थ लोलुपता एवं असंतोष की प्रवृत्ति से दिन-प्रतिदिन वृक्षों की संख्या के असंतुलन की संभावना उत्पन्न हो गई है । यही कारण है कि भूमि का कटाव बढ़ रहा है जिससे जलाशय दिन-प्रतिदिन सूखते जा रहे हैं । पानी की इस निरंतर कमी से जलीय-जंतुओं का अस्तित्व भी खतरे में पड़ रहा है ।

पेड़-पौधे पर्यावरण को शुद्‌ध रखने में प्रमुख भूमिका अदा करते हैं । घरों, मोटर-गाड़ियों व कल-कारखानों से निकली कार्बन-डाइऑक्साइड को ये अवशोषित करते हैं जिससे वातावरण में वायु प्रदूषण के नियंत्रण में काफी सहायता प्राप्त होती है । इस प्रकार पेड़-पौधे पर्यावरण को सीधे रूप में प्रभावित करते हैं ।

अत: पेड़-पौधे मनुष्य के लिए ही नहीं अपितु समस्त जीव-जंतुओं के लिए आवश्यक हैं । इनके अभाव में प्राकृतिक संतुलन को बनाए रखना असंभव है अत: यह हम सब के लिए आवश्यक है कि हम वन के महत्व को समझें । यह महत्वपूर्ण कार्य सामूहिक प्रयासों से ही संभव है । वृक्षारोपण कार्य को अधिक से अधिक विस्तार देना चाहिए तथा वे वन जो उजड़ने के कगार पर हैं वहाँ वृक्षों के कटाव पर रोक लगा देनी चाहिए।

सरकार का यह दायित्व बनता है कि वह अधिक से अधिक वृक्ष लगवाए तथा उन सभी के लिए कड़े दंड का प्रावधान रखे जो अनधिकृत रूप से पेड़ों को निरंतर काट रहे हैं । केवल सरकार ही नहीं अपितु समस्त समाजसेवी संस्थानों तथा विशेष रूप से नवयुवकों को वृक्षारोपण की दिशा में जागरूकता अभियान चलाना चाहिए ।

वृक्षारोपण के महत्व को उजागर करने के लिए छात्र जीवन से ही इसके महत्व को बताया जाना चाहिए । छात्रों को इसके लिए प्रोत्साहित करने हेतु समय-समय विभिन्न प्रतियोगिता का आयोजना करना चाहिए । अतएव वन मानव-जीवन के लिए ही नहीं अपितु सृष्टि के समस्त जीव-जंतुओं के लिए भी महत्वपूर्ण हैं । यह प्राकृतिक संतुलन एवं पर्यावरण की सुरक्षा के लिए नितांत आवश्यक है । वन प्रकृति का जीवों के लिए महत्वपूर्ण योगदान है । इस अमूल्य निधि को सुरक्षित रखना हम सब का उत्तरदायित्व है ।

वन संरक्षण हम सबकी एक जरूरत है । वनों का कटाव मानव सभ्यता के लिए एक गंभीर खतरा हो सकता है अत: प्रकृति एवं अपने जीवन में हरियाली कायम रखने के लिए वृक्षारोपण पर विशेष ध्यान देना चाहिए ।

” घने – प्रेम तरु तले बैठ छाँह लो भव – आतप से तापित और जले । छाया है विश्वास की श्रद् ‌ धा सरिता कूल , सिंची आँसुओं से मृदुल है यह परागमय धूल , यहाँ कौन जो छले ! ”

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  15. वन महोत्सव पर निबंध Essay On Van Mahotsav In Hindi

    वन महोत्सव पर निबंध Essay On Van Mahotsav In Hindi: नमस्कार दोस्तों प्रति वर्ष जुलाई के प्रथम सप्ताह में वन महोत्सव दिवस / सप्ताह मनाया जाता हैं. आज के निबंध में हम जानेगे ...

  16. वन महोत्सव पर निबंध

    वन महोत्सव पर निबंध 100 शब्दों में - Van Mahotsav Par Nibandh. वन महोत्सव का मुख्य उद्देश्य वनों को बचाना है। अपनी सुख - सुविधाओं के लिए हमनें वनों को ...

  17. Van Mahotsav 2021: History, significance, celebrations and quotes

    Since then, the tradition of celebrating Van Mahotsav and planting trees has continued. In 1950, it was declared as a national activity by the Minister of Food and Agriculture, Kanaiyaka Maneklal Munshi. Later on, the festival was moved to the first week in July and was renamed to Van Mahotsav in 1950. Significance of Van Mahotsav:

  18. वन का महत्व पर निबंध (Importance of Forest Essay in Hindi)

    Van ka Mahatva par Nibandh Hindi mein. Skip to content. ... वन का महत्व पर लघु और दीर्घ निबंध (Short and Long Essays on Importance of Forest, Van ka Mahatva par Nibandh Hindi mein) निबंध 1 (250 - 300 शब्द) - वन का महत्व ...

  19. van mahotsav essay in hindi

    van mahotsav essay in hindi | Essay Writing on Van Mahotsav in Hindi | वन महोत्सव पर हिन्दी निबंधAbout this videoIn this Video, you will learn how to ...

  20. वन महोत्सव पर निबंध (Van Mahotsav Essay In Hindi)

    वन महोत्सव पर निबंध (Van Mahotsav Essay In Hindi) प्रस्तावना. मनुष्य औद्योगीकरण और शहरीकरण इत्यादि के कारण पेड़ो की निरंतर कटाई कर रहा है। मनुष्य अपने आश्रय के लिए अपना ...

  21. वनों का महत्व पर निबंध

    May 23, 2023 Kanaram siyol HINDI NIBANDH. वनों का महत्व पर निबंध Vano Ka Mahatva Essay In Hindi Language आज हम वनों पर निबंध (Importance of Forests) में वनों की आवश्यकता महत्व पर्यावरण संरक्षण में ...

  22. Essay on Van Mahotsav in Hindi वन महोत्सव पर निबंध हिंदी में

    Van Mahotsav in Hindi. वन-महोत्सव. प्रकृति से जुड़ा वन महोत्सव प्रतिवर्ष जुलाई के महीने में मनाया जाता है। यह एक राष्ट्रीय कार्यक्रम है। हमारे ...

  23. वनों का महत्व पर निबंध

    वनों का महत्व पर निबंध | Essay on Importance of Forests in Hindi! प्राचीन काल से ही वन मनुष्य के जीवन में विशेष महत्व रखते थे । यह मानव जीवन के लिए प्रकृति के अनुपम उपहार हैं ...