भारत पर निबंध (Essay On India in Hindi) 10 lines 100, 150, 200, 250, 300, 500, शब्दों मे

essay on india in hindi for class 7

Essay On India in Hindi – भारत क्षेत्रफल के हिसाब से सातवां सबसे बड़ा देश है और एशिया में स्थित दुनिया का दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला देश है। भारत के तीन किनारे दक्षिण में हिंद महासागर, दक्षिण पश्चिम में अरब सागर और दक्षिण पूर्व में बंगाल की खाड़ी से घिरे हुए हैं, यह उत्तर में पाकिस्तान, चीन, नेपाल और भूटान के साथ भूमि सीमा साझा करता है; और बांग्लादेश, और म्यांमार पूर्व में। भारत का राष्ट्रीय पशु रॉयल बंगाल टाइगर है, भारत का राष्ट्रीय पक्षी मोर है, भारत का राष्ट्रीय फल आम है, भारत का राष्ट्रीय फूल कमल है, और भारत का राष्ट्रीय गान जन गण मन है।

छात्रों और बच्चों के लिए भारत पर लघु निबंध (Short Essay on India for Students and Kids in Hindi)

एशिया महाद्वीप में स्थित भारत देश क्षेत्रफल के हिसाब से सातवां सबसे बड़ा देश है और दुनिया का दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला देश है। 15 अगस्त 1947 को भारत को आजादी मिली। भारत में 29 राज्य और 7 केंद्र शासित प्रदेश हैं। भारत के राष्ट्रीय ध्वज का आकार क्षैतिज है, और यह शीर्ष पर गहरा केसरिया रंग, बीच में सफेद रंग और सबसे नीचे कठोर हरा रंग और सफेद रंग के बीच में एक अशोक चक्र के साथ तिरंगा है।

भारत की राजधानी नई दिल्ली है। भारत का राष्ट्रीय पशु रॉयल बंगाल टाइगर है, भारत का राष्ट्रीय पक्षी मोर है, भारत का राष्ट्रीय फल आम है, भारत का राष्ट्रीय फूल कमल है। भारत का राष्ट्रगान रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा लिखित जन गण मन है, और राष्ट्रीय गीत “वंदे मातरम” है और राष्ट्रीय खेल हॉकी है। हम भारत में भाषाओं, भोजन, संस्कृतियों, भूमि, तापमान की किस्मों को देख सकते हैं। भारत में इतनी विविधता होने के बावजूद भी भारत के लोग आपस में मिलजुल कर रहते हैं।

भारत पर निबंध 10 लाइन (Essay on India 10 lines in Hindi)

  • 1) भारत या ‘भारत गणराज्य’ एशिया का एक प्रायद्वीपीय देश है अर्थात् यह तीन ओर से जल से घिरा हुआ है।
  • 2) 7 पड़ोसी देशों के साथ भारत दुनिया का सातवाँ सबसे बड़ा देश है।
  • 3) चीन के बाद 1.3 अरब लोगों के साथ भारत दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाला देश है।
  • 4) पश्चिमी भाग में ‘अरब सागर’, दक्षिणी भाग में ‘हिंद महासागर’ और पूर्व में ‘बंगाल की खाड़ी’ है।
  • 5) भारत का उत्तरी भाग पहाड़ों से ढका हुआ है और प्रसिद्ध पर्वत श्रृंखलाओं में से एक ‘हिमालय’ है।
  • 6) भारत में बहने वाली कई छोटी और बड़ी नदियाँ हैं, जैसे गंगा, यमुना, ब्रह्मपुत्र, नर्मदा, गोदावरी, कावेरी आदि।
  • 7) भारत का राष्ट्रीय ध्वज एक आयताकार तिरंगा झंडा है जिसमें सबसे ऊपर केसरिया, बीच में सफेद और नीचे हरे रंग में बीच में ‘अशोक चक्र’ है।
  • 8) भारत का राष्ट्रीय प्रतीक ‘सारनाथ’ में ‘अशोक की शेर की राजधानी’ है और इसके नीचे “सत्यमेव जयते” लिखा है, जिसका अर्थ है सत्य की ही जीत होती है।
  • 9) भारत का राष्ट्रगान “जन गण मन” है जिसकी रचना रवींद्रनाथ टैगोर ने की थी।
  • 10) भारत का राष्ट्रीय गीत “वंदे मातरम” है जिसे बंकिम चंद्र चटर्जी ने लिखा था।

भारत पर निबंध 20 लाइन (Essay on India 20 lines in Hindi)

  • 1) भारत विशाल सांस्कृतिक और धार्मिक विविधता वाला विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है।
  • 2) भारत 29 राज्यों और सात केंद्र शासित प्रदेशों के संघ के साथ एक एकल एकात्मक देश है।
  • 3) भारत में विशाल भौगोलिक विविधताएँ भी हैं – पर्वत श्रृंखलाएँ से लेकर शुष्क रेगिस्तान और सदाबहार वन।
  • 4) वन्यजीवों से समृद्ध भारत एशियाई शेरों, बंगाल के बाघों, हाथियों और विभिन्न अन्य प्रजातियों का घर है।
  • 5) मेघालय के उत्तर पूर्वी राज्य चेरापूंजी में भारत में सबसे अधिक वार्षिक वर्षा होती है।
  • 6) राजस्थान के उत्तर पश्चिमी राज्य में जैसलमेर के रेगिस्तान में बहुत कम या बिल्कुल भी वर्षा नहीं होती है।
  • 7) भारत में हर राज्य की अपनी जातीयता के साथ-साथ सांस्कृतिक और भाषाई विरासत है।
  • 8) सदियों से आक्रमणों को देखने के बावजूद, भारत ने अपनी संस्कृति और मूल्यों को नहीं खोया है।
  • 9) मुंबई में बांद्रा-वर्ली सी लिंक में स्टील के तार हैं जो पृथ्वी की परिधि तक मापते हैं।
  • 10) भारत दुनिया की सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक, सिंधु घाटी सभ्यता का घर रहा है।
  • 11) देश का नाम ‘इंडिया’ अति प्राचीन सिंधु नदी से लिया गया है।
  • 12) भारत गाँवों की भूमि है जहाँ 60 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्र में रहती है।
  • 13) संयुक्त राज्य अमेरिका के बाद भारत में दूसरी सबसे बड़ी कृषि भूमि है और अधिकांश लोग कृषि में कार्यरत हैं।
  • 14) यह वह देश है जहाँ महान वैज्ञानिक, आध्यात्मिक गुरु, गणितज्ञों ने जन्म लिया और महान कार्य किया।
  • 15) भारत विविध संस्कृतियों, रीति-रिवाजों, परंपराओं और भाषाओं का देश है।
  • 16) भारत वह देश है जिसने पूरी दुनिया को सनातन धर्म के नाम से लोकप्रिय जीवन दर्शन के बारे में सिखाया।
  • 17) भारत का ISRO अमेरिका, रूस, चीन और यूरोप के अंतरिक्ष संगठन के बाद पांचवां सबसे बड़ा अंतरिक्ष संगठन है।
  • 18) संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन के बाद भारत के पास तीसरी सबसे बड़ी सेना है।
  • 19) इसमें लगभग 600 वन्य जीवन अभयारण्य हैं और पक्षियों की 1400 प्रजातियों का घर है।
  • 20) भारत में कई प्रसिद्ध और प्राचीन ऐतिहासिक इमारतें, विरासत और स्मारक हैं जो दुनिया भर के लाखों पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।

इनके बारे मे जाने

भारत पर निबंध 100 शब्द (Essay on India 100 words in Hindi)

भारत पूरे विश्व में प्रसिद्ध देश है। भौगोलिक दृष्टि से हमारा देश एशिया महाद्वीप के दक्षिण में स्थित है। भारत एक अत्यधिक आबादी वाला देश है और स्वाभाविक रूप से सभी दिशाओं से सुरक्षित भी है। यह अपनी महान संस्कृति और पारंपरिक मूल्यों के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्ध देश है। इसमें हिमालय नाम का एक पर्वत है जो दुनिया में सबसे ऊंचा है। यह तीन तरफ से तीन महासागरों से घिरा हुआ है, जैसे दक्षिण में हिंद महासागर, पूर्व में बंगाल की खाड़ी और पश्चिम में अरेबिका सागर। भारत एक लोकतांत्रिक देश है, जो जनसंख्या के मामले में दूसरे नंबर पर है। भारत की राष्ट्रभाषा हिन्दी है, यद्यपि यहाँ लगभग 14 राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त भाषाएँ बोली जाती हैं।

भारत पर निबंध 150 शब्द (Essay on India 150 words in Hindi)

भारत एक खूबसूरत देश है जो अपनी अलग संस्कृति और परंपरा के लिए जाना जाता है। यह अपनी ऐतिहासिक विरासत और स्मारकों के लिए प्रसिद्ध है। यहां के नागरिक स्वभाव से बेहद विनम्र और चकाचौंध वाले हैं। ब्रिटिश शासन के तहत, यह 1947 से पहले एक गुलाम देश था। हालाँकि, हमारे महान स्वतंत्रता सेनानियों के संघर्ष और समर्पण के कारण, भारत को 1947 में अंग्रेजों से आज़ादी मिली। जब भारत को आज़ादी मिली, तो पंडित जवाहरलाल नेहरू भारत के पहले प्रधान मंत्री बने और भारतीय ध्वज फहराया और कहा “जब दुनिया सोती है, भारत जीवन और स्वतंत्रता के लिए जागेगा”।

भारत एक लोकतांत्रिक और लोकतांत्रिक देश है जहां देश के लोगों को देश की भलाई के लिए निर्णय लेने का अधिकार है। भारत इस कथन “विविधता में एकता” के लिए प्रसिद्ध देश है क्योंकि विभिन्न जाति, धर्म, संस्कृति और परंपरा के लोग एक साथ एकता में रहते हैं। अधिकांश भारतीय स्मारक और विरासत स्थल विश्व धरोहर स्थल से जुड़े हुए हैं।

भारत पर निबंध 200 शब्द (Essay on India 200 words in Hindi)

भारत एक धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र है। इसका अर्थ है कि सभी धर्मों का समान रूप से सम्मान किया जाता है, और प्रत्येक व्यक्ति किसी भी धर्म का पालन करने के लिए स्वतंत्र है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। यहां के लोगों के पास सभी बुनियादी मानवाधिकार हैं। भारत का राष्ट्रीय विरासत पशु भारतीय हाथी है। भारत की राष्ट्रीय नदी गंगा है। गंगा एक पवित्र हिंदू नदी है, जो इतनी पवित्र है कि ऐसा माना जाता है कि यह लोगों के पापों को धो देती है। भारत में सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न है, जिसका अर्थ है ‘भारत का गहना’।

भारत की सबसे प्रमुख हस्तियां जो उत्कृष्टता के साथ सेवा करती हैं, उनका कार्यक्षेत्र समर्पण के साथ है, और कड़ी मेहनत इस पुरस्कार को अर्जित करती है। परमवीर चक्र बहादुरी प्रदर्शित करने के लिए दिया जाने वाला भारत का सर्वोच्च सैन्य सम्मान है। नागरिकों की रक्षा के लिए अपना जीवन ऑनलाइन करने वाले सैनिक भारत के नायक हैं। भारत के पहले प्रधान मंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू थे, जिन्हें पंडित नेहरू या चाचा नेहरू भी कहा जाता है।

संविधान सभा द्वारा भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद थे। वह आईएनसी (भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस) के सदस्य थे, और वह एक विद्वान थे। मोहनदास करमचंद गांधी, जिन्हें प्यार से बापूजी या महात्मा गांधी के नाम से जाना जाता है, हमारे राष्ट्रपिता हैं। वह दुनिया भर में सबसे अधिक मान्यता प्राप्त व्यक्ति हैं, जो अहिंसा द्वारा देश की स्वतंत्रता में उनके योगदान के लिए जाने जाते हैं। रवींद्रनाथ टैगोर ने वर्ष 1913 में साहित्य में नोबेल पुरस्कार जीता था, और वे भारत के सबसे प्रतिष्ठित व्यक्तित्वों में से एक हैं।

भारत पर निबंध 250 शब्द (Essay on India 250 words in Hindi)

भारत में राजनीतिक परिदृश्य एक बहुदलीय चुनावी प्रणाली है। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) भारत की पहली राजनीतिक पार्टी थी। भारत वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) द्वारा शासित है। भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी हैं, जबकि देश के राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद हैं। गृह मंत्रालय का ध्यान अमित शाह द्वारा रखा जाता है, और विदेश मंत्रालय या विदेश मामलों के मंत्री सुब्रह्मण्यम जयशंकर हैं।

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Hindi Essay (Hindi Nibandh) 100 विषयों पर हिंदी निबंध लेखन

Hindi Essay (Hindi Nibandh) | 100 विषयों पर हिंदी निबंध लेखन – Essays in Hindi on 100 Topics

हिंदी निबंध: हिंदी हमारी राष्ट्रीय भाषा है। हमारे हिंदी भाषा कौशल को सीखना और सुधारना भारत के अधिकांश स्थानों में सेवा करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। स्कूली दिनों से ही हम हिंदी भाषा सीखते थे। कुछ स्कूल और कॉलेज हिंदी के अतिरिक्त बोर्ड और निबंध बोर्ड में निबंध लेखन का आयोजन करते हैं, छात्रों को बोर्ड परीक्षा में हिंदी निबंध लिखने की आवश्यकता होती है।

निबंध – Nibandh In Hindi – Hindi Essay Topics

  • सच्चा धर्म पर निबंध – (True Religion Essay)
  • राष्ट्र निर्माण में युवाओं का योगदान निबंध – (Role Of Youth In Nation Building Essay)
  • अतिवृष्टि पर निबंध – (Flood Essay)
  • राष्ट्र निर्माण में शिक्षक की भूमिका पर निबंध – (Role Of Teacher In Nation Building Essay)
  • नक्सलवाद पर निबंध – (Naxalism In India Essay)
  • साहित्य समाज का दर्पण है हिंदी निबंध – (Literature And Society Essay)
  • नशे की दुष्प्रवृत्ति निबंध – (Drug Abuse Essay)
  • मन के हारे हार है मन के जीते जीत पर निबंध – (It is the Mind which Wins and Defeats Essay)
  • एक राष्ट्र एक कर : जी०एस०टी० ”जी० एस०टी० निबंध – (Gst One Nation One Tax Essay)
  • युवा पर निबंध – (Youth Essay)
  • अक्षय ऊर्जा : सम्भावनाएँ और नीतियाँ निबंध – (Renewable Sources Of Energy Essay)
  • मूल्य-वृदधि की समस्या निबंध – (Price Rise Essay)
  • परहित सरिस धर्म नहिं भाई निबंध – (Philanthropy Essay)
  • पर्वतीय यात्रा पर निबंध – (Parvatiya Yatra Essay)
  • असंतुलित लिंगानुपात निबंध – (Sex Ratio Essay)
  • मनोरंजन के आधुनिक साधन पर निबंध – (Means Of Entertainment Essay)
  • मेट्रो रेल पर निबंध – (Metro Rail Essay)
  • दूरदर्शन पर निबंध – (Importance Of Doordarshan Essay)
  • दूरदर्शन और युवावर्ग पर निबंध – (Doordarshan Essay)
  • बस्ते का बढ़ता बोझ पर निबंध – (Baste Ka Badhta Bojh Essay)
  • महानगरीय जीवन पर निबंध – (Metropolitan Life Essay)
  • दहेज नारी शक्ति का अपमान है पे निबंध – (Dowry Problem Essay)
  • सुरीला राजस्थान निबंध – (Folklore Of Rajasthan Essay)
  • राजस्थान में जल संकट पर निबंध – (Water Scarcity In Rajasthan Essay)
  • खुला शौच मुक्त गाँव पर निबंध – (Khule Me Soch Mukt Gaon Par Essay)
  • रंगीला राजस्थान पर निबंध – (Rangila Rajasthan Essay)
  • राजस्थान के लोकगीत पर निबंध – (Competition Of Rajasthani Folk Essay)
  • मानसिक सुख और सन्तोष निबंध – (Happiness Essay)
  • मेरे जीवन का लक्ष्य पर निबंध नंबर – (My Aim In Life Essay)
  • राजस्थान में पर्यटन पर निबंध – (Tourist Places Of Rajasthan Essay)
  • नर हो न निराश करो मन को पर निबंध – (Nar Ho Na Nirash Karo Man Ko Essay)
  • राजस्थान के प्रमुख लोक देवता पर निबंध – (The Major Folk Deities Of Rajasthan Essay)
  • देशप्रेम पर निबंध – (Patriotism Essay)
  • पढ़ें बेटियाँ, बढ़ें बेटियाँ योजना यूपी में लागू निबंध – (Read Daughters, Grow Daughters Essay)
  • सत्संगति का महत्व पर निबंध – (Satsangati Ka Mahatva Nibandh)
  • सिनेमा और समाज पर निबंध – (Cinema And Society Essay)
  • विपत्ति कसौटी जे कसे ते ही साँचे मीत पर निबंध – (Vipatti Kasauti Je Kase Soi Sache Meet Essay)
  • लड़का लड़की एक समान पर निबंध – (Ladka Ladki Ek Saman Essay)
  • विज्ञापन के प्रभाव – (Paragraph Speech On Vigyapan Ke Prabhav Essay)
  • रेलवे प्लेटफार्म का दृश्य पर निबंध – (Railway Platform Ka Drishya Essay)
  • समाचार-पत्र का महत्त्व पर निबंध – (Importance Of Newspaper Essay)
  • समाचार-पत्रों से लाभ पर निबंध – (Samachar Patr Ke Labh Essay)
  • समाचार पत्र पर निबंध (Newspaper Essay in Hindi)
  • व्यायाम का महत्व निबंध – (Importance Of Exercise Essay)
  • विद्यार्थी जीवन पर निबंध – (Student Life Essay)
  • विद्यार्थी और राजनीति पर निबंध – (Students And Politics Essay)
  • विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध – (Vidyarthi Aur Anushasan Essay)
  • मेरा प्रिय त्यौहार निबंध – (My Favorite Festival Essay)
  • मेरा प्रिय पुस्तक पर निबंध – (My Favourite Book Essay)
  • पुस्तक मेला पर निबंध – (Book Fair Essay)
  • मेरा प्रिय खिलाड़ी निबंध हिंदी में – (My Favorite Player Essay)
  • सर्वधर्म समभाव निबंध – (All Religions Are Equal Essay)
  • शिक्षा में खेलकूद का स्थान निबंध – (Shiksha Mein Khel Ka Mahatva Essay)a
  • खेल का महत्व पर निबंध – (Importance Of Sports Essay)
  • क्रिकेट पर निबंध – (Cricket Essay)
  • ट्वेन्टी-20 क्रिकेट पर निबंध – (T20 Cricket Essay)
  • मेरा प्रिय खेल-क्रिकेट पर निबंध – (My Favorite Game Cricket Essay)
  • पुस्तकालय पर निबंध – (Library Essay)
  • सूचना प्रौद्योगिकी और मानव कल्याण निबंध – (Information Technology Essay)
  • कंप्यूटर और टी.वी. का प्रभाव निबंध – (Computer Aur Tv Essay)
  • कंप्यूटर की उपयोगिता पर निबंध – (Computer Ki Upyogita Essay)
  • कंप्यूटर शिक्षा पर निबंध – (Computer Education Essay)
  • कंप्यूटर के लाभ पर निबंध – (Computer Ke Labh Essay)
  • इंटरनेट पर निबंध – (Internet Essay)
  • विज्ञान: वरदान या अभिशाप पर निबंध – (Science Essay)
  • शिक्षा का गिरता स्तर पर निबंध – (Falling Price Level Of Education Essay)
  • विज्ञान के गुण और दोष पर निबंध – (Advantages And Disadvantages Of Science Essay)
  • विद्यालय में स्वास्थ्य शिक्षा निबंध – (Health Education Essay)
  • विद्यालय का वार्षिकोत्सव पर निबंध – (Anniversary Of The School Essay)
  • विज्ञान के वरदान पर निबंध – (The Gift Of Science Essays)
  • विज्ञान के चमत्कार पर निबंध (Wonder Of Science Essay in Hindi)
  • विकास पथ पर भारत निबंध – (Development Of India Essay)
  • कम्प्यूटर : आधुनिक यन्त्र–पुरुष – (Computer Essay)
  • मोबाइल फोन पर निबंध (Mobile Phone Essay)
  • मेरी अविस्मरणीय यात्रा पर निबंध – (My Unforgettable Trip Essay)
  • मंगल मिशन (मॉम) पर निबंध – (Mars Mission Essay)
  • विज्ञान की अद्भुत खोज कंप्यूटर पर निबंध – (Vigyan Ki Khoj Kampyootar Essay)
  • भारत का उज्जवल भविष्य पर निबंध – (Freedom Is Our Birthright Essay)
  • सारे जहाँ से अच्छा हिंदुस्तान हमारा निबंध इन हिंदी – (Sare Jahan Se Achha Hindustan Hamara Essay)
  • डिजिटल इंडिया पर निबंध (Essay on Digital India)
  • भारतीय संस्कृति पर निबंध – (India Culture Essay)
  • राष्ट्रभाषा हिन्दी निबंध – (National Language Hindi Essay)
  • भारत में जल संकट निबंध – (Water Crisis In India Essay)
  • कौशल विकास योजना पर निबंध – (Skill India Essay)
  • हमारा प्यारा भारत वर्ष पर निबंध – (Mera Pyara Bharat Varsh Essay)
  • अनेकता में एकता : भारत की विशेषता – (Unity In Diversity Essay)
  • महंगाई की समस्या पर निबन्ध – (Problem Of Inflation Essay)
  • महंगाई पर निबंध – (Mehangai Par Nibandh)
  • आरक्षण : देश के लिए वरदान या अभिशाप निबंध – (Reservation System Essay)
  • मेक इन इंडिया पर निबंध (Make In India Essay In Hindi)
  • ग्रामीण समाज की समस्याएं पर निबंध – (Problems Of Rural Society Essay)
  • मेरे सपनों का भारत पर निबंध – (India Of My Dreams Essay)
  • भारतीय राजनीति में जातिवाद पर निबंध – (Caste And Politics In India Essay)
  • भारतीय नारी पर निबंध – (Indian Woman Essay)
  • आधुनिक नारी पर निबंध – (Modern Women Essay)
  • भारतीय समाज में नारी का स्थान निबंध – (Women’s Role In Modern Society Essay)
  • चुनाव पर निबंध – (Election Essay)
  • चुनाव स्थल के दृश्य का वर्णन निबन्ध – (An Election Booth Essay)
  • पराधीन सपनेहुँ सुख नाहीं पर निबंध – (Dependence Essay)
  • परमाणु शक्ति और भारत हिंदी निंबध – (Nuclear Energy Essay)
  • यदि मैं प्रधानमंत्री होता तो हिंदी निबंध – (If I were the Prime Minister Essay)
  • आजादी के 70 साल निबंध – (India ofter 70 Years Of Independence Essay)
  • भारतीय कृषि पर निबंध – (Indian Farmer Essay)
  • संचार के साधन पर निबंध – (Means Of Communication Essay)
  • भारत में दूरसंचार क्रांति हिंदी में निबंध – (Telecom Revolution In India Essay)
  • दूरसंचार में क्रांति निबंध – (Revolution In Telecommunication Essay)
  • राष्ट्रीय एकता का महत्व पर निबंध (Importance Of National Integration)
  • भारत की ऋतुएँ पर निबंध – (Seasons In India Essay)
  • भारत में खेलों का भविष्य पर निबंध – (Future Of Sports Essay)
  • किसी खेल (मैच) का आँखों देखा वर्णन पर निबंध – (Kisi Match Ka Aankhon Dekha Varnan Essay)
  • राजनीति में अपराधीकरण पर निबंध – (Criminalization Of Indian Politics Essay)
  • प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर हिन्दी निबंध – (Narendra Modi Essay)
  • बाल मजदूरी पर निबंध – (Child Labour Essay)
  • भ्रष्टाचार पर निबंध (Corruption Essay in Hindi)
  • महिला सशक्तिकरण पर निबंध – (Women Empowerment Essay)
  • बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर निबंध (Beti Bachao Beti Padhao)
  • गरीबी पर निबंध (Poverty Essay in Hindi)
  • स्वच्छ भारत अभियान पर निबंध (Swachh Bharat Abhiyan Essay)
  • बाल विवाह एक अभिशाप पर निबंध – (Child Marriage Essay)
  • राष्ट्रीय एकीकरण पर निबंध – (Importance of National Integration Essay)
  • आतंकवाद पर निबंध (Terrorism Essay in hindi)
  • सड़क सुरक्षा पर निबंध (Road Safety Essay in Hindi)
  • बढ़ती भौतिकता घटते मानवीय मूल्य पर निबंध – (Increasing Materialism Reducing Human Values Essay)
  • गंगा की सफाई देश की भलाई पर निबंध – (The Good Of The Country: Cleaning The Ganges Essay)
  • सत्संगति पर निबंध – (Satsangati Essay)
  • महिलाओं की समाज में भूमिका पर निबंध – (Women’s Role In Society Today Essay)
  • यातायात के नियम पर निबंध – (Traffic Safety Essay)
  • बेटी बचाओ पर निबंध – (Beti Bachao Essay)
  • सिनेमा या चलचित्र पर निबंध – (Cinema Essay In Hindi)
  • परहित सरिस धरम नहिं भाई पर निबंध – (Parhit Saris Dharam Nahi Bhai Essay)
  • पेड़-पौधे का महत्व निबंध – (The Importance Of Trees Essay)
  • वर्तमान शिक्षा प्रणाली – (Modern Education System Essay)
  • महिला शिक्षा पर निबंध (Women Education Essay In Hindi)
  • महिलाओं की समाज में भूमिका पर निबंध (Women’s Role In Society Essay In Hindi)
  • यदि मैं प्रधानाचार्य होता पर निबंध – (If I Was The Principal Essay)
  • बेरोजगारी पर निबंध (Unemployment Essay)
  • शिक्षित बेरोजगारी की समस्या निबंध – (Problem Of Educated Unemployment Essay)
  • बेरोजगारी समस्या और समाधान पर निबंध – (Unemployment Problem And Solution Essay)
  • दहेज़ प्रथा पर निबंध (Dowry System Essay in Hindi)
  • जनसँख्या पर निबंध – (Population Essay)
  • श्रम का महत्त्व निबंध – (Importance Of Labour Essay)
  • जनसंख्या वृद्धि के दुष्परिणाम पर निबंध – (Problem Of Increasing Population Essay)
  • भ्रष्टाचार : समस्या और निवारण निबंध – (Corruption Problem And Solution Essay)
  • मीडिया और सामाजिक उत्तरदायित्व निबंध – (Social Responsibility Of Media Essay)
  • हमारे जीवन में मोबाइल फोन का महत्व पर निबंध – (Importance Of Mobile Phones Essay In Our Life)
  • विश्व में अत्याधिक जनसंख्या पर निबंध – (Overpopulation in World Essay)
  • भारत में बेरोजगारी की समस्या पर निबंध – (Problem Of Unemployment In India Essay)
  • गणतंत्र दिवस पर निबंध – (Republic Day Essay)
  • भारत के गाँव पर निबंध – (Indian Village Essay)
  • गणतंत्र दिवस परेड पर निबंध – (Republic Day of India Essay)
  • गणतंत्र दिवस के महत्व पर निबंध – (2020 – Republic Day Essay)
  • महात्मा गांधी पर निबंध (Mahatma Gandhi Essay)
  • ए.पी.जे. अब्दुल कलाम पर निबंध – (Dr. A.P.J. Abdul Kalam Essay)
  • परिवार नियोजन पर निबंध – (Family Planning In India Essay)
  • मेरा सच्चा मित्र पर निबंध – (My Best Friend Essay)
  • अनुशासन पर निबंध (Discipline Essay)
  • देश के प्रति मेरे कर्त्तव्य पर निबंध – (My Duty Towards My Country Essay)
  • समय का सदुपयोग पर निबंध – (Samay Ka Sadupyog Essay)
  • नागरिकों के अधिकारों और कर्तव्यों पर निबंध (Rights And Responsibilities Of Citizens Essay In Hindi)
  • ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध – (Global Warming Essay)
  • जल जीवन का आधार निबंध – (Jal Jeevan Ka Aadhar Essay)
  • जल ही जीवन है निबंध – (Water Is Life Essay)
  • प्रदूषण की समस्या और समाधान पर लघु निबंध – (Pollution Problem And Solution Essay)
  • प्रकृति संरक्षण पर निबंध (Conservation of Nature Essay In Hindi)
  • वन जीवन का आधार निबंध – (Forest Essay)
  • पर्यावरण बचाओ पर निबंध (Environment Essay)
  • पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध (Environmental Pollution Essay in Hindi)
  • पर्यावरण सुरक्षा पर निबंध (Environment Protection Essay In Hindi)
  • बढ़ते वाहन घटता जीवन पर निबंध – (Vehicle Pollution Essay)
  • योग पर निबंध (Yoga Essay)
  • मिलावटी खाद्य पदार्थ और स्वास्थ्य पर निबंध – (Adulterated Foods And Health Essay)
  • प्रकृति निबंध – (Nature Essay In Hindi)
  • वर्षा ऋतु पर निबंध – (Rainy Season Essay)
  • वसंत ऋतु पर निबंध – (Spring Season Essay)
  • बरसात का एक दिन पर निबंध – (Barsat Ka Din Essay)
  • अभ्यास का महत्व पर निबंध – (Importance Of Practice Essay)
  • स्वास्थ्य ही धन है पर निबंध – (Health Is Wealth Essay)
  • महाकवि तुलसीदास का जीवन परिचय निबंध – (Tulsidas Essay)
  • मेरा प्रिय कवि निबंध – (My Favourite Poet Essay)
  • मेरी प्रिय पुस्तक पर निबंध – (My Favorite Book Essay)
  • कबीरदास पर निबन्ध – (Kabirdas Essay)

इसलिए, यह जानना और समझना बहुत महत्वपूर्ण है कि विषय के बारे में संक्षिप्त और कुरकुरा लाइनों के साथ एक आदर्श हिंदी निबन्ध कैसे लिखें। साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं। तो, छात्र आसानी से स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए हिंदी में निबन्ध कैसे लिखें, इसकी तैयारी कर सकते हैं। इसके अलावा, आप हिंदी निबंध लेखन की संरचना, हिंदी में एक प्रभावी निबंध लिखने के लिए टिप्स आदि के बारे में कुछ विस्तृत जानकारी भी प्राप्त कर सकते हैं। ठीक है, आइए हिंदी निबन्ध के विवरण में गोता लगाएँ।

हिंदी निबंध लेखन – स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए हिंदी में निबन्ध कैसे लिखें?

प्रभावी निबंध लिखने के लिए उस विषय के बारे में बहुत अभ्यास और गहन ज्ञान की आवश्यकता होती है जिसे आपने निबंध लेखन प्रतियोगिता या बोर्ड परीक्षा के लिए चुना है। छात्रों को वर्तमान में हो रही स्थितियों और हिंदी में निबंध लिखने से पहले विषय के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं के बारे में जानना चाहिए। हिंदी में पावरफुल निबन्ध लिखने के लिए सभी को कुछ प्रमुख नियमों और युक्तियों का पालन करना होगा।

हिंदी निबन्ध लिखने के लिए आप सभी को जो प्राथमिक कदम उठाने चाहिए उनमें से एक सही विषय का चयन करना है। इस स्थिति में आपकी सहायता करने के लिए, हमने सभी प्रकार के हिंदी निबंध विषयों पर शोध किया है और नीचे सूचीबद्ध किया है। एक बार जब हम सही विषय चुन लेते हैं तो विषय के बारे में सभी सामान्य और तथ्यों को एकत्र करते हैं और अपने पाठकों को संलग्न करने के लिए उन्हें अपने निबंध में लिखते हैं।

तथ्य आपके पाठकों को अंत तक आपके निबंध से चिपके रहेंगे। इसलिए, हिंदी में एक निबंध लिखते समय मुख्य बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित करें और किसी प्रतियोगिता या बोर्ड या प्रतिस्पर्धी जैसी परीक्षाओं में अच्छा स्कोर करें। ये हिंदी निबंध विषय पहली कक्षा से 10 वीं कक्षा तक के सभी कक्षा के छात्रों के लिए उपयोगी हैं। तो, उनका सही ढंग से उपयोग करें और हिंदी भाषा में एक परिपूर्ण निबंध बनाएं।

हिंदी भाषा में दीर्घ और लघु निबंध विषयों की सूची

हिंदी निबन्ध विषयों और उदाहरणों की निम्न सूची को विभिन्न श्रेणियों में विभाजित किया गया है जैसे कि प्रौद्योगिकी, पर्यावरण, सामान्य चीजें, अवसर, खेल, खेल, स्कूली शिक्षा, और बहुत कुछ। बस अपने पसंदीदा हिंदी निबंध विषयों पर क्लिक करें और विषय पर निबंध के लघु और लंबे रूपों के साथ विषय के बारे में पूरी जानकारी आसानी से प्राप्त करें।

विषय के बारे में समग्र जानकारी एकत्रित करने के बाद, अपनी लाइनें लागू करने का समय और हिंदी में एक प्रभावी निबन्ध लिखने के लिए। यहाँ प्रचलित सभी विषयों की जाँच करें और किसी भी प्रकार की प्रतियोगिताओं या परीक्षाओं का प्रयास करने से पहले जितना संभव हो उतना अभ्यास करें।

हिंदी निबंधों की संरचना

Hindi Essay Parts

उपरोक्त छवि आपको हिंदी निबन्ध की संरचना के बारे में प्रदर्शित करती है और आपको निबन्ध को हिन्दी में प्रभावी ढंग से रचने के बारे में कुछ विचार देती है। यदि आप स्कूल या कॉलेजों में निबंध लेखन प्रतियोगिता में किसी भी विषय को लिखते समय निबंध के इन हिस्सों का पालन करते हैं तो आप निश्चित रूप से इसमें पुरस्कार जीतेंगे।

इस संरचना को बनाए रखने से निबंध विषयों का अभ्यास करने से छात्रों को विषय पर ध्यान केंद्रित करने और विषय के बारे में छोटी और कुरकुरी लाइनें लिखने में मदद मिलती है। इसलिए, यहां संकलित सूची में से अपने पसंदीदा या दिलचस्प निबंध विषय को हिंदी में चुनें और निबंध की इस मूल संरचना का अनुसरण करके एक निबंध लिखें।

हिंदी में एक सही निबंध लिखने के लिए याद रखने वाले मुख्य बिंदु

अपने पाठकों को अपने हिंदी निबंधों के साथ संलग्न करने के लिए, आपको हिंदी में एक प्रभावी निबंध लिखते समय कुछ सामान्य नियमों का पालन करना चाहिए। कुछ युक्तियाँ और नियम इस प्रकार हैं:

  • अपना हिंदी निबंध विषय / विषय दिए गए विकल्पों में से समझदारी से चुनें।
  • अब उन सभी बिंदुओं को याद करें, जो निबंध लिखने शुरू करने से पहले विषय के बारे में एक विचार रखते हैं।
  • पहला भाग: परिचय
  • दूसरा भाग: विषय का शारीरिक / विस्तार विवरण
  • तीसरा भाग: निष्कर्ष / अंतिम शब्द
  • एक निबंध लिखते समय सुनिश्चित करें कि आप एक सरल भाषा और शब्दों का उपयोग करते हैं जो विषय के अनुकूल हैं और एक बात याद रखें, वाक्यों को जटिल न बनाएं,
  • जानकारी के हर नए टुकड़े के लिए निबंध लेखन के दौरान एक नए पैराग्राफ के साथ इसे शुरू करें।
  • अपने पाठकों को आकर्षित करने या उत्साहित करने के लिए जहाँ कहीं भी संभव हो, कुछ मुहावरे या कविताएँ जोड़ें और अपने हिंदी निबंध के साथ संलग्न रहें।
  • विषय या विषय को बीच में या निबंध में जारी रखने से न चूकें।
  • यदि आप संक्षेप में हिंदी निबंध लिख रहे हैं तो इसे 200-250 शब्दों में समाप्त किया जाना चाहिए। यदि यह लंबा है, तो इसे 400-500 शब्दों में समाप्त करें।
  • महत्वपूर्ण हिंदी निबंध विषयों का अभ्यास करते समय इन सभी युक्तियों और बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए, आप निश्चित रूप से किसी भी प्रतियोगी परीक्षाओं में कुरकुरा और सही निबंध लिख सकते हैं या फिर सीबीएसई, आईसीएसई जैसी बोर्ड परीक्षाओं में।

हिंदी निबंध लेखन पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. मैं अपने हिंदी निबंध लेखन कौशल में सुधार कैसे कर सकता हूं? अपने हिंदी निबंध लेखन कौशल में सुधार करने के सर्वोत्तम तरीकों में से एक किताबों और समाचार पत्रों को पढ़ना और हिंदी में कुछ जानकारीपूर्ण श्रृंखलाओं को देखना है। ये चीजें आपकी हिंदी शब्दावली में वृद्धि करेंगी और आपको हिंदी में एक प्रेरक निबंध लिखने में मदद करेंगी।

2. CBSE, ICSE बोर्ड परीक्षा के लिए हिंदी निबंध लिखने में कितना समय देना चाहिए? हिंदी बोर्ड परीक्षा में एक प्रभावी निबंध लिखने पर 20-30 का खर्च पर्याप्त है। क्योंकि परीक्षा हॉल में हर मिनट बहुत महत्वपूर्ण है। इसलिए, सभी वर्गों के लिए समय बनाए रखना महत्वपूर्ण है। परीक्षा से पहले सभी हिंदी निबन्ध विषयों से पहले अभ्यास करें और परीक्षा में निबंध लेखन पर खर्च करने का समय निर्धारित करें।

3. हिंदी में निबंध के लिए 200-250 शब्द पर्याप्त हैं? 200-250 शब्दों वाले हिंदी निबंध किसी भी स्थिति के लिए बहुत अधिक हैं। इसके अलावा, पाठक केवल आसानी से पढ़ने और उनसे जुड़ने के लिए लघु निबंधों में अधिक रुचि दिखाते हैं।

4. मुझे छात्रों के लिए सर्वश्रेष्ठ औपचारिक और अनौपचारिक हिंदी निबंध विषय कहां मिल सकते हैं? आप हमारे पेज से कक्षा 1 से 10 तक के छात्रों के लिए हिंदी में विभिन्न सामान्य और विशिष्ट प्रकार के निबंध विषय प्राप्त कर सकते हैं। आप स्कूलों और कॉलेजों में प्रतियोगिताओं, परीक्षाओं और भाषणों के लिए हिंदी में इन छोटे और लंबे निबंधों का उपयोग कर सकते हैं।

5. हिंदी परीक्षाओं में प्रभावशाली निबंध लिखने के कुछ तरीके क्या हैं? हिंदी में प्रभावी और प्रभावशाली निबंध लिखने के लिए, किसी को इसमें शानदार तरीके से काम करना चाहिए। उसके लिए, आपको इन बिंदुओं का पालन करना चाहिए और सभी प्रकार की परीक्षाओं में एक परिपूर्ण हिंदी निबंध की रचना करनी चाहिए:

  • एक पंच-लाइन की शुरुआत।
  • बहुत सारे विशेषणों का उपयोग करें।
  • रचनात्मक सोचें।
  • कठिन शब्दों के प्रयोग से बचें।
  • आंकड़े, वास्तविक समय के उदाहरण, प्रलेखित जानकारी दें।
  • सिफारिशों के साथ निष्कर्ष निकालें।
  • निष्कर्ष के साथ पंचलाइन को जोड़ना।

निष्कर्ष हमने एक टीम के रूप में हिंदी निबन्ध विषय पर पूरी तरह से शोध किया और इस पृष्ठ पर कुछ मुख्य महत्वपूर्ण विषयों को सूचीबद्ध किया। हमने इन हिंदी निबंध लेखन विषयों को उन छात्रों के लिए एकत्र किया है जो निबंध प्रतियोगिता या प्रतियोगी या बोर्ड परीक्षाओं में भाग ले रहे हैं। तो, हम आशा करते हैं कि आपको यहाँ पर सूची से हिंदी में अपना आवश्यक निबंध विषय मिल गया होगा।

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Hindi Essays for Class 7: Top 10 Hindi Nibandhs

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List of popular essays for class 7 students in Hindi language!

स्वावलंबन (आत्म-निर्भरता) पर निबन्ध | Essay on Essay on Self Independent in Hindi

बालक-बालिका एक समान पर निबन्ध | Essay on Boys and Girls are Equal in Hindi

परोपकार पर निबन्ध | Essay on Beneficence in Hindi

ग्रीष्म ऋतु (गरमी की ऋतु) पर निबन्ध | Essay on Summer Season in Hindi

सत्संगति पर निबन्ध | Essay on Good Company in Hindi

छोटा परिवार सुखी परिवार पर निबन्ध | Essay on Small Family is a Happy Family In Hindi

बसंत ऋतु पर निबन्ध | Essay on The Spring Season in Hindi

समाज सेवा पर निबन्ध | Essay on Social Service in Hindi

वर्षा ऋतु पर निबन्ध | Essay on Rainy Season in Hindi

ADVERTISEMENTS:

एकता ही बल है पर निबन्ध | Essay on Unity is Strength in Hindi

Hindi Nibandh for Class 7 (Essay) # 1

स्वावलंबन का अर्थ है – अपने ऊपर आश्रित या निर्भर होना । वे बड़े भाग्यवान हैं जो अपने ऊपर आश्रित हैं । दूसरों की दया पर निर्भर होकर जीने में आनंद नहीं है । पराधीनता में जीना कष्टप्रद है इसमें दुख ही दुख है ।

कहा भी गया है – ‘पराधीन सुख सपनेहुँ नाहीं ।’ पराधीनता स्वप्न में भी सुखदायी नहीं है । जेल की चारदीवारी में कैदियों को कोई खास काम नहीं करना पड़ता । उन्हें भोजन भी मुफ्त का और ठीक-ठाक मिलता है । पर कैदी कैदखाने में नहीं रहना चाहता क्योंकि वहाँ किसी प्रकार की आजादी नहीं है ।

पिंजड़े में बद पक्षी की भी यही दशा है – ‘कहीं भली है कटुक निबोरी, कनक कटोरी की मैदा से ।’ अर्थात् दूसरों की अधीनता में सुख की कल्पना भी बेकार है । इसीलिए हम लोग स्वावलंबी होना चाहते हैं आ स्वावलंबन आत्मा की पुकार है ।

यह मनुष्य को आत्म-निर्भर बनाता ही है उसे जीवन में कुछ नेक कार्य करने के लिए भी प्रेरित करता है । गाँधी जी इसीलिए चाहते थे कि भारत के गाँव स्वावलंबी बनें । ग्रामवासी अपने छोटे-छोटे कार्यों के लिए शहरों की ओर कातर दृष्टि से न देखें ।

परंतु यह न हो सका । नतीजे में भारत के गाँव अभी भी पिछड़े हुए हैं । ग्रामवासियों को रोजगार की तलाश में शहरों की ओर पलायन करना पड़ रहा है । व्यक्ति और गाँव की तरह देश का भी स्वावलंबी होना आवश्यक है । स्वतंत्रता के बाद दो-तीन दशकों तक राष्ट्र अपने लोगों के लिए खाने भर अनाज भी पैदा नहीं कर सकता था ।

कृषि प्रधान देश भारत की इस दीन-हीन दशा का दुनिया में मजाक उड़ाया जाता था । आज हम खाद्यान्नों के मामले में आत्म-निर्भर हैं । आज हमारे देश में इंजीनियरों, डॉक्टरों तथा तकनीकी पेशे से जुड़े विशेषज्ञों की कोई कमी नहीं है ।

हम अनेक क्षेत्रों में स्वावलंबी हैं । हम दुनिया के परमाणु शक्ति-संपन्न अग्रणी राष्ट्रों में से एक हैं । सूई से लेकर हवाई जहाज तक कुदाल से लेकर हैक्टर तक हम अपने ही देश में बना सकते हैं । स्वावलंबन का गुण मनुष्य को महान बनाता है । यह गुण अपने साथ धैर्य, संतोष, आत्मविश्वास, साहस आदि गुणों को भी समाविष्ट करता है ।

प्रत्येक कार्य में दूसरों पर निर्भरता बुरी चीज है । इससे आत्मा का नाश होता है । वे व्यक्ति जो स्वावलंबन के गुण का महत्व नहीं समझते वे अपनी स्थिति दयनीय बना लेते हैं । स्वावलंब हमें सुख शांति और समृद्धि प्रदान करता है कर्महीन यह नहीं जानते ।

स्वावलंबी व्यक्ति समाज के सामने एक अच्छा उदाहरण प्रस्तुत करता है । वह आवश्यकता पड़ने पर जरूरतमंदों की मदद कर सकता है । उसका आत्म-विश्वास उसे किसी भी स्थिति को अपने मनोनुकूल बनाने की प्रेरणा देता रहता है । स्वावलंबन का अर्थ यह नहीं कि हम सब काम अपने हाथों से ही करें ।

समाज में श्रम-विभाजन के बिना काम नहीं चलाया जा सकता श्रम-विभाजन आवश्यक है । स्वावलंबन से तात्पर्य इतना ही है कि हम दूसरों पर उस हद तक आश्रित न हों कि हमारे दैनिक कार्य ही रुक जाएँ । अपने ऊपर इतना विश्वास होना चाहिए कि प्रतिबंधात्मक स्थितियों में भी हमारा काम नहीं रुक सकता ।

Hindi Nibandh for Class 7 (Essay) # 2

किसी भी देश या प्रांत में प्रति हजार लड़कों के अनुपात में कितनी लड़कियाँ हैं, इसी को लिंगानुपात कहा जाता है । यह अनुपात लगभग समान होना चाहिए । परंतु प्रति हजार बालकों पर यदि बालिकाओं की संख्या नौ सौ या इससे कम हो जाए तो मामला चिंताजनक स्तर तक पहुँच जाता है ।

हमारे देश में भी ऐसी ही चिंताजनक स्थिति बन गई है । हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान और देश के कई प्रांतों में लड़कों की तुलना में लड़कियों की संख्या चिंताजनक सीमा से भी काफी कम है । आखिर ऐसा क्यों है कि बालिकाओं की तुलना में बालकों की संख्या अधिक है ? इसके कारण स्पष्ट हैं ।

हमारे समाज में बालकों को बालिकाओं से श्रेष्ठ समझा जाता है । अभिभावक सोचते हैं कि लड़का होगा तो बुढ़ापे में सेवा करेगा जीवन भर सुख देगा । हिंदुओं की धारणा है कि पुत्र माता-पिता को संसार से तारता है मोक्ष प्रदान करवाता है । दूसरी ओर बालिकाओं के बारे में यह धारणा है कि ये पराया धन होती हैं ।

बालिकाओं की शादी में दिया जाने वाला दहेज भी माता-पिता को लड़कियों को एक बोझ मानने पर विवश कर देता है । अभिभावकों के मन में बेटों की चाह इतनी होती है कि कई लड़कियाँ गर्भ में ही मार दी जाती हैं । अल्ट्रासाउंड जैसी आधुनिक तकनीकों से गर्भ के लिंग के बारे में पता चल जाता है और लड़कियाँ गलत धारणाओं की भेंट चढ़ जाती हैं ।

आज का युग पहले जैसा नहीं रह गया है । आज बालिकाएँ भी पट्ट-लिखकर बूढ़े माँ-बाप का सहारा बन सकती हैं । ऐसा भी देखा गया है कि बेटों द्वारा परित्यक्त माँ-बाप की सेवा-सुश्रुषा बेटियाँ करती हैं । आज की लड़कियाँ धार्मिक एवं सामाजिक उद्देश्यों को भली-भांति पूरा कर सकती हैं ।

आज की शिक्षित नारियाँ डॉक्टर, इंजीनियर, आरक्षी, वकील, अंतरिक्ष यात्री, खिलाड़ी, समाज सेविका, नर्स, राजनीतिज्ञ, अभिनेत्री आदि कुछ भी बन सकती हैं । नर्स और अध्यापिका के रूप में तो उनका विकल्प ही नहीं है । फिर क्यों यह भेद-भाव और लैंगिक असमानता ? क्यों वह समाज में उपेक्षित है ?

लड़कियों का अनुपात घटना यह सिद्ध करता है कि शिक्षित समाज भी अपने संकीर्ण मानसिक दायरे से नहीं निकल पाया है । यह असंतुलन भविष्य के लिए खतरे की घंटी है । इसका दुष्प्रभाव अभी से दिखाई पड़ रहा है । कई प्रांतों के युवक इसलिए कुँवारे हैं क्योंकि विवाह योग्य युवतियाँ नहीं मिल रही हैं ।

आज की लड़कियाँ ही तो कल बड़ी होकर माँ बनती हैं । क्या हम ऐसी दुनिया या समाज की कल्पना कर सकते हैं जहाँ केवल लड़के हों, लड़कियाँ नहीं ? बालक और बालिका में किसी भी तरह का भेदभाव अमानवीय है । हमें दोनों को एक समान समझना चाहिए ।

इसी से लिंगानुपात को सुधारा जा सकेगा । हमें गर्भ में ही लड़कियों को मारने की कुप्रथा को दंडात्मक नीति अपनाकर समाप्त करना होगा । यदि इस स्थिति को अभी न सँभाला गया तो भविष्य की परेशानियाँ कहीं बड़ी होंगी ।

Hindi Nibandh for Class 7 (Essay) # 3

दूसरों के हित के लिए किया गया कार्य परोपकार है । अपने स्वार्थ से ऊपर उठकर जनसामान्य के कल्याण के लिए किया गया कार्य परोपकार मैं ।

अपनी छोटी-छोटी समस्याओं एवं दु:खों की परवाह न करते हुए नमूह की हित-चिंता करना परोपकार है । परोपकार के कार्यों से ही मनुष्य समाज में प्रशंसित एव सम्मानित होता है । परोपकार यह लोक ही नहीं परलोक भी सुधारता है ।

ऐसे कार्य जो परहित को ध्यान में रखकर किए जाते हैं वे मनुष्य को महान् वनाते हैं । परोपकारी व्यक्ति हर युग में होते हैं । समाज इनका ऋणी होता है । मनुष्य ही नहीं अन्य जीव समुदाय एवं जड़ वस्तु भी परोपकार की भावना से कार्य करते हैं । इन पंक्तियों से इस तथ्य का खुलासा होता है:

”वृक्ष कबहुँ नहिं फल भखै, नदी न संचै नीर । परमारथ के कारणे साधुन धरा शरीर ।। ”

वृक्ष अपना फल स्वय नहीं खाता, अर्थात् दूसरों के लिए उत्पन्न करता है । नदी कभी भी अपना जल इकट्ठा करके नहीं रखती । प्राणियों के हित के लिए हमेशा प्रवाहमान् रहती है । इसी तरह, परमार्थ के कारण, परोपकार के हेतु साधु पुरुष जन्म ग्रहण करते हैं ।

दुनिया में एक से बढ़कर एक परोपकारी मनुष्य हुए हैं । महर्षि दधीचि ने देवताओं के कल्याण हेतु अपना शरीर त्याग दिया और अपनी हड्डियाँ दान में दे दीं । गिद्धराज जटायु ने अपने प्राणों की परवाह न करते हुए रावण से सीता को छुड़ाने का प्रयत्न किया ।

सुकरात ने प्याले में भरा विष पी लिया । भगवान कृष्ण ने आजीवन परोपकार की दृष्टि से अनेक कार्य किए । राम ने राक्षसों को मारकर विश्वामित्र के यज्ञ की रक्षा की । ईसा मसीह जनहितार्थ सूली पर चढ़ गए । परोपकारी व्यक्तियों के कारण ही सत्य, धर्म और संस्कृति की रक्षा हो सकी है ।

जीवन में अनेक कार्य ऐसे हैं जो परोपकार की दृष्टि से किए जाते हैं । पहले धनी-मानी लोग कुएँ-तालाब खुदवाते थे, राहगीरों के लिए छायादार वृक्ष लगवाते थे । स्थान-स्थान पर धर्मशालाएँ बनवाई जाती थीं ताकि यात्रियों को ठहरने में सुविधा हो ।

आज भी लोग परोपकार के कार्यों में अपना योगदान देते हैं । प्राकृतिक विपत्तियों में फँसे लोगों की मदद के लिए आगे आना परोपकार ही है । भयंकर लू में लोगों के लिए पेय जल की व्यवस्था करना परोपकार ही है । निरक्षरों को शिक्षित बनाना, पेड़-पौधे लगाना, आस-पड़ोस को साफ-सुथरा रखना, भूखों को भोजन कराना आदि कार्य परोपकार की श्रेणी में आते हैं ।

परंतु परोपकार किसी लाभ की प्राप्ति के उद्देश्य से नहीं करना चाहिए । उपकार करके प्रत्युपकार की आशा न रखना ही सही मायने में परोपकार है । आजकल परोपकारी व्यक्तियों की संख्या में कमी आ गई है । इसका कारण समाज में स्वार्थ भावना में वृद्धि है ।

यही कारण है कि सड़क पर पड़े घायल व्यक्ति की सहायता के लिए कोई आगे नहीं आना चाहता । पड़ोसी के घर चूल्हा जले न जले, अपने घर पकवान जरूर बनना चाहिए, यह भावना हमारा उद्धार नहीं कर सकती । जिस शरीर से लोगों का कल्याण न हुआ, वह बेकार और अनुपयोगी है ।

कबीरदास जी कहते हैं:

“बड़ा हुआ तो क्या हुआ जैसे पेड़ खजूर पंथी को छाया नहीं फल लागै अति दूर ।”

बड़े खजूर से कहीं अच्छा वह तृण है जिसे खाकर पशु अपना पेट भरते हैं । परोपकार की भावना से ओत-प्रोत कवि तुलसीदास जी कहते है

परहित सरिस धर्म नहिं भाई , पर पीड़ा सम नहिं अधमाई ।

परोपकार के समान दूसरा कोई धर्म नहीं है । अर्थात् परोपकार सबसे बड़ा धर्म है और दूसरों को कष्ट देने से बड़ा कोई पाप, कोई दुष्टता नहीं है । अत: हमें परोपकार की भावना को अपने जीवन में धारण करना चाहिए ।

Hindi Nibandh for Class 7 (Essay) # 4

मौसम कभी भी एक जैसा नहीं रहता है । यह परिवर्तित होता रहता है । मौसम के साथ-साथ ऋतुएँ भी बदलती हैं । शीत ऋतु के बाद बसंत की सुहानी ऋतु आती है ।

बसंत ऋतु के बाद प्रचंड गरमी की ऋतु ग्रीष्म ऋतु आती है । हालाँकि कुछ हद तक यह कष्टदायक ऋतु है परंतु इस ऋतु का भी अपना एक आनंद, एक अलग सौंदर्य है । ग्रीष्म ऋतु अप्रैल माह से आरंभ होकर जून-जुलाई तक चलती है । इस ऋतु में पर्णपाती वृक्षों की पत्तियाँ गिर जाती हैं ।

इसलिए इसे पतझड़ ऋतु भी कहते हैं । गरमी इतनी पड़ती है कि दोपहर में घर से निकलना कठिन हो जाता है । जैसे-जैसे दिन अत्मे बढ़ता है प्रखर सूर्य रश्मियों क्य प्रकोप बढ़ता जाता है । दोपहर के तीन-चार घंटे बड़े कष्टदायक प्रतीत होते हैं । लोग घर से बाहर सिर पर टोपी, पगड़ी डालकर या छाता लेकर निकलते हैं ।

त्वचा झुलसने लगती है । शारीरिक श्रम करने वाले पसीने से नहा जाते हैं । इस ऋतु में संध्या क्य समय कुछ सुखदायी होता है । लोग घर, आँगन, छत में जल छिड़ककर राहत महसूस करते हैं । रात्रिकाल में भी काफी उमस होती है । सभी खुली छत पर या कमरे में पंखा-कूलर चला कर सोते हैं ।

गरमियों के दिन बड़े और रातें छोटी होती हैं । ऐसे में कष्टदायक दिन काम बहुतों के लिए कठिन होता है । इसीलिए घरों, दुकानों तथा दफ्तरों में पंखा, कूलर या वातानुकूलित संयंत्र लगाए जाते हैं । इस ऋतु में पानी को ठंडा रखने के लिए हम घड़ा, सुराही, फ्रिज आदि का प्रयोग करते हैं ।

ठंडे पेय पदार्थ, लस्सी, शरबत आदि अत्यंत प्रिय लगते हैं । इस ऋतु में आम, लीची, खीरा, ककड़ी आदि फल-सब्जियाँ तृप्तिदायक होती हैं । ग्रीष्म ऋतु को गरीबों की ऋतु कहा जाता है क्योंकि इस ऋतु में बहुत कम वस्त्रों से भी काम चल जाता है ।

इस ऋतु में सूती वस्त्र बहुत उपयोगी होते हैं जो हमें लू के थपेड़ों से बचाते हैं । कभी-कभी आँधी तूफान भी आते हैं और धूल-भरी हवाएँ आसमान में छा जाती हैं । आसमान लोहित हो जाता है । पर जब वायु जरा भी हिलती-दुलती नहीं तो उमस बढ़ जाती है ।

ग्रीष्म ऋतु में जल का महत्त्व बढ़ जाता है । प्यासे लोग, प्यासी भूमि, प्यासे पशु-पक्षी और झुलसे हुए पेड़-पौधे सभी जल की माँग करते हैं । धन्य है वह किसान जो इस ऋतु में भी फसलों की सिंचाई करता है । वे स्त्रियाँ भी धन्य हैं जो मटके लेकर मीलों जल भरने जाती हैं । सरोवर ताल-तलैया, कुएँ, बावड़ियों, झील, नदियाँ सभी इस ऋतु में सूखने लगती हैं ।

भूमि का जल-स्तर काफी नीचे चला जाता है । प्यासी धरती, आकुल लोग, पशु-पक्षी सब आसमान की ओर निहारने लगते हैं । मयूर भी यह आस लगाए रहता है कि वर्षा हो और मैं नृत्य करूँ । कवि ने कविता के माध्यम से ग्रीष्म ऋतु का वर्णन इस प्रकार किया है:

”सूरज तपता धरती जलती गरम हवा जोरों से चलती । तन से बहुत पसीना बहता हाथ सभी के पंखा रहता । आ रे बादल काले बादल लो घनघोर घटा रे बादल । ”

लोगों की आकांक्षा रहती है कि बादल छाए, बरसे और राहत दे । पर ग्रीष्म ऋतु किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं । जब धरती तपेगी ताप से समुद्र का जल सुखेगा तभी तो वर्षा होगी । अच्छा मानसून आए इसके लिए अच्छी गरमी आवश्यक है ।

सब्जियों एवंग फलों की विविधता की दृष्टि से भी यह उत्तम ऋतु है । लौकी, खीरा, तरबूज, बेल, आम, पुदीना, भिंडी, करेला, परवल, हरे शाक आदि कितनी ही प्रिय वस्तुएँ ग्रीष्म ऋतु की देन हैं । हमें हर मौसम हर ऋतु का आनंद उठाना चाहिए ।

Hindi Nibandh for Class 7 (Essay) # 5

सत्संगति का अर्थ है – अच्छी संगति । अच्छे लोगों का साथ सत्संगति है । बुरे लोगों का साथ कुसंगति है । भले लोगों की संगति में जो सुख और आनद है वह कुसंगति में नहीं है ।

विद्वानों, संतों, साधुओं और सदाचारी व्यक्तियों के संपर्क में रहना सत्संगति है । अच्छी संगति में रहने के बहुत से लाभ हैं । यदि हमारा साथ अच्छे लोगों से है तो इससे हमारा चारित्रिक विकास होगा । हम सज्जनों के गुणों का अनुसरण करके आत्म-कल्याण की ओर प्रवृत्त होंगे ।

उनके आचरण का प्रभाव हमारे ऊपर अवश्य पड़ेगा । इसीलिए तो लोग साधु-संतों की शरण में जाते हैं उनके प्रवचन सुनते हैं उनके गुणों का अनुशीलन करते हैं । सत्संगति के प्रभाव से दुर्जन व्यक्ति भी सज्जन बन जाता है । जब अंगुलिमाल नामक दुर्दांत हत्यारा भगवान् बुद्ध के संपर्क में आया तो वह सुधर गया । तुलसीदास जी कहते हैं –

सठ सुधरहिं सत्संगति पाई । पारस परसि कुधातु सुहाई ।

अर्थात् जिस प्रकार पारसमणि के स्पर्श से लोहा सोना बन जाता है उसी प्रकार सत्संगति के प्रभाव से दुष्ट मनुष्य सुधर जाता है । इसलिए समझदार लोग सज्जनों के संपर्क में रहते हैं । जब व्यक्ति कुसंगति में पड़ता है तो उसका पतन निश्चित हो जाता है ।

कुसंगति काजल की कोठरी के समान है जहाँ से गुजरने पर कालिख लग ही जाती है । नशे की लत कुसंगति के कारण ही लगती है । शराबी जुआरी अपराधी आदि जन्म से ही नीच कार्य नहीं करते, बुरे लोगों का साथ ही उन्हें इन कार्यों को करने के लिए विवश करता है । गंदे नालों से जुड़कर ही नदियाँ अपवित्र और प्रदूषित होती हैं ।

अत: हमें कुसंगति से बचना चाहिए और महापुरुषों, विद्वानों और भले व्यक्तियों की संगति में रहना चाहिए । सत्संगति से बुद्धि का विकास होता है, गलत धारणाएं मिटती हैं । मन-प्राणों में सुगंध उठती है वाणी में मधुरता और निष्कपटता आती है । सत्संगति उन्नति का द्वार खोल देती है । यह आत्म-शुद्धि का सरल मार्ग है ।

अच्छे लोगों की संगति मनुष्य को महान बनाती है । बूँद समुद्र में मिलकर अपार जलराशि का रूप ले लेती है । क्षुद्र नदी-नाले गंगा जी में मिलकर अपनी मलिनता खो देते हैं । रामकृष्ण परमहंस की संगति में साधारण से व्यक्ति नरेंद्र स्वामी विवेकानंद बन गए ।

वानर-भालू, प्रभु राम से मित्रता कर इतिहास के सुनहरे पन्नों में अपना नाम लिखा गए । बालक चद्रगुप्त नीति निपुण चाणक्य का शिष्य बनकर महान् सम्राट बन गया । गाँधी जी के संपर्क में आकर हजारों व्यक्तियों ने आत्म-सुधार की दिशा में अपने कदम बढ़ाने आरंभ कर दिए ।

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है । उसे अच्छे या बुरे लोगों के साथ में रहना ही पड़ता है । हमें चाहिए कि हम अच्छे लोगों को अपना साथी बनाएँ । यदि हमारा साथ भले लोगों से होगा तो हम कुसंगति से बचे रह सकते हैं ।

जिस प्रकार कि एक सड़ा आम या सेब पूरी टोकरी के फलों सड़ाने लगता है उसी प्रकार एक असज्जन कई सज्जनों को भी अपने जैसा बनाने का प्रयास करता है । अत: व्यक्ति को हमेशा श्रेष्ठ मनुष्यों का ही संग करना चाहिए ।

Hindi Nibandh for Class 7 (Essay) # 6

युग सदैव एक-सा नहीं रहता । युग के अनुसार लोगों की आवश्यकताएँ एवं मान्यताएँ बदल जाती हैं । परिवार का आकार छोटा हो या बड़ा इस संबंध में भी युग के अनुसार विचार करना पड़ता है ।

किसी समय बड़े परिवार की कल्पना की गई थी क्योंकि देश की आबादी कम थी । आज छोटे परिवार को आदर्श माना जाता है क्योंकि हमारे देश की आबादी आवश्यकता से कहीं अधिक है । आज लगभग जनसख्या विस्फोट की स्थिति है । सन् 1950 में भारत की आबादी लगभग तीस करोड़ थी ।

आज हम सौ करोड़ का कड़ा पार कर चुके हैं । सन् 2011 तक हमारी आबादी एक सौ पद्रह करोड़ के आस-पास हो जाएगी । सन् 2035 तक हम चीन से भी आगे निकल सकते हैं । ऐसे में छोटे परिवार की महत्ता काफी बढ़ गई है । छोटे परिवार की कल्पना अब संभव है क्योंकि आज महामारियों पर नियंत्रण पाया जा सका है ।

दुनिया भर में स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार हुआ है । बाल मृत्यु दर में निरंतर कमी आती जा रही है । आज एक या दो संतानों वाला परिवार अधिक सुखी है क्योंकि अभिभावक अपनी एक या दो संतानों को शिक्षा और स्वास्थ्य की बेहतर सुविधाएँ प्रदान कर सकते हैं ।

यदि परिवार बड़ा हो तो उपलब्ध साधनों का बँटवारा हो जाता है, हरेक सदस्य को थोड़ा-थोड़ा ही मिल पाता है । ‘छोटा परिवार सुखी परिवार’ के बारे में लोगों के विचार सकारात्मक होने लगे हैं । समझदार और शिक्षित व्यक्ति अपने परिवार को सीमित रखने का प्रयास करता है । वह जानता है कि अधिक बच्चे हुए तो उनके लालन-पालन में कठिनाई आएगी ।

अधिक संतानों के लिए भोजन, वस्त्र, शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास तथा अन्य आवश्यकताओं की पूर्ति में बाधा आएगी । वह समझता है कि अधिक बच्चे पैदा करने वाली माँएँ कमजोर हो जाती हैं, उनके स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है । आज की शिक्षित स्त्रियाँ छोटे परिवार की खूबियों के प्रति जागरूक हैं ।

छोटे परिवार की महत्ता समझने पर भी हमारे देश की आबादी तेजी से बढ़ रही है । इसका प्रमुख कारण अशिक्षा और निर्धनता है । अशिक्षित व्यक्ति अपना भला नहीं सोच पाता । धर्म की रूढ़ियाँ भी प्रमुख अवरोधक तत्व हैं । गरीबी का दुश्चक्र भी लोगों को बड़े परिवार की ओर उम्मुख करता है ।

समाज और राष्ट्र की खुशहाली इसी में है कि वह छोटे परिवार का महत्व समझे । आज प्रति व्यक्ति आवश्यकताएँ बढ़ रही हैं । सभी को बिजली, पानी, स्वास्थ्यप्रद आवास, क्रीड़ा स्थल, रोजगार और शिक्षा चाहिए । दूध, फल, अनाज और सब्जियों की भी प्रति व्यक्ति उपलब्धता बनाए रखना आवश्यक है ।

दूसरी ओर वन पेड़-पौधे जल भूमि जैसे प्राकृतिक संसाधनों का अभाव होता जा रहा है । अत: समझदारी इसी में है कि हम अपना परिवार छोटा रखें । परिवार का छोटा आकार हमारी खुशहाली के लिए अत्यंत आवश्यक है ।

Hindi Nibandh for Class 7 (Essay) # 7

भारत में प्रमुखतया तीन ऋतुएँ वसंत, शीत और ग्रीष्म हैं । इनमें से बसंत को ऋतुओं का राजा या ऋतुराज कहा जाता है । दुनिया के बहुत कम देशों में बसंत ऋतु के दर्शन होते हैं । भारत एक ऐसा देश है जहाँ ऋतुराज बसंत की अपूर्व छटा के दर्शन होते हैं ।

बसंत को ऋतुराज कहा जाता है क्योंकि इस ऋतु में प्रकृति का रंग-रूप पूरी तरह निखरा होता है । इसका आगमन कड़ाके की शीत ऋतु के बाद होता है । बसंत के आगमन के साथ ही प्रकृति और मौसम का मिजाज परिवर्तित होने लगता है ।

चारों ओर का मौसम स्वर्णिम एवं गुलाबी होने लगता है । प्रकृति सुंदर मनमोहक एवं आकर्षक प्रतीत होती है । शीत ऋतु के प्रभाव से आहत वनस्पतियाँ पत्तों एव फूलों के रूप में नए-नए परिधानों से युक्त सुहावने प्रतीत होते हैं ।

खेतों में सरसों के फूल खिल उठते हैं गेहूँ की सुनहरी बालियाँ निकल आती हैं । फूली सरसों का रंग बहुत आकर्षक लगता है जैसे प्रकृति ने पीली चादर ओढ़ ली हो । लताएँ वृक्षों से लिपट कर झूमने लगती हैं । हल्की गरमाहट लिए मंद-मंद बहती वायु नव-विकसित पुष्पों आम्र मंजरियों की भीनी-मधुर सुगंध लिए वातावरण में घुल-मिल जाती है ।

यह सुंगधित वायु मनुष्यों एव जीव-जंतुओं के तन-मन में प्रवेश कर जाती है । खेत-खलिहानों मैदानों एवं बागों में मखमली घास बिछी होती है । घास पर पड़ी ओस की बूँदों के स्पर्श से तलबों में सुखद अनुभूति होती है । उस पर आम के डाल पर बैठी कोयल की पंचम स्वर में ऐसी कूक उठती है कि तन-मन प्रसन्न हो उठता है ।

बच्चे, युवा, वृद्ध सभी उम्र का बंधन तोड़कर बासंती सौंदर्य को निहारने लगते हैं । हालाकि जैसे-जैसे देश का शहरीकरण होता जा रहा है बसंत का मादक प्रभाव भी कहीं खोता जा रहा है । बसंत कब आया और कब चला गया किसी को पता नहीं चल पाता है । परंतु बसंत तो आता है ।

गाँवों में, बाग-बगीचों में, खेतों में और यहाँ तक कि प्रकृति प्रेमियों के लिए महानगरों में भी आता है । जहाँ भी बाग-बगीचे हैं पेड़ हैं लता-कुंज हैं वहाँ बसंत अवश्य आता है । गेंदा, गुलाब, सूरजमुखी, पलास आदि के फूल कहाँ नहीं खिलते । बसंती हवा किसी के साथ भेदभाव नहीं करती ।

वह जहाँ से गुजरती है अपना मादक प्रभाव छोड़ जाती है । बसंत ऋतु पर्व-त्योहारों की भी ऋतु है । हमारा प्रमुख राष्ट्रीय त्योहार ‘गणतंत्र दिवस’ इसी ऋतु के आरंभ काल में मनाया जाता है । देश की राजधानी दिल्ली में गणतंत्र दिवस समारोह को खुशनुमा बनाने में खुले दिन वाले सुनहरे मौसम का बहुत बड़ा योगदान होता है ।

लगभग इसी समय में बसंत पंचमी का त्योहार आता है । लोग वीणापाणी माँ सरस्वती की पूजा-आराधना में जुट जाते हैं । सरस्वती पूजन समारोह एवं वसंत पंचमी के अवसर पर लगने वाले मेले वासंती रंग में रंग जाते हैं । युवतियाँ धनी एवं पीले वस्त्र धारण कर वसत की शोभा में चार चाँद लगा देती हैं ।

ऐसा लगता है जैसे वसंत सजीव होकर इधर-उधर डॉल रहा हो । फिर आता है मदमस्त होली का त्योहार । वसंत ऋतु स्वास्थ्य की दृष्टि से भी बड़ी हितकारी ऋतु है । इस ऋतु में असाध्य रोगी भी स्वस्थ होने लगते हैं । सामान्य जनों को भी सरदी-ज्वर आदि नहीं होता ।

इस समशीतोष्ण ऋतु में सभी नाचते-गाते और आनंदित होते हैं । गाँवों में ढोल-नगाड़े बज उठते हैं । होली के गीतों की थिरकन से जन-समूह उत्साहित हो उठता है । बसंत का गुणगान करने के लिए कवि की लेखनी चल पड़ती है ।

बसंत में कुछ भी असुंदर नहीं होता । यह ऋतु हमें प्रकृति सौंदर्य से परिचित कराती है । यह मानव को दु:ख-पीड़ा से निकलकर आनंदित होने क्य अवसर प्रदान करती है । पर मानव है कि प्रकृति विनाश के कार्यों में लगा हुआ है ।

Hindi Nibandh for Class 7 (Essay) # 8

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है । समाज से उसका अंतरंग रिश्ता है । मनुष्य के जन्म के समय सामाजिक उत्सव तथा मृत्यु के समय सामाजिक शोक मनाया जाता है । बच्चा समाज के अन्य हमउम्र सदस्यों के साथ खेलता है पढ़ता-लिखता है ।

जन्मदिन, विवाह आदि अवसरों पर समाज की भागीदारी प्रमुख होती है । संकटकाल में भी समाज ही सहायक होता है । यदि समाज इतना महत्त्वपूर्ण है तो समाजिक उत्थान का कार्य भी बहुत आवश्यक है । समाज की भलाई के लिए जो कार्य किए जाते हैं इन्हें हम समाज सेवा कहते हैं ।

समाज सेवा राष्ट्र सेवा का ही अंग है । बिनोवा जी ने भूदान आंदोलन चलाकर महान समाज सेवा की । करोड़ों ग्रामीण ऐसे थे जिनके पास कृषि-भूमि का एक टुकड़ा न था और कुछ लोग ऐसे थे जिनके पास सौ-पचास एकड़ भूमि थी । भूदान आदोलन के द्वारा यह भारी अंतर पाटने का प्रयास किया गया ।

उन्नीसवीं शताब्दी में राजा राम मोहन राय ने सती प्रथा बाल विवाह आदि कुप्रथाओं को समाप्त करने में समाज की बड़ी सहायता की थी । मुगलकाल में तुलसीदास जी ने अपने अमर काव्यों के माध्यम से हिंदुओं के बीच सामाजिक चेतना लाने का सफल प्रयास किया ।

कबीरदास जी ने सीधे-सादे विचारों के माध्यम से धर्म की कुरीतियों पर आघात किया । उनके प्रयासों से हिंदुओं और मुसलमानों में सामाजिक एकता की स्थापना हुई । मनुष्य जो कुछ भी ग्रहण करता है वह सब समाज की देन है । अत: हमारा कर्त्तव्य है कि हम समाज की सेवा नि:स्वार्थ भाव से करें ।

आज भी हमारे देश में कई तरह की सामाजिक समस्याएँ हैं । दहेज प्रथा अशिक्षा निर्धनता नशाखोरी आदि समस्याएँ हमें अंदर ही अंदर खोखला कर रही हैं । हमारी सामाजिक मान्यताएँ भी बदल रही हैं । आज का आदमी पहले से कहीं अधिक स्वार्थी और आत्मकेंद्रित हो गया है ।

समाज में भ्रष्टाचार की जड़ें काफी गहरी हैं । सामाजिक अपराध का ग्राफ भी ऊँचा होता जा रहा है । ऐसे में समाज सेवकों का उत्तरदायित्व पहले से कहीं अधिक हो गया । समाज सेवा का दायरा विस्तृत है । बाल मजूदरी का अंत, स्त्री शिक्षा, निर्धन व्यक्तियों के लिए रोजगार का प्रबंध, बेसहारा महिलाओं को आत्म-निर्भर बनाना आदि कार्य समाज सेवा के कार्य हैं ।

हमारे देश के कुछ क्षेत्रों में पेय जल का भारी अभाव है । यहाँ के लोग मीलों चलकर पानी लाते हैं । समाज सेवा के द्वारा ऐसे लोगों की मदद की जा मकती है । अनाथ बच्चों के लिए अनाथाश्रम खोलना, उन्हें शिक्षित करना तथा उन्हें समाज की मुख्य धारा में वापस लाना समाज सेवा है ।

अपनों द्वारा परित्यक्त वृद्धों के लिए वृद्धाश्रम खोलना विकलांगों के लिए रोजगार के साधन एवं आश्रय स्थल ढूँढ़ना आदि कार्य समाज के प्रति हमारे दायित्व हैं । एड्‌स के प्रसार को रोकने से संबंधित कार्य भी समाज सेवा के अंतर्गत आता है ।

समाज सेवा का कार्य दिखाऊ नहीं होना चाहिए । धन और सम्मान की प्राप्ति के उद्देश्य से किया गया कार्य समाज सेवा नहीं है । समाज सेवा परोपकार की भावना से की जानी चाहिए । बीमारों वृद्धों, दलितों, शोषितों और आपदा से पीड़ित लोगों के प्रति जिनके मन में दया नहीं है वह समाज सेवा नहीं कर सकता ।

समाज को अपना समझकर तन, मन और धन से किए गए परोपकार के कार्य समाज सेवा के दायरे में आते हैं । अपने लिए तो सभी जीते हैं, बड़प्पन इसी में है कि हम दूसरों की भलाई के लिए जीएँ । यही मानवता है, यही समाज सेवा है ।

Hindi Nibandh for Class 7 (Essay) # 9

वर्षा ऋतु बहुत सुहावनी ऋतु होती है । यह मानव पशु-पक्षी और समस्त जीव समुदाय के लिए आनंददायी ऋतु है । ग्रीष्म ऋतु में जब पेडू-पौधे झुलस जाते हैं तब यह ऋतु उनके लिए जीवनदायी जल लेकर आती है ।

प्यासी धरती की प्यास बुझाने वाली वर्षा ऋतु को ऋतुओं की रानी कहा गया है । वर्षा ऋतु का आरंभ जुलाई मास से होता है । सितंबर में इस ऋतु का अत हो जाता है । इन तीन महीनों में आसमान प्राय: बादलों से घिरा रहता है । धूप और छाया का खेल चलता ही रहता है ।

कुछ दिन वर्षा फिर धूप यह क्रम जब चलता है तो किसानों को धान और मक्के की फसल उगाने में बहुत मदद मिलती है । खेतों में पूरा पानी रहता है तालाब लबालब भर जाते हैं । नदी-नालों में पूरा जल आ जाता है । छोटे-छोटे गड्‌ढों में भी पानी भर आता है ।

किसान वर्षा ऋतु का स्वागत करते हैं । वे खेतों में बीज बोते हैं । धान की फसल के लिए खेत जोते जाते हैं । किसान उसका परिवार खेतिहर मजदूर आदि व्यस्त हो जाते हैं । वे भीगते हुए भी कृषि कार्य करते हैं । गाँवों में वर्षा ऋतु आरंभ होने पर लोक गीत गाए जाते हैं ।

श्रावण मास में शिव-भक्ति की लहर फैल जाती है । काँवरिए गेरुआ वस्त्र धारण कर शिव को जल चढ़ाने निकल पड़ते हैं । ग्रामीण स्त्रियाँ कजरी गीत गाती हैं । वर्षा ऋतु के आगमन की प्रतीक्षा आम नागरिक भी करते हैं । जब पहली बारिश होती है तो लोगों को भीषण गरमी से राहत मिलती है ।

खुले बदन पहली बारिश का आनंद लेने वाले भी कम नहीं । कभी अंधी-तूफान के साथ वर्षा होती है तो कच्चे मकानों को नुकसान पहुँचता है । अत्यधिक वर्षा से जल-प्लावन की स्थिति उत्पन्न हो जाती है । खेत-खलिहानों मैदानों तथा ऊँची भूमि का पानी नदी-नालों में जमा होने लगता है ।

कई नदियों में बाढ़ आ जाती है । नदी का पानी तटबंध फसलों को नुकसान पहुँचाता है । बाद का पानी आबादी वाले स्थानों में घुसकर भयंकर तबाही मचाता है । बाद से जान-माल की भारी क्षति होती है । सड़कें टूट जाती हैं, यातायात व्यवस्था में व्यवधान उत्पन्न हो जाता है ।

टेलीफोन बिजली आदि के खंभे गिर जाते हैं । कभी जब बादल फटते हैं तब भी काफी नुकसान हो जाता है । वर्षा में गंदे जल के जमाव से मच्छरों, मक्खियों एवं तरह-तरह के कीटों का प्रकोप बढ़ जाता है । इस ऋतु में पेय जल अस्वच्छ हो जाता है ।

प्रदूषित जल पीने से तथा मच्छरों आदि के काटने से कई प्रकार के संक्रामक रोगों का खतरा बढ़ जाता है । गली-कूचों और गिन में कीचड़ हो जाता है । कच्ची गलियों एवं सड़कों पर चलना कठिन हो जाता है । सड़कों पर भी जल-निकास की उचित व्यवस्था न होने से पानी भर आता है ।

कुछ खामियों और परेशानियों के बावजूद वर्षा ऋतु का स्वागत सर्वत्र किया जाता है । इस ऋतु में पेड़-पौधे हरे-भरे हो जाते हैं । एक कहावत भी है कि सावन के अंधे को सर्वत्र हरा-भरा दिखाई देता है । श्रावणी मास की हरियाली सबका मन मोह लेती है ।

वनों में मोर नृत्य कर वर्षा ऋतु का स्वागत करते हैं । पशुओं के लिए इस ऋतु में हरे चारे की कमी नहीं रहती । प्राकृतिक छटा देखते ही बनती है । आसमान में यदा-कदा इंद्रधनुष अपनी अछूत छटा बिखेर कर मन को आह्वादित कर देता है ।

मेढक की टर्र-टर्र एवं झींगुर की आवाज से वातावरण गुंजित हो जाता है । साँप भी अपने बिलों से निकल कर हवाखोरी करने लगते हैं । मल्लाह अपनी नौका सँभालकर नदी तट पर आ जाते हैं । बिजली की गड़गड़ाहट और चमक से विरहिणियों का मन डोलने लगता है ।

वर्षा ऋतु का आनंद अनूठा है । इस ऋतु में प्रकृति तरह-तरह की लीलाएँ करती है । हमें इस ऋतु का पूरा आनंद उठाना चाहिए । इस ऋतु में स्वच्छता का पालन अवश्य करना चाहिए । स्वस्थ रहकर ही हम वर्षा ऋतु का पूरा लुल्क उठा सकते हैं ।

Hindi Nibandh for Class 7 (Essay) # 10

एकता में बड़ी शक्ति होती है । यदि परिवार में एकता होती है तो उसके सभी सदस्यों का उचित विकास होता है । यदि समाज में एकता होती है तो समाज उन्नति करता है तथा सामाजिक कार्य आसानी से संपन्न किए जा सकते हैं ।

इसी तरह यदि राष्ट्र के लोगों में एकता होती है तो शत्रु उस राष्ट्र का बाल-बाँका तक नहीं कर पाते । राष्ट्रीय एकता की स्थिति में राष्ट्र का तेजी से विकास होता है । इतिहास गवाह है कि आपसी फूट का फायदा शत्रुओं को मिला है । रावण और विभीषण की आपसी फूट का लाभ राम को मिला ।

जयचंद और पृथ्वीराज की शत्रुता का लाभ मुहम्मद गौरी ने उठाया । सिकंदर ने भारत के राजवंशों के आपसी झगड़े का लाभ उठाकर भारत पर आक्रमण कर दिया । राजपूत राजा आपस में झगड़े तो मुगलों की बन आई । अँगरेजों ने भारतीय राजाओं नवाबों की अनेकता का भरपूर लाभ उठाया और भारत में अपनी प्रभुसत्ता स्थापित कर ली ।

‘फूट डालो और राज करो’ उनकी प्रसिद्ध नीति थी । कांग्रेस में एकता न रही तो देश में अनेक दल बन गए और अंतत: देश का विभाजन हो गया । एकता में असीम बल है । बिखरे हुए लोग किसी बड़े काम को उसके अंजाम तक नहीं पहुँचा सकते ।

कहा भी गया है – ‘अकेला चना भीड़ नहीं फोड़ सकता ।’ यदि सम्मिलित शक्ति से प्रयास किए जाएँ तो असंभव से दिखाई देने वाले कार्य भी पूरे हो सकते हैं । मधुमक्खियाँ एक साथ मिलकर ही मधु संचय कर पाती हैं । सैनिक एकजुट होकर ही शत्रुओं को परास्त कर सकते हैं । नागरिकों की एकजुटता किसी बड़ी क्रांति को जन्म देती है ।

यहाँ तक कि अपराधी भी दल बाँधकर गिरोह बनाकर अपने बुरे मंसूबे में कामयाब हो जाते हैं । लेकिन हमें एकता को शुभ कार्यो में लगाना चाहिए । ऐसी एकता किसी काम की नहीं जिससे दूसरों का बुरा होता हो । एकता का उद्देश्य शुभ होना चाहिए ।

एकता किसी भी समाज अथवा राष्ट्र के लिए संजीवनी शक्ति है । बड़े-बड़े बाँध, कारखाने, आलीशान महल, नहरें, खनन उद्योग, कृषि एवं औद्योगिक विकास की आधारभूमि राष्ट्रीय एकता है । जब राष्ट्र के लोग मिलकर प्रयास करते हैं तो उनकी समस्याओं का अंत होने लगता है ।

स्वतंत्रता आंदोलन के समय राष्ट्रीय एकजुटता अद्वितीय थी इसलिए हम विदेशियों को बाहर करने में सफल हुए । स्वतंत्रता के बाद हमें कई विदेशी आक्रमणों का सामना करना पड़ा हमने सभी आक्रमणों का डट कर एकजुट होकर मुकाबला किया । शास्त्री जी ने ‘जय जवान जय किसान’ का नारा देकर राष्ट्र को उसकी सम्मिलित शक्ति का आभास कराया ।

कारगिल विजय हमारी संगठित शक्ति का प्रतिफल था । अंतरिक्ष में भारत की उपलब्धियाँ तथा भारत का परमाणु शक्ति से संपन्न होना हमारे वैज्ञानिकों के सम्मिलित प्रयासों का ही परिणाम कहा जा सकता है । आज पूरी दुनिया आतंकवाद का मुकाबला मिलकर कर रही है क्योंकि कोई अकेला देश अपने प्रयासों से इस समस्या पर काबू नहीं पा सकता ।

सामाजिक एकता के लिए आवश्यक है कि लोग अपनी-अपनी जिद छोड़े और लक्ष्यों का निर्धारण कर उनके प्रति संकल्पित हो जाएँ । लेकिन ‘अपनी डफली अपना राग’ छेड़ने वाला समाज बिखर जाता है, उनमें फूट पड़ जाती है ।

मजदूर और कर्मचारी अपना सघ बनाकर अपनी माँगे मनवाने में सफल हो जाते हैं । परंतु जब उनमें फूट पड़ती है तो नियोक्ताओं को लाभ होता है । एकता के बल की महिमा अनंत है । जिन्हें यह समझ है, वे अपने परिवार, समाज और राष्ट्र को सुखी-संपन्न और गौरवान्वित कर सकते हैं ।

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Hindi Essay on “Mera Desh Bharat”, “मेरा देश भारत”, for Class 5, 6, 7, 8, 9 and Class 10 Students, Board Examinations.

मेरा देश भारत, mera desh bharat.

Top 7 Hindi Essay on ” Mera Desh Bharat”

निबंध नंबर : 01

भारत मेरा देश है। यह योगी-साधुओं की धरती है। भारत दुनिया का सबसे पुराना देश है। यहाँ का ताजमहल दुनिया के अजूबों में गिना जाता है।

भारत एक ऐसा देश है जहाँ अनेक धर्मों के लोग एक साथ रहते हैं।  इसी वजह से यहाँ अनेक त्योहार मनाए जाते हैं। यहाँ अनेक भाषाएँ भी बोली जाती हैं।

में भारत के सिर का ताज हिमालय पर्वत अपनी सुंदरता से दुनियाभर के लोगों को आकर्षित करता है। भारत में गंगा, यमुना, सरस्वती जैसी पावन नदियाँ बहती हैं।

भारत के चरणों में विशाल समुद्र खजानों का भंडार है। भारत की जलसेना, थलसेना और वायुसेना से शत्रु सदा डरते हैं। भारतीयों की लगन और बुद्धि के चर्चे सब जगह हैं।

मुझे मेरा देश अति प्रिय है और इसकी स्वच्छता और वातावरण का पूरा ध्यान रखता हूँ।

निबंध नंबर : 02

मुझे भारत माँ का बच्चा होने में बहुत गर्व है मैं उसका लड़का हूँ क्योंकि वही हमारा पालन-पोषण करती है। भारत एक बहुत विशाल देश है। यह एशिया के दक्षिण में स्थित है और यहाँ काफी बड़ी जनसंख्या रहती है। भारत की जनसंख्या विश्व में दूसरे स्थान पर है। इसके उत्तर में विशाल हिमालय पर्वत है तथा इसके दक्षिण में हिंद महासागर है।

भारत में अनेक महापुरुष हुए हैं। जैसे-राम, कृष्ण, महावीर, गौतम, गुरुनानक, दयानन्द इत्यादि। भारत में अनेक प्रतापी राजा रानी भी हुए हैं। जैसे-पोरस, राणा प्रताप, शिवाजी, रानी झाँसी इत्यादि। भारत देश बहुत सुंदर देश है। यहाँ की संस्कृति भी बहुत प्रभावी है। विदेशों से लोग यहाँ की संस्कृति से प्रभावित होकर घूमने आते हैं। भारत में अनेक ऐतिहासिक स्थल हैं तथा शानदार इमारतें हैं। भारत के आगरा का ताजमहल संसार के आठ अजूबों में से एक है। भारत की कला संस्कृति भी बहुत अच्छी है। जिसका नमूना भारत के विशाल मन्दिरों तथा अजंता एलौरा की गुफाओं से मिलता है। भारत एक कृषि प्रधान देश है। यहाँ विभिन्न प्रकार की फसलें उगाई जाती हैं।

यहाँ कई प्रकार के कारखाने तथा औद्योगिक क्षेत्र हैं। धर्म, जाति के लोग रहते हैं तथा विभिन्न प्रकार की बोलियाँ यहाँ बोली हैं। यहाँ की पवित्र नदी गंगा नदी है। भारत बहुत धनी है। परन्तु यहाँ की जनता गरीब व अशिक्षित है। यहाँ के लोगों को शिक्षित करना होगा। मुझे अपना भारत देश बहुत अच्छा लगता है। तथा मैं हमेशा इसकी रक्षा करूगा।

निबंध नंबर : 03

हमारा देश भारत

Hamara desh bharat.

सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा।

हम बुलबुले हैं इसके , ये गुलिस्तां हमारा ।।

भूमिका- हमारा भारत विश्व का प्राचीनतम देश है। यह देश ऋषि-मुनियों, साधु-सन्तों, समाज सुधारकों तथा आदर्श पुरुषों की भूमि है। इस देश का नाम ‘भारत’ दुष्यंत तथा शकुन्तला के वीर पुत्र ‘भरत’ के नाम पर पड़ा। यह प्राचीन देश विश्व गुरू धरती का स्वर्ग, देवताओं की जन्म भूमि तथा प्रकृति की क्रीड़ा-स्थली रहा है। दुनिया की अनेक संस्कृतियां मिट गई, परन्तु भारत की संस्कृति आज भी जीवित है।

भारत की स्वाधीनता- भारत कभी सोने की चिड़िया था, परन्तु विदेशियों ने इसे लूटा तथा शासकों ने सैंकड़ों वर्षों तक इसे गुलमाी भी जंजीरों में जकडे रखा क्योंकि यहाँ के निवासी अपनी शक्ति, वीरता एक एकता को भूल बैठे थे। 15 अगस्त, 1947 को भारत स्वतन्त्र हुआ तथा नए लोकतन्त्र के रूप में उदित हुआ।

भारत की सांस्कृतिक विशेषताएँ- इस भूमि में राम, कृष्ण, गाँधी, नानक, गुरू गोबिन्द सिंह, विवेकानन्द, दयानन्द, महावीर स्वामी आदि अवतारों, गुरुओं ने जन्म लिया। इसके इतिहास में चन्द्र गुप्त, चाणकय और अशोक जैसे व्यक्ति हुए। सुभाष, भगत सिंह, आजाद, नेहरू जैसे आजादी के परवाने इसके लिए जिए और मरे हैं।

इस देश में पंजाबी, गुजराती, राजस्थानी, तेलगु, असमिया, बंगाली, मद्रासी, हिन्दी भाषा-भाषी लोग हैं। इसके उत्सव और त्यौहार तीर्थ और पूजा स्थल, मंदिर और मस्जिद, चर्च और गुरुद्वारे इसकी एकता के सूत्र में माला के दानों की भान्ति एक होते हैं।

यह देश जगद्गुरू रहा है। इसकी मिट्टी में वेदों की रचना हुई। गीता का ज्ञान, महाभारत, रामायण, रामचरित मानस, गुरु ग्रन्थ साहिब इसके पावन ग्रन्थ हैं। युधिष्ठर, कर्ण, हरिशचन्द्र जैसे सत्यवादी और दानवीर चरित्र इससे उपजे हैं। यहाँ सीता, सवित्री, लक्ष्मी बाई, दुर्गावती जैसी नारियों ने जन्म लिया है। बाल्मीकी, व्यास, कालिदास, भवभूति, तुलसी, सूर, मीरा, रविन्द्र नाथ टैगोर जैसे कवि श्रेष्ठ इसके गौरव को बढ़ाते हैं। हिमालय उच्च भाल की तरह यही चमकता है। इसी देश में गंगा-यमुना की पवित्र धाराएँ बहती हैं।

स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद का भारत- आज हम स्वतन्त्रता एवं सर्वप्रभुत्ता सम्पन्न हैं। कृषि के क्षेत्र में यहाँ हरित क्रान्ति आई है और उद्योग क्षेत्र में भी भारत ने अभूतपूर्व विकास किया है। स्वतन्त्रता प्राप्ति से पूर्व हम छोटीछोटी वस्तुएं विदेशों से मंगवाते थे, पर आज बड़ी-बड़ी मशीन बाहर भेजते हैं। अब हम विदेशों के मोहताज नहीं हैं। भारत के वैज्ञानिकों ने पृथ्वी, अग्नि, नाग, त्रिशल, वज्र आदि के सफल परीक्षण से यह सिद्ध कर दिया है कि वे किसी से पीछे नहीं हैं। परमाणु परीक्षण करके भारत ने विश्व को चौंका दिया है।

उपसंहार- हमारा भारतवर्ष महापुरुषों की भूमि है। अत: हमारा कर्तव्य है कि हम आपस में न लड़ें, एकता से रहें तथा सभी धर्मों का आदर करना सीखें। सभी धर्म अच्छी राह दिखाते हैं, तथा ईश्वर तक पहुचन कमा यह दश वारा का देश है, अत: हमें चाहिए कि देश की एकता. अखण्डता तथा स्वाधीनता की रक्षा के लिए अपने प्राणों की बाजी लगा दें।

निबंध नंबर : 04

Mera Desh Bharat 

मेरा देश महान है। उसकी भौगोलिक स्थिति की भी अपनी विशेषता है। यह देश बहुत बड़ा है। काश्मीर कन्याकुमारी तक फैला हुआ है। इसकी जनसंख्या संसार में चीन के बाद दूसरे नं० पर है। यह कई प्रान्तों और केन्दीय शासित प्रदेशों में बंटा हुआ है। यह राष्ट्र सबसे बड़ा प्रजातन्त्र राष्ट्र है) इसमें लोकसभा के 550 सदस्य हैं और दो हजार से उपर विधानसभाओं के सदस्य हैं। इसके उत्तर में हिमालय का पर्वत मुकुट है। कश्मीर भारत का अटूट अंग है जिसे धरती का स्वर्ग कहा जाता है। यही पर रावी, गंगा, यमुना, सतलुज, व्यास नदियां बहती हैं। यहां की ऋतएं अपनी-अपनी निधि बखेरती हैं। बसंत में सास देश दुल्हन की भान्ति खिल उठता है। वर्षा ऋतु अपना अलग ही सौन्दर्य दिखलाती है। मेरे देश भारत में अनेकता में एकता के गुण पाए जाते हैं। यहाँ पर अनेक जातियां हैं- उनके विश्वास अनेक हैं फिर भी देश प्रेम एक ऐसी चीज है जिसने सबको एक सूत्र में बांधा हुआ है। इसी भूमि में राम. कृष्ण, गांधी, गौत्तम, नानक, गुरू गोविन्द सिंह, विवेकानन्द, दयानन्द, महावीर स्वामी आदि अवतारों गुरुओं ने जन्म लिया। सुभाष, भमत सिंह, आजाद, नेहरु जैसे आजादी के परवाने इसके लिए जिए और मरे हैं। यह देश जगतगुरु रहा है तो सोने की चिड़िया भी। गीता का ज्ञान, महाभारत, रामायण, मानस, गुरू ग्रन्थ साहिब इसके पावन ग्रन्थ हैं। पदाँ सीता सवित्री-लक्ष्मीबाई, दुर्गावती-जैसी नारियों ने..जन्म लिया है। इस देश में पंजाबी, गजराती, मद्रासी, राजस्थानी तेलग, असमिया, बंगाली, हिन्दी भाषा-भाषी लोग रहते हैं। इनके उत्सव और त्यौहार, तीर्थ और पोस्थल, मन्दिर-मस्जिद, चर्च और गुरुद्वारे इसकी एकता के सूत्र में माला के दानों की भांति एक होते हैं।

निबंध नंबर : 05

मुझे अपने देश भारत पर बहुत गर्व है। यह दुनिया का सबसे बड़ा प्रजातन्त्र है। चीन के बाद भारत जनसंख्या के हिसाब से विश्व में दूसरे नम्बर पर है। भारत विश्व में औद्योगिक राष्ट्रों के क्रम में सातवें नम्बर पर है। हमारी अर्थव्यवस्था विश्व में पांचवें स्थान पर है। हमारी सैनिक शक्ति भी प्रथम पाँच में है।

भारत ‘विभिन्नता में एकता’ का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है। सभी धर्मों के लोग यहाँ साथ-साथ रहते हैं। कई विभिन्न भाषाएँ यहाँ बोली जाती हैं। कहा जाता है कि हर दो सौ किलोमीटर के बाद कोई भी व्यक्ति खानपान, कपड़े, भाषा, घरों आदि में बदलाव महसूस कर सकता है।

भारत के उत्तर में बर्फ से आच्छादित हिमालय पर्वत श्रृंखला है तो दूसरी ओर राजस्थान के रेगिस्तानी इलाके हैं जो देश में हर प्रकार के मौसम के होने के उदाहरण हैं। हमारे देश का समुद्र तटीय इलाका बहुत ज्यादा है। भारत में प्राकृतिक सौन्दर्य एवं सम्पदा की भरमार है।

हमारा देश दूध का उत्पादन करने में विश्व में प्रथम नम्बर पर है। चीनी एवं गेहूँ के उत्पादन में भी हमारा देश सबसे आगे है। भारतीय पूरी दुनिया में अपनी तकनीक एवं बौद्धिक क्षमता के लिए जाने जाते हैं। संसार भारत के अभियंताओं का स्वागत करता है। सूचना एवं तकनीक के क्षेत्र में भी का बोलबाला है।

हमारा इतिहास हजारों वर्ष पुराना है। हमने संसार को योग एवं दिया है। संसार में भारतीय विद्वानों, वैज्ञानिकों और नेताओं को दल दृष्टि से देखा जाता है। विश्व में भारत को एक महान् और महत्त्वपर्ण गाव का दर्जा प्राप्त है।

निबंध नंबर : 06

Our Country: India

रूप – रेखा  

प्राचीन और महान देश , सभ्यता और संस्कृति , जलवायु और स्थिति , ऋतु एवं फसलें , प्राकृतिक संसाधन , मौसम , नदियाँ , अनेकता में एकता का देश , आर्थिक स्थिति और वैज्ञानिक प्रगति , वीरों और महापुरुषों की भूमि , आपसी भाईचारा ।

भारत विश्व के प्राचीन देशों में से एक है । प्राचीन समय में भी यहाँ की सभ्यता और संस्कृति बहुत उन्नत थी । वेदों की रचना के द्वारा ज्ञान का प्रकाश फैला । भारत को विश्व गुरु की संज्ञा दी गई । दुष्यंत और शकुंतला के पुत्र भरत के नाम पर इस देश के नाम भारत पड़ा । वेदों, पुराणों और उपनिषदों के माध्यम से समाज में ऊँचे आदर्शों की स्थापना हुई । ऋषि-मुनियों और संतों की वाणी से संसार में ज्ञान का आलोक फैला।

विश्व के मानचित्र पर भारत उत्तर-पूर्वी गोलार्द्ध में स्थित है । यहाँ समशीतोष्ण जलवायु पाई जाती है। भारत के उत्तर में हिमालय की लंबी पर्वत श्रृंखला है । हिमालय भारत का मुकुट है । दक्षिण में हिन्द महासागर इसके पाँव धोता है । पूर्व में बंगाल की खाड़ी और पश्चिम में अरब सागर है । इस प्रकार भारत तीन ओर से समुद्र से घिरा हुआ है । यहाँ एक वर्ष में छह ऋतुएँ बारी-बारी से आती हैं । ऋतु परिवर्तन तथा वर्षा के कारण यहाँ अनेक तरह की फसलें उगाई जाती हैं । गेहूँ, चावल, दाल आदि के अतिरिक्त हमारे देश में तरह-तरह की फल-सब्जियाँ भी पैदा होती हैं।

भारत में प्राकृतिक संसाधनों की प्रचुरता है । कोयला, ताँबा, अभ्रक, लोहा आदि खनिजों के यहाँ विशाल भंडार है । गंगा, यमुना, ब्रह्मपुत्र, कृष्णा, कावेरी आदि नदियाँ अपने जल से भारत-भूमि को सिंचित करती हैं। उत्तरी मैदानों की भूमि बहुत उपजाऊ है । भारत में जलवायु की दृष्टि से काफी असमानताएँ देखने को मिलती हैं । उत्तरी भारत में गर्मियों में अधिक गर्मी तथा सर्दियों में अधिक ठंड पड़ती है । दक्षिण भारत में सम जलवायु पाई जाती है। पर्वतीय क्षेत्रों में ठंडी जलवायु पाई जाती है। भारत की विशालता के कारण यहाँ एक ही समय में अलग-अलग प्रकार की जलवायु देखने को मिलती है । यहाँ की भूमि भी एक जैसी नहीं है । कहीं पर्वत हैं तो कहीं गहरी खाइयाँ, कहीं समतल मैदान हैं तो कहीं पठार ।

भारत अनेकता में एकता का देश है । यहाँ अनेक धर्म, संप्रदाय, जाति और भाषा के लोग रहते हैं । यहाँ 28 प्रान्त और 7 केन्द्रशासित प्रदेश हैं । प्रांतों की अपनी-अपनी भाषाएँ हैं । परन्तु हिन्दी और अँगरेज़ी भाषा पूरे देश में बोली जाती है । इनमें से हिन्दी राष्ट्रभाषा और अँगरेजी संपर्क भाषा है। रीति-रिवाजों में भी भारत के अलग-अलग क्षेत्रों में काफी अंतर पाया जाता है । यहाँ प्रत्येक स्तर पर विविधताओं के दर्शन होते हैं । फिर भी भारत एक है क्योंकि हमारी संस्कृति और हमारे आदर्श एक हैं।

प्राचीन काल में भारत एक धनी देश था । आज भी हमने बहुत उन्नति की है। हम लोग वैज्ञानिक प्रगति में किसी देश से पीछे नहीं हैं। आजादी के बाद से भारत लगातार प्रगति कर रहा है । पहले हम छोटी-मोटी चीजें भी विदेश से मँगाते थे, आज हम बडी-बडी मशीनें निर्यात करते हैं। हमारी सैनिक शक्ति भी दिनों-दिन बढ़ती जा रही है । हमारा लोकतंत्र निरंतर फला-फूल रहा है । भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है।

भारत वीरों और महापुरुषों की भूमि है । राम, कृष्ण, बुद्ध, महावीर, नानक, गाँधी जैसे महापुरुषों ने भारत का नाम पूरे विश्व में ऊँचा किया है। इन्होंने हमें देश के लिए बलिदान होने की शिक्षा दी है । हमें देश की अखंडता और एकता के लिए अपने प्राणों की बाजी लगाने के लिए तैयार रहना चाहिए । हमें सभी धर्मों का सम्मान करते हुए आपस में प्रेमपूर्वक रहना चाहिए । यही भारत की असली पहचान है।

निबंध नंबर : 07

मेरा देश भारत है। यह इंडिया और हिन्दुस्तान के नाम से भी प्रसिद्ध है । मेरा देश महान है । दुनिया का और कोई ऐसा देश नहीं जिसने इतनी बड़ी संख्या में महापुरुषों और विचारकों को जन्म दिया हो । राम, कृष्ण, महावीर और बुद्ध को कौन नहीं जानता । नानक, कबीर, तुलसी आदि संत देश की आत्मा हैं । गाँधी, टैगोर और नेहरू देश की पहचान हैं। हमारो सभ्यता बहुत पुरानी है । वेद, पुराण, उपनिषद और गीता केवल हमारे धर्मग्रंथ ही नहीं. इनमें जीवन का सारा निचोड़ है । हमारे देश ने हमेशा दुःखी और पीड़ित व्यक्तियों के आँसू पोछे हैं । हमने लुटरों और विदेशी आततायियों को भी आश्रय दिया है । आज हम स्वतंत्र हैं। हमारा देश उन्नति के शिखर को छने की कोशिश कर रहा है । विज्ञान और तकनीकी के सहारे भारत के लोग अपनी समस्याओं पर विजय की प्राप्ति की ओर अग्रसर हैं । विश्व शांति के लिए भारत लगातार प्रयत्नशील है।

शब्द – भंडार

विचारकों = विचार करने वालों । आश्रय – घर, सहारा । निचोड़ = सार, मूल बात । आततायियों = अत्याचार करने वालों । अग्रसर में आगे बढ़ा हुआ। शिखर = चोटी।

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17 Comments

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भारत पर हिंदी निबंध (Essay On India In Hindi)

भारत पर हिंदी निबंध (Essay On India In Hindi Language)

आज   हम भारत पर निबंध (Essay On India In Hindi) लिखेंगे। भारत पर लिखा यह निबंध बच्चो (kids) और class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए लिखा गया है।

भारत पर लिखा हुआ यह निबंध (Essay On India In Hindi) आप अपने स्कूल या फिर कॉलेज प्रोजेक्ट के लिए इस्तेमाल कर सकते है। आपको हमारे इस वेबसाइट पर और भी कही विषयो पर हिंदी में निबंध मिलेंगे , जिन्हे आप पढ़ सकते है।

इंडिया यानि हमारा भारत देश इसकी सभ्यता और संस्कृति के लिए देश विदेश में प्रख्यात है। भारत को हिंदुस्तान भी कहा जाता है। भारत ना सिर्फ भौगोलिक रूप से विशाल है, बल्कि इसकी प्राकृतिक सुंदरता भी सभी को आकर्षित कर लेती है।

कृषि प्रधान भारत देश में को कोई भी आता है तो इसके हरे भरे लहलहाते खेत खलिहान देखकर आनंद और उत्साह की अनुभूति करता है। यहां की भूमि कर्मभूमि मानी जाती है, क्योंकि यहां परिश्रम और पुरुषार्थ को ही प्रधानता दी गई है।

वेद और उपनिषद् जिन्हें सभी सभ्यताओं का जनक माना जाता है, वे भी भारत में ही रचे गए है। भारतभूमि को यहां के निवासी माता की तरह पूजते हैं और इसकी रक्षा के लिए प्राण भी न्यौछावर करने को तैयार रहते हैं। आज हम इसी भारतवर्ष के बारे में कई महत्वपूर्ण बातें जानेंगे।

भारत (India)

भारतदेश का जन्म हजारों सालों पहले सिंधु घाटी सभ्यता से हुआ। ऋग्वेद जिसे विश्व का पहला धर्मग्रंथ माना जाता है, उसकी रचना भी भारत में ही हुई है। हमारे ऋषियों ने भारत को आर्यावर्त कहा है। यहां की भौगोलिक सुंदरता देखते ही बनती है। इसका विस्तार उत्तर में कश्मीर और दक्षिण में कन्याकुमारी तक है।

भारत पूर्व में मिज़ोरम, नागालैंड और पश्चिम की तरफ से गुजरात तक विस्तृत है। इसके उत्तर की तरफ संसार की सबसे ऊंची और खूबसरत बर्फ से ढंकी पर्वत श्रंखलाओं वाला हिमालय पर्वत स्थित है।

“होठों पे सच्चाई रहती है, जहां दिल में सफ़ाई रहती है

हम उस देश के वासी हैं, हम उस देश के वासी हैं

जिस देश में गंगा बहती है।”

यहां पर गंगा और यमुना जैसी पवित्र नदियां हैं, जिन्हें दूर दूर से लोग देखने आते हैं और उसमें डुबकी लगाकर अपने पापों का प्रायश्चित करते हैं। भारत में हिन्द महासागर जैसे अतिविशाल समुद्र भी हैं और तालाब, झरने, कुंआ, बावड़ी भी।

यहां के लोगों में भाईचारा है और एक दूसरे के लिए सम्मान की भावना है। भारत शूरवीरों की भूमि रहा है और यहां के रक्त में ही वीरता कूट कूट कर भरी है। यहां की संस्कृत भाषा विश्व की सारी भाषाओं की जननी है, इसी से अन्य सभी भाषाएं और बोलियां जन्मी हैं।

भारत विश्व का सातवां बड़ा देश है। पूर्व में बंगाल की खाड़ी, पश्चिम की तरफ अरब सागर और दक्षिण में हिन्‍द महासागर इसकी सीमा निर्धारित करते हैं। संसार के सबसे बड़े ओद्यौगिक देशों में भारत भी गिना जाता है और जनसंख्या के हिसाब से इसका दूसरा स्थान है।

यह देश कृषि में भी आत्मनिर्भर है। यहां की सभ्यता और संस्कृति में समय के साथ कई बदलाव आए हैं और यहां के मिलनसार लोग हर धर्म और संस्कृति को हृदय से अपनाकर उसका स्वागत करते हैं।

अनेक विविधताओं के बावजूद एक है भारत

भारत में अनेक प्रकार के धर्म और जातियां पाए जाते हैं। हिन्दू, मुसलमान, ईसाई, जैन, सिख आदि सभी लोग यहां भाईचारे के साथ मिलजुल कर रहते हैं। ये भारत की बहुत बड़ी विशेषता रही है। यहां पर देश विदेश से कई जाति धर्मों के लोग आते गए और भारतभूमि ने सबका स्वागत किया, उनकी संस्कृति को अपनाया है।

यहां के निवासियों ने सभी के लिए सदभाव रखा और यह एक धर्म निरपेक्ष राष्ट्र बन गया, इसीलिए कहा जाता है –

हिन्द देश के निवासी, सभी जन एक हैं,

रंग रूप वेश भाषा, चाहे अनेक है।

केवल जाति और धर्म में ही नहीं बल्कि यहां हर क्षेत्र में भिन्नता पाई जाती है। यहां पर लगभग 122 भाषाएं और सैकड़ों बोलियां भी बोली जाती हैं। यहां पर कई प्रकार की पोशाकें पहनी जाती हैं, हम जिस क्षेत्र में जाएंगे वहां हमें स्थान, भाषा, वेशभूषा आदि की भिन्नता मिलेगी।

यहां पर भौगोलिक क्षेत्र में भी भिन्नताएं मिलेंगी, कहीं रेतीला रेगिस्तान और कहीं बर्फ की चादर ओढ़े हिमालय पर्वत है। यहां मौसम और जलवायु भी स्थान के अनुरूप बदलती रहती है।

कश्मीर को तो भारत का स्वर्ग कहा जाता है, जहां की प्राकृतिक सुंदरता देखने कई देशों से लोग आते हैं। यहां खान पान में भी भिन्नता है, हम जहां जिस भी क्षेत्र में जाएंगे वहां एक अलग स्वाद चखने को मिलेगा।

इतना ही नहीं यहां के लोगों में आचार और विचारों की भी भिन्नता है। इतनी भिन्नता के बावजूद यहां के निवासियों के मन एक हैं, इसलिए जब भी कभी देश पर कोई मुसीबत आती है तो सभी मिलकर देश की रक्षा करते हैं।

शूरवीरों ने यहां जन्म लिया

भारत की इस पावन धरा पर वीर जन्म लेते आए हैं। जब भी इस देश पर संकट के बादल छाए, तब तब यहां के वीर योद्धाओं ने दुश्मन के छक्के छुड़ा दिए और देश रक्षा के लिए अपनी जान कुर्बान करने से भी पीछे नहीं हटे।

यहां शूरवीर राजा और रानियां थे जिन्होंने मातृभूमि के लिए वीरता से युद्ध किया और अंत में खुद का भी बलिदान दे दिया। पुरुष ही नहीं बल्कि यहां की महिलाएं और बच्चे भी साहस से परिपूर्ण तथा निर्भीक थे।

भारत पर जब अंग्रेजों ने कब्ज़ा कर लिया था तब कई क्रांतिकारियों ने देश को आजाद कराने के लिए अनेक प्रकार की प्रताड़नाएं सही और अपने प्राण गंवाकर भी देश को आजाद करवाया। राजगुरु, सुखदेव, मंगलपांडे, चन्द्र शेखर आजाद, राम प्रसाद बिस्मिल, सुभाष चन्द्र बोस, भगतसिंह इत्यादि कई लोग थे, जिन्होंने देश को गुलामी की जंजीरों से मुक्त करवाया।

गांधीजी ने सत्य व अहिंसा को अपनाकर देशवासियों के साथ विभिन्न आन्दोलन करके अंग्रेजो की जड़ें कमजोर कर दी। इस समय भी भारतीय सेना के बहादुर सैनिक दिन रात अनेक कष्ट सहन करके भी देश की सुरक्षा में लगे रहते थे, जिन पर हमें गर्व है।

सोने की चिड़िया कहलाता था भारत

आज हमें भारत में आर्थिक असमानता और कहीं कहीं बहुत गरीबी देखने को मिलती है। जबकि यहां की स्थिती पहले से ऐसी नहीं थी। पहले हमारा देश सोने की चिड़िया कहलाया करता था और धन संपदा से परिपूर्ण हुआ करता था।

देश की अर्थव्यवस्था संतुलित थी। तत्पश्चात भारत में विदेशों से लोग व्यापार के लिए आए और यहां की सुख समृद्धि देखकर उनके मन में लालच जाग गया। विदेशी लोग भारतीयों का दमन करके यहां पर राज करने लगे और लूटपाट करने लगे।

फिर करीब एक हजार वर्षों तक ये देश गुलामी की जंजीरों में जकड़ा रहा, बाद में 15 अगस्त 1947 को हमारा देश आज़ाद हुआ। विदेशियों ने भारत की हालत जर्जर कर दी थी, लेकिन धीरे धीरे हालत सुधरे और इस देश ने अपना सामर्थ्य फिर से प्राप्त किया।

भारत पंथ निरपेक्ष लोकंत्रात्मक गणराज्य बन गया। देश में जनता का शासन होने से सभी को विकास के मौके मिले। शिक्षा का प्रसार हुआ, रोजगार व उद्योग धंधों में भी विकास हुआ। खेती के लिए भी नई नई तकनीकें अपनाने से उत्पादन में वृद्धि हुई।

आज भारत विश्व के सबसे बड़े औद्योगिक राष्ट्रों में से एक है। बड़े बड़े उद्योगपति जैसे टाटा, बिरला आदि अत्यधिक विशाल स्तर पर देश विदेश में व्यवसाय कर रहे हैं।

किसी क्षेत्र में पीछे नहीं है हमारा हिंदुस्तान

भारत देश आजादी के बाद से निरंतर विकास की राह में बढ़ चला है और सफलता की सीढ़ियां चढ़ रहा है। चाहे कोई भी क्षेत्र क्यों ना हो भारत ने हर जगह अपनी सफलता का परचम लहराया है। आज की मांग के अनुसार यह परिवर्तन में विश्वास रखता है और नई तकनीकें तथा डिजिटलाइजेशन को अपनाकर प्रगति की ओर अग्रसर है।

यहां दिन प्रतिदिन निरक्षरता का प्रतिशत कम होता जा रहा है और साक्षरता में वृद्धि हो रही है। विश्व का प्रथम विश्वविद्यालय तक्षशिला भी यही बनाया गया था। केवल पुरुष ही नहीं बल्कि स्त्रियां भी शिक्षा में बहुत आगे हैं और उच्च पदों पर कार्य कर रही हैं।

भारत में बड़े बड़े डॉक्टर, इंजीनियर और वैज्ञानिक हैं, जिन्हें विदेशों से भी बड़े प्रस्ताव आते रहते हैं। यहां पर बहुत से आविष्कार हुए। भारत के व्यक्ति चांद पर भी जा चुके हैं। यहां पर बहुत अधिक इंटरनेट का उपयोग किया जाता है, यहां तक की अमेरिका से भी ज्यादा इंटरनेट यूजर भारत में हैं।

दुनिया में सबसे अधिक न्यूज चैनल भी यही पर हैं और सर्वाधिक अख़बार, मैगजीन्स आदि भी यहीं प्रकाशित होते हैं। जिनका प्रकाशन बहुत सी भाषाओं में किया जाता है। यहां पर बड़े बड़े लेखक और कवि भी हैं, जिनकी पुस्तकों को कई भाषाओं में अनुवाद करके विदेशों में भी भेजा जाता है और वहां के लोग इन्हे बहुत पसंद करते हैं।

यहां पर अत्यधिक विशाल स्तर पर कृषि की जाती है और विदेशों में भी खाद्य सामग्री का निर्यात किया जाता है। यहां पर स्त्रियों के पास बहुत से स्वर्णाभूषण हैं, बल्कि विश्व में सबसे ज्यादा स्वर्ण यहां की स्त्रियों के पास ही है।

यहां पर बहुत विशाल सेना है, जो दुनिया में तीसरे स्थान पर आती है। चाहे चित्रकला की बात की जाए या शिल्पकला, संगीत अथवा नृत्य व अभिनय की, सभी में भारतीय आगे हैं। यहां पर बहुत से ऐतिहासिक स्मारक और स्तूप हैं, जिन्हें देखने विदेशों से भी लोग आते हैं। भारत ने विश्व शांति में भी बहुत योगदान दिया है।

हम सभी ने इस पावन धरा पर जन्म लिया है, अतः हमें खुद को भाग्यशाली समझना चाहिए और इस देश के विकास के लिए अधिक से अधिक प्रयास करने चाहिए। हमें देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाए रखने में भी अपना सहयोग देना चाहिए और देश के प्रति अपनी जिम्मेदारी को निभाना चाहिए।

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तो यह था भारत पर निबंध , आशा करता हूं कि भारत पर हिंदी में लिखा निबंध (Hindi Essay On India) आपको पसंद आया होगा। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा है , तो इस लेख को सभी के साथ शेयर करे।

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Hindi essay for classes 3 to 12 students.

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Benefits of essay writing:

To be efficient in any language it is crucial to enhance the writing power in that significant language. Essay writhing is the most positive way of developing students’ skills and knowledge upon writing. Students get to know about different topics when they research to write about any important fact. Besides that, essay writing is beneficial to increase the vocabulary power of students as they use various words to express their views and thoughts. From essay writing students will be encouraged to upgrade their other skills. They will be interested to participate in many events of writing which is effective to improve their talents in extra-curricular activities. When students get the correct guidance and suggestions from their school environment they will eventually start to focus on a specific aspect of learning more. So, it is teachers’ responsibility to encourage children for writing essays on their own language for expressing their thoughts. Essay writing in Hindi is equally important for students who have Hindi as a subject in school. If they focus on Hindi learning from the beginning level then they do not have to worry about learning critical chapters in higher studies. Besides that they should focus on enhancing their essay writing skills which will enable them to give better performance in final exam. As a result, they will score well in exam and feel satisfied with their learning outcomes. The most important fact is that, essay writing skill will reduce the fear of writing among students. They will feel more interested to write essay on any given topic at any time after gathering the knowledge about the perfect ways of writing essays.

Essay writing in Hindi:

It is quite natural that students having Hindi as important subject in school must learn Hindi from the basic concepts. We find Hindi as important basically in CBSE and ICSE schools where students have options to choose Hindi or any other regional language. But for schools governed by state boards the entire education mode comes in Hindi medium. So, in both cases students have to focus on learning their Hindi language from the starting level. Essay writing is the significant part of their Hindi curriculum like all other languages. It will be beneficial for themselves if they focus on writing Hindi essays from the beginning level. They should understand each part of Hindi essays including pattern, style, word count to present a compete essay. By understanding each part students will be efficient in writing Hindi essays which will affect their overall score in exam. Some students may find it difficult to write Hindi essays on any topic smoothly. For that we are advising to grasp the basic knowledge of writing pattern and expressing their thoughts in a definite way. It is not possible for students to write Hindi essays from the beginning of their academics. They first need proper guidance and suggestions which they can find in examples of Hindi essays on different topics. Students of state level boards have to write Hindi essays from the primary section whereas CBSE and ICSE students write Hindi essays after primary education. We have provided Hindi essays on significant topics for all classes based on different boards. Students will be definitely benefitted if they follow the writing pattern and style of using language in those essays completely. They can rely on the essays fully as all are prepared according to the board guidelines by expert teachers. We are hopeful that students will take the help of these Hindi essays for enhancing their writing quality and using of language. We have provided the direct links to download all essays in this article. So, students do not need to search here and there for getting list of Hindi essays. They can easily download all the essays from the links in pdf format and read according to their convenience.

Read Also: Hindi Anuched Lekhan class 10th

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Conclusion:

It is mandatory for all students learning Hindi to follow essay writing pattern and styles closely. Students of all classes require study materials of Hindi essays for overviewing the knowledge on different topics and practice regularly before exam. With the aim of helping students to go through effectively in essay writing in Hindi we have attached many Hindi essays on significant and important topics. We are hopeful that students will find all the topics important from exam perspective and satisfied after reading the essays with its quality writing. Students will get chances of self-analysis from their essay writing which is essential for improving their writing skills. They should practice more by following the writing pattern in the given Hindi essays for enhancing their skills. They will feel more encouraged to writing Hindi essays after getting proper guidance. They will be efficient to solve all their queries regarding Hindi essay writing after practicing regularly. Students are advised to focus on Hindi essay writing from the basic level to grasp complete knowledge over writing.

FAQs:      

  • Who need to write Hindi essays?

Answer. Students studying in CBSE, ICSE and different state boards who have Hindi as a significant language in syllabus have to learn essay writing in Hindi language.

  • What is beneficial for Hindi essay writing?

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अस्पृश्यता पर निबंध- Essay on Untouchability in Hindi

In this article, we are providing an Essay on Untouchability in Hindi अस्पृश्यता पर निबंध, छुआछूत एक अभिशाप पर निबंध | Essay in 200, 300, 500 words For Class 7,8,9,10,11,12 Students. Asprushyata par Nibandh

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भूमिका 

भारत कई धर्मों और जातियों से बना एक लोकतांत्रिक देश है। लोकतंत्र होने के साथ-साथ भारत में बहुत सारी समस्याएं भी हैं और जिनमें से एक है अस्पृश्यता की समस्या। यह भारत के हिंदू समाज से जुडी हुई एक बहुत पुरानी और गंभीर समस्या है। यह सिर्फ एक समस्या ही नहीं है बल्कि एक बीमारी है जो और कई बीमारियों को भी जन्म देती है। भारत के इतिहास में भी लोगों के एक विशेष समूह के खिलाफ भेदभाव की घटनाएं देखी गई हैं, जो कि ज्यादातर जाति और अस्पृश्यता की पारंपरिक प्रणालियों से सम्बंधित हैं।

अस्पृश्यता क्या है? Meaning of Untouchability in Hindi

अस्पृश्यता(untouchility) एक ऐसी प्रथा है जिसमें कुछ निचली जाति के लोगों को सामाजिक समानता से वंचित रखा जाता है और उनके साथ उनकी जातियों के आधार पर भेदभाव किया जाता है। यह प्रथा भारत में बहुत लंबे समय से चलती आ रही है। आमतौर पर देखा जाता है कि उच्च जाति के कुछ लोगों द्वारा निम्न जाति के लोगों के साथ अमानवीय व्यवहार करते है। इन निम्न जाति के लोगों को हर जगह पर विभिन्न प्रकार के भेदभाव से गुजरना पड़ता है।

अस्पृश्यता या छुआछूत की प्रथा को अक्सर हिंदू धर्म से जोड़ा जाता है और माना जाता है कि यह केवल भारत में पाई जाती है जब की ऐसा नहीं है, बल्कि यह प्रथा और भी बहुत सारे  देशों में अलग-अलग नामों से प्रचलित है।

अस्पृश्यता का इतिहास एबं उत्पत्ति?

आज हम जिस जाति व्यवस्था को देखते हैं, इसका उच्चारण केवल एक पुस्तक में नहीं बल्कि कई ग्रंथों में किया गया है। जाति व्यवस्था का सबसे प्राचीन उल्लेख ऋग्वेद में मिलता है ऐसा माना जाता है कि इसे 1500-800 ईसा पूर्व के बीच विकसित किया गया था, तब इसे वर्ण व्यवस्था कहा जाता था जिसने समाज को चार वर्णों में वर्गीकृत किया:

ब्राह्मण: पुजारी, विद्वान और शिक्षक;

क्षत्रिय: शासक, योद्धा और प्रशासक;

वैश्य: पशुपालक, कृषक, कारीगर और व्यापारी;

शूद्र: मजदूर और सेवा प्रदाता;

इन भेदों का उल्लेख पुरुष सूक्त वेद में किया गया था, हालांकि कुछ विद्वानों का यह भी मानना है कि इन खंडों को वैदिक काल के बाद इसमें जोड़ा गया था।

अस्पृश्यता के कारण

1.नस्लीय विचार: अस्पृश्यता के मूल कारणों में से एक कारण है नस्लीय विचार । भारत में कई जनजातियाँ हैं, लेकिन विकसित और सुसंस्कृत आर्यों ने भारतीय जनजातियों को हराया जिसके कारण विजेता हमेशा खुद को पिछड़ों से श्रेष्ठ और अन्य जातियों से ऊपर मानता है। कुछ विद्वानों के अनुसार, आर्य आक्रमणकारियों ने भारत में बसने वाली गैर-आर्य जातियों को कुछ अपमानजनक नाम दिए और उन्हें अछूत माना भी था।

2.धार्मिक तत्व: अस्पृश्यता में धार्मिक प्रक्रिया, विश्वास और सम्मेलन नियम महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। धर्म में धार्मिकता और धर्मविज्ञान को एक महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है।अस्पृश्यता में धार्मिक तत्व एक बड़ा कारण भी है।

3.सामाजिक पहलु: अस्पृश्यता को बनाए रखने में सामाजिक कारक भी समान रूप से महत्वपूर्ण हैं। धार्मिक और जातीय कारण सामाजिक रीति-रिवाजों को मान्यता देते हैं और अस्पृश्यता की व्यापकता को उचित ठहराते हैं। कुछ समाजशास्त्रियों का मानना है कि प्रणाली की उत्पत्ति आंशिक रूप से नस्लीय, धार्मिक और सामाजिक रीति-रिवाजों का मामला है।

अस्पृश्यता को दूर करने के लिये कुछ कदम

1949 में इस शब्द और इसके साथ जुड़े सामाजिक विकलांगों के उपयोग को भारतीय संविधान द्वारा अवैध घोषित कर दिया गया था। संवैधानिक संशोधनों और सालों तक संघर्ष करने के बावजूद भी छुआछूत की प्रथा हमारे समाज में अपनी पहचान बनाए हुए है। कुछ शिक्षित लोग पढ़े लिखे हो कर भी इन प्रथाओं का पालन करते हैं।

हम अपने समाज से अस्पृश्यता को दूर करने के लिए बहुत कुछ कर सकते हैं। उच्च जातियों द्वारा हरिजनों के शोषण को रोकने के लिए सबसे महत्वपूर्ण तरीका है कि अनकी वित्तीय स्थितियों को सुधारने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं। उन्हें शिक्षित करना, व्यावसाय और रोजगार प्रदान करना भी इस उद्देश्य को प्राप्त कर सकता है।

निष्कर्ष 

इस बात को ठुकराना मुशकिल ही नहीं नामुमकिन है कि जाति व्यवस्था ने लंबे समय के लिय भारतीय समाज को आकार दिया है, जो की प्राचीन ग्रंथों और महाकाव्यों की संक्षिप्त व्याख्या के कारण संभव हुआ। इसने व्यापक उत्पीड़न और परंपरागत अधिकारों को जन्म दिया है जो आज भी जारी है। इस तरह की मध्यकालीन प्रथाओं द्वारा किए गए नुकसान को पूर्ववत करने के लिए उठाए गए कदमों को अधिक प्रभावी बनाया जाना चाहिए ताकि समाज में आगे अस्पृश्यता पैदा न हो।

# meaning of untouchability in Hindi

Human Rights Essay in Hindi

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ESSAY KI DUNIYA

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Essay in Hindi Language – निबंध

December 12, 2017 by essaykiduniya

Essay in Hindi –   These Hindi essays are for Nursery Class, Class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12. We provide various types of essay in Hindi such as education, speech, science and technology, India, festival, national day, environmental issues, social issues, social awareness, ethical values, nature and health etc in 100, 200, 300, 400, 500, 600, 700, 800, 900, 1000, 1100, 1200, 1300, 1400, 1500 and 1600 words.

ये हिंदी निबंध नर्सरी कक्षा से कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 के लिए हैं। हम शिक्षा, भाषण, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, एनीमा, भारत, त्योहार, राष्ट्रीय दिवस, पर्यावरण मुद्दों, सामाजिक मुद्दे, सामाजिक जागरूकता, नैतिक मूल्यों, प्रकृति और स्वास्थ्य आदि जैसे विभिन्न प्रकार के निबंधों को हिंदी में प्रदान करते हैं।

हर कोई इन निबंध को आसानी से समझ सकता है क्योंकि हमने  इनमें बहुत सरल और आसान शब्दों का इस्तेमाल किया है। । ये किसी छात्र द्वारा आसानी से समझे जा सकते है| ऐसे निबंध छात्रों को भारतीय संस्कृति, विरासत, स्मारकों, प्रसिद्ध स्थानों, शिक्षकों, माताओं, पशुओं, पारंपरिक त्योहारों, घटनाओं, अवसरों, प्रसिद्ध व्यक्तित्वों, किंवदंतियों, सामाजिक मुद्दों और इतने सारे अन्य विषयों के बारे में जानने में मदद और प्रेरित कर सकते हैं। हमने बहुत विशिष्ट और सामान्य विषय निबंध प्रदान किए हैं। 

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Class 7 Hindi Grammar Chapter 38 निबंध लेखन

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Class 7 Hindi Grammar Chapter 38 निबंध लेखन (Nibandh Lekhan). Hindi Vyakaran contents are in updated format according to CBSE Curriculum 2024-25. Sample Nibandh are given below so that students can take the hints from these Nibandh. State board students also take the benefits of these grammar contents for class 7 as it is based on State board Syllabus also.

  • कक्षा 7 के लिए हिन्दी व्याकरण – निबंध लेखन

निबंध का अर्थ है-बँधा हुआ। किसी विषय पर अपने मन के भावों या विचारों को नियंत्रित ढंग से लिखना निबंध कहलाता है। निबंध किसी विषय-विशेष पर केंद्रित वाक्य-संरचना होती है। निबंध-लेखन से पहले यह सुनिश्चित कर लेना होता है कि हम इस विषय पर क्या कहना चाहते हैं। अपने विचारों को पहले बिंदुओं में विभाजित कर लेना चाहिए, फिर अपनी बात को विस्तार देना चाहिए। किसी विषय पर अपने मन के भावों या विचारों को नियंत्रित ढंग से लिखना निबंध कहलाता है। निबंध लिखते समय भाव-सामग्री को सुंदर ढंग से प्रस्तुत करना चाहिए। इसकी भाषा सरल, प्रवाहमयी, सरस व रोचक होनी चाहिए। निबंध लिखते समय दिए गए विषय के सभी पक्षों पर क्रमानुसार प्रकाश डालना चाहिए। सामाजिक, राजनैतिक तथा आर्थिक विषयों पर लिखे गए गंभीर लेख भी निबंध की श्रेणी में ही आते हैं। साहित्यिक लेख भी निबंध कहे जा सकते हैं, परंतु उनकी भाषा शैली अधिक आकर्षक होती है। निबंध-लेखन के संबंध में ध्यान देने योग्य बिंदु निम्नलिखित हैं:

  • 1. सबसे पहले विषय पर समग्र विचार करके बिंदुओं को मन में बिठा लेना चाहिए।
  • 2. इसे प्रभावपूर्ण बनाने के लिए छोटे-छोटे वाक्यों का प्रयोग करना चाहिए।
  • 3. भाषा सरस व सुबोध होनी चाहिए जो पढ़ने वाले को रुचिकर लगे।
  • 4. इसकी शैली रोचक होनी चाहिए जो पढ़ने वाले पर प्रभाव डाल सके।
  • 5. इसकी भाषा में विराम-चिह्नों का समुचित प्रयोग होना चाहिए।
  • 6. मुहावरों के प्रयोग से भी निबंध सशक्त बनता है। इससे निबंध की भाषा शैली में निखार आता है और वह रोचक बन जाता है।

एक अच्छे निबंध के मुख्य रूप से तीन भाग होते हैं:

  • आरंभ, भूमिका या प्रस्तावना
  • मध्य भाग या कलेवर
  • उपसंहार, निष्कर्ष या अंत

निबंध की शुरुआत भूमिका या प्रस्तावना से ही होनी चाहिए। इसे अधिक विस्तार नहीं देना चाहिए। इसे लिखते समय दिए गए विषय से नहीं हटना चाहिए।

इस भाग में दिए गए विषय के सभी पहलुओं पर विचार करना चाहिए। विषय से संबंधित सभी बिंदुओं का क्रमानुसार वर्णन इसी भाग के अंतर्गत आता है। छोटे-छोटे वाक्यों में विषय के बिंदुओं को पिरोना चाहिए। भाषा सरल एवं सहज रखनी चाहिए।

इस भाग में निबंध का सार तथा निष्कर्ष लिखना चाहिए। इसे अधिक विस्तार नहीं देना चाहिए। आइए, विविध विषयों पर दिए गए निबंधों को पढ़ें और लिखने का अभ्यास करें

महाकवि कालिदास की एक प्रसिद्ध सूक्ति है-“शरीर मायं खलु धर्मसाधनम्।” अर्थात् धर्म का पहला साधन शरीर है। स्वस्थ हो तो वह सभी धर्मों का निर्वाह कर सकता है। स्वस्थ व बल-संपन्न शरीर का स्वामी ही जीवन में सफलता के शिखर पर पहुँच सकता है। समाज में जिसकी लाठी उसकी भैंस का सिद्धांत ही सदा से प्रचलन में रहा है। शक्तिशाली ही पृथ्वी पर राज्य करता है। सारांश यह है कि शारीरिक बल की बड़ी महिमा है और शारीरिक बल का प्रमुख साधन है-व्यायाम। वे सभी विशिष्ट शारीरिक क्रियाएँ जो शरीर को स्वस्थ व चुस्त-दुरुस्त बनाती हैं, व्यायाम कही जाती हैं। व्यायाम के अनेक भेद हैं। विभिन्न प्रकार के आसन, दंड, बैठक, घुड़सवारी, तैराकी आदि ऐसे व्यायाम हैं, जिन्हें व्यक्ति किसी अन्य की सहायता के बिना अकेला ही कर सकता है। लेकिन हॉकी, कबड्डी, कुश्ती आदि व्यायाम के ऐसे प्रकार हैं जिनमें अन्य व्यक्ति अथवा व्यक्तियों की सहायता आवश्यक होती है।

शारीरिक स्वास्थ्य के लिए व्यायाम अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। व्यायाम करने से व्यक्ति क्रियाशील बना रहता है तथा उसका शरीर सुडौल व सुगठित बना रहता है। रक्त-संचार तथा पाचन शक्ति ठीक रखने में व्यायाम सर्वाधिक सहायक होता है। व्यायामशील व्यक्ति सभी प्रकार के शारीरिक रोगों से मुक्त रहता है। व्यायाम न करने से मनुष्य को अनेक प्रकार की शारीरिक व्याधियाँ (बीमारियाँ)घेर लेती हैं। पाचन शक्ति का बिगड़ जाना, शरीर के जोड़ों में पीड़ा होना, पेट का बढ़ जाना, माँसपेशियों का लटक जाना, सिर में पीड़ा होना आदि शारीरिक कष्ट व्यायाम न करने से हो जाते हैं। व्यायाम से होने वाले लाभों तथा व्यायाम न करने से होने वाली हानियों को देखते हुए यह आवश्यक है कि व्यायाम के विविध साधनों का समुचित विकास किया जाए।

बाल, युवा और वृद्ध सभी की अपनी-अपनी शारीरिक क्षमताएँ और सीमाएँ होती हैं। अतः यह आवश्यक है कि ऐसी व्यायामशालाओं तथा व्यायाम-साधनों का विकास किया जाए जो हर आयु वर्ग के मनुष्यों के अनुकूल हों। छात्रों के लिए स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय स्तर पर व्यायामशालाओं की व्यवस्था की जा सकती है तथा अन्यों के लिए सार्वजनिक पार्कों आदि में व्यायाम के साधन जुटाए जा सकते हैं। शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ नागरिक ही किसी समाज या राष्ट्र की समृद्धि का आधार बनते हैं। अतः आवश्यक है कि हम अपने देश के नागरिकों में व्यायाम के लिए रुचि उत्पन्न करें ताकि वे शारीरिक व मानसिक रूप से स्वस्थ रहकर देश के निर्माण में सक्रिय भूमिका निभा सकें।

भारत एक विशाल देश है। यह कटक से कच्छ तक, कश्मीर से कन्याकुमारी तक फैला हुआ है। यह प्रदेशों तथा केंद्रशासित प्रदेशों से मिलकर राष्ट्र का रूप धारण करता है। उसमें भिन्न-भिन्न जातियों, धर्मों, रीति-रिवाजों के लोग रहते हैं। यह देश एक ऐसे हार की भाँति है जिसके रंग-बिरंगे फूलों के समान राज्यों, लोगों को एकता के सूत्र में पिरोया गया है। अनेकता में एकता इस राष्ट्र की विशेषता है। देश का इतिहास इस बात का साक्षी है कि जब कभी विघटनकारी शक्तियों ने अपना सिर उठाया-कभी धर्म, कभी जाति, कभी भाषा तो कभी प्रांत के नाम पर घृणा को उभारा-हमारी एकता को कमजोर करने का प्रयत्न किया तो हमें बहुत हानि उठानी पड़ी। अंग्रेजों द्वारा “फूट डालो, राज करो” की नीति से इस देश का विभाजन किया गया। आज भी कश्मीर समस्या मुँह बाए खड़ी है। राष्ट्र की उन्नति उसकी एकता पर आधारित होती है। आज इस एकता में कई बाधक तत्व स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहे हैं। धार्मिक कट्टरता और सांप्रदायिकता के विष जैसी संकुचित भावना ने हमारे देश को कई बार कमज़ोर करने का प्रयत्न किया है। पाकिस्तान का प्रमाण हमारे सामने स्पष्ट है। यही धार्मिक कट्टरता आज देश को कमज़ोर कर रही है। कश्मीर समस्या तथा अन्य सांप्रदायिक झगड़ों के लिए राजनैतिक दल भी जिम्मेदार हैं।

हम भारतवासियों को राष्ट्रीय एकता के बल पर बाधक तत्वों को मुँह-तोड़ जवाब देना चाहिए। राष्ट्रीय एकता में बाधक तत्वों में भाषा समस्या का विशेष हाथ है। इस आधार पर पंजाब व हरियाणा का निर्माण हुआ। गुजरात और महाराष्ट्र की एकता में दरार पड़ सकती है। यदि हम भारतीय भाषाओं में एकता के दर्शन करें तो भावात्मक एकता स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। हमारे ग्रंथ, समाज, संस्कृति तथा भाषा सबको एक लड़ी में पिरोने का काम कर रहे हैं। प्रांतीयता और जातिवाद हमारे राष्ट्र की एक ऐसी समस्या है जिसके कारण हमारे देश को बहुत हानि हुई है। इन्हीं के कारण भारत को विविधताओं का देश भी कहकर पुकारा जाता है। हम सब भारतीयों को मिल-जुलकर रहना चाहिए तथा सरकार के साथ मिलकर इस समस्या को सुलझाना चाहिए ताकि राष्ट्रीय एकता बनी रहे।

हम स्वार्थ, त्याग, धैर्य, सत्य, सहनशीलता, प्रेम, भाईचारे के बल पर अपने देश में राष्ट्रीय एकता को मजबूत करके अच्छे राष्ट्र, प्रांत या समाज के लिए संगठित रहें। हममें उतनी जागरूकता होनी चाहिए कि शत्रु पर कब और कितनी शक्ति के साथ लोहा लेना है। राष्ट्रीय एकता और एकजुटता के साथ हम अपने देश के सामने आने वाली समस्याओं का दृढ़ता के साथ मुकाबला करें। मिल-जुलकर रहते हुए एक-दूसरे की भलाई को ध्यान में रखकर जीने को एकता कहते हैं। यही एकता जब राज्यों या प्रातों में झलकती है तो वह भावनात्मक या राष्ट्रीय एकता कहलाती है। राष्ट्रीय एकता शक्ति को प्रकट करती है। वर्तमान काल में प्रत्येक कठिनाई एकता अर्थात् शक्ति से हल की जा सकती है। अतः हमें छोटी-छोटी बातें भूलकर अपनी तथा देश की भलाई के लिए राष्ट्रीय एकता बनाए रखनी चाहिए।

भारत-भूमि स्वर्ग के समान सुंदर है। यहाँ छह ऋतुएँ बारी-बारी से आकर प्रकृति का श्रृंगार करती हैं। प्रत्येक ऋतु का अपना-अपना महत्त्व है। इन सभी ऋतुओं में बसंत को “ऋतु राज” कहा गया है। बसंत ऋतु सचमुच प्रकृति का यौवन है। इस ऋतु में जिधर भी दृष्टि जाती है, पृथ्वी यौवन के भार से दबी प्रतीत होती है। बसंत ऋतु फरवरी-मार्च के महीनों में आती है। इन दिनों में शरद ऋतु का प्रभाव कम हो जाता है तथा न अधिक गर्मी पड़ती है और न अधिक सर्दी। इस ऋतु में दिन-रात लगभग बराबर होते हैं। शरद ऋतु की कड़ाके की सर्दी को धरती की हरियाली सहन नहीं कर पाती।

फूल मुरझा जाते हैं और पत्ते पीले पड़ जाते हैं। हेमंत ऋतु में पतझड़ होता है तथा पत्ते झड़ जाते हैं। इसके बाद ऋतुराज बसंत का आगमन होता है। पृथ्वी का रोम-रोम सिहर उठता है। समस्त प्रकृति में माधुर्य एवं सुंदरता भर जाती है। पेड़ों पर नए-नए पत्ते निकल आते हैं। आम पर सुनहरा बौर आ जाता है तथा कोयल की कूक सुनाई देने लगती है। उद्यानों में रंग-बिरंगे फूल अपनी सुंदरता बिखेरते हैं तथा भौरे और रंग-बिरंगी तितलियाँ उनके आस-पास मँडराने लगती हैं। ऐसा लगता है मानो वे उनके साथ अठखेलियाँ कर रही हों। सरसों के फूलों को देखकर ऐसा प्रतीत होता है मानो पृथ्वी ने पीली चादर ओढ़ ली हो। यह ऋतु स्वास्थ्य के लिए अत्यंत उत्तम है। इस ऋतु में शीतल एवं सुगंधित पवन चलती है जिसमें भ्रमण करने से उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। इस ऋतु में शरीर में नए रक्त का संचार होता है।

बसंत ऋतु का आरंभ बसंत पंचमी के त्योहार से होता है। कहा जाता है कि इसी दिन ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना की थी। यह त्योहार समस्त उत्तर भारत में हर्ष एवं उल्लास से मनाया जाता है। बसंत पंचमी को ही ज्ञान की देवी सरस्वती जी का जन्म हुआ था। इसी दिन वीर हकीकत राय ने हिंदू धर्म की बलिवेदी पर अपने प्राणों की बलि दी थी। इस दिन लोग पीले वस्त्र धारण करते हैं। सरस्वती-पूजन करते हैं तथा पीला हलुआ बाँटते हैं। स्थान-स्थान पर बसंत मेलों का आयोजन किया जाता है। “पतंग-उड़ाना” भी इस दिन का महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम होता है। बसंत वास्तव में ऋतुओं का राजा है। प्रकृति का कोना-कोना रोमांचित तथा पुलकित लगता है। मानो यह ऋतुराज का स्वागत कर रहा हो। बसंत के सौंदर्य से प्रेरणा पाकर ही भगत सिंह ने गाया था, “मेरा रंग दे बसंती चोला।“ कवियों ने बसंत ऋतु की प्रशंसा में अनेक कविताएँ लिखी हैं। बसंत उत्साह, उमंग, स्फूर्ति, चेतना एवं उल्लास की ऋतु है।

मनुष्य अपने जीवन का प्रत्येक क्षण आनंद और उल्लास से बिताना चाहता है। वह स्वभाव से विनोदप्रिय प्राणी है। वैसे तो सभी त्योहार जीवन में नया उल्लास व नई उमंग भरते हैं लेकिन विशेष रूप से होली हर्ष और आनंद का त्योहार है। यह आशा और आनंद का त्योहार है। इसे सभी जातियों के लोग बड़े प्रेम से मनाते हैं। होली के त्योहार का संबंध पौराणिक कथा के साथ जुड़ा हुआ है।

कहा जाता है कि सतयुग में हिरण्यकश्यप नाम का एक अत्यंत बलवान, अहंकारी और दुष्ट नास्तिक राजा था। वह अपने-आपको ईश्वर समझता था। उसने अपने राज्य में यह घोषणा करवा दी थी कि कोई भी भगवान की पूजा न करे। सभी उसी की उपासना करें। प्रजा डर के मारे उसकी पूजा करने लगी। परंतु उसका अपना पुत्र प्रहलाद ईश्वर-भक्त था। गुस्से में आकर पिता ने पुत्र को मार डालने के लिए अपनी बहन होलिका की शरण ली। होलिका प्रहलाद को गोदी में लेकर जलती आग में बैठ गई। देखते-ही-देखते होलिका जलकर भस्म हो गई और प्रहलाद का बाल भी बाँका न हुआ। यह कथा सच्ची है अथवा कल्पित इसे कह नहीं सकते। परंतु इससे यह पता चलता है कि पाप और अत्याचार की सदा पराजय होती है और न्याय, धर्म तथा सत्य की विजय होती है। होली के दूसरे दिन लोग सवेरे-सवेरे रंग-गुलाल लेकर निकल पड़ते हैं। लोग पिचकारियों से रंग छोड़ने जाते हैं। एक-दूसरे के गले मिलते हैं। इस प्रकार सारा दिन मौज और मस्ती में गुजरता है।

परंतु आजकल होली के इस पवित्र त्योहार में कुछ बुराइयाँ पैदा हो गई हैं। लोग अक्सर शराब पीने लगे हैं। इस त्योहार से गलत परंपराएँ जुड़ती जा रही हैं। लोग रंग-गुलाल की जगह पेंट-वार्निश, कीचड़ आदि का प्रयोग करने लगे हैं जिससे यह भय का पर्व बन गया है। होली भारत का सांस्कृतिक त्योहार है। यह सांप्रदायिक एकता का प्रतीक है। दुर्व्यसनों में पड़कर हमें त्योहार के वास्तविक महत्त्व को नहीं भूलना चाहिए। हमें होली इस तरह मनानी चाहिए जिससे अपने साथ-साथ सभी को आनंद मिले। तभी हम इस उत्सव की सांस्कृतिक गरिमा को बनाए रख सकते हैं।

दिल्ली एक महानगर है जिसकी जनसंख्या एक करोड़ से भी अधिक है। दिल्ली वासियों के समक्ष यातायात की समस्या बनी रहती है। इसी समस्या को ध्यान में रखते हुए 24 दिसम्बर 2002 को दिल्ली मेट्रो का शुभारंभ किया गया। प्रारंभिक चरण में यह सेवा शाहदरा से तीस हजारी तक थी जिसकी लंबाई 8.3 कि. मी. है। तत्पश्चात् इस सेवा का विस्तार विश्वविद्यालय, रिठाला, द्वारिका तथा केन्द्रीय सचिवालय तक कर दिया गया। इस योजना के विस्तार का कर्म युद्ध स्तर पर किया जा रहा है। इसे नौएडा, गुड़गाँव, वैशाली, फरीदाबाद तथा अन्य कई स्थानों तक पहुँचा दिया गया है।

दिल्ली की मेट्रो सेवा दुनिया की आधुनिकतम सेवा है। इसके सभी दरवाजे स्वचालित हैं। इसकी यात्रा के लिए स्वचालित किराया वसूली प्रणाली को अपनाया गया है। यह सेवा या तो भूमिगत है या खंबों के ऊपर ताकि वर्तमान यातायात व्यवस्था में कोई रुकावट न आ सके। इसके कोच में 80 से 100 यात्री सफर कर सकते हैं तथा कोच पूर्णतः वातानुकूलित हैं। मेट्रो रेल में यात्रियों की प्रत्येक सुविधा का ध्यान रखा गया है। स्टेशन परिसरों में खाद्य वस्तुओं, दवाइयों, अखबारों आदि की सुविधा के लिए बूथ बनाए गए हैं। यात्रा के लिए स्मार्ट कार्ड तथा टोकन लेने की व्यवस्था की गई है। यह सारा काम स्वचालित ढंग से संपन्न किया जाता है।

मेट्रो रेल से यात्रा अत्यंत सुरक्षित, सुविधाजनक, प्रदूषण रहित, समय की बचत एवं कम खर्च वाली है। इस व्यवस्था को सुचारू रखने के लिए हमें पूर्ण सहयोग देना चाहिए। इससे प्रदूषण से मुक्ति मिलेगी, समय की बचत होगी तथा हम उन्नति की राह पर चलेंगे। हमें इस बात का गर्व होना चाहिए कि हम विश्वस्तरीय सेवाओं का उपयोग कर रहे हैं।

विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का बड़ा महत्त्व है। आज का विद्यार्थी राष्ट्र का भावी निर्माता है। वैसे तो व्यक्ति जीवन-भर कुछ न कुछ सीखता ही रहता है, लेकिन विद्यार्थी जीवन में व्यक्ति जो कुछ भी सीखता है, उसी पर उसका भावी जीवन निर्भर होता है। विद्यार्थी और अनुशासन का आपस में गहरा संबंध है। बिना अनुशासित हुए विद्यार्थी ठीक से विद्या ग्रहण नहीं कर पाता। अनुशासन ही उन्नति का द्वार है। अनुशासित व्यक्ति के मन की चंचलता समाप्त हो जाती है। उसकी शक्तियों का दुरुपयोग नहीं हो पाता। अतः वह दिन दूनी, रात चौगुनी उन्नति करने लगता है।

आजकल हमारी नवयुवा पीढ़ी अनुशासन से विमुख हो रही है। यह बहुत ही चिंता का विषय है। आज शिक्षण-संस्थाओं का भी प्रबंध अच्छा नहीं है। अध्ययन के लिए उपयोगी सुविधाएँ भी उपलब्ध नहीं हैं। इस कारण छात्रों में पढ़ाई के प्रति उदासीनता बढ़ती जा रही है। छात्रों में अनुशासनहीनता पनपने के कई कारण हैं- अभिभावकों और शिक्षकों के बीच संपर्क का अभाव, अध्यापकों का अपने कर्तव्यों के प्रति जागरूक न रहना आदि ऐसे कई कारण हैं जिनसे छात्रों में अनुशासनहीनता पनपने लगी है।

अनुशासनहीनता बहुत हद तक दूर हो सकती है। जैसे- शिक्षा पद्धति में परिवर्तन करके ऐसी शिक्षा जिसमें विद्यार्थियों का नैतिक, चारित्रिक विकास हो सके, ऐसी शिक्षा जिसमें विद्यार्थी जीविकोपार्जन के योग्य बन सकें, होनी चाहिए। इन सबसे विद्यार्थियों में असंतोष बहुत हद तक दूर हो जाएगा। उनमें अनुशासन के प्रति लगाव उत्पन्न होगा। अभिभावक और अध्यापक दोनों मिलकर छात्रों के नैतिक सुधार की ओर विशेष रूप से ध्यान देंगे। अंत में, कहा जा सकता है कि यदि हमें राष्ट्र को अनुशासित बनाना है तो नई पीढ़ी को अपने छात्र जीवन से ही अनुशासन का पाठ पढ़ाना होगा। उसी पर स्वस्थ समाज और दृढ़ राष्ट्र की नींव डाली जा सकती है।

लेखन तथा गणना के क्षेत्र में विगत पाँच दशकों में आश्चर्यजनक प्रगति हुई है। कंप्यूटर भी इन्हीं आश्चर्यजनक आविष्कारों में से एक है। आज दफ्तरों, स्टेशनों, बड़ी-बड़ी कंपनियों, टेलीफोन एक्सचेंजों आदि अन्य अनेक ऐसे कल-कारखानों में जहाँ गणना करने अथवा काफी मात्रा में छपाई का काम करने की जरूरत होती है, वहाँ भी कंप्यूटर लगाए गए हैं ताकि मानवों की संख्या में कटौती की जा सके। कंप्यूटर अब वह काम भी करने लगे हैं जो मानव के लिए काफी श्रम-साध्य तथा समय लेने लगे हैं। वैसे तो कंप्यूटर का इतिहास काफी प्राचीन माना जा सकता है। कुछ लोगों का अनुमान है कि मानव ने लगभग 25000 वर्ष पहले वस्तुओं को गिनना सीखा होगा और तभी से कंप्यूटर के आविष्कार की नींव पड़ी होगी। किंतु यह कहना कहाँ तक तर्कसंगत है। गिनने के लिए उस समय कंकड़-पत्थर, लकीरों अथवा अन्य किन्हीं सहज उपलब्ध वस्तुओं को उसने अपनाया होगा। कंप्यूटर की पहली परिकल्पना सन् 1642 में साकार हुई जब जर्मन वैज्ञानिक ब्लेज पॉस्कल ने संसार का पहला सरल कंप्यूटर तैयार किया था। इस कंप्यूटर में ऐसी कोई खास जटिलता नहीं थी, फिर भी अपने समय में यह आम लोगों के लिए एक कौतूहल का विषय अवश्य था।

वर्तमान कंप्यूटर डॉ. हरमन के प्रयासों का अति आधुनिक विकसित रूप है।कंप्यूटर का निरंतर विकास हो रहा है। ई. सी. जी., रोबोट, मानसिक कंपन, रक्तचाप तथा न जाने कितने जीवन-रक्षक कार्यों के लिए कंप्यूटर का उपयोग किया जाता है। अमेरिका, फ्रांस, जर्मन, रूस, हालैंड, स्वीडन, ग्रेट ब्रिटेन जैसे-स्मृद्ध देशों में इसका स्थान मनुष्य के दूसरे दिमाग के रूप में माना जाता है। भारत में भी कंप्यूटर विज्ञान की निरंतर प्रगति होती जा रही है। अब भारत भी इस क्षेत्र में समुन्नत देशों की बराबरी करने लगा है। कंप्यूटर एक जटिल गणना प्रणाली का नाम है। इस प्रणाली के अनेक रूप हैं। वर्ड प्रोसेसर, इलेक्ट्रॉनिक टाइपराइटर तथा उसमें मेमॉरी आदि का प्रावधान कंप्यूटर चालन के सिद्धांतों पर आधारित है। कल-पुर्जे तैयार करने, डाक छाँटने, रेल पथ संचालन हेतु संकेत देने, अंतरिक्ष अनुसंधान, वायुयान की गति, ऊँचाई आदि का निर्देशन, टिकट बाँटने, मुद्रण, वीडियो खेल आदि अनेकानेक कार्यों के लिए कंप्यूटर का प्रयोग बढ़ता ही जा रहा है।

हमारे देश में सर्वप्रथम सन् 1961 में कंप्यूटर आया था। तब से आज तक अनेक समुन्नत देशों से प्राप्त जानकारी हमारे लिए काफी लाभप्रद सिद्ध हुई है। अब हम स्वदेश में ही अनेक प्रकार के कंप्यूटर बनाने में सक्षम होते जा रहे हैं। हजारों की संख्या में, विविध कार्यों के लिए कंप्यूटरों का सहारा लिया जा रहा है। बिजली के बिल, वेतन बिल, टिकट वितरण तथा बैंकिग कार्यों के लिए कंप्यूटरों का उपयोग निरंतर बढ़ता जा रहा है। संघ लोक सेवा आयोग तथा विविध परीक्षा बोर्डों में बैठने वाले सहस्रों लोगों की अंक-तालिकाएँ, रोल नंबर आदि तैयार करना कंप्यूटर की वजह से ही सुसाध्य तथा संभव हो सका है।

आज कंप्यूटर के विविध तथा बहुक्षेत्रीय उपयोग हो रहे हैं। भारत में कंप्यूटर कितने लाभप्रद तथा कितने अलाभकारी हैं- इस पर भी विचार करना जरूरी है। यह बात तो हमें स्वीकार कर ही लेनी चाहिए कि कंप्यूटर भी मानव-निर्मित उपकरण है, जिसमें आंकड़े, सूचनाएँ, अंक, हिसाब-किताब आदि मानव द्वारा ही भरे जाते हैं। अतः यदि मानव से कोई त्रुटि हो जाए तो वह कंप्यटूर में बार-बार तब तक होती रहेगी जब तक वह सुधारी न जाए। अतः यह कहना कि कंप्यूटर गलती नहीं करता, एक गंभीर तथ्य को अस्वीकार करना है। हमारा देश निर्धन देश है जहाँ प्रतिवर्ष हजारों नहीं लाखों की संख्या में बेकार युवक बढ़ते जा रहे हैं। बेकारी घटने का उचित तरीका तो यही होगा कि अधिक से अधिक लोगों को रोजगार दिया जाए। उन्हें विविध उत्पादक कार्यों में लगाया जाए ताकि देश में युवा लोगों का उपयोग हो सके।

कंप्यूटर विज्ञान का उपहार है जिसे प्रयोग न करना आज के युग में संभव नहीं है। इसलिए कंप्यूटरीकरण भी आज समय की माँग बन चुका है। भारत में लगभग सभी निजी व्यावसायिक संस्थानों, बैंकों, कई सरकारी संस्थानों व सेवाओं को कंप्यूटरीकृत किया जा चुका है। भविष्य में भी यह उन्नति जारी होगी।

देशभक्ति का शाब्दिक अर्थ है- देश के प्रति प्रेम, उसके प्रति अनुराग। ये धरती ऊँची पर्वतश्रेणियाँ, ये खेत-खलिहान यही सब कुछ मिलकर देश बनता है! पर देश का सच्चा स्वरूप उसके रोड़े-पत्थरों में नहीं है, वह उसके निवासियों में विद्यमान है। जो व्यक्ति देशभक्त होता है, वह अपने व्यक्तिगत हितों, अपने परिवार के हितों, अपने नगरवासियों के हितों और अपने देश के लोगों के हितों की रक्षा अवश्य करता है। किंतु जहाँ देशहित पर आँच आती है, वहाँ वह अपने सर्वहितों का विचार एकदम भूल जाता है। देशभक्त के सामने सबसे ऊपर एक ही विचार रहता है और वह है देश का विचार। इसके अनेक पहलू उसकी आँखों के सामने रहते हैं- देश की एकता, देश का गौरव, देश का सम्मान, देश की समृद्धि और देश की निरंतर प्रगति। देशभक्त किसी की बपौती नहीं है। इसके लिए न धनी होना आवश्यक है न शक्तिशाली होना। धनी या निर्धन, शक्तिशाली या निर्बल हरेक व्यक्ति देशभक्त हो सकता है। देशभक्ति का संबंध मनुष्य की भावना से है। जिसके मन में राष्ट्रहित की जितनी प्रबल भावना होती है वह उतना ही बड़ा देशभक्त है।

सामान्य अवस्था में देशभक्ति की भावना को समझने से पूर्व इतना जान लेना आवश्यक है कि देशभक्ति एक तरह से कर्तव्य का ही दूसरा नाम है। दूसरे शब्दों में, अच्छा नागरिक अच्छा देशभक्त हो सकता है। सामान्य स्थिति में कर्तव्य की भावना का स्तर मंद अथवा शांत रहता है। वही विशेष स्थिति में, अर्थात् संकट की घड़ी में अधिक मुखर हो जाता है। ऐसा आदर्श नागरिक जो राष्ट्र के प्रति वफादार हो, सच्चे अर्थों में देशभक्त कहा जाएगा। जो व्यक्ति देश के गौरव और सम्मान को अपना गौरव और अपना सम्मान समझता है, वह बड़ा देशभक्त है। इसके विपरीत, जो देश के गौरव और सम्मान को अपना गौरव, सम्मान नहीं समझता, वह उतना ही बड़ा देशद्रोही है। जो सैनिक देश की शत्रुओं से रक्षा करता है, वह सच्चा देशभक्त है। जो किसान निष्ठा के साथ अन्न और धान्य उपजाकर देशभर का भरण-पोषण करता है, वह सच्चा देशभक्त है। जो उद्योगपति, मिल-मालिक अथवा व्यापारी ईमानदारी से धन संग्रह करता है, वह देशभक्त है। मिल-मजदूर, फैक्ट्री का कर्मचारी या दुकान का नौकर जब ईमानदारी से अपना काम करता है तो वह भी देशभक्त का दर्जा पाने का अधिकारी है। यदि वह परिवार के निजी हितों को, समाज के लिए पारिवारिक हितों को और राष्ट्र के लिए निजी, पारिवारिक और सामाजिक हितों को गौण समझता है तो वह सच्चा देशभक्त है। जो अध्यापक छात्रों को बिना भेदभाव के विद्यादान देता है, सच्चा राष्ट्रसेवक है।

इसी प्रकार किसी भी पेशे का व्यक्ति, जिसे अपने देश से प्यार है और जो देश के प्रति अपने कर्तव्यों को पूरा करने से नहीं चूकता, देश का सच्चा सेवक होता है। एक रेलवे इंजन-ड्राइवर, एक बस-कंडक्टर, एक क्लर्क, एक पोस्टमेन, एक दुकानदार, एक जमादार, जो लोग ईमानदारी से अपने-अपने काम को अंजाम देते हैं- ये सभी के सभी परोक्ष रूप में देश की महान सेवा करते हैं। अभिप्राय यह है कि अपनी निष्ठा के रहते, चपरासी भी महान देशभक्त होता है, और देश के प्रति अपने उत्तरदायित्व से भ्रष्ट होकर मंत्री तक भी देशद्रोही की संज्ञा पा सकता है। हम अपने प्रति सच्चे रहें, अपने कुल-परिवार के लिए सच्चे रहें और इससे बढ़कर हम अपने देश के प्रति सच्चे रहें; यही देश-प्रेम का महान आदर्श है। सभी भेदभाव भुलाकर, सभी पूर्वाग्रहों को मन से निकालकर अपने देशवासियों के प्रति हमारे मन में भाईचारे की भावना जागृत हो; यही सच्चे राष्ट्र-प्रेम की निशानी है। हमारा देश एकजुट होकर उन्नति करे, हमारे देश का नाम अमर रहे, हमारा झंडा ऊँचा रहे। हम किसी से दबें नहीं, हम किसी से झुकें नहीं। भले ही हमारे धर्म और संप्रदाय अलग-अलग हैं, हमारे गाँव, नगर और प्रदेश अलग-अलग हैं, पर हम सब एक महान देश के नागरिक हैं। हम अपने देश के प्रति सच्चे रहेंगे- यह भावना देशभक्ति की ही भावना है। बच्चो, आप भी बड़े होकर ईमानदारी से काम करना। ऐसा कोई काम न करना जिससे हमारे देश को हानि हो। तब तुम भी देशभक्त कहलाओगे।

हमारा देश भारत बहुत बड़ा है। आकार को ध्यान में रखते हुए इस देश की जनसंख्या कहीं ज्यादा है। यह चीन के बाद सबसे अधिक आबादी वाला राष्ट्र है। भारत में इस समय भी आवास, भोजन, रोजगार की काफी कमी है। यही नहीं हवा, पानी जैसी प्रकृति-प्रदत्त सुविधाएँ भी निरंतर प्रदूषित होती जा रही हैं। प्राकृतिक संतुलन बिगड़ रहा है। प्रत्येक देश के लिए उतनी ही जनसंख्या काफी होती है जितनी कि रहने के लिए आवास, भोजन, वस्त्र तथा रोजगार उपलब्ध कराया जा सके। देशवासियों की खुशहाली से एक अच्छी सामाजिक व्यवस्था सुदृढ़ होती है। देश में महँगाई, बेरोजगारी, गरीबी एवं चरित्र का गिरना यह सूचित करता है कि हम अपनी बढ़ती हुई जनसंख्या की थाड़ा भी परवाह नहीं कर रहे हैं।

जिन देशों की सीमाएँ लंबी-चौड़ी हैं, उनके पास भू-भाग बहुत हैं तथा वन-संपदा एवं भू-संपदा की कमी नहीं है। उन देशों में यदि जनसंख्या बढ़ती है तो कोई चिंता की बात नहीं है। किंतु जहाँ स्थिति विपरीत हो वहाँ नागरिकों तथा सरकार का यह सबसे पहला कर्तव्य होता है कि पूरे मन से जनसंख्या में हो रही वृद्धि को नैतिक, प्राकृतिक एवं वृहत्रिम उपायों से जरूर रोका जाए। कुछ अन्य देश ऐसे हैं जिनकी जनसंख्या ज्यादा है, जैसे जापान, इंग्लैड आदि। किंतु इन छोटे-छोटे देशों ने उद्योग धंधे के क्षेत्र में इतनी अधिक प्रगति कर ली है कि उन्हें जनसंख्या की वृद्धि की ज्यादा चिंता नहीं है। इसके अतिरिक्त व्हाँ के लोग जनसंख्या को नियंत्रित करने में अपना योगदान देते हैं। हमारे देश में संसाधनों में विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत जो वृद्धि हो रही है, जनसंख्या में वृद्धि उससे कहीं ज्यादा हो रही है। यदि इसी रफ्तार से वृद्धि होती रही तो संसाधनों की कमी पड़ जाएगी।

जनसंख्या में होने वाली वृद्धि से जो समस्याएँ पैदा होती हैं, वे अलग-अलग प्रकार की होती हैं। इसके अलावा 0-7 वर्ष के आयु वर्ग में 15,78,63,145 बच्चे हैं। क्या उनके लिए दूध एवं खाद्य पदार्थों की जरूरत नहीं पड़ेगी? कपड़ा आवास, औषधियाँ बच्चों के लिए जरूरी होते हैं। साधन न होने से इनकी कमी कैसे पूरी की जा सकेगी? जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिए सरकार तथा जनता दोनों को मिलकर काम करना होगा, तभी इसमें सफलता मिल पाएगी। प्रत्येक पंचवर्षीय योजना में परिवार नियोजन के लिए अपार धनराशि निर्धारित करनी पड़ेगी। गर्भ निरोधक औषधियाँ, स्वास्थ्य संबंधी परामर्श की व्यवस्था इतने अंतर पर करनी चाहिए ताकि दंपतियों तथा छोटे बच्चों को उचित सलाह लेने के लिए भागना न पड़े।

सरकारी लाभों को सीमित करके जैसे सरकार की तरफ से ऐसा ऐलान होना चाहिए कि राशन, चिकित्सा, ऋण आदि की सुविधाएँ केवल उन दंपतियों को मिलेंगी जिनकी केवल दो संतानें होंगी। सरकारी नौकरी में भी उन्हीं को तरक्की दी जानी चाहिए जिनके दो से अधिक बच्चे न हों। यदि इस प्रकार के कुछ नियम बनाए जाएँ तथा कुछ अवरोध लगाया जाए, तो एक दशक के भीतर जनसंख्या को काफी सीमा तक काबू किया जा सकता है।

Class 7 Hindi Grammar Chapter 38 निबंध लेखन

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CBSE Class 7th Hindi Syllabus

The Sample Paper of Class 7th Hindi focuses on the entire Hindi syllabus. 

Vasant is the core literature book for Class 7th CBSE, and it contains 20 chapters with different marks and weightage for the final examinations. Apart from Vasant, there is also an additional book named Durva. It contains 15 chapters and is meant to strengthen learning and reading for the Class 7 students.

Furthermore, CBSE Class 7 Hindi academic syllabus also involves a supplementary reader, named Bal Mahabharat Katha. It is used for reading comprehension questions and contains various paragraphs from the story.

Class 7th students are also required to prepare well for unseen passages, and the grammar syllabus for the academic session is also vast enough. Grammar Class 7th Hindi includes Language, sentences, nouns, pronouns, idioms, and many more concepts. The students also have to practice writing skills, including conversation writing, letter, and essay writing, paragraph writing, etc.

CBSE Sample Paper for Class 7 Hindi – Conclusion

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FAQs on CBSE Sample Papers for Class 7 Hindi with Solution 2024-25

1. What are the benefits of solving Sample Papers for Class 7 CBSE Hindi?

Solving Sample Papers of Hindi gives the students the required skills. If you solve the Sample Papers you will gain confidence to appear for the actual Hindi paper. Sample Paper solving also helps in improving analytical and problem-solving skills. When you solve Sample Papers of a language paper, you can identify your grammatical mistakes and avoid making them again. You will also get a good idea about the type of questions that can be asked in the exam. You will get more familiarized with the paper style and syllabus when you solve Sample Papers. You can easily find Sample Papers on Vedantu.

2. Are the latest Sample Papers of Class 7 CBSE Hindi available on Vedantu?

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3. How do I write a good essay in Hindi?

To write and speak in a certain language you must develop its vocabulary and have an upper hand on its grammar. To write a good essay in Hindi try to read as many essays as you can in Hindi. Be attentive to the type and tone of the language used in those essays. Read the essays written by your classmates and try to understand their paragraph structures. Write practice essays in Hindi and get them checked by your Hindi teacher. Try not to repeat the mistakes pointed out by your teacher.

4. How important is Hindi in Class 7 CBSE?

Hindi is our national language and it’s in the entire nation. To thrive in India, you must be familiar with the language and if you know how to write and spark in it, that will be your plus points. Class 7 Hindi is curated in a way that you build a strong foundation of the language and is helpful to you in the future. You can learn good grammar and new relevant words in Class 7 Hindi.

5. How do I prepare for the Class 7 CBSE Hindi exam?

Go through your entire Hindi Textbook and try to understand each chapter. Make a study plan for Hindi and follow it every day. Go through the exercises at the back of every chapter of your Hindi textbook. Learn Hindi grammar and refrain from making silly errors or grammatical mistakes in Hindi. Make notes of all that you learn in your Hindi classes and refer to those notes every week. Go through exercises of a grammar given in the textbook. Solve Sample Papers to gain confidence and score well in the subject.

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डिजिटल इंडिया पर निबंध (Essay on Digital India in Hindi)

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डिजिटल इंडिया भारत सरकार की एक बेहद ही महत्वाकांक्षी पहल है। भारत सरकार द्वारा 1 जुलाई 2015 को 'डिजिटल इंडिया पहल' की शुरुआत की गई थी। डिजिटल इंडिया का उद्देश्य देश के प्रत्येक नागरिक को डिजिटल रूप से साक्षर करना तथा भारत सरकार के ई-गवर्नेंस कार्यक्रम को प्रत्येक नागरिक तक पहुंचाना है। इसके साथ ही देश के प्रत्येक कोने में हाई स्पीड इंटरनेट के माध्यम से उच्च कनेक्टिविटी प्रदान करना है। हिंदी में पत्र लेखन सीखें ।

डिजिटल इंडिया पर निबंध (Essay on Digital India in Hindi)

डिजिटल इंडिया पर निबंध (Essay on digital india in hindi) अक्सर ही परीक्षा में पूछा जाता है। छात्रों की जानकारी के लिए बता दें डिजिटल इंडिया निबंध विषय बेहद ही विशाल है। Careers360 के इस लेख में डिजिटल इंडिया निबंध के हर पहलू को कवर करने के प्रयास किया गया है। 'डिजिटल इंडिया निबंध' विषय पर अपनी जानकारी को समृद्ध करने के लिए पूरा लेख पढ़ें।

भारत सॉफ्टवेयर के क्षेत्र में एक महा-शक्ति है। भारतीय पूरे विश्व में सूचना और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अपना परचम लहरा रहे हैं। राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान देश के ऐसे निकाय हैं जो देश के प्रतिभाशाली युवाओं को प्रशिक्षण देकर इस क्षेत्र में अपना निरंतर योगदान दे रहे हैं। लेकिन इसके बावजूद भी देश की अधिकांश जनता डिजिटल रूप से सक्षम नहीं थी। देश को डिजिटल रूप से साक्षर तथा जनता को डिजिटली सक्षम करने के लिए जुलाई 2015 को डिजिटल इंडिया कार्यक्रम की शुरुआत की गई। इसके अंतर्गत सरकार द्वारा आम- नागरिकों तक सरकार द्वारा संचालित विभिन्न पहलों, सूचनाओं तथा प्रणाली में पारदर्शिता लाने के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा डिजिटल इंडिया प्रोग्राम की शुरूआत की गई। जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हरी झंडी दिखाई।

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डिजिटल इंडिया पर निबंध (Essay on digital india in hindi) : सिद्धांत

डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के मूल रूप से तीन सिद्धांत है:

आईटी: इंडियन टैलेंट- पहला सिद्धांत भारतीय कौशल पर ध्यान केंद्रित करना हैं। भारतीय युवाओं के कौशल को प्रशिक्षण के माध्यम से विकसित कर उनका सर्वांगीण विकास डिजिटल इंडिया कार्यक्रम का प्राथमिक उद्देश्य है। इसके अंतर्गत सरकार द्वारा स्किल इंडिया डिजिटल (एसआईडी) की शुरुआत की गई। स्किल इंडिया डिजिटल (एसआईडी) एक व्यापक डिजिटल प्लेटफॉर्म है जिसका उद्देश्य भारत में कौशल, शिक्षा, रोजगार और उद्यमिता परिदृश्य का समर्थन करना है।

आईटी: इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी- डिजिटल इंडिया कार्यक्रम का दूसरा उद्देश्य सूचना प्रौद्योगिकी का विकास है। इसके अंतर्गत दूरस्थ क्षेत्रों तथा छोटे गावों के युवाओं को सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में साक्षर करके उन्हें आत्म-निर्भर बनाना है। सरकार का मूल लक्ष्य एक इंटरनेट हाइवें का निर्माण कर भारत के कोने-कोने को इंटरनेट तथा मोबाइल कनेक्टिविटी के माध्यम से जोड़ना है।

आईटी: इंडिया टुमॉरो- डिजिटल इंडिया कार्यक्रम का तीसरा उद्देश्य देश के डिजिटल भविष्य की कल्पना को साकार करना है। देश डिजिटल रूप से साक्षर हो तथा सभी नागरिक सरकार द्वारा चलाई जाने वाली सभी डिजिटल पहलों तथा सुविधाओं का लाभ उठा सकें, यह ही इस कार्यक्रम का मूल उद्देश्य हैं।

डिजिटल इंडिया पर निबंध (Essay on digital india in hindi) : डिजिटल इंडिया की संकल्पना

डिजिटल इंडिया की मूल रूप से तीन संकल्पनाएं हैं। जिसमें सबसे पहले प्रत्येक नागरिक के लिए डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर/अवसंरचना एक उपयोगी सुविधा के रूप में प्रदान करना हैं। एक विकसित राष्ट्र के लिए एक छोर से दूसरे छोर तक जुड़ाव होना बेहद जरूरी है। यदि भारत के छोटे-छोटे गावों तथा क्षेत्रों को हाई स्पीड इंटरनेट तथा ब्रॉडबैंड सेवा के माध्यम से जोड़ दिया जाये, तो भारत के प्रत्येक नागरिक तक सरकार द्वारा चलाई जानें वाली ई-सेवा तथा सामाजिक लाभ प्रदान करने वाली पहलों को वास्तविक रूप से पहुंचाया जा सकता है। इसके साथ ही दूरस्थ क्षेत्रों में रहने वाले नागरिक देश के बाकी हिस्से से भी आसानी से जुड़े रह सकते हैं।

इस कार्यक्रम के अंतर्गत निम्नलिखित बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित किया गया है:

देश के नागरिकों को मूल सुविधा प्रदान करने के लिए हाई-स्पीड इंटरनेट की उपलब्धता।

प्रत्येक नागरिक को डिजिटल, ऑनलाइन तथा प्रमाणीकृत पहचान (आईडी) प्रदान करना।

मोबाइल फोन तथा बैंक अकाउंट से नागरिकों की डिजिटल तथा वित्तीय क्षेत्रों में भागीदारी सुनिश्चित करना।

कॉमन सर्विस सेंटर तक पहुँच प्रदान करना।

सुरक्षित तथा संरक्षित साइबर स्पेस प्रदान करना।

डिजिटल इंडिया की दूसरी मूल संकल्पना मांग आधारित शासन और सेवाएं प्रदान करना है। सरकार विभिन्न पहलों की शुरुआत नागरिकों को सुविधा प्रदान करने के लिए करती है। लेकिन यह सुविधाएं आम-जन तक नहीं पहुँच पाती हैं। देश के दूरस्थ क्षेत्रों से लेकर देश के शहरी क्षेत्रों तक सरकार द्वारा प्रदान की जाने वाली विभिन्न सुविधाओं को प्रत्येक नागरिक तक कुशलता तथा पारदर्शिता के साथ पहुंचाना एक बेहद जरूरी लक्ष्य है। इसके लिए ही एक डिजिटल अवसंरचना का निर्माण किया गया है, ताकि नागरिकों तक विभिन्न सुविधाएं आसानी से पहुँच पाएँ।

मांग आधारित शासन और सेवाओं के अंतर्गत निम्नलिखित बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित किया गया है:

सभी विभागों अथवा अधिकार क्षेत्रों में समेकित रूप से मूल सेवाएं प्रदान करना।

ऑनलाइन तथा मोबाइल के माध्यम से कम समय में सेवाओं को प्रदान करना।

व्यापार को अधिक सुविधाजनक बनाने के लिए डिजिटल एप्लिकेशन का प्रयोग करना।

वित्तीय लेन-देन को नकदी रहित (कैश-लेस) बनाना।

निर्णय समर्थन प्रणाली तथा विकास के लिए जीआईएस का उपयोग करना।

नागरिकों को डिजिटल रूप से साक्षर करना इस कार्यक्रम की तीसरी संकल्पना है। भारतीय नागरिकों डिजिटल रूप से सशक्त बनाना बेहद जरूरी है। इंटरनेट तथा मोबाइल के माध्यम देश के विभिन्न क्षेत्रों के लोगो में समानता स्थापित की जा सकती है। डिजिटल नेटवर्क के माध्यम से देश के नागरिक आसानी से एक-दूसरे से जुड़ सकते हैं। डिजिटल इंडिया कार्यक्रम का उद्देश्य देश के नागरिकों को डिजिटल रूप से साक्षर करना तथा डिजिटल संसाधनों का सहयोगपूर्ण उपयोग कर देश को डिजिटल रूप से सशक्त बनाना है। डिजिटल साक्षारता तथा डिजिटल संसाधनों का भारतीय भाषाओं में उपलब्ध होना भी इस संकल्पना का अभिन्न भाग है।

इस संकल्पना के अंतर्गत निम्नलिखित बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित किया गया है:

सार्वभौमिक डिजिटल साक्षारता का लक्ष्य प्राप्त करना।

सार्वभौमिक रूप से सुगम्य डिजिटल संसाधन प्रदान करना।

डिजिटल संसाधनों का भारतीय भाषाओं में उपलब्ध होना।

नागरिक भागीदारी के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म प्रदान करना।

डिजिटल इंडिया पर निबंध (Essay on digital india in hindi) : डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के नौ स्तंभ

डिजिटल इंडिया कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए सरकार ने कुछ महत्वपूर्ण लक्ष्यों का निर्धारण किया। जिन्हें प्राप्त करना तथा स्थापित करना भारत सरकार का लक्ष्य है। इन स्तंभों की संख्या नौ निर्धारित की गई है। डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के नौ स्तंभ इस प्रकार हैं:

ब्रॉडबैंड हाईवे का निर्माण करना

मोबाइल कनेक्टिविटी के लिए सार्वभौमिक पहुँच प्रदान करना

पब्लिक इंटरनेट एक्सेस कार्यक्रम स्थापित करना

ई-गवर्नेंस - प्रौद्योगिकी के माध्यम से सरकार की कार्य-प्रणाली में सुधार करना

ई-क्रांति - सेवाओं की इलेक्ट्रानिक डिलीवरी करना

सभी तक सूचना का हस्तांतरण करना

इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण

नौकरियों के लिए आईटी क्षेत्र को बढ़ावा देना

अर्ली हार्वेस्ट कार्यक्रम स्थापित करना

डिजिटल इंडिया पर निबंध (Digital India in hindi) : डिजिटल इंडिया के कार्य क्षेत्र क्या हैं?

डिजिटल इंडिया कार्यक्रम का कार्य-क्षेत्र बहुत ही वृहत है। जिस देश की अधिकांश जनसंख्या तकनीकी शिक्षा से दूर हो, उस देश में लोगो को प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में साक्षर करना एक बेहद ही चुनौतीपूर्ण कार्य है। ऐसे कुछ कार्य-क्षेत्र सरकार द्वारा निर्धारित किए गए है है। डिजिटल इंडिया कार्य क्षेत्र इस प्रकार हैं:

भारत के नागरिकों को डिजिटल रूप से साक्षर करना।

भारतीय प्रतिभा, सूचना प्रौद्योगिकी तथा भावी भविष्य को सकारात्मक रूप से परिवर्तित करना।

परिवर्तन को सक्षम करने के लिए प्रौद्योगिकी पर ध्यान केंद्रित करना।

महत्वपूर्ण योजनाएं बनाना जो विभिन्न विभागों को कवर करती हैं।

डिजिटल इंडिया कार्यक्रम कई मौजूदा योजनाओं को पुनर्गठित और पुन: केंद्रित करके सुगठित तरीके से लागू किया जाएगा । डिजिटल इंडिया के रूप में कार्यक्रमों की सामान्य ब्रांडिंग, उनके परिवर्तनकारी प्रभाव को प्रस्तुत करती है।

डिजिटल इंडिया कार्यक्रम भारत की आवश्यकता है। समय के साथ चलना बेहद जरूरी है। यदि किसी देश की जनता समय के साथ परिवर्तित नहीं होगी और सकारात्मक परिवर्तनों को स्वीकार नहीं करेगी तो ऐसे देश का कभी विकास नहीं हो सकता। इसलिए डिजिटल इंडिया कार्यक्रम भारत की आवश्यकता के रूप में उभर के सामने आया है।

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Essay on Peacock in Hindi – भारत के राष्ट्रीय पक्षी मोर पर निबंध

दोस्तो आज हमने Essay on Peacock in Hindi लिखा है मोर पर निबंध कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए है. Peacock Essay in Hindi की सहायता से विद्यार्थी अपनी जानकारी बढ़ा सकते है. इस निबंध के माध्यम से हमने बताया है कि मोर कितना महत्वपूर्ण और पक्षी है इसके बारे में महत्वपूर्ण जानकारियाँ दी है और यह हमारे देश का राष्ट्रीय कब और क्यों बना.

Essay on Peacock in Hindi for Class 2

मोर भारत देश का राष्ट्रीय पक्षी है यह पक्षियों में सबसे सुंदर है. मोर का आकार सभी पक्षियों में सबसे बड़ा होता है. मोर आमतौर पर पीपल बरगद और नीम के पेड़ पर पाया जाता है मोर को ऊंची जगह पर बैठना बहुत पसंद है. मोर के इतना सुंदर होने के पीछे उसका कई रंगों से सुसज्जित होना है.

Essay on Peacock in Hindi

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मोर का मुंह है और गला बैंगनी रंग का होता है इसके पंखों का रंग हरा होता है जिसमें चांद जैसी बैंगनी, आसमानी, हरे, पीला, रंगों से बनी आकृति होती है.

मोर के पंख इतने कोमल होते हैं कि जैसे कि कोई मखमल का वस्त्र हो. मोर की गर्दन पतली और सुराहीदार जैसी होती है . मौत के पैरों का रंग मटमैला सफेद होता है. मोर की आंखें और मोहे छोटा होता है.

Peacock के बढ़ते शिकार के कारण भारत सरकार ने वन्य-जीवन (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के तहत पूर्ण संरक्षण दिया है जिसके बाद मोरों की शिकार में कमी आई है.

Essay on National Bird Peacock in Hindi

मोर बहुत ही शांत और शर्मिला किस्म का पक्षी होता है. मोर हमेशा तीन -चार मोरों के साथ रहता है . मोर सामान्यतः पूरे भारत देश में पाया जाता है लेकिन इस की प्रजाति ज्यादा उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा में फैली हुई है. मोर हमेशा इंसानों से दूर ही रहना पसंद करता है यह अक्सर बड़े पेड़ों की ऊंची डाल पर या फिर जंगलों में पाया जाता है.

मोर की आवाज बहुत तेज होती है जिसको 2 किलोमीटर दूर से ही सुना जा सकता है लेकिन इसकी आवाज कर्कस भरी होती है. मोर के शरीर का रंग चटक नीले और बैंगनी कलर का होता है.

यह पक्षियों में सबसे बड़ा पक्षी होता है इसके पंख बहुत बड़े होते हैं जिसके कारण यह ज्यादा दूरी तक उड़ने ही पाता है और यह है ज्यादातर चलना ही पसंद करता है.

यह भी पढ़ें –  बाज़ पर निबंध – Essay on Eagle in Hindi

इसके पंख खोखले होते है साथ ही पंखों पर पेड़ों के पत्तों की तरह छोटी-छोटी पंखुड़ियां होती है, पंखों के अंत में चटक रंगों की चांद जैसी आकृति बनी होती है जो कि देखने में बहुत ही सुंदर लगती है. Peacock प्राकृतिक आपदा आने से पहले ही जोर-जोर से आवाज करके उसके बारे में अवगत करा देता है.

मोर बारिश के मौसम में बहुत खुश होता है और इतनी खुशी के कारण वह अपने पंख फैलाकर धीरे-धीरे गोल-गोल घूम कर नाचता है. मोर के नाचते समय के पंखों की आकृति आधे चांद के जैसी होती है. मोर इतना सुंदर पक्षी होता है कि इसको देख कर कोई भी मोहित हो सकता है.

Essay on Peacock in Hindi for Class 3, 4,5,6,7,8

मोर कई चटकीले रंगों से सुसज्जित एक सुंदर पक्षी होता है. मोर ज्यादातर सभी देश और विदेशों में पाया जाता है लेकिन सबसे सुंदर प्रजाति इसकी भारत देश में ही पाई जाती है. मोर का जीवनकाल 15 से 25 वर्ष की अवधि का होता है . मोर राजस्थान, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में बहुतायत में पाया जाता है. मोर भोजन में अनाज, सब्जियां और कीट-पतंगों को खाता है इसके साथ-साथ समय आने पर वह जहरीले सांप को भी मार कर खा सकता है.

मोर के कानों की सुनने की क्षमता बहुत अधिक होती है एक छोटी सी भी आहट हो बहुत दूरी से सुन सकता है. मोर आम पक्षियों की तरह इंसानों के साथ घुलता मिलता नहीं है वह शर्मीले स्वभाव का होता है जिसके कारण वह ज्यादातर पेड़ों और जंगलों में ही पाया जाता है.

मोर पुल्लिंग होता है जबकि मोरनी स्त्रीलिंग होती है. मोर का शरीर नीली और बैंगनी रंग से सजा हुआ होता है , जब की मोरनी इतनी सुंदर नहीं होती है उसके बड़े-बड़े पंख भी नहीं होते हैं साथ ही वह भूरे और मटमैले सफेद रंग की होती है.

मोर बारिश के दिनों में बारिश आने से पहले ही जोर जोर से आवाज करके उसका संकेत दे देता है और साथ ही जब बारिश का मौसम आता है तो मोर अपने पंख फैलाकर ऐसे नाचता है कि मानो वह बारिश का स्वागत कर रहा हो.

यह भी पढ़ें – Poem on Peacock in Hindi – मोर पर कविता

मोर का नृत्य धीमी गति का होता है वह एक ही जगह पर पंख फैलाकर धीरे-धीरे घूमकर अपना नृत्य दिखाता है.

Peacock के सिर पर चांद जैसी आकृति में छोटी-छोटी पंखुड़ियां बनी हुई होती हैं लोगों के अनुसार यह उसका ताज है इसीलिए पक्षियों में इसे राजा कहा जाता है. मोर का वजन भारी होने के कारण यह है ज्यादा ऊंचाई तक और ज्यादा देर तक उड़ नहीं पाता है इसलिए यह ज्यादातर चलना ही पसंद करता है.

मोर बहुत अधिक सुंदर पक्षी है इसलिए इसके पंखों का इस्तेमाल सजावट के लिए भी किया जाता है और साथ ही इसके पंखों से कुछ दवाइयां भी बनाई जाती हैं इसलिए इसका शिकार बहुत अधिक बढ़ गया है इसलिए बार सरकार ने मोर को संरक्षण देते हुए वन्य अधिनियम 1972 के तहत इसके शिकार को गैरकानूनी करार कर दिया गया और शिकार करने पर सजा का प्रावधान भी है.

इस कानून के बनने के बाद मोर की शिकार में कुछ हद तक कमी आई है लेकिन लोग आप भी इसका शिकार कर रहे है.

Essay on Peacock Information in Hindi

मोर भारत का राष्ट्रीय पक्षी है मोर को भारत का राष्ट्रीय पक्षी 26 जनवरी 1963 में घोषित किया गया था क्योंकि मोर भारत के सभी हिस्सों में पाया जाता है और यह देखने में भी बहुत सुंदर है साथ ही इसकी भारतीय परंपराओं और संस्कृति में इसकी झलक दिखाई देती है. मोर देखने में इतना सुंदर है कि कोई भी इसको एक बार देख ले तो इसकी सुंदरता पर मोहित हो जाता है.

मोर की अलग-अलग देशों में अलग-अलग प्रजातियां पाई जाती हैं लेकिन सबसे सुंदर प्रजाति भारत में ही पाई जाती है. मोर पक्षियों में सबसे बड़ा पक्षी है और साथ ही यह वजन में भी सबसे भारी है. मोर का मुंह छोटा होता है लेकिन शरीर बहुत बड़ा होता है. मोर की गर्दन सुराही की तरह पतली और लंबी होती है.

मोर ज्यादातर शुष्क क्षेत्रों में ही रहना पसंद करता है इसलिए यह राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा जैसे राज्यों में बहुतायत में पाया जाता है. मोर मौसम और वातावरण के अनुसार अपने आप को ढाल सकता है इसीलिए बर्फीले और पहाड़ी क्षेत्रों में भी बड़ी ही सहजता से अपना जीवन यापन करता है.

Peacock का वजन 5 से 10 किलो का होता है. यह सुंदर होने के साथ-साथ चतुर, सतर्क और शर्मीले स्वभाव का होता है यह ज्यादातर अकेले रहना ही पसंद करता है यह हमेशा इंसानों से एक निश्चित दूरी बनाए रखता है. उसके पैरों का रंग मटमैले सफेद रंग का होता है और इसके पंजे तीखे और नुकीले होते है.

इसके शरीर का रंग नीले और बैंगनी रंग से मिलकर बना होता है जो की बहुत ही चमकीला होता है. गर्दन के इस नीले रंग के कारण मोर को नीलकंठ भी कहा जाता है. इसकी आंखें छोटी और काले रंग की होती है. इसके सिर पर छोटे-छोटे पंखों का आधे चांद के आकार का ताज बना होता है

इसीलिए इसे पक्षियों का राजा भी कहा जाता है . मोर ज्यादातर हरियाली वाले क्षेत्र और खेतों में ही पाया जाता है और यह पानी के निश्चित स्त्रोत के पास अक्सर नजर आता है इसलिए यह भारतीय गांव में ज्यादा देखा जाता है. मोर किसानों का अच्छा दोस्त भी होता है क्योंकि यह फसलों में लगने वाले कीट-पतंगों को खा जाता है.

मोर का जीवनकाल 15 से 25 वर्ष का होता है इसके पंखों की लंबाई करीब 1 मीटर से भी ज्यादा होती है. मोर के लगभग 200 पंख होते हैं जिनके अंत में चांद के आकार की आकृति बनी हुई होती है जिसमें सतरंगी रंग भरे हुए होते है. इसके पंख खोखले होते हैं जिनको पुराने जमाने में स्याही में डुबोकर लिखने के काम में भी लिया जाता था. इसके पंख कितने कोमल होते हैं जैसे कि कोई मखमल का कपड़ा हो.

यह सामान्यत: ऊंचे पेड़ों की शाखाओं पर जैसे पीपल, बरगद, नीम पर ही बैठते है यह समूह में रहने वाला पक्षी है. मोर का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है क्योंकि मोर के पंख को भगवान श्री कृष्ण ने अपने सिर पर धारण किया हुआ है और मोर भगवान शिव के बेटे कार्तिक का वाहन भी है.

मुगल सम्राट शाहजहां ने मोर की सुंदरता से प्रभावित होकर मोर के पंखों की तरह ही सिहासन बनाने का आदेश दिया था यह सिहासन बनने में कुल 6 साल लगे इसमें देश और विदेश से लाकर बहुमूल्य रतन जड़े गए थे. सिहासन को तख्त ए ताऊस नाम दिया गया.

इसके हर साल नए पंख आते हैं और पुराने पंख झड़ जाते हैं उसके पंखों का उपयोग सजावटी गुलदस्तों, गर्मियों में हवा खाने के लिए हाथ पंखे बनाए जाते है और आजकल तो इसका उपयोग तरह-तरह की मॉडर्न डिज़ाइनों में भी उपयोग किया जाता है इसके साथ ही इसके पंखों से कुछ जड़ी बूटियां भी बनाई जाती है जिसके कारण इनके पंखों की बाजार में मांग रहती है.

इसीलिए लोग इनका शिकार करने लगे और धीरे-धीरे इनकी संख्या कम होने लगी तब भारत सरकार ने मोर को संरक्षण देते हुए वन्य अधिनियम 1972 के तहत इसके शिकार पर रोक लगा दी अब अगर कोई शिकार करता है तो उसको जुर्माने के साथ कठोर कारावास की सजा होती है. लेकिन आज भी इस पक्षी का शिकार किया जाता है इस पर सरकार को विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है.

मोर नर होता है जबकि मोरनी मादा होती है मोरनी दिखने में इतनी सुंदर नहीं होती है उसके बड़े-बड़े पंख भी नहीं होते हैं मोरनी के पंख छोटे होते हैं और उनका रंग भूरा घुसर होता है. यह शरीर में भी मोर से छोटी होती है. मोरनी के गर्दन का थोड़ा सा हिस्सा हरे रंग का पाया जाता है. मोरनी हर साल दो बार 4 से 5 अंडे देती है जिनमें से एक या दो ही सही सलामत रह पाते है.

भारत में जब मानसून आता है तो मोर बहुत खुश होता है और वह खुश होकर अपने पंखों को फैलाकर धीमी गति से नाचता है जो कि देखने में बहुत ही सुंदर लगता है साथ ही जल्दी से मादा मोरनी को खुश करना होता है तो यह उसके सामने पंख फैलाकर नाचता है यह नृत्य करते समय नाचने में इतना मगन हो जाता है कि उसे आसपास क्या हो रहा है इसका पता नहीं रहता है और शिकारी इसी का फायदा उठाकर मोर को पकड़ लेते है.

मोर पक्षी इतना सतर्क होता है जी जब भी कोई प्राकृतिक आपदा आती है तो उसका उसे पहले ही पता चल जाता है और वह तेज आवाज में आवाज करके सभी पक्षियों और लोगों को इस बारे में सूचित कर देता है आपने देखा होगा भी कई बार भूकंप आने से पहले और तेज आवाज में बोलने लग जाता है.

मोर पक्षी चतुर भी होता है वह रात को या फिर उसे जब भी खतरा महसूस होने पर वह पेड़ों की ऊंची शाखाओं पर जाकर बैठ जाता है जिसे शिकारी उसका शिकार नहीं कर पाते है.

मोर पर कवियों द्वारा कविताओं के माध्यम से इसकी सुंदरता का जिक्र किया गया है और साथ ही भारत की पुरानी संस्कृति में इसकी झलक दिखाई देती है

मोर हमारे भारत देश की आन-बान और शान है कृपया इसका शिकार होने से बचाएं क्योंकि दिन-प्रतिदिन इनकी संख्या कम होती जा रही है इसलिए लोगों को मोर के महत्व के बारे में आप लोग अवगत कराएं.

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हम आशा करते है कि हमारे द्वारा Essay on Peacock in Hindi  आपको पसंद आया होगा। अगर यह लेख आपको पसंद आया है तो अपने दोस्तों और परिवार वालों के साथ शेयर करना ना भूले। इसके बारे में अगर आपका कोई सवाल या सुझाव हो तो हमें कमेंट करके जरूर बताएं।

24 thoughts on “Essay on Peacock in Hindi – भारत के राष्ट्रीय पक्षी मोर पर निबंध”

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Thank you Pratheeka K for appreciation.

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Congratulations Annantika, Thank you for appreciation.

आपने बहुत अच्छा निबंध लिखा है मुझे बहुत मदद मिली है आपका धन्यवाद

Thank you rohit for appreciation

It helped with my class project grade 6. Thx so much 😁😁

Welcome Prisha goon and thank you for appreciation.

Your writing skills are amazing it is unbale to express in words

Thank you Vedant for appreciation

मेरे,बचेका,निबंद,पुरा,होगया,नमसते

Santosh Biradar ji आप को निबंध अच्छा लगा हमें खुशी हुई, ऐसे ही हिंदी यात्रा पर आते रहे धन्यवाद.

It’s amazing I love the way you have written

Thank you Sweta for appreciation.

Please write hindi eassy on all common animals for grade 3 – 4 TIA

Dear Afshan, We have written essays on some animals, links are given below, you can see them and soon we will write essays on other animals as well.

Diasha Datta It helped in my project Grade – 6th It was a project of 10 marks . I was the only one to get 10 on 10 , just for you. Thankyou 😍 🤗 very much . I love your nibandhs .

Thank you Diasha Datta for appreciation.

yeh meri class 7 ki exam mey bohut help karena.Thanks😊.Aur jitni jaldi ho “varsa ritu” par nibandh post karna…..😊😊

Welcome Debraj, hame khushi hai ki aap ko peacock par nibandh pasand aaya or hamne varsa ritu par nibandh likha hua hai aap es link वर्षा ऋतु पर निबंध par click kar ke padh sakte hai

Bahut bahut dhanyavad mere bacche 3th class ka project complet ho gya..

Rupesh kumar vishwakarma aap ko nibandh pasand aaya ye hame bhut khushi hui, aise hi hindiyatra par aate rahe, dhanyavad.

It helped in my project 8th std

Thank you Aniketan for appreciation, keep visiting hindi yatra

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essay on india in hindi for class 7

ICSE and ISC Specimen Papers 2025 Released: A Breakdown of Changes and How to Prepare

New Delhi [India], May 24: The Council for the Indian School Certificate Examinations (CISCE) has released the much-awaited ICSE and ISC Specimen Papers for 2025! This is fantastic news for students appearing for their board exams next year. We are here to break down the changes and how you can ace your exams using our comprehensive resources.

What's New in 2025?

To foster the assessment of core competencies in learners and align with the objectives of the National Education Policy 2020 (NEP), these papers have been curated with current educational trends and assessment practices. This shift aimed to move away from rote learning and memorisation, placing greater emphasis on this means a shift towards higher order abilities such as- Application, Analysis, Interpretation, Evaluate and which have also been mapped in the Specimen Question Papers.

* Application-based questions: The questions will challenge you to connect the dots between what you study and real-life situations.

* Higher-order thinking skills (HOTS): Critical thinking, analysis, and problem-solving will be emphasized.

How Are Specimen Papers for 2025 Different?

1). The 2025 ICSE and ISC Specimen Papers mark a significant shift in exam format, aligning with the National Education Policy (NEP) 2020. The weightage ascribed to the questions assessing these competencies is approximately 25% for the Year 2025 and will keep increasing steadily in each year of examination until the assessment practices are completely aligned with NEP 2020 recommendations.

2). It's important to note that traditionally, the CISCE does not include answer keys with the official ICSE and ISC Specimen Papers. But for the first time, CISCE has provided the answer key to give students the exact idea of the new question format and marking scheme

Recommended Links:

ICSE Books Class 10 | For 2025 Board Exams - Click Here

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ISC Specimen Sample Paper Class 12 | For Latest Board Exams - Click Here

How Can Oswaal Books Help You Prepare?

At Oswaal Books, we understand the importance of preparing for the new exam format. Our new ICSE & ISC Question Bank caters to students preparing for the CISCE board exams in both Class 10 and Class 12 for the 2024-25 academic session. It covers various subjects including Hindi, English, Science, Mathematics, Commerce, and Computer Science.

The book promises to be up-to-date with the latest syllabus and exam format, including solved questions from the 2024 board exams and sample papers for practice. It also offers additional learning aids like concept explanations, tips and techniques, and mind maps to help students excel in their exams.

Beyond Books: Tips for Success

While Oswaal Books provides a strong foundation, here are some additional tips to score well in your ICSE and ISC exams in 2025:

* Focus on understanding the key concepts

* Practice time management skills

* Develop strong analytical and problem-solving abilities

* Refine your communication and presentation skills

* Stay updated with current affairs and integrate them into your answers (where relevant)

Stay Prepared with Oswaal!

The ICSE and ISC exams are crucial milestones in your academic journey. With the right preparation and resources, you can approach them with confidence. Oswaal Books is here to guide you every step of the way. Visit our website or your nearest bookstore to explore our comprehensive range of ICSE and ISC preparation materials. Remember, exam success is within your reach with focused preparation and the right guidance!

(ADVERTORIAL DISCLAIMER: The above press release has been provided by SMPL . ANI will not be responsible in any way for the content of the same)

ICSE and ISC Specimen Papers 2025 Released

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खेल का महत्व पर निबंध (Importance of Sports Essay in Hindi)

खेल का महत्व

हम यहाँ दैनिक जीवन में खेल के महत्व पर विभिन्न शब्द सीमाओं में विद्यार्थियों के लिए बहुत से निबंध उपलब्ध करा रहे हैं। आजकल, शिक्षकों के द्वारा विद्यार्थियों को आमतौर पर निबंध लेखन और पैराग्राफ लेखन का कार्य दिया जाता है। निबंध लेखन किसी भी विषय के बारे में विद्यार्थियों में लेखन क्षमता, कौशल और ज्ञान को बढ़ावा देता है। यहाँ दिए गए खेल के महत्व पर सभी निबंध सरल और आसान वाक्यों का प्रयोग करके लिखे गए हैं। इसलिए, विद्यार्थी इनमें से कोई भी निबंध अपनी जरुरत और आवश्यकता के अनुसार चुन सकते हैं:

खेल का महत्व पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on Importance of Sports in Hindi, Khel ka Mahatva par Nibandh Hindi mein)

निबंध 1 (300 शब्द) – खेल का महत्व.

यदि हम कुछ पलों के लिए इतिहास की ओर देखें या किसी सफल व्यक्ति के जीवन पर प्रकाश डालें तो हम देखते हैं कि, नाम, प्रसिद्धी और धन आसानी से नहीं आते हैं। इसके लिए लगन, नियमितता, धैर्य, और सबसे अधिक महत्वपूर्ण कुछ शारीरिक क्रियाओं अर्थात् स्वस्थ जीवन और सफलता के लिए एक व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य की आवश्यकता होती है। नियमित शारीरिक गतिविधियों में शामिल होने के लिए खेल सबसे अच्छा तरीका है। किसी भी व्यक्ति की सफलता मानसिक और शारीरिक ऊर्जा पर निर्भर करती है। इतिहास बताता है कि, केवल वर्चस्व (प्रसिद्धी) ही राष्ट्र या व्यक्ति पर शासन करने की शक्ति है।

खेल का महत्व

शारीरिक गतिविधियों में शामिल होने के लिए खेल सबसे अच्छा तरीका है, जो बहुत लाभदायक है। बहुत से देशों में खेलों को बहुत अधिक महत्व दिया जाता है, क्योंकि वे एक व्यक्ति के जीवन में खेल के वास्तविक लाभ और व्यक्तिगत व पेशेवर जीवन में इसकी आवश्यकता को जानते हैं। किसी धावक (एथिलीट) या पेशेवर खिलाड़ी के लिए शारीरिक गतिविधियाँ बहुत महत्वपूर्ण होती हैं। यह उनके और उनके जीवन के लिए बहुत मायने रखती है। खेल खिलाड़ियों के लिए राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर बहुत अच्छा अवसर रखता है। कुछ देशों में, कुछ अवसरों कार्यक्रमों और त्योहारों के आयोजन पर स्पोर्ट्स और खेल गतिविधियाँ आयोजित की जाती हैं, उदाहरण के लिए; प्राचीन यूनान के ओलम्पियाड को सम्मान प्रदर्शित करने के लिए ओलम्पिक खेलों का आयोजन किया जाता है।

खेल सभी के व्यस्त जीवन में विशेष रुप से विद्यार्थियों के जीवन में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता हैं। यहाँ तक कि, पूरे दिन में से, कम से कम थोड़े से समय के लिए सभी को खेलों में सक्रिय रुप से भाग लेना चाहिए। खेल बहुत ही आवश्यक है क्योंकि, खेलों में नियमित रुप से शामिल होने वाले व्यक्ति में यह शारीरिक और मानसिक तंदरुस्ती लाता है। जिन व्यक्तियों की व्यस्त दिनचर्या होती है, वे बहुत ही आसानी व शीघ्रता से थक जाते हैं। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि, एक सूकून और आराम का जीवन जीने के लिए हम सभी को स्वस्थ मस्तिष्क और स्वस्थ शरीर की आवश्यकता होती है।

नाम, प्रसिद्धी, और पैसा प्राप्त करने के लिए शिक्षा बहुत आवश्यक है। इसी तरह से, स्वस्थ शरीर और मस्तिष्क प्राप्त करने के लिए, सभी को किसी भी प्रकार की शारीरिक गतिविधि में अवश्य शामिल होना चाहिए, जिसके लिए खेल सबसे अच्छा तरीका है।

निबंध 2 (400 शब्द) – स्पोर्ट्स के मूल्य व लाभ

खेल बहुत ही अच्छी शारीरिक गतिविधि है जो तनाव और चिन्ता से मुक्ति प्रदान करता है। यह खिलाड़ियों के लिए अच्छा भविष्य और पेशेवर जीवन का क्षेत्र प्रदान करता है। यह खिलाड़ियों को उनके आवश्यक नाम, प्रसिद्धी और धन देने की क्षमता रखता है। इसलिए, हम कह सकते हैं कि, व्यक्तिगत लाभ के साथ ही पेशेवर लाभ के लिए भी खेल सकते हैं। दोनों ही तरीकों से, यह हमारे शरीर, मस्तिष्क और आत्मा को लाभ पहुँचाता है।

स्पोर्ट्स का मूल्य

कुछ लोग अपने शरीर और मस्तिष्क की तंदरुस्ती, आनंद आदि के लिए नियमित रुप से खेलते हैं हालांकि, कुछ अपने जीवन में बहुमूल्य दर्जा पाने के लिए खेलते हैं। कोई भी निजी और पेशेवर जीवन में इसके मूल्य को अनदेखा नहीं कर सकता है। पहले ओलम्पिक खेल 1896 में एथेंस में आयोजित हुए थे, जो अब नियमित रुप से हर चार साल बाद विभिन्न देशों में आयोजित होते हैं। इसमें इनडोर और आउटडोर दोनों प्रकार के खेल शामिल होते हैं, जिसमें विभिन्न देशों के खिलाड़ी भाग लेते हैं।

कुछ आउटडोर या मैदान में खेले जाने वाले खेल फुटबॉल, हॉकी, वालीबॉल, बेसबॉल, क्रिकेट, टेनिस, खो-खो, कबड्डी आदि है, जिन्हें खेलने के लिए मैदान की आवश्यकता होती है। इनडोर खेल कैरम, ताश खेलना, शतरंज, टेबिल टेनिस, पहेली, आदि हैं, जो घर में बिना किसी मैदान के खेले जा सकते हैं। कुछ खेल इनडोर और आउटडोर दोनों होते हैं जैसे – बैडमिंटन और टेबिल टेनिस।

स्पोर्ट्स के लाभ

खेल और स्पोर्ट्स हमारे लिए बहुत ही लाभदायक हैं क्योंकि वे हमें समयबद्धता, धैर्य, अनुशासन, समूह में कार्य करना और लगन सिखाते हैं। खेलना हमें, आत्मविश्वास के स्तर का निर्माण करना और सुधार करना सिखाता है। यदि हम खेल का नियमित अभ्यास करें, तो हम अधिक सक्रिय और स्वस्थ रह सकते हैं।

खेल गतिविधियों में शामिल होना, हमें बहुत से रोगों से सुरक्षित करने में मदद करता है; जैसे – गठिया, मोटापा, हृदय की समस्याओं, मधुमेह, आदि। यह हमें जीवन में अधिक अनुशासित, धैर्यवान, समयबद्ध और विनम्र बनाता है। यह हमें जीवन में सभी कमजोरियों को हटाकर आगे बढ़ना सिखाता है। यह हमें बहादुर बनाता है, और चिड़चिड़ेपन व गुस्से को हटाकर खुशी का अहसास देता है। यह हमें शारीरिक रुप से तंदरुस्त और मानसिक आराम प्रदान करता है, जिससे कि हम सभी समस्याओं से आसानी से निपट सकें।

खेल गतिविधियों में शामिल होना एक व्यक्ति के लिए बहुत से तरीकों से लाभदायक होता है। यह न केवल शारीरिक ताकत प्रदान करता है बल्कि, यह मानसिक शक्ति को भी बढ़ाता है। बाहर खेले जाने वाले खेल फुटबॉल, क्रिकेट, वॉलीबॉल, हॉकी, दौड़ आदि शारीरिक स्वास्थ्य और मानसिक तंदरुस्ती को सुधारने में मदद करते हैं। यद्यपि, कुछ घर के अन्दर खेले जाने वाले खेल जैसे; दिमागी खेल, शतरंज, सुडोकु आदि हमारी मानसिक शक्ति और मन एकाग्र करने की क्षमता के स्तर को बढ़ाते हैं।

निबंध 3 (500 शब्द) – स्वास्थ्य, धन और राष्ट्र के निर्माण में खेल की भूमिका

खेल और स्पोर्ट्स शारीरिक गतिविधि हैं, जो प्रतियोगी स्वभाव के कौशल विकास में मदद करती हैं। आमतौर पर, दो या अधिक समूह एक दूसरे के साथ मनोरंजन या इनाम प्राप्त करने के लिए एक दूसरे से प्रतिस्पर्धा करते हैं। महिलाओं और पुरुषों दोनों के लिए खेल गतिविधियों को बढ़ावा देने की आवश्यकता है, क्योंकि यह एक व्यक्ति की शारीरिक, मानसिक स्वास्थ्य, वित्तीय स्थिति को बढ़ावा देता है। यह नागरिकों के चरित्र और स्वास्थ्य के निर्माण के द्वारा राष्ट्र को मजबूती प्रदान करने में महान भूमिक निभाता है। खेल मनुष्य के कार्य करने के तरीकों में गति और सक्रियता लाता है।

स्वास्थ्य, धन और राष्ट्र के निर्माण में खेल की भूमिका

खेल के महत्व और भूमिका को किसी के भी द्वारा नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है, क्योंकि यह वास्तव में बहुत महत्वपूर्ण विषय है। लोग अपने व्यक्तिगत विकास के साथ ही पेशेवर विकास के लिए खेल गतिवधियों में शामिल हो सकते हैं। यह लड़के और लड़कियों दोनों के लिए अच्छे शरीर का निर्माण करने के लिए बहुत अच्छा है। यह लोगों को मानसिक रुप से सतर्क, शारीरिक रुप से सक्रिय और मजबूत बनाता है।

खेल के दो सबसे अधिक महत्वपूर्ण लाभ; अच्छा स्वास्थ्य और शान्त मस्तिष्क हैं। विद्यार्थी देश के युवा हैं, और वे खेले गतिविधियों के द्वारा और अधिक लाभान्वित हो सकते हैं। वे और अधिक अनुशासित, स्वस्थ, सक्रिय, समयनिष्ठ हो सकते हैं और आसानी से व्यक्तिगत व पेशेवर जीवन में किसी भी कठिन स्थिति के साथ सामना कर सकते हैं। खेलों में नियमित रुप से शामिल होना आसानी से चिंता, तनाव और घबराहट से उबरने में मदद करता है।

यह शरीर के अंगों के शारीरिक कार्यों को बेहतर बनाता है और इस तरह, पूरे शरीर के कार्यों को सकारात्मक रुप से नियंत्रित करता है। यह शरीर के स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करता है और इस प्रकार मन या दिमाग शांतिपूर्ण, तेज, और बेहतर एकाग्रता के साथ सक्रिय रहता है। यह शरीर व मन की शक्ति और ऊर्जा का स्तर बढ़ा देता है। यह हर किसी को नीरस जीवन से एक अच्छा अन्तराल (ब्रेक) देता है।

खेल उज्ज्वल पेशेवर कैरियर रखता है इसलिए, इसमें रुचि रखने वाले युवाओं को चिन्ता करने की आवश्यकता नहीं है, और उन्हें तो केवल पूरी लगने के साथ अपनी इस रुचि को नियमित रखना है। यह टीम में सहयोग और टीम निर्माण की भावना के विकास के द्वारा सभी को टीम में कार्य करना सिखाता है। खेलों के प्रति अधिक झुकाव एक व्यक्ति और एक राष्ट्र दोनों को स्वस्थ और वित्तीय रुप से अधिक मजबूत बनाता है। इसलिए, इसे अभिभावकों, शिक्षकों और देश की सरकार के द्वारा अधिक बढ़ावा दिया जाना चाहिए।

निष्कर्ष: प्रख्यात खेल हस्तियों की भूमिका

अधिक प्रसिद्ध खेल हस्तियों को रखने वाला राष्ट्र कम समय में बहुत आसानी से दुनिया भर में अपनापन प्राप्त कर लेता है। देश के युवाओं को प्रेरित करने के लिए अतिरिक्त प्रयास की कोई जरूरत नहीं पड़ती है। वे बहुत आसानी से पहले से ही प्रसिद्ध खेल हस्तियों को देखकर प्रेरित होते रहते हैं। इस तरह के देश के युवाओं को खेल के क्षेत्र में कैरियर बनाने में अधिक मौके मिलते हैं। सर्वविदित खिलाड़ी भी अपने देश के आगामी युवकों प्रोत्साहित करते हैं।

Importance of Sports Essay

निबंध 4 (600 शब्द) – खेल: चरित्र और स्वास्थ्य निर्माण

लोगों द्वारा आकस्मिक या संगठित भागीदारी के माध्यम से की जाने वाली प्रतिस्पर्धी खेल गतिविधियों को हम खेल कह सकते हैं। यह सभी की शारीरिक क्षमता और कौशल को सुधारने और बनाए रखने में मदद करता है। यह प्रतिभागियों के लिए मनोरंजन का एक तरीका है। खेल वास्तव में सभी के द्वारा विशेषरुप से बच्चों द्वारा पसंद किए जाते हैं हालांकि, ये उनके लिए विभिन्न तरीकों से हानि भी पहुँचा सकते हैं। यह बच्चों को आसानी से घायल कर सकता है या अध्ययन से भटका सकता है। फिर भी, बच्चे अपने मित्रों के साथ खेलने के लिए बाहर जाना पसंद करते हैं।

यदि हम इतिहास पर नजर डालें तो हम देखते हैं कि, खेलों को प्राचीन समय से ही बहुत अधिक महत्व दिया जा रहा है। आधुनिक समय में, अन्य मनोरंजन बढ़ाने वाली चीजों, जैसे- विडियो गेम, टीवी आदि की वृद्धी और प्रसिद्धी के कारण जीवन में खेलों की माँग कम हो रही है। यद्यपि, यह भी सत्य है कि, खेल बहुत से देशों के द्वारा सांस्कृतिक गतिविधियों की तरह माने जाते हैं, इसलिए हम कह सकते हैं कि, भविष्य में खेल और स्पोर्ट्स का प्रचलन कभी खत्म नहीं होगा।

खेल गतिविधियों को स्कूल और कॉलेजों में विद्यार्थियों के अच्छे शारीरिक, मानसिक स्वास्थ्य और पेशेवर भविष्य के लिए अनिवार्य कर दिया गया है। खेल उन सभी के लिए, जो इनमें पूरी लगन के साथ शामिल होता के लिए भविष्य में अच्छा कैरियर रखते हैं। यह विशेषरुप से विद्यार्थियों के लिए बहुत ही लाभदायक है क्योंकि, यह शारीरिक और मानसिक विकास को सहायता प्रदान करता है। वे लोग जो खेलों में अधिक रुचि रखते हैं और खेलने में अच्छे हैं, वे अधिक सक्रिय और स्वस्थ जीवन जी सकते हैं। वे कार्यस्थल पर बेहतर अनुशासन के साथ ही नेतृत्व के गुणों को विकसित कर सकते हैं।

शारीरिक समन्वय और ताकत

यह माना जाता है कि, खेल और ताकत एक ही सिक्के के दो पहलु हैं। यह सत्य है कि, खेल में भागीदारी करने वाले एक व्यक्ति के पास सामान्य व्यक्ति (जो व्यायाम नहीं करता हो) से अधिक ताकत होती है। खेलों में रुचि रखने वाला व्यक्ति महान शारीरिक ताकत विकसित कर सकता है और किसी भी राष्ट्रीय या अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के खेल में भागीदारी करने के द्वारा अपना भविष्य उज्ज्वल कर सकता है। खेल प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने, शारीरिक समन्वय बनाए रखने, शरीर की ताकत को बढ़ाने और मानसिक शक्ति में सुधार करने में मदद करता है।

चरित्र और स्वास्थ्य निर्माण

नियमित आधार पर खेल खेलना एक व्यक्ति के चरित्र और स्वास्थ्य निर्माण में मदद करता है। यह आमतौर पर देखा जा सकता है कि, युवा अवस्था से ही खेल में शामिल रहने वाला एक व्यक्ति, बहुत ही साफ और मजबूत चरित्र के साथ ही अच्छे स्वास्थ्य को विकसित करता है। खिलाड़ी बहुत अधिक समय के पाबंद और अनुशासित होते हैं, इस प्रकार, हम कह सकते हैं कि, खेल राष्ट्र और समाज के लिए विभिन्न मजबूत और अच्छे नागरिक प्रदान करता है।

खेल आमतौर पर, एक दूसरे पर विजय प्राप्त करने की कोशिश के साथ दो प्रतिस्पर्धी टीमों के बीच एक प्रतियोगिता के रूप में खेला जाता है।खेल और स्पोर्ट्स के विभिन्न प्रकार होते हैं, जिन्हें हम घर के बाहर खेलते हैं उन्हें आउटडोर (मैदानी खेल) खेल कहते हैं, वहीं जो घर के अन्दर खेले जाते हैं उन्हें इनडोर खेल कहा जाता है। दोनों में से एक प्रतिभागी विजेता होता है, वहीं दूसरा हारता है। खेल वास्तव में सभी के लिए बहुत महत्वपूर्ण गतिविधि है, विशेषरुप से बच्चों और युवाओं के लिए क्योंकि यह शरीर को स्वस्थ और तंदरुस्त रखता है।

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